RBSE Class 11 Hindi व्याकरण समानार्थी शब्द

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi व्याकरण समानार्थी शब्द

समानार्थी शब्द
हिन्दी भाषा के अन्तर्गत कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनको सामान्य रूप से देखने पर वे समान अर्थ वाले प्रतीत होते हैं, किन्तु उनमें अर्थ के स्तर पर सूक्ष्म अन्तर होता है अर्थात् अर्थगत भिन्नता होता है। ऐसे शब्द समानार्थी शब्द कहलाते हैं। हिन्दी भाषा के कुछ महत्त्वपूर्ण समानार्थी शब्द यहां दिए जा रहे हैं

1. अधर्म – ऐसा कार्य जो धर्म के प्रतिकूल हो।
अन्याय – न्याय के विरुद्ध, अनुचित अत्याचार।

2. अज्ञ – अज्ञानी।
मूर्ख – उपदेश देने पर भी जिसे ज्ञान प्राप्त न हो।
अनभिज्ञ – जिसे किसी वस्तु विशेष का ज्ञान न हो।

3. अज्ञात – जिसके बारे में कोई जानकारी न हो।
अज्ञेय – जिसके बारे में प्रयास करने पर भी न जाना जा सके।

4. आवश्यकता – ऐसी वस्तु की चाह करना, जो किसी प्रकार से प्राप्त की जा सके।
इच्छा – ऐसी कल्पनाएँ, जिनका पूर्ण होना जरूरी नहीं।

5. आराधना – मन की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए किसी देवी–देवता की सेवा–पूजा।
उपासनी. – उपवास पूजा आदि करना जिससे कि इष्ट देव की कृपा अर्जित हो सके।

6. आधि – मस्तिष्क संबंधी बेचैनी।
व्याधि – वह व्यथा जो शरीर से संबंधित हो।

7. आदरणीय – बड़ों के लिए आदरसूचक शब्द, आदर कहने योग्य।
पूज्य – वह सम्मान सूचक शब्द, जो अपने गुरु, माता–पिता एवं अग्रज हेतु उपयोग किया जाता है।

8. अनुभव – प्रयोग द्वारा अर्जित ज्ञान।
अनुभूति – जो ज्ञान इन्द्रियों के द्वारा प्राप्त हुआ हो।

9. आगामी – आने वाला।
भावी – होने वाला।

10. आचार। – चाल–चलन एवं चरित्र संबंधी कार्य।
व्यवहार – वह आचार व्यवहार जो दूसरों के साथ किया जाता है।

11. अनुमोदन – किसी कार्यवाही या कथन पर सहमति।
समर्थन – किसी के प्रस्ताव, विचारं पर सहमति देना।

12. अच्छाई। – किसी व्यक्ति, वस्तु में गुण।
भलाई किसी व्यक्ति के हित का कार्य

13. आपत्ति – अचानक आया संकट जिसके निवारण का प्रयत्न किया जाये।
विपत्ति – भारी आपत्ति, प्राकृतिक आपदा जिससे बचने का उपाय सहज न हो।

14. प्रार्थना – अपने से बड़ों को किसी कार्य को करने का निवेदन।
आग्रह – कार्य करवाने के लिए अधिकार भाव से, थोड़ी जिद्द के साथ निवेदन।

15. अस्त्र – फेंक कर चलाए जाने वाला हथियार जैसे तीर, गोला।
शस्त्र – हाथ में रखकर चलाए जाने वाली हथियार जैसे तलवार।

16. अनुराग – नि:स्वार्थ प्रेम।
आसक्ति – सांसारिक वस्तुओं के प्रति आकर्षण।

17. अनुसंधान – किसी दिए गए मामले की अधिकाधिक छानबीन करके गुप्त रहस्यों को खोज निकालना।
आविष्कार – ऐसी चीज का निर्माण, जो पहले से विद्यमान न हो।
अन्वेषण – पहले से विद्यमान वस्तु की खोज।

18. संस्कृति – आध्यात्मिक, अनुशासनात्मक एवं धार्मिक चाल–चलन।
सभ्यता – वह स्थिति जिसमें कि चाल–चलन एवं रहन–सहन के स्तर को उच्च बनाने हेतु प्रयास किया गया हो।

19. समय – काल विशेष।
अवधि – मियाद, काल या निश्चित भाव।

20. स्पर्धा – मन की वह इच्छा, जो किसी से अधिक उन्नति करने की हो।
द्वैष – दुश्मनी के फलस्वरूप उत्पन्न मन में विरोधी भाव।
ईष्र्या – दूसरे की उन्नति देख कर उसे सहन न कर सकना।

21. परिश्रम – मस्तिष्क एवं शरीर से मेहनत करना।
श्रम – हाथ पैरों की मेहनत।
आभास – मस्तिष्क संबंधी मेहनत।

22. भक्ति – ईश्वर के प्रति प्रेम भाव।
श्रद्धा – अपने से बड़ों के प्रति पूज्य भाव।

23. दीक्षा – आचार्य द्वारा प्रदत्त मंत्र एवं उपदेश आदि।
शिक्षा। – पढ़ने एवं सिखाने का कार्य।

24. मुनि – धार्मिक तत्त्वों के विश्लेषणकर्ता एवं सत्य–असत्य के विचारक।
ऋषि – भौतिक एवं आध्यात्मिक तत्त्वों के पूर्णरूपेण विश्लेषक एवं वेद मन्त्रों के ज्ञाता।

25, आश्चर्य – अप्रत्याशित वस्तु से घटित होने पर मन के भाव।
चमत्कार – आश्चर्यजनक एवं सराहनीय चीजें।
विस्मय – अत्यन्त ही असमंजस में पड़ जाना।

26. विशेषज्ञता – निश्चित विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त कर लेना।
विशेषता – सामान्य से अधिक भाव अथवा धर्म।

27. चिकित्सालय – उपचार अथवा रोगों का इलाज किए जाने का स्थान।
औषधालय – दवाएँ रखे जाने का स्थान।

28. कुख्यात – कुत्सित कार्यों के फलस्वरूप मशहूर।
विख्यात – अच्छे कार्यों के लिए प्रसिद्ध।

29. क्षमता। – बनाए रखने की शक्ति, ग्राह्य सामर्थ्य आदि को कहते हैं।
योग्यता – मानसिक अथवा शारीरिक शक्ति को काम में लाने की योग्यता।

30. सचिव – व्यक्तिगत कार्य हेतु सहायता करने वाला पुरुष, राज्य के सचिवालय का उच्च अधिकारी।
मंत्री – केन्द्र एवं राज्य से मंत्रिमंडल के सदस्यों के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द।

31. प्रणाम – अपने से बड़ों के प्रति की जाने वाली दण्डवत।
नमस्कार – अपनी समता के लोगों से की जाने वाली नमस्ते।

32. तदा – नींद की अर्द्ध–अवस्था, ऊंघना।
निद्रा – सौ जाना।

33. अशिक्षित – बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति।
निरक्षर – वह जो न तो पढ़ना जानता हो न लिखना।

34. दुःख – दुर्घटना एवं अन्य प्रकार की हानि द्वारा उत्पन्न मन को भाव।
खेद – वह भांव जिसकी अनुभूति किसी काम के न कर सकने पर होती है।

35. स्नेह – वह लगाव जो अपने से छोटों के प्रति होता है।
प्रेम – गहरा लगाव, पर हित–चिन्तन।

36. क्लेश – दु:ख (मानसिक कष्ट) क्रोध, चिंता आदि।
पीड़ा – शारीरिक कष्ट।

37. पारितोषिक – किसी अच्छे कार्य हेतु दिया जाने वाला इनाम जिसमें व्यक्ति को प्रोत्साहित करने का भाव रहता है।
पुरस्कार – इनाम, इसमें व्यक्ति को सम्मानित करने का भाव रहता

38. ग्लानि – पश्चात्ताप, अपने किसी कार्य पर उत्पन्न खेद।
लज्जा – अपने किसी अनुचित आचरण के कारण हुई मन की संकोचपूर्ण अवस्था।

39. क्रोध – गुस्सा, किसी प्रतिकूल कार्य के लिए बदला लेने का भाव
दोष – विरोध लड़ने का उत्साह।

40. उदाहरण – किसी बात को समझाने के लिए या अनुकरण करने के लिए प्रस्तुत की गई कोई स्थिति।
दृष्टान्त – किसी बात के प्रमाणीकरण के लिए वैसी ही किसी दूसरी स्थिति की प्रस्तुति।

41. कृपा – दूसरे के दुःख निवारण हेतु साधारण प्रयत्न।
दया – दूसरे के दुःख निवारण हेतु स्वाभाविक इच्छा।

42. कंगाल – अत्यधिक गरीब जिसे भोजन के भी लाले पड़े।
दीन – गरीबी के कारण दया का पात्र।

43. महोदय – अपने से बड़ों व अधिकारियों के लिए प्रयोग।
महाशय – सामान्य सम्माननीय लोगों के लिए संबोधन।

44. यातना – शारीरिक आघात से उत्पन्न अनुभूति।
यंत्रणा – मानसिक प्रतिकूलताओं से उत्पन्न गहरा दु:ख।

45. विलाप – विरह अथवा शोक के कारण किया जाने वाला रुदन।
प्रलाप – मानसिक सन्तुलन बिगड़ने से की जाने वाली निरर्थक बातें।

46. भ।ष्य – किसी कृति की विवेचनात्मक व्याख्या।
टीका – किसी पद्य रचना के भावार्थ की प्रस्तुति।

47. सृजन – किसी नवीन, मौलिक, कलात्मक वस्तु, साहित्य, स्थिति का निर्माण।
उत्पादन – किसी स्थूल वस्तु का निर्माण जिसमें मौलिकता नवीनता की आवश्यकता नहीं होती तथा उत्पादक के व्यक्तित्व की छाप भी नहीं होती।

48. प्रज्ञा – अन्तर्दृष्टि से सम्पन्न बुद्धि।
प्रतिभा – प्रकृति से ही प्राप्त योग्यता या क्षमता।

49. कविता – किसी कवि की एक छोटी काव्य–रचना।
काव्य – किसी कवि की समस्त कविताएँ।

50. विकास – व्यक्ति, समाज का विकास। सीमा का विस्तार, राज्य का विस्तार।

अभ्यास प्रश्न
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्त्री–पत्नी’ एकार्थी शब्दों का वाक्य प्रयोग कर अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. स्त्री–हमारे देश में स्त्री समाज अभी तक पिछड़ा हुआ है।
  2. पत्नी–सीता रामचन्द्रजी की पत्नी थी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को भिन्न–भिन्न वाक्यों में इस प्रकार प्रयुक्त कीजिए। कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए–कृपा–दया।
उत्तर:
कृपा–महापुरुष अपने अनुयायियों पर सदैव कृपा रखते हैं। दयो–भिखारी की दुर्दशा देखकर दया आ ही जाती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समानार्थी शब्दों का स्वरचित वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए–श्रद्धा–भक्ति।
उत्तर:
श्रद्धा–सत्य, अहिंसा और मानव–प्रेम के कारण गाँधीजी पर सभी लोग श्रद्धा रखते थे।
भक्ति–आस्तिक व्यक्ति ईश्वर–भक्ति में प्रवृत्त होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित समानार्थी शब्दों में अर्थगत अन्तर बताइये।
(क) अवस्था–आयु
(ख) निन्दा–आलोचना।
उत्तर:
(क) अवस्था–आयु का एक भाग। आयु–सम्पूर्ण उम्र।
(ख) निन्दा–केवल दोषों को बखान करना।
आलोचना–गुण दोषों का समान रूप से विश्लेषण करना।

प्रश्न 5.
‘नाप’ और ‘माप’ शब्दों के अर्थ बताइये।
उत्तर:
नाप–लम्बाई–चौड़ाई में नापना, जैसे—कपड़े को नापना।
माप–वजन या दूध आदि तरल पदार्थ को मापना।

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