RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 22 वस्त्र परिसज्जा

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 वस्त्र परिसज्जा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) करघे द्वारा बुनकर तैयार वस्त्र कहलाता है –
(अ) ग्रे-गुड्स
(ब) खुरदरा वस्त्र
(स) परिष्कृत वस्त्र
(द) चिकना वस्त्र
उत्तर:
(अ) ग्रे-गुड्स।

(ii) यांत्रिक परिसज्जा का उदाहरण है –
(अ) सिजिंग
(ब) मर्सिराइजिंग
(स) अग्नि निरोधक परिसज्जा
(द) कीट अवरोधी
उत्तर:
(अ) सिजिंग।

(iii) परिसज्जा की जाती है –
(अ) वस्त्र पर
(ब) रेशे पर
(स) उपरोक्त दोनों पर
(द) धागों पर
उत्तर:
(अ) वस्त्र पर।

(iv) रासायनिक परिसज्जा का उदाहरण है –
(अ) टेटरिंग
(ब) कुटाई
(स) नेपिंग
(द) फफूंदी रोधक
उत्तर:
(द) फफूंदी रोधक।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो –
1. परिसज्जा -वस्त्र को आज की ……… के आधार पर तैयार करते हैं।
2. यांत्रिक परिसज्जा ……… द्वारा दी जाती है।
3. रासायनिक परिसज्जा ……… के द्वारा दी जाती है।
4. मर्सिराइजिंग क्रिया में ……… रसायन का प्रयोग होता है।
5. मोएरिंग परिसज्जा में वस्त्र की सतह पर ……… के समान नमूने बनाए जाते हैं।
उत्तर:
1. मांग व उपयोगिता
2. यंत्रों
3. रसायनों
4. कास्टिक सोडा
5. पानी की धारियों।

प्रश्न 3.
वस्त्र परिसज्जा के उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर:
वस्त्र परिसज्जा के उद्देश्य –

  • वस्त्र के बाह्य स्वरूप में सौन्दर्यात्मक एवं आकर्षण गुणों को बढ़ाना।
  • वस्त्रों की क्रियात्मक गुणवत्ता बढ़ाना।
  • वस्त्रों में विभिन्नता उत्पन्न करना।
  • वस्त्र की उपयोगिता एवं प्रयोजनशीलता बढ़ाना।
  • निश्चित सेवा विषयक गुण एवं टिकाऊपन में वृद्धि करना।
  • अनुकरणीय एवं बनावटीपन लाने हेतु।
  • वस्त्रों का रख-रखाव आसान बनाना।
  • वस्त्रों को कड़ा एवं वजनी बनाना।
  • घटिया वस्त्रों को आकर्षक बनाना।

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प्रश्न 4.
वस्त्र परिसज्जा का अर्थ बताते हुए यांत्रिक एवं रासायनिक परिसज्जा को उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
वस्त्र परिसज्जा:
करघे से निकला वस्त्र अनुपयोगी, अनाकर्षक एवं त्रुटिपूर्ण होता है। इसे उपयोगी, आकर्षक एवं त्रुटिहीन बनाने तथा आज की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित करने की प्रक्रिया को वस्त्र परिसज्जा कहते हैं।

यांत्रिक परिसज्जा:
वह परिसज्जाओं यन्त्रों द्वारा की जाती है, उसे यांत्रिक परिसज्जा कहते हैं। उदाहरण के लिए वस्त्र बुनते समय इसमें रह गए छिद्रों को भरने तथा इसे सघन एवं चिकना बनाने के लिए लोहे एवं लकड़ी की हथोड़ियों से वस्त्र की सतह को कूटा जाता है। वस्त्र से रोंये, धागे आदि को हटाने के लिए सिजिंग प्रक्रिया अपनायी जाती है।

रासायनिक परिसज्जा:
वह परिसज्जा जिसमें रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है, उसे रासायनिक परिसज्जा कहते हैं। उदाहरण के लिए, कीड़ों से बचाने के लिए वस्त्र की सतह पर कुछ फ्लोराइड लगा दिए जाते हैं। इसी प्रकार फफूंदी से बचाव के लिए फार्मेल्डिहाइड का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
1. कड़ा करना एवं भरना,
2. सिलवटरोधी परिसज्जा,
3. जलभेद (जल निरोधक) परिसज्जा
उत्तर:
1. कड़ा करना एवं भरना:
यह वस्त्र की अस्थाई परिसज्जा होती है और वस्त्र की धुलाई के बाद समाप्त हो जाती है। वस्त्र के छिद्रों को भरने हेतु एवं वस्त्र को कड़ा करने के लिए स्टार्च, मोम, गोंद, जिलेटिन, मैग्नीशियम सल्फेट एवं मैग्नीशियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है। वस्त्र को चमकदार बनाने के लिए मोम, पैराफिर आदि का प्रयोग किया जाता है। साइजिंग (कड़ापन) की क्रिया सम्पान्न करने के लिए वस्त्र को ऐसे रोलर के बीच से गुजारा जाता है जो कड़े करने वाले पदार्थ में डूबते एवं निकलते हैं, जिससे वस्त्र के दोनों ओर कड़ा करने वाला पदार्थ एक साथ चिपक जाता है एवं वस्त्र कड़ा हो जाता है।

2. सिलवटरोधी परिसज्जा:
सूती, लिनन के वस्त्रों में लचकने तथा प्रत्यास्थता का अभाव होने से एक बार उपयोग लेते ही शीघ्र सिलवट युक्त हो जाने को रोकने के लिए सिलवटरोधी परिसज्जा दी जाती है। इस परिसज्जा के लिए रासायनिक विधि से धागों में रासायनिक राल, प्राय: फिनॉल फार्मेल्डिहाइड अथवा यूरिया फार्मेल्डिहाइड का प्रवेश कराया जाता है तथा उन्हें लचीला बनाया जाता है। इस प्रकार प्रत्यास्थता एवं लचीलापन आने से कपड़ा सिलवट प्रतिरोधी बन जाता है।

3. जलभेद (जल निरोधक) परिसज्जा:
वर्षा के मौसम में उपयोग में आने वाले सभी वस्त्रों को जल अवरोधक बनाया जाता है, ताकि वस्त्र के भीतर पानी प्रवेश न कर सके। इसके लिए वस्त्र को सतह पर रबड़ या प्लास्टिक की रासायनिक राल लगा दी जाती है। यह रसायन वस्त्र के छिद्रों को बंद कर वस्त्र को पूर्णत: ढक देता है; जिससे इस पर गिरा पानी ऊपर से ही फिसल कर बह जाता है। परन्तु इससे वस्त्र का सिरसिरापन खत्म हो जाता है और ये स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अच्छे नहीं होते हैं। आजकल उन्नत जल निवारक पदार्थों से अच्छे किस्म के वस्त्र तैयार किए जाते हैं। जिससे सिरसिरापन भी बना रहता है, और पानी भी भीतर प्रवेश नहीं करता है।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –

प्रश्न 1.
वस्त्र पर परिसज्जा का प्रयोग निर्भर करता है –
(अ) समय पर
(ब) आवश्यकता पर
(स) प्रकृति पर
(द) प्रकृति एवं प्रयोजन पर
उत्तर:
(द) प्रकृति एवं प्रयोजन पर

प्रश्न 2.
परिसज्जा के प्रकार हैं –
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(ब) तीन

प्रश्न 3.
वस्त्र की सतह को चिकना बनाने के लिए परिसज्जा की जाती है –
(अ) बीटिंग
(ब) सिजिंग
(स) मोएरिंग
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) सिजिंग

प्रश्न 4.
अस्थाई परिसज्जा का उदाहरण है –
(अ) सिकुड़न निरोधक
(ब) जल निरोधक
(स) कड़ापन
(द) स्थाई इस्त्री
उत्तर:
(स) कड़ापन

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प्रश्न 5.
वस्त्र पर फफूंदी के बचाव के लिए प्रयोग किया जाता है –
(अ) मैग्नीशियम फ्लोराइड
(ब) कैल्सियम क्लोराइड
(स) जिंक क्लोराइड
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

रिक्त स्थान भरिए
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए –
1. वस्त्र परिसज्जा का प्रयोग वस्त्र की ……… एवं ……… पर निर्भर है।
2. सौन्दर्यात्मक आकर्षण प्रवृत्ति एवं फैशन के दौर ने ……… में क्रान्ति ला दी है।
3. यंत्रों द्वारा दी जाने वाली ……… एवं रसायनों द्वारा दी जाने वाली परिसज्जा ………… कहलाती है।
4. साइजिंग के द्वारा ढीले-ढाले वस्त्रों को ……… व ……… प्रदान किया जाता है।
5. मर्सिराइजिंग के दौरान ……… रसायन का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
1. प्रकृति, प्रयोजन
2. वस्त्र परिसज्जा उद्योग
3. यांत्रिक, रासायानिक परिसज्जा
4. आकार, स्थायित्व
5. कॉस्टिक

सोडा।
सुमेलन स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए –
स्तम्भ A                                 स्तम्भ B
1. ग्रे-गुड्स            (a) वस्त्र की लम्बाई-चौड़ाई इकसार करना
सिजिंग                 (b) ढीले-ढाले वस्त्रों को स्थायित्व देना
3.मर्सिराइजिंग       (c) वस्त्रों को चिकना व चमकीला बनाना
4. विरंजन             (d) करघे से उतारा गया वस्त्र
5.टेंटरिंग               (e) कपड़े से रंग उड़ाना
उत्तर:
1. (d) करघे से उतारा गया वस्त्र
2. (b) ढीले-ढाले वस्त्रों को स्थायित्व देना
3. (c) वस्त्रों को चिकना व चमकीला बनाना
4. (e) कपड़े से रंग उड़ाना
5. (a) वस्त्र की लम्बाई-चौड़ाई इकसार करना

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रे-वस्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
करघे से उतारे गए वस्त्रों को ग्रे-गुड्स या ग्रे वस्त्र कहते हैं अथवा जो वस्त्र परिसज्जा रहित होते हैं उन्हें ग्रे-गुड्स कहा जाता है।

प्रश्न 2.
यांत्रिक एवं रासायनिक परिसज्जा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यंत्रों द्वारा दी गई परिसज्जा यांत्रिक परिसज्जा तथा रसायनों द्वारा दी गई परिसज्जा रासायनिक परिसज्जा कहलाती है।

प्रश्न 3.
मर्सिराइजेशन क्रिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मर्सिराइजेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा खुरदरी सतह वाले सूती वस्त्र को सघन संरचना वाला, चिकना, चमकीला एवं आकर्षक बनाया जाता है।

प्रश्न 4.
किन प्रक्रियाओं द्वारा वस्त्र क्रमशः सघन रचना वाले, श्वेत एवं कड़क हो जाते हैं?
उत्तर:
कुटाई, विरंजन, टेंटरिंग की प्रक्रियाओं द्वारा वस्त्र क्रमशः सघन रचना वाले, श्वेत एवं कड़क हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
सेन्फोराइज्ड किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस वस्त्र को सिकुड़ने से रोकने के लिए पहले से ही स्थिर आकार दे दिया जाता है उसे सेन्फोराइज्ड कहते हैं।

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प्रश्न 6.
आधारभूत परिसज्जाओं के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सफाई, कुटाई, कड़ा करना, टेंटरिंग आदि।

प्रश्न 7.
विशिष्ट परिसज्जाओं के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
मर्सिराइजिंग, अग्नि निरोधन, सिलवट निरोधन, फफूंद निरोधन आदि।

प्रश्न 8.
आधारभूत परिसज्जा एवं विशिष्ट परिसज्जा में क्या अन्तर है?
उत्तर:
आधारभूत परिसज्जा द्वारा वस्त्र साफ, सफेद, चमकीले व कड़क हो जाते हैं, जबकि विशिष्ट परिसज्जा द्वारा वस्त्रों को विभिन्न रंगों एवं नमूनों द्वारा डिजाइनदार एवं आकर्षक बनाया जाता है।

प्रश्न 9.
सूती वस्त्रों को सिलवट प्रतिरोधी बनाने के लिए क्या किया जाता है?
उत्तर:
सूती वस्त्रों को सिलवट प्रतिरोधी बनाने के लिए फिनाइल फार्मेल्डिहाइड व यूरिया फार्मेल्डिहाइड का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
वस्त्रों को कड़ा बनाने के लिए क्या किया जाता है?
उत्तर:
वस्त्रों को कड़ा बनाने के लिए मांड, गोंद आदि लगाया जाता है।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
परिसज्जा को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वस्त्र परिसज्जा को मुख्य दो कारक प्रभावित करते हैं –
1. तन्तु की प्रकृति – वस्त्र उपयोगी तन्तु के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर ही वस्त्र पर विभिन्न क्रियाएँ करके अपनी आवश्यकतानुसार परिसज्जा दी जाती है।

2. बुनाई की विधि – वस्त्र की बुनाई के विभिन्न तरीके वस्त्र को दी जाने वाली परिसज्जा को प्रभावित करती है। समान बढ़ाई से बुने वस्त्र पर किसी भी प्रकार की परिसज्जा दे सकते हैं, किन्तु जटिल एवं विभिन्नता लिए हुए बटाई (विषम एवं जटिल धागे) से बने वस्त्र पर परिसज्जा देना भी जटिल होता है।

प्रश्न 2.
टेंटरिंग से आप क्या समझते हैं? यह कैसे किया जाता है?
उत्तर:
टेंटरिंग (Tantering):
वस्त्र के टेढ़ेपन, असमान आकृति को ठीक करके पूरी लम्बाई में सभी स्थानों से समान चौड़ाई का बनाने को टेंटरिंग कहा जाता है। इस कार्य के लिए टेंटरिंग मशीन के दोनों ओर लगे हुए हुक में वस्त्र की सेल्वेज को फंसाकर वस्त्र को प्रेम पर तान देते हैं, एवं गर्म वायु प्रवाहित करते हैं जिससे जहाँ से वस्त्र फैलना एवं सिकुड़ना होता है, फैल एवं सिकुड़कर समान चौड़ाई वाला हो जाता है।
RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 22 वस्त्र परिसज्जा a

प्रश्न 3.
कैलेंडरिंग प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
कैलेंडरिंग (Calendering):
इस प्रक्रिया में गर्म एवं भारी उत्तम पॉलिश किए हुए स्टील रॉलरों के बीच से वस्त्र को गुजारा जाता है। विभिन्न वर्ग के रेशों के लिए अलग-अलग वजन के रौलरों का प्रयोग किया जाता है। इसे बड़े पैमाने पर इस्त्री करने की प्रक्रिया भी कहते हैं। इससे वस्त्र चमकदार भी हो जाता है।

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प्रश्न 4.
परिसज्जा के मुख्य प्रकारों के नाम लिखो। कार्यशील परिसज्जा क्या है?
उत्तर:
परिसज्जा मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं –

  • यांत्रिक
  • रासायनिक एवं
  • कार्यशील परिसज्जा।

कार्यशील परिसज्जा:
विशेष क्रियाओं के लिए की जाने वाली परिसज्जा इस समूह में आती है; जैसे – जल अवरोधक, अग्निरोधक, कीट, फफूंद, कीटाणुनाशक आदि परिसज्जाएँ।

प्रश्न 5.
कुटाई प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
कुटाई (Beating):
करघे के द्वारा बुनने के बाद वस्त्र की सतह खुरदरी, कड़ी एवं बीच-बीच में छिद्रयुक्त होती है। ऐसे वस्त्र को सघन, चिकना एवं चमकदार बनाने के लिए लकड़ी एवं लोहे की हथौड़ी से वस्त्र की सतह को कूटा जाता है, इस क्रिया से वस्त्र के बीच के छिद्र भर जाते हैं। धागे चपटे एवं वस्त्र की संरचना सघन हो जाती है।

प्रश्न 6.
साइजिंग से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर:
साइजिंग (Sizing):
ग्रे-गुड्स अर्थात् ग्रे-वस्त्र की सतह को चिकना बनाने के लिए बुनाई के बाद सतह पर निकले रोओं, गाँठों, धागों आदि को ताँबे के गर्म रोलरों एवं प्लेटों के बीच में से गुजारकर झुलसाकर समाप्त कर दिया जाता है, जिससे वस्त्र की सतह चिकनी हो जाती है। इस प्रक्रिया को साइजिंग कहते हैं।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 22 निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्न को समझाइए –
1. मोएरिंग
2. मर्सिराइजिंग
3. सिकुड़नरोधी परिसज्जा
उत्तर:
1. मोएरिंग:
इस प्रक्रिया में वस्त्र की सतह पर पानी की धारियों के समान नमूने बनाए जाते हैं, इसके लिए मोएरिंग मशीन में तीन आकारों वाले रॉलर लगे होते हैं। सबसे ऊपर वाले रॉलर पर कपड़ा चढ़ा होता है। कपड़े को पहले फिर दूसरे रॉलर के बीच से निकाला जाता है। पहले रॉलर की अपेक्षा दूसरे रॉलर की गति अधिक होती है, जिससे वस्त्र की सतह पर पानी की धारियों जैसी आकृति बन जाती है। इसके बाद इन पर सूक्ष्म व बारीक धारियाँ बन जाती हैं। इसके बाद इन पर सूक्ष्म एवं बारीक रेखाएँ बनाई जाती हैं, जो प्रकाश की किरणों में चमकती है।

2. मर्सिराइजिंग:
मर्सिराइजिंग परिसज्जा सामान्यत: सूती वस्त्र की सतह को सुन्दर, चमकदार एवं कांतिमय बनाने के लिए की जाती है। इस परिसज्जा के लिए वस्त्र को सर्वप्रथम विशेष रूप से कास्टिक सोड़े के घोल में 8-10 घंटे – .डुबाकर रखते हैं। तत्पश्चात खींचकर तान दिया जाता है और समान मात्रा में ताप एवं दाब प्रसारित किया जाता है। अब वस्त्र को साफ पानी में धोकर अतिरिक्त कास्टिक सोड़े को हटाया जाता है एवं पुन: पानी से धोकर खंगाल लिया जाता है। इस प्रकार मर्सिराइजिंग की क्रिया सम्पन्न की जाती है।

3. सिकुड़नरोधी परिसज्जा:
वस्त्र को सिकुड़ने से रोकने के लिए यह परिसज्जा की जाती है। यह परिसज्जा करघे से उतारे हुए वस्त्र को एक बार धोने के पश्चात दी जाती है। इस परिसज्जा के लिए वस्त्र को बारी-बारी से गर्म तथा ठण्डे पानी में डुबोकर, वाष्प के सम्पर्क में लाकर या रसायनों के प्रयोग से वस्त्र को स्थिर आकार दिया जाता है, जिससे यह वस्त्र बाद में सिकुड़ते नहीं हैं। ऐसे वस्त्र को प्रीमिंक (Presrink) का लेबल दिया जाता है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित को समझाइए –
1. अग्नि निरोधक परिसज्जा
2. कीड़ों से बचाना
3.फफूंदी से बचाव
उत्तर:
1. अग्नि निरोधक परिसज्जा:
इस परिसज्जा के लिए साधारण वस्त्र की सतह पर अमोनियम सल्फेट की इतनी मोटी तह लगा दी जाती है, जिससे वस्त्र के धागे पूर्णत: छिप जाते हैं। इस प्रकार अज्वलनशील मसाले द्वारा धागे पूर्णत: ढके होने से अग्नि नहीं पकड़ते हैं। यह अग्निशमन में कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए उपयोगी होते हैं।

2. कीड़ों से बचाना:
ऊनी, रेशमी और बहुमूल्य वस्त्रों को कीड़ों से बचाने के लिए वस्त्र की सतह पर कुछ फ्लोराइड का घोल लगा दिया जाता है। ये फ्लोराइड कीड़ों के लिए विष का कार्य करते हैं और वस्त्र सुरक्षित रहते हैं।

3. फफूंदी से बचाव:
नमी एवं शीलन युक्त स्थान पर रखे वस्त्रों पर प्रायः फफूंदी लग जाती है और वस्त्र पर काले-काले धब्बे दिखाई देते हैं। इससे वस्त्रों को बचाने के लिए इनकी सतह पर मैग्नीशियम फ्लोराइड, कैल्सियम क्लोराइड या जिंक क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए फार्मेल्डिहाइड एवं टरपेन्टाइन का प्रयोग भी किया जाता है।

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