RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 13 अपूर्ण अभिलेखों के खाते

Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 अपूर्ण अभिलेखों के खाते

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अपूर्ण लेखों से वर्ष के प्रारम्भ की पूँजी ज्ञात करने के लिए बनाया जाता है
(अ) वर्ष के लाभ का विवरण
(ब) वर्ष के लिए रोकड़ सारांश
(स) वर्ष के प्रारम्भ का स्थिति विवरण
(द) सामूहिक देनदारों को खाता
उत्तर:
(स) वर्ष के प्रारम्भ का स्थिति विवरण

प्रश्न 2.
अपूर्ण लेखों से प्राप्त सूचना से ज्ञात हुआ कि वर्ष के अन्त में एक व्यापारी की कुल सम्पत्तियाँ Rs 1,80,000 तथा लेनदार Rs 20,000, देयबिल Rs 10,000, अल्पकालीन ऋण Rs 10,000 के थे। उसकी अन्तिम पूँजी होगी
(अ)Rs 1,80,000
(ब)Rs 40,000
(स)Rs 2,20,000
(द)Rs 1,40,000
उत्तर:
(द)Rs 1,40,000

प्रश्न 3.
अपूर्ण लेखों में लोभ की गणना का सही सूत्र है
(अ) शुद्ध लाभ = अन्तिम पूँजी – आहरण + अतिरिक्त पूँजी – प्रारम्भिक पूँजी
(ब) शुद्ध लाभ = अन्तिम पूँजी + आहरण – अतिरिक्त पूँजी – प्रारम्भिक पूँजी
(स) शुद्ध लाभ = प्रारम्भिक पूँजी + अतिरिक्त पूँजी + आहरण – अन्तिम पूँजी
(द) शुद्ध लाभ = अन्तिम पूँजी + आहरण + अतिरिक्त पूँजी – प्रारम्भिक पूँजी
उत्तर:
(ब) शुद्ध लाभ = अन्तिम पूँजी + आहरण – अतिरिक्त पूँजी – प्रारम्भिक पूँजी

प्रश्न 4.
एक व्यापारी की पुस्तकों में लेनदारों का प्रारम्भिक शेष Rs 30,000 था एवं अन्तिम शेष Rs 50,000 था। वर्ष के दौरान उन्हें Rs 70,000 का भुगतान किया गया तो उधार क्रय की राशि होगी
(अ)Rs 50,000
(ब)Rs 10,000
(स)Rs 90,000
(द)Rs 1,50,000
उत्तर:
(स)Rs 90,000

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प्रश्न 5.
एक व्यापारी के खातों में देनदारों का प्रारम्भिक शेष Rs 2,00,000 था व अन्तिम शेष Rs 2,50,000 था । वर्ष के दौरान देनदारों से Rs 3,00,000 प्राप्त हुए। उसकी वर्ष की कुल बिक्री Rs 4,00,000 थी तो नकद बिक्री की राशि होगी
(अ)Rs 50,000
(ब)Rs 60,000
(स)Rs 4,00,000
(द)Rs 3,50,000
उत्तर:
(अ)Rs 50,000

प्रश्न 6.
1 अप्रैल 2014 को एक व्यापारी ने Rs 1,00,000 की पूँजी से व्यापार प्रारम्भ किया। 1 अक्टूबर, 2014 को उसने Rs 60,000 की अतिरिक्त पूँजी लगाई । उस वर्ष उसने Rs 40,000 का आहरण किया। 31 मार्च, 2015 को उसकी पूंजी Rs 1,80,000 थी । वर्ष 2014-15 में अर्जित लाभ था
(अ)Rs 90,000
(ब)Rs 60,000
(स)Rs 80,000
(द)Rs 70,000
उत्तर:
(ब)Rs 60,000

प्रश्न 7.
व्यापार में प्रारम्भिक स्टॉक Rs 10,000, क्रय Rs 85,000, विक्रय Rs 1,00,000 तथा सकल लाभ लागत दर 25% है तो अन्तिम स्टॉक का अनुमानित मूल्य होगा
(अ)Rs 5,000
(ब)Rs 15,000
(स)Rs 10,000
(द)Rs 20,000।
उत्तर:
(ब)Rs 15,000

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अपूर्ण लेखों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-

  • अपूर्ण लेखों के अन्तर्गत केवल व्यक्तिगत खाते ही खोले जाते हैं।
  • सभी नकद व्यवहारों का लेखा केवल रोकड़ बही में ही किया जाता है।

प्रश्न 2.
अपूर्ण लेखों की अपूर्णता के दो कारण बताइए।
उत्तर-

  • छोटे व्यापारियों के पास आय के सीमित साधन होना ।
  • दोहरा लेखा पद्धति के ज्ञान का अभाव होना।

प्रश्न 3.
अपूर्ण लेखा प्रणाली की किन्हीं दो कमियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-

  • अपूर्ण लेखों में शुद्धता का अभाव रहता है।
  • अपूर्ण लेखों में तुलनात्मक अध्ययन सम्भव नहीं हो पाता है।

प्रश्न 4.
दोहरा लेखा प्रणाली तथा अपूर्ण लेखा प्रणाली में दो अन्तर बताइए।
उत्तर-

  • दोहरा लेखा प्रणाली निश्चित सिद्धान्त एवं मान्यताओं पर आधारित है जबकि अपूर्ण लेखा प्रणाली सिद्धान्तों पर आधारित नहीं है।
  • दोहरा लेखा प्रणाली का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है जबकि अपूर्ण लेखा प्रणाली का प्रयोग छोटे व्यापारियों द्वारा ही किया जाता है ।

प्रश्न 5.
अपूर्ण लेखा प्रणाली में एक छोटे व्यापारी द्वारा बनाये जाने वाले खातों के नाम बताइए।
उत्तर-
व्यक्तिगत खाते

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प्रश्न 6.
विट्ठल अपनी पुस्तकें अपूर्ण लेखा पद्धति पर रखता है। वर्ष के अन्त में 31 मार्च, 2015 को उसकी पूँजी Rs 2,00,000 की थी। उस वर्ष में उसके आहरण Rs 25,000 थे। वर्ष के प्रारम्भ में विट्ठल की पूँजी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 7.
‘अ’ अपने लेखे अपूर्ण रखता है। 1 अप्रैल, 2016 को उसका रोकड़ शेष Rs 30,000, देनदार Rs 45,000 तथा लेनदार Rs 15,000 थे। 31 मार्च, 2017 को उसका रोकड़ शेष Rs 45,000, देनदार Rs 37,500 तथा लेनदार Rs 30,000 थे। उसका वर्ष 2016-17 का अर्जित लाभ ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Opening Capital = Assets – Liabilities
= (30,000 + 45,000) – 15,000 = Rs 60,000
Closing Capital = (45,000 + 37,500) – 30,000
= 82,500 – 30,000 = Rs 52,500
Profit/Loss = Closing Capital – Opening Capital
= 52,500 – 60,000 = Rs 7,500 (Loss)

प्रश्न 8.
1 जनवरी, 2016 को मि. एक्स के देनदार Rs 60,000 थे। वर्ष के दौरान कुल बिक्री Rs 1,20,000 थी जिसमें Rs 15,000 की नकद बिक्री शामिल थी। वर्ष के दौरान देनदारों से Rs 90,000 प्राप्त हुए तथा Rs 3,000 बट्टा स्वीकृत किया। वर्ष के अन्त में देनदारों की राशि ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Closing Debtors = 60,000 + 1,05,000 – 90,000 – 3,000
= Rs 72,000

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूचनाओं से कुल क्रय की राशि ज्ञात कीजिए।
लेनदारों का प्रारम्भिक शेष Rs 60,000 तथा अन्तिम शेष Rs 1,00,000, वर्ष में लेनदारों को भुगतान की गई राशि के Rs 1,20,000 तथा नकद क्रय की राशि Rs 20,000 ।। उत्तर-
Credit Purchase = (1,00,000 + 1,20,000) – 60,000 = Rs 1,60,000
Total Purchase = Cash Purchase + Credit Purchase
= 20,000 + 1,60,000 = Rs 1,80,000

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प्रश्न 10.
एक व्यापारी की पुस्तकें निम्नलिखित सूचनाएँ प्रकट करती हैं
क्रय-Rs 25,000, विक्रय-Rs 30,000 तथा अन्तिम स्टॉक- Rs 5,000 है। यदि उसका सकल लाभ बिक्री पर 10% हो तो उसके प्रारम्भिक स्टॉक की राशि की गणना कीजिए।
उत्तर-
Trading A/c
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित विवरणों से उधार विक्रय की राशि ज्ञात कीजिए।
देनदारों का प्रारम्भिक शेष–Rs 50,000, देनदारों का अन्तिम शेष- Rs 60,000, देनदारों से प्राप्त रोकड़-Rs 1,50,000, देनदारों को बट्टा दिया–Rs 10,000।
उत्तर-
Credit Sales = (60,000 + 1,50,000 + 10,000) – 50,000
= Rs 1,70,000

प्रश्न 12.
एक व्यापारी की अपूर्ण लेखा पुस्तकों से ज्ञात हुआ कि वर्ष के दौरान उसका नकद क्ल Rs 24,000 तथा उधार क्रय Rs 60,000 था। उसके लेनदारों को प्रारम्भिक शेष Rs 21,000 तथा अन्तिम शेष Rs 30,000 था। वर्ष में लेनदारों को भुगतान की गई राशि ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Cash Paid to Creditors = (60,000 + 21,000) – 30,000
= Rs 51,000

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प्रश्न 13.
आकाश अपने व्यापार के अपूर्ण लेखे रखता है। वर्ष के प्रारम्भ में उसकी पूँजी Rs 1,00,000 थी। वर्ष के अन्त में सम्पत्तियों का दायित्वों पर आधिक्य Rs 2,00,000 था। वर्ष के दौरान उसने Rs 50,000 की अतिरिक्त पूँजी लगाई तथा Rs 2,500 प्रतिमाह आहरण किए। वर्ष 2016-17 के लाभ की गणना कीजिए।
उत्तर-
Statement of Profit and Loss.
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प्रश्न 14.
वर्ष के दौरान देनदारों को प्रारम्भिक शेष–Rs 13,000, देनदारों से प्राप्त नकद राशि-Rs 35,000, स्वीकृत बट्टा–Rs 500, प्राप्य विपत्र-Rs 15,000, डूबत ऋण अपलिखित किए-Rs 2,500 तथा देनदारों का अन्तिम शेष–Rs 25,000 । वर्ष की उधार विक्रय की राशि ज्ञात कीजिए
उत्तर-
Credit Sales = (35,000 + 500 + 15,000 + 2,500 + 25,000) – 13,000
= 78,000 – 13,000
= Rs 65,000

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प्रश्न 15.
एक व्यापारी की प्रारम्भिक पूँजी Rs 90,000 तथा वर्ष के अन्त की पूँजी Rs 1,12,500 है। यदि उस वर्ष का अनुमानित लाभ Rs 27,000 हो तो वर्ष में उसके आहरण की राशि ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Drawings = (90,000 + 27,000) – 1,12,500
= 1,17,000 – 3,12,500
= Rs 4,500

RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखों की अपूर्णता के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर-
अपूर्णता के कारण (Reason for In completion)

  • सीमित साधन छोटे व्यापारियों के साधन सीमित होते हैं। वे लेखा करने के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं कर सकते तथा स्वयं ही लेखे कर लेते हैं।
  • अज्ञानता-छोटे व्यापारी दोहरा लेखा प्रणाली की जानकारी न होने के कारण भी इसका पूरी तरह से प्रयोग नहीं कर पाते हैं।
  • आकस्मिक घटना के कारण यदि व्यापार में कोई आकस्मिक घटना,जैसे—आग लगना, भूकम्प आना,बाढ़ आना आदि हो जाये तो प्रमाण नष्ट हो जाने के कारण लेखे भी अपूर्ण रह जाते हैं।
  • आर्थिक स्थिति छिपाने के लिए कुछ चतुर व्यापारी अपनी आर्थिक स्थिति को अन्य व्यापारियों, कर अधिकारियों, लेनदारों आदि से छिपाने हेतु भी इस पद्धति का प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 2.
अपूर्ण लेखा प्रणाली की कोई चार कमियाँ बताइए।
उतर-

  • अवैज्ञानिक प्रत्येक व्यवहार का नाम तथा जमा में लेखा न होने के कारण इसे अवैज्ञानिक माना गया है।
  • शुद्धता का अभाव इस पद्धति में तलपट बनाकर खतौनी की गणितीय शुद्धता की जाँच करना सम्भव नहीं है।
  • मूल्यांकन असम्भव व्यापार विक्रय की स्थिति में व्यापार का मूल्य ज्ञात करने तथा ख्याति का मूल्यांकन करने में कठिनाई होती है।
  • गबन की सम्भावना उचित लेखांकन के अभाव में चालू एवं स्थायी सम्पत्तियों का कर्मचारियों द्वारा गबन करने पर पता लगाना कठिन होता है।

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प्रश्न 3.
31 मार्च, 2017 को एक फुटकर व्यापारी की वर्ष के अन्त में व्यापारिक स्थिति इस प्रकार थी
रोकड़ शेष–Rs 3,000, स्टॉक-Rs 5,000, देनदार Rs 6,000, लेनदार Rs 4,500 । वर्ष में उसने व्यापार से Rs 3,500 आरित किये तथा Rs 4,000 की अतिरिक्त पूँजी लगाई। वर्ष के अन्त में समायोजित पूँजी की गणना कीजिए।
उत्तर-
Statement of Affairs
(As on 31st March, 2017)
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Statement of Profit and Loss
(for the year ending 31st March, 2017)
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प्रश्न 4.
एक व्यापारी के अपूर्ण लेखों से प्राप्त सूचनाओं से 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए उसके कुल क्रय एवं लाभ ज्ञात कीजिए। सूचनाएँ निम्नलिखित हैं
प्रारम्भिक स्टॉक Rs 30,000, अन्तिम स्टॉकर Rs 24,000, नकद बिक्री Rs 18,000, उधार विक्री Rs 1,08,000, क्रय मूल्य पर लाभ का प्रतिशत 20% ।
उत्तर-
Trading A/c
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प्रश्न 5.
आकाश अपने व्यवहारों का अपूर्ण लेखा रखता है।1 अप्रैल 2016 को उसको रोकड़ शेष था Rs 10,000, देनदार, Rs 40,000, स्टॉक, Rs 60,000, फर्नीचर, Rs 20,000, लेनदार Rs 30,000। 31 मार्च, 2017 को उसका रोकड़ शेष Rs 30,000, देनदार Rs 80,000, स्टॉक Rs 1,00,000, लेनदार Rs 60,000 के थे। वर्ष में उसने Rs 10,000 का फर्नीचर खरीदा। फर्नीचर पर Rs 2,000 मूल्य ह्रास लगाया गया। वर्ष के दौरान उसने Rs 4,000 का आहरण किया। उपर्युक्त सूचनाओं से उसका वर्ष 2016-17 का लाभ का विवरण तैयार कीजिए।
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 1st April, 2016)
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Statement of Affairs
(As on 31 March, 2017)
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Statement of Profit and Loss
(for the year ended 31st March, 2017)
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित सूचनाओं से वर्ष 2016-17 के लिए एक व्यापारी के लिए उधार क्रय एवं उधार विक्रय की राशि ज्ञात कीजिए।
1 अप्रैल, 2016 को उसके देनदार Rs 30,000, लेनदार Rs 75,000 थे। वर्ष के दौरान लेन-देन इस प्रकार हुए।
देनदारों से नकद प्राप्ति Rs 2,70,000, लेनदारों को भुगतान किया गया है Rs 1,35,000, बट्टा दिया Rs 12,000, लेनदारों से बट्टा प्राप्त हुआ Rs 7,500, प्राप्य बिल Rs 12,000, विक्रय वापसी Rs 6,000 और क्रय वापसी Rs 4,500। 31 मार्च, 2017 को उसके शेष इस प्रकार थे
देदार Rs 1,65,000 तथा लेनदार Rs 90,000।
उत्तर:
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित सूचनाओं से एक व्यापारी द्वारा वर्ष के दौरान देनदारों से प्राप्त राशि की गणना कीजिएदेनदारों का प्रारम्भिक शेष
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उत्तर:
Total Debtors A/C
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प्रश्न 8.
डों, कपिल एवं डॉ. अचलेश साझेदारी फर्म में अपने व्यवहारों के लिए अपूर्ण लेखे रखते हैं। वर्ष के प्रारम्भ एवं अन्त के स्थिति विवरण में 1 अप्रैल 2016 को उनकी संयुक्त पूँजी Rs 1,50,000 तथा 31 मार्च, 2017 को उनकी संयुक्त पूँजी Rs 2,50,000 दिखाई गई है। वर्ष 2016-17 में डॉ. कपिल द्वारा Rs 12,500 की अतिरिक्त पूँजी लगाई गई तथा डॉ. अचलेश हारा Rs 25,000 आहरण किये गये। उनमें से प्रत्येक को Rs 20,000 वेतन के देय थे। उनका लाभ-हानि अनुपात 2:3 है। उपर्युक्त सूचनाओं से फर्म को वर्ष 2016-17 का लाभ का विवरण तैयार कीजिये।
उत्तर:
Statement of Profit and Loss
(for the year ending 31 March, 2017)
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प्रश्न 9.
आर. अपने व्यवहारों के लिए अपूर्ण लेखे रखता है। निम्नलिखित सूचनाओं से उसके वर्ष 2016-17 के लिए लाभ का विवरण तैयार कीजिए।
वर्ष के प्रारम्भ के स्थिति विवरण (Statement of Affairs) के अनुसार उसकी प्रारम्भिक पूँजी Rs 1,60,000 प्रकट होती है। 31 मार्च, 2017 को उसके शेष इस प्रकार थे रोकड़ शेष Rs 45,000, देनदार Rs 1,20,000, स्टॉक Rs 1,50,000, फर्नीच Rs 30,000, प्राप्य बिल Rs 20,000, लेनदार Rs 90,000, देय बिल Rs 10,000 । वर्ष में फर्नीचर पर Rs 4,000 ह्रास चार्ज किया गया। उसने वर्ष के दौरान Rs 30,000 आहरण किये तथा Rs 50,000 अतिरिक्त पूँजी लगाई। पूँजी पर Rs 4,500 ब्याज दिया गया तथा आहरण पर Rs 1,500 ब्याज वसूल किया गया ।
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 31st March, 2017)
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प्रश्न 10.
‘अ’ एक छोटा व्यापारी है। निम्नलिखित सूचनाओं से उसकी वर्ष की कुल क्रय राशि की गणना कीजिये-1 जनवरी, 2016 को लेनदारों को शेष Rs 25,000, वर्ष में लेनदारों को भुगतान किया Rs 75,000; बट्टा प्राप्त किया Rs 1,250, क्रय वापसी Rs 3,750, देय बिल स्वीकार किये Rs 2,500, नकद क्लय Rs 30,000। 31 दिसम्बर, 2016 को लेनदारों का शेष 37,500।
उत्तर:
Total Creditors A/C
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Total Purchase = Credit Purchase + Cash Purchase
= 95,000 + 30,000
= Rs 1,25,000

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प्रश्न 11.
एक व्यापारी के अपूर्ण लेखे निम्नलिखित स्थिति प्रकट करते हैं
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वर्ष के दौरान व्यापारी द्वारा Rs 9,000 आहरण किये गये तथा वर्ष 2016-17 के लिए संयन्त्र (Plant) पर 10% ह्रास लगाया क्या । वर्ष के लिए लाभ की राशि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 1st April, 2016)
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प्रश्न 12.
हरि की अपूर्ण लेखा पुस्तकों से निम्नलिखित शेषों की जानकारी उपलब्ध होती है
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वर्ष के दौरान उसने Rs 6,000 का आहरण किया गया तथा 1 जनवरी, 2016 को Rs 12,000 की अतिरिक्त पूँजी लगाई । देनदारों पर 5% डूबत ऋण का आयोजन किया गया। फर्नीचर पर 20% ह्रास अपलिखित करना है। पूँजी पर 10% वार्षिक दर से ब्याज दिया गया। वर्ष 2015-16 को लाभ ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 1st July, 2015)
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RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 सैद्धान्तिक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखांकन की अपूर्ण लेखांकन पद्धति से आप क्या समझते हैं ? यह दोहरा लेखा प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
अपूर्ण लेखा विधि का अर्थ (Meaning of Incomplete Record System)—वह लेखा पद्धति जो दोहरा लेखा पद्धति पर आधारित होती है लेकिन इसमें सभी लेन-देन का दोहरा लेखा नहीं किया जाता है, उसे अपूर्ण लेखा विधि या इकहरा लेखा विधि कहते हैं। इसे छोटे व्यापारियों द्वारा अपनाया जाता है । इस पद्धति में लेखा पुस्तकों में केवल व्यक्तिगत खाते ही खाले जाते हैं, वस्तुगत तथा नाममात्र के खाते नहीं खाले जाते हैं। इस विधि में नकद लेन-देनों का लेखा करने के लिए रोकड़ बही भी रखी जाती है। अतः यह कहा जा सकता है कि खाते नहीं खाले जाते हैं। इस विधि में नकद लेन-देनों का लेखा करने के लिए रोकड़ बही भी रखी जाती है। अंतः यह कहा जा सकता है कि यह कोई अलग प्रणाली न होकर दोहरा लेखा प्रणाली का ही अपूर्ण रूप है।

ई. एल. कोहलर के अनुसार, “पुस्तपालन की वह प्रणाली जिसमें नियमानुसार केवल रोकड़ तथा व्यक्तिगत खातों का लेखा रखा जाता है, यह सर्वदा अपूर्ण दोहरा लेखा प्रणाली है जो स्थितियों के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।”

कार्टर के अनुसार, “इकहरी लेखा प्रणाली लेन-देनों का लेखा करने की ऐसी पद्धति अथवा पद्धतियों का मिश्रण है जिसमें किसी लेन-देनों के दोनों पहलुओं का लेखा नहीं किया जाता, फलस्वरूप यह पद्धति व्यवसायी को ऐसी आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध नहीं करा पाती, जिनसे वह अपने व्यवसाय की स्थिति जान सके।”

RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 13 अपूर्ण अभिलेखों के खाते

दोहरा लेखा पद्धति तथा अपूर्ण लेखा पद्धति में अन्तर
(Difference between Double Entry. System and Incomplete. Record System)

आधार
(Basis)
दोहरा लेखा पद्धति
(Double Entry System)
अपूर्ण लेखा पद्धति (Incomplete Record System)
सिद्धान्त (Principles) यह दोहरा लेखा सिद्धान्त तथा निश्चित मान्यताओं पर आधारित है। यह किसी गणना या सिद्धान्त पर आधारित नहीं है।
खाते (Accounts) इसमें व्यक्तिगत, वास्तविक तथा नाममात्र तीनों ही प्रकार के खाते तैयार किये जाते हैं। इसमें रोकड़ बही तथा व्यक्तिगत खाते ही तैयार किये जाते हैं।
प्रयोग (Use) इस पद्धति का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है। इसका प्रयोग केवल छोटे व्यापारी ही करते है।
प्रविष्टियाँ (Entries) इस पद्धति में सभी लेन-देनों की दो प्रविष्टियाँ की जाती हैं। इस पद्धति में कुछ लेन-देनों की दो, कुछ की एक प्रविष्टि की जाती है तथा कुछ लेन-देनों का लेखा ही नहीं किया जाता है।
व्यवसाय का मूल्यांकन (Valuation of Business) इस पद्धति में व्यापार बेचने पर मूल्यांकन करना सरल होता है। क्योंकि सभी लेखे पूर्ण रूप से किये जाते हैं। इसमें अनुमान से ही व्यापार का मूल्यांकन किया जाता है।
तलपट (Trial Balance) इसमें तलपट बनाकर खातों की गणितीय शुद्धता जाँच ली जाती है। इसमें तलपट नहीं बनाया जाता है।
शुद्ध लाभ/हानि (Net Profit/Loss) इसमें लाभ-हानि खाता बनाकर शुद्ध लाभ/हानि की गणना की जा सकती है। इसमें शुद्ध लाभ/ हानि की गणना ठीक प्रकार करना सम्भव नहीं है।
वित्तीय-स्थिति (Financial Position) इसमें चिट्ठी खातों के आधार पर बनाया जाता। है जिससे वह सही आर्थिक स्थिति बताता है । इसमें स्थिति-पत्रक अनुमान एवं स्मरण के आधार पर बनाया जाता है । अतः यह चिट्टे के समान विश्वसनीय नहीं होता है।
प्रमाणिकता (Authenticity) यह न्यायालय एवं कर विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह मान्यता प्राप्त नहीं है।
समायोजन (Adjustment) इसमें समायोजन प्रविष्टि करके अन्तिम खाते बनाते समय समायोजन किये जाते हैं। इसमें समायोजन प्रविष्टियाँ नहीं की जाती हैं। लेकिन अन्तिम खातों में कुछ समायोजन किये जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
अपूर्ण लेखा विधि को इकहरा लेखा प्रणाली (Single Entry System) कहना क्या उचित है ? अपूर्ण लेखा विधि के दोष बताइए।
उत्तर-
कुछ विद्वान अपूर्ण लेखा प्रणाली को इकहरा लेखा प्रणाली भी कहते हैं किन्तु ऐसा कहना ठीक नहीं है क्योंकि अपूर्ण लेखों में कुछ व्यवहारों का दोहरा लेखा होता है, कुछ का लेखा केवल एक पक्ष में ही होता है तथा कुछ का तो बिल्कुल लेखा होता ही नहीं है। वास्तव में यह लेखा रखने की एक अपूर्ण, अशुद्ध एवं अवैज्ञानिक पद्धति है।

अपूर्ण लेखा विधि के दोष (Demerits of Incomplete Record System)
अपूर्ण लेखा विधि के दोष या कमियाँ निम्नलिखित हैं-

  • अपूर्ण एवं अवैज्ञानिक इस प्रणाली में लेखी करने का कोई निश्चित सिद्धान्त नहीं है इसलिए सभी लेन-देनों का पूर्ण लेखा नहीं हो पाता है। अतः यह अपूर्ण एवं अवैज्ञानिक प्रणाली है।।
  • नियोजन एवं नियन्त्रण के लिए अनुपयुक्त इस पद्धति में सभी लेन-देनों का लेखा नहीं किया जाता है। अतः यह भविष्य के लिए नियोजन तथा नियन्त्रण हेतु अनुपयुक्त प्रणाली है।
  • व्यापार के मूल्यांकन में कठिनाई व्यापार का विक्रय करने तथा ख्याति का मूल्यांकन करने में इस प्रणाली के द्वारा लेखे रखने पर कठिनाई होती है, क्योंकि इसमें क्रेता को विश्वास दिलाने का कोई आधार नहीं होता है।
  • गबन की सम्भावना इस पद्धति से लेखा रखने पर गबन की संभावना बनी रहती है क्योंकि इसमें सम्पत्तियों का व्यवस्थित लेखा नहीं रखा जाता है।
  • तुलनात्मक अध्ययन का अभाव इस प्रणाली में अपूर्ण लेखा होने के कारण पिछले वर्षों के अपने लाभों तथा अन्य फर्मों के लाभों का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया जा सकता है।
  • सम्पत्तियों के प्रतिस्थापन में कठिनाई इस प्रणाली में ह्रास की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। अतः सम्पत्तियों के प्रतिस्थापन के समय धन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • मान्यता का अभाव क्योंकि इस प्रणाली से रखे गये लेखों का अंकेक्षण नहीं किया जा सकता है। अत: यह आयकर, बिक्री कर, न्यायालय तथा वित्तीय संस्थाओं में अमान्य है ।
  • आन्तरिक जाँच सम्भव नहीं इस प्रणाली में लेखों की आन्तरिक जाँच सम्भव नहीं हो पाती है। अतः इसमें अशुद्धियों एवं छलकपट की सम्भावना हमेशा बनी रहती है।
  • तलपट बनाना असम्भव इस प्रणाली में लेने-देने के दोनों पक्षों का पूर्ण लेखा नहीं किया जाता है। अतः तलपट बनाकर लेखों की गणितीय शुद्धता की जाँच नहीं की जा सकती है।
  • शुद्ध लाभ-हानि की गणना सम्भव नहीं इस प्रणाली में व्यापार से अर्जित शुद्ध लाभ/हानि की गणना सम्भव नहीं हो पाती है क्योंकि कुछ सूचनाएँ केवल अनुमान के आधार पर ज्ञात की जाती हैं।
  • अन्तिम खाते बनाना कठिन इस प्रणाली में वास्तविक खातों का उचित प्रकार से लेखा नहीं रखा जाता है इसलिए आर्थिक चिट्ठा बनाकर व्यवसाय की आर्थिक स्थिति का आंकलन नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
अपूर्ण लेखों से अन्तिम खाते तैयार करते समय आप क्या प्रक्रिया अपनायेंगे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
व्यापार के लेखे चाहे किसी भी पद्धति से क्यों न रखे जायें लेकिन वर्ष के अन्त में व्यवसाय की स्थिति की जानकारी एवं लाभ-हानि का ज्ञान प्राप्त करने हेतु अन्तिम खाते अवश्य बनाये जाते हैं। अपूर्ण लेखाविधि में स्थिति विवरण के स्थान पर स्थिति-पत्रक (Statement of Affairs) बनाया जाता है। स्थिति विवरण की तरह ही स्थिति-पत्रक के भी दो पक्ष होते हैं। इसमें विभिन्न मदों को सम्पत्ति एवं दायित्व पक्ष में लिखा जाता है। इसमें रोकड़ शेष, बैंक शेष, लेनदार, देनदार, प्राप्य बिल, देय बिल, अन्तिम रहतिया, अदत्त व्यय, उपार्जित आय, स्थायी सम्पत्तियों आदि की गणना रोकड़ बही से प्राप्त शेष तथा पिछले स्थिति-पत्रक से प्राप्त शेष एवं चालू वर्ष के लेन-देनों को ध्यान में रखकर की जाती है।

इस प्रकार सम्पत्ति एवं दायित्व पक्ष की मदों को लिखने के बाद दोनों पक्षों का अलग-अलग योग कर लिया जाता है। दोनों पक्षों के योग में आने वाला अन्तर पूँजी की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
अपूर्ण लेखों से लाभ-हानि ज्ञात करना – अपूर्ण लेखों से लाभ-हानि ज्ञात करने की दो विधियाँ हैं

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1. प्रारम्भिक एवं अन्तिम पूँजी की तुलना करके अपूर्ण लेखा प्रणाली में लाभ-हानि ज्ञात करने के लिए वर्ष के अन्त की पूँजी तथा वर्ष के प्रारम्भ या पिछले वर्ष के अन्त की पूँजी ज्ञात करने के पश्चात् वर्ष का लाभ-हानि ज्ञात करने का पत्रक (Statement of Profit and Loss) तैयार कर लिया जाता है।
इसका प्रारूप निम्न प्रकार का होता है-
Proforma of Statement of Profit and Loss
for the year ended on…….
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2. अन्तिम खाते तैयार करना – अपूर्ण लेखा प्रणाली के अनुसार लेखा रखने वाले व्यापारी रोकड़ बही आवश्यक रूप से तैयार करते हैं। वर्ष के अन्त में इसकी सारांश तालिका बना ली जाती है। इस विधि के अनुसार व्यापारिक व लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा बनाने के लिए जो मदें ज्ञात नहीं होती हैं उन्हें विभिन्न खाते या विवरण बनाकर ज्ञात कर लिया जाता है। तत्पश्चात् नियमित व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाता (Trading & Profit-Loss Ac) तथा स्थिति विवरण (Balance Sheet) तैयार कर लिये जाते हैं।

प्रत्येक प्रश्न में कौन-कौन से खाते एवं विवरण अज्ञात मदें ज्ञात करने के लिए बनाये जायेंगे, इसको निर्धारित करना कठिन कार्य है क्योंकि यह व्यापारी द्वारा तैयार किये लेखों की अपूर्णता एवं लेखापाल की कार्यकुशलता तथा अनुमान पर निर्भर करता है फिर भी कुछ प्रमुख खाते या विवरण निम्नलिखित हैं

  • प्राप्य बिल खाता
  • कुल देनदार खाता
  • कुल लेनदार खाता
  • देय बिल खाता
  • नकद क्रय-विक्रय ज्ञात करना।
  • कुल विक्रय ज्ञात करना ।
  • स्कन्ध खाता
  • वर्ष के प्रारम्भ का स्थिति विवरण
  • स्थायी सम्पत्ति खाता
  • प्राप्ति एवं भुगतान खाता आदि

प्रश्न 4.
एक छोटा व्यापारी एकमात्र डायरी रखता है जिसमें सम्पत्तियों, दायित्वों एवं व्यक्तिगत व्ययों के ही विवरण उपलब्ध हैं। किसी वर्ष के लिए आप उसका लाभ अथवा हानि किस प्रकार ज्ञात करेंगे ? काल्पनिक अंकों का प्रयोग करते हुए अपने उत्तर को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यदि एक छोटा व्यापारी केवल एक डायरी रखता है जिसमें उसके व्यापार से सम्बन्धित सम्पत्तियों, दायित्वों एवं उसके व्यक्तिगत व्ययों से सम्बन्धित विवरण उपलब्ध हैं तो ऐसी स्थिति में सर्वप्रथम व्यापार का लाभ-हानि ज्ञात करने के लिए प्रारम्भिक व अन्तिम स्थिति पत्रक तैयार किया जाता है जिसके आधार पर प्रारम्भिक और अन्तिम पूँजी की तुलना करके व्यापार का लाभ-हानि ज्ञात कर लेते हैं।

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उदाहरण – किशन अपनी पुस्तकें इकहरा लेखा पद्धति पर रखता है । निम्नलिखित विवरण से लाभ/हानि दिखाने के लिए वर्ष के अन्त में 31 मार्च, 2017 को उसके द्वारा एक विवरण तैयार किया गया।

(Kishap keeps his books on single entry system. From the following particulars prepare a statement showing Profit or loss made by him for the year ended 31st March 31, 2017.)
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वर्ष के दौरान किशन व्यवसाय में Rs 6,000 की अतिरिक्त पूँजी लाया तथा उसने वर्ष में व्यवसाय से Rs 2,000 निकाले ।।
(During the year Kishan introduced Rs 6,000 a further capital in the business and withdrawn Rs 2,000 in the year.).
Statement of Affairs of Kishan
(As on 31st March, 2016)
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RBSE Class 11 Accountancy Chapter 13 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
31 मार्च, 2017 को सोहन की पूँजी Rs 37,400 है, जबकि 1 अप्रैल, 2016 को उसकी पूँजी Rs 38,400 थी। उसने बताया कि इस वर्ष में उसने Rs 7,000 का ऋण उसके भाई को निजी खाते में दिया तथा Rs 600 प्रतिमाह घरेलू व्यय हेतु व्यापार से निकाले । वह एक मकान स्वयं के रहने हेतु प्रयोग में लेता है जिसका किराया Rs 200 प्रतिमाह तथा बिजली व्यय की औसत राशिर 20 प्रतिमाह व्यवसाय खाते में से देता है। उसने एक बार अपना Rs 4,000 की लागत का स्कूटर Rs 400 प्रीमियम पर बेचकर इस राशि को व्यवसाय में ही विनियोजित कर दिया। इसके अतिरिक्त अन्य कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं है। आपको लाभ प्रदर्शित करते हुए एक विवरण तैयार करना है।

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(The capital of Sohan on 31st March, 2017 is Rs 37,400 and his capital of 1st April, 2016 was Rs 38,400. He also informs that during the year he gave a loan of Rs 7,000 to his brother on private account and withdrawn Rs 600 per month for personal expenses. He also used a flat for his personal purpose. The rent of which is Rs 200 per month and the electricity charges average amount being Rs 20 per month were paid from his business account. He once sold his scooter costing Rs 4,000 at a premium of Rs 400 and brought that money into the business. Besides this, no other information is available. You are required to prepare a Statement of Profit.)
उत्तर:
Statement of Profit
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2. वर्ष के दौरान लगाई गई अतिरिक्त पूँजी
स्कूटर की बिक्री से प्राप्त राशि (4,000 + 400) = Rs 4,400

प्रश्न 2.
राजेश ने एक जुलाई, 2015 को Rs 30,000 की पूँजी से व्यापार प्रारम्भ किया जिसे इस कार्य के लिए खोले गये बैंक खाते में जमा करा दिया गया। इसी दिन उसने Rs 19,500 का स्टॉक और Rs 6,000 का फर्नीचर खरीदा। अपूर्ण लेखों के आधार पर रखी उसकी पुस्तकों में एक रोकड़ बही और एक खाता बही थी और उसके व्यापार तथा निजी, दोनों मामलों से सम्बन्धित समस्त प्राप्तियाँ एवं भुगतान रोकड़ बही में लिखे जाते थे। 30 जून, 2016 को स्टॉक का मूल्यांकन Rs 24,300 पर किया गया। खाताबही के अनुसार Rs 10,350 के देनदार थे, जिनमें से Rs 2,250 के अप्राप्य (डूबत) थे। खाता बही के अनुसार लेनदार Rs 14,520 के थे और रोकड़ बही Rs 5,040 का शेष बताती थी लेकिन पास बुक के अनुसार राजेश के केवल Rs 2,040 जमा थे। उसने Rs 3,000 अपने पुत्र को उधार दिये थे, लेकिन रोकड़ बही में उसे लिखना भूल गया था। राजेश के निजी चे वर्ष में Rs 4,500 थे और इसके अतिरिक्त उसने अपनी दुकान से Rs 1,500 का माल काम में लिया। 30 जून 2016 को फर्नीचर का Rs 7,500 पर मूल्यांकन किया गया। उसने वर्ष के दौरान उन पर Rs 1,500 और खर्च किये। इस सूचना से वर्ष 2015-16 के लिए व्यापार में राजेश का लाभ अथवा हानि दर्शाते हुए एक विवरण पत्र बनाइये।

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(Rajesh commenced business on 1 July, 2015 with a capital of Rs 30,000 which is paid into a bank account opened for that purpose. On the same day he bought stock valued at Rs 19,500 and furniture which costs Rs 6,000. His books based on incomplete record, included a cash book and a ledger transactions in connection with the business and his private affairs, were passed through his cash book on 30th June, 2016 stock was valued at Rs 24,300. There were debtors in the ledger amounting to Rs 10,350 of which Rs 2,250 represented debts which were irrecoverable. Creditors as per ledger amounted to Rs 14,520 and the cash book showed a balance of Rs 5,040 but according to the pass book the balance at Rajesh’s credit was only Rs 2,040, he lent to his son Rs 3,000 and omitted to enter in the cash book. Rajesh’s private expenses during the year amounted to Rs 4,500 and in addition, he used Rs 1,500 worth of goods from his shop. The furniture was valued at Rs 7,500 on 30th June, 2016. Rajesh having expended a further Rs 1,500 on them during the year. From this information prepare a Statement showing Rajesh’s profit or loss in business for the year 2015-16)
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 30 June, 2016)
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प्रश्न 3.
अजय अपनी पुस्तकें दोहरा प्रविष्टि के अनुसार नहीं रखता है। 1 अप्रैल, 2016 को उसकी स्थिति निम्न प्रकार थी
(Ajay does not keep his books according to double entry system. On 1st April, 2016 his position was as follows)
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30 जून, 2016 को उसकी स्थिति इस प्रकार थी
(On 30th June, 2016 his Position was follows).
वर्ष के दौरान अजय ने Rs 7,500 की अतिरिक्त पूँजी लगाई तथा Rs 1,125 प्रतिमाह आहरण किये। उपर्युक्त सूचना से 30 जून 2016 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए लाभ ज्ञात कीजिये।

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(During the year Ajay introduced additional capital amounted to Rs 7,500 and his drawings were Rs 1,125 per month. From the above particulars ascertain bis Profit for the year ended 30 June, 2016)
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 30 June, 2016)
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प्रश्न 4.
रामनाथ अपने व्यवहारों के अपूर्ण लेखे रखता है। 1 अप्रैल, 2016 को उसकी स्थिति निम्न प्रकार थी
वर्ष में रामनाथ ने Rs 20,000 नकद तथा Rs 9,000 का माल निकाला तथा Rs 20,000 अतिरिक्त पूँजी के लगाये। 31 मार्च, 2017 को उसकी स्थिति इस प्रकार थी
वर्ष के दौरान Rs 4,000 पुस्तक मूल्य के विनियोग Rs 4,800 में बेच दिये गये तथा एक नई मशीन Rs 15,000 में खरीदी गई। वर्ष में Rs 1,500 का एक टाइपराइटर भी खरीदा गया ।
वर्ष 2016-17 के लिए
(i) प्रारम्भ का स्थिति विवरण,
(ii) अन्त का स्थिति विवरण; तथा
(iii) आयगत लाभ या हानि दिखाते हुए एक विवरण तैयार कीजिए।
[संकेत वर्ष की कुल हानि Rs 72,900 में वर्ष में विनियोगों के बेचने से हुए Rs 800 पूँजीगत लाभ के प्रभाव को हटा देंगे तो आयगत हानि Rs 73,700 होगी]

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(Ramnath keeps incomplete records of his transactions. His position at 1st April, 2016 was as follows)
Cash in hand Rs 15,000, Investment Rs 30,000, Office premises Rs 30,000, Plant and machinery Rs 40,000, Furniture Rs 7,000, Stock Rs 24,000 Debtors Rs 1,20,000, Bills Payable Rs 28,000, Creditors Rs 50,000.
(During the year Ramnath had withdrawn Rs 20,000 in cash and Rs 9,000 in goods and introduced Rs 20,000 as additional capital. His position as on 31st March, 2016 was as follows)
Cash in hand Rs 12,000, Investment Rs 26,000, Office premises Rs 27,000, Plant and Machinery Rs 48,000, Furniture Rs 6,600, Stock Rs 18,000, Creditors Rs 1,01,000, Debtors Rs 1,00,000, Bills Payable Rs 32,000.
(During the year investment of the book value of Rs 4,000 were sold for Rs 4,800 and a new machine was purchased for Rs 15,000. A typewriter was also purchased during the year Rs 1,500.
You are required to prepare for ther year 2016-17.
(i) Statement of Affairs at the beginning;
(ii) Statement of Affairs at the end, and
(iii) A Statement showing the revenue Profit or Loss.)
उत्तर:
(i) Statement of Affairs
(As on 1st April, 2016)
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(ii) Statement of Affairs
(As on 31st March, 2017)
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(iii) Statement of Profit or Loss
(for the year ending 31st March, 2017)
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प्रश्न 5.
1 अप्रैल, 2016 को X की स्थिति इस प्रकार थी
(The position of X on 1st April, 2016 as follows)
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31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष में व्यापार के खाते अपूर्ण ढंग से लिखे गये थे, लेकिन उसके बैंक व्यवहारों का विश्लेषण निम्न तथ्य प्रकट करता था
(During the year ending 31st March, 2017 the accounts of the business had been recorded imperfectly but an analysis of his bank transactions disclosed the following)
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अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन Rs 6,000 पर किया गया। 31 मार्च, 2017 को देनदारों की सूची का योग Rs 9,450 और लेनदारों । की सूची का योग Rs 2,675 था। 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए वर्ष के लिए व्यापार तथा लाभ-हानि खाता तथा उसी तारीख का चिट्ठा तैयार कीजिए।
(The closing stock was valued at Rs 6,000, and a schedule of debtors totaled Rs 9,450 and that of creditors Rs 2,675 on 31st March, 2017. Prepare Trading and Profit and Loss account for the year ending 31st March, 2017 and a Balance sheet as on that date.)

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उत्तर:
Trading and Profit and Loss
(for the year ending 31st March, 2017)
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कार्यशील टिप्पणी–1. उधार विक्रय की राशि की गणना
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2. उधार क्रय की राशि की गणना
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प्रश्न 6.
राम एवं श्याम आपस में 2:1 के अनुपात में लाभ-हानि का विभाजन करते हैं। 1 अप्रैल 2016 को उनका स्थिति विवरण इस प्रकार था–
(The following is the Statement of Affairs as on 1st April, 2016 of Ram and Shyam who are partnership sharing profit and losses in the proportion of 2:1)
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31 मार्च, 2017 को उनकी पुस्तकों में स्थिति इस प्रकार थी
(The position on at 31st March, 2017 was as follows)
Cash Rs 300; Bank Balance Rs 4,500; Creditors Rs 57,000; Bills Payable Rs 3,600; Debtors Rs 15,000; Bills Receivable Rs 11,400; Stock Rs 25,200
वर्ष में राम ने Rs 9,000 तथा श्याम ने Rs 3,600 व्यापार से अपने निजी प्रयोग हेतु निकाले । 31 दिसम्बर 2016 को राम ने अपनी पूँजी में से Rs 12,000 और निकाले । प्लाण्ट तथा मशीनरी पर 5% एवं फर्नीचर पर 10% की दर से हास काटना है तथा साझेदारों की पूँजी पर 5% वार्षिक दर से ब्याज देना है, आहरण पर ब्याज नहीं लिया जाता है।
उपर्युक्त सूचनाओं से लाभ-हानि का विवरण एवं स्थिति विवरण तैयार कीजिए।
During the year Ram drew Rs 9,000 and Shyam drew Rs 3,600 from the business for their personal use. Ram withdrawn the sum of Rs 12,000 on 31st December, 2016 from his capital. Depreciate plant and Machinery by 5%, Furniture by 10% and allow interest on partner’s capital at the rate 5% p.a. Ignore interest on drawings. From the particulars given above prepare a Statement of Profit and Loss and Statement of Affairs.
उत्तर:
Statement of Affairs
(As on 31st March, 2017)
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प्रश्न 7.
1 अप्रैल 2016 को महेश की पस्तकें निम्नलिखित स्थिति प्रकट करती है
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31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान नकद लेन-देन इस प्रकार थे
(During the year ending 31st March, 2017 his cash transactions were as follows)
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अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन Rs 48,000 पर किया गया। 31 मार्च,2017 को देनदारों की कुल राशि Rs 75,600 व लेनदारों की कुल राशि Rs 21,400 थी। 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाता व उसी तिथि को चिट्ठा तैयार कीजिए।
(The closing stock was valued at Rs 48,000. Debtors totaled Rs 75,600 and that of creditors Rs 21,400 on 31st March, 2017. Prepare Trading and Profit & Loss account for the year ending 31st March, 2017 and a Balance Sheet as on that date.)
उत्तर:
Trading and Profit & Loss A/C
(for the year ending 31st March, 2017)
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कार्यशील टिप्पणी–1. उधार विक्रय की राशि की गणना
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2. उधार क्रय की राशि की गणना
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प्रश्न 8.
रवि अपनी पुस्तकें दोहरा प्रविष्टि के अनुसार नहीं रखता है। निम्नलिखित सूचनाओं से 30 जून 2016 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए व्यापार खाता एवं लाभ-हानि खाता तथा उसी तिथि को चिट्ठा तैयार कीजिए। :
(Ravi does not keep his books as double entry system. From the following information, prepare Trading account and Profit and Loss account for the year ending 30th June, 2016 and Balance Sheet as on that date.)
1 जुलाई, 2015 को उसकी स्थिति इस प्रकार थी।
(His position on 1st July, 2015 was as follows)
(Stock Rs 25,000; Building Rs 40,000; Furniture Rs 10,000; Debtors Rs 55,000 and Creditors Rs 19,000)
रोकड़ बही के विश्लेषण से निम्न सूचनायें प्राप्त हुई
(Cash book analysis revealed the following facts)
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व्यक्तिगत खातों के निरीक्षण से ज्ञात हुआ कि व्यापारी ने देनदारों को Rs 3,500 बट्टे के दिए तथा लेनदारों से Rs 2,000 बट्टे के प्राप्त किये। मोहन से (जो कि एक देनदार था) केवल Rs 300 प्राप्त हुए जबकि उस पर Rs 600 बकाया थे, शेष राशि डूबत ऋण समझ ली गई।
30 जून, 2016 को उसके पास Rs 40,000 का स्टॉक, Rs 66,100 के देनदार,Rs 3,000 के प्राप्य बिल, Rs 19,000 के लेनदार, Rs 4,000 के देय बिल थे। भवन पर मूल्य ह्रास 10%, पूँजी पर ब्याज 5% तथा Rs 2,400 का संदिग्ध ऋण आयोजन करना है।
(From the analysis of personal accounts it was found that the trader allowed discount to debtors amounted to Rs 3,500 and received discount from creditors amounted to Rs 2,000. Mohan (a debtor) from whom Rs 600 were due, paid Rs 300 only balance being treated as bad debts.
On 30th June, 2016 he had stock valued at Rs 40,000, Debtors Rs 66,100, Bills receivable Rs 3,000, Creditors Rs 19,000 and Bills payable Rs 4,000. Provide depreciation on building at 10%, interest on capital at 5% and create provision for doubtful debts of Rs 2,400.)
उत्तर:
Trading and Profit & Loss A/C
(for the year ending 30th March, 2016)
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कार्यशील टिप्पणी–1. उधार विक्रय की राशि की गणना
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2. उधार क्रय की राशि की गणना
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Total Sales = Credit Sales + Cash Sales
= 87,900 + 25,000 = 1,12,900
3. उधार क्रय की राशि की गणना
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Total Purchase = Credit Purchase + Cash Purchase
= 46,000 + 16,500 = Rs 62,500

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