RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 12 भोजन के कार्य

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 भोजन के कार्य

RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) ऊर्जा का मुख्य स्रोत है –
(अ) कार्बोज
(ब) प्रोटीन
(स) विटामिन
(द) जल:
उत्तर:
(अ) कार्बोज।

(ii) निम्न में से भोजन का शारीरिक कार्य नहीं हैं –
(अ) ऊर्जा प्रदान करना।
(ब) वृद्धि व विकास करना
(स) मानसिक शान्ति देना
(द) सुरक्षात्मक व नियामयक कार्य
उत्तर:
(स) मानसिक शान्ति देना।

(iii) निम्न में से निर्माणात्मक तत्त्व है –
(अ) कार्बोज
(ब) प्रोटीन
(स) जल
(द) वसा
उत्तर:
(ब) प्रोटीन।

(iv) शरीर में जल का भाग है –
(अ) 65 प्रतिशत
(ब) 67 प्रतिशत
(स) 63 प्रतिशत
(द) 64 प्रतिशत
उत्तर:
(अ) 65 प्रतिशत।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ………संवेगों को प्रकट करने का माध्यम है।
2. ………में शरीर को निर्माणात्मक भोजन तत्त्वों की ज्यादा आवश्यकता होती है।
3. ………शरीर की टूट-फूट की मरम्मत करता है।
4. विटामिन ………यौगिक है।
5. ………व ………हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, अण्डे व मांस में बहुतायत में पाए जाते हैं।
उत्तर:
1. भोजन
2. वृद्धावस्था
3. प्रोटीन
4. कार्बनिक
5. विटामिन व खनिज लवण।

प्रश्न 3.
शरीर के लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भोजन शरीर की जल एवं वायु के बाद अनिवार्य आवश्यकता है। भोजन शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। भोजन में उपस्थित विभिन्न तत्त्व मिलकर शरीर की निर्माणकारी इकाइयाँ बनाते हैं जिससे शरीर का निर्माण, वृद्धि और विकास होता है। भोजन में उपस्थित तत्त्व ही शरीर की सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाते हैं। अनेक तत्त्व मिलकर शरीर की नियामक प्रणाली को क्रियान्वित करते हैं। अत: भोजन शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक पदार्थ है।

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प्रश्न 4.
भोजन के क्या कार्य हैं? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
भोजन के कार्य:
भोजन द्वारा निम्नलिखित कार्य सम्पन्न किए जाते हैं –

  • शारीरिक कार्य
  • मनोवैज्ञानिक कार्य
  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्य

1. शारीरिक कार्य:
भोजन निम्नलिखित शारीरिक कार्यों को सम्पन्न करता है –

  • विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाओं; जैसे – दौड़ना, चलना, खेलना, साँस लेना, भोजन को पचाना, हृदय को चलाना आदि के लिए ऊर्जा उत्पादन करता है।
  • भोजन शरीर की वृद्धि एवं विकास में भाग लेता है, भोजन में उपस्थित तत्त्व ही शरीर के निर्माणी खण्ड बनाते हैं।
  • भोजन में उपस्थित अनेक तत्त्व शरीर की सुरक्षा प्रणाली बनाते हैं और शरीर की विभिन्न रोगों से सुरक्षा करते हैं।

2. मनोवैज्ञानिक कार्य:
भोजन न केवल हमारी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है अपितु मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि भी देता है। भोजन के निम्नलिखित मनोवैज्ञानिक कार्य हैं –

  • भोजन द्वारा संवेगों को प्रकट करना,
  • भोजन सुरक्षा की भावना के रूप में भी कार्य करता है।
  • भोजन का प्रयोग बल के रूप में होता है।

3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व:
भोजन सामाजिक सम्बन्ध बनाने एवं उन्हें मजबूत करने में भी सहयोग करता है। भोजन विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है। भोजन बनाने व परोसने के तौर तरीके किसी क्षेत्र की संस्कृति एवं सामाजिक सहिष्णुता को प्रदर्शित करते हैं। भोजन आर्थिक स्तर, दोस्ती एवं आतिथ्य का प्रतीक होता है।

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प्रश्न 5.
विभिन्न भोज्य तत्त्वों के कार्य पर संक्षिप्त में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भोज्य तत्त्वों के कार्य –
1. कार्बोज:
यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। शरीर में इसके उपापचय द्वारा आसानी से ऊर्जा मुक्त होती है जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन में काम आती है। ये भोजन के पाचन एवं मल निष्कासन में भी सहायता करते हैं।

2. प्रोटीन:
ये माँसपेशियों के निर्माण, टूट-फूट की मरम्मत, अनेक हार्मोन एवं विकरों का निर्माण, रक्त का थक्का – बनाने आदि कार्य करते हैं। संक्षिप्त रूप में कहा जाए तो प्रोटीन शरीर की वृद्धि एवं विकास में भाग लेते हैं।

3. वसा:
वसा ऊर्जा के सान्द्र स्रोत हैं। ये त्वचा के नीचे एक परत बनाकर सर्दी-गर्मी से शरीर की सुरक्षा करते हैं तथा अनेक पदार्थों का संग्रहण करते हैं। भोजन की अनुपलब्धता में शरीर के लिए ऊर्जा उत्पादन करते हैं।

4. ये अल्प मात्रा में अत्यन्त:
आवश्यक पदार्थ होते हैं। ये शरीर में होने वाली अनेक जैव-रासायनिक क्रियाओं पर नियन्त्रण रखते हैं। ये अनेक जैव उत्प्रेरकों का निर्माण करते हैं।

5. खनिज लवण:
ये शरीर की वृद्धि एवं विकास में भाग लेते हैं। साथ ही, शरीर की अनेक क्रियाओं में नियमनकार की तरह कार्य करते हैं। ये अनेक जैव-उत्प्रेरकों एवं जैविक अणुओं के निर्माण में भाग लेते हैं।

6. जलजल शरीर के लिए:
अत्यन्त आवश्यक पदार्थ है। यह शरीर में होने वाली अनेक जैव रासायनिक क्रियाओं में माध्यम का कार्य करता है। यह अनेक यौगिकों का घोलक (विलायक) होता है। यह शरीर के ताप नियमन एवं उत्सर्जी पदार्थों के निष्कासन में भाग लेता है।

प्रश्न 6.
भोजन के सामाजिक कार्य व सांस्कृतिक महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
भोजन का सामाजिक कार्य एवं सांस्कृतिक महत्त्व-भोजन सामाजिक सम्बन्ध बनाने एवं उन्हें मजबूत करने में भी सहयोग करता है, इसलिए समाज में होने वाले विभिन्न समारोहों में विशिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। समारोहों के अवसर पर, जन्मदिन, शादी, मुण्डन, नौकरी में प्रोन्नति, पुत्र प्राप्ति आदि अवसरों पर भोज का आयोजन किया जाता है और सुरुचिपूर्ण व्यंजन बनाये व परोसे जाते हैं। अनेक तीज – त्योहारों पर भी तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खिलाए जाते हैं।

1. भोजन आर्थिक स्तर का प्रतीक है:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार भोजन का चुनाव व उसका आयोजन करता है। मध्यम वर्गीय व्यक्ति भोजन में मौसम के फल – सब्जियाँ व सामान्य भोजन का चयन करता है, जबकि उच्च वर्गीय व्यक्ति मँहगे और बेमौसमी सामग्रियों का चयन करता है। वह भोजन में मेवे, महँगे मिष्ठानों का समावेश भी करता है। इस प्रकार भोजन से आर्थिक स्तर का ज्ञान प्राप्त होता है। अच्छा भोजन ग्रहण करना और इससे स्थूलता या मोटापा आना अभी भी कई स्थानों पर सम्पन्नता का प्रतीक मान जाता है।

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2. भोजन मैत्री एवं आथित्य का प्रतीक है:
मित्रों एवं अतिथियों के सत्कार में नये – नये व्यंजन परोसे जाते हैं जिससे सम्बन्धों में मजबूती आती है। हमारे देश में अतिथि को देवता तुल्य माना जाता है अत: उसके सत्कार में अच्छे – अच्छे भोजन व नाश्ते दिए जाते हैं। भोजन के आयोजन से कई बड़े-बड़े काम भी सरलता से निकल जाते हैं। क्योंकि यह सभी जानते हैं कि “दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है।”

इस प्रकार भोजन द्वारा व्यक्तिगत एवं सामाजिक कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाते हैं। भोजन हमारी संस्कृति का भी प्रतीक है; जैसे-पंजाब में मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रसिद्ध है तो राजस्थान में दाल-बाटी और चूरमा का प्रचलन अधिक है, दक्षिण भारत में साम्भर-भात खाने की परम्परा है तो बिहार में मछली – चावल और मुम्बई में बड़ा – पाव प्रसिद्ध है। इस प्रकार कुछ विशेष पदार्थ प्रदेश या समाज विशेष की संस्कृति को भी प्रदर्शित करते हैं। हम सभी अपनी – अपनी परम्परा व संस्कृति के अनुसार ही भोजन सेवन करना पसन्द करते हैं।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है –
(अ) अधिक भोजन
(ब) अल्पाहार
(स) सन्तुलित आहार
(द) मांसाहार
उत्तर:
(स) सन्तुलित आहार

प्रश्न 2.
निर्माणात्मक तत्त्व कहा गया है –
(अ) कार्बोज को
(ब) प्रोटीन को
(स) वसा को
(द) विटामिन को
उत्तर:
(ब) प्रोटीन को

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प्रश्न 3.
एक ग्राम वसा से ऊर्जा की प्राप्ति होती है –
(अ) 4 किलो कैलोरी
(ब) 6 किलो कैलोरी
(स) 9 किलो कैलोरी
(द) 12 किलो कैलोरी
उत्तर:
(स) 9 किलो कैलोरी

प्रश्न 4.
जैविक उत्प्रेरक की भाँति कार्य करते हैं –
(अ) कार्बोज
(ब) प्रोटीन
(स) वसा
(द) विटामिन
उत्तर:
(द) विटामिन

प्रश्न 5.
एक ग्राम कार्बोज से ऊर्जा प्राप्त होती है –
(अ) 2 किलो कैलोरी
(ब) 4 किलो कैलोरी
(स) 9 किलो कैलोरी
(द) 12 किलो कैलोरी
उत्तर:
(ब) 4 किलो कैलोरी

रिक्त स्थान भरिए –
1. अण्डा, मांस, मछली आदि भोज्य पदार्थ ………भोज्य पदार्थ या ……… कहलाते हैं।
2. वसा ऊर्जा का ……… स्रोत हैं।
3. चपापचय एवं जटिल रासायिक क्रियाओं के लिए ……… की आवश्यकता होती है।
4. अत्यल्प मात्रा में आवश्यक लवण को ……… कहते हैं।
5. शरीर एक विकासशील जैविकीय इकाई है जो छोटे-छोटे ……… से बनी है।
उत्तर:
1. सामिष, मांसाहार
2. सान्द्र
3. विटामिन
4. ट्रेस तत्त्व
5. कोषों।

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए
स्तम्भA.                                        स्तम्भ B
1. कार्बोज                              (a) ताप नियामक एवं ऊर्जा
2. वसा                                   (b) जैविक उत्प्रेरक
3. प्रोटीन                                (c) मुख्य ऊर्जा स्रोत
4. विटामिन                             (d) नियामक
5. लवण                                 (e) निर्माणकारी घटक
उत्तर:
1. (c) मुख्य ऊर्जा स्रोत
2. (a) ताप नियामक एवं ऊर्जा
3. (e) निर्माणकारी घटक
4. (b) जैविक उत्प्रेरक
5. (d) नियामक

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवित रहने के लिए बुनियादी आवश्यकताएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
वायु, जल तथा भोजन जीवित रहने के लिए बुनियादी आवश्यकताएँ हैं।

प्रश्न 2.
सन्तुलित भोजन के प्रमुख घटक कौन-से हैं?
उत्तर:
कार्बोज, प्रोटीन, वसा, विटामिन, लवण, जल तथा रेशा।

प्रश्न 3.
भोजन में किन भोज्य पदार्थों का समावेश होता है?
उत्तर:
भोजन में निरामिष एवं सामिष भोज्य पदार्थों का समावेश होता है।

प्रश्न 4.
काबोज के प्रमुख स्त्रोत बताइए।
उत्तर:
चावल, गेहुँ, मक्का , बाजरा, और रागी आदि।

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प्रश्न 5.
कार्बोज का शरीर में मुख्य उपयोग क्या है?
उत्तर:
कार्बोज का शरीर में मुख्य उपयोग ऊर्जा प्रदान करने में होता है।

प्रश्न 6.
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किस तत्त्व की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 7.
वसा के स्रोत लिखिए।
उत्तर:
घी, वनस्पति तेल, वनस्पति घी, चर्बी, जन्तुओं से प्राप्त तेल आदि।

प्रश्न 8.
खनिज लवण हमारे शरीर में कौन-कौन से दो प्रमुख कार्य करते हैं?
उत्तर:

  • निर्माणात्मक कार्य
  • नियामक कार्य।

प्रश्न 9.
ट्रेस तत्त्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर के लिए अत्यन्त अल्प मात्रा में किन्तु अति आवश्यक तत्त्व ट्रेस तत्त्व कहलाते हैं।

प्रश्न 10.
वायु के बाद मनुष्य की मौलिक आधारभूत आवश्यकता क्या है?
उत्तर:
वायु के बाद मनुष्य की मौलिक आधारभूत आवश्यकता जल है।

प्रश्न 11.
भोजन के दो शारीरिक कार्य बताइए।
उत्तर:

  • शारीरिक क्रियाओं का निष्पादन
  • वृद्धि एवं विकास।

प्रश्न 12.
भोजन का सुरक्षात्मक कार्य बताइए।
उत्तर:
भोजन विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करता है।

प्रश्न 13.
भोजन का एक मनोवैज्ञानिक कार्य बताइए।
उत्तर:
भोजन द्वारा संवेगों का प्रकटीकरण होता है।

प्रश्न 14.
सामाजिक कार्य के रूप में भोजन किन-किन बातों का प्रतीक है?
उत्तर:
आर्थिक स्तर, मैत्री एवं आथित्य का प्रतीक है।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शरीर को जल की आवश्यकता क्यों होती है? संक्षपे में समझाइए।
उत्तर:
यद्यपि जल में कोई भी पौष्टिक तत्त्व विद्यमान नहीं है, फिर भी जल को पौष्टिक तत्त्व के रूप में सम्मिलित किया गया है। क्योंकि जल शरीर के लिए विभिन्न कार्यों को करने के लिए, शरीर के तापक्रम सन्तुलित एवं नियमन के लिए आवश्यक है। जल हमारे शरीर में होने वाली अनेक जैव – रसायानिक क्रियाओं के माध्यम का कार्य करता है और अनेक यौगिकों का विलायक है। भोजन के अन्तर्ग्रहण, पाचन अवशोषण, वहन, उत्सर्जन आदि के लिए भी जल आवश्यक है।

प्रश्न 2.
निरामिष एवं सामिष भोज्य पदार्थ किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
भोजन में दो प्रकार के भोज्य पदार्थों का समावेश होता है:
सामिष भोज्य पदार्थ एवं निरामिष भोज्य पदार्थ। दूध व दूध से बने पदार्थ, खेतों में लगने वाले भोज्य पदार्थ जैसे – अनाज, दालें, तिलहन, हरी-सब्जियाँ कन्द-मूल, फल इत्यादि सामिष भोज्य पदार्थ कहलाते हैं और ऐसे भोज्य पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति को शाकाहारी कहते हैं। अण्डा, मांस, मछली आदि भोज्य पदार्थ निरामिष भोज्य पदार्थ या मांसाहार कहलाते हैं एवं ऐसे भोज्य पदार्थों का सेवन करने वाले मनुष्य मांसाहारी कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
सुरक्षा की भावना के रूप में भोजन का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भोजन सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। घर से बाहर, यात्रा या भ्रमण के दौरान अगर जाना-पहचाना भोजन मिलता है तो उससे सुरक्षा की अनुभूति होती है। माँ द्वारा खिलाया गया भोजन बच्चे को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है, जबकि उसी बच्चे को वही भोजन अगर दूसरे व्यक्ति खिलाते हैं तो उसे वह सुख प्राप्त नहीं होता फलत: बच्चा ढंग से नहीं खा पाता है।

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प्रश्न 4.
भोजन का आयोजन किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर:
भोजन का आयोजन करते समय सबकी रुचि को ध्यान में रखकर भोज्य पदार्थों का चुनाव करना चाहिए। जलपान का आयोजन सभा-सम्मेलन आदि के बीच में दिया जाने वाला भोजन, पेय पदार्थ आदि परस्पर आरामदायक एवं सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। ऐसे अवसरों पर परोसे जाने वाले व्यंजन रुचिकर, प्रसन्नता, तृप्ति एवं सन्तुष्टि देने वाले होने चाहिए तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक हो एवं पूर्ण पोषक तत्त्व उसमें मौजूद हों।

प्रश्न 5.
मानव जीवन में भोजन का महत्त्व समझाइए।
उत्तर:
भोजन मात्र क्षुदापूर्ति का साधन ही नहीं अपितु यह मनुष्य की संस्कृति रीति – रिवाज, भावनाओं को प्रदर्शित करने का साधन तथा आनन्द एवं सुरक्षा की अनुभूति को उजागर करने का माध्यम भी है। भोजन तनाव से मुक्ति भी देता है एवं सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत बनाता है। उपरोक्त अवस्थाएँ व्यक्ति के अचेतन मन में भोजन के प्रति पसन्द एवं ना पसन्द के रूप में प्रदर्शित होती हैं। किसी भी पदार्थ के प्रति मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया की कोई वैज्ञानिक पृष्ठभूमि नहीं होती अत: इन्हें बदलना कठिन होता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन के तीन प्रमुख घटकों कार्बोज, प्रोटीन तथा वसा का विवरण दीजिए।
अथवा
कार्बोज, प्रोटीन तथा वसा के स्रोत तथा कार्य बताइए।
उत्तर:
कार्बोज (Carbose):
कार्बोज ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं। इसमें रेशे भी पर्याप्त मात्रा में विद्यमान रहते हैं। ये रेशे भोजन की पाचन क्रिया के दौरान आमाश्य के क्रमाकुंचन में सहयोग करके भोजन को छोटी आँतों में भेजने का कार्य करते हैं इससे भोजन सरलता से पच जाता है। साथ ही यह मल निष्कासन में सहायता करता है और मलबद्धता से बचाता है। सभी प्रकार के अनाज जैसे-चावल, गेहूँ, मक्का बाजरा, जौ, रागी आदि में कार्बोज की मात्रा सबसे अधिक होती है। कार्बोज शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं जो विभिन्न क्रियाओं की संचालित करती है।

2. वसा (Fat):
वसा ऊर्जा का सांद्र स्रोत है। यह शरीर को ऊर्जा एवं उष्णता प्रदान करता है। त्वचा के नीचे वसीय ऊतक के रूप में यह जमा रहता है और आवश्यकता पड़ने (व्रत या उपवास के दिन, यात्रा के दौरान जब कभी भोजन नहीं मिलता) पर यह विघटित होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। तन्त्रिका ऊतक के निर्माण में भी वसा सहायक होता है। एक ग्राम वसा से 9 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। घी, तेल, मुंगफली, वनस्पति घी, चर्बी, सरसों का तेल एवं अन्य सभी तिलहनों में वसा की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहती है।

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3. प्रोटीन:
शरीर की वृद्धि, मांसपेशियों का निर्माण, तन्तुओं की टूट – फूट की मरम्मत, हॉर्मोन का निर्माण, रक्त का थक्का बनना आदि अनेको कार्यों के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। कोशिकाएँ प्रोटीन की बनी होती हैं। अत: कोशिकाओं के निर्माण के लिए प्रोटीन आवश्यक होता है। इसलिए प्रोटीन को निर्माणात्मक तत्त्व कहा गया है। प्रोटीन के प्रमुख स्रोत सभी दालें, सोयाबीन, मशरूम, दूध, अण्डा एवं मांस आदि हैं।

प्रश्न 2.
विटामिन एवं लवणों के प्रमुख कार्य समझाइए।
उत्तर:
विटामिन (Vitamins):
विटामिन्स कार्बनिक यौगिक हैं जिन्हें आवश्यक तत्त्व कहा जाता है। शरीर में इसकी आवश्यकता बहुत कम होती है परन्तु ये शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अति आवश्यक है। चपापचय एवं जटिल रासायनिक क्रियाओं के लिए विटामिनों की आवश्यकता होती है। शरीर की विभिन्न रोगों से सुरक्षा करते हैं तथा शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। ये शरीर में उत्प्रेरक की भाँति कार्य करते हैं और विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को सम्पन्न करने में सहयोग करते हैं। अतः भोजन में विटामिनों को सम्मिलित करना अत्यन्न आवश्यक है। खनिज लवण (Minerals) – विटामिन की भाँति खनिज लवण भी शरीर के लिए आवश्यक हैं।

इसके मुख्य दो कार्य हैं –

  • निर्माणात्मक कार्य
  • नियामक कार्य।

खनिज लवण शरीर भी वृद्धि एवं विकास के साथ-साथ निर्माण का कार्य भी करते हैं। शरीर की विभिन्न क्रियाओं का नियमन खनिज लवण के द्वारा ही होता है। कुछ खनिज लवण तो अधिक मात्रा में परन्तु कुछ खनिज लवण शरीर में अल्प मात्रा में आवश्यक होते हैं। अत्यल्प मात्रा में किन्तु अति आवश्यक लवणों को ‘ट्रेस तत्त्व’ कहा जाता है।

प्रश्न 3.
भोजन के किन्हीं दो शारीरिक कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भोजन के शारीरिक कार्य-हमारे द्वारा ग्रहण किया गया भोजन हमारे शरीर का भाग बनता है। भोजन के प्रमुख कार्य शारीरिक वृद्धि एवं विकास, तन्तुओं की टूट-फूट की मरम्मत, विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं नियमन आदि हैं। भोजन के शारीरिक कार्य निम्नलिखित हैं –

1. भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है – विभिन्न शारीरिक क्रिया कलापों; जैसे – चलने, दौड़ने, कार्य करने, खेलने-कूदने आदि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यहाँ तक कि अचेतावस्था में भी जब हम सोते हैं तो भी शरीर के विभिन्न अंग स्वतः ही क्रियाएँ करते रहते हैं: जैसे – श्वसन, पाचन, अवशोषण, रुधिर परिवहन आदि। इन कार्यों को करने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जोकि हमें भोजन से ही प्राप्त होती है।

वसा एवं कार्बोज ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं और इन्हें ऊर्जादायक भोज्य पदार्थ कहा जाता है। आवश्यकता पड़ने पर प्रोटीन भी ऊर्जा प्रदान कर सकता है। एक ग्राम कार्बोज या प्रोटीन से 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। जबकि एक ग्राम वसा से 9 किलो कैलोरी ऊर्जा की प्राप्ति होती है। ऊर्जा का मुख्य स्रोत कार्बोज ही है क्योंकि वसा एवं प्रोटीन से ऊर्जा जटिल प्रक्रिया से प्राप्त होती है।

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2. भोजन शारीरिक वृद्धि एवं विकास करता है:
शरीर एक विकासशील जैविकीय इकाई है जो छोटे – छोटे कोषों से बनी है, इन कोषों को कोशिका (Cell) कहते हैं और शरीर असंख्य कोशिकाओं से बना होता है। भ्रूण जब माता के गर्भ में विकसित होता है तभी से कोशिकाओं से नये – नये ऊतक बनना प्रारम्भ होते हैं तथा शरीर की वृद्धि एवं विकास करते हैं। शरीर निर्माण की यह क्रिया शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में विशेष रूप से क्रियाशील रहती है।

यही कारण है कि जन्म के समय जो बच्चा 2.5 से 3.5 किग्रा भार का तथा 40 – 50 सेमी लम्बाई का होता है, वही युवावस्था तक 50 – 75 किग्रा भार तथा 5 – 6 फीट लम्बाई प्राप्त कर लेता है। माता के गर्भ में भ्रूण माँ के भोजन से आहार ग्रहण करता है तथा जन्म के पश्चात् उसे स्वयं आहार ग्रहण करना होता है जिसमें सभी पौष्टिक तत्त्व होते हैं। विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ शरीर में इसके निर्माणकारी खण्ड बनाते हैं जिनसे वृद्धि और विकास होता है।

प्रश्न 4.
भोजन के सुरक्षात्मक एवं नियन्त्रणकारी कार्य को समझाइए।
उत्तर:
भोजन का सुरक्षात्मक एवं नियन्त्रणकारी कार्य:
भोजन से शरीर को रोगों के प्रति सुरक्षा शक्ति प्राप्त होती है। यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है, बीमारियों से बचाता है तथा शरीर की विभिन्न क्रियाओं का नियन्त्रण एवं नियमन करता है; जैसे शरीर के तापमान का नियन्त्रण, रक्त संतुलन, अम्ल – क्षार सन्तुलन, मल-मूत्र का उत्सर्जन, जैव उत्प्रेरकों (Bio – catalysts or enzymes) का सक्रियीकरण आदि। शरीर के रक्षात्मक एवं नियामक कार्य भोजन में उपस्थित विविध प्रकार के विटामिन, खनिज लवण एवं जल के द्वारा सम्पादित किए जाते हैं। प्रत्येक तत्त्व शरीर में अपने विशिष्ट कार्य के लिए उत्तरदायी होता है।

यदि भोजन में इनमें से किसी एक भी तत्त्व की कमी या अधिकता हो जाए तो शारीरिक कार्यों के संचालन में व्यवधान आ जाएगा और शरीर रोग ग्रस्त हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप शरीर की वृद्धि एवं विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। शरीर को रोगों से लड़ने के लिए शक्ति इन्हीं पोषक पदार्थों से मिलती है अतः इन्हें सुरक्षात्मक तत्त्व कहते हैं। ये विटामिन एवं खनिज लवण हरी – पत्तेदार सब्जियों, अन्य सब्जियों, फलों, दूध, अण्डा, मांस व मछली में बहुतायत में पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त ये साबुत अनाजों व दालों में भी उपस्थित होते हैं।

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प्रश्न 5.
भोजन के दो मनोवैज्ञानिक कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भोजन के मनोवैज्ञानिक कार्य – भोजन न केवल हमारी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है अपितु मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि भी देता है। हमारी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भोजन में पोषक तत्त्वों का पाया जाना पर्याप्त नहीं है अपितु भोजन का उचित मात्रा में होना, पसन्दीदा होना, भली-भाँति पका होना एवं अच्छे वातावरण में परोसा जाना भी आवश्यक है ताकि यह न केवल भूख को शान्त करे बल्कि तृप्ति भी प्रदान कर सके।

उदाहरणार्थ उत्तरी भारत के गेहूँ खाने वाले. व्यक्ति को दाल – भात व इडली-डोसा अधिक दिन तक पसन्द नहीं आएगा। नये भोज्य पदार्थ परिवर्तन के लिए तो अच्छे लगते हैं किन्तु हम फिर वही खाना चाहते हैं जो हम प्रायः खाते हैं। भोजन हमें प्रतिदिन के परिश्रम एवं तनाव की जिन्दगी से राहत भी देता है। घर में बने भोजन से जो सन्तुष्टि मिलती है वह अन्यन्त्र नहीं।

भोजन के मनोवैज्ञानिक कार्य इस प्रकार भी हैं –
1. भोजन द्वारा संवेगों को प्रकट करना:
भोजन द्वारा संवेगों को प्रकट किया जाता है; जैसे – प्रसन्न मन से यदि – भोजन किया जाए तो ज्यादा खाया जाएगा जबकि खिन्न या दु;खी मन से कम भोजन खाया जाता है। कुछ व्यक्ति तनाव को दूर करने के लिए अधिक भोजन करते हैं। जबकि कुछ बिल्कुल ही कम खाने लगते हैं।

2. भोजन का प्रयोग बल के रूप में:
भोजन का उपयोग बल के रूप में भी किया जाता है। दुश्मनों को भोजन की प्राप्ति न होने देकर आसानी से लड़ाई जीती जा सकती है। व्यक्ति को समर्पण करवाने के लिए उन्हें कई दिनों तक भूखा रखा जाता है। इसी प्रकार किसी के प्रति विद्रोह दर्शाने के लिए कर्मचारियों द्वारा भूख हड़ताल का प्रदर्शन किया जाता है। परिवार में भी बच्चों को सजा या इनाम देने के लिए भोजन का प्रयोग किया जाता है। अच्छा व प्रशंसनीय कार्ये होने पर अच्छा भोजन व पार्टी आदि की व्यवस्था भी की जाती है।

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