RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर  

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐसे तथ्य जिन्हें संख्या में व्यक्त नहीं किया जा सकता उनके लिए सर्वोत्तम माध्य है
(अ) समान्तर माध्य
(ब) मध्यका
(स) बहुलक
(द) हरात्मक माध्य
उत्तर:
(ब) मध्यका

प्रश्न 2.
निम्न श्रेणी में मध्यका है-8, 11, 12, 13, 15,18
(अ) 12.5
(ब) 13
(स) 12
(द) 14
उत्तर:
(अ) 12.5

प्रश्न 3.
श्रेणी के चार बराबर भागों में बाँटने वाले मूल्य को कहते हैं
(अ) औसत
(ब) मध्यका
(स) चतुर्थक
(द) पंचमक
उत्तर:
(स) चतुर्थक

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प्रश्न 4.
किसी श्रेणी के दूसरे चतुर्थक को कहते हैं
(अ) निम्न चतुर्थक
(ब) उच्च चतुर्थक
(स) माध्य
(द) मध्यका
उत्तर:
(द) मध्यका

प्रश्न 5.
यदि बहुलक 18 तथा समान्तर माध्य 20 है तो मध्यका होगी
(अ) 29.33
(ब) 19.33
(स) 18.66
(द) 9.33
उत्तर:
(ब) 19.33

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यका से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मध्यका समंकमाला का वह चर मूल्य है जो क्रमबद्ध श्रेणी को दो बराबर भागों में इस प्रकार विभाजित करता है कि एक भाग में सभी मूल्य मध्यका से अधिक तथा दूसरे भाग में मध्यका से कम होते हैं।

प्रश्न 2.
व्यक्तिगत श्रेणी में मदों की संख्या सम होने पर मध्यका ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
यदि व्यक्तिगत श्रेणी में पदों की संख्या सम है तो केन्द्रीय क्रम संख्या पूर्णांक नहीं होगी। ऐसी क्रम संख्या में मूल्य निर्धारण करने के लिए उसके दोनों ओर की दो पूर्ण संख्याओं के मूल्य को जोड़कर 2 से भाग दिया जाता है।
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प्रश्न 3.
मध्यका का प्रयोग कब श्रेष्ठ रहता है?
उत्तर:
जब तथ्य गुणात्मक प्रकृति के हों तब मध्यका का प्रयोग श्रेष्ठ रहता है।

प्रश्न 4.
खुले सिरे वाले वर्गान्तरों के लिए कौन-से अधिक उपयुक्त माध्य हैं?
उत्तर:
मध्यका।

प्रश्न 5.
विभाजन मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
श्रेणी को अनेक भागों में विभक्त करने वाले मूल्यों को विभाजित मूल्य कहते हैं, श्रेणी को चार, पाँच, आठ, दस तथा सौ बराबर हिस्सों में बाँटा जा सकता है।

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RBSE Class 11 Economics Chapter 9 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि चार अवलोकनों 3, 4, ग तथा 8 का मध्यका मूल्य 5 है, तो ग का मान निकालिए।
उत्तर:
M = [N+1)वाँ पद

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अत:
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प्रश्न 2.
मध्यका ज्ञात करने के लिए खण्डित श्रेणी में \(\frac { N+1 }{ 2 } \) तथा सतत श्रेणी में \(\frac { N}{ 2 } \) का प्रयोग किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
सतत श्रेणी में मध्यका \(\frac { N}{ 2 } \) वे पद का मूल्य होता है, न कि \((\frac { N+1 }{ 2 } )\) वें पद का मूल्य होता है। क्योंकि मध्यका का मूल्य आरोही व अवरोही क्रम में एकसमान होना चाहिए। केन्द्र बिन्दु को \(\frac { N}{ 2 } \) पर स्थित मानने पर ही दोनों स्थितियों में मध्यका का मान समान आता है तथा \(\frac { N}{ 2 } \) का प्रयोग संचयी आवृत्ति वक्र से मध्यका निर्धारित करने में उपयुक्त रहता है, क्योंकि वक्र का केन्द्र बिन्दु \(\frac { N}{ 2 } \) पर ही होता है।

प्रश्न 3.
यदि समान्तर माध्य 75 तथा बहुलक 60 है, तो मध्यका का मूल्य ज्ञात करो।
उत्तर:
Z = 3M – 2\(\overline { X } \)
60 = 3M – 2 × 75
60 = 3M – 150
60 + 150 = 3M.
M= \(\frac { 210 }{3} \) = 70

प्रश्न 4.
मध्यका के कोई चार लाभ बताइए।
उत्तर:
मध्यका के लाभ :

  1. इसकी गणना करना सरल है।
  2. यह चरम मूल्यों से कम प्रभावित होता है।
  3. यह श्रृंखला के मूल्यों में ही होने के कारण वास्तविक मूल्य होता है।
  4. इसका बिन्दुरेखीय विधि से निर्धारण किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
सतत श्रेणी में \({ Q }_{ 1 }\) तथा \({ Q }_{ 3 }\) ज्ञात करने के सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सूत्र :
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जहाँ i = वर्ग-विस्तार, f = वर्ग की आवृत्ति, N = कुल आवृत्तियाँ, C = मध्यका वर्ग से पहले वर्ग की संचयी आवृत्ति।

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न सारणी से बहुलक एवं मध्यका ज्ञात कीजिएRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 5
उत्तर:
मध्यका की गणना :
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प्रश्न 2.
निम्न समंकमाला से प्रथम चतुर्थक (\({ Q }_{ 1 }\) ), तृतीय चतुर्थक (\({ Q }_{ 3 }\)) तथा मध्यका (M) की गणना करो
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उत्तर:
सर्वप्रथम श्रेणी का अपवर्जी श्रेणी में बदला जाएगाRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 10RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 11
32.25 वें पद का आकार वर्गान्तर 25.5 – 30.5 में मिलेगा
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96.75 वें पद का आकार वर्गान्तर 35.5-40.5 में होगा

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65 वें पद का आकार संचयी आवृत्ति 91 में है जिसका वर्गान्तर 30,5 – 35.5 है। 

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प्रश्न 3.
केन्द्रीय प्रवृत्ति के महत्वपूर्ण मापों ओर उनके गुण व दोषों का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
उत्तर:
केन्द्रीय प्रवृत्ति के महत्वपूर्ण माप समान्तर माध्य, माध्यिका, बहुलक है। इनका प्रयोग केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों में सर्वाधिक किया जाता है। :
(1) समान्तर माध्य (Arithmetic Mean) :
समान्तर माध्य या मध्यक गणितीय माध्यों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय है। सबसे अधिक लोकप्रिय होते हुए भी इसमें कुछ कमियाँ हैं। इसमें हम केवल गणितीय माध्यों का ही हल निकाल सकते हैं। गुणात्मक तथ्यों का इसमें उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसमें चरम मूल्यों का अधिक प्रभाव होता है, जिससे की माध्य सभी मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाता है। इसमें सभी पदों का मूल्य ज्ञात न होने पर भी इसकी गणना कर ली जाती है जिससे कि प्राप्त समंक भ्रमात्मक भी हो सकता है। इस पर निदर्शन के परिवर्तन का न्यूनतम प्रभाव पड़ता है अर्थात् स्थिरता के कारण श्रेणी में परिवर्तन का प्रभाव कम होता है जोकि सही तथ्य ज्ञात करने में असमंजस पैदा कर देता है।

समान्तर माध्य के गुण :

  • सरल एवं बुद्धिगम्य :
    सांख्यिकीय माध्यों में समान्तर माध्य की गणना सबसे सरल है तथा एक सामान्य व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सकता है।
  • सभी मूल्यों पर आधारित :
    समान्तर माध्य श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है, जबकि बहुलक एवं माध्यिका श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होते हैं। सभी मूल्यों पर आधारित होने के कारण यह श्रेणी का अच्छा प्रतिनिधित्व करता है।
  • स्थिरता :
    समान्तर माध्य केन्द्रीय प्रवृत्ति का एक स्थाई भाव है। इस पर निदर्शन के परिवर्तनों का न्यूनतम प्रभाव पड़ता
  • निश्चितता :
    समान्तर माध्य सदैव निश्चित एवं एक ही होता है। इसकी गणना करने में अनुमान का सहारा नहीं लिया जाता है।
  • तुलनात्मक विवेचन :
    इसकी सहायता से दो श्रेणियों में आसानी से तुलना की जा सकती है।
  • पदों के क्रम बदलने की आवश्यकता नहीं :
    समान्तर माध्य निकालते समय पदों के क्रम को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि माध्यिका निकालने के लिए पद मूल्यों को आरोही अथवा अवरोही क्रम में लगाना आवश्यक होता
  • अपूर्णताओं में भी गणना :
    यदि सभी पदों के मूल्य पता न हों, लेकिन उनका योग व पद संख्या ज्ञात हो, तो भी समान्तर माध्य की गणना की जा सकती है।
  • सांख्यिकीय की अन्य गणनाओं में प्रयोग :
    समान्तर माध्य का प्रयोग माध्य विचलन, प्रमाप विचलन, विषमता, सह-सम्बन्ध एवं सूचकांकों आदि की रचना में भी किया जाता है।
  • बीजगणितीय गुण :
    समान्तर माध्य में बीजगणितीय गुण भी पाये जाते हैं। यदि किसी श्रेणी में समान्तर माध्य से विचलन लिए जाएँ, तो इन विचलनों का योग सदैव शून्य होता है। इसी प्रकार समान्तर माध्य के लिए गए विचलनों के वर्गों का योग अन्य माध्यों से लिए गए विचलनों के वर्गों के योग की तलना में न्यूनतम होगा।
  • अज्ञात मूल्यों की गणना :
    यदि किसी श्रेणी के समान्तर माध्य, पदों की संख्या तथा पदों के योग से कोई एक अज्ञात हो, तो उसे दो ज्ञात संख्याओं की सहायता से जाना जा सकता है।

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समान्तर माध्य के दोष :
समान्तर माध्य में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं :

  • चरम मूल्यों का अधिक प्रभाव :
    समान्तर माध्य का सबसे बड़ा दोष है कि यह चरम मूल्यों को अधिक महत्व देता है जिसके कारण यह कभी-कभी श्रेणी के सभी मूल्यों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं कर पाता है।
  • भ्रमात्मक निष्कर्ष :
    समान्तर माध्य के आधार पर कभी-कभी बड़े ही भ्रमात्मक निष्कर्ष निकलते हैं। यदि समंक श्रेणी की रचना व बनावट पर ध्यान न दिया जाए।
  • अप्रतिनिधित्व :
    प्राय: समान्तर माध्य ऐसा मूल्य होता है जो समंकमाला में विद्यमान ही नहीं होता। ऐसा मूल्य प्रतिनिधि मूल्य कैसे हो सकता है।
  • अवास्तविक माध्य :
    कभी-कभी यह माध्य पूर्णांक में न होकर दशमलव में आता है जो स्थिति को हास्यास्पद बना देता है; जैसे-यदि बाजार में बिकने वाले जूतों के नाप 2, 4, 5 हों तो इनका समान्तर माध्य के आधार पर औसत माप 3.67 आएगा, लेकिन ऐसे नाप का कोई जूता आता ही नहीं है।
  • इसमें गणन क्रिया ज्यादा होने के कारण इसकी गणना कठिन होती है।
  • बिन्दु रेखीय विधि के लिए अनुपयुक्त :
    बिन्दु रेखीय विधि से माध्यिका एवं बहुलक की गणना की जा सकती है, लेकिन समान्तर माध्य की गणना करना सम्भव नहीं है।
  • अनुपात व दर आदि के अध्ययन के लिए अनुपयुक्त-अनुपात व दर आदि के अध्ययन के लिए समान्तर माध्य-अनुपयुक्त है।
  • गुणात्मक तथ्यों में गणना असम्भव-गुणात्मक तथ्यों में समान्तर माध्य की गणना नहीं की जा सकती है।

(2) बहुलक (Mode) :
केन्द्रीय प्रवृत्ति ज्ञात करने का एक महत्वपूर्ण माप बहुलक है। जो मूल्य, श्रेणी में सबसे ज्यादा बार आता है, उसी मूल्य को बहुलक कहते हैं। इसका आशय यह है कि जिस मूल्य की आवृत्ति सबसे ज्यादा होती है, वही मूल्य बहुलक कहलाता है। उदाहरण के लिए, यदि पुरुषों द्वारा “7′ नम्बर का जूता सबसे अधिक लोगों द्वारा पहना जाता है तो “7′ आकार ही बहुलक होगा।

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि बहुलक वह मूल्य होता है जो श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है। बहुलक अंग्रेजी भाषा के Z अक्षर द्वारा प्रकट किया जाता है।

बहुलक के गुण :
बहुलक के गुण निम्नलिखित हैं :

  • सरल व लोकप्रिय :
    यह एक सरल एवं लोकप्रिय माध्य है। कुछ परिस्थितियों में तो इसकी गणना केवल निरीक्षण मात्र से ही हो जाती है। दैनिक जीवन में यह माध्य काफी लोकप्रिय है। दैनिक प्रयोग की वस्तुओं; जैसे-सिले-सिलाये वस्त्र आदि में औसत आकार का आशय बहुलक से ही होता है।
  • सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व :
    बहुलक श्रेणी का वह मूल्य होता है जिसकी पुनरावृत्ति सबसे ज्यादा बार होती है। अत: यह श्रेणी का सबसे अच्छा प्रतिनिधि होता है। इसका मूल्य भी श्रेणी के मूल्यों में से ही होता है।
  • चरम मूल्यों का न्यूनतम प्रभाव :
    बहुलक का एक महत्वपूर्ण गुण यह भी है कि यह श्रेणी के चरम मूल्यों से प्रभावित नहीं होता है। समान्तर माध्य पर चरम मूल्यों का बहुत प्रभाव पड़ता है।
  • बिन्दुरेखीय रीति द्वारा निर्धारण :
    बहुलक का एक लाभ यह है कि इसे बिन्दुरेखीय रीति द्वारा भी जाना जा सकता है। आयात चित्र की सहायता से इसकी गणना की जा सकती है।
  • गुणात्मक तथ्यों का बहुलक ज्ञात करना सम्भव :
    उन सभी गुणात्मक तथ्यों का बहुलक ज्ञात किया जा सकता है जिनका वर्गीकरण एवं श्रेणीक्रम सम्भव हो।।
  • विचलनों से अप्रभावित :
    बहुलक पर श्रेणी के विचलनों का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • सभी आवृत्तियों की गणना आवश्यक नहीं :
    इसकी गणना करने के लिए श्रेणी के सभी मूल्यों की आवृत्ति जानने की आवश्यकता नहीं होती है। केवल भूयिष्ठिक मद के आगे-पीछे की आवृत्तियों से काम चल जाता है।

बहुलक के दोष :
बहुलक के दोष निम्नलिखित हैं :

  • अनिश्चित व अस्पष्ट :
    इसका सबसे बड़ा दोष इसकी अनिश्चितता व अस्पष्टता है। यदि श्रेणी के सभी मूल्यों की आवृत्ति समान हो, तो इसकी गणना नहीं की जा सकती है। साथ ही कई बार श्रेणी के एक से अधिक बहुलक होते हैं। वे-सब इस माध्य की अनिश्चितता को दर्शाते हैं।
  • बीजगणितीय विवेचन का अभाव :
    माध्यिका की तरह माध्य में भी यह दोष पाया जाता है। इसका बीजगणितीय विवेचन सम्भव नहीं है। इस दोष के कारण इस माध्य का अनेक सांख्यिकीय रीतियों में बहुत कम प्रयोग होता है।
  • गणन क्रिया में जटिलता :
    यदि बहुलक का निर्धारण निरीक्षण विधि से हो जाता है, तब तो सरलता रहती है अन्यथा समूहीकरण तथा अन्तर्गणन क्रियाओं के द्वारा इसकी गणना करना समान्य व्यक्ति के लिए बहुत कठिन हो जाता है।
  • भ्रमात्मक माध्य :
    अनेक स्थितियों में बहुलक श्रेणी का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता है। ऐसी स्थिति में यह माध्य भ्रम की स्थिति पैदा कर देता है।
  • चरम मूल्यों को कम महत्व :
    बहुलक चरम मूल्यों की उपेक्षा करता है। अत: जहाँ पर चरम मूल्यों को अधिक महत्व देना आवश्यक हो, तो इस माध्य का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  • वर्ग विस्तार में परिवर्तन से बहुलक बदल जाता है :
    इसका एक दोष यह भी है कि वर्ग विस्तार बदल जाने पर इसका मूल्य भी बदल जाता है।

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(3) माध्यिका (Median) :
किसी पदमाला को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर श्रेणी के मध्य के मूल्य को माध्यिका कहते हैं। माध्यिका पदमाला को इस प्रकार दो भागों में बाँट देता है कि एक ओर सारे मूल्य उससे कम तथा दूसरी ओर उससे ज्यादा होते हैं।

माध्यिका के गुण :
माध्यिका में निम्न गुण पाये जाते हैं :

  • गणना में सरलता :
    माध्यिका की गणन-क्रिया बहुत सरल है। व्यक्तिगत एवं खण्डित श्रेणी में तो इसकी गणना करना अत्यन्त आसान है।
  • निश्चितता व स्पष्टता :
    माध्यिका का मूल्य निश्चित एवं स्पष्ट होता है। बहुलक की भाँति यह माध्य अनिश्चित नहीं होता है।
  • चरम मूल्यों का कम प्रभाव :
    माध्यिका पर अति सीमान्त और असाधारण पदों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जबकि समान्तर माध्य की गणना में चरम मूल्य बहुत प्रभाव डालते हैं। माध्यिका की गणना श्रेणी के मध्य मूल्य के आधार पर ही की जा सकती है।
  • गुणात्मक तथ्यों में उपयुक्त :
    गुणात्मक तथ्य; जैसे-दरिद्रता, स्वास्थ्य, बौद्धिक स्तर आदि जो प्रत्यक्ष रूप से मापनीय नहीं हैं, उनका माध्य ज्ञात करने के लिए माध्यिका सर्वोत्तम माध्य माना जाता है।
  • बिन्दुरेखीय प्रदर्शन सम्भव :
    माध्यिका को बिन्दु रेखा की सहायता से भी ज्ञात किया जा सकता है।

माध्यिका के दोष :
माध्यिका के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं :

  • प्रतिनिधित्व का अभाव :
    माध्यिका ऐसे समूहों के औसत का प्रतिनिधित्व नहीं करता, जिनमें विभिन्न मदों के मूल्यों में काफी अन्तर होता है।
  • बीजगणितीय प्रयोग नहीं :
    माध्यिका का प्रयोग बीजगणितीय क्रियाओं में नहीं किया जा सकता है। जैसे यदि माध्यिका मूल्य एवं मदों की संख्या का गुणा करने पर मदों के मूल्यों को जोड़ नहीं प्राप्त किया जा सकता है, जबकि समान्तर माध्य में ये गुण पाया जाता है।
  • श्रेणी का क्रमबद्ध करने की समस्या :
    माध्यिका ज्ञात करने के लिए समंक श्रेणी को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना आवश्यक होता है। इस कार्य में समय लगता है।
  • अवास्तविक :
    जब माध्यिका दो मूल्यों के बीच कहीं स्थित हो, तो यह केवल सम्भावित मूल्य नहीं होता है, वास्तविक नहीं।
  • सभी पदों का समान महत्व :
    इसकी गणना में सभी पदों को समान महत्व दिया जाता है, जो दोषपूर्ण है।
  • सीमान्त मूल्यों की उपेक्षा :
    माध्यिका पर सीमान्त मूल्यों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि कुछ मूल्यों को ज्यादा महत्व या भार देना आवश्यक हो, तो माध्यिका का प्रयोग अनुपयुक्त रहता है।

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गुणात्मक मापन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माप है
(अ) समान्तर माध्य
(ब) माध्यिका
(स) बहुलक
(द) ज्यामितीय माध्य
उत्तर:
(ब) माध्यिका

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद मूल्यों का माध्यिका मूल्य है- 15, 20, 16, 24, 18.
(अ) 16
(ब) 24
(स) 15
(द) 13
उत्तर:
(अ) 16

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प्रश्न 3.
माध्यिका समंकमाला को कितने भागों में विभक्त करती है?
(अ) 2
(ब) 4
(स) 10
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 2

प्रश्न 4.
चतुर्थक समंकमाला को कितने बराबर भागों में विभक्त करते हैं?
(अ) 2
(ब) 4
(स) 10
(द) 100
उत्तर:
(ब) 4

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा स्थिति सम्बन्धी माध्य है?
(अ) माध्यिका
(ब) समान्तर माध्य
(स) गुणोत्तर माध्य
(द) हरात्मक माध्य
उत्तर:
(अ) माध्यिका

प्रश्न 6.
अविछिन्न या संतत श्रेणी में माध्यिका होती है
(अ) (\(\frac { N+1 }{ 2 } \)) वें पद का मूल्य
(ब) (\(\frac { N}{ 2 } \)) पद का मूल्य
(स) (\(\frac { N}{ 4 } \)) वें पद का मूल्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) (\(\frac { N}{ 2 } \)) पद का मूल्य

प्रश्न 7.
अविछिन्न या संतत श्रेणी में निम्न चतुर्थक (\({ Q }_{ 1 }\)) होता है
(अ) (\(\frac { N+1 }{ 4} \))वें पद का मूल्य
(ब) (\(\frac { N}{ 4 } \)) वे पद का मूल्य
(स) (\(\frac { N}{ 2 } \)) पद का मूल्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) (\(\frac { N}{ 4 } \)) वे पद का मूल्य

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प्रश्न 8.
कौन-सा केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप है?
(अ) माध्यिका
(ब) माध्य विचलन
(स) प्रमाप विचलन
(द) सह-सम्बन्ध
उत्तर:
(ब) माध्य विचलन

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
माध्यिका से क्या आशय है?
उत्तर:
समंक श्रेणी को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने के बाद बीच के मूल्य को माध्यिका कहते हैं।

प्रश्न 2.
आरोही क्रम क्या है?
उत्तर:
जब पद मूल्यों को छोटे से बड़े की ओर 1, 2, 3, 4 आदि के क्रम में लिखा जाता है, तो इसे आरोही क्रम कहते हैं।

प्रश्न 3.
अवरोही क्रम क्या है?
उत्तर:
जब पद मूल्यों को बड़े से छोटे की ओर 4, 3, 2, 1 आदि के क्रम में लिखा जाता है, तो उसे अवरोही क्रम कहते हैं।

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका ज्ञात करने का सूत्र लिखो।
उत्तर:
M = (\(\frac { N+1 }{ 2 } \)) वें पद का मूल्य

प्रश्न 5.
मध्यका का कोई एक गुण लिखिए।
उत्तर:
यह स्पष्ट एवं पूर्णरूप से परिभाषित माध्य है।

प्रश्न 6.
मध्यका का कोई एक दोष लिखिए।
उत्तर:
इसमें चरम मूल्यों की अवहेलना की जाती है।

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प्रश्न 7.
\({ Q }_{ 1 }\) कैसा चतुर्थक है?
उत्तर:
\({ Q }_{ 1 }\) एक निम्न चतुर्थक है।

प्रश्न 8.
\({ Q }_{ 2 }\) क्या कहलाता है?
उत्तर:
द्वितीय चतुर्थक या मध्यक कहलाता है।

प्रश्न 9.
श्रेणी के चार बराबर हिस्से को क्या कहते
उत्तर:
चतुर्थक कहते हैं।

प्रश्न 10.
सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण में किस माध्य का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
माध्यिका का

प्रश्न 11.
सतत श्रेणी में माध्यिका का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 12.
3, 1, 7, 5, 4, 2, 8 को आरोही क्रम में लिखिए।
उत्तर:
1, 2, 3, 4, 5, 7,8.

प्रश्न 13.
सतत् श्रेणी में \({ Q }_{ 1 }\) (निम्न चतुर्थक) का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 18
प्रश्न 14.
जहाँ मूल्यों को भारांकित न करना हो वहाँ कौन-से माध्य का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
जहाँ मूल्यों को भारांकित न करना हो वहाँ मध्यका का प्रयोग किया जाता है।

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RBSE Class 11 Economics Chapter 9 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
माध्यिका के चार दोष बताइए।
उत्तर:

  1. इसका बीजगणितीय विवेचन सम्भव नहीं है।
  2. इसकी गणना करने के लिए श्रेणी को आरोही अथवा अवरोही क्रम में लगाना आवश्यक है।
  3. पदों की संख्या सम होने पर इसका वास्तविक मूल्य ज्ञात नहीं होता है।
  4. समंक श्रेणी में आवृत्तियाँ अनियमित होने पर माध्यिका अविश्वसनीय होता है।

प्रश्न 2.
माध्यिका के उपयोग को समझाइये?
उत्तर:
माध्यिका की गणना-क्रिया सरल एवं आसान होने के कारण यह व्यावहारिक दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी है। मध्यका का धन एवं सम्पत्ति वितरण के लिए उपयोग किया जाता है। सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण में मध्यका की बहुत उपयोगिता है। माध्यिका गुणात्मक पहलुओं जैसे-स्वास्थ्य, गरीबी, बुद्धिकौशल आदि के मापन में अत्यधिक उपयोगी है। जहाँ मूल्यों को भारांकित न करना हो वहाँ मध्यका का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
विभाजन मूल्य से क्या आशय है?
उत्तर:
विभाजन मूल्य (Partition Values) :
मध्यका, एक समंक श्रेणी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है। मध्यका के सिद्धान्त के आधार पर ही श्रेणी के चार, पाँच, आठ, दस तथा सौ बराबर भागों में बाँटा जा सकता है। अतः श्रेणी के अनेक भागों में बाँटने वाले मूल्यों को विभाजन मूल्य कहते हैं। समंक श्रेणी को विभाजन मूल्य मध्यका, चतुर्थक, पंचमक, अष्टमक, दशमक, शतमक क्रमश: 2, 4, 5, 8, 10 तथा 100 भागों में विभाजित करते हैं।

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका का निर्धारण-व्यक्तिगत श्रेणी में माध्यिका ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम पदमाला को आरोही अथवा अवरोही क्रम में लगाना होता है। इसके पश्चात् निम्न सूत्र का प्रयोग करके माध्यिका ज्ञात करते हैं।

माध्यिका (M)= (\(\frac { N+1 }{ 2 } \)) वें पद का मूल्य
यहाँ,
N = पदों की संख्या

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

उदाहरण 1 :
निम्नलिखित समंकों का माध्यिका मूल्य ज्ञात कीजिए
50, 42, 48, 52, 47, 58, 60, 40, 51
हल :
सर्वप्रथम श्रेणी को आरोही क्रम में व्यवस्थित करना होगा

क्रम संख्या पद मूल्य
1 40
2 42
3 47
4 48
5 50
6 51
7 52
8 58
9 60

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 19

= 5वें पद का मूल्य
5वें पद का मूल्य = 50
अत: माध्यिका = 50
यदि पदों की संख्या सम हो, तो प्रक्रिया थोड़ी बदल जाएगी जोकि निम्न उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा।

उदाहरण 2 :
नीचे 10 परिवारों की मासिक आय (₹ में) दी हुई है। माध्यिका ज्ञात कीजिए :

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 20
हल :
सर्वप्रथम श्रेणी को आरोही क्रम में लगाएँगे।

क्रम संख्या मासिक आय (₹ में)
1 800
2 1100
3 1500
4 1700
5 1800
6 2000
7 2200
8 3100
9 3600
10 4000

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 21

प्रश्न 2.
खण्डित श्रेणी में माध्यिका की गणना किस प्रकार की जाती है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
खण्डित श्रेणी में माध्यिका की गणना :
खण्डित श्रेणी में सर्वप्रथम संचयी बारम्बारता की गणना की जाती है, तत्पश्चात् माध्यिका की गणना के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग करते हैं :
माध्यिका (M)= (\(\frac { N+1 }{ 2 } \)) पद का मान 

उदाहरण :
निम्नलिखित खण्डित श्रेणी का माध्यिका मान ज्ञात कीजिएRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 22

हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 23RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 24
= 32 वें पद का मान
32वाँ पद संचयी बारम्बारता (cf) 42 में शामिल हैं। अत: 42 का मूल्य 8 माध्यिका होगा। माध्यिका = 8

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

प्रश्न 3.
अविछिन्न अथवा संतत श्रेणी में माध्यिका निर्धारण की प्रक्रिया को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अविछिन्न अथवा संतत श्रेणी में माध्यिका निर्धारण की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :

  1. यदि संतत श्रेणी सामान्य आवृत्ति वितरण के रूप में है, तो सर्वप्रथम संचयी बारम्बारता ज्ञात करते हैं। अगर श्रेणी संचयी बारम्बारता के रूप में दी हुई है, तो उसे पहले सामान्य आवृत्ति वितरण श्रेणी के रूप में बदलते हैं, तत्पश्चात् संचयी। बारम्बारता ज्ञात करते हैं।
  2. निम्न सूत्र द्वारा केन्द्रीय पद या माध्यिका संख्या ज्ञात की जाती है
    माध्यिका सख्या = \(\frac { N}{ 2 } \) वाँ पद
  3. माध्यिका संख्या प्रथम बार जिस संचयी आवृत्ति में आती है, उसके सामने का वर्ग माध्यिका वर्ग कहलाता है।
  4. इस माध्यिका वर्ग में माध्यिका ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग करते हैं
    माध्यिका (M) = \({ L }_{ 1 }+\frac { { N }/{ 2 }-C }{ f } \times i\)
    यहाँ, f = माध्यिका वर्ग की आवृत्ति, \({ L }_{ 1 }\) = माध्यिका वर्ग की निम्न सीमा, i = वर्ग विस्तार, c = माध्यिका वर्ग से पूर्ववर्ती वर्ग की संचयी आवृत्ति।
  5. माध्यिका की गणना करने के लिए वर्गान्तर बराबर करना आवश्यक नहीं होता है।

उदाहरण 1 :
निम्न पदमाला से माध्यिका की गणना कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 25
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 26RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 27
15.5 वाँ पद 19 संचयी बारम्बारता में शामिल है। अत: इसके सामने का वर्ग 20-30 माध्यिका वर्ग होता। RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 28
माध्यिका = 26.11 अंक 

जब वर्ग अवरोही क्रम में दिए हों, तो उसे आरोही क्रम में लिखकर उपरोक्त विधि से हल कर सकते हैं। यदि अवरोही क्रम में ही प्रश्न को हल करना हो, तो निम्न सूत्र प्रयोग करेंगे :
माध्यिका = \({ L }_{ 2 }-\frac { { N }/{ 2 }-C }{ f } \times i\)

उदाहरण 2 :
निम्न सारणी की माध्यिका ज्ञात कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 29

हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 30RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 31
80.5 वाँ पद संचयी बारम्बारता 101 में शमिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 20-30

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 32
 इस प्रश्न को आरोही क्रम में लिखकर पूर्व सूत्र की सहायता से हल किया जा सकता है।
आरोही क्रम में :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 33RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 34
यह पद संचयी बारम्बारता 106 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 20-30
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 35
समावेशी श्रेणी में माध्यिका निर्धारण :
यदि श्रेणी समवेशी है, तो माध्यिका ज्ञात करने के लिए पहले श्रेणी को अपवर्गी श्रेणी में बदलना होगा। इसके बाद उपरोक्त विधि के अनुसार ही माध्यिका की गणना कर ली जाती है। 

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

उदाहरण 3.
निम्नलिखित से माध्यिका ज्ञात कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 36

हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 37
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 38
16 वाँ पद संचयी बारम्बारता 20 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 10.5 – 15.5
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 39
माध्यिका = 13 अंक
प्रश्न में मध्य मूल्य (Mid Value) दिए होने पर सर्वप्रथम वर्गान्तर ज्ञात किए जाते हैं। इसके बाद प्रश्न हल करते हैं। 

उदाहरण 4.
निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 40
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 41RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 42
17.5 वाँ पद संचयी बारम्बारता 20 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 25-35
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 43
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 44
माध्यिका = 31.43

प्रश्न 4.
संचयी आवृत्ति में मध्यका का निर्धारण कैसे होता है? उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
संचयी आवृत्ति में माध्यिका का निर्धारण :
संचयी आवृत्ति दी होने पर पहले उसे सामान्य आवृत्ति वितरण में
बदला जाना चाहिए। तत्पश्चात् माध्यिका की गणना की जानी चाहिए। 

उदाहरण 1.
निम्न श्रेणी की सहायता से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 45
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 46RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 47
यह पद संचयी बारम्बारता 127 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 50-60
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 48
माध्यिका = 59.35 

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

उदाहरण 2.
निम्न तालिका में 65 छात्रों द्वारा किसी परीक्षा में प्राप्त अंक दिए गए हैं। माध्यिका की गणना कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 49

हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 50RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 51
यह पद संचयी बारम्बारता 47 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 50-60 RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 52
माध्यिका = 53.41 अंक

प्रश्न 5.
असमान वितरण में माध्यिका का निर्धारण कैसे होता है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
असमान वितरण में माध्यिका निर्धारण माध्यिका निर्धारण के लिए समान आकार के वर्गान्तर होना आवश्यक नहीं है। यदि वर्गान्तर समान आकार के नहीं हैं, तो माध्यिका निकालने के लिए इन्हें यथासम्भव समान आकार के बना लेना चाहिए।यदि ऐसा करना सम्भव न हो, तो असमान वर्गान्तरों के आधार पर ही माध्यिका की गणना कर लेनी चाहिए। 

उदाहरण 1.
निम्न तालिका से माध्यिका ज्ञात कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 53
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 54RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 55
11 वाँ पद संचयी बारम्बारता 17 में शामिल हैं। अत: माध्यिका वर्ग = 6-8 RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 56
माध्यिका = 6.29 वर्ष

उदाहरण 2.
 निम्नलिखित श्रेणी का माध्यिका ज्ञात कीजिए :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 57
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 58RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 59
78 वाँ पद संचयी बारम्बारता 92 में शामिल है। अत: माध्यिका वर्ग = 20 – 30RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 60
माध्यिका = 26.5

प्रश्न 6.
चतुर्थक से क्या आशय है? चतुर्थकों की गणना किस प्रकार की जाती है? उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
चतुर्थक से आशय :
चतुर्थक से आशय ऐसी माप से है जो श्रेणी को चार बराबर भागों में विभक्त करती है। जब किसी पद समूह अथवा श्रेणी को चार बराबर भागों में विभक्त किया जाता है। तो प्रत्येक भाग की अन्तिम इकाई चतुर्थक कहलाती है। इस प्रकार किसी भी श्रेणी में चार चतुर्थक होते हैं। चौथा चतुर्थक मूल्य की अन्तिम सीमा होता है, अत: इसे निकालने की आवश्यकता नहीं होती। दूसरा चतुर्थक माध्यिका होता है। इसलिए प्रायः पहला व तीसरा चतुर्थक ही निकाला जाता है।

पहले चतुर्थक को निम्न चतुर्थक (Lower Quartile) और तीसरे चतुर्थक को उच्च चतुर्थक (Upper Quartile) भी कहते हैं। इन्हें क्रमश: \({ Q }_{ 1 }\) तथा \({ Q }_{ 2 }\) चिन्ह द्वारा इंगित किया जाता है। प्रथम चतुर्थक में वितरण के 25 प्रतिशत मद इसमें कम होते हैं और 75 प्रतिशत इससे अधिक होते हैं। द्वितीय चतुर्थक अथवा माध्यिका (\({ Q }_{ 2 }\)) में 50 प्रतिशत मद इसके नीचे तथा 50 प्रतिशत इसके ऊपर होते हैं। तृतीय चतुर्थक में वितरण में 75 प्रतिशत मद इसके नीचे होते हैं तथा 25 प्रतिशत मद इसके ऊपर होते हैं। इस प्रकार \({ Q }_{ 1 }\) व \({ Q }_{ 3 }\) की सीमाओं के बीच में 50 प्रतिशत आँकड़े विद्यमान होते हैं।

चतुर्थकों की गणना विधि :
विभिन्न सांख्यिकीय श्रेणियों के लिए चतुर्थक मूल्यों को अलग तरीके से मालूम किया जाता है :
(i) व्यक्तिगत एवं खण्डित श्रेणी :
व्यक्तिगत एवं खण्डित श्रेणी में चतुर्थक मूल्य ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्रों का प्रयोग करते हैं
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 61
व्यक्तिगत श्रेणी में N = पदों की संख्या तथा खण्डित श्रेणी में N = आवृत्तियों का योग।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

(ii) अविच्छिन्न अथवा सतत श्रेणी :
ऐसी श्रेणी में पहले \({ Q }_{ 1 }\) तथा \({ Q }_{ 3 }\) के पद ज्ञात किए जाते हैं जिसके लिए निम्न सूत्रों का प्रयोग करते हैं
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 62
इसके बाद यह देखते हैं कि उपरोक्त सूत्र द्वारा निकाले गए पद कौन-सी संचयी बारम्बारता में शामिल हैं। उस संचयी बारम्बारता के सामने वाला वर्ग \({ Q }_{ 1 }\) तथा \({ Q }_{ 3 }\) वर्ग होता है। तत्पश्चात् सूत्र की सहायता से \({ Q }_{ 1 }\) व \({ Q }_{ 3 }\) का मूल्य ज्ञात कर लिया जाता है
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 63
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण :
(i) व्यक्तिगत श्रेणी में गणना :
सर्वप्रथम मूल्यों को क्रमबद्ध किया जाता है।

उदाहरण 1.
निम्नलिखित से निम्न चतुर्थक एवं उच्च चतुर्थक की गणना कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 64
हल:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 65RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 66
2.25 वें पद का मूल्य = दूसरे पद का मूल्य + 0.25 (तीसरे पद का मूल्य – दूसरे पद का मूल्य)
= 12 + 0.25(13 – 12)
= 12 + 0.25 × 1
= 12.25
\({ Q }_{ 1 }\) = 12.25 टन
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 67
6.75 वें पद का मूल्य = छठे पद का मूल्य + 0.75 (सातवें पद का मूल्य – छठे पद का मूल्य)
= 17 + 0.75 (18 – 17) 
= 17 + 0.75 x 1= 17.75 टन
\({ Q }_{ 1 }\) = 17.75 टन

(ii) खण्डित श्रेणी में गणना :
इस श्रेणी में गणना के लिए सर्वप्रथम यह देखते हैं कि मूल्य क्रमबद्ध है या नहीं। यदि
क्रमबद्ध नहीं होते हैं, तो उन्हें आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर लेते हैं। इसके बाद संचयी बारम्बारता निकाली जाती है। 

उदाहरण 2.
निम्न से प्रथम एवं तृतीय चतुर्थक की गणना कीजिए
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 68
हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 69RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 70
15 वाँ पद संचयी बारम्बारता 17 में शामिल है, अतः इसके सामने वाला मूल्य 8, \({ Q }_{ 1 }\) होगा।RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 71
45 वें पद का मूल्य 45वाँ पद संचयी बारम्बारता 49 में शामिल है, अत: \({ Q }_{ 3 }\) = 13
\({ Q }_{ 3 }\) = 13 

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

(iii) सतत श्रेणी में चतुर्थकों की गणना :

उदाहरण 3.
निम्न आवृत्ति वितरण में प्रथम एवं तृतीय चतुर्थक की गणना कीजिए :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 72

हल :
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 73RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 74
27.25 वाँ पद संचयी बारम्बारता 34 में शामिल है, अत: \({ Q }_{ 3 }\) वर्ग = 12-16 RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 75
81.75वाँ पद संचयी बारम्बारता 91 में शामिल है, अत: \({ Q }_{ 3 }\) वर्ग = 24-28 RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 76

RBSE Class 11 Economics Chapter 9 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न आँकड़ों से माध्यिका मूल्य ज्ञात कीजिए
7, 12, 14,9,10, 13, 15, 11, 27, 18,31
उत्तर:
आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर
7, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 18, 27, 31

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 77
अत: माध्यिका M = 13 

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

प्रश्न 2.
निम्न समंकों से माध्यिका ज्ञात कीजिए
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 78
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 79RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 80
23वाँ पद का आकार संचय आवृत्ति 31 में है।
अत:
M =14

प्रश्न 3.
निम्न समंक से माध्यिका ज्ञात कीजिए
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 81
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 82RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 83
12 वाँ पद संचयी बारम्बारता 16 में है जो कि वर्गान्तर 20-30 में है।
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 84

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

प्रश्न 4.
निम्न पद माला से माध्यिका की गणना कीजिएRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 85
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 86
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 87
15.5 वाँ पद संचयी आवृत्ति 21 में है जो कि वर्गान्तर 20-30 में है।
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 88

प्रश्न 5.
निम्न सारणी से माध्यिका ज्ञात करो RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 89
उत्तर:
सर्वप्रथम समावेशी श्रेणी को अपवर्जी श्रेणी में बदला जाएगा :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 90RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 91
16 वाँ पद संचयी आवृत्ति 20 में है जिसका वर्गान्तर 10.5-15.5
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 92

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

प्रश्न 6.
निम्न वितरण में माध्यिका की गणना कीजिएRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 93
उत्तर:
सर्वप्रथम मध्य मूल्य से वर्गान्तर ज्ञात करेंगे :RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 94RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 95

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 96
15वाँ पद संचयी आवृत्ति (cf) 20 में है।
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 97

प्रश्न 7.
निम्न सारणी से माध्यिका ज्ञात कीजिएRBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 98
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 99RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 100
50 वाँ पद संचयी बारम्बारता 70में है जिसका वर्गान्तर 20-30 है। 

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 101

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका

प्रश्न 8.
निम्न तालिका से माध्यिका की गणना कीजिए RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 102

उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 103RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 104
संचयी आवृत्ति वाले कॉलम को देखने पर मध्यका वर्ग = 30-40
RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 माध्यिका 105

RBSE Solutions for Class 11 Economics