RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 16 आर्थिक नियोजन

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 16 आर्थिक नियोजन

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर  

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय नियोजन समिति का अध्यक्ष कौन था?
(अ) सर. एम. विश्वेश्वरैया
(ब) दीन दयाल उपाध्याय
(स) जवाहरलाल नेहरू
(द) फिरोज शाह मेहता
उत्तर:
(स) जवाहरलाल नेहरू

प्रश्न 2.
योजना आयोग का गठन किया गया
(अ) 1950
(ब) 1949
(स) 1951
(द) 1952
उत्तर:
(अ) 1950

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प्रश्न 3.
योजना अवकाश का काल था
(अ)1965-68
(ब) 1966-69
(स)1967-70
(द) 1964-67
उत्तर:
(ब) 1966-69

प्रश्न 4.
नीति आयोग का अध्यक्ष होता है
(अ) उपराष्ट्रपति
(ब) प्रधानमंत्री
(स) वित्त मंत्री
(द) वाणिज्य मंत्री
उत्तर:
(ब) प्रधानमंत्री

प्रश्न 5.
आठवीं पंचवर्षीय योजना का काल रहा था
(अ) 1990-95
(ब) 1991-96
(स) 1992-97
(द) 1993-98
उत्तर:
(स) 1992-97

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से गलत सुमेलित कौन या क्या है
(अ) जन योजना -1944
(ब) सर्वोदय योजना – 1950
(स) बॉम्बे प्लान – 1945
(द) नियोजन समिति – 1938
उत्तर:
(स) बॉम्बे प्लान – 1945

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय नियोजन का पिता किसे कहा जाता है?
उत्तर:
सर. एम. विश्वेश्वरैया।

प्रश्न 2.
“Planned Economy for India” पुस्तक का लेखक कौन है?
उत्तर:
सर एम. विश्वेश्वरैया।

प्रश्न 3.
संवृद्धि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
देश में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होना संवृद्धि कहलाती है।

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प्रश्न 4.
परिप्रेक्ष्यात्मक योजना किसे कहते हैं?
उत्तर:
बीस वर्षीय दीर्घकालिक योजना को परिप्रेक्ष्यात्मक योजना कहा जाता है।

प्रश्न 5.
दूसरी पंचवर्षीय योजना किस मॉडल पर आधारित थी?
उत्तर:
महालनोबिस मॉडल।

प्रश्न 6.
‘गरीबी हटाओ’ का नारा कौन-सी पंचवर्षीय योजना में दिया गया था?
उत्तर:
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना।

प्रश्न 7.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का शीर्षक वाक्य क्या था?
उत्तर:
अधिक तीव्र और ज्यादा समावेशी विकास।

प्रश्न 8.
नीति आयोग का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
National Institute for Transforming – India – NITI.

प्रश्न 9.
नीति आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष का नाम बताइए।
उत्तर:
राजस्थान के डॉ. अरविंद पनगढ़िया।

प्रश्न 10.
भारतीय नियोजन के दीर्घकालिक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
मुख्यतः संवृद्धि, पूर्ण-रोजगार, समानता, आत्मनिर्भरता, आधुनिकीकरण आदि।

प्रश्न 11.
राज्यवार विकास के लक्ष्य कौन-सी पंचवर्षीय योजना में तय किये गए?
उत्तर:
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में।

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RBSE Class 11 Economics Chapter 16 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक नियोजन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वह विधि जिसमें केन्द्रीय योजना अधिकारी देश के साधनों को ध्यान में रखकर निश्चित समय से पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु आर्थिक कार्यक्रमों व नीतियों को लागू करता है, आर्थिक नियोजन (Economic Planning) है।

प्रश्न 2.
भारतीय नियोजन के ऐतिहासिक पक्ष को बताइए।
उत्तर:
भारत में सर्वप्रथम सन् 1934 में सर एम. विश्वेश्वरैया ने 10 वर्षीय योजना बनायी तथा अपनी पुस्तक “Planned Economy for India” में आर्थिक नियोजन का वर्णन किया। इसी कारण इन्हें भारतीय नियोजन का पिता कहते हैं। 1944 में बम्बई के आठ उद्योगपतियों द्वारा 15 वर्षीय ‘बॉम्बे प्लान बनाया गया जिसे ‘टाटा-बिरला प्लान’ भी कहा जाता है। एम.एन. रॉय ने 1944 में जन योजना तथा जयप्रकाश नारायण ने 1950 में सर्वोदय योजना का निर्माण किया। 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय नियोजन समिति गठित की तथा 1950 में योजना आयोग का गठन किया गया। इसके पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं व बीस वर्षीय दीर्घकालिक योजना अथवा परिप्रेक्ष्यात्मक योजना के लक्ष्य भी निर्धारित किये गए।

प्रश्न 3.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
इस योजना की अवधि 2007 से 2012 तक थी। इसका प्रमुख लक्ष्य ‘अधिक तीव्र और अधिक समावेशी विकास’ करना रखा गया। इस योजना का लक्ष्य विकास दर 9% तक लाना रखा गया तथा इस योजना के अंत तक बढ़ाकर 10% तक करना था। इस योजना में 27 मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये गए जोकि 6 मुख्य वर्गों में बाँटे गए :

  1. गरीबी,
  2. शिक्षा;
  3. स्वास्थ्य,
  4. स्त्रियाँ तथा बच्चे,
  5. आधारिक संरचना,
  6. पर्यावरण।

इस योजना में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के लिए नई प्राथमिकताएँ तय की गई थीं। कुल परिव्यय में सर्वाधिक व्यय सेवाओं (32.6%) पर किया गया था।

प्रश्न 4.
नवीं पंचवर्षीय योजना में किन बुनियादी न्यूनतम सेवाओं पर बल दिया गया?
उत्तर:
नवीं पंचवर्षीय योजना में सात बुनियादी न्यूनतम सेवाओं पर बल दिया गया। ये सेवाएँ हैं :

  1. शुद्ध पेयजल,
  2. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता,
  3. सबके लिए प्राथमिक शिक्षा,
  4. बेघर गरीबों के लिए घर,
  5. बच्चों के लिए पोषक आहार,
  6. सभी गाँवों और बस्तियों के लिए सड़क निर्माण,
  7. सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाना।

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प्रश्न 5.
‘योजना अवकाश’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
तीसरी पंचवर्षीय योजना के समय 1962 में भारत का चीन से तथा 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, जिसके पश्चात् भयंकर सूखे व अकाल की स्थिति पैदा हुई। मुद्रा का अवमूल्यन (Devalution of Money) करना पड़ा तथा चौथी पंचवर्षीय योजना समय से शुरू नहीं हो पाई। इसी कारण तीन एकवर्षीय (1966-69) योजनाएँ बनानी पड़ी। इन्हीं योजनाओं को ‘योजना अवकाश’ (Plan Holiday) के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 6.
रोलिंग प्लान से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
चक्रीय योजना (Rolling Plan) के अंतर्गत बदलती परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक वर्ष की योजनाओं को समायोजित कर प्रत्येक वर्ष के लिए तीन योजनाएँ बनायी जाती हैं। एक योजना चालू वर्ष के लिए, दूसरी मध्यकालीन स्वरूप के लिए तथा तीसरी दीर्घकाल के लिए।

प्रश्न 7.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) के अंतर्गत उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व तथा बाजार शक्तियों के स्वतंत्र क्रियाकलाप की विशेषताओं को एकत्रित कर अर्थव्यवस्था को चलाया जाता है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भी स्वामित्वता पायी जाती है।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय विकास परिषद् के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद् के निम्नलिखित कार्य है :

  1. राष्ट्रीय योजना के निर्माण व साधनों का निर्धारण करने के लिए पथ-प्रदर्शक सूत्र को सुनिश्चित करना।
  2. योजना आयोग द्वारा बनायी गयी राष्ट्रीय योजना पर विचार करके उसे अंतिम रूप देना।
  3. राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाले सामाजिक तथा अधिक नीति के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार करना।
  4. समय-समय पर योजनाओं का कार्यान्वयन करके उनका पुनः निरीक्षण करना।

प्रश्न 9.
योजना आयोग को समाप्त करके नीति आयोग का गठन किया गया। इसकी क्या आवश्यकता थी?
उत्तर:
भारत को विश्व के बदले परिदृश्य के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर करने हेतु राज्यों को अधिक स्वतंत्रता देने की आवश्यकता का अनुभव किया गया जिससे राज्य अपने अनुसार विकास योजनाओं का निर्माण कर सकें तथा विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें। इसी कारण केन्द्र सरकार ने ‘योजना आयोग’ को समाप्त करके उसके स्थान पर 1 जनवरी, 2015 को ‘नीति आयोग’ की स्थापना की।

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RBSE Class 11 Economics Chapter 16 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
12वीं पंचवर्षीय योजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (Twelfth Five Year Plan)-इसकी समयावधि 1 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 तक निर्धारित की गई है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य “तीव्रतर, धारणीय तथा और अधिक समावेशी संवृद्धि” (Faster, Sustainable and More Inclusive Growth) को बनाया गया। जीडीपी का लक्ष्य 9% औसत वृद्धि दर रखा गया था। इस योजना के प्रमुख लक्ष्य को पूरा करने के लिए 25 मूल संकेतक निर्धारित किये गए; जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं :

  1. जीडीपी में 8% की वृद्धि दर प्राप्त करना जोकि पूर्व में 8.2% थी।
  2. कृषि क्षेत्र में 4% की वृद्धि दर तक पहुँचाना।
  3. विनिर्माण क्षेत्र में 10% की वृद्धि दर प्राप्त करना।
  4. प्रति व्यक्ति उपभोग गरीबी (Consumption Poverty) में 10% बिंदु की योजना के अंत तक कमी करना।
  5. प्रत्येक राज्य के लिए एक औसत वृद्धि दर तय की गयी जोकि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना से ज्यादा हों।
  6. 5 करोड़ नए रोजगार के अवसरों का गैर-कृषि क्षेत्र में सृजन करना।
  7. स्कूल शिक्षा के औसत वर्षों की संख्या को बढ़ाकर 7 वर्ष करने का लक्ष्य रखा गया।
  8. नवजात शिशु मृत्यु-दर (Infant Mortality Rate – IMR) को कम करके 25 तक लाना तथा मातृ मृत्यु-दर (Maternal Mortality Rate – MMR) को कम करके प्रति 1000 जीवित जन्म पर 1 तक लेकर आना।
  9. शिशु लैंगिक अनुपात (Child Sex Ratio) को योजना के अंत तक सुधार कर 950 तक लेकर आना।
  10. कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) को योजना के अंत तक 2% तक लेकर आना।
  11. आधारिक संरचना (Infrastructure) में निवेश को जी.डी.पी. के 9% तक लेकर जाना।
  12. योजना समाप्त होने तक कुल सिंचित क्षेत्र (Total Irrigated Area) को 90 मिलियन हैक्टेयर से बढ़ाकर 103 मिलियन हैक्टेयर तक लेकर जाना।
  13. हरित क्षेत्र में प्रति वर्ष 1 मिलियन हैक्टेयर की वृद्धि करना।
  14. बैंकिंग सेवाओं को 90% परिवारों तक पहुँचाना।

12वीं पंचवर्षीय योजना के कुल खर्च में से सबसे अधिक आवंटन (326%) सामाजिक सेवाओं के लिए किया गया तथा इसके बाद कृषि क्षेत्र को दूसरा स्थान दिया गया। योजना के अंतर्गत समावेशित (Inclusion) में गरीबी निवारण के लिए सभी प्रकार के वर्गों में समानता, क्षेत्रीय समानता, शक्तिकरण में समानता आदि को स्वीकार किया गय। धारणीय संवृद्धि (Sustainable Growth) के अंतर्गत पर्यावरण प्रदूषण व ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते प्रभाव से जलवायु परिवर्तन (Global Warming) के खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया।

प्रश्न 2.
नीति आयोग का सविस्तार उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विश्व के बदलते परिदृश्य के अनुरूप भारत को विकास के पथ पर अग्रसर करने हेतु राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने की आवश्यकता महसूस हुई जिससे कि सभी राज्य अपने अनुसार विकास योजनाएँ बना सकें तथा विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें। इसी दिशा में केन्द्र सरकार ने ‘योजना आयोग’ को समाप्त कर उसकी जगह ‘नीति आयोग’ की 1 जनवरी, 2015 को स्थापना की। यह नीति से सम्बन्धित निर्णय लेने वाला एक ‘विचार-संगठन’ (Think-Tank) है, जोकि राज्यों को नीतियों का निर्माण करने व निर्णय लेने में बराबर का भागीदार बनाता है। इस आयोग द्वारा राज्यों को युक्तिसंगत व तकनीकी सलाह प्रदान की जाएगी। इस आयोग का लक्ष्य निचले स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक की नीतियों का समग्रीकरण करना है।

सरकार द्वारा सत्ता में आने से पूर्व अपने एजेंडे में ‘योजना से नीति की ओर’ का आह्वान किया गया था क्योंकि भारत में पिछले 65 सालों में बहुत से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी व जनसांख्यिकीय परिवर्तन बड़े पैमाने पर हुए हैं।

प्रधानमंत्री नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष के पद पर कार्यरत होंगे। इनके अतिरिक्त एक उपाध्यक्ष तथा सभी सदस्य पूर्णकालिक रहेंगे, अंशकालिक सदस्य अधिकतम 2 होंगे तथा पदेन सदस्यों की संख्या 4 रहेगी जिनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् में से करेंगे। पूर्णकालिक सदस्यों में प्रशासी परिषद् (राज्यों के मुख्यमंत्री तथा संघीय क्षेत्रों के उप-राज्यपाल) तथा क्षेत्रीय परिषद् के सदस्य सम्मिलित हैं। नीति आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष राजस्थान के डॉ. अरविंद पनगढ़िया बनाये गए हैं।

नीति आयोग द्वारा अन्त्योदय, समावेश (Inclusion), गाँव, जनसंख्यात्मक लाभ, जन सहभागिता (Public Participation), अभिशासन तथा धारणीयता (Sustainability) के सिद्धान्तों पर कार्य किया जाएगा। नीति आयोग द्वारा किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं :

  1. एक ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करना जिसमें सरकार ‘सहायक’ (Enabler) की भूमिका निभाए।
  2. यह आयोग सहकारी व प्रतियोगितापूर्ण संघवाद के सिद्धान्त पर कार्य करेगा। यह केन्द्र से राज्य की ओर नीति की जगह सतत् केन्द्र-राज्य नीति पर कार्य करेगा।
  3. इसके द्वारा विभिन्न चुनौतियों का सामना व उनका समाधान केन्द्र-राज्यों के सामंजस्य व विभिन्न मंत्रालयों में सामंजस्य स्थापित करके किया जाएगा।
  4. इसके द्वारा विश्व स्तर पर होने वाली संगोष्ठियों (Seminars) में भारत की अहम् व प्रभावी भूमिका सुनिश्चित की जाएगी।
  5. यह आयोग भारत की उपमा-क्षमता तथा वैज्ञानिक व बौद्धिक कुशलता का पूरा प्रयोग करेगा।
  6. लिंग असमानता, जाति आधारित व आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
  7. नीति आयोग द्वारा नीति व कार्यक्रमों को डिजायन करने में केन्द्र व राज्यों को परामर्श प्रदान किया जाएगा।
  8. इसके द्वारा सरकार द्वारा संचालित नीतियों तथा कार्यक्रमों की निगरानी व मूल्यांकन किया जाएगा।
  9. गरीबी को समाप्त करना।

नीति आयोग सहयोगात्मक संघवाद (Co-operative Federalism) पर जोर देता है। यह सरकार को निष्पक्ष (Impartial) व सही राय प्रदान करेगा। नीति आयोग द्वारा केन्द्र सरकार के ‘बंद दफ्तरों’ से बनायी जाने वाली नीतियों की जगह स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर बनायी गयी नीतियों पर जोर दिया जाएगा।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 16 आर्थिक नियोजन

प्रश्न 3.
आर्थिक नियोजन के दीर्घकालीन लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक नियोजन के दीर्घकालीन लक्ष्य (Long Term Objectives of Economic Planning)-इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु लगभग 20 वर्षों का समय निर्धारित किया गया है। यह इस प्रकार से हैं
1. संवृद्धि (Growth) :
संवृद्धि से आशय देश में वस्तुओं व सेवाओं (Goods and Services) की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने से है। जैसे-उत्पादक द्वारा मशीनों, औजारों, बैंकिंग, परिवहन आदि का विस्तार किया जाना। आर्थिक शब्दावली के अनुसार, जीडीपी में होने वाली निरंतर वृद्धि, संवृद्धि कहलाती है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले उत्पादन से प्राप्त किया जाता है। इन विभिन्न क्षेत्रों में प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector) व तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) को शामिल किया जाता है। जब अर्थव्यवस्था में विकास होता है तो जीडीपी में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा कम तथा द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा बढ़ता चला जाता है।

2. पूर्ण रोजगार (Full Employment) :
यह महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है। इसका आशय सभी काम करने के योग्य व इच्छुक व्यक्तियों को काम मिलने से है। यह पंचवर्षीय योजनाओं (Five Year Plans) का एक सामाजिक उद्देश्य भी रहा है। जिससे तात्पर्य धनी व गरीब लोगों की विकास में समान रूप से भागीदारी होने से है। क्योंकि रोजगार के अभाव में समाज में अनेक बुराइयाँ उत्पन्न होने लगती हैं; जैसे-चोरी, डकैती, आतंकवाद (Terrorism) आदि।

3. समानता (Equality) :
आर्थिक संवृद्धि होने पर सभी को इसका लाभ मिले तभी यह सफल मानी जाएगी अन्यथा यह संवृद्धि अर्थहीन होगी। ऐसी स्थिति में धनी वर्ग अधिक धनी व निर्धन वर्ग अधिक निर्धन ही बनकर रह जाएगा, जिससे संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है। अतः समानता को नियोजन में एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य के रूप में स्थान दिया गया है।

4. आत्मनिर्भरता (Self Reliance) :
आत्मनिर्भरता से आशय. उन वस्तुओं का उत्पादन देश में करने से है, जिनका उत्पादन देश में करना संभव हो जिससे उनका आयात कम हो जाए और अंतत: बंद ही हो जाए। आर्थिक आयोजन के समय से ही भारत में खाद्यान्न का आयात किया जाता था तथा आधारभूत उद्योगों का विकास न के बराबर होने के कारण बड़ी मात्रा में परिवहन उपकरण, बिजली संयंत्र, मशीनी औजार, भारी इंजीनियरिंग वस्तुओं व पूंजीगत वस्तुओं को बाहर से आयात करना पड़ता था। विकसित देशों द्वारा अल्पविकसित देशों से मनमानी कीमतें वसूल की जाती थीं। इसलिए आत्मनिर्भरता को एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य बनाया गया। इसके अभाव में कोई भी देश विकास नहीं कर सकता। हमें खाद्यान्न व मशीनरी में आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा और विदेशी सहायता पर निर्भरता भी कम करनी. होगी। चौथी पंचवर्षीय योजना में आत्मनिर्भरता पर अधिक ध्यान दिया गया। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में भी आयातों को कम करने व निर्यातों को बढ़ाने के प्रयास किये गए। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर हो गया तथा देश में भारी मशीनरी, इंजीनियरिंग वस्तुओं व पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन तेजी से बढ़ने लगा।

5. आधुनिकीकरण (Modernization) :
परम्परागत तकनीक के स्थान पर आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर बल देने का लक्ष्य रखा गया। आधुनिकीकरण की तत्काल आवश्यकता कृषि क्षेत्र व डेयरी उद्योग में महसूस की गई थी। इसके लिए देश में शोध तथा विकास (Research and Development – RD) पर जोर दिया गया। छठवीं पंचवर्षीय योजना में आधुनिकीकरण को प्रमुख उद्देश्य के रूप में रखा गया। इससे अनेक ढांचागत व संस्थागत परिवर्तन देखने को मिलेंगे, उत्पादक क्रियाओं में विविधता (Diversity) आएगी तथा तकनीकी विकास संभव होगा।

इस प्रकार से आर्थिक नियोजन में अनेक लक्ष्य निर्धारित किये गए, जिनमें से उपर्युक्त लक्ष्यों को दीर्घकालिक लक्ष्यों की श्रेणी में रखा गया क्योंकि इन लक्ष्यों की प्राप्ति में अधिक समय की आवश्यकता थी। इन्हें किसी एक पंचवर्षीय योजना द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता था।

प्रश्न 4.
1990 से पूर्व अपनाई गई पंचवर्षीय योजनाओं का परिचय दीजिए।
उत्तर:
1990 से पूर्व सात पंचवर्षीय योजनाएँ पूर्ण हो चुकी थीं, जिनका परिचय निम्नवत हैं :
1. पहली पंचवर्षीय योजना (First Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1951 से 1956 तक थी। इस योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि उत्पादन में वृद्धि करने को दी गई। इसके साथ ही देश के विभाजन व दूसरे विश्व युद्ध के उपरान्त अर्थव्यवस्था में उत्पन्न हुए असंतुलनों को दूर करने का लक्ष्य भी रखा गया। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए परिवहन, संचार के साधनों, सिंचाई व्यवस्था परं अधिक जोर दिया गया। कुल योजना परिव्यय के 26.4% संसाधन परिवहन व संचार व्यवस्था के लिए उपलब्ध कराये गए। यह योजना अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने में सफल हुई तथा देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ व स्थिर हो गई।

2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना (Second Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1956 से 1961 तक रही। इसमें समाजवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना करने के प्रयास किये गए। बुनियादी एवं भारी उद्योगों के विकास पर अधिक ध्यान दिया गया। कुल परिव्यय 20.1% उद्योग व खनन पर खर्च किया गया। यह प्रो. पी. सी. महालनोबिस के द्वारा तैयार चार क्षेत्रीय विकास मॉडल पर आधारित योजना थी। इस योजना में लोहा, इस्पात, अलौह धातु, कोयला, सीमेंट आदि के विकास पर जोर देने के कारण इस योजना को “भारत का आर्थिक संविधान” कहा गया।

3. तीसरी पंचवर्षीय योजना (Third Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1961 से 1966 तक थी। योजना का प्रमुख लक्ष्य आत्मनिर्भर एवं स्वयंस्फूर्त अर्थव्यवस्था का निर्माण करना रखा गया जिसको सतत् विकास का लक्ष्य प्राप्त हो सके। इस योजना में भी कुल परिव्यय का 24.6% भाग परिवहन व संचार पर खर्च किया गया जिससे आधारभूत ढाँचे का विकास किया जा सके तथा उद्योग व कृषि को आधार प्रदान किया जा सके।

4. चौथी पंचवर्षीय योजना (Fourth Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1969 से 1974 तक थी। यह योजना संसाधनों की कमी के कारण समय पर लागू न की जा सकी। इसका प्रमुख लक्ष्य स्थिरता के साथ विकास तथा आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। सर्वाधिक व्यय परिवहन व संचार सुविधाओं पर किया गया तथा द्वितीय स्थान ऊर्जा क्षेत्र को प्रदान किया गया।

5. पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (Fifth Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1974 से 1979 तक थी। इसका प्रमुख उद्देश्य गरीबी निवारण करना तथा आत्मनिर्भर होना था। सन् 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने बीस सूत्रीय कार्यक्रम के . अंतर्गत ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। इस योजना में उच्च प्राथमिकता उद्योग क्षेत्र को सर्वाधिक व्यय करके प्रदान की गयी। राष्ट्रीय आय में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त करने का उद्देश्य रखा गया। समाज के कमजोर वर्गों के लिए ‘न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम शुरू किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक प्रारम्भिक शिक्षा, जल आपूर्ति, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का विकास आदि कार्यक्रम शामिल थे।

6. छठीं पंचवर्षीय योजना (Sixth Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1980 से 1985 तक थी। इसका प्रमुख लक्ष्य गरीबी दूर करना था। इस योजना में कृषि तथा उद्योगों दोनों के बुनियादी ढाँचे का मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया। जनता की सक्रिय भागीदारी पर भी जोर दिया गया। सर्वाधिक व्यय 28.1% ऊर्जा क्षेत्र पर तथा दूसरे स्थान पर परिवहन व संचार को देखा गया। औसत विकास दर 5.2% रखी गई।

7. सातवीं पंचवर्षीय योजना (Seventh Five Year Plan) :
इसकी समयावधि 1985 से 1990 तक थी। इसका प्रमुख लक्ष्य रोजगार संवर्द्धन, उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना था। इस योजना में अनाजों के उत्पादन में 3.23% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई। सर्वाधिक व्यय 30.5% ऊर्जा क्षेत्र के लिए किया गया। इसमें अनेक नीतियों व कार्यक्रमों को चलाया गया।

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प्रश्न 5.
आर्थिक नियोजन की उपलब्धियों एवं विफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक नियोजन की उपलब्धियाँ (Achievement of Economic Planning) :
यह निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट की जा सकती हैं:

1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि (Growth in National Income)

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 16 आर्थिक नियोजन 1
उपर्युक्त तालिका द्वारा स्पष्ट है कि पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं में विकास दर औसतन लगभग 3.5% रही जिसे प्रो. राजकृष्ण द्वारा ‘हिन्दू विकास दर’ (Hindu Growth Rate) का नाम दिया गया। छठी पंचवर्षीय योजना के पश्चात् वृद्धि दर बढ़ने लगी लेकिन नौंवी पंचवर्षीय योजना में यह फिर से कम हो गई। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि दर 7.9% दर्ज की गई।

2. कृषि क्षेत्र में विकास (Development in Agriculture Factor) :
योजनाकाल के 62 वर्षों में सरकार ने कुल परिव्यय का 20% से अधिक खर्च कृषि एवं सिंचाई पर किया। 1950 में खाद्यान्न का उत्पादन 5.40 करोड़ टन था जोकि 2013-14 में बढ़कर 26 करोड़ 48 लाख टन हो गया। इस प्रकार खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 5 गुना की बढ़ोत्तरी हुई। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि लक्षित की गई थी जो केवल 3.3% ही हो पायी।

3. उद्योगों में वृद्धि (Growth in Industries) :
योजनाकाल में उद्योगों पर बहुत अधिक व्यय किया गया। शुरुआत में औद्योगिक विकास की दर अधिक रही परन्तु बाद में यह घटने लगी। इस योजनाकाल में लोहा, इस्पात, एल्यूमिनियम, इंजीनियरिंग वस्तुएं, रसायन, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों में वृद्धि देखने को मिली।

4. भुगतान संतुलन (Balance of Payment) :
योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अधिक वित्त की आवश्यकता थी, जिससे कि घाटे का बजट (Budget Deficit) बनाया गया। इसी कारण मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation) करना पड़ा जिससे भुगतान संतुलन पर विपरीत प्रभाव पड़ा। केवल दो वर्षों 1972-73 तथा 1976-77 के अलावा भारत का व्यापार शेष प्रतिकूल ही रहा। योजनाकाल में विदेशी विनिमय रिजर्व (Foreign Exchange Reserve) में वृद्धि हुई तथा यह दिसम्बर 2015 में 351.62 बिलियन डॉलर हो गया।

5. जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) 1951 में 32 वर्ष थी जो बढ़कर 2001 में 65 वर्ष हो गई।
6. आर्थिक व सामाजिक आधारिक संरचना का तेजी से विकास हुआ, एक विशाल शिक्षा प्रणाली का विकास हुआ तथा बचत व निवेश की दरों में थी बढ़ोत्तरी संभव हुई।

आर्थिक नियोजन की असफलताएँ (Shortcoming of Economic Planning) :

  • निर्धनता को प्राप्त करने में असफलता (Failure in Reducing Poverty) :
    पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में ‘गरीबी हटाओ कार्यक्रम’ चलाया गया व ‘गरीबी हटाओ’ का नारा भी दिया गया परन्तु आज भी देश की लगभग एक-चौथाई जनता गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के 61वें दौर के अनुसार, 1999-2000 में 26.1% जनसंख्या बी.पी.एल. थी। 2004-05 में सुरेश डी. तेंदुलकर की समिति की रिपोर्ट के अनुसार देश की 37.2% जनसंख्या BPL थी। 2011-12 में हुए NSSO के 68वें दौर के अनुसार 219% जनसंख्या BPL थी।
  • रोजगार में धीमी वृद्धि दर (Slow Growth Rate in Employment) :
    अनेक कार्यक्रम चलाए जाने के बाद भी देश में बेरोजगारी व्याप्त है। प्रथम योजना में 53 लाख बेरोजगार थे, जोकि 1993-94 में बढ़कर 7.49 मिलियन तथा 2011-12 में 10.84 मिलियन हो गए।
  • आय व धन की असमानताओं में वृद्धि (Increase in Inequality of Income and Wealth) :
    देश की लगभग 10% जनसंख्या के पास 90% संसाधनों का केन्द्र है जबकि 90% लोगों के पास 10% संसाधन ही पाये जाते हैं। यह विभिन्नता हर वर्ष बढ़ती ही जा रही है। 2004-05 से 2009-10 के मध्य 10 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 18 राज्यों के शहरी क्षेत्रों में आय का असमानता में बढ़ोत्तरी हुई है।
  • औद्योगिक विकास की अपर्याप्तता (Inadequacy of Industrial Development) :
    द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगिक विकास पर सर्वाधिक जोर दिया गया लेकिन इसके पश्चात् कुल योजना का व्यय उद्योगों पर लगातार कम होता चला गया। देश के कुछ हिस्से अधिक निवेश के कारण विकसित हो गए परन्तु कुछ क्षेत्र आज भी अविकसित रह गए हैं। नियोजनकाल के समय काली अर्थव्यवस्था (Black Economy) का दायरा भी बढ़ गया। 2008 में यह 640.7 बिलियन डॉलर थी जोकि उस वर्ष की जीडीपी का 50% थी।

अत: यह कहा जा सकता है कि नियोजनकाल के दौरान विभिन्न विफलताओं के बाद भी देश की जीडीपी, प्रतिव्यक्ति आय, जीवन-स्तर, साक्षरता दर में वृद्धि देखने को मिली है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 16 आर्थिक नियोजन

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति है
(अ) साम्यवादी
(ब) मिश्रित
(स) पूँजीवादी
(द) समाजवादी
उत्तर:
(ब) मिश्रित

प्रश्न 2.
वर्तमान समय में देश में कौन-सी पंचवर्षीय योजना कार्यशील है?
(अ) 9वीं
(ब) 10वीं
(स) 11वीं
(द) 12वीं
उत्तर:
(द) 12वीं

प्रश्न 3.
दसवीं योजना में आर्थिक विकास का लक्ष्य था
(अ) 7%
(ब) 8%
(स) 10%
(द) 12%
उत्तर:
(ब) 8%

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में कुल राष्ट्रीय आय का प्रतिशत गिरा है?
(अ) उद्योग, निर्माण कार्य आदि
(ब) वाणिज्य, व्यापार सेवाएँ
(स) कृषि, खनन आदि
(द) किसी का नहीं
उत्तर:
(स) कृषि, खनन आदि

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प्रश्न 5.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना कब तक समाप्त होगी?
(अ) 2017
(ब) 2018
(स) 2019
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 2017

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में योजना आयोग के अध्यक्ष कौन होते हैं?
उत्तर:
भारत में योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमत्री होते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया कब प्रारम्भ हुई?
उत्तर:
भारत में आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया 1 अप्रैल, 1951 से प्रारम्भ हुई।

प्रश्न 3.
‘बॉम्बे प्लान कब तैयार किया गया?
उत्तर:
1944 में।

प्रश्न 4.
‘बॉम्बे प्लॉन को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
‘टाटा-बिरला प्लान’।

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प्रश्न 5.
जन योजना कब व किसने शुरू की?
उत्तर:
एम. एन. रॉय ने 1944 में।।

प्रश्न 6.
सर्वोदय योजना का निर्माण कब व किसने किया?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण ने 1950 में।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन कब व किसकी अध्यक्षता में किया गया?
उत्तर:
1938 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में।

प्रश्न 8.
योजना आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर:
1950 में।

प्रश्न 9.
भारत का आर्थिक संविधान किस योजना को कहा जाता है?
उत्तर:
द्वितीय पंचवर्षीय योजना को।

प्रश्न 10.
गरीबी हटाओ का नारा कब व किसने दिया?
उत्तर:
1975 में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने।

प्रश्न 11.
कमजोर वर्गों के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम’ किस पंचवर्षीय योजना में चलाया गया?
उत्तर:
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में।

प्रश्न 12.
NSSO का पूरा नाम बताइये।
उत्तर:
National Sample Survey Organisation (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन)।

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प्रश्न 13.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना की समयावधि क्या है?
उत्तर:
1 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 तक।

प्रश्न 14.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना की प्रमुख रणनीति बताइए।
उत्तर:
तीव्रतर, धारणीय और अधिक समावेशीय संवृद्धि (Faster, Sustainable and More Inclusive Growth).

प्रश्न 15.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में जीडीपी में कितनी वृद्धि दर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है?
उत्तर:
8%।

प्रश्न 16.
आर्थिक नियोजन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आर्थिक नियोजन से हमारा तात्पर्य स्वीकृत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार देश में संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करने से है।

प्रश्न 17.
नियोजन के आधारभूत उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
नियोजन के आधारभूत उद्देश्य निम्नलिखित :

  1. सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद में वृद्धि (संवृद्धि),
  2. पूर्ण रोजगार,
  3. न्यायोचित वितरण. अथवा साम्यता,
  4. प्रौद्योगिकी का विकास,
  5. आत्मनिर्भरता।

प्रश्न 18.
समाजवाद का आशय स्पष्ट करिए।
उत्तर:
समाजवाद उस प्रणाली को कहते हैं जिसमें मुख्य आर्थिक निर्णय सरकार द्वारा समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।

प्रश्न 19.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र मिलकर देश के विकास को गति प्रदान करते हैं, उसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहते हैं।

प्रश्न 20.
आर्थिक संवृद्धि से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आर्थिक संवृद्धि से हमारा तात्पर्य अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में निरन्तर वृद्धि या उत्पाद के स्तर में निरन्तर वृद्धि या वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह में निरन्तर वृद्धि का होना है।

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प्रश्न 21.
पूर्ण रोजगार की स्थिति किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूर्ण रोजगार की स्थिति से तात्पर्य है कि उन सब लोगों को काम मिलना चाहिए जो काम करने के योग्य हैं तथा जो काम करने के लिए तैयार हैं।

प्रश्न 22.
सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी. पी.) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद का तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है।

प्रश्न 23.
सतत् विकास (Sustainable Development) किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता का समझौता किये बिना पूरा किया जा सके, सतत् विकास (Sustainable Development) कहलाता है।

प्रश्न 24.
अवमूल्यन (Devaluation) से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार द्वारा देशी मुद्रा की विनिमय दर को विदेशी मुद्रा के अनुपात में अपेक्षाकृत कम कर देना, अवमूल्यन कहलाता है।

प्रश्न 25.
मुद्रास्फीति (Inflation) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें मुद्रा का आंतरिक मूल्य (value of money) गिरता है, उसकी पूर्ति (money supply) बढ़ जाती है तथा वस्तुओं के मूल्य (Price of goods) बढ़ने लगते हैं।

प्रश्न 26.
समावेशी संवद्धि (Inclusive Growth) से क्या आशय है?
उत्तर:
वह संवृद्धि जिसमें सभी लोगों को समान रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करना व लोगों में शिक्षा व गुणों को विकसित करके उन्हें सशक्त बनाया जाना, समावेशी संवृद्धि कहलाती है।

प्रश्न 27.
राष्ट्रीय नियोजन समिति ने 1938 में क्या सुझाव दिया था?
उत्तर:
समिति ने ये सुझाव दिया कि समस्त आधारभूत उद्योगों पर राज्य का नियंत्रण हो तथा आने वाले 10 वर्षों में जनता का जीवन-स्तर दुगुने स्तर पर ले जाया जाए।

प्रश्न 28.
योजना आयोग का गठन क्यों किया गया?
उत्तर:
योजना आयोग का गठन इसलिए किया गया जिससे वह देश में उपलब्ध प्राकृतिक तथा भौतिक संसाधनों का आकलन करके योजनाओं का निर्माण कर सके।

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प्रश्न 29.
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम क्या था?
उत्तर:
यह कार्यक्रम कमजोर वर्गों के लिए प्रारम्भ किया गया था, जिसके अंतर्गत प्रारम्भिक शिक्षा, जल आपूर्ति, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का विकास, ग्रामीण सड़कों का निर्माण आदि कार्यक्रम शामिल थे।

प्रश्न 30.
छठी पंचवर्षीय योजना में किस पर कितना व्यय किया गया?
उत्तर:
इस योजना में सर्वाधिक व्यय ऊर्जा क्षेत्र पर (28.1%) किया गया। इसके बाद दूसरे स्थान पर परिवहन व संचार क्षेत्र को रखा गया।

प्रश्न 31.
आठवीं पंचवर्षीय योजना में किस पर विशेष बल दिया गया?
उत्तर:
आठवीं पंचवर्षीय योजना में मानव विकास पर विशेष बल प्रदान किया गया। इसीलिए रोजगार सृजन, जनसंख्या नियंत्रण, साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल उपलब्ध कराना आदि को प्राथमिकता प्रदान की गई।

प्रश्न 32.
नवीं पंचवर्षीय योजना के दो विशिष्ट लक्ष्य बताइए।
उत्तर:

  1. मूल्यों को स्थिर रखते हुए आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना।
  2. गरीबी निवारण व रोजगार का सृजन करने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता प्रदान करना।

प्रश्न 33.
दसवीं पंचवर्षीय योजना के दोलक्ष्य बताइए।
उत्तर:

  1. वर्ष 2007 तक गरीबी अनुपात को 26% से घटाकर 21% किया जाना।
  2. जनसंख्या वृद्धि दर की आगामी दस वर्षीय वृद्धि-दर को 16.2% किया जाना।

प्रश्न 34.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में शिश मृत्यु-दर तथा प्रसूति मृत्यु-दर को लेकर क्या लक्ष्य निर्धारित किये गए?
उत्तर:
शिशु मृत्यु-दर को 1999-2000 के 72 से कम करके 2007 में 45 तक लेकर आना तथा प्रसूति मृत्यु-दर को 1999-2000 के चार से कम करके 2007 में 2 तक लेकर जाना।

प्रश्न 35.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत कितनी विकास दर का लक्ष्य रखा गया?
उत्तर:
इस योजना में 9.1% विकास दर का लक्ष्य रखा गया जिसे योजना के समाप्त होने तक बढ़ाकर 10% किया जाना था।

प्रश्न 36.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए किन मुख्य लक्ष्यों को तय किया गया?
उत्तर:
इस योजना में मुख्यतः 27 लक्ष्य तय किये गए जिन्हें 6 मुख्य वर्गों में बाँटा गया :

  1. गरीबी,
  2. शिक्षा,
  3. स्वास्थ्य,
  4. स्त्रियाँ व बच्चे,
  5. आधारिक संरचना,
  6. पर्यावरण।

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प्रश्न 37.
पंचवर्षीय योजनाओं की चार उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि क्षेत्र में वृद्धि,
  2. राष्ट्रीय आय में वृद्धि,
  3. उद्योगों में वृद्धि,
  4. जीवन प्रत्याशा 1951 में 32 वर्ष से बढ़कर 2001 में 65 वर्ष हो गई।

प्रश्न 38.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दो लक्ष्य बताइए।
उत्तर:

  1. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8% की वृद्धि दर को प्राप्त करना।
  2. कृषि क्षेत्र में 4% की वृद्धि दर दर्ज करना।

प्रश्न 39.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में नवजात शिश मृत्यु-दर तथा मातृ मुत्यु दर कितनी लक्षित की गई?
उत्तर:
नवजात शिशु मृत्यु-दर (Infant Mortlity Rate – IMR) को कम करके 25 तक लाना तथा मातृ मृत्यु-दर (Maternal Mortality Rate – MMR) को कम करके प्रति 1000 जीवित जन्म पर 1 तक लेकर आने का लक्ष्य रखा गया।

प्रश्न 40.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में शिश लैंगिक अनुपात तथा कुल प्रजनन दर कितनी लक्षित की गई है?
उत्तर:
शिशु लैंगिक अनुपात (Child Sex Ratio) को योजना के अंत तक 950 तक लाने तथा कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) को योजना की समाप्ति तक 2 : 1 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रश्न 41.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में आधारिक संरचना व कुल सिंचित क्षेत्र के विषय में क्या लक्ष्य रखे गए हैं?
उत्तर:
आधारिक संरचना (Infrastructure) में निवेश को जीडीपी के 9% तक पहुँचाना तथा कुल सिंचित क्षेत्र को 90 मिलियन हैक्टेयर से बढ़ाकर 103 मिलियन हैक्टेयर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रश्न 42.
12वीं पंचवर्षीय योजना में अधिक व्यय किन क्षेत्रों पर करना निर्धारित किया गया है?
उत्तर:
कुल परिव्यय में से सर्वाधिक व्यय 32.6% सामाजिक सेवाओं पर तथा इसके पश्चात् कृषि क्षेत्र को दूसरे स्थान पर रखा गया है।

प्रश्न 43.
योजना आयोग के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. योजना के विभिन्न चरणों में संसाधनों का उनकी प्राथमिकता के आधार पर आवंटन करना।
  2. योजनाओं के क्रियान्वयन के पश्चात् प्राप्त उपलब्धियों की समय-समय पर समीक्षा करना व सुझाव प्रस्तुत करना।

प्रश्न 44.
राष्ट्रीय विकास परिषद् (National Development Council – NDC) किस प्रकार का निकाय है?
उत्तर:
यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है, जो योजना आयोग तथा विभिन्न राज्यों के मध्य एक समन्वय की कड़ी का काम करता है। यह समय-समय पर योजना के मूल्यांकन के लिए प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्रियों को सहायता प्रदान करता है।

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प्रश्न 45.
राष्ट्रीय विकास परिषद् के दो कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय योजना के निर्माण व साधनों के निर्धारण के लिए सूत्र निश्चित करना।
  2. योजना आयोग द्वारा बनायी गई राष्ट्रीय योजना पर विचार करके उसे अंतिम रूप प्रदान करना।

प्रश्न 46.
नीति आयोग के दो कार्यों को बताइए।
उत्तर:

  1. विभिन्न चुनौतियों का समाधान केन्द्र-राज्यों के सामंजस्य तथा विभिन्न मंत्रालयों में सामंजस्य स्थापित करना।
  2. ‘लिंग असमानताओं, जातिगत असमानताओं व आर्थिक असमानताओं को दूर करना।

प्रश्न 47.
नीति आयोग किस आधार पर कार्य करता है?
उत्तर:
नीति आयोग सहयोगात्मक संघवाद (Co-operative Federalism) के आधार पर कार्य करता है। इसे यह कार्य सौंपा गया है कि यह स्थानीय स्तर से लेकर केन्द्र स्तर तक के लिए बनायी गयी योजनाओं में सामंजस्य स्थापित करेगा।

RBSE Class 11 Economics Chapter 16 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
योजना क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
योजना इसकी व्याख्या करती है कि किसी देश के संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाना चाहिए। योजना के कुछ सामान्य तथा कुछ विशेष महत्त्व होते हैं, जिनको एक निर्दिष्ट समयावधि में प्राप्त करना होता है। भारत में योजनाएँ पाँच वर्ष की अवधि के लिए बनाई जाती हैं, अत: इन्हें पंचवर्षीय योजनाएँ कहा जाता है। हमारे योजना सम्बन्धी प्रलेखों में केवल पाँच वर्ष के ही उद्देश्यों का उल्लेख नहीं होता बल्कि अगले बीस वर्षों में प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों का भी उल्लेख होता है। इस दीर्घकालिक योजना को परिप्रेक्ष्यात्मक योजना कहते हैं।

प्रश्न 2.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आशय एक ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें आर्थिक क्रियाओं पर सरकार एवं निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है अर्थात् सरकार तथा बाजार दोनों को इन तीनों प्रश्नों का उत्तर देने हैं कि क्या उत्पादन किया जाए? किस प्रकार उत्पादन किया जाए? तथा किस प्रकार वितरण किया जाए?

प्रश्न 3.
समाजवादी अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह अर्थव्यवस्था जिसमें सभी आर्थिक क्रियाओं पर सरकार का ही स्वामित्व होता है उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है। इसमें वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण सम्बन्धी निर्णय सरकार द्वारा लिए जाते हैं। सरकार द्वारा उत्पादन का उद्देश्य आर्थिक लाभ के साथ-साथ समाज का कल्याण करना भी होता है।

प्रश्न 4.
पूँजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था में सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं पर सरकार का स्वामित्व होता है तथा वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन और वितरण के सम्बन्ध में निर्णय सरकार लेती है। इसके विपरीत पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह होती है जिसमें सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं पर निजी क्षेत्र का स्वामित्व होती है तथा वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन एवं वितरण बाजार की शक्तियों द्वारा तय किया जाता है।

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प्रश्न 5.
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना कब प्रारम्भ की गई? साथ ही विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के मध्य में कुछ एकवर्षीय योजनाएँ भी लागू की गईं। उनका संक्षिप्त ब्यौरा दीजिए।
उत्तर :
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना का शुभारम्भ 1 अप्रैल, 1951 में और अंत 31 मार्च, 1956 में हुआ। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के मध्य में जारी की गई एकवर्षीय योजनाओं का संक्षिप्त निम्नलिखित प्रकार हैं

  1. 1 अप्रैल, 1966 से 31 मार्च, 1969 तक तीन वार्षिक योजनाएँ।
  2. 1 अप्रैल, 1979 से 31 मार्च, 1980 तक एकवर्षीय योजना। 3. दो वार्षिक योजनाएँ 1 अप्रैल, 1990 से 31 मार्च, 1992 तक की अवधि तक के लिए तय की गईं।

विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि इन एकवर्षीय योजनाओं को पंचवर्षीय योजनाओं के विकल्प के रूप में जारी नहीं किया गया था।

प्रश्न 6.
किसी अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक गठन क्या होता है? क्या यह आवश्यक है कि अर्थव्यवस्था के जी. डी. पी. में सेवा क्षेत्रक को सबसे अधिक योगदान करना चाहिए? टिप्पणी करें।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक गठन-किसी भी अर्थव्यवस्था को क्षेत्र के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है :

  1. प्राथमिक क्षेत्र-इस क्षेत्र में कृषि, पशुपालन, वानिकी, मत्स्यपालन आदि को शामिल किया जाता है।
  2. द्वितीयक क्षेत्र–इस क्षेत्र में विनिर्माण एवं उद्योगों को शामिल किया जाता है।
  3.  तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र-इस क्षेत्र में बैंकिंग, बीमा, संचार आदि सेवा कार्यों को शामिल किया जाता है।

एक विकासशील अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का जी. डी. पी. में सबसे अधिक योगदान होता है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान सबसे कम होता है। तृतीयक क्षेत्र अर्थात् सेवा क्षेत्र का योगदान विकसित अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक होता है। किसी भी देश में बैंकिंग, बीमा, संचार आदि सेवाओं का विस्तार होना विकास का सूचक माना जाता है। अत: अर्थव्यवस्था के जी.डी.पी. में सेवा क्षेत्रक को सबसे अधिक योगदान करना चाहिए।

प्रश्न 7.
आधुनिकीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
तकनीकीज्ञान को आधुनिक बनाना तथा नई प्रौद्योगिकी को आर्थिक क्रियाकलाप के क्षेत्र में लागू करना ही आधुनिकीकरण कहलाता है। उत्पादन में वृद्धि, संसाधनों के स्टॉक में वृद्धि करके तथा नई तकनीक का प्रयोग करके की जा सकती है। आज के वैज्ञानिक युग में विज्ञान के नए-नए तरीकों के माध्यम से खेतों तथा फैक्ट्रियों आदि की उत्पादकता में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति इसका ज्वलन्त उदाहरण है। इसका उपयोग करके देश को खाद्यान्न क्षेत्र में आयातक के स्थान पर निर्यातक बना कर महान् सफलता हासिल की गई।

दूसरी ओर भारतीय योजनाओं के लक्ष्य के सन्दर्भ में आधुनिकीकरण को सामाजिक दृष्टिकोण से भी आँका जाएगा। भारतीय महिलाओं को स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर बनाना होगा जिससे सफलता के किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें और आर्थिक वृद्धि प्रक्रिया में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें।

प्रश्न 8.
आर्थिक संवद्धि तथा आर्थिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • आर्थिक संवृद्धि :
    यह उस दशा को व्यक्त करती है जिसमें एक लम्बे समय तक राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि होती रहती है।
  • आर्थिक विकास :
    ह वह दशा है जिसमें सामाजिक न्याय के साथ राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि जारी रहती है। भारत में नियोजन का मुख्य उदेश्य सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक संवृद्धि की गति को भी तीव्रता प्रदान करना है जिससे वस्तुओं और सेवाओं के अधिकाधिक उत्पादन के साथ-साथ अधिक उत्पादन का लाभ समाज के अधिकांश वर्ग को मिल सके।

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प्रश्न 9.
क्या आधुनिकीकरण तथा रोजगार पैदा करना नियोजन के परस्पर विरोधी लक्ष्य नहीं है?
उत्तर:
निःसन्देह यह एक भ्रांति है। सत्यता यह है कि नियोजन के लक्ष्य के रूप में आधुनिकीकरण तथा रोजगार पैदा. करना, परस्पर विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।

इसके समर्थन की व्याख्या कुछ इस प्रकार की जा सकती है- आधुनिकीकरण अर्थात् उत्पादकता में वृद्धि यानी उत्पादन की प्रति इकाई के लिए श्रम की कम आवश्यकता तो है, किन्तु इसे रोजगार में कमी करना न समझा जाए।

उत्पादकता में वृद्धि के फलस्वरूप उत्पादन स्तर तथा आय स्तर दोनों में वृद्धि निश्चित है। आय में वृद्धि के फलस्वरूप वस्तुओं एवं सेवाओं की माँग में वृद्धि होना स्वाभाविक है। माँग बढ़ने पर उत्पादक द्वारा बड़े पैमाने पर वस्तु का उत्पादन करने की योजना बनाई जाती है। शनैः-शनैः प्रगति की ओर अग्रसर होने पर उत्पादकता में वृद्धि के आधार पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। निश्चित रूप से आधुनिकीकरण तथा रोजगार उपलब्धता में सह-सम्बन्ध पाया जाता है। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में कुछ संरचनात्मक परिवर्तन भी पाये जाते हैं। जैसे—कृषि क्षेत्र, अर्थव्यवस्था के औद्योगिक तथा तृतीयक क्षेत्रों को श्रम का हस्तान्तरण करता है।

प्रश्न 10.
अर्थव्यवस्था की चालू आवश्यकताओं के अनुरूप अल्पकालीन उद्देश्य का संक्षिप्त ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
अल्पकालीन उद्देश्य का संक्षिप्त ब्यौरा :

  1. प्रथम पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-कृषि उत्पादन में वृद्धि करना।
  2. दूसरी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करना।
  3. तीसरी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता।
  4. चौथी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-कीमत स्थिरता तथा मानव शक्ति का पूर्ण उपयोग।
  5. पाँचवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-निर्धनता का उन्मूलन करना एवं आत्मनिर्भरता की प्राप्ति।
  6. छठी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-निर्धनता का उन्मूलन करना एवं कृषि तथा उद्योगों में ढाँचागत मजबूती।
  7. सातवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
  8. आठवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-पूर्ण रोजगार और सर्वशिक्षा अभियान।
  9. नौवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक संवृद्धि।
  10. दसवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।
  11. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-अधिक तीव्र और ज्यादा समावेशी विकास करना।
  12. बारहवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य-तीव्रतर, धारणीय तथा और अधिक समावेशीय संवृद्धि।

प्रश्न 11.
प्रथम पंचवर्षीय योजना के विषय में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
इस योजना की समयावधि 1951 से 1956 तक थी। इस योजना में देश के विभाजन तथा दूसरे विश्व युद्ध से अर्थव्यवस्था में उत्पन्न हुए असंतुलनों को दूर करने का लक्ष्य रखा गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ाना था। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु परिवहन व संचार के साधनों का विस्तार किया गया तथा सिंचाई व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया गया। यह योजना अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रही। 2.1% विकास दर का लक्ष्य रखा गया था जबकि वास्तविक विकास दर 3.60% रही थी।

प्रश्न 12.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर:
इस योजना की समयावधि 1956 से 1961 तक रही। इस योजना द्वारा समाजवादी व्यवस्था की स्थापना करने के प्रयास किये गए। इसमें बुनियादी एवं भारी उद्योगों के विकास पर अधिक बल दिया गया। कुल संसाधनों का 20.1% भाग उद्योग व खनन पर व्यय किया गया। इस योजना में लोहा व इस्पात, अलौह धातु, कोयला, सीमेंट, भारी रसायन आदि उद्योगों के विकास पर ध्यान दिया गया। इसी कारण यह योजना ‘भारत का आर्थिक संविधान’ कहलाती है। यह योजना प्रो. पी. सी. महालनोबिस के चार क्षेत्रीय विकास मॉडल पर आधारित है।

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प्रश्न 13.
तीसरी पंचवर्षीय योजना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इस योजना की अवधि 1961 से 1966 तक थी। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य आत्मनिर्भर व स्वयंस्फूर्ति अर्थव्यवस्था का निर्माण करना था। इस योजना में कृषि क्षेत्र पर किये गए व्यय को दूसरी योजना के मुकाबले दुगुना कर दिया गया था। परन्तु सर्वाधिक व्यय परिवहन व संचार (24.6%) पर किया गया था। जिससे कि आधारभूत ढाँचे (Infrastructure) का विकास कर उद्योग व कृषि क्षेत्र को आधार दिया जा सके।

प्रश्न 14.
तीसरी पंचवर्षीय योजना के तत्कालीन उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
इस योजना के तात्कालिक उद्देश्य निम्नलिखित थे :

  1. राष्ट्रीय आय में 5% से अधिक की वृद्धि करना।
  2. खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  3. उद्योगों तथा निर्यातों की आवश्यकता पूर्ति के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि करना।
  4. बुनियादी उद्योगों का विकास करना।
  5. रोजगार के अवसरों का सृजन करना तथा असमानता में कमी लाना।

प्रश्न 15.
चौथी पंचवर्षीय योजना के तात्कालिक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना के तात्कालिक उद्देश्य निम्नलिखित थे

  1. कीमतें स्थिर करना।
  2. आत्मनिर्भरता की प्राप्ति करना तथा विदेशी निर्भरता में कमी लाना।
  3. समाज के कमजोर वर्गों को रोजगार के अवसर प्रदान करना।
  4. औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार करना।
  5. आधारभूत संरचना (Infrastructure) का विस्तार करना।
  6. समानता व सामाजिक न्याय प्रदान करने वाले कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना।

प्रश्न 16.
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक समझा गया?
उत्तर:
संसाधनों के आवंटन के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी समझा गया

  1. चौथी पंचवर्षीय योजना की शुरुआत में तथा पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में चल रही योजनाओं को जल्द-जल्द पूरा करना।
  2. विकसित क्षमताओं का पूर्णरूप से प्रयोग करना जिससे निवेश की गई राशि से अच्छा प्रतिफल मिल सके।
  3. कोर क्षेत्रों में न्यूनतम आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्त करना।
  4. कमजोर वर्गों के लिए न्यूनतम स्तरों को प्राप्त करना।

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प्रश्न 17.
‘न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम’ क्या था?
उत्तर:
यह कार्यक्रम कमजोर वर्गों के लिए पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान प्रारम्भ किया गया था। इसके अंतर्गत प्रारम्भिक शिक्षा, जल आपूर्ति, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का विकास, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, पौष्टिक आहार, ग्रामीण विद्युतीकरण, आवास निर्माण, गंदी बस्तियों की साफ-सफाई करने जैसे कार्यक्रम शामिल किये गए थे।

प्रश्न 18.
छठीं पंचवर्षीय योजना के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी दें।
उत्तर:
इसकी समयावधि 1980 से 1985 तक थी। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य गरीबी दूर करना था। इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया। जनता की सक्रिय सहभागीदारी द्वारा स्थानीय स्तर पर विकास की विशेष परियोजनाएँ तैयार करने पर भी ध्यान दिया गया। इस योजना में औसत विकास दर 5.2% तय की गई थी जबकि 5.54% की प्राप्ति हुई। इस प्रकार योजना सफल रही।

प्रश्न 19.
सातवीं पंचवर्षीय योजना के विषय में बताइए।
उत्तर:
इस योजना की समयावधि 1985 से 1990 तक थी। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य रोजगार, संवर्द्धन, उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि करना था। इस योजना में नीतियों व कार्यक्रमों पर अधिक बल दिया गया। इसका उद्देश्य रोजगार के अवसरों में वृद्धि तथा उत्पादकता का विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता आदि की प्राप्ति करना था। अनाजों के उत्पादन में 3.23% की वृद्धि हुई जो पिछले वर्षों से ज्यादा थी। बेरोजगारी व गरीबी निवारण हेतु जवाहर रोजगार योजना जैसे कार्यक्रम आरम्भ किये गए। योजना का लक्ष्य.5% विकास दर का रखा गया जबकि 6% विकास दर प्राप्त की गई।

प्रश्न 20.
आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर शुरू नहीं हो पाई। इसके विषय में जानकारी दीजिए।
उत्तर:
केन्द्र में बहुत तेजी से बदलती राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर शुरू नहीं की जा सकी थी। जून 1991 में नई केन्द्र सरकार ने यह तय किया कि आठवीं पंचवर्षीय योजना को 1 अप्रैल, 1992 से शुरू किया जाएगा और 1990-91 व 1991-92 के लिए एकवर्षीय योजनाएं बनायी जाएंगी। इन वार्षिक योजनाओं में मुख्य रूप से अधिकतम रोजगार प्रदान करने और सामाजिक परिवर्तन करने पर जोर दिया गया।

प्रश्न 21.
आठवीं पंचवर्षीय योजना के विषय में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
इसकी समयावधि 1992 से 1997 तक थी। इस योजना की मुख्य रणनीति रोजगार के समुचित अवसर प्रदान करना था। यह योजना ढाँचागत समायोजन तथा दीर्घ स्थिरीकरण नीतियों को प्रारम्भ करने के तुरंत बाद शुरू की गई। इस योजना में नीतिगत सुधारों पर ध्यान दिया गया। सर्वाधिक व्यय (26.6%) ऊर्जा क्षेत्र में किया गया। 5.6% की विकास दर का लक्ष्य रखा गया था, जबकि 6.5% की प्राप्ति की गई।

प्रश्न 22.
आठवीं पंचवर्षीय योजना में मानव विकास पर बल दिया गया। समझाइए।
उत्तर:
आठवीं पंचवर्षीय योजना में मानव विकास (Human Development) पर अधिक बल दिया गया था। इसके तहत रोजगार सृजन, जनसंख्या नियंत्रण करना, साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल उपलब्ध कराना, पर्याप्त मात्रा में खाद्य आपूर्ति करना, आधारभूत संरचना (Infrastructure) का विकास करना आदि कार्यों को प्राथमिकता प्रदान की गई।

प्रश्न 23.
नवीं पंचवर्षीय योजना के कुछ विशिष्ट लक्ष्य बताइए।
उत्तर:

  1. मूल्यों का स्थिरीकरण करना तथा आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करना।
  2. समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य व पोषाहार की सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
  3. जनसंख्या को नियंत्रित करना।
  4. सभी के लिए बुनियादी सेवाओं; जैसे-पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा, प्राथमिक शिक्षा, घर, सड़क आदि को उपलब्ध कराना।
  5. गरीबी निवारण तथा उत्पादक रोजगार का सृजन करने हेतु कृषि व ग्रामीण विकास को प्राथमिकता प्रदान करना।

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प्रश्न 24.
दसवीं पंचवर्षीय योजना के विशिष्ट लक्ष्यों को बताइए।
उत्तर:

  1. सन् 2007 तक गरीबी अनुपात को 26 से घटाकर 21% करना।
  2. आगामी दस वर्षों में जनसंख्या वृद्धि दर को 16.2% करना।
  3. 2003 तक सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला कराना तथा सभी बच्चों की 5 वर्ष तक की स्कूली शिक्षा 2007 तक पूरी कराना।
  4. साक्षरता तथा मजदूरी में लिंग-असमानता (Sex-inequality) को 50% तक कम करना।

प्रश्न 25.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में साक्षरता दर (Literacy Rate), शिशु मृत्यु-दर (Infant Mortality Rate) तथा मातृ मृत्यु-दर (Maternal Mortality Rate) के विषय में क्या लक्ष्य रखे गए?
उत्तर:
2007 तक साक्षरता दर को 75% तक पहुँचाना, शिशु मृत्यु-दर को 1999-2000 के 72 से कम करके 2007 45 तक लेकर जाना तथा मातृ मृत्यु दर को 1999-2000 के 4 से कम करके 2007 में 2 तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया।

प्रश्न 26.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के लिए कौन-सी प्राथमिकताएँ तय की गई?
उत्तर:
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए नयी प्राथमिकताएँ निर्धारित की गई। ये प्राथमिकताएँ कृषि क्षेत्र का विस्तार तथा विकास करने, ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर जरूरी अधोसंरचना को निर्मित करने, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को गाँव के निवासियों तक पहुँचाने, कमजोर वर्गों के लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाने तथा उन्हें अधिक आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए कार्यक्रम आरम्भ करने से सम्बन्धित है।

प्रश्न 27.
योजनाकाल के दौरान कृषि क्षेत्र में क्या विकास हुआ?
उत्तर:
योजनाकाल के दौरान 62 वर्षों में सरकार ने कृषि क्षेत्र पर हर पंचवर्षीय योजना में 20% से अधिक व्यय किया। 1950 में खाद्यान्न का उत्पादन 5.40 करोड़ टन से बढ़कर 2013-14 में 26 करोड़ 48 लाख टन हो गया था। इस तरह से खाद्यान्न उत्पादन में 5 गुना वृद्धि देखी गई। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4% लक्षित की गई थी जबकि हमें 3.3% प्राप्त हुई। योजनाकाल में कृषि सिंचित क्षेत्र, उर्वरकों का प्रयोग, उन्नत बीजों का प्रयोग, कृषि में आधुनिकीकरण आदि सभी की वृद्धि हुई।

प्रश्न 28.
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत समावेशिता (Inclusion) तथा धारणीयता (Sustainability) को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस योजना में समावेशिता के तहत गरीबी दूर करने में समावेशिता, वर्ग समानता, क्षेत्रीय समानता, शक्तिकरण में समानता आदि को सम्मिलित किया गया। धारणीयता के अंतर्गत पर्यावरण की धारणीयता को स्वीकार किया गया तथा इसमें पर्यावरणीय प्रदूषण व ग्रीन हाउस गैसों (Green House Gases) के बढ़ते प्रभाव से होने वाले जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर ध्यान को आकर्षित किया गया।

प्रश्न 29.
राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन कब किया गया? तथा इसके प्रशासनिक ढाँचे को बताइए।
उत्तर:
6 अगस्त, 1952 को सरकार ने राष्ट्रीय विकास परिषद् (National Development Council – NDC) का गठन किया। इसका पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा योजना आयोग का सचिव ही इसका भी सचिव होता है। इसके अन्य सदस्यों के अंतर्गत राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रीपरिषद् के सभी सदस्य, केन्द्र प्रशासित प्रदेशों के प्रशासक व योजना आयोग के सदस्य सम्मिलित होते हैं।

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प्रश्न 30.
नीति आयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए वित्त मंत्री ने क्या कहा?
उत्तर:
नीति आयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए वित्त मंत्री ने कहा “65 वर्ष पुराने योजना आयोग का औचित्य अब समाप्त हो चुका है। उसकी आवश्यकता सरकारी आधिपत्य वाली अर्थव्यस्था में तो थी परन्तु अब बदलते हुए हालात में नहीं। भारत एक विविधीकृत अर्थव्यवस्था है और उसके विभिन्न राज्य आर्थिक विकास के अलग-अलग चरणों में हैं। इन सब राज्यों की अपनी-अपनी शक्तियाँ व कमजोरियाँ हैं। इस संदर्भ में सबके लिए एक ही दृष्टिकोण वाले आर्थिक आयोजन का कोई अर्थ नहीं हैं। इस प्रकार की व्यवस्था रखने पर भारत विश्व स्तर पर, प्रतिस्पर्धात्मक गुणवत्ता प्राप्त नहीं कर पाएगा।”

RBSE Class 11 Economics Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक नियोजन से क्या तात्पर्य है? भारत में आयोजन के विकास को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
आर्थिक नियोजन (Economic Planning) :
वह विधि जिसमें केन्द्रीय योजना अधिकारी द्वारा देश के साधनों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित समय में पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आर्थिक कार्यक्रमों व नीतियों को लागू किया जाता है। दूसरे शब्दों में, एक निश्चित समय अवधि के अंदर लक्ष्यों व उद्देश्यों की प्राप्ति के उद्देश्य से केन्द्रीय प्राधिकरण द्वारा अर्थव्यवस्था का नियंत्रण व निर्देशन किया जाना ही, आर्थिक नियोजन (Economic Planning) कहलाता है।

आर्थिक नियोजन की परिभाषा (Definition of Economic Planning) :
योजना आयोग के अनुसार,
“आर्थिक नियोजन का अर्थ है स्वीकृत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार देश के साधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना।”
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) पायी जाती है। जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का स्वामित्व होता है।

भारत में आर्थिक नियोजन का विकास (Development of Economic Planning in India) :

  1. सर्वप्रथम सर एम. विश्वेश्वरैया ने 1934 में एक दस वर्षीय योजना बनायी। इन्होंने अपनी पुस्तक “Planned Economy for India” में आर्थिक नियोजन का वर्णन किया। इसी कारण इन्हें भारतीय नियोजन का पिता कहा जाता है।
  2. बम्बई के 8 उद्योगपतियों ने 1944 में एक 15 वर्षीय ‘बॉम्बे प्लान’ बनाया, जिसे ‘टाटा-बिरला प्लान’ भी कहा जाता है।
  3. 1944 में क्रांतिकारी नेता एम. एन. रॉय ने ‘जन योजना’ तथा 1950 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने ‘सर्वोदय
    योजना’ का निर्माण किया।
  4. स्वतंत्रता से पहले जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 1938 में राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन किया गया। इस समिति ने
    समस्त आधारभूत उद्योगों पर राज्य का नियंत्रण तथा आगामी दस वर्षों में जनता का जीवन-स्तर दुगुने स्तर पर ले जाने का लक्ष्य रखा।
  5. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत को विकास योजना के पथ पर अग्रसर करने के लिए 1950 में ‘योजना आयोग का गठन किया गया था। इस देश में उपलब्ध प्राकृतिक तथा भौतिक संसाधनों का आकलन करके योजना बनाने का कार्य दिया गया।
  6. भारतीय योजनाओं में आगामी पाँच वर्षीय लक्ष्यों के साथ ही साथ बीस वर्षों के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य भी निर्धारित किये गए – थे। यह दीर्घकालिक योजना परिप्रेक्ष्यात्मक योजना (Perspective Plan) भी कही जाती है।

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