RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 16 पाक क्रिया एवं भोजन की पौष्टिकता बढ़ाना

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 पाक क्रिया एवं भोजन की पौष्टिकता बढ़ाना

RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) नमी द्वारा भोजन पकाने की विधि नहीं है –
(अ) उबालना
(ब) खदकाना
(स) तलना
(द) भाप द्वारा पकाना
उत्तर:
(स) तलना

(ii) खदकाने की विधि में पानी का तापमान होता है –
(अ) 50°C
(ब) 30°C
(स) 100°C
(द) 85°C
उत्तर:
(द) 85°C

(iii) अंकुरीकरण द्वारा पदार्थ में निम्न में से कौन-सा पौष्टिक तत्त्व बढ़ता है –
(अ) प्रोटीन
(ब) विटामिन-सी
(स) कैल्सियम
(द) लौह तत्त्व
उत्तर:
(ब) विटामिन-सी

(iv) खमीरीकरण के दौरान कौन-सी गैस उत्पन्न होती है?
(अ) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(ब) ऑक्सीजन
(स) नाइट्रोजन
(द) मीथेन
उत्तर:
(अ) कार्बन डाई-ऑक्साइड

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प्रश्न 2.
भोजन को क्यों पकाते हैं?
उत्तर:
भोजन पकाने के निम्नलिखित लाभ हैं –
1. अनेक खाद्य पदार्थ कड़े एवं दृढ़ होते हैं, पकाने से ये नरम होकर सुपाच्य हो जाते हैं और इन्हें आसानी से चबाया जा सकता है। ऐसे भोजन पर पाचक रस सरलता से अपना प्रभाव डालते हैं जिससे भोजन सरलता से पच जाता है।

2. भोज्य पदार्थों को पकाने पर उनके स्वाद एवं सुगन्ध में वृद्धि होती है। कुछ खाद्य पदार्थ अपनी स्वाभाविक गंध पूर्णत: छोड़ देते हैं। जैसे – मछलियाँ पकाने पर इनकी अरुचिकर गन्ध दूर हो जाती है तथा वे खाने योग्य हो जाती है। कुछ खाद्य पदार्थों की सुगन्ध और अधिक बढ़ जाती है-जैसे चावल पकाने पर उनमें अच्छी खुशबू आती है।

3. पकाने से भोज्य पदार्थ के अनेक रूप हो जाते हैं। जैसे – गेहूँ से आटे की रोटी, मैदा से नॉन, बिस्किट, ब्रेड, मठरी आदि अनेक पकवान बनाए जा सकते हैं।

4. भोजन को पकाने के दौरान ताप द्वारा उनमें हानिकारक जीवाणु और उनके अण्डाणु नष्ट हो जाते हैं और ऐसा भोजन उपयोग हेतु सुरक्षित रहता है। शरीर को किसी प्रकार की हानि पहुँचने की आशंका नहीं रहती है।

प्रश्न 3.
फॉर्टिफिकेशन एवं पारबॉयलिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फॉर्टिफिकेशन (Fortification):
फॉर्टिफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों में ऐसे पोषक तत्त्व सम्मिलित किए जाते हैं जो उनमें या तो सीमित मात्रा में हों या फिर बिल्कुल अनुपस्थित हों या प्रसंस्करण के दौरान कम या नष्ट हो गए हों। समाज को पोषक तत्त्वों की कमी के बुरे प्रभावों से बचाने एवं सुरक्षित रखने हेतु फॉर्टिफिकेशन की प्रक्रिया की जाती है।

जैसे जल व जमीन में आयोडीन की कमी होने के कारण होने वाली समस्यों के समाधान हेतु राजस्थान सरकार ने आयोडीन युक्त नमक बेचना आवश्यक कर दिया है, जिससे आयोडीन की कमी से प्रभावित क्षेत्रों में आयोडीन प्रतयेक व्यक्ति को प्राप्त हो सके। इसी प्रकार वनस्पति घी में विटामिन ‘ए’ एवं ‘डी’ का समिश्रण कर इन विटमिनों की कमी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। फॉर्टिफिकेशन विधि द्वारा भोज्य पदार्थों की पौष्टिकता घरेलू स्तर पर नहीं बढ़ाई जा सकती है।

पारबॉयलिंग (Parboiling):
इस विधि द्वारा चावलों की पौष्टिकता को बढ़ाया जाता है। इस विधि में धान (छिलके सहित चावल) को पानी में 6-12 घंटे तक भिगोकर उबाला जाता है या टोकरियों में रखकर गर्म भाप दी जाती है, तत्पश्चात इन्हें सुखाकर कूट लिया जाता है। इस दौरान चावल के स्टार्च की भूसी में उपस्थित ‘बी’ समूह के विटामिन निकलकर स्टार्च के साथ मिल जाते हैं। इस प्रकार पारबॉयलिंग विधि से प्राप्त चावलों में प्रोटीन व ‘बी’ समूह के विटामिन की उपलब्धता बढ़ जाती है तथा ये मिलकर कुटे चावलों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होते हैं।

प्रश्न 4.
सॉटिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
सॉटिंग (Sauting):
इस विधि में भोज्य पदार्थों को बहुत ही कम घी या तेल में धीमी आँच पर बनाया जाता है। इसमें भोज्य पदार्थों को कम ताप पर उलट-पलटकर तब तक पकाते हैं जब तक कि सारा घी या तेल अवशोषित न हो जाए तथा भोज्य पदार्थ पूर्णत: न पक जाए। भोज्य पदार्थ कड़ा लगे तो थोड़ी मात्रा में घी का प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि से सभी प्रकार की सब्जियाँ बनाई जाती हैं।

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प्रश्न 5.
भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने के विभिन्न उपायों का विस्तार से वर्णन कीजिए
उत्तर:
भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने के उपाय –
1. अंकुरीकरण (Germination):
अंकुरीकरण के द्वारा साबुत अनाजों व दालों की पौष्टिकता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए साबुत अनाजों एवं दालों रात भर के लिए भिगोकर रखें, तत्पश्चात् इन्हें गीले कपड़े में बाँधकर अंकुरित होने के लिए रख दें। गर्मियों में एक दिन में एवं सर्दियों में लगभग तीन दिन में बीजों से लम्बे-लम्बे अंकुर निकल आते हैं। इस प्रक्रिया में बीजों में विटामिन ‘सी’ एवं बी समूह के कुछ विटामिनों का संश्लेषण होता है। इसके अतिरिक्त इनमें उपस्थित पोषक निरोधक तत्व (Anti nutritional fasters) भी नष्ट हो जाते हैं। और इन खाद्य पदार्थों से प्रोटीन व लौह तत्त्व की उपलब्धता बढ़ जाती है।

2. खाद्य पदार्थों का मिश्रित उपयोग (Mutual Supplementation):
सभी भोज्य पदार्थों में सभी पोषण तत्त्व समान मात्रा में नहीं पाए जाते हैं। कुछ भोज्य पदार्थों में पोषक तत्त्वों की मात्रा कम तो कुछ भोज्य पदार्थों में पोषक तत्त्वों की मात्रा अधिक होती है। ऐसी स्थिति में यदि हम लम्बे समय तक एक ही प्रकार के भोज्य पदार्थ का सेवन करते हैं तो सीमित मात्रा में पाए जाने वाले पोषक तत्त्वों की शरीर में कमी हो जाएगी और इसके प्रभाव दिखाई देने लगेंगे। जैसे-मिल के साफ कुटे चावल लंबे समय तक खाने से बेरी-बेरी के लक्षण देखे गए हैं।

अत: इन बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक है कि हम विभिन्न भोज्य पदार्थों को अदल-बदलकर एवं मिश्रित उपयोग करके खाएँ। ऐसे व दो भोज्य पदार्थों जिनमें से एक भोज्य पदार्थ जैसे अनाज में कोई पोषक तत्व अधिक हो, एवं दूसरा पोषक तत्त्व कम हो तथा दूसरे भोज्य पदार्थ जैसे दाल में पहला पोषक तत्त्व कम हो और दूसरा पोषक तत्त्व अधिक हो, तो मिलाकर खाने से दोनों भोज्य पदार्थ एक-दूसरे के पोषक तत्त्वों की गुणवत्ता एवं उपलब्धता को भी बढ़ाते हैं। इसी प्रकार हम अनाज के साथ दूध या दूध से बने पदार्थ या सब्जियों का उपयोग करके पौष्टिकता बढ़ा सकते हैं।

3. खमीरीकरण (Fermentation):
खमीरीकरण हेतु आवश्यक खमीर अणु जीव केवल शर्करायुक्त भोज्य पदार्थों में पाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में ये सूक्ष्म जीव ऊष्मा तथा आद्रता की उपस्थिति में भोज्य पदार्थों में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट का खण्डन करके एल्कोहल तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। जिससे तैयार भोज्य पदार्थ में स्पंजनुमा जाली बनती है।
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खमीरीकरण से खाद्य पदार्थों में बी समूह के विटामिन काफी मात्रा में संश्लेषित हो जाते हैं। भोज्य पदार्थों में उपस्थित पोषक निरोधक तत्त्व नष्ट होने के कारण लौह तत्त्व व प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ जाती है। खाद्य पदार्थ हल्का एवं सुपाच्य हो जाता है। खमीरीकरण प्रक्रिया द्वारा इडली, डोसा, खमण, नॉन, डबल रोटी, जलेबी, इमरती ढोकला आदि व्यंजन बनाए जाते हैं।

4. फॉर्टिफिकेशन (Fortification):
फॉर्टिफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों में ऐसे पोषक तत्त्व सम्मिलित किए जाते हैं जो उनमें या तो सीमित मात्रा में हों या फिर बिल्कुल अनुपस्थित हों या प्रसंस्करण के दौरान कम या नष्ट हो गए हों। समाज को पोषक तत्त्वों की कमी के बुरे प्रभावों से बचाने एवं सुरक्षित रखने हेतु फॉर्टिफिकेशन की प्रक्रिया की जाती है।

जैसे जल व जमीन में आयोडीन की कमी होने के कारण होने वाली समस्यों के समाधान हेतु राजस्थान सरकार ने आयोडीन युक्त नमक बेचना आवश्यक कर दिया है, जिससे आयोडीन की कमी से प्रभावित क्षेत्रों में आयोडीन प्रतयेक व्यक्ति को प्राप्त हो सके। इसी प्रकार वनस्पति घी में विटामिन ‘ए’ एवं ‘डी’ का समिश्रण कर इन विटमिनों की कमी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। फॉर्टिफिकेशन विधि द्वारा भोज्य पदार्थों की पौष्टिकता घरेलू स्तर पर नहीं बढ़ाई जा सकती है।

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5. पारबॉयलिंग (Parboiling):
इस विधि द्वारा चावलों की पौष्टिकता को बढ़ाया जाता है। इस विधि में धान (छिलके सहित चावल) को पानी में 6-12 घंटे तक भिगोकर उबाला जाता है या टोकरियों में रखकर गर्म भाप दी जाती है, तत्पश्चात इन्हें सुखाकर कूट लिया जाता है। इस दौरान चावल के स्टार्च की भूसी में उपस्थित ‘बी’ समूह के विटामिन निकलकर स्टार्च के साथ मिल जाते हैं। इस प्रकार पारबॉयलिंग विधि से प्राप्त चावलों में प्रोटीन व ‘बी’ समूह के विटामिन की उपलब्धता बढ़ जाती है तथा ये मिलकर कुटे चावलों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होते हैं।

प्रश्न 6.
भोजन पकाने की विभिन्न विधियों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
भोजन पकाने की विधियाँ – भोजन को विभिन्न विधियों द्वारा पकाया जाता है; जैसे-रोटी को सेका जाता है, पूड़ी को गर्म तेल में तला जाता है एवं बिस्किट को बेक किया जाता है। इन सभी विधियों में किसी न किसी रूप में ताप का प्रयोग अवश्य होता है। पकाने के माध्यम के आधार पर भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ अग्र प्रकार हैं –

  • नमी द्वारा पकाना – इसमें उबालना, खदका, स्ट्यूइंग, भाप द्वारा पकाना, दाब द्वारा पकाना शामिल हैं।
  • गर्म वायु द्वारा पकाना – भूनना या सेंकना, बेकिंग।
  • चिकनाई द्वारा पकाना – उथला तलना, गहरा तलना, सॉटिंग।

1. उबालना (Boiling):
यह भोजन पकाने की सबसे सरल व प्रचलित विधि है। इसमें जल की इतनी मात्रा ली जाती है कि भोज्य पदार्थ जल में पूर्ण रूप से डूब जाए। तत्पश्चात् ईंधन द्वारा प्राप्त ताप से पानी गर्म होता है तथा धीरे-धीरे वह अपने क्वथनांक 100° C पर आकर उबलने लगता है। इस तापमान पर जल के ऊपरी स्तर में जल के बुलबुले पूर्ण रूप से उठने और फूटने की क्रिया होती है। इस विधि से दाल, चावल, आलू व अन्य सब्जियाँ पकाई जाती हैं।

2. खदकाना (Simmering):
यह विधि उबालने के समान ही है। अन्तर केवल तापमान के स्तर में रहता है। इसमें पानी का तापमान 85°C के लगभग रहता है तथा पानी में उठने वाले बुलबुले पानी की सतह पर आने से पहले ही फूट जाते हैं। तापमान कम होने के कारण यह विधि समय अधिक लेती है। इस विधि से कढ़ी, खीर आदि पकाए
जाते हैं।

3. स्ट्यू इंग (Stewing):
इस विधि में भोज्य पदार्थ को बहुत कम पानी के साथ ढक्कनदार बर्तन में धीमी आँच पर पकाया जाता है। इस विधि में समय अधिक लगता है परन्तु भोज्य पदार्थ नरम, सुपाच्य एवं स्वादिष्ट बनता है। उदाहरण के लिए मांस, साग, सब्जियों का स्टूईंग।

4. भाप द्वारा पकाना (Steaming):
पानी को उबालने पर यह वाष्प में परिवर्तित हो जाता है तथा भोज्य पदार्थ इसी वाष्प के ताप द्वारा पकता है। भाप द्वारा भोज्य पदार्थ दो विधियों से पकाया जाता है –

(अ) प्रत्यक्ष विधि:
इस विधि में एक भगोने में पानी गर्म करते हैं। जब पानी उबलने लगता है तब एक जालीदार पात्र में भोज्य पदार्थ को रखकर उसे पानी की सतह से ऊँचाई पर रखकर भगोने को ढक दिया जाता है। इस विधि द्वारा ढोकला, इडली आदि बनाए जाते हैं।

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(ब) अप्रत्यक्ष विधि:
इस विधि में भोज्य पदार्थ सीधे आग के सम्पर्क में नहीं रहता है। इसमें भोज्य सामग्री को चारों ओर से बन्द बर्तन में रखकर भगोने में उबलते हुए जल में रख देते हैं। ध्यान रहे कि बर्तन पानी की सतह से ऊपर रहे। भगोने को ढक्कन से ढक देते हैं जिससे भोज्य पदार्थ भाप या पानी के सम्पर्क में नहीं आए तथा भाप अन्दर ही रहे। इस विधि द्वारा खमण एवं पुडिंग बनाए जाते हैं।

5. दाब द्वारा पकाना (Pressure cooking):
इस विधि में भोज्य पदार्थ को सामान्य वायुमण्डलीय दाब से अधिक दाब पर पकाया जाता है। इस विधि में पानी 100°C से अधिक ताप पर उबलता है तथा वाष्य बाहर नहीं निकलने के कारण भोजन शीघ्र पक जाता है। इस विधि द्वारा आलू 10-12 मिनट में, चावल 6-8 मिनट में तथा काबली चना लगभग 30 मिनट में पक जाते हैं।

6. गर्म वायु द्वारा पकाना:
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित विधियाँ हैं –

(i) प्रत्यक्ष भूनना / सेंकना:
इस विधि में भोज्य पदार्थ को सीधे ही आग के सम्पर्क में पकाया जाता है। भूनते समय भोज्य पदार्थ को चारों ओर घुमाया जाता है ताकि समान रूप से पक जाए। इस विधि से आलू, शकरकन्द, भुट्टा, मांस आदि को भूना जाता है। अप्रत्यक्ष भूनना-इस विधि में भोज्य पदार्थ आँच के सीधे सम्पर्क में नहीं आता। जैसे-तवे पर रोटी सेंकना,
गर्म रेत में चने, मूंगफली सेंकना आदि।

(iii) बेकिंग (Baking):
इस विधि से भोज्य पदार्थ पकाने हेतु तन्दूर या ओवन का उपयोग किया जाता है। ये ढक्कनदार बन्द पात्र होते हैं, जिस कारण ताप तन्दूर या ओवन की हवा को गर्म करता है तथा गर्म हवा भोजन को पकाती है। इस विधि से बाटी, नॉन, केक, बिस्किट आदि बनाए जाते हैं।

7. चिकनाई द्वारा पकाना-भोजन को चिकनाई के माध्यम से पकाने की विधि सबसे अधिक लोकप्रिय है क्योंकि चिकनाई के सम्पर्क से भोज्य पदार्थों के स्वाद में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है और भोजन शीघ्रता से भी पकता है। प्रयोग में लाए जाने वाले तेल या घी की मात्रा के आधार पर इसकी अग्रांकित विधियाँ हैं –

(i) उथला तलने की विधि (Shallow fat frying):
इस विधि में भोज्य पदार्थो को कम गहरे बर्तन जैसे तवा, फ्राइंग पैन आदि में कम तेल या घी में धीमी आँच पर पकाते हैं। घी या तेल इतना लेते हैं ताकि पकाया जाने वाला
भोज्य पदार्थ बर्तन में चिपके नहीं। इस विधि से परांठा, चीला, डोसा, कटलेट्स आदि बनाए जाते हैं।

(ii) गहरा तलने की विधि (Deep fast frying):
इस विधि को फ्रेंच विधि भी कहते हैं। इस विधि में कड़ाही में घी या तेल पर्याप्त मात्रा में डाला जाता है ताकि तली जाने वाली वस्तु उसमें डूब सके। इस विधि से पूड़ी,
कचौड़ी समौसा, पकौड़ी आदि बनाए जाते हैं।

(iii) सॉटिंग (Sauting):
इस विधि में भोज्य पदार्थो को बहुत ही कम घी या तेल में धीमी आँच पर पकाया जाता है। इसमें भोज्य पदार्थ को कम ताप पर उलट-पलट कर तब तक पकाते हैं जब तक कि सारा तेल या घी अवशोषित न हो जाए। इस विधि से सभी प्रकार की सब्जियाँ पकाई जाती हैं।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
नमी द्वारा भोजन पकाने की विधि नहीं है –
(अ) स्ट्यू इंग
(ब) सॉटिंग
(स) खदकाना
(द) उबालना
उत्तर:
(ब) सॉटिंग

प्रश्न 2.
खदकाने की विधि द्वारा पकायी जाती है –
(अ) सब्जी
(ब) मांस
(स) खीर
(द) रोटी
उत्तर:
(स) खीर

प्रश्न 3.
प्रेशर कुकिंग विधि में पानी उबलता है –
(अ) 85°C
(ब) 50°C तापमान पर
(स) 100°C
(द) 100°C से अधिक तापमान पर
उत्तर:
(द) 100°C से अधिक तापमान पर

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प्रश्न 4.
बेकिंग द्वारा पकाया जाता है –
(अ) बाटी
(ब) नान
(स) केक
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 5.
फ्रैंच विधि हैं –
(अ) अप्रत्यक्ष भूनाना
(ब) गहरा तलना
(स) उथला तलना
(द) सॉटिंग
उत्तर:
(ब) गहरा तलना

रिक्त स्थान भरिए
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. पानी को उबालने पर यह ……… में परिवर्तित हो जाता है।
2. भोजन को ……… के माध्यम से पकाने की विधि सबसे अधिक लोकप्रिय है।
3. चावल का मांड फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि इसमें कई .,……. होते हैं।
4. ………विधि द्वारा चावलों की पौष्टिकता को बढ़ाया जाता है।
5. ……… के द्वारा साबुत अनाज व दालों की पौष्टिकता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।
उत्तर:
1. वाष्प
2. चिकनाई
3. पोषक तत्त्व
4. पारबॉयलिंग
5. अंकुरीकरण

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए।
स्तम्भ A                                   स्तम्भ B
1. प्रेशर कुकर                  (a) कड़ाही
2. गहरा तलना                 (b) इडली, डोसा
3. अंकुरीकरण                 (c) बेरी-बेरी
4. खमीरीकरण                 (d) दाब विधि
5. पौलिश किए चावल        (e) साबुत अनाज
उत्तर:
1. (d) दाब विधि
2. (a) कड़ाही
3. (e) साबुत अनाज
4. (b) इडली, डोसा
5. (c) बेरी-बेरी

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन पकाने का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
भोजन स्वादिष्ट, सुपाच्य तथा पौष्टिक बनाना।

प्रश्न 2. पकाने से भोजन सरक्षित कैसे हो जाता है?
उत्तर:
पकाने से भोजन में उपस्थित जीवाणु व अन्य रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
पानी का क्वथनांक कितना होता है?
उत्तर:
पानी का क्वथनांक 100°C होता है।

प्रश्न 4.
उबालकर बनाई जाने वाली दो खाद्य सामग्रियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आलू, चावल।

प्रश्न 5.
भाप द्वारा बनाए जाने वाले दो व्यंजनों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • ढोकला
  • इडली।

प्रश्न 6.
दाब विधि द्वारा चावल पकाने में कितना समय लगता है?
उत्तर:
दाब विधि द्वारा चावल पकाने में 6-8 मिनट का समय लगता है।

प्रश्न 7.
उथला तलने की विधि द्वारा पकाए जाने वाले दो व्यंजनों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • परांठा
  • चीला।

प्रश्न 8.
दाल व चावल को पकाने से पहले अधिक रगड़कर नहीं धोना चाहिए, क्यों?
उत्तर:
अधिक रगड़कर धोने से इन पदार्थों के जल-विलेय विटामिन नष्ट हो जाते हैं।

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प्रश्न 9.
बेकिंग में किन साधनों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
ओवन एवं तन्दूर का।

प्रश्न 10.
प्रेशर कुकर में भोजन पकाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
प्रेशर कुकर में भोजन पकाने से पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में सुरक्षित रहते हैं और समय एवं ईंधन की बचत होती है।

प्रश्न 11.
अंकुरीकरण से अनाज व दालों में कौन-से विटामिन बढ़ जाते हैं?
उत्तर:
विटामिन ‘सी’ एवं ‘बी’ समूह के विटामिन।

प्रश्न 12.
पारबॉयलिंग द्वारा चावलों में किन तत्त्वों की पौष्टिकता शामिल हो जाती है?
उत्तर;
प्रोटीन एवं ‘बी’ समूह के विटामिनों की।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन पकाने की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भोजन पकाने की विधियाँ –

  • नमी द्वारा पकाना – उबालना, खदकाना, स्ट्यूइंग, भाप द्वारा पकाना, दाब द्वारा पकाना।
  • गर्म वायु द्वारा पकाना-भूनना/सेंकना, बेकिंग।
  • चिकनाई द्वारा पकाना-उथला तलने की विधि, गहरा तलने की विधि, सॉटिंग।

प्रश्न 2.
सब्जियों को कम से कम पानी द्वारा और ढककर क्यों पकाना चाहिए?
उत्तर:
सब्जियों को कम से कम पानी द्वारा और ढककर पकाना चाहिए जिससे भाप द्वारा उनके पौष्टिक तत्त्व नष्ट न हों। सब्जी उबालने के लिए यदि पानी अधिक हो गया हो तो उसे फेंकें नहीं वरन् दाल के लिए रसा बनाने, आटा गूंथने के काम ले लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने की विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने की विधियाँ –

  • खाद्य पदार्थों का मिश्रित उपयोग
  • अंकुरीकरण
  • खमीरीकरण
  • फोर्टिफिकेशन
  • पारबॉयलिंग।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 16 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन पकाते समय, उसके पौष्टिक तत्त्व नष्ट न हों, इसके लिए उपाय समझाइए।
उत्तर:
भोजन की पौष्टिकता उसमें उपस्थित. पौष्टिक तत्त्वों पर निर्भर करती है; जैसे – अनाज कार्बोहाइड्रेट के, दालें प्रोटीन की, फल एवं सब्जियाँ विटामिन तथा खनिज लवणों के अच्छे स्रोत हैं। लेकिन पकाते समय एवं पकाने से पूर्व की तैयारी के दौरान भोज्य पदार्थ में उपस्थित पौष्टिक तत्त्वों की गुणवत्ता, मात्रा व उपलब्धता में परिर्वतन हो जाता है। अत: भोजन पकाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पौष्टिक तत्त्व कम-से-कम नष्ट हों। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

1. फल एवं सब्जियों को ताजा ही प्रयोग में लेना चाहिए। जो खाद्य पदार्थ कच्चे रूप में प्रयोग में लाए जा सकें उन्हें कच्चा ही खाएँ ताकि विटामिन, लवण अधिक मात्रा में उपलब्ध हो सकें; जैसे – टमाटर, गाजर, खीरा, मूली, प्याज आदि।

2. सब्जियों के छिलके कम – से – कम तथा पतले छीलें ताकि छिलकों के नीचे उपस्थित विटामिन व खनिज लवण . कम-से-कम नष्टं हों।

3. सब्जियों को अधिक बड़े टुकड़ों में काटें। छोटे – छोटे टुकड़ों में काटने से अनावृत क्षेत्र (Exposed area) बढ़ जाता है और पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में नष्ट हो जाते हैं।

4. सब्जियों को कम – से – कम पानी में सदैव ढककर पकाना चाहिए जिससे भाप द्वारा उनके पौष्टिक तत्व नष्ट न हों। सब्जी उबालने के लिए यदि पानी अधिक हो गया है, तो उसे फेंकें नहीं बल्कि उसका उपयोग दाल के लिए रसा बनाने, आटा गूंथने या सूप बनाने में कर लेना चाहिए।

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5. दाल-चावल आदि को रगड़ – रगड़ कर न धोएं क्योंकि ऐसा करने से उनमें उपस्थित जल में विलेय विटामिन नष्ट हो जाते हैं।

6. चावल का मांड फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि इसमें कई पोषक तत्त्व होते हैं।

7. भोजन में ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज व छिलके वाली दालों का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि इनमें ‘बी’ समूह के विटामिन, खनिज लवण व रेशे बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

8. भोजन को पकाते समय उसे ज्यादा चलाना नहीं चाहिए। ऐसा करने से भोजन का अधिक से अधिक भाग हवा के सम्पर्क में आता है, जिससे विटामिन-सी ऑक्सीकृत होकर नष्ट हो जाता है।

9. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ; जैसे – अण्डा, मांस, मछली आदि को धीमी आँच पर पकायें। तेज आँच पर उनमें उपस्थित प्रोटीन सख्त हो जाता है व आसानी से नहीं पचता।

10. प्रेशर कुकर में खाना बनाने से पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में सुरक्षित रहते हैं और समय व ईंधन की बचत होती है।

11. भोज्य पदार्थों में उपस्थित पोषक तत्त्वों की मात्रा व उपलब्धि को बढ़ाने के लिए मिश्रित उपयोग, अंकुरीकरण, खमीरीकरण, फॉर्टिफिकेशन, पारबॉयलिंग आदि विधियों का उपयोग किया जा सकता है।

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