RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 12 वर्गीय एवं स्वकीय संतुलन प्रणाली

Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 वर्गीय एवं स्वकीय संतुलन प्रणाली

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाताबहियों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर-
खाताबहियों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है, क्रय खाताबही, विक्रय खाताबही, सामान्य खाताबही ।

प्रश्न 2.
देनदार खातावही में कौन-से खाते खोले जाते हैं ?
उत्तर-
देनदार खाताबही में केवल उन व्यक्तियों के खाते खोले जाते हैं जिनको उधार माल बेचा गया है।

प्रश्न 3.
लेनदार खाताबही में कौन-से खाते खोले जाते हैं ?
उत्तर-
लेनदार खाताबही में उन व्यक्तियों के खाते खोले जाते हैं जिनसे उधार माल क्रय किया गया है।

प्रश्न 4.
सामान्य खाताबही में कौन-से खाते खोले जाते हैं ?
उत्तर-
सामान्य खाताबही में विक्रय एवं क्रय खाताबहियों में खोले गये व्यक्तिगत खातों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तिगत एवं अव्यक्तिगत खाते खोले जाते हैं।

प्रश्न 5.
खाताबहियों की सन्तुलन प्रणाली के प्रकार
उत्तर-

  • स्वकीय सन्तुलन प्रणाली ।
  • वर्गीय सन्तुलन प्रणाली ।

प्रश्न 6.
कुल देनदार खाते के डेबिट पक्ष के पद बताइये।
उत्तर-
देनदारों का प्रारम्भिक शेष,उधार बिक्री, देनदारों से वसूला गया ब्याज, गाड़ी भाड़ा, रोकड़ वापिसी, अनादृत बिल/चेक ।

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प्रश्न 7.
कुल लेदार खाते के डेबिट पक्ष के मद बताइये।
उत्तर-
लेनदारों को भुगतान,क्रय वापिसी, देय विपत्र, लेनदारों से प्राप्त बट्टा, हस्तान्तरण (क्रय खाताबही से विक्रय खाताबही तथा विक्रय खाताबही से क्रय खाताबही में)।

प्रश्न 8.
सामान्य खाताबही में कौन-से समायोजन खाते खोलते हैं ?
उत्तर-

  • क्रय खाताबही समायोजन खाता
  • विक्रय खाताबही समायोजन खाता ।

प्रश्न 9.
देनदार खाताबही में खोले जाने वाले नियन्त्रण खाते का नाम बताइये।
उत्तर-
सामान्य खाताबही नियन्त्रण खाता ।।

प्रश्न 10.
लेनदार खातावही में खोले जाने वाले नियन्त्रण खाते का नाम बताइए।
उत्तर-
सामान्य खाताबही नियन्त्रण खाता ।।

प्रश्न 11.
नकद बिक्री का लेखा किस खाताबही में लिखा जायेगा ?
उत्तर-
सामान्य खाताबही में।

प्रश्न 12.
एक ग्राहक से भुगतान प्राप्त हुआ, किस खाताबही में इसे लिखा जायेगा ?
उत्तर-
देनदार खाताबही में क्योंकि देनदार से राशि प्राप्त हुई है।

प्रश्न 13.
व्यवसाय में नकद माल खरीदा किस खाताबही में इसे लिखा जायेगा ?
उत्तर-
सामान्य खाताबही में ।

प्रश्न 14.
ग्राहक द्वारा स्वीकृत बिल Rs 8,000 का अनादृत हो गया। देनदार खाताबही में ग्राहक के खाते में किस पक्ष में लिखा जायेगा ?
उत्तर-
डेबिट पक्ष में ।

प्रश्न 15.
वर्गीय सन्तुलन प्रणाली में कौन-सी खाताबही सन्तुलित होती है ?
उत्तर-
सामान्य खाताबही ।।

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प्रश्न 16.
स्वकीय सन्तुलन प्रणाली में तलपट किस-किस खाताबही में बनाया जाता है ? नाम लिखिए।
उत्तर-

  • सामान्य खाताबही में ।
  • क्रय खाताबही में।
  • विक्रय खाताबही में ।।

तीनों ही खाताबहियों में तलपट बनाया जा सकता है।

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कुल देनदार खाते का प्रारूप बनाइये।
उत्तर-
Format-Total Debtors’s A/c
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प्रश्न 2.
कुल लेनदार खाते का प्रारूप बताइये।
उत्तर-
Format-Total Creditors A/c
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प्रश्न 3.
खाताबही के विभाजन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
बड़े व्यवसाय में एक खाताबही के स्थान पर तीन खाताबहियाँ रखना ही खाताबही का विभाजन कहलाता है अर्थात् एक , खाताबही को तीन वर्गों में विभाजित कर देना खाताबही का विभाजन कहलाता है।

प्रश्न 4.
देनदार खाताबही के उपविभाजन के आधार बताइये।
उत्तर-
प्रायः व्यवसाय में देनदारों की संख्या अधिक होती है तथा उनके लिये विक्रय खाताबही पर्याप्त न हो तो विक्रय/देनदार खाताबही को भी दो या दो से अधिक खाताबहियों में विभाजित कर दिया जाता है। इन्हें भौगोलिक (Geographical) स्थिति या वर्णमालीय (Alphabetical) क्रम के आधार पर उपविभाजन किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
वर्गीय सन्तुलन प्रणाली की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
बड़े व्यवसाय में एक खाताबही से काम चलाना कठिन होता है क्योंकि खातों की संख्या अधिक होने पर खाताबही को आकार बड़ा हो जाता है। एक खाताबही होने पर एक ही व्यक्ति कार्य करेगा जिससे अन्तिम खाते बनाने में विलम्ब होगा एवं तलपट का मिलान भी आसानी से नहीं होगा क्योंकि गलती हो जाने पर उसे पता लगाना भी मुश्किल होगा। इसलिये वर्गीय सन्तुलन प्रणाली आवश्यक है।

प्रश्न 6.
एक ग्राहक से Rs 6,000 अग्रिम प्राप्त हुये परन्तु लेखा वर्ष के अन्त तक उसे माल नहीं भेजा गया। ग्राहक के खाते में कौन-सा शेष होगा ?
उत्तर-
देनदार खाते का क्रेडिट शेष होगा।

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प्रश्न 7.
व्यवसाय में Rs 1,00,000 का नकद माल क्रय किया। उसमें से Rs 8,000 का माल वापस भेजा गया। अभी तक पैसा वापस नहीं मिला, आपूर्तिकर्ता के खाते में कौन-सा शेष होगा ?
उत्तर लेनदार खाते का डेबिट शेष होगा। प्रश्न 8. सामान्य खातावही में नियन्त्रण खाते खोलने हेतु लेखा प्रविष्टियाँ कीजिये।
उत्तर-
(1) विक्रय खाताबही समायोजन खाता-
(A) विक्रय खाताबही समायोजन खाते के Dr. पक्ष में आने वाली
Sales Ledger Adjustment A/C Dr.
To General Ledger Adjustment A/c

(B) विक्रय खाताबही समायोजन खाते के Cr. पक्ष में आने वाली
General Ledger Adjustment A/c
Dr. To Sales Ledger Adjustment A/C

(2) क्रय खाताबही समायोजन खाता
(A) क्रय खाताबही समायोजन खाते के Dr. पक्ष में आने वाली ।
Purchase Ledger Adjustment A/C
Dr. To General Ledger Adjustment A/c

(B) क्रय खाताबही समायोजन खाते के Cr. पक्ष में आने वाली
General Ledger Adjustment A/c Dr.
To Purchase Ledger Adjustment A/c

प्रश्न 9.
वर्गीय सन्तुलन प्रणाली में किस खाताबही को कैसे सन्तुलित किया जाता है और उसका तलपट बनाया जाता है। बताइये।
उत्तर-
वर्गीय सन्तुलन प्रणाली में सामान्य खाताबही को सन्तुलित किया जाता है।

चूँकि किसी भी खाताबही में सभी पक्षों का लेखा नहीं होता अतः तलपट बनाने के लिये सामान्य खाताबही में कुल लेनदारों व कुल देनदारों की राशि के अन्तरण से सामान्य खाताबही में सभी पक्षों के शेष आ जायेंगे और तलपट बनाना आसान हो जायेगा।

प्रश्न 10.
एक खाताबही से दूसरी खाताबही में हस्तान्तरण लेखा कैसे किया जाता है ? उदाहरण दीजिये।
उत्तर-
किसी भी लेनदार या देनदार के कम शेष वाले खाते को अधिक शेष वाले खाते में स्थानान्तरण करके शुद्ध देनदार या लेनदार राशि की गणना की जाती है। इसी को एक खाताबही से दूसरी खाताबही में स्थानान्तरण करते हैं।

उदाहरण – ए के क्रय खाताबही में Rs 7,000 क्रेडिट शेष तथा विक्रय खाताबही में Rs 9,000 का डेबिट शेष प्रकट करता है। इस स्थिति में क्रय खाताबही के शेष को विक्रय खाताबही में स्थानान्तरित किया जायेगा । प्रविष्टि निम्न प्रकार होगी
A’s A/c (In Purchase Ledger) Dr. 7,000
To A’s A/c (in Sales Ledger) 7,000
(Credit balance of A’s a/c in purchase ledger transfer to his a/c in sales ledger)

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प्रश्न 11.
विपरीत शेष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
व्यक्तिगत खातों में अपने स्वाभाविक शेष से विपरीत शेष पाया जाना विपरीत शेष कहलाता है। जैसे सामान्यतया देनदारों का खाता डेबिट शेष दर्शाता है, परन्तु कभी-कभी देनदारों का खाता क्रेडिट शेष दिखाये, लेनदारों का खाता सामान्यतया क्रेडिट शेष दिखाता है परन्तु कभी-कभी लेनदारों का खाता डेबिट शेष दिखाये तो इसे विपरीत शेष कहेंगे।

प्रश्न 12.
क्या यह सही है कि स्वकीय सन्तुलन प्रणाली में दोहरा लेखा प्रणाली का पालन नहीं होता। कारण सहित उत्तर दीजिये।।
उत्तर-
नहीं, क्योंकि स्वकीय सन्तुलन प्रणाली में कुछ व्यवहार तो ऐसे होते हैं जिनका लेखा दोनों पक्षों में हो जाता है, जैसे नकद क्रय, नकद विक्रय, वेतन का भुगतान, खर्चे का भुगतान आदि परन्तु कुछ व्यवहार ऐसे होते हैं जिनका एक पक्ष विक्रय खाताबही में तथा क्रय खाताबही में तथा दूसरा पक्ष सामान्य खाताबही में लिखा जाता है । दोहरा लेखा भिन्न-भिन्न बहियों में होता है।

इसी दोहरा लेखा को पूर्ण करने के लिये इन खाताबहियों को स्वकीय सन्तुलन प्रणाली से सन्तुलित किया जाता है । समायोजन हेतु जर्नल प्रविष्टि की जाती है।
अतः स्वकीय सन्तुलन प्रणाली दोहरा लेखा प्रणाली पर ही आधारित है।

प्रश्न 13.
निजी खाताबही में खोले जाने वाले खातों के नाम बताइये।
उत्तर-
निजी खाताबही में पूँजी खाता, आहरण खाता व ऋण खाता आदि खोले जाते हैं।

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्गीय सन्तुलन प्रणाली एवं स्वकीय सन्तुलन प्रणाली का अर्थ बताइये। ये प्रणालियाँ किन परिस्थितियों में उपयोगी होती है ? समझाइये।
उत्तर-
(i) वर्गीय सन्तुलन प्रणाली – वर्गीय सन्तुलन प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें नियन्त्रित खतौनी की सुविधा के लिये खातों को विशेष श्रेणियों में विभाजित एवं वर्गीकृत किया जाता है। अर्थात् व्यवसाय में एक खाताबही का अनेक वर्गों में विभाजन व उपविभाजन करना ही वर्गीय सन्तुलन खाताबही पद्धति है। प्रत्येक खाताबही में अलग-अलग प्रकार के खाते खोले जाते हैं।

इस वर्गीय सन्तुलन प्रणाली के अन्तर्गत एक खाताबही को निम्न तीन खाताबहियों में विभाजित किया जाता है

  1. विक्रय खाताबही,
  2. क्रय खाताबही,
  3. सामान्य खाताबही ।।

(ii) स्वकीय सन्तुलन प्रणाली – बड़े व्यापार में कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं जिनकी दोहरी प्रविष्टि सामान्य खाताबही में पूरी हो जाती है परन्तु कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं जिनकी एक प्रविष्टि क्रय खाताबही या विक्रय खाताबही में तथा दूसरी प्रविष्टि सामान्य खाताबही में। इन लेनदेनों की दोहरी प्रविष्टि पूर्ण करने के लिये सामान्य खाताबही में दो समायोजन खाते (क्रय खाताबही समायोजन खाता व विक्रय खाताबही समायोजन खाता) बनाया जाता है जिससे सामान्य खाताबही स्वतः ही समायोजित या सन्तुलित हो जाती है।

अर्थात् सामान्य खाताबही में दो समायोजन खाते खोलकर दोहरी प्रविष्टि पूर्ण करने को स्वकीय सन्तुलन प्रणाली कहते हैं।

उपयोगी परिस्थितियाँ – बड़े-बड़े व्यापारों में जहाँ लेन-देन बहुत अधिक संख्या में होते हैं एवं देनदार व लेनदारों की संख्या अधिक होती है वहाँ वर्गीय सन्तुलन प्रणाली अपनायी जाती है।
इसी तरह स्वकीय सन्तुलन प्रणाली भी बड़े व्यवसायों के लिए उपयोगी है इसमें प्रत्येक खाताबही से तलपट तैयार किया जा सकता है। यह प्रणाली छोटे व्यवसायों के लिये उपयुक्त नहीं है।

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प्रश्न 2.
खाताबहियों के सन्तुलन से आप क्या समझते हैं ? इन्हें सन्तुलित बनाने हेतु की जाने वाली कार्यविधि को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर-
छोटे व्यापार गृह में लेन-देनों की संख्या कम होती है अतः एक ही खाताबही से काम चल जाता है परन्तु बड़े-बड़े व्यवसायों में जहाँ लेन-देनों की संख्या बहुत अधिक होती है वहाँ एक खाताबही से कार्य नहीं चलता, समय व श्रम बहुत अधिक खर्च होता है। इसके साथ ही अन्तिम खाते बनाने में समय अधिक व्यय होता है। यदि कोई गलती हो जाये तो उसको ढूंढ़ पाना बहुत मुश्किल कार्य होता है जिससे कार्य में रुकावट आती है।

इन समस्याओं से निजात पाने के लिये खाताबहियों को तीन भागों में विभाजित कर सन्तुलित किया जाता है जिससे किसी एक खाताबही पर भार न पड़े।

  1. विक्रय खाताबही,
  2. क्रय खाताबही,
  3. सामान्य खाताबही।

चूँकि लेखांकन की प्रणाली दोहरा लेखा पद्धति पर आधारित है, अतः प्रत्येक लेन-देन का लेखा दो पक्षों में किया जाना चाहिये। खाताबहियों को सन्तुलित करने की दो प्रणाली हैं

  1. वर्गीय सन्तुलन प्रणाली,
  2. स्वकीय सन्तुलन प्रणाली।

(1) वर्गीय सन्तुलन प्रणाली – वर्गीय सन्तुलन में खाताबहियों को सन्तुलित करने के लिये कुल देनदार खाता जिन्हें उधार माल बेचा गया है तथा कुल लेनदार खास जिनसे उधार माल क्रय किया गया है, दो खाते खोलकर कुल देनदार व कुल लेनदार खाते,सामान्य खाताबही खोले जाते हैं, तभी सामान्य खाताबही सन्तुलित होती है क्योंकि उधार क्रय व उधार विक्रय के लेखे सामान्य खाताबही में नहीं लिखे जाते अतः प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती है। कुल देनदार वे कुल लेनदार खाते सामान्य खाताबही में खोलने से सामान्य खाताबही पूर्ण होती है तथा सन्तुलित हो जाती है तभी सामान्य खाताबही से तलपट व अन्तिम खाते बनाये जा सकते हैं।

(2) स्वकीय सन्तुलन प्रणाली – कुछ लेन-देन ऐसे होते हैं जिनका एक पक्ष क्रय खाताबही व विक्रय खाताबही में पूरा होता है। जबकि दूसरा पक्ष सामान्य खाताबही में, जैसे-उधार क्रय, उधार विक्रय, विक्रय वापसी, क्रय वापसी आदि। इन लेन-देनों की दोहरी प्रविष्टि करने हेतु सामान्य खाताबही में क्रय खाताबही समायोजन खाता व विक्रय खाताबही समायोजन खाता बनाकर सामान्य खाताबही को स्वकीय सन्तुलित किया जाता है।

इसमें निम्न प्रविष्टियों द्वारा स्वकीय सन्तुलन किया जाता है
(1) विक्रय खाताबही के स्वकीय सन्तुलन हेतु
General Ledger Adjustment A/C Dr.
To Sales Ledger Adjustment A/C
(Balance of sales ledger transferred to general ledger)

(2) क्रय खाता बही के स्वकीय सन्तुलन हेतु
Purchase Ledger Adjustment A/c
To General Ledger Adjustment A/c
(Balance of purchase ledger transferred to sales ledger)

(3) सामान्य खाताबही को स्वकीय सन्तुलन के लिये
(i) विक्रय खाताबही समायोजन के Dr. में आने वाली मदों के योग से
Sales Ledger Adjustment A/c
To General Ledger Adjustment A/c

(ii) विक्रय खाताबही समायोजन के Cr. में आने वाली मदों के लिये
General Ledger Adjustment A/c
To Sales Ledger Adjustment A/c

(iii) क्रय खाता बही समायोजन खाते के Dr. में, आने वाली मदों के लिये
Purchase Ledger Adjustment A/C Dr.
To General Ledger Adjustment A/c

(iv) क्रय खाताबही समायोजन खाते के Cr. में आने वाली मदों के लिये
General Ledger Adjustment A/c
Dr. To Purchase Ledger Adjustment A/C
इस प्रकार सभी खाताबहियों को सन्तुलित किया जाकर तलपट वे अन्तिम खाते बनाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
नियन्त्रण अथवा समायोजन खातों से क्या अभिप्राय है ? सामान्य खाताबही, देनदार खाताबही वे लेनदार खाताबही में खोले जाने वाले नियन्त्रण/समायोजन खातों का विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर:
प्रत्येक खाताबही में प्रत्येक लेन-देन का दो पक्षों में लेखांकन करने की दृष्टि से एक पृथक से खाता खोला जाता है जिसे नियन्त्रण अथवा समायोजन खाता कहते हैं। ये खाते खोलने से खाताबही सन्तुलित हो जाती है और तलपट व अन्तिम खाते बनाकर व्यापार की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन खातों को नियन्त्रण/समायोजन खाते कहते हैं।

1. सामान्य खाताबही में सामान्य खाताबही में दो समायोजन/नियन्त्रण खाते खोले जाते हैं
(i) विक्रये खाताबही समायोजन खाता ।
(ii) क्रय खाताबही समायोजन खाता ।।

(i) विक्रय खाताबही समायोजन खाता – इस खाते के Dr. व Cr. पक्ष में आने वाली मदों के जोड़ को एक जर्नल प्रविष्टि के द्वारा सामान्य खाताबही में स्थानान्तरित करके खाताबहियों को नियन्त्रित किया जाता है। प्रविष्टियाँ निम्न प्रकार होती हैं
(a) विक्रय खाताबही समायोजन खाते के Dr./मदों के योग से
Sales Ledger Adjustment A/c Dr.
To General Ledger Adjustment A/c

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(b) विक्रय खाताबही समायोजन खाते के Cr. की मदों के योग से
General Ledger Adjustment A/c Dr.
To Sales Ledger Adjustment A/C

(ii) क्रय खाताबही समायोजन खाता – उपरोक्तानुसार ही इस खाते के Dr. व Cr. पक्ष में आने वाली मदों के जोड़ को एक जर्नल प्रविष्टि के द्वारा सामान्य खाताबही में स्थानान्तरित करके खाताबहियों को नियन्त्रित किया जाता है । प्रविष्टियाँ निम्न प्रकार होंगी
(a) क्रय खाताबही समायोजन खाते के Dr. पक्ष की मदों के योग से।
Purchase Ledger Adjustment A/c Dr.
To General Ledger Adjustment A/c

(b) क्रय खाताबही समायोजन खाते के Cr. पक्ष की मदों के योग से
General Ledger Adjustment A/c
To Purchase Ledger Adjustment A/c

2. विक्रय खाताबही में सामान्य खाताबही समायोजन खाता खोला जाता है अर्थात् विक्रय खाताबही समायोजन खाते के शेष को सामान्य खाताबही समायोजन खाते में स्थानान्तरित कर दिया जाता है । जर्नल प्रविष्टि निम्न प्रकार होगी
General Ledger Adjustment A/C Dr.
To Sales Ledger Adjustment A/C
(Balance of sales ledger transferred to G.L. Dr. vice-versa)

3. क्रय खाताबही में-क्रय खाता में भी सामान्य समायोजन खाता खोला जाता है अर्थात् क्रय खाताबही समायोजन खाते के शेष को सामान्य खाताबही समायोजन खाते में स्थानान्तरित कर दिया जाता है ।।
जर्नल प्रविष्टि निम्न प्रकार होगी
Purchase Ledger Adjustment A/c Dr.
To General Ledger Adjustment A/c
(Balance of purchase ledger transferred to G.L. or vice-versa)
इस प्रकार तीनों बहियों में उपरोक्त नियन्त्रण/समायोजन खाते खोले जाते हैं।

प्रश्न 4.
बहु खाताबही (Multiple Ledger) प्रणाली की अवधारणा का वर्णन कीजिये। इसके लाभों का भी वर्णन कीजिये।
उत्तर-
बड़े-बड़े व्यवसायों में व्यापारिक लेन-देनों की संख्या बहुत अधिक होती है जिसके परिणामस्वरूप खातों की संख्या भी बहुत अधिक हो जाती है। बहुत अधिक खातों को एक ही स्थान पर रखना बहुत मुश्किल काम होता है ! खाताबही का आकार भी बढ़ जाता है। इससे खाताबही को सन्तुलित करना व इसमें से त्रुटियों को ढूँढ़ना बहुत ही कठिन कार्य हो जाता हैं। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिये एक खाताबही को मुख्य रूप से तीन भागों में विभक्त करना ही बहु खाताबही प्रणाली कहलाती है। एक खाताबही को निम्न तीन खाताबहियों में बाँटा जाता है

  1. सामान्य खाताबही,
  2. विक्रय खाताबही,
  3. क्रय खाताबही ।

यदि उपरोक्त खाताबहियों में से विक्रय खाताबही एवं क्रय खाताबही में भी खातों की संख्या अधिक हो तो उनको भी अर्थात् विक्रय खाताबही/क्रय खाताबही को भी क्षेत्रानुसार अथवा वर्णानुसार विभाजित कर कार्य को सरलता से किया जा सकता है।

RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 12 वर्गीय एवं स्वकीय संतुलन प्रणाली

इस प्रकार एक खाताबही को कई खाताबहियों में विभाजित करने को बहु खाताबही (Multiple Ledger) प्रणाली कहते हैं।
इस प्रणाली के लाभ निम्न प्रकार हैं –

  • लेखा पुस्तकों की जाँच चूँकि खाताबही को विभाजित कर देने से उनकी शुद्धता की जाँच किया जाना सम्भव है।
  • भार में कमी-खाताबही को बहु खाताबही में बाँटने से उसके भार में कमी आ जाती है।
  • तलपट के मिलान में सरलता-यदि कहीं चूक हो जाये तो उसे बहुत जल्दी सुधारकर तलपट का मिलान किया जा सकता है।
  • उत्तरदायित्व का निर्धारण–अलग-अलग लेखांकन कर्मियों को दायित्व बाँटते हुये अशुद्धि के लिये या चोरी और गबन के लिये दायित्व का निर्धारण किया जा सकता है।
  • कार्यकुशलता में वृद्धि कार्य को बाँटकर करने से कार्मिकों की कार्यकुशलता में वृद्धि की जा सकती है।
  • अन्तिम लेखे बनाने में सहायक–यदि वर्ष के मध्य में अन्तिम लेखे तैयार करने हों तो उपरोक्त विभाजन की मदद से शीघ्र तैयार किये जा सकते हैं।
  • खाताबही के प्रयोग में सुविधा चूँकि व्यवहार के लेन-देन की प्रकृति के अनुसार शीघ्र ही कार्य को पूरा कर खाताबहियों को पूर्ण करना व प्रयोग करने में सरलता रहती है।
  • कपट व जालसाजी पर रोक पारदर्शिता होने के कारण एवं उत्तरदायित्व निर्धारण के कारण कपट/जालसाजी चोरी जब्त आदि कार्यों पर भी रोक लगती है।

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 12 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
कृष्णा ट्रेडिंग कम्पनी की पुस्तकों में 1 अप्रैल, 2016 को कुल देनदार खाते का शेष Rs 2,70,000 एवं कुल लेनदार खाते का शेष Rs 3,20,000 था। आगामी छः महीनों में 30.09.2016 तक निम्न लेनदेन हुए

(Books of Krishna Trading Company shows on 1st April, 2016 Total Debtors Rs 2,70,000 and Total Creditors A/C Rs 3,20,000. The following are the transactions upto 30.09.2016.)
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आप कुल देनदार खाता एवं कुल लेनदार खाता सामान्य खाताबही में बनाइये।
(Prepare Total Debtors A/c and Total Creditors A/c in General Ledger.)
उत्तर:
In General Ledger Total Debtors Account
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प्रश्न 2.
कृष्णा एवं प्रियंका एक फर्म में साझेदार हैं। उनकी लेखा पुस्तकों से ज्ञात हुआ कि दिनांक 01.01.2017 को देनदार खाताबही में Rs 80,000 डेबिट शेष एवं Rs 1,400 क्रेडिट शेष था। दूसरी ओर लेदार खाताबही में Rs 62,500 क्रेडिट शेष एवं Rs 800 का डेबिट शेष था। अन्तिम तिमाही की समाप्ति पर (31.3.2017 को) निम्न लेन-देनों की सूचना उपलब्ध है

(Krishna and Priyanka are partners in a firms. On 01.01.2017 their accounts books reveal the Dr. – Balance Rs 80,000 and credit balance Rs 1,400 in Debtors Ledger. Their creditors ledger shows credit balance Rs 62,500 and debit balance Rs 800. The details for the last quarter ended on 31.03.2017 of creditors are as follows )
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अन्तिम तिमाही के अन्त में देनदार खाताबही का क्रेडिट शेष वही है जो 1.1.2017 को था, जबकि लेनदार खाताबही में अब कोई डेबिट शेष नहीं है। आप सामान्य खाताबही में कुल देनदार खाता एवं कुल लेनदार खाता बनाइये ।
उत्तर:
Total Debtors A/C
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प्रश्न 3.
महेश कुमार एण्ड सन्स की निम्न सूचनाओं से कुल देनदार खाता बनाइये
Prepare Total Debtors Account from the following information of Mahesh Kumar & Sons.
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उत्तर:
Total Debtors A/C
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प्रश्न 4.
निम्न सूचनाएँ कमल प्रोसेसर्स लिमिटेड की लेखा पुस्तकों से प्रकट हो रही हैं
दि. 01.07.2016 को देनदारों के खातों का शेष-Rs 4,44,000
इसी दिनांक को देनदारों के खातों का विपरीत शेष-Rs 4,800
दि. 01.07.2016 से 01.01.2017 तक व्यवहार एवं उनका कुल योग

Book of Kamal Processors Ltd. reveal the following information :
On 1.07.2016 Balance of Debtors Account Rs 4,44,000 and Opposite Balance of Debtors Account Rs 4,800.
The transactions from 01.07.2016 to 01.01.2017 and their total :
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उत्तर:
In General Ledger
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