RBSE Solutions for Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 अजेय लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 अजेय लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
भारत का बिस्मार्क’ कहा जाता है –
(क) महात्मा गाँधी को
(ख) जवाहरलाल नेहरू को
(ग) वल्लभभाई पटेल को
(घ) विट्ठलभाई पटेल को
उत्तर:
(ग) वल्लभभाई पटेल को

प्रश्न 2.
वल्लभभाई पटेल की पत्नी की मृत्यु बीमारी से हुई –
(क) मलेरिया
(ख) प्लेग
(ग) हैजा
(घ) टाइफाइड
उत्तर:
(ख) प्लेग

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वल्लभभाई पटेल को किस बात का श्रेय दिया जाता है?
उत्तर:
वल्लभभाई पटेल को स्वतन्त्रता के बाद लगभग 600 देशी रियासतों को भारतीय संघ में सम्मिलित करके देश को मजबूत गणतन्त्र बनाने का श्रेय दिया जाता

प्रश्न 2.
वल्लभभाई पटेल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
वल्लभभाई पटेल का जन्म गुजरात के नादियाड़े ताल्लुके के करमसद गाँव में 31 अक्टूबर, 1875 ई. को हुआ था।

प्रश्न 3.
सरदार पटेल लौहपुरुष क्यों कहे जाते हैं?
उत्तर:
अनेक विपत्तियों को चुपचाप दृढ़ता से सह लेने की क्षमता से ही सरदार पटेल को लौहपुरुष कहा जाता है।

प्रश्न 4.
अजेय लौहपुरुष की मृत्यु कब हुई?
उत्तर:
अजेय लौहपुरुष सरदार पटेल की मृत्यु 15 दिसम्बर, 1950 ई. को हुई।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सरदार पटेल के ‘पिता’ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरदार पटेल के पिता श्री झवेर भाई एक साधारण किसान थे। वे साहसी, धार्मिक और दयालु स्वभाव के थे। सम्भवतः 1857 ई. के सशस्त्र विद्रोह में वे खेतीबाड़ी को छोड़कर शस्त्र लेकर विद्रोहियों के साथ हो गये थे। वह विद्रोह असफल रहा। काफी समय तक अपनी जान बचाने के लिए वे एक स्थान से दूसरे स्था पर जाते रहे। तीन वर्ष पश्चात् जब वे एकाएक अपने गाँव वापस लौटे, तब तक गाँव के लोग उन्हें मृत समझ चुके थे। वे प्रखर देशभक्त थे।

प्रश्न 2.
वल्लभभाई पटेल क्या बनना चाहते थे? क्या वे उस लक्ष्य को प्राप्त कर सके? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैट्रिक पास करने के बाद वल्लभभाई पटेल बैरिस्टर बनना चाहते थे। परन्तु आगे की शिक्षा का खर्चा उठाने में उनके पिता असमर्थ थे। तब वल्लभभाई पटेल ने पहले मुख्तयारी और फिर फौजदारी मुकदमों की पैरवी कर काफी धन कमाया। उसके बाद वे विलायत गये और बैरिस्टर की पढ़ाई कर स्वदेश लौटे। इस प्रकार वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहे और बैरिस्टर बनने के बाद अहमदाबाद में वकालत करने लगे।

प्रश्न 3.
“वल्लभभाई पटेल और विट्ठलभाई पटेल दोनों भाइयों में बड़ा सामंजस्य था।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वल्लभभाई ने पर्याप्त धन कमाकर एक कम्पनी से विलायत जाने का पत्र-व्यवहार किया । कम्पनी का एक पत्र उनके बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल के हाथ लग गया। तब उन्होंने वल्लभभाई से अनुरोध किया कि पहले मुझे विलायत हो। आने दो। तुम मेरे बाद चले जाना। वल्लभभाई ने बड़े भाई का अनुरोध मान लिया। इस कारण पहले विट्ठलभाई इंग्लैण्ड जोकर बैरिस्टरी कर आये, फिर वल्लभभाई इंग्लैण्ड गये। दोनों भाइयों ने वकालत प्रारम्भ की, बड़े भाई ने मुम्बई में तो छोटे भाई ने अहमदाबाद में। इस तरह आपस में सामंजस्य रखकर दोनों भाइयों ने काफी नाम-यश और धन अर्जित किया।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर सरदार वल्लभभाई पटेल की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-‘अजेय लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल’ पाठ सरदार पटेल की जीवनी का संकलितांश है। इसमें लेखक ने उनकी अनेक चारित्रिक विशेषताओं का निरूपण किया है, जिन्हें संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है

  1. साहसी एवं संघर्ष प्रिय – सरदार पटेल अपने विद्यार्थी जीवन में अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष करते रहे। बैरिस्टर बनने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया और साहस से आगे बढ़े।
  2. अद्भुत सहिष्णुता – जब वल्लभभाई की आयु तैंतीस वर्ष थी, तभी इनकी पत्नी का देहान्त हो गया था। अपनी दो सन्तानों की खातिर दूसरा विवाह नहीं किया। सारा शोक एवं पारिवारिक कष्ट सहन करते रहे।
  3. भ्रातृ-प्रेमी – ये अपने बड़े भाई से अतिशय प्रेम करते थे तथा प्रत्येक काम में उनसे सामंजस्य रखते थे।
  4. स्वाधीनता-प्रिय – देश की आजादी के लिए चलाये जा रहे असहयोग एवं सत्याग्रह आन्दोलन के सभी चरणों में भाग लेकर स्वाधीनता-प्रिय भावना का परिचय दिया।
  5. सफल सत्याग्रही – वल्लभभाई ने बारडोली किसान आन्दोलन को सफलता से चलाया। नमक आन्दोलन में पूरी सक्रियता दिखायी ।
  6. सफल नेतृत्व-क्षमता – सरदार पटेल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, पार्लियामेन्टरी बोर्ड के प्रधान रहे तथा सात प्रान्तों में कांग्रेस को विजय दिलायी।
  7. कुशल प्रशासक-सरदार पटेल ने अहमदाबाद नगरपालिका अध्यक्ष, अनेक आन्दोलनों के नेतृत्व, अन्तरिम सरकार के गृहमन्त्री एवं देशी राज्यों के विलय आदि में अपनी कुशल प्रशासन-क्षमता का परिचय दिया।

प्रश्न 2.
सरदार पटेल को ‘भारत का बिस्मार्क’ क्यों कहा है?
उत्तर:
देश के स्वाधीनता आन्दोलन में सरदार पटेल ने जिस क्षमता, साहस, संघर्ष एवं लगन का परिचय दिया और जिस तरह से अनेक कष्ट झेलकर आगे बढ़ते रहे, इससे महात्मा गाँधी आदि सभी प्रभावित थे देश को स्वतन्त्रता मिलने पर अंग्रेजों ने सभी देशी रियासतों को प्रतिबन्धों से मुक्त कर दिया था। उस समय सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता, दृढ़ता एवं दूरदर्शिता से सभी देशी राज्यों को केन्द्रीय सत्ता एवं भारतीय संघ में सम्मिलित किया। इस काम में न तो कहीं सेना का प्रयोग हुआ, न किसी प्रकार का उपद्रव-उत्पात हुआ और न रक्तपात हुआ।

सरदार पटेल, ने इस कार्य में जिस कूटनीतिक कुशलता एवं दृढ़ता का परिचय दिया, उसे लक्ष्य कर कुछ लोगों ने सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत का बिस्मार्क’ कहा। इस सम्बन्ध में लेखक कहता है कि जर्मनी छोटी भोगौलिक सीमा का देश है, वहाँ की जटिलताएँ भी भारत की तरह अधिक नहीं थीं। भारत की विशालता, समस्याओं की गुरुता तथा नेतृत्व की सफलता को देखकर सरदार पटेल को बिस्मार्क कहना कुछ असंगत-सी है, क्योंकि उनकी कार्यकुशलता बिस्मार्क से भी अधिक बड़ी थी।

प्रश्न 3.
सरदार पटेल की अद्भुत सहिष्णुता’ को उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल जब बोरसद में फौजदारी मुकदमों की पैरवी करने में व्यस्त थे, तभी गाँव में उनकी पत्नी का प्लेग से निधन हो गया। उस समय जब वे अदालत में एक मुकदमे की पैरवी कर रहे थे, तो उसी समय उन्हें पत्नी की मृत्यु का तार मिला। यह समाचार अत्यन्त दुःखद एवं असह्य था। किन्तु उन्होंने अपने मुवक्किल को भाग्य भरोसे नहीं छोड़ा और पहले की तरह मुकदमे की पैरवी करते रहे। इस घटना को उन्होंने अदालत के बाद बताया। पत्नी के निधन के समय उनका एक पुत्र एवं एक पुत्री अबोध दशा में थे। तब सरदार पटेल ने दूसरा विवाह नहीं किया और अपनी सन्तान के पालन-पोषण में ध्यान दिया।

बैरिस्टरी करने वे स्वयं पहले नहीं गये, अपितु अपने बड़े भाई को पहले भेजा और परिवार की विपत्तियों को चुपचाप सहन करते रहे। इसी अद्भुत सहिष्णुता के कारण उन्हें ‘लौहपुरुष’ कहा गया। अपने जीवन में अनेक बार उन्हें कष्टों का सामना करना पड़ा, जेल-यात्रा की, स्वाधीनता आन्दोलन के कारण अंग्रेजों के दमनचक्र के आघात झेले, परन्तु सभी दशाओं में अद्भुत सहिष्णुता का परिचय देते रहे।

प्रश्न 4.
राजनीति में प्रवेश से लेकर भारत के गृहमन्त्री बनने तक की पटेल की जीवन-यात्रा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बैरिस्टरी छोड़कर सन् 1916 में राजनीति में प्रवेश किया। सर्वप्रथम गोधरा में बेगार प्रथा हटाने के सम्मेलन में गाँधीजी के साथ हुए। फिर सन् 1918 में खेड़ा के किसानों के सत्याग्रह में सहयोग किया। तत्पश्चात् केन्द्रीय असेम्बली के प्रथम अध्यक्ष बने। सन् 1922 में चौरीचौरा काण्ड के बाद गुजरात में राजनीतिक आन्दोलन का संचालन किया। सरदार पटेल बोरसद सत्याग्रह और नागपुर झण्डा-सत्याग्रह में सम्मिलित हुए और सन् 1924 में अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये। बारडोली सत्याग्रह में वल्लभभाई पटेल को ऐसी सफलता मिली कि उससे वे अखिल भारतीय नेताओं में माने जाने लगे।

उसके बाद सरदार पटेल सभी आन्दोलनों में सक्रिय बने रहे। सन् 1931 के कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष बने, सन् 1937 में सभी प्रान्तों के चुनावों में उन्होंने अथक प्रयास किये। सन् 1945 में सरकार से समझौते की चर्चा में सरदार पटेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही और सन् 1946 में केन्द्र में अन्तरिम सरकार बनी, तो उसमें ये गृहमन्त्री तथा सूचना मंत्री बने। सन् 1947 को पूर्ण स्वतन्त्रता मिलने पर सरदार पटेल पहले की तरह गृह एवं सूचना मंत्री बने तथा सन् 1950 तक अर्थात् जीवनान्त तक उक्त पद पर बने रहे। इस तरह इनकी राजनीतिक यात्रा अविस्मरणीय रही।

प्रश्न 5.
देशी राज्यों के विलय में वल्लभभाई पटेल की क्या भूमिका रही? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सन् 1947 में जब भारत को स्वतन्त्रता-प्राप्त हुई, तो अंग्रेजों ने सभी देशी राज्यों के साथ हुए समझौतों एवं प्रतिबन्धों को समाप्त कर दिया और उन्हें पूरी तरह स्वतन्त्र छोड़ दिया। तब कई देशी राज्य अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने, के सपने देखने लगे। ये देशी राज्य या रियासतें लगभग 600 थीं। अगर उस समय थोड़ी भी ढील दी जाती तो भारत सरकार एवं भारतीय संघ के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती थी। उस समय गृहमन्त्री के रूप में सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता, दृढ़ता एवं दूरदर्शिता का परिचय दिया।

उन्होंने कई छोटे-छोटे राज्यों को आसपास के बड़े राज्यों में मिलाया और कुछ बड़े राज्यों को मिलाकर ‘ख’ श्रेणी के राज्य बनाये और उनके राजा या नवाब को राजप्रमुख बना दिया। हैदराबाद के नवाब के इशारे पर उपद्रव हुए, भारतीय संघ में सम्मिलित होने का विरोध हुआ, तो सरदार पटेल ने सेना भेजकर शान्ति स्थापित की और रियासत के विलय को प्रभावी ढंग से सम्पन्न किया। इस प्रकार सभी देशी राज्यों को भारतीय संघ में विलय करने में सरदार पटेल की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

प्रश्न 6.
वल्लभभाई पटेल ‘सरदार’ कैसे बने? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बारडोली में हर बीस साल बाद भूमि का नया बन्दोबस्त होता था। सन् 1928 में जब बन्दोबस्त हुआ, तो अंग्रेज सरकार ने किसानों के लगान में बीस प्रतिशत वृद्धि कर दी। किसानों ने इस बात का विरोध और सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ किया। सरदार वल्लभभाई ने किसानों का नेतृत्व इस शर्त पर किया कि चाहे सरकार कुचलने का प्रयास करे, जेल में डाले, घरों से सामान उठा ले और स्त्रियाँ व बच्चे भूखों मरें, परन्तु सत्याग्रह से जरा भी विचलित नहीं होना चाहिए।

किसान इन सभी बातों को मानकर सरदार पटेल के नेतृत्व में अडिग रहकर आन्दोलन करते रहे। इस आन्दोलन में गुजरात से बाहर के कांग्रेसियों ने वल्लभभाई पटेल को सहायता देनी चाही, तो उनकी सहायता को अस्वीकार कर उन्होंने अपनी ओर संकेत करते हुए कहा कि बारडोली में केवल एक ही सरदार है, उसकी आज्ञा का पालन, सब लोग करते हैं। भले ही यह बात मजाक में कही गयी थी, परन्तु वल्लभभाई किसानों के लिए ‘सरदार’ ही थे। तब से ही वल्लभभाई पटेल ‘सरदार’ कहलाने लगे और सारे देशभक्तों के सरदार बन गये।

व्याख्यात्मक प्रश्न –

1. सरदार पटेल ………….. को पहचानते थे।
2. देखा यह गया ……………. जा सकते थे।
3. उसके बाद …………… लौट आये।
4. इस आन्दोलन में …………….. कहलाने लगे।
5. सरदार पटेल ……………… पाना कठिन है।
उत्तर:
इन अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या आगे दी जा रही है, वहाँ देखें।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विपत्तियों को चुपचाप सह लेने की क्षमता ने ही वल्लभभाई को बनाया था –
(क) सरदार
(ख) अजेय
(ग) लौहपुरुष
(घ) संघर्षप्रिय
उत्तर:
(ग) लौहपुरुष

प्रश्न 2.
बैरिस्टरी पास करने के बाद सरदार पटेल ने कहाँ पर वकालत प्रारम्भ की?
(क) बम्बई में
(ख) नादियाड में
(ग) सूरत में
(घ) अहमदाबाद में
उत्तर:
(घ) अहमदाबाद में

प्रश्न 3.
गोधरा में किस प्रथा को हटाने के लिए सम्मेलन हुआ था?
(क) बेगार प्रथा
(ख) बन्दोबस्त प्रथा
(ग) लगान प्रथा
(घ) मालगुजारी प्रथा।
उत्तर:
(क) बेगार प्रथा

प्रश्न 4.
सर्वप्रथम केन्द्र में अन्तरिम सरकार का गठन हुआ –
(क) सन् 1931 में
(ख) सन् 1946 में
(ग) सन् 1937 में
(घ) सन् 1942 में
उत्तर:
(ख) सन् 1946 में

प्रश्न 5.
देश की आजादी के समय सरदार पटेल ने कौन-सा काम कुशलता से किया?
(क) साम्प्रदायिक दंगों पर नियन्त्रण
(ख) देशी रियासतों का विलये
(ग) सेना पर कुशल नियन्त्रण
(घ) स्वतन्त्रता आन्दोलन का संचालन
उत्तर:
(ख) देशी रियासतों का विलये

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के स्वाधीन होने पर सरदार पटेल ने कौन-सा कठिन कार्य किया?
उत्तर:
भारत के स्वाधीन होने पर सरदार पटेल ने छः सौ देशी राज्यों का भारतीय संघ में विलय करने का कठिन कार्य किया।

प्रश्न 2.
देश की स्वतन्त्रता का मूल्य कब नहीं रह जाता?
उत्तर:
यदि सभी देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय नहीं होता, तो देश की स्वतन्त्रता का कोई मूल्य नहीं रह जाता।।

प्रश्न 3.
सरदार पटेल के पिता का नाम और उनका स्वभाव बताइए।
उत्तर:
सरदार पटेल के पिता का नाम श्री झवेरभाई था और वे साहसी, धार्मिक तथा दयालु स्वभाव के थे।

प्रश्न 4.
बैरिस्टर बनने से पहले सरदार पटेल ने क्या काम किये?
उत्तर:
बैरिस्टर बनने से पहले सरदार पटेल ने गोधरा में मुख्तारी का काम तथा बोरसद में फौजदारी मुकदमों में वकालत के काम किये।

प्रश्न 5.
इंग्लैण्ड में परीक्षा में सर्वप्रथम रहने पर सरदार पटेल को क्या पुरस्कार मिला?
उत्तर:
परीक्षा में सर्वप्रथम रहने पर सरदार पटेल को पचास पौंड की छात्रवृत्ति और पिछला सारा शुल्क माफ करने का पुरस्कार मिला।

प्रश्न 6.
सरदार पटेल ने किस संस्था की स्थापना की? लिखिए।
उत्तर:
सरदार पटेल ने असहयोग आन्दोलन के समय गुजरात विद्यापीठ नामक संस्था की स्थापना की और उसके लिए दस लाख रुपये एकत्र किये।

प्रश्न 7.
वल्लभभाई पटेल किस आन्दोलन की सफलता के बाद ‘सरदार’ कहलाने लगे?
उत्तर:
बारडोली सत्याग्रह आन्दोलन की सफलता के बाद वल्लभभाई पटेल ‘सरदार’ कहलाने लगे।

प्रश्न 8.
सरदार पटेल अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष कब बने और कितने साल तक रहे?
उत्तर:
सरदार पटेल सन् 1924 ई. में अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष बने और इस पद पर चार साल तक रहे।

प्रश्न 9.
बम्बई में किस जुलूस का नेतृत्व करने पर सरदार पटेल को गिरफ्तार किया गया था?
उत्तर:
बम्बई में लोकमान्य तिलक के जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में जुलूस निकालने और उसका नेतृत्व करने से सरदार पटेल को सरकार ने गिरफ्तार किया था।

प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद सरदार पटेल को कौन-सा मन्त्रिपद दिया गया?
उत्तर:
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद सरदार पटेल को गृह एवं सूचना विभाग का मन्त्रिपद, साथ ही उपप्रधानमंत्री का पद दिया गया।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सरदार पटेल ने बड़े भाई को क्या अनुरोध स्वीकार किया था?
उत्तर:
सरदार पटेल ने बैरिस्टरी की पढ़ाई हेतु विलायत जाने के लिए एक कम्पनी से पत्र-व्यवहार करना शुरू किया। कम्पनी का एक पत्र बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल के हाथ पड़ गया। बड़े भाई ने वल्लभभाई से अनुरोध किया कि पहले मुझे बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड जाने दो। तुम मेरे लौटने के बाद चले जाना। अपने हृदय की तीव्र इच्छा को दबाकर सरदार पटेल ने बड़े भाई का यह अनुरोध स्वीकार किया था। इस कारण पहले विट्ठलभाई बैरिस्टर बने और बाद में वल्लभभाई बने।

प्रश्न 2.
बेगार प्रथा को हटाने में सरदार पटेल का क्या योगदान रहा?
उत्तर:
बेगार प्रथा को हटाने के लिए गोधरा में एक राजनैतिक सम्मेलन हुआ। उसी सम्मेलन में सरदार पटेल और गाँधीजी एक साथ हुए। बेगार प्रथा हटाने के लिए एक संघर्ष समिति बनाई गई, जिसके मंत्री वल्लभभाई पटेल चुने गये। उन्होंने इसके लिए आन्दोलन चलाया, जिसमें सभी का सहयोग मिला। कुछ दिनों तक बेगार प्रथा उन्मूलने का आन्दोलन करने से बेगार प्रथा को समाप्त करवा दिया। इस प्रकार उसमें सरदार पटेल का प्रमुख योगदान रहा।

प्रश्न 3.
कांग्रेस पार्लियामेन्टरी बोर्ड का प्रधान बनने पर सरदार पटेल ने क्या कार्य किये?
उत्तर:
सन् 1934 ई. में जेल से छूटने के बाद सरदार पटेल को कांग्रेस पार्लियामेन्टरी बोर्ड का प्रधान बनाया गया। अंग्रेज सरकार ने दमनचक्र छोड़कर सुलह का मार्ग अपनाया और नये संविधान के अनुसार सभी प्रान्तों में चुनाव करवाये । इन चुनावों में सरदार पटेल ने सारे देश में दौरे किये और जगह-जगह पर भाषण दिये। इनके प्रयासों से कांग्रेस को सात प्रान्तों में भारी विजय मिली और कांग्रेसी मंत्रिमण्डल बने, जिन्होंने शासन में अनेक सुधार क्रिये। इस तरह सरदार पटेल ने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये।

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय यदि सरदार पटेल गृहमन्त्री न होते, तो सरकार के लिए क्यों मुसीबत बन जाती?
उत्तर:
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय अंग्रेजों ने देशी राज्यों के साथ हुए अपने समझौते एवं सन्धियाँ समाप्त कर दीं। ये राज्य अब अपने भविष्य का निर्णय करने में पूर्ण स्वतन्त्र थे। जो देशी राज्य अंग्रेजों के समय उनके पिट्ठू बनकर रह रहे थे, वे अब प्रभुसत्तासम्पन्न स्वतंत्र राज्य बनने के सपने देखने लगे थे। ये राज्य यदि हैदराबाद के रजाकारों की तरह उपद्रव पर उतर आते और स्वतन्त्र रहने का दुराग्रह करते, तो भारत सरकार के सामने भारी मुसीबत आ जाती। तब नव-स्वतन्त्र देश का फिर से विघटन हो जाता। उस समय सरदार पटेल ने गृहमंत्री के रूप में इस मुसीबत का कुशलता से समाधान निकाला।

प्रश्न 5.
सरदार वल्लभभाई पटेल को ‘बर्फ से ढका हुआ ज्वालामुखी किसने और किस कारण कंहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल शक्ति के पुंज थे। वे जो काम प्रारम्भ करते थे, उसे पूरी दक्षता से पूरा कर देते थे। उनकी शक्ति तब तक प्रकट नहीं होती थी, जब तक उनके सामने कोई बाधा अथवा चुनौती नहीं आती थी, किन्तु बाधा या चुनौती आते ही वे कठोर और अजेय बनकर स काम को प्रखरता से पूरा कर देते थे। उनकी इसी विशेषता को लक्ष्य कर स्वतन्त्रत आन्दोलन के प्रमुख नेता मौलाना . शौकतअली ने उन्हें ‘बर्फ से ढका हुआ ज्वालामुखी’ कहा था। उनके लिए यह उपमा पूरी तरह उचित और उनके व्यक्तित्व की परिचायक थी।

RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“सरदार पटेल शक्ति के पुंज थे।” इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल के व्यक्तित्व में अनेक विशेषताएँ थीं। वे विद्यार्थी-जीवन से ही साहसी और संघर्षशील थे। इस कारण वे अन्याय का डटकर । विरोध करते थे। उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश लेकर अनेक आन्दोलनों का सफल नेतृत्व किया। उदाहरण के लिए बेगार प्रथा रोकने, खेड़ा जिले में किसानों की लगान रोकने, बारडोली में बन्दोबस्त का विरोध करने, लोकमान्य तिलक के जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में विशाल जुलूस निकालने, बोरसद के सत्याग्रह तथा नागपुर के झण्डासत्याग्रह में नेतृत्व करने और गाँधीजी के असहयोग व सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने आदि विभिन्न अवसरों पर सरदार पटेल ने अपनी क्षमता और दूरदर्शिता का परिचय दिया।

सरदार पटेल कम बोलते थे, परन्तु जब बोलते थे, तो प्रखरता से बोलते थे। इसी प्रकार वे जब तक बाधाएँ नहीं आती थीं, अन्याय नहीं होता था या कोई कठिन स्थिति नहीं आती थी, तो वे शान्त रहते थे, परन्तु बाधा, अन्याय या कठिन स्थिति दिखाई देते ही वे मुखर हो जाते थे और चट्टान की भाँति कठोर एवं अजेय बन जाते थे। तब लौहपुरुष का दृढ़-प्रखर रूप तथा सरदार का शक्ति-पुंज उभर आता था। इसी विशेषता के कारण उन्हें बर्फ से ढका हुआ ज्वालामुखी’ और ‘शक्ति को पुंज’ माना जाता था।

रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न –

प्रश्न 1.
सत्यकाम विद्यालंकार के व्यक्तित्व-कृतित्व का परिचय दीजिए।
उत्तर:
श्री सत्यकाम विद्यालंकार प्रारम्भ से ही अध्ययन-लेखने में रुचिशील थे। इन पर आर्य समाज का प्रभाव था। स्वतन्त्रता आन्दोलन का प्रभाव भी इन पर था। इन्होंने सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक आदि अनेक विषयों को लेकर पर्याप्त मात्रा में साहित्य-रचना की। ये सन् 1950 से 1960 तक धर्मयुग के सम्पादक रहे। इन्होंने अनेक महापुरुषों के जीवन-वृत्त लिखे, तो वेद-विषयक स्वकीय चिन्तन-मनन भी शब्दबद्ध किया। भारतीय आदर्शों एवं मानवीय मूल्यों की इन्होंने संशक्त व्यंजना की। है। इस कारण इनके लेखन में मानवतावादी चेतना की मुखरता दिखाई देती है।

कृतित्व या रचनात्मक दृष्टि से सत्यकाम विद्यालंकार ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया। इनकी प्रतिनिधि रचनाएँ हैं-‘जीवन-साथी’, ‘चरित्र-निर्माण’, ‘राष्ट्रपुरुष’, ‘सीमा’, ‘गीतांजलि’, ‘सफल जीवन’, ‘वेद-पुष्पांजलि’ तथा ‘ऋग्वेद संहिता’ नौ भाग। ‘धर्मयुग’ एवं ‘नवनीत’ पत्रों में इनके कई लेख एवं सम्पादकीय | प्रकाशित हुए हैं। उनसे भी इनके कृतित्व का परिचय मिल जाता है। संक्षेप में कहा
जा सकता है कि इन्होंने गद्य-विधा में अनेकानेक विषयों पर काफी लिखा है।

अजेय लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल लेखक परिचय-

बहुमुखी प्रतिभा के धनी सत्यकाम विद्यालंकार का जन्म सन् 1905 में लाहौर में हुआ था। इन्होंने सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक आदि सभी विषयों पर लेखनी चलायी। ये दस वर्ष तक धर्मयुग के तथा दो वर्ष तक नवनीत के सम्पादन-कार्य से जुड़े रहे। इनका रचना-कर्म काफी व्यापक और अनेकानेक विषयों से सम्बन्धित है। इनका विशिष्ट कृतित्व ऋग्वेद संहिता का नौ भागों में भाष्य-विश्लेषण है जो कि सांस्कृतिक दृष्टि से प्रशस्य है। इन्होंने वैदिक साहित्य का काफी अनुशीलन किया है। साथ ही चरित्र-निर्माण एवं राष्ट्रीय पुरुषों से सम्बन्धित प्रचुर साहित्य रचा है।

पाठ-सार

अजेय लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल’ जीवनी अंश में सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। इसका सार इस प्रकार है देशी रियासतों का एकीकरण- स्वतन्त्रता- प्राप्ति के समय लगभग छः सौ देशी रियासतों को सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से भारतीय संघ में सम्मिलित कराया, केन्द्रीय शासन को मजबूत बनाया।

सरदार पटेल का जन्म-सरदार पटेल का जन्म गुजरात के नादियाड़ ताल्लुके के करमसद गाँव में सन् 1875 ई. में हुआ। इनके पिता श्री झवेर भाई एक साधारण किसान थे, जो कि साहसी एवं धार्मिक प्रवृत्ति के थे।

साहसी एवं संघर्षप्रिय-वल्लभभाई बचपन से ही साहसी थे। इन्होंने बड़ौदा से मैट्रिक पास की और पहले गोधरा में मुख्तारी का काम शुरू किया, फिर बोरसद जाकर फौजदारी मुकदमों की पैरवी करने लगे। इनका विवाह अठारह वर्ष की आयु में हुआ। कुछ काल के बाद पत्नी का असामयिक निधन हुआ। पत्नी एक पुत्र और एक पुत्री छोड़कर गई थी। इन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया। अद्भुत सहिष्णुता-वल्लभभाई एक कम्पनी की सहायता से विलायत गये। वहाँ पर बैरिस्टरी पास की और भारत लौटकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।

राजनीति में प्रवेश-सन् 1919 में वल्लभभाई सत्याग्रह आन्दोलन में सम्मिलित हो गये। गोधरा में बेगार प्रथा समाप्त करने का कठिन कार्य किया। फिर अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये। बारडोली के किसान आन्दोलन में सफल रहे। नमक कानून तोड़ने का आन्दोलन चला, तो उसमें जुलूस का नेतृत्व कर जेल गये।

कांग्रेस के अध्यक्ष-सन् 1931 में कांग्रेस अधिवेशन में इन्हें अध्यक्ष बनायो गया। सन् 1937 में नये विधान के अनुसार चुनाव हुए, उसमें सरदार पटेल ने अथक प्रयास कर कांग्रेस को विजयी बनाया।

भारत के गृहमन्त्री-भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण ये सन् 1945 तक जेल में रहे। सन् 1946 में अन्तरिम सरकार का गठन हुआ, तो ये गृह तथा सूचना विभाग के मंत्री बने। जीवनान्त-भारत को स्वतन्त्रता मिलने पर वल्लभभाई पटेल ने गृहमन्त्री के रूप में सभी देशी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने का कठिन कार्य किया। ये लौहपुरुष थे, जनता के सरदार थे। सन् 1950 ई. में इनका स्वर्गवास हो गया।

कठिन शब्दार्थ-

रक्तपात = खून बहाना। वज्र = कठोर, इन्द्र के वज्र- समान। संक्रान्ति = संक्रमण काल। विकट = अत्यन्त कठिन। मुख्तारी = मुकदमा लड़ने का पेशा। कटिबद्ध = कमर कसना। मुवक्किल = वकील का आसामी। धनोपार्जन = धन कमाना। बन्दोबस्त = जमीन की माप एवं भूमिकर आदि का निर्धारण। कॉन्फ्रेंस = सम्मेलन। खिल्ली उड़ाना = मजाक बनाना। अन्तरिम = मध्यवर्ती। हस्तक्षेप = अनावश्यक दखल। दूरदर्शिता = समझदारी। राजप्रमुख = राज्य या प्रदेश का प्रमुख व्यक्ति, राज्यपाल जैसा। आधिक्य = अधिकता।

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