RBSE Class 11 Hindi व्याकरण शब्द-विचार

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi व्याकरण शब्द-विचार

शब्द-विचार
शब्द की परिभाषा-एक या एक से अधिक वर्षों से बने तथा सार्थक ध्वनि या वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं। बोलने या लिखने में प्रायः स्वतन्त्र रूप से प्रयुक्त होने वाली ध्वनि या वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं। जैसे—आदमी, किन्तु आदि।

वाक्य की रचना सार्थक शब्दों के द्वारा होती है। शब्द ही समस्त साहित्य रचना का आधार है। इस कारण व्याकरण के द्वारा शब्द के प्रायोगिक स्वरूप को ज्ञान होता है।

शब्द के भेद
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके शब्द-भण्डार या शब्द-सम्पदा से मालूम पड़ती है। जिस भाषा का शब्द-भण्डार विशाल होता है, वह उतनी ही अधिक समुन्नत एवं विकसित मानी जाती है। हिन्दी हमारी राष्ट्र-भाषा है। हिन्दी के शब्दभण्डार में विविध प्रकार के शब्द पाये जाते हैं। सामान्यतः अर्थ, ध्वनि, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति, रूप-परिवर्तन और वाक्य-प्रयोग के अनुसार शब्दों के भेद माने जाते हैं। हिन्दी के प्रमुख शब्द-भेद इस प्रकार हैं
1. अर्थ के आधार पर शब्द-भेद-अर्थ की दृष्टि से शब्द दो प्रकार के होते हैं-
(1) सार्थक और निरर्थक। वाक्य रचना में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग होता है। सार्थक शब्दों के प्रमुख रूप से निम्नलिखित भेद होते हैं

  1. एकार्थी शब्द-जिन शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं। जैसे—दिन, लड़का, पहाड़, नदी आदि।
  2. अनेकार्थी शब्द-जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक होते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इनका प्रयोग अलग-अलग अर्थ में प्रसंगानुसार किया जाता है । जैसे–अज, कर, सारंग, हरि आदि।
  3. पर्यायवाची शब्द-वे शब्द जिनका अर्थ समान होता है अर्थात् किसी शब्द के समान अर्थ की प्रतीति कराने वाले शब्द पर्यायवाची कहलाते हैं। जैसे—आग, अनल, पावक, हुताशन, कृशानु, दहन आदि शब्द ‘अग्नि’ के समानार्थी हैं। अतः यह शब्द ‘अग्नि’ के पर्यायवाची शब्द हैं।
  4. विलोम शब्द-एक-दूसरे का विपरीत अर्थ देने वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते हैं। जैसे—अच्छा-बुरा, अमृत-विष, जय-पराजय आदि।
  5. सम उच्चारित शब्द या युग्म शब्द-ऐसे शब्द जिनका उच्चारण समान प्रतीत होता है किन्तु उनका अर्थ पूरी तरह से भिन्न होता है। ऐसे शब्दों को समोच्चारित शब्द-युग्म अथवा युग्म-शब्द कहते हैं। जैसे–आदि-आदी। यहाँ आदिआदी शब्द उच्चारण में समान हैं लेकिन अर्थ की दृष्टि से आदि का अर्थ प्रारम्भ, प्रथम आदि से है और आदी का अर्थ अभ्यस्त से है।
  6. शब्द-समूह के लिए एक शब्द-जब किसी वाक्य, वाक्यांश या समूह का तात्पर्य एक शब्द द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है अथवा ‘एक शब्द’ में उस वाइयांश का अर्थ निहित हो, उसे ‘शब्द-समूह’ के लिए एक शब्द कहते हैं। जैसेबुरी संगत में रहने वाला = कुसंगी। पीछे-पीछे चलने वाला ‘अनुगामी’ आदि।

2. ध्वनि के आधार पर शब्द-भेद-वर्ण या मूल ध्वनियों के मेल से शब्द की रचना होती है। इसे दृष्टि से शब्द के दो भेद होते हैं—

  1. वर्णात्मक शब्द-जिस शब्द के वर्षों का अलग-अलग स्पष्ट उच्चारण किया जा सके, उसे वर्णात्मक शब्द कहते हैं। जैसे—आज, मानव, अमर आदि।
  2. ध्वन्यात्मक शब्द-जिन शब्दों का विभाजन नहीं किया जा सके और किसी ध्वनि के अनुकरण पर उनकी रचना होवे, वे ध्वन्यात्मक शब्द कहलाते हैं। जैसे-नगाड़े की टंकार, वीणा की झंकार आदि।

3. प्रयोग के आधार पर-प्रयोग अथवा रूप परिवर्तन के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं

  1. विकारी-जिनमें लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तन हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं।
  2. अविकारी या अव्यय शब्द-वे शब्द जिनका लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तन नहीं होता है, अविकारी या अव्यय शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। इसलिए इन्हें अव्यय कहा जाता है। अविकारी शब्दों में क्रिया विशेषण, सम्बन्ध-बोधक, समुच्चय-बोधक तथा विस्मयादि बोधक आदि अव्यय शब्द आते हैं।

4. व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद-विद्वानों ने व्युत्पत्ति या रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद माने हैं

  1. रूढ़-जो शब्द दूसरे शब्दों के योग से नहीं बनते हैं, वे विशेष अर्थ देने वाले शब्द रूढ़ कहलाते हैं। इन शब्दों की निर्माण प्रक्रिया भी ज्ञात नहीं होती है। इनका कोई अन्य अर्थ भी नहीं होता है। जैसे—दूध, गाय, रोटी, दीपक, देवता आदि।
  2. यौगिक शब्द-वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दांशों के योग से बनते हैं, यौगिक कहलाते हैं। समस्त संधि, समास, उपसर्ग एवं प्रत्यय से बने शब्दं यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे—विद्यालय (विद्या + आलय), प्रतिदिन (प्रति + दिन), दूधवाला (दूध + वाला) आदि।
  3. योगरूढ़ शब्द-जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं। और साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ देते हैं, उन्हें योगरूढ़ कहते हैं। जैसेपीताम्बर शब्द ‘पीत’ (पीला) + ‘अंबर’ (वस्त्र) के योग से बना है किन्तु अपने मूल अर्थ से इतर इस शब्द का अर्थ ‘विष्णु’ रूढ़ है। इसी प्रकार दशानन, लम्बोदर, घनश्याम आदि शब्द योगरूढ़ हैं।

5. उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद-हिन्दी भाषा में बोले जाने वाले शब्द अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न माने जाते हैं। इस दृष्टि से हिन्दी में चार प्रकार के शब्द प्रायः प्रयुक्त होते हैं–

(i) तत्सम शब्द,
(ii) तद्भव शब्द,
(iii) देशज शब्द,
(iv) विदेशज या आगत शब्द।

(i) तत्सम शब्द-संस्कृत के जो शब्द अपना रूप परिवर्तन किये बिना हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं, वे ‘तत्सम’ कहलाते हैं। ‘तत्’ का तात्पर्य उसके’ और ‘सम’ का तात्पर्य ‘समान होता है। इसलिए तत्सम’ का तात्पर्य ‘उसके समान’ अर्थात् संस्कृत के समान हुआ। आजकल हिन्दी में तत्सम शब्दों का प्रचलन अधिक होने लगा है। जैसे—भानु, प्राण, कर्म, कोटि, वारि, अग्नि आदि।
(ii) तद्भव शब्द-जिन शब्दों का मूल तो संस्कृत में है, परन्तु मध्यकालीन भाषाओं में बदले हुए रूप प्रयुक्त होते हुए जो शब्द हिन्दी में भी प्रयोग होने लग गये हैं, वे तद्भव कहलाते हैं अर्थात् संस्कृत के वे विकृत शब्द जो प्राकृत और अपभ्रंश में प्रयुक्त होते हुए हिन्दी भाषा तक पहुँच गए हैं, तद्भव हैं। जैसे—काम, आग, कबूतर, हाथ, साँप आदि।

तत्सम एवं तद्भव शब्द
यहाँ कुछ तत्सम और तद्भव शब्दों के उदाहरण दिये जा रहे हैं
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(iii) देशज शब्द-जिन शब्दों का निर्माण संस्कृत या तत्सम शब्दों से न होकर क्षेत्रीय प्रभाव से परिस्थिति या आवश्यकतानुसार हुआ है, ऐसे निर्मित एवं प्रचलित शब्द ‘देशज’ कहलाते हैं। प्रायः ग्रामीण या आदिवासी क्षेत्रों में देशज शब्दों का प्रयोग होता रहता है जो कि धीरे-धीरे सर्वत्र प्रचलित हो जाते हैं, जैसे

  • कोल, भील, संथाल आदि जातियों से आये शब्द-कोड़ी, बाजरा, लकड़ी, भिंडी आदि।
  • द्रविड़ जातियों से आये शब्द-डोसा, इडली, काँच, कुटी, चिकना, लुंगी आदि।
  • सामान्य रूप से गढ़े गये शब्द-खचाखच, थैला, खिड़की, खर्राटा, चुटकी, लागू आदि।

(iv) विदेशज या आगत शब्द-जो विदेशी भाषाओं के शब्द विदेशी जातियों के सम्पर्क में आने से हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होने लग गए हैं, वे ‘विदेशज’ या ‘आगत’ शब्द कहलाते हैं। हिन्दी में अंग्रेजी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, चीनी, डच, जर्मनी, रूसी, जापानी, तिब्बती, यूनानी भाषा आदि के शब्द प्रयुक्त होते हैं। जैसे

अंग्रेजी भाषा के कुछ शब्द-लाटरी, रेल, राशन, मेम्बर, मोटर, मिनट, मैनेजर, मशीन, बिस्कुट, फुटबॉल, पोस्ट कार्ड, डेस्क, चाकलेट, गैस, कॉलेज, स्कूल, सूटकेस, सरकस, लेबल, मील, मास्टर, बोतल, बुश, बम, फरवरी, प्लेटफार्म, पेंसिल, पॉकेट, पॉलिश, अगस्त, अक्टूबर, अपील, कूपन, कमेटी, टिफिन, टीन, डायरी, ड्राइवर, रेडियो, बस आदि।

फारसी भाषा के कुछ शब्द-शादी, बर्फ, बाग, बाजार, बीमार, प्याला, नमक, दरबार, दफ्तर, दुकान, जमींदार, चिलम, चालाक, चश्मा, चपरासी, खून, अनार, गंदगी, चुगली, जागीरदार, जबरदस्ती, जनाना, जादू, जहाज, नगीना, नमूना, फासला, बीमा, मस्ती, मुर्दा, शिकार, शेर, शानदार, सब्र आदि।

तुर्की भाषा के कुछ शब्द-उर्दू, कलगी, चकमक, बहादुर, कुली, कैंची, लाश, बारूद, बीबी, दरोगा, बेगम, आका, मशालची, गलीचा, खाना, खजांची, चाकू, तमगा और तोप आदि।
अरबी भाषा के कुछ शब्द-वकील, आम, अमीर, रिश्वत, आदत, मीनार, ऐनक, फकीर, नखरा, औलाद, नजर, तहसीलदार, कद, कत्ल, कदम, करामात, कलई, कमाई, कलम, काजी, कानून, कैदी, कुरान, खजाना, खत, खुफिया, जवाहरे, तहसील, मदद, लिफाफा आदि।

पुर्तगाली भाषा के कुछ शब्द-अचार, कमीज, अल्मारी, नीलाम, काफी, तम्बाकू, मिस्री, आलपीन, कम्पास, कारतूस, गमला, तौलिया, पीपा, फालतू, साबुन आदि।

फ्रांसीसी भाषा के कुछ शब्द-इंजीनियर, बिगुल, पुलिस, कयूं, इंजन, कार्टून, जाकिट आदि।

चीनी भाषा के कुछ शब्द-तूफान, पटाखा, लीची, चाय आदि।
यूनानी भाषा के कुछ शब्द-डेल्टा, ऐटम, टेलीफोन, टेलीग्राम आदि।
रूसी भाषा के कुछ शब्द-जार, रूबल, स्पूतनिक, बुजुर्ग, लूना आदि।

(v) संकर शब्द-हिन्दी में वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना लिए गए हैं, वे संकर शब्द कहलाते हैं, जैसे-
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हिन्दी में अंग्रेजी और अरबी-फारसी के शब्दों का काफी प्रयोग हो रहा है। कुछ ऐसे भी शब्द प्रयुक्त हो रहे हैं जो विभिन्न भाषाओं के मिश्रण से अथवा ध्वनि के । अनुकरण पर बने हुए हैं। इन सब शब्दों को हिन्दी भाषा अपने में समेटकर शब्दभण्डार में वृद्धि कर रही है।

अभ्यास प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्गों से बने सार्थक वर्ण-समूह को कहते हैं
(क) पद
(ख) वाक्य
(ग) शब्द
(घ) भाषा।
उत्तर:
(ग) शब्द

प्रश्न 2.
अर्थ की दृष्टि से शब्द के भेद होते हैं।
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो

प्रश्न 3.
‘अनेकार्थी शब्द-भेद हैं
(क) रचना के आधार पर
(ख) प्रयोग के आधार पर
(ग) अर्थ के आधार पर
(घ) उत्पत्ति के आधार पर।
उत्तर:
(ग) अर्थ के आधार पर

प्रश्न 4.
तत्सम शब्द है
(क) भाग
(ख) पिपासा
(ग), ईख
(घ) आम्।
उत्तर:
(ख) पिपासा

प्रश्न 5.
तद्भव शब्द है
(क) धैर्य
(ख) लज्जो
(ग) शय्या
(घ) जौबन।
उत्तर:
(घ) जौबन।

प्रश्न 6.
देशज शब्द है–
(क) अचार
(ख) अमीर
(ग) काँच
(घ) सपना।
उत्तर:
(ग) काँच

प्रश्न 7.
योगरूढ़ शब्द है–
(क) गजानन
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रतिदिन ।
(घ) पुस्तकालय।
उत्तर:
(क) गजानन

अतिलघूत्तरात्मक एवं लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्णात्मक शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस शब्द के वर्गों को अलग-अलग स्पष्ट उच्चारण किया जा सके, उसे वर्णात्मक शब्द कहते हैं।

प्रश्न 2.
विकारी शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिनमें लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार विकार होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।

प्रश्न 3.
रूढ़ शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो शब्द दूसरे शब्दों में योग से नहीं बनते हैं, वे विशेष अर्थ देने वाले शब्द रूढ़ कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
आग, जीभ, प्यास और कोन शब्द का तत्सम रूप लिखिए।
उत्तर:
आग = अग्नि। जीभ = जिह्वा । प्यास = पिपासा । कान = कर्ण।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिएभ्रू, छिद्र, काष्ठ, मस्तक, सूर्य, दुग्ध।
उत्तर:
भू-भौं छिद्र-छेद। काष्ठ–काठ। मस्तक—माथा । सूर्य-सूरज। दुग्ध-दूध।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से अंग्रेजी, अरबी और फ़ारसी के शब्द छाँट कर लिखिए मस्ती, सरकस, चिलम, कद्र, कमाई, अपील, शिकार, कूपन, आम, खजाना ।
उत्तर:
अंग्रेजी शब्द-सरकस, अपील, कूपन। अरबी शब्द-कद्र, कमाई, आम, खजाना । फ़ारसी शब्द-मस्ती, चिलम, शिकार।

प्रश्न 7.
देशज शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भाषा में प्रयुक्त ऐसे क्षेत्रीय शब्द जिनके स्रोत का आधार या तो भाषा व्यवहार हो या उसका कोई पता नहीं हो, देशज शब्द कहलाते हैं। जैसे—परात, कांच, ढोर, खचाखच, फटाफट आदि।

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