RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Science
Chapter Chapter 7
Chapter Name परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म
Number of Questions Solved 134
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

बहुचयनात्मक प्रश्न
1. रदरफोर्ड के प्रयोग में किन विकिरणों का प्रयोग किया गया था?
(क) α
(ख) β
(ग) γ
(घ) X

2. पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है–
(क) अणु
(ख) परमाणु
(ग) तत्व
(घ) यौगिक

3. तत्वों का प्रथम आवर्ती वर्गीकरण दिया था–
(क) डोबराइनर ने
(ख) मोजले ने
(ग) न्यूलैंड ने
(घ) मैन्डेलीफ ने

4. आधुनिक आवर्त सारणी पदार्थ के किस गुण पर आधारित है?
(क) परमाणु संरचना
(ख) परमाणु भार
(ग) परमाणु क्रमांक
(घ) संयोजकता

5. आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त तथा वर्गों की संख्या है
(क) 7 एवं 18
(ख) 9 एवं 18
(ग) 7 एवं 20
(घ) 9 एवं 20

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6. आवर्त सारणी में परमाणु आकार, वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर
(क) घटता है।
(ख) स्थिर रहता है।
(ग) अनियमित रहता है।
(घ) बढ़ता है।

7. वाण्डरवाल त्रिज्या सहसंयोजक त्रिज्या से होती है
(क) छोटी
(ख) बड़ी
(ग) समान
(घ) कोई नहीं

8. एक लघु आवर्त में तत्वों की संख्या होती है
(क) 2
(ख) 8
(ग) 18
(घ) 32

9. उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा होती है
(क) इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी
(ख) विद्युतऋणता
(ग) आयनन एन्थैल्पी
(घ) उत्तेजन ऊर्जा

10. किस तत्व की विद्युतऋणता सर्वाधिक होती है?
(क) H
(ख) Na
(ग) Ca
(घ) F

11. सर्वाधिक धात्विक गुण किस वर्ग के सदस्य रखते हैं ?
(क) 1
(ख) 2
(ग) 5
(घ) 6

उत्तरमाला-
1. (क)
2. (ख)
3. (घ)
4. (ग)
5. (क)
6. (घ)
7. (ख)
8. (ख)
9. (ग)
10. (घ)
11. (क)

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
थॉमसन के मॉडल का नाम बताइए।
उत्तर-
थॉमसन के परमाणु मॉडल को प्लम पुडिंग मॉडल कहते हैं।

प्रश्न 13.
बोर की कक्षाओं को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
बोर की कक्षाओं को कोश या ऊर्जा स्तर कहते हैं।

प्रश्न 14.
आधुनिक आवर्त नियम क्या है?
उत्तर-
आधुनिक आवर्त नियम-मोजले के अनुसार, “तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।”

प्रश्न 15.
मेण्डेलीफ का आवर्त नियम लिखें।
उत्तर-
मेण्डेलीफ के अनुसार, ”तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।” इसे मेण्डेलीफ का आवर्त नियम कहते हैं।

प्रश्न 16.
मैण्डेलीफ ने तत्वों को उनके किस गुण के आधार पर आवर्ती क्रम में रखा?
उत्तर-
मैण्डेलीफ ने तत्वों को उनके परमाणु भार के आधार पर आवर्ती क्रम में रखा।

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प्रश्न 17.
18 वें वर्ग के सदस्यों को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर-
आवर्त सारणी में 18वें वर्ग के सदस्यों (तत्वों) को उत्कृष्ट गैस या निष्क्रिय गैस कहा जाता है।

प्रश्न 18.
d-ब्लॉक तथा -िब्लॉक तत्वों का अन्य नाम क्या है?
उत्तर-
d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व तथा f-ब्लॉक के तत्वों को अंतः संक्रमण तत्व कहा जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
धातु, अधातु एवं उपधातु का आधुनिक आवर्त सारणी में स्थान बताइए।
उत्तर-
आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा होती है जो कि तत्वों को दो भागों में बाँटती है, धातु तथा अधातु । यह रेखा B, Si, As, Te तथा At के नीचे होती है। इस रेखा के बायीं तरफ धातु तथा दायीं तरफ अधातु होते हैं तथा इस रेखा के समीप स्थित तत्व उपधातु हैं, जो कि बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, टेल्यूरियम एवं पोलोनियम हैं।

प्रश्न 20.
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी की एक वर्ग में आवर्तिता समझाइए।
उत्तर-
आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर सामान्यतः इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है क्योंकि परमाणु आकार बढ़ता है, इससे प्रभावी नाभिकीय का मान कम होता है अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कम होती जाती है, लेकिन इस क्रम में अनियमितता भी पायी जाती है, जिसके कई कारण होते हैं।

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प्रश्न 21.
वाण्डरवाल त्रिज्या एवं सहसंयोजक त्रिज्या से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वाण्डरवाल त्रिज्या–ठोस अवस्था में एक ही पदार्थ के दो पास-पास स्थित अनाबंधित अणुओं के परमाणुओं के बीच की दूरी का आधा वाण्डरवाल त्रिज्या कहलाती है। वाण्डरवाल त्रिज्या हमेशा सहसंयोजक त्रिज्या से अधिक होती है।
सहसंयोजक त्रिज्या-एक ही तत्व के दो समान परमाणु सहसंयोजक बन्ध से जुड़े हों तो दोनों परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को उस परमाणु की सहसंयोजक क्रिज्या कहते हैं।
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प्रश्न 22.
धनायन उदासीन परमाणु से छोटा तथा ऋणायन उदासीन परमाणु से बड़ा होता है। क्यों?
उत्तर-

  • धनायन का आकार हमेशा उसके उदासीन परमाणु से छोटा होता है क्योंकि धनायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम हो जाती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है इसलिए नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ जाता है।
  • ऋणायन का आकार हमेशा उसके उदासीन परमाणु से बड़ा होता है। क्योंकि ऋणायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम हो जाता है, जिससे नाभिकीय आकर्षण बल कम हो जाता है।
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प्रश्न 23.
प्रभावी नाभिकीय आवेश से क्या समझते हैं? यह वर्ग एवं आवर्त में किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर-
प्रभावी नाभिकीय आवेश-किसी परमाणु में बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक के द्वारा लगने वाले आकर्षण बल को प्रभावी नाभिकीय आवेश कहते हैं। यह हमेशा वास्तविक नाभिकीय आवेश से कम होता है क्योंकि बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के प्रतिकर्षण से नाभिकीय आकर्षण बल कुछ मात्रा में संतुलित हो जाता है। एक आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु क्रमांक बढ़ता है लेकिन कोशों की संख्या बढ़ती है अर्थात् परमाणु आकार बढ़ता है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है।

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प्रश्न 24.
संयोजकता एक ही आवर्त में बायें से दायें किस प्रकार का आवर्ती गुणधर्म प्रदर्शित करती है?
उत्तर-
आवर्त में बायें से दायें जाने पर संयोजकता 1 से 4 तक बढ़ती है तथा फिर 1 तक घटकर उत्कृष्ट गैस की स्थिति में शून्य हो जाती है। यदि तत्व ऑक्सीजन के साथ संयोग करता है तो संयोजकता 1 से 7 तक बढ़ती जाती है।
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प्रश्न 25.
डाल्टन का परमाणु संरचना सिद्धांत लिखें।
उत्तर-
डाल्टन (1808) ने रासायनिक संयोजन, द्रव्यमान संरक्षण तथा निश्चित अनुपात के नियमों के आधार पर परमाणु सिद्धान्त दिया जिसके मुख्य अभिगृहीत निम्न हैं

  • प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
  • परमाणु अविभाज्य कण होते हैं।
  • एक ही तत्व के सभी परमाणु; भार, आकार तथा रासायनिक गुणों में समान होते हैं।
  • भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु; भार, आकार तथा रासायनिक गुणों में भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • एक से अधिक प्रकार के तत्वों के परमाणु सदैव छोटी-छोटी पूर्ण संख्याओं के सरल अनुपात में संयोग कर यौगिक बनाते हैं।
  • रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु केवल पुनर्व्यवस्थित होते हैं, लेकिन इन्हें रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा न तो बनाया जा सकता है, न ही नष्ट किया जा सकता है।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 26.
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के गुण एवं दोषों को सूचीबद्ध करें।
उत्तर-
मेण्डेलीफ ने एक आवर्त नियम दिया, जिसके अनुसार तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं। इसके आधार पर उन्होंने आवर्त सारणी को 8 वर्ग (ऊर्ध्वाधर स्तम्भ) तथा 6 आवर्ती (क्षैतिज पंक्तियाँ) में विभाजित किया। वर्गों को पुनः A तथा B उपवर्गों में विभाजित किया। मेण्डेलीफ के समय तक उत्कृष्ट गैसें ज्ञात नहीं थीं, बाद में इन्हें एक नया वर्ग (शून्य वर्ग) बनाकर सारणी में रखा गया।

मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में निम्न गुण थे-

  • मेण्डेलीफ ने तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित किया तथा उन्होंने सुनिश्चित किया कि एक ही प्रकार के भौतिक एवं रासायनिक गुणों वाले तत्व एक ही वर्ग में आएँ ताकि तत्वों की आवर्तिता बनी रहे।
  • मेण्डेलीफ को कहीं-कहीं परमाणु भार के क्रम को तोड़ना भी पड़ा। जैसे आयोडीन (I) को (परमाणु भार 126.9) टेल्यूरियम (Te) (परमाणु भार 127.6) के बाद रखा गया क्योंकि इसके गुण वर्ग VII के तत्वों के समान हैं।
  • आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़ा तथा उनके गुणधर्मों के बारे में भविष्यवाणी भी की।
  • उन तत्वों के नाम एका-बोरॉन, एका-एल्यूमिनियम तथा एका-सिलिकॉन रखे एवं इनके गुणों का अनुमान भी लगाया जो कि बाद में सही सिद्ध हुए।
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  • बाद में इन तत्वों को क्रमशः स्कैण्डियम, गैलियम तथा जरमेनियम कहा गया।
  • मेण्डेलीफ द्वारा आवर्त सारणी का निर्माण तत्वों के वर्गीकरण तथा अध्ययन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी रहा।

मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में निम्नलिखित दोष थे-

  • सारणी में कुछ स्थानों पर परमाणु भार के बढ़ते क्रम का पालन नहीं किया गया।
  • कुछ समान गुण वाले तत्व अलग-अलग वर्ग में तथा असमान गुण वाले तत्व एक ही वर्ग में रखे गये।
  • सारणी में हाइड्रोजन को निश्चित स्थान नहीं दिया गया।
  • इस सारणी में समस्थानिकों को भी कोई स्थान नहीं दिया गया।

प्रश्न 27.
तत्वों के निम्नलिखित गुण आवर्त सारणी में किस प्रकार आवर्तिता दर्शाते हैं?
(i) परमाणु त्रिज्या
(ii) आयनन एन्थैल्पी
(iii) विद्युत ऋणात्मकता।
उत्तर-
(i) परमाणु त्रिज्या- किसी परमाणु के नाभिक से बाह्यतम कोश के बीच की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं ।

  • आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बायें से दाये जाने पर परमाणु क्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिकीय आवेश (प्रोटॉनों की संख्या) बढ़ने के कारण बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है।
  • वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि नया कोश जुड़ता जाता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है अतः नाभिकीय आकर्षण बल कम होता जाता है।
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(ii) आयनन एन्थैल्पी- गैसीय अवस्था में किसी तत्व के एक उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते हैं।

  • आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है जिसके कारण परमाणु से इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना कठिन होता है। अतः आवर्त में आयनन एन्थैल्पी का मान बढ़ता है।
  • आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है जिससे परमाणु आकार बढ़ता है तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होने के कारण बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल कम होता जाता है। अतः उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना सरल होता है। इसी कारण वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है।

(iii) विद्युत ऋणता या विद्युत ऋणात्मकता- सहसंयोजक यौगिकों में दो असमान परमाणुओं के मध्य बने हुए बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म को परमाणु द्वारा अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति को ही विद्युतऋणता कहते हैं। तत्वों का यह एक सापेक्ष गुण है।

  • किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार छोटा होता जाता है। अतः नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है इसलिए तत्वों की विद्युत ऋणता भी बढ़ती जाती है।
  • वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ने के कारण नाभिकीय आकर्षण बल कम होता है अतः विद्युत ऋणता का मान घटता जाता है।

फ्लुओरीन की विद्युतऋणता आवर्त सारणी में अधिकतम होती है।

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प्रश्न 28.
आधुनिक आवर्त सारणी के द्वारा तत्वों के वर्गीकरण को समझाइए।
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी-मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी के समय अवपरमाणुक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन की व्यवस्था ज्ञात नहीं थी अतः उन्होंने तत्वों के परमाणु भार को वर्गीकरण का आधार माना था। लेकिन बीसवीं सदी में इन कणों की खोज के पश्चात् 1913 में हेनरी मोजले ने आवर्त सारणी को पुनः व्यवस्थित किया तथा देखा कि परमाणु भार की तुलना में परमाणु क्रमांक द्वारा तत्वों के गुणों की अच्छी तरह व्याख्या की जा सकती है। इस आधार पर उन्होंने आधुनिक आवर्त नियम दिया जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।

आधुनिक आवर्त सारणी के आधार पर तत्वों के वर्गीकरण के मुख्य बिन्दु निम्न हैं—

  • आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा गया है।
  • उदासीन परमाणु में परमाणु क्रमांक, नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या अथवा उसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है। अतः यह आवर्त सारणी स्वतः ही तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का प्रतिनिधित्व करती है।
  • आवर्त सारणी का यह रूप बहुत ही सरल तथा मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी की तुलना में अधिक विस्तृत है अतः इसे आवर्त सारणी का दीर्घ रूप या विस्तृत रूप कहते हैं।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियाँ आवर्त (Period) तथा ऊध्र्वाधर स्तम्भ वर्ग (Group) कहलाते हैं।
  • वर्गों की संख्या 18 तथा आवर्गों की संख्या 1 से 7 तक होती है। आवर्त मुख्य ऊर्जा स्तर अर्थात् कोश को प्रदर्शित करते हैं।
  • प्रथम आवर्त में दो तत्व होते हैं, इसे अतिलघुआवर्त कहते हैं। द्वितीय तथा तृतीय आवर्त में 8-8 तत्व हैं, इन्हें लघु आवर्त कहते हैं।
  • चतुर्थ तथा पंचम आवर्त में d कक्षक भी प्रारम्भ हो जाते हैं। इन दोनों आवर्ती में 18-18 तत्व होते हैं, इन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं। छठे तथा सातवें आवर्त में f-कक्षक भी प्रारंभ हो जाते हैं अतः इनमें 32-32 तत्व होते हैं, इन्हें अतिदीर्घ आवर्त कहते हैं।
  • f-ब्लॉक के एक-एक प्रारूपिक तत्व को मुख्य आवर्त सारणी में रखकर शेष तत्वों को दो क्षैतिज पंक्तियों में अलग से आवर्त सारणी के नीचे 14-14 तत्वों की दो पंक्तियों में दर्शाया जाता है। पहली पंक्ति के तत्व लेन्थेनाइड तथा दूसरी पंक्ति के तत्व एक्टिनॉइड कहलाते हैं।
  • आधुनिक आवर्त सारणी से यह स्पष्ट है कि एक ही वर्ग के सभी तत्वों के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है अर्थात् संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। लेकिन वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती जाती है।
  • बाह्यतम कोश में भरे गये अंतिम इलेक्ट्रॉन के आधार पर आवर्त सारणी को चार ब्लॉकों में वर्गीकृत किया गया है। वर्ग 1 व 2 के तत्वों को 5 ब्लॉक तत्व, वर्ग 13 से 18 तक के तत्वों को 2 ब्लॉक तत्व, वर्ग 3 से 12 तक के तत्व d ब्लॉक तत्व तथा आवर्त सारणी के नीचे स्थित दोनों क्षैतिज पंक्तियों को f ब्लॉक के तत्व कहा जाता है।
  • क्षैतिज पंक्तियों में पहली पंक्ति के तत्व (4f श्रेणी) लैंथेनम के बाद आते हैं अतः इन्हें लैन्थेनाइड तथा दूसरी पंक्ति के तत्व (5f श्रेणी) एक्टीनियम के बाद आते हैं अतः इन्हें एक्टिनाइड कहा जाता है।
  • s ब्लॉक के तत्वों को क्षारीय (वर्ग 1) एवं क्षारीय मृदा धातु (वर्ग 2), p ब्लॉक के तत्वों को निरूपक तत्व या मुख्य तत्व, d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व तथा f-ब्लॉक के तत्वों को अंतः संक्रमण तत्व कहा जाता है।
  • आवर्त सारणी में यूरेनियम के बाद आने वाले तत्वों को परायूरेनियम तत्व कहा जाता है।

प्रश्न 29.
रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग का वर्णन करें। इस प्रयोग का परिणाम तथा निकाले गये निष्कर्षों का भी उल्लेख करें।
उत्तर-
रदरफोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग- रदरफोर्ड के इस प्रयोग को α- प्रकीर्णन प्रयोग भी कहते हैं। रदरफोर्ड ने सोने की बहुत पतली पन्नी (100 nm या 10-7 मीटर मोटी) पर उच्च ऊर्जा युक्त α कणों (He के नाभिक) की बमबारी की। उन्होंने पन्नी (झिल्ली) के चारों तरफ जिंक सल्फाइड से लेपित वृत्ताकार पर्दा रखा जिससे कि बमबारी के बाद α-कण इस पर्दे से टकरा कर फ्लैश (स्फुरदीप्ति) उत्पन्न करते हैं। इससे α-कणों की दिशा ज्ञात हो जाती है।
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स्वर्ण धातु के नाभिक द्वारा α-कणों का प्रकीर्णन
रदरफोर्ड के इस प्रयोग के प्रेक्षण निम्न हैं

  • अधिकांश α-कण सोने की पन्नी में से सीधे ही निकल गये अर्थात् उनका विक्षेपण नहीं हुआ।
  • बहुत कम α-कण कुछ अंश कोण से विक्षेपित हुए।
  • 20,000 α-कणों में से एक α-कण का विक्षेपण 180° के कोण से हुआ।

ये सभी प्रेक्षण अनअपेक्षित थे तथा इनके आधार पर रदरफोर्ड ने कहा कि ये प्रेक्षण उतने ही अविश्वसनीय थे जैसे अगर आप एक 14″ मोटे तोप के गोले को टिशू पेपर के टुकड़े पर मारें और वह लौटकर आपको ही चोट पहुँचाये। इन प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु के बारे में निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले

  • परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त और आवेशहीन होता है इसलिए अधिकांश α-कण स्वर्ण पत्र में से सीधे ही निकल जाते हैं।
  • कुछ α-कण विक्षेपित हो जाते हैं क्योंकि उन पर प्रबल प्रतिकर्षण बल लगा होता है। अतः समस्त धनावेश परमाणु के अंदर एक ही स्थान पर केन्द्रित होना चाहिए।
  • परमाणु में धनावेशित भाग का आयतन उसके कुल आयतन की तुलना में बहुत कम होता है। इस धनावेशित भाग को नाभिक कहा गया। परमाणु का व्यास लगभग 10-10 मीटर तथा नाभिक का व्यास लगभग 10-15 मीटर होता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. मुख्य क्वाण्टम संख्या n का मान बढ़ने पर कक्ष की ऊर्जा
(अ) कम होती है
(ब) बढ़ती है।
(स) स्थिर रहती है
(द) कुछ नहीं कहा जा सकता

2. M किस ऊर्जा स्तर को दर्शाता है?
(अ) प्रथम
(ब) द्वितीय
(स) तृतीय
(द) चतुर्थ

3. परमाणु का धनावेश स्थित होता है
(अ) नाभिक में
(ब) कक्षों में
(स) नाभिक तथा कक्षों के मध्य
(द) सम्पूर्ण परमाणु में

4. सिलिकॉन है
(अ) धातु
(ब) अधातु
(स) उपधातु
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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5. L कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है
(अ) 2
(ब) 18
(स) 8
(द) 32

6. आवर्त सारणी में किसी समूह (वर्ग) के सभी तत्वों में समान होते हैं
(अ) परमाणु संख्या
(ब) परमाणु द्रव्यमान
(स) इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(द) संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या

7. आवर्त सारणी में बाईं से दाईं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौनसा कथन असत्य है?
(अ) तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती है।
(ब) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है।
(स) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन को त्याग करते हैं।
(द) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय होते जाते हैं।

8. धातुओं के ऑक्साइडों की प्रकृति सामान्यतः होती है
(अ) अम्लीय
(ब) उदासीन
(स) उभयधर्मी
(द) क्षारीय

उत्तरमाला-
1. (ब)
2. (स)
3. (अ)
4. (स)
5. (स)
6. (द)
7. (स)
8. (द)।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्लोरीन के समस्थानिकों के परमाणु भार लिखिए।
उत्तर-
Cl35 और Cl37

प्रश्न 2.
आवर्त सारणी में आवर्त (Periods) तथा वर्ग (Group) किसे कहते हैं?
उत्तर-
आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त और ऊर्ध्वाधर स्तम्भों को वर्ग कहते हैं।

प्रश्न 3.
सोडियम, क्लोरीन तथा सिलिकॉन में से कौनसी उपधातु है?
उत्तर-
सिलिकॉन

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प्रश्न 4.
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम क्या है?
उत्तर-
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम-जब तत्वों को उनके बढ़ते भार के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। जैसे–संगीत में आठवाँ स्वर पहले स्वर से मिलता है।

प्रश्न 5.
किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या किस सूत्र से ज्ञात की जाती है?
उत्तर-
किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2n²
n = कोश की संख्या ।

प्रश्न 6.
तीसरे आवर्त में स्थित तत्वों में धातु कौनसे हैं?
उत्तर-
तीसरे आवर्त में Na, Mg तथा Al धातु हैं।

प्रश्न 7.
आवर्त सारणी के तीसरे समूह में एक तत्व Y है तो इसके ऑक्साइड का सूत्र क्या होगा?
उत्तर-
तत्व तीसरे समूह का है अत: इसकी संयोजकता 3 है तथा ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है। इसलिए ऑक्साइड का सूत्र Y2O3 होगा।

प्रश्न 8.
किसी समूह में उपस्थित तत्वों की संयोजकता क्या होगी?
उत्तर-
किसी समूह में उपस्थित तत्वों की संयोजकता = समूह संख्या या 8 – समूह संख्या।।

प्रश्न 9.
क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन में से किसकी क्रियाशीलता हाइड्रोजन के प्रति न्यूनतम है?
उत्तर-
हेलोजन वर्ग में F2 से I2 तक क्रियाशीलता कम होती है। अतः हाइड्रोजन के प्रति आयोडीन की क्रियाशीलता न्यूनतम है।

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प्रश्न 10.
समूह 1 के तत्वों का नाम क्या है?
उत्तर-
समूह 1 के तत्वों को क्षार धातु कहते हैं।

प्रश्न 11.
तीसरे आवर्त में तत्वों के ऑक्साइडों के क्षारीय गुण में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर-
तीसरे आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों का क्षारीय गुण कम होता है।

प्रश्न 12.
डॉबेराइनर के त्रिक् का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
Cl, Br तथा I डॉबेराइनर के त्रिक् का उदाहरण है।

प्रश्न 13.
आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर तत्वों में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती है। क्यों?
उत्तर-
आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, अतः इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती जाती है।

प्रश्न 14.
धातु, विद्युत धनात्मक होती हैं, क्यों?
उत्तर-
आबंध बनाते समय धातु में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति होती है अतः ये विद्युत धनात्मक होती हैं।

प्रश्न 15.
किसी समूह के कौनसे भाग में तत्वों में धात्विक गुण तथा परमाणु आकार अधिक होगा?
उत्तर-
किसी समूह में नीचे की तरफ स्थित तत्वों का धात्विक गुण तथा । परमाणु आकार अधिक होगा।

प्रश्न 16.
प्रथम परमाणु सिद्धान्त किस वैज्ञानिक ने दिया था?
उत्तर-
डाल्टन।

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प्रश्न 17.
परमाणु में ऊर्जा स्तरों को दर्शाने के लिए क्या संकेत दिए गए हैं?
उत्तर-
K, L, M, N, O…. (n = 1, 2, 3, 4, 5, ….)

प्रश्न 18.
बोर के अनुसार परमाणु की कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का सूत्र क्या है?
उत्तर-
mvr = \(\frac { nh }{ 2\pi } \)

प्रश्न 19.
बोर के परमाणु मॉडल की एक कमी बताइए।
उत्तर-
बोर के परमाणु मॉडल द्वारा एक से अधिक इलेक्ट्रॉन युक्त परमाणुओं की व्याख्या नहीं होती।

प्रश्न 20.
आवर्त सारणी के द्वितीय वर्ग के तत्वों को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
क्षारीय मृदा धातु।।

प्रश्न 21.
परमाणु त्रिज्या किसे कहते हैं?
उत्तर-
किसी परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित अन्तिम इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं ।

प्रश्न 22.
आवर्त सारणी में अधिकतम विद्युतऋणता वाला तत्व कौनसा है?
उत्तर-
फ्लु ओरीन।।

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प्रश्न 23.
Li+, Na+, K+ आयनों को त्रिज्या के घटते क्रम में लिखिए।
उत्तर-
K> Na+ > Li+

प्रश्न 24.
किस वर्ग के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी उच्चतम होती है ?
उत्तर-
उत्कृष्ट गैस।।

प्रश्न 25.
प्रथम समूह के तत्वों को क्षारीय धातु कहा जाता है, क्यों?
उत्तर-
प्रथम समूह के तत्व जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं, अतः इन्हें क्षारीय धातु कहा जाता है।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
(i) शून्य समूह के तत्व। (A) बोरॉन समूह (13वाँ वर्ग)
(ii) यूरेनियम (B) उत्कृष्ट गैस
(iii) एल्युमिनियम (C) रेडियोएक्टिव तत्व
उत्तर-
(i) (C)
(ii) (A)
(iii) (B)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
(i) सोना (A) न्यूलैण्ड
(ii) ऑक्सीजन (B) सिक्का धातु
(iii) अष्टक नियम (C) 16वाँ वर्ग
उत्तर-
(i) (C)
(ii) (A)
(iii) (B)

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
न्यूलैंड के अष्टक नियम को लिखिए तथा निम्नलिखित से समान गुणधर्म रखने वाले तत्त्व को नाम लिखिए

  1. नाइट्रोजन
  2. लिथियम।।

उत्तर-
न्यूलैंड का अष्टक नियम-न्यूलैंड ने सन् 1865 में ज्ञात तत्वों को परमाणु द्रव्यमान (परमाणु भार) के बढ़ते क्रम में रखा तो उन्होंने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुण के समान हैं। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की, जिसके अनुसार संगीत में (सा रे गा मा प ध नि सा) सात स्वरों के बाद आठवाँ स्वर पहले जैसा ही आता है और इसलिए इसे ‘न्यूलैंड का अष्टक नियम’ कहा जाता है। न्यूलैंड के अष्टक में

  1. नाइट्रोजन के गुण फॉस्फोरस के समान थे तथा
  2. लीथियम के गुणधर्म सोडियम के समान थे। परन्तु यह अष्टक सिद्धान्तं केवल Ca तत्व तक ही लागू हो पाया। इस प्रकार, यह सिद्धान्त केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया।
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प्रश्न 2.
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बायें से दाये जाने पर निम्नलिखित में क्या परिवर्तन होता है?

  1. धात्विक गुण
  2. संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या।

उत्तर-

  1. धात्विक गुण-आवर्त में जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाली प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, तत्वों की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती है, अतः धात्विक गुण कम होता जाता है।
  2. संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या-आवर्त में बायें से दाये जाने पर संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या पहले बढ़ती है फिर कम होती है।।

प्रश्न 3.
डोबराइनर के त्रिक क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
सन् 1829 में डोबराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्वों वाले कुछ समूहों को चुना जिनके भौतिक व रासायनिक गुण समान थे एवं इन समूहों को त्रिक् कहा। डोबराइनर के अनुसार त्रिक के तीनों तत्वों को उनके परमाणु भार के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु भार, अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का लगभग औसत होता है तथा इसके गुण भी दोनों तत्वों के गुणों के बीच के थे। डोबराइनर ऐसे तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके।
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प्रश्न 4.
क्या डोबराइनर के त्रिक्, न्यूलैंड के अष्टक के स्तम्भ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए।
उत्तर-
हाँ, डोबराइनर के त्रिक, न्यूलैण्ड के अष्टक के स्तम्भ में भी पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए लीथियम (Li), सोडियम (Na) तथा पोटैशियम (K) डोबराइनर का एक त्रिक बनाते हैं। यदि Li को पहला तत्व मानें तो उससे आठवें स्थान पर Na आता है और यदि Na को पहला तत्व मानें तो उसके आठवें स्थान पर K आता है।

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प्रश्न 5.
गैलियम के अतिरिक्त अब तक कौन-कौनसे तत्वों का पता चला है जिनके लिए मैन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में छोड़े गए खाली स्थानों में गैलियम के अतिरिक्त स्कैडियम तथा जर्मेनियम थे जिनकी खोज बाद में हुई थी। स्कैडियम, गैलियम तथा जर्मेनियम के गुण क्रमशः एका-बोरॉन, एका-ऐलुमिनियम तथा एकासिलिकॉन के समान थे।

प्रश्न 6.
आपके मतानुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया?
उत्तर-
सभी तत्वों में से उत्कृष्ट गैसें, जैसे-हीलियम (He), नीऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr) तथा जीनॉन (Xe) सबसे अधिक अक्रिय हैं अतः ये अन्य तत्वों से अभिक्रिया नहीं करती इसलिए मेण्डेलीफ ने उन्हें अलग वर्ग में रखा, जिसे शून्य वर्ग कहा गया।

इन गैसों का पता भी देर से चला क्योंकि ये अक्रिय हैं तथा वायुमण्डल में इनकी मात्रा भी बहुत कम है। इसलिए जब इन गैसों को पता चला तब मेण्डलीफ ने पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही इन्हें नए समूह में रखा।

प्रश्न 7.
निम्न के नाम बताइए
(a) तीन तत्व जिनके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
(b) दो तत्व जिनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(c) तीन तत्व जिनका बाह्यतम कोश पूर्ण भरा हो।
उत्तर-
(a) Li, Na तथा K ऐसे तत्व हैं, जिनके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित है। होता है तथा इसके गुण भी दोनों तत्वों के गुणों के बीच के थे। डोबराइनर ऐसे तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके।
(b) Mg तथा Ca ऐसे तत्व हैं, जिनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित
(c) Ne, Ar तथा Kr ऐसे तत्व हैं, जिनका बाह्यतम कोश पूर्ण भरा है।

प्रश्न 8.
किस तत्व में
(a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूर्ण पूरित हैं?
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
(c) कुल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं?
(d) कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं?
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैं?
उत्तर-
(a) Ne (2, 8) में दो कोश हैं तथा दोनों ही इलेक्ट्रॉन से पूर्ण पूरित हैं।
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 वाला तत्व मैग्नीशियम (Mg) है तथा इसका परमाणु क्रमांक 12 है।
(c) कुल तीन कोश तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन वाला तत्व सिलिकॉन (Si) है। ISi = 2, 8, 4
(d) कुल दो कोश तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन वाला तत्व बोरॉन (B) है। इB = 2, 3
(e) कार्बन (C) में दूसरे कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या पहले कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या की दोगुनी है। C = 2, 4

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प्रश्न 9.
(a) आवर्त सारणी में बोरॉन के स्तम्भ के सभी तत्वों के कौनसे गुणधर्म समान हैं?
(b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तम्भ के सभी तत्वों के कौनसे गुणधर्म समान हैं?
उत्तर-
(a) (i) बोरॉन की भाँति बोरॉन के स्तम्भ के सभी तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है अर्थात् इन सभी तत्वों के बाह्यतम कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं।
(ii) B (बोरॉन) के स्तम्भ के सभी तत्व + 3 संयोजकता (ऑक्सीकरण अवस्था) दर्शाते हैं।

(b) (i) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तम्भ के सभी तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है तथा इन सभी के बाह्यतम कोश में सात इलेक्ट्रॉन हैं, अतः इन सभी की संयोजकता 1 होती है।
(ii) ये सभी तत्व अधातु हैं तथा द्विपरमाणुक अणु बनाते हैं।

प्रश्न 10.
एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।
(a) इस तत्व की परमाणु-संख्या क्या है? .
(b) निम्न में किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी? (परमाणु-संख्या कोष्ठक में दी गई है)।
N(7) F(9) P(15) Ar(18)
उत्तर-
(a) इस तत्व की परमाणु संख्या 17 है तथा यह तत्व क्लोरीन है।
(b) इस तत्व की रासायनिक समानता F(9) फ्लुओरीन से है क्योंकि ये एक ही वर्ग के तत्व हैं।

प्रश्न 11.
आवर्त सारणी में तीन तत्व A, B तथा C की स्थिति निम्न प्रकार है
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अब बताइए कि
(a) A धातु है या अधातु।
(b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है या कम?
(c) C का आकार B से बड़ा होगा या छोटा?
(d) तत्व A, किस प्रकार का आयन ( धनायन या ऋणायन) बनाएगा?
उत्तर-
आवर्त सारणी में वर्ग 16 तथा 17 को देखने पर ज्ञात होता है कि
(a) A अधातु है। (क्योंकि आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर धात्विक गुण कम होता है।)
(b) A की अपेक्षा C कम अभिक्रियाशील है।
(c) C का आकार B से छोटा होगा।
(d) A मुख्यतः ऋणायन बनाता है क्योंकि यह अधातु है।

प्रश्न 12.
तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्व की स्थिति से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु क्रमांक के आधार पर बनाई गई है तथा परमाणु क्रमांक के आधार पर ही तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखा जाता है। तत्वों के रासायनिक गुण, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं, अतः जिन तत्वों के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, उन्हें समान समूह में रखा जाता है। किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 इकाई बढ़ जाती है क्योंकि परमाणु क्रमांक 1 इकाई बढ़ जाता है।

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प्रश्न 13.
आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20 ) के चारों ओर परमाणु संख्या 12, 19, 21 तथा 38 वाले तत्व स्थित हैं। इनमें से किन तत्वों के रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं?
उत्तर-
इन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अग्र प्रकार हैं
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स्पष्ट है कि परमाणु संख्या 12 एवं 38 वाले तत्वों के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है तथा इनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए इनके रासायनिक गुणधर्म भी समान होते हैं।

प्रश्न 14.
आधुनिक आवर्त सारणी एवं मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी एवं मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना

  • मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार परमाणु भार था जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों का वर्गीकरण परमाणु संख्या के आधार पर किया गया है।
  • मैन्डेलीफ के अनुसार तत्वों के गुणधर्म, परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं जबकि आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के गुणधर्म परमाणु संख्या के आवर्ती फलन होते हैं।
  • मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में आठ समूह (वर्ग) थे जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में 18 समूह हैं।
  • मैन्डेलीफ के अनुसार तत्वों को परमाणु भार के आरोही क्रम में रखने पर समान भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म वाले तत्व एक निश्चित अन्तराल के बाद पुनः आ जाते हैं अर्थात् उनका समान समूह होता है। आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आरोही क्रम में रखने पर समान गुण वाले तत्व एक वर्ग (समूह) में आते हैं।

प्रश्न 15.

  1. संयोजकता क्या होती है?
  2. s तथा p ब्लॉक के तत्वों की संयोजकता कैसे ज्ञात होती है?
  3. किसी समूह (वर्ग) में संयोजकता में क्या परिवर्तन होता है?

उत्तर-

  1. किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा निर्धारित की जाती है।
    किसी तत्व के एक परमाणु से संयोग करने वाले हाइड्रोजन परमाणुओं या ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या के आधे को उसकी संयोजकता कहते हैं।
  2. s ब्लॉक (वर्ग 1 व वर्ग 2) के तत्वों के बाह्यतम कोश में क्रमशः 1 व 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं अतः इनकी संयोजकता भी क्रमशः 1 व 2 ही होती है।
    p ब्लॉक अर्थात् वर्ग 13 से 17 तक के तत्वों की संयोजकता उसके बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या या 8 में से बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को घटाने से प्राप्त होती है।
  3. एक ही वर्ग के सभी सदस्यों की संयोजकता समान होती है क्योंकि इनके बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भी समान होता है।

प्रश्न 16.
दो तत्व X तथा Y जिनके परमाणु क्रमांक क्रमशः 11 तथा 17
(क) ये तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं?
(ख) इन तत्वों में से कौनसी धातु तथा कौनसी अधातु है?
(ग) ये तत्व आवर्त सारणी के किस आवर्त में हैं?
उत्तर-
(क) तत्व X वर्ग 1 में एवं तत्व Y 17 वें वर्ग में आता है।
(ख) तत्व X धातु तथा तत्व Y अधातु है।
(ग) दोनों तत्व (X व Y) आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं।

प्रश्न 17.
एक तत्व Y आवर्त सारणी के दूसरे आवर्त और वर्ग 16 में है
(a) क्या वह धातु है या अधातु?
(b) उसकी संयोजकता कितनी है?
उत्तर-
(a) तत्व Y अधातु है।
(b) तत्व Y ऑक्सीजन है, जिसकी परमाणु संख्या 8 है, अतः इसकी संयोजकता 2 है।।

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प्रश्न 18.
(अ) समस्थानिक किसे कहते हैं?
(ब) किन्हीं दो उत्कृष्ट गैसों के नाम लिखिए।
(स) एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है। इसकी वर्ग संख्या तथा संयोजकता क्या होगी?
उत्तर-
(अ) एक ही तत्व के भिन्न-भिन्न परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं। जैसे Cl35 तथा Cl37
(ब) (i) हीलियम (He) (ii) नीऑन (Ne)
(स) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 वाला तत्व मैग्नीशियम (Mg) है। इसकी वर्ग संख्या 2 तथा संयोजकता भी 2 है।

प्रश्न 19.
परमाणु के बारे में विभिन्न दार्शनिकों के क्या मत थे?
उत्तर-

  • प्राचीन भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने बताया कि पदार्थ को छोटे-छोटे टुकड़ों में लगातार विभाजित करने पर अंत में उसके सूक्ष्मतम कण प्राप्त होते हैं, उन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु को और अधिक विभाजित करना संभव नहीं है।
  • भारतीय दार्शनिक पकुघा काव्यायाम ने बताया कि पदार्थों के भिन्नभिन्न रूप इन कणों के संयुक्त होने से प्राप्त होते हैं।
  • ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स एवं ल्यूसीपस ने इन सूक्ष्मतम अविभाज्य कणों को atoms कहा। यह ग्रीक भाषा के शब्द atomio से लिया गया है जिसका अर्थ होता है न काटा जाने वाला अर्थात् अविभाज्य ।।

प्रश्न 20.
थॉमसन का परमाणु प्रतिरूप (मॉडल ) क्या था? समझाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की खोज के बाद परमाणु के बारे में सन् 1898 में जे.जे. थॉमसन ने एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसके अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला है जिसमें समान मात्रा में ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन वितरित होते हैं। इसे प्लम पुडिंग मॉडल भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का क्रिसमस केक है जिसमें धनावेश को पुडिंग की तरह तथा इलेक्ट्रॉन को प्लम की तरह माना गया है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसे बूंदी के लड्डू या तरबूज की तरह भी माना जा सकता है। तरबूज का लाल भाग धनावेश की तरह तथा बीच में लगे बीज इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं। इस मॉडल के अनुसार परमाणु में धनावेश तथा ऋणावेश की मात्रा समान होती है अतः परमाणु विद्युत उदासीन होता है।
थॉमसन के परमाणु मॉडल से रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग की व्याख्या नहीं होती है।
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प्रश्न 21.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के निष्कर्ष बताइए।
उत्तर-
रदरफोर्ड ने अपने स्वर्ण पत्र प्रयोग के आधार पर परमाणु का निम्न मॉडल दिया.

  • परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान (भार) उसके मध्य छोटे से भाग में स्थित होता है, उसे नाभिक कहते हैं।
  • परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से घूमते हैं, इन वृत्ताकार पथों को कक्षा या कक्ष (orbit) कहते हैं।
  • परमाणु विद्युत उदासीन होता है, अतः परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉन होते हैं, उतनी ही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन भी उपस्थित होते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म image - 12

प्रश्न 22.
(a) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सौर मॉडल से तुलना कीजिए।
(b) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ बताइए।
उत्तर-
(a) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौर मॉडल को प्रतिरूप माना जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार घूमते हैं। जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते हैं। इस प्रकार यह मॉडल परमाणु संरचना की व्याख्या करने का मूलभूत आधार बना।
(b) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में निम्न कमियाँ थीं

  • यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका।।
  • यह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
  • मैक्सवेल के सिद्धांत के अनुसार वृत्ताकार कक्ष में गति करता हुआ इलेक्ट्रॉन विकिरण उत्सर्जित करेगा, जिससे उसकी ऊर्जा कम होती जाएगी। इस प्रकार वह नाभिक के चारों ओर सर्पिलाकार गति करता हुआ अंततः उसमें जाकर गिर जाएगा परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता है।
  • यह मॉडल परमाणु के स्पेक्ट्रम तथा एक कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या एवं उनकी व्यवस्था को स्पष्ट नहीं कर पाया।

प्रश्न 23.
तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर-
तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता-प्रकृति में उपस्थित तत्वों की संख्या बहुत अधिक है तथा कुछ तत्व मानव निर्मित भी हैं। आज तक 114 तत्व ज्ञात हैं। इन सभी तत्वों को अलग-अलग याद करना, उनके रासायनिक एवं भौतिक गुण तथा इनसे बनने वाले यौगिकों के गुणों का अध्ययन करना एक बहुत ही कठिन कार्य है, अतः तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता हुई। विभिन्न वैज्ञानिकों ने कुछ गुणों के आधार पर इन तत्वों को एक क्रम में व्यवस्थित करने का प्रयास किया, जिससे इनका अध्ययन सरल एवं तर्कसंगत तरीके से किया जा सके। इस प्रकार के वर्गीकरण से भविष्य में खोजे जाने वाले नये तत्वों का अध्ययन भी सुव्यवस्थित तरीके से किया जा सकेगा।

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प्रश्न 24.
तत्वों के गुणों में आवर्तिता क्या होती है? समझाइए।
उत्तर-
तत्वों के गुणों में आवर्तिता-आवर्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे या आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के बढ़ने या घटने का एक निश्चित क्रम दिखाई देता है। तत्वों के गुणों में यह नियमित परिवर्तन उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करता है। आवर्त सारणी में तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में क्रमिक परिवर्तन होता है इसी कारण तत्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है। तत्वों के गुणों में इस क्रमिक परिवर्तन को ही गुणों में आवर्तिता कहते हैं। तथा इन गुणों को आवर्ती गुण कहा जाता है। जैसे-परमाणु त्रिज्या, गलनांक, क्वथनांक, आयनन एन्थैल्पी तथा संयोजकता आदि।

प्रश्न 25.

  1. धनायन तथा ऋणायन कैसे बनते हैं तथा इनकी त्रिज्या परमाणु से कम होती है या अधिक?
  2. s खण्ड के तत्वों के धनायनों का आकार संगत परमाणु से बहुत छोटा होता है, क्यों?

उत्तर-

  1. जब परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है या त्यागता है तो आयन बनते हैं। इन आयनों की त्रिज्या को ही आयनिक त्रिज्या कहा जाता है। किसी परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने से धनायन बनता है तथा परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से ऋणायन बनता है। धनायन की त्रिज्या परमाणु से कम तथा ऋणायन की त्रिज्या परमाणु से अधिक होती है।
  2. s खण्ड के तत्वों में धनायन बनते समय बाह्यतम कोश ही पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है अतः इनके धनायनों का आकार संगत परमाणु से बहुत छोटा होता है।

प्रश्न 26.

  1. किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात नहीं की जा सकती, क्यों?
  2. धात्विक त्रिज्या किसे कहते हैं?

उत्तर-

  1. किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं। अर्थात् एक विलगित परमाणु मिलना बहुत दुर्लभ है।
  2. धातु के क्रिस्टल जालक में पास-पास स्थित दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को धात्विक त्रिज्या कहते हैं।

प्रश्न 27.

  1. निम्न को परिभाषित कीजिए
    (a) परिवर्ती संयोजकता
    (b) ऑक्सीकरण अवस्था।
  2. संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के आधार पर विभिन्न तत्वों के हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के साथ बने यौगिकों की सारणी बनाइए।

उत्तर-

  1. (a) परिवर्ती संयोजकता–d ब्लॉक तत्व, लैन्थेनॉइड एवं एक्टीनॉइड तत्व एक से अधिक संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, इसे परिवर्ती संयोजकता कहते हैं। यह इन तत्वों का एक विशेष लक्षण है।
    (b) ऑक्सीकरण अवस्था-विद्युतऋणता के अनुसार किसी तत्व का एक परमाणु, दूसरे तत्व के परमाणु से जितनी संख्या में आवेश ग्रहण करता है, वह उसकी ऑक्सीकरण अवस्था कहलाती है।
  2. तत्वों के संयोजकता कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा उनके H व O के साथ बने यौगिक निम्न हैं
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प्रश्न 28.
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी किसे कहते हैं? आवर्त सारणी के किसी आवर्त तथा वर्ग में इसकी आवर्तिता भी समझाइए।
उत्तर-
गैसीय अवस्था में किसी तत्व के उदासीन परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाने पर मुक्त ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं। इसका मान धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है तथा यह तत्व की प्रकृति पर निर्भर करता है।
उदासीन परमाणु(g) + e → ऋणायन(g) + मुक्त ऊर्जा (इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी)

आवर्त में बायें से दाये जाने पर परमाणु आकार छोटा होने एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता है।

वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है। क्योंकि परमाणु आकार बढ़ने के कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है।

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प्रश्न 29.
आयनन एन्थैल्पी क्या होती है? समझाइए।
उत्तर-
आयनन एन्थैल्पी-गैसीय अवस्था में किसी तत्व के एक उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते हैं। यह किलो कैलोरी/मोल या किलो जूल/मोल या इलेक्ट्रॉन वोल्ट/मोल में मापी जाती है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा दी जाती है अतः आयनन एन्थैल्पी का मान हमेशा धनात्मक होता है।
उदासीन परमाणु(g) + आयनन एन्थैल्पी → धनायन(g) + e

किसी उदासीन परमाणु में से प्रथम इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा प्रथम आयनन एन्थैल्पी तथा धनायन से एक और इलेक्ट्रॉन पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा को द्वितीय आयनन एन्थैल्पी कहते हैं। इसी प्रकार तृतीय इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा तृतीय आयनन एन्थैल्पी कहलाती है। किसी तत्व के लिए प्रथम आयनन एन्थैल्पी (IE) < द्वितीय आयनन एन्थैल्पी < तृतीय आयन एन्थैल्पी।

प्रश्न 30.
बोर के परमाणु मॉडल की कमियाँ बताइए।
उत्तर-
बोर का परमाणु मॉडल, रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल से अधिक विकसित था तथा इसके द्वारा परमाणु के रैखिक स्पेक्ट्रम एवं उसके स्थायित्व की व्याख्या की जा सकती है। इसके बावजूद इसमें निम्न कमियाँ पायी गयीं

  1. एक से अधिक इलेक्ट्रॉनयुक्त परमाणु प्रतिरूप को इस मॉडल द्वारा स्पष्ट नहीं किया जा सका।
  2. उच्चभेदन क्षमता वाले उपकरणों से देखने पर ज्ञात हुआ कि परमाणु का रैखिक स्पेक्ट्रम एक से अधिक रेखाओं में बँटा होता है, जिसका कारण भी बोर मॉडल से स्पष्ट नहीं होता।
  3. यह मॉडल परमाणुओं द्वारा रासायनिक बंध बनाकर अणुओं के निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं कर सका।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
(अ) आवर्त सारणी में किस ब्लॉक के तत्त्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं?
(ब) ऋणायन का आकार अपने संगत परमाणु से बड़ा होता है, क्यों?
(स) CaH2, NaH, SiH4, A/H3
उपरोक्त यौगिकों में Ca, Na, Si तथा Al की संयोजकता बताइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
अथवा
(अ) किन्हीं दो उपधातुओं के नाम लिखिए।
(ब) किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार किस प्रकार परिवर्तित होता है? कारण सहित समझाइए।
(स) निम्नलिखित तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु आकार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए Na, Cs, Li, K (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ) आवर्त सारणी में मुख्यतः d-ब्लॉक के तत्त्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
(ब) ऋणायन का आकार हमेशा उसके संगत परमाणु से बड़ा होता है क्योंकि ऋणायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है। अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम हो जाता है, जिससे नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ जाता है।
(स) दिए गए यौगिकों (CaH2), NaH, SiH4, A/H3) में Ca, Na, Si तथा Al की संयोजकता क्रमशः 2, 1, 4 तथा 3 है।
अथवा
(अ) सिलिकन (Si) तथा आरसेनिक (As) उपधातु है।।
(ब) किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है। क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर अधिक मात्रा में आकर्षित करता है।
(स) Na, Cs, Li तथा K के परमाणु आकार का बढ़ता क्रम निम्नलिखित है|
Li < Na < K < Cs

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प्रश्न 2.

  1. मेंडेलीफ की आवर्त सारणी के तीन गुण एवं तीन दोष लिखिए।
  2. निम्न तत्वों को उनकी परमाणु त्रिज्या के बढ़ते क्रम में लिखिए F, C, Li, Be

अथवा

  1. (i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या करने वाले तीन बिन्दु लिखिए।
    (ii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को ‘सौर मण्डल का प्रतिरूप’ क्यों माना जाता है?
    (iii) रदरफोर्ड मॉडल की दो कमियाँ लिखिए।
  2. निम्न तत्वों को उनके धात्विक गुणों के बढ़ते क्रम में लिखिए Li, Fr, Na, K (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )

उत्तर-

  1. पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 26 का उत्तर देखें।
  2. F < C < Be < Li

अथवा

  1. (i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या के तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं
    (a) परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान (भार) उसके मध्य छोटे से भाग में स्थित होता है, उसे नाभिक कहते हैं।
    (b) परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से घूमते हैं । इन वृत्ताकार पथों को कक्षा या कक्ष कहते हैं ।
    (c) परमाणु विद्युत उदासीन होता है, अतः परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉन होते हैं, उतनी ही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन भी उपस्थित होते हैं।
    (ii) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौर मंडल का प्रतिरूप भी माना जाता है। क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार घूमते हैं जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते हैं।
    (iii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में अग्र दो कमियाँ थीं
    (a) यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका।
    (b) यह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
  2. Li < Na < K< Fr

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प्रश्न 3.
बोर के परमाणु मॉडल की परिकल्पनाएँ क्या हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
नील्स बोर का परमाणु मॉडल किन परिकल्पनाओं पर आधारित है?
उत्तर-
बोर ने क्वाण्टम सिद्धान्त का प्रयोग कर हाइड्रोजन परमाणु की संरचना तथा उसके स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने के लिए एक परमाणु मॉडल दिया जो कि निम्न परिकल्पनाओं पर आधारित है
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  • परमाणु के केन्द्र में नाभिक स्थित होता है जिसमें धनावेशित कण प्रोटॉन उपस्थित होते हैं।
  • परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित त्रिज्या एवं निश्चित ऊर्जा वाले पथों में गति करते हैं। ये निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा, कोश या ऊर्जा स्तर (Orbit or Energy level) कहलाते हैं।
  • परमाणु में कक्षाएं नाभिक के चारों ओर संकेन्द्रीय रूप से व्यवस्थित होती हैं, जिन्हें n से दर्शाया जाता है। इनका मान हमेशा पूर्णांक जैसे 1, 2, 3, 4, 5, …… तथा इन्हें क्रमश: K, L, M, N, O……. द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
  • n का मान बढ़ने पर कक्षों की नाभिक से दूरी बढ़ती है अतः उनकी ऊर्जा भी बढ़ती है। प्रथम कोश अर्थात् n = 1 या K कक्ष की ऊर्जा सबसे कम होती है।
  • इन कक्षाओं में गतिशील इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग \(mvr=\frac { h }{ 2\pi } \) या इसका पूर्ण गुणक होता है। यहाँ h = प्लांक स्थिरांक, m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, v = इलेक्ट्रॉन का वेग, r = कक्ष की त्रिज्या है। इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में गति करता है जिनका कोणीय संवेग \(\frac { nh }{ 2\pi } \) के बराबर हो।
  • बोर के अनुसार परमाणु में एक निश्चित कक्षा में गतिशील इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात् उसकी ऊर्जा निश्चित होती है।
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  • इलेक्ट्रॉन जब ऊर्जा का अवशोषण करता है तो यह उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है, लेकिन इसके विपरीत जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो यह उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा ऊर्जा के अवशोषण तथा उत्सर्जन से रैखिक स्पैक्ट्रम का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
तत्वों के धात्विक तथा अधात्विक गुण क्या होते हैं? इनकी आवर्त सारणी में आवर्तिता की व्याख्या भी कीजिए।
उत्तर-
धात्विक गुण-किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृत्ति को धात्विक गुण कहते हैं। अतः धातु विद्युत धनी होते हैं। जैसे कि वर्ग 1 के क्षार धातु सबसे अधिक विद्युत धनी तत्व होते हैं क्योंकि ये | सरलता से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बना लेते हैं।

अधात्विक गुण-किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति को अधात्विक गुण कहते हैं। जैसे कि वर्ग 17 के हैलोजेन सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बना लेते हैं, अतः इनमें प्रबल अधात्विक गुण होता है।
धात्विक तथा अधात्विक गुणों में आवर्तिता-

  • किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणुओं का आकार बढ़ता है। तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है, अतः आयनन एन्थैल्पी का मान घटता जाता है और धनायन का निर्माण सरलता से होता है इसी कारण धात्विक गुण बढ़ता है।
  • एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार कम तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है, अतः आयनन एन्थैल्पी का मान बढ़ता जाता है। इसलिए धनायन का निर्माण मुश्किल से होता है। इसी कारण तत्वों के धात्विक गुणों । में कमी होती है।
  • एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार कम एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता है। अतः तत्वों की ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति बढ़ती है अतः अधात्विक गुण में वृद्धि होती है।
  • एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान में कमी होती है अतः अधात्विक गुण में भी कमी होती है।
  • आवर्त सारणी के बायें भाग के तत्व धातु होते हैं तथा जैसे-जैसे दाहिनी ओर बढ़ते हैं, धात्विक गुण में कमी तथा अधात्विक गुण में वृद्धि होती है।
  • अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं अर्थात् इनमें विद्युतऋणी गुण होता है।
  • आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढी रेखा धातु तथा अधातु को पृथक करती है, जिसके समीप स्थित तत्व दोनों प्रकार के गुण प्रदर्शित करते हैं। इन तत्वों को उपधातु कहते हैं। इस रेखा पर आने वाले तत्व-बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, टेल्यूरियम एवं पोलोनियम उपधातु हैं।
  • सामान्यतया धातुओं के ऑक्साइड क्षारकीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।
  • आवर्त सारणी में धातुओं की क्रियाशीलता वर्ग में बढ़ती है। जैसे प्रथम समूह (Li, Na, K, Rb, Cs) लेकिन अधातुओं की क्रियाशीलता वर्ग में कम होती। है जैसे हेलोजेन समूह (E, CI, Br, I)

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