RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 27 गृह क्रियाएँ, स्थान व्यवस्था एवं सज्जा

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 गृह क्रियाएँ, स्थान व्यवस्था एवं सज्जा

RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) रसोईघर किस क्षेत्र में आता है?
(अ) उपयोगी क्षेत्र
(ब) अनुपयोगी क्षेत्र
(स) एकान्त क्षेत्र
(द) कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) उपयोगी क्षेत्र।

(ii) रंग के नाम को कहा जाता है –
(अ) रंग
(ब) प्राथमिक रंग
(स) यू
(द) मूल्य
उत्तर:
(स) यू।

(iii) उष्ण रंग होता है –
(अ) हरा
(ब) नीला
(स) सफेद
(द) पीला
उत्तर:
(द) पीला।

(iv) लाल, नीला एवं पीला रंग है –
(अ) द्वितीय
(ब) तृतीय
(स) प्राथमिक
(द) विपरीत
उत्तर:
(स) प्राथमिक।

प्रश्न 2.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो –
(i) प्राथमिक रंग
(ii) गृहसज्जा हेतु कार्यात्मक वस्तुएँ
उत्तर:

  • प्राथमिक रंग (Primary colours):
    ये प्राथमिक रंग होते हैं। ये प्राकृतिक अवस्था में पाये जाते हैं। इन्हें किसी अन्य रंग के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उदाहरण-लाल, नीला व पीला।
  • गृह सज्जा हेतु कार्यात्मक वस्तुएँ (Working items for Home decoration):
    ये वस्तुएँ सौन्दर्य वृद्धि के साथ-साथ उपयोगी होती हैं। जैसे-लैम्प, दीवार घड़ी, एश ट्रे आदि।

प्रश्न 3.
गृह सज्जा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सज्जा विहीन घर बेहद रूखे, अनाकर्षक और बेजान से लगते हैं। गृह सज्जा द्वारा घरों को एक अभूतपूर्व आकर्षण मिलता है। गृह सज्जा द्वारा घर केवल आकर्षक एवं सुन्दर ही नहीं बनते बल्कि घर में रहने वाले सभी सदस्यों को मानसिक संतुष्टि भी मिलती है। गृह सज्जा द्वारा घर को सुन्दर, आकर्षक व सुविधापूर्ण बनाया जाता है, साथ ही गृहिणी साज-सज्जा द्वारा अपनी अभिव्यक्ति को साकार रूप दे सकती है।

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प्रश्न 4.
गृह-सज्जा में रंगों का उपयोग किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर:
गृह सज्जा में रंगों का उपयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1. रुचि:
रंगों का उपयोग करते समय अपनी तथा परिवार के सभी सदस्यों की रूचि का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। किसी को कमरे में बहुउद्देशीय योजना अच्छी लगती है, तो किसी को एकदम सादा सफेद।

2. मात्रा:
रंग का चुनाव करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी रंग को हम कितनी मात्रा में प्रयोग करें। जैसे-चटकीला बैंगनी रंग सज्जा में थोड़े स्थान में प्रयोग में लाने पर आकर्षक लग सकता है लेकिन इस रंग से चारों दीवारों को नहीं रंगा जा सकता। नीला रंग अधिक मात्रा में प्रयोग में लाने पर सुन्दर लगेगा जबकि
लाल रंग अधिक मात्रा में थकान उत्पन्न करने वाला होगा।

3. उद्देश्य:
रंग योजना बनाते समय कमरे के उद्देश्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। शयन कक्ष आराम करने का स्थान है, वहाँ शांत रगों का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों को गहरे व चमकीले रंग लुभाते हैं अत: बच्चों के कमरे में गहरे तथा चमकीले बहुरंगीय समिश्रण करना चाहिए।

4. कमरे की स्थिति व आकार के अनुसार रंग योजना:
किसी भी कमरे की स्थिति एवं आकार को ध्यान में रखकर रंग योजना का चुनाव करना चाहिए। जैसे-छोटे कमरे में हल्के रंग का प्रयोग करने से उसका आकार बड़ा प्रतीत होता है, जबकि गहरे रंग का प्रयोग करने से कमरा छोटा प्रतीत होता है। रंगों का अनुचित प्रयोग जहाँ किसी कमरे को दोषपूर्ण भी बना सकता है, वहीं रंगों का सही प्रयोग कक्ष के दोषों को छुपा भी सकता है।

5. उष्णता एवं शीतलता:
ठण्डी जलवायु वाली जगह उष्ण रंग एवं गर्म जलवायु वाली जगह शीतल रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

6. रंगों के विभिन्न प्रभाव:
एक ही रंग विभिन्न सतह पर अलग-अलग दिखाई प्रतीत होता है; जैसे – लाल, पीला, और नारंगी रंग, साटिन, शनील और रेशम पर चटकीले लगेंगे परन्तु खद्दर, जूट, सूती कपड़े पर धुंधले दिखाई देंगे।

7. विपरीत रंग:
विपरीत रंगों का प्रयोग एक-दूसरे को एकदम दर्शाते हैं। जैसे–काला और सफेद में काला अधिक काला लगेगा और सफेद अधिक सफेद। जबकि काले के साथ किसी अन्य रंग के उपयोग पर काला उतना काला नहीं लगता।

8. फैशन:
रंगों का उपयोग फैशन के आधार पर भी किया जा सकता है; जैसे पहले स्नानाघर में वॉशबेसिन, टाइल्स सब सफेद ही लगाए जाते थे। लेकिन अब ये विभिन्न रंगों में मिलने लगी हैं। जिस रंग का फैशन होता है, वहीं रंग प्रयोग में ला सकते हैं –

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प्रश्न 5.
विभिन्न रंग योजनाओं को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
रंग योजना:
रंग हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव डालते हैं। अतः इनका प्रयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए। रंग योजना दो प्रकार की होती है।
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इनके अलावा त्रिकोणीय रंग योजना एवं चतुष्कोणीय रंग योजना भी प्रयोग में लायी जाती है। एकरंगीय योजना-इस प्रकार की योजना में गृह-सज्जा हेतु केवल एक ही रंग का प्रयोग किया जाता है। परन्तु उस रंग के मूल्य में सफेद या काले रंग को विभिन्न अनुपात में मिलाकर परिवर्तन किया जा सकता है। इसी प्रकार तीव्रता में भी अन्तर लाया जा सकता है। जैसे-हरा, हल्का हरा, गहरा हरा, चमकीला हरा, धुंधला हरा आदि।

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समीपवर्ती रंग योजना-इस रंग योजना में प्रांग रंग चक्र के अनुसार गृह सज्जा पीला हरा हेतु किसी एक रंग व उसके आस-पास के दो रंगों का प्रयोग किया जाता है। पीला पीला जैसे – यदि पीला रंग मुख्य माना है तो उसके आस-पास के रंग पीला हरा और नारंगी पीला – नारंगी का उपयोग किया जाता है।

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विपरीत रंग योजना:
विपरीत रंग योजना में रंग चक्र में विपरीत दिशा के रंगों का समायोजन किया जाता है; जैसे-लाल-हरा तथा नीला-नारंगी। यदि दो विपरीत रंग योजना का प्रयोग किया जाए तो उसे द्विविपरीत रंग योजना भी कहते हैं। उदाहरणत: लाल-हरा, नीला-नारंगी।

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खण्डित विपरीत रंग योजना:
यह रंग योजना किसी एक रंग के ठीक विपरीत वाले रंग को न चुनकर उसके आस – पास वाले रंग चुनने पर प्राप्त की जाती है। जैसे-पीला रंग, लाल बैंगनी – नीला बैगनी रंग आदि।

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त्रिकोणीय रंग योजना:
रंग चक्र में बराबर दूरी पर स्थिति किन्हीं तीन रंगों के चुनाव करने पर त्रिकोणीय रंग योजना कहलाती है। जैसे-तीनों प्राथमिक रंग-लाल, नीला, पीला आदि।

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चतुष्कोणीय रंग योजना:
जब रंग चक्र में बराबर दूरी पर स्थित चार रंग प्रयुक्त किए जाते हैं, तब उसे चतुष्कोणीय रंग योजना कहते हैं। जैसे – पीला, नारंगी, हरा, नीला, बैंगनी व लाल या पीला, हरा, नीला,

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प्रश्न 6.
रंगों का प्रयोग करते समय कौन-कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर:
रंगों का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखी जानी चाहिए –

  • रंगों का चुनाव परिवार की रुचि के अनुसार करना चाहिए।
  • गहरे व अधिक चमकीले रंग का प्रयोग कम मात्रा में तथा हल्के रंगों को अधिक मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
    रंगों का प्रयोग स्थान एवं कमरे के उद्देश्य को ध्यान में रखकर चाहिए; जैसे-शयन कक्ष में शांत रंग एवं बच्चों के कक्ष में गहरे व चमकीले रंगों का उपयोग करना चाहिए।
  • रंगों का उपयोग कमरों के आकार के अनुसार करना चाहिए; जैसे-छोटे कमरे में हल्के रंग तथा बड़े कमरे में गहरे रंग।
  • ठंडे क्षेत्रों में उष्ण रंगों तथा गर्म क्षेत्रों में शीतल रंगों का उपयोग करना चाहिए।
  • रंगों का उपयोग सतह को ध्यान में रखकर करना चाहिए क्योंकि एक ही रंग का प्रभाव अलग-अलग सतहों पर बदल जाता है।
  • रंगों के विपरीत प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
  • रंगों के प्रयोग में आधुनिकता एवं फैशन का भी ध्यान रखना चाहिए।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
घर प्रदान करता है –
(अ) सुरक्षा
(ब) एकान्त
(स) संतोष
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 2.
लिविंग रूम का उपयोग किया जा सकता है –
(अ) आराम के लिए
(ब) सिलाई-बुनाई के लिए
(स) बैठने के लिए
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 3.
बहुउद्देशीय फर्नीचर है –
(अ) चारपाई
(ब) कुर्सी
(स) सोफा कम बेड
(द) डेस्क
उत्तर:
(स) सोफा कम बेड

प्रश्न 4.
मूल्य है –
(अ) रंग का हल्कापन
(ब) रंग का गहरापन
(स) ‘अ’ एवं ‘ब’ दोनों
(द) रंग का चमकीलापन
उत्तर:
(स) ‘अ’ एवं ‘ब’ दोनों

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा प्राथमिक रंग नहीं है?
(अ) लाल
(ब) हरा
(स) नीला
(द) पीला
उत्तर:
(ब) हरा

रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए –
1. ……… में घर के बक्से, सूटकेस, बिस्तर आदि सामान रखा जाता है।
2. ……… एक ऐसी कला है, जो घर को नया रूप देती है।
3. जब किसी एक प्राथमिक रंग को उसके पास वाले द्वितीय रंग के बराबर अनुपात में मिलाते हैं तो ……… प्राप्त होता है।
4. जब रंग चक्र में बराबर दूरी पर स्थित चार रंग प्रयुक्त किए जाते हैं उसे ………कहते हैं।
5. वे वस्तुएं जो सौंदर्य वृद्धि के साथ-साथ उपयोगी भी होती है, ……… कहलाती है।
उत्तर:
1. भण्डार कक्ष
2. गृह – सज्जा
3. तृतीयक रंग
4. चतुष्कोणीय रंग योजना
5. कार्यात्मक / उपयोगी।

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B का मिलान कीजिए।
स्तम्भ A                             स्तम्भ B
1. कलात्मक दर्पण      (a) कार्यात्मक वस्तु
2. मछलीघर              (b) नारंगी
3. दीवार घड़ी            (c) हरा
4. ऊष्ण रंग               (d) सौंदर्यात्मक वस्तु
5. शीतल रंग              (e) प्राकृतिक वस्तु
उत्तर:
1. (d) सौंदर्यात्मक वस्तु
2. (e) प्राकृतिक वस्तु
3. (a) कार्यात्मक वस्त
4. (b) नारंगी
5. (c) हरा

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह क्रियाओं हेतु स्थान विभाजन को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
परिवार के सदस्यों की संख्या, उपलब्ध सामान, उपलब्ध स्थान, सदस्यों की आयु, रुचियाँ, आर्थिक स्तर आदि।

प्रश्न 2.
स्वागत कक्ष क्या होता है?
उत्तर:
मकान का वह कमरा जहाँ मेहमानों के बैठने की व्यवस्था होती है, अतिथि कक्ष कहलाता है।

प्रश्न 3.
घर को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
घर वह स्थान है जहाँ परिवार अपनी आवासीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और जहाँ प्रत्येक व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रश्न 4.
गृह-सज्जा का क्या महत्व है?
उत्तर:
गृह-सज्जा द्वारा घर को सुन्दर, आकर्षक व सुविधापूर्ण बनाया जाता है, साथ ही गृहिणी साज-सज्जा द्वारा अपनी अभिव्यक्तियों को साकार रूप दे सकती है।

प्रश्न 5.
गृह-सज्जा में रंग क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर:
गृह-सज्जा में प्रयुक्त रंग हमारे मनोभावों को प्रभावित करते हैं।

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प्रश्न 6.
कला के तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कला के तत्व-रेखा, आकार, बनावट, रंग, प्रकाश तथा स्थान।

प्रश्न 7.
रंग के तीन आधारभूत गुण कौन-से हैं?
उत्तर:
रंग के तीन आधारभूत गुण हैं – ह्यू (Hue), मूल्य (Value) तथा तीव्रता (Chroma)

प्रश्न 8.
प्राथमिक रंग कौन-से है?
उत्तर:
लाल, नीला एवं पीला प्राथमिक रंग हैं।

प्रश्न 9.
द्वितीयक रंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नारंगी, बैंगनी तथा हरा रंग द्वितीय रंग हैं।

प्रश्न 10.
तृतीय रंगों के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:

  • लाल – नारंगी
  • पीला – नारंगी।

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प्रश्न 11.
उदासीन रंगों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
काला, सफेद, स्लेटी, भूरा आदि उदासीन रंग हैं।

प्रश्न 12.
खण्डित विपरीत रंग योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
रंग योजना जो किसी एक रंग के ठीक विपरीत वाले रंग को न चुनकर उसके आस-पास वाले रंग चुनने पर प्राप्त की जाती है। खण्डित विपरीत रंग योजना कहलाती है।

प्रश्न 13.
लाल व पीले रंग को उष्ण रंग क्यों माना जाता है?
उत्तर:
लाल व पीले रंग अग्नि एवं सूर्य में हैं, इसलिए इन्हें उष्ण रंग माना जाता है।

प्रश्न 14.
कार्यात्मक एवं उपयोगी वस्तुएँ क्या होती हैं?
उत्तर:
ऐसी वस्तुएँ जो सौंदर्य वृद्धि के साथ – साथ उपयोग में भी आती हैं; कार्यात्मक एवं उपयोगी वस्तुएँ कहलाती हैं।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक उत्तम आवास हेतु किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
एक उत्तम आवास हेतु निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  • मकान स्वास्थ्य के नियमों के अनुकूल हो अर्थात् हवादार एवं प्रकाश युक्त होना चाहिए।
  • मकान परिवार की विभिन्न दैनिक क्रियाओं हेतु पर्याप्त स्थान एवं सुविधाएँ प्रदान करने वाला होना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
1. स्नान गृह
2. अतिथि कक्ष
उत्तर:
1. स्नान गृह (Bathroom):
स्नान घर का उचित स्थान शयन कक्ष के पास होता है। स्नान घर में उचित प्रकाश एवं शुद्ध हवा की व्यवस्था होनी चाहिए। आजकल स्नान घर के साथ शौचालय भी संलग्न होता है। यदि स्नानघर बड़ा हो तो श्रृंगार कक्ष के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

2. अतिथि कक्ष (Guest room):
जब मकान बड़ा हो तब अतिथि कक्ष की व्यवस्था की जाती है। यह कक्ष घर के एक कोने की ओर होता है, जिससे अन्य सदस्यों की एकान्तता में रुकावट न आए। अतिथि कक्ष को अध्ययन कक्ष के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
बच्चों का कमरा तैयार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
बच्चों का कमरा (Children’s room):
प्रत्येक परिवार में बच्चों के लिए अलग से कमरे की अत्यन्त आवश्यकता होती है। क्योंकि बच्चे परिवार के वे सदस्य होते हैं जिन्हें सर्वाधिक प्यार व सुरक्षा की आवश्यकता होती है। बच्चों के कमरे में कम ऊँचा सादा व हल्का फर्नीचर हो जहाँ बच्चा पढ़ सके, चित्रकारी कर सके व अपने सहयोगी बच्चों के साथ खेल सके। मकान में एक हिस्सा अवश्य ही बच्चों के लिए रखना चाहिए जिसे बच्चा अपना समझ सके। यह हिस्सा बरामदे अथवा सोने के कमरे का एक कोना भी हो सकता है। यहाँ बच्चा अपनी मनपसंद गतिविधियाँ सम्पन्न कर सकता है।

प्रश्न 4.
मकान में भण्डार कक्ष का क्या महत्त्व होता है?
उत्तर:
भण्डार कक्ष (Store room):
भण्डार कक्ष में घर के सूटकेस, बिस्तर, बक्से आदि सामान रखा जाता है। यह कमरा शयन कक्ष के पास होने से सुरक्षा एवं आवश्यकता, दोनों ही प्रकार से सुविधाजनक रहता है। आधुनिक घरों के प्रत्येक कमरे से सम्बन्धित सामान को उसी में संग्रहित करने की व्यवस्था की जाती है।

प्रश्न 5.
घर में बरामदे का क्या महत्व है?
उत्तर:
बरामदा (Varandah):
मकान में बरामदा चारों तरफ या आगे पीछे हो सकता है। सामने वाला बरामदा मेहमानों के बैठने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा अन्य परिचित व्यक्तियों; जैसे – दूधवाला, अखबार वाला या एकदम अनजान व्यक्ति जिसे घर के अन्दर नहीं लाया जा सके, बरामदे में बैठाया जाता हैं मकान के पीछे की ओर का बरामदा गृहिणी के रसोई सम्बन्धी कार्यों को करने के लिए तथा बच्चों के खेलने के लिए काम आता है।

प्रश्न 6.
गृह-सज्जा क्या है? गृह-सज्जा में काम आने वाले कला के तत्व बताइए।
उत्तर:
गृह-सज्जा:
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गृह सज्जा का अर्थ घर की सज्जा कर, एक देखने वाली वस्तु बनाना मात्र नहीं है। बल्कि घर के सदस्यों की आवश्यकतानुसार उनको साधनयुक्त कर क्रियाशीलता एवं साधन बढ़ाना है। गृह सज्जा एक ऐसी कला है, जो घर को नया रूप देती है, इसके साथ ही घर के सदस्यों के पूरे व्यक्तित्व का परिचायक होती है।

श्री सुन्दर राज के अनुसार आन्तरिक सज्जा एक सृजनात्मक कला है, जो एक साधारण मकान की काया-पलट करती है। गृह-सज्जा में काम आने वाले कला के तत्वों का ज्ञान होना गृहिणी के लिए आवश्यक है ताकि वह घर की विभिन्न वस्तुओं को आरामदेह और सौन्दर्यात्मक ढंग से व्यक्त कर सके। कला के तत्व हैं रेखा, आकार, बनावट, रंग, प्रकाश तथा स्थान।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 27 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी मकान की योजना किस प्रकार बनायी जानी चाहिए? मकान के लिए स्थान व्यवस्था किस प्रकार की होनी चाहिए?
उत्तर:
मकान योजना:
किसी भी मकान की योजना इस प्रकार से बनानी चाहिए कि वह परिवार में होने वाली विभिन्न गतिविधियों को मकान में स्थान दे सके। यदि मकान काफी बड़ा है तो उसमें किसी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न नहीं होती है, परन्तु यदि मकान परिवार की आवश्यकता से छोटा है तब समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसी अवस्था में कुशल गृहिणी इस समस्या का हल मकान में स्थान विभाजन द्वारा प्राप्त कर लेती है। अत: मकान कैसा भी हो यदि उसमें विभिन्न क्रियाओं के लिए उचित स्थान विभाजन नहीं होता है तो सदस्यों के बीच संतुष्टि बनी रहती है, अत: मकान में स्थान विभाजन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएस्थान विभाजन

  • स्थान का विभाजन सदस्यों को अधिकतम सुविधा प्रदान करने वाला हो।
  • मकान में उपलब्ध स्थान विभाजन का पूर्णतया उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।

यद्यपि गृह क्रियाओं हेतु स्थान विभाजन को कई कारण प्रभावित करते हैं; जैसे – परिवार के सदस्यों की संख्या, उपलब्ध-सामान, उपलब्ध-स्थान, सदस्यों की आयु, रुचियाँ, आर्थिक स्तर आदि। फिर भी इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि कम से कम अनिवार्य क्रियाओं के लिए; जैसे – रसोई, स्नानघर, शौचालय, सोने का कमरा आदि का स्थान अवश्य होना चाहिए। इसके अतिरिक्त एक सुगृहिणी अपनी बुद्धि के अनुसार मकान में ऑगन, गैलरी एवं दालान आदि को भी आवश्यकता एवं सुविधानुसार प्रयोग कर सकती है। विभिन्न गृह क्रियाओं को सम्पन्न करने हेतु स्थान व्यवस्था इस प्रकार से होनी चाहिए –

  • बैठक अथवा स्वागत एवं बहुउद्देशीय कमरा,
  • शयन कक्ष
  • भोजन कक्ष
  • रसोई घर
  • स्नान घर
  • अतिथि कक्ष
  • बच्चों का कमरा
  • भण्डार कक्ष
  • बरामदा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
1. बैठक अथवा स्वागत कक्ष एवं बहुउद्देशीय कमरा,
2. शयन कक्ष
3. भोजन कक्ष
4. रसोई घर
उत्तर:
1. बैठक अथवा स्वागत कक्ष एवं बहुउद्देशीय कमरा (Drawing or reception room):
प्रत्येक मकान चाहे छोटा हो अथवा बड़ा मेहमान को बैठाने के लिए स्थान अवश्य होना चाहिए। बैठक उपयोगी एवं सुन्दर दिखनी चाहिए जिसमें, प्रकाश एवं वायु की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि मेहमानों के अलावा अवकाश के समय परिवार के सदस्य वहां विश्राम या मनोरंजन कर सकते हैं।

बहुउद्देशीय कमरा (Living room) वह होता है जहाँ परिवार के सभी सदस्य मिल बैठकर आराम के क्षणों का आनन्द लेते हैं, इसके अलावा सिलाई-बुनाई, सब्जी काटना आदि कई छोटे-छोटे घरेलू कार्य भी सम्पन्न किए जा सकते हैं। इस कमरे की व्यवस्था का एक लाभ यह भी है कि अतिथियों से घर की एकान्तता प्रभावित नहीं होती। इसका प्रयोग भोजन कक्ष के रूप में हो सकता है।

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2. शयन कक्ष (Bed room):
यह वह कमरा होता है जहाँ परिवार के सदस्य रात एवं दिन में विश्राम करते हैं। इस कमरे में सुरक्षा, शांति एवं आराम की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। यदि शयन कक्ष का आकार बड़ा है तो छोटा सोफासेट रख सकते हैं जिसमें मेहमानों की भी व्यवस्था हो सके। इसमें कभी-कभी अध्ययन की व्यवस्था के साथ अन्य कार्य भी किए जा सकते हैं।

3. भोजन कक्ष (Dining room):
आधुनिक परिवारों में आजकल लोग रसोईघर में भोजन करना पसंद नहीं करते हैं अतः इसके लिए अलग से भोजन कक्ष होता है। भोजन कक्ष सदैव रसोईघर के पास होना चाहिए, यदि रसोईघर काफी बड़ा है तो उसमें भी एक कोने में व्यवस्था की जा सकती है। यदि स्थान की कमी हो तो रसोई के पास बरामदे का प्रयोग भी भोजन कक्ष के रूप में किया जा सकता है।

4. रसोईघर (Kitchen):
रसोईगृह, घर के विभिन्न कमरों में से सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि परिवार व स्वास्थ्य के स्तर का निर्धारण यहीं से होता है। गृहिणी का सबसे अधिक समय अन्य कमरों की अपेक्षा रसोईघर में ही व्यतीत होता है। आधुनिक युग में जहाँ गृहिणी घर से बाहर भी काम करने लगी है, तो आवश्यक हो गया है कि समय व शक्ति बचत करने हेतु रसोईघर सुव्यवस्थित एवं आधुनिक उपकरणों से परिपूर्ण हो। जिन मकानों में रसोईघर के लिए अतिरिक्त कमरे की व्यवस्था नहीं होती है वहाँ पर बरामदे में अथवा किसी अन्य कमरे के कोने में भोजन बनाने की व्यवस्था की जाती है। रसोईघर कैसा भी हो, साफ-सुथरा होना चाहिए।

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प्रश्न 3.
स्थान व्यवस्था के समय ध्यान देने योग्य बातें लिखिए।
उत्तर:
स्थान व्यवस्था के समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • कमरों का पारस्परिक सम्बन्ध – जैसे-भोजन कक्ष रसोईघर के पास होना चाहिए, ताकि खाना परोसने में आसानी रहे।
  • आवागमन – कमरों के आने-जाने का रास्ता खुला रखना चाहिए। बीच में किसी प्रकार की रुकावट न हो।
  • एकान्त – दो कमरों के मध्य एकान्त बनाने के लिए, खिड़की-दरवाजों की स्थिति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कमरों के अन्दर का दृश्य बाहर नहीं दिखाई देना चाहिए। जैसे-दरवाजे कमरे के बीच में न लगाकर कोने में लगाएँ।
  • स्थान का सर्वाधिक उपयोग-कमरे में या घर में जितना भी स्थान है उसका अधिकतम उपयोग होना चाहिए।
  • फर्नीचर व्यवस्था प्रत्येक कमरे में उचित फर्नीचर होना चाहिए। यदि जगह कम हो तो बहुउद्देशीय फर्नीचर उपयोग में लाना चाहिए; जैसे-सोफा-कम-बेड, जिससे दिन में सोफा का काम ले सकते हैं। जहाँ भी संभव हो, स्थान व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिए कि कार्यकर्ता दो या तीन क्रियाएँ एक साथ कर सके जैसे रसोईघर के पास हॉल हो जिसमें बैंठकर गृहिणी टीवी देख सके, खाने का ध्यान रख सके तथा बच्चों को गृहकार्य करने में भी मदद कर सके।

प्रश्न 4.
रंगों का क्या महत्व है? रंगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
रंग (Colour):
कला के तत्वों में रंग एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसके द्वारा घर को आकर्षक एवं सुंदर बनाया जा सकता है। विभिन्न स्थानों तथा वस्तुओं में सौन्दर्य प्रदान करने के लिए रंगों का प्रयोग उस स्थान, समय और परिस्थिति के अनुसार करना चाहिए। रंग का मुख्य स्रोत प्रकाश होता है। प्रांग (Prang) के अनुसार रंग के तीन आधारभूत गुण होते हैं

1. ह्यू (Hue):
अर्थात् रंग का नाम; जैसे-लाल, हरा, नीला।

2. मूल्य (Value):
अर्थात् रंगों का हल्कापन व गहरापन जैसे-हल्का हरा गहरा हरा।

3. तीव्रता (Chrome):
अर्थात् रंग की चमक (Brightness) व धुंधलापन (Dullness) जैसे-चमकीला लाल (Blood red), धुंधला लाल (Faded red)।

रंगों का वर्गीकरण:
रंगों को निम्न तीन भागों में बाँटा जा सकता है –
1. प्राथमिक रंग (Primary Co-lours):
ये प्राकृतिक अवस्था में पाए जाते हैं, इन्हें किसी अन्य रंग के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उदाहरण-लाल, नीला व लाल।

2. द्वितीय रंग (Secondary Co-lours):
ये रंग किन्हीं दो प्राथमिक रंगों को बराबर अनुपात में मिलाने से प्राप्त होते हैं। जैसे – नारंगी, नारंगी, बैंगनी और हरा।

3. तृतीयक रंग (Tertiary Co-lours):
जब किसी एक प्राथमिक रंग को उसके पास वाले द्वितीयक रंग के बराबर अनुपात में मिलाते हैं तो तृतीयक रंग प्राप्त होता है। जैसे—लाल-नारंगी, लाल-बैंगनी, पीला-नारंगी, पीला-हरा आदि। उपरोक्त रंगों के अलावा काला, सफेद, स्लेटी व भूरा रंग भी पाया जाता है जिन्हें हम विविध प्रकार से प्रयोग कर घर को आकर्षक बना सकते हैं। इन रंगों को प्राय: उदासीन रंग कहते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 27 गृह क्रियाएँ, स्थान व्यवस्था एवं सज्जा

प्रश्न 5.
मानसिक प्रभाव के आधार पर रंगों को कितने भागों में बाँटा गया है? समझाइए।
उत्तर:
मानसिक प्रभाव के आधार पर रंगों को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –

1. उष्ण एवं शीतल रंग:
प्रकृति से सम्बन्ध ही इन रंगों का आधार है। लाल, पीला एवं नारंगी रंग उष्ण रंग माने जाते हैं क्योंकि ये रंग अग्नि एवं सूर्य में हैं। नीला रंग आकाश, हरा रंग वनस्पति का होने के कारण हमें शीतला का आभास देते हैं।

2. भारी एवं हल्के रंग:
कुछ रंग जैसे-काला, भूरा व लाल अधिक भारीपन का आभास कराते हैं जबकि नीला, गुलाबी, सफेद रंग कम भार का आभास कराते हैं अत: भारी या गहरे रंग जमीन की ओर तथा हल्के रंग ऊपर की ओर प्रयोग करने चाहिए।

3. आगे बढ़ने वाले तथा पीछे हटने वाले रंग:
वे रंग जो धरातल पर अधिक होने का प्रभाव छोड़ते हैं तथा एकदम उभरकर आते हैं उन्हें आगे बढ़ने वाले रंग कहते हैं। वे रंग जो धरातल पर दूरी का आभास कराते हैं उन्हें पीछे हटने वाले रंग कहते हैं। प्राय: उष्ण रंग आगे बढ़ने वाले तथा शीतल रंग पीछे हटने वाले होते हैं।

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प्रश्न 6.
सजावटी वस्तुओं का महत्त्व एवं प्रकार बताइए।
उत्तर:
सजावटी वस्तुएँ (Decorative items):
घर की भीतरी सजावट हेतु विभिन्न सजावटी वस्तुओं की आवश्यकता होती है किन्तु वस्तुओं के होने मात्र से घर के भीतरी रूप को आकर्षक नहीं बना सकते वरन् इन सजावटी वस्तुओं की कमरे में उचित व्यवस्था होना जरूरी है। ये वस्तुएँ आन्तरिक सज्जा को परिपूर्णता एवं व्यावहारिकता प्रदान करती हैं। तथा साथ ही साथ उनकी कलात्मक अभिवृद्धि भी करती हैं। जैसे-तस्वीरें, मूर्तियाँ, लैम्प, घड़ियां, पौधे आदि।

सजावटी वस्तुएँ निम्न प्रकार की होती हैं –
1. कलात्मक एवं सौन्दर्यात्मक वस्तुएँ:
इनमें वे सजावटी वस्तुएँ आती हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य सौन्दर्य में वृद्धि करना होता है; जैसे-कलापूर्ण चित्र, मूर्तियां, पुष्प सज्जा, कलात्मक दर्पण आदि।

2. कार्यात्मक एवं उपयोगी वस्तुएँ:
ये वस्तुएँ सौन्दर्य वृद्धि के साथ-साथ उपयोगी भी होती हैं; जैसे-लैम्प, दीवार घड़ी, ऐश ट्रे आदि।

3. प्राकृतिक वस्तुएँ:
ये वस्तुएँ प्रकृति से सम्बन्धित होती हैं, इन्हें या तो यथावत ही प्रयोग किया जाता है, या उसकी प्रतिकृति जैसे-बड़े पौधे, मछलीघर, शंख, फव्वारे, पंख, सूखी पत्तियाँ आदि।

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प्रश्न 7.
सजावटी वस्तुओं का गृह-सज्जा में उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
सजावटी वस्तुओं का गृह सज्जा में प्रयोग करते समय ध्यान देने योग्य बिन्दु निम्न प्रकार हैं –

  • किसी भी सजावटी वस्तु की प्रकृति के आधार पर घर में उचित स्थान पर सजाएँ; जैसे-दीवार घड़ी को दीवार पर ही लगाएँ शयन कक्ष में युद्ध के चित्र नहीं लगाने चाहिए।
  • बहुत अधिक संख्या में सजावटी वस्तुएँ भीड़ का आभास कराती हैं अत: इन्हें समूहीकरण या वर्गीकरण करके सजाना चाहिए। जैसे-एक ताक में सभी फोटो फ्रेम रख सकते हैं तो दूसरी में सभी मूर्तियां रख सकते हैं।
  • कार्यात्मक वर्ग की वस्तुएँ पूर्ण रूप से उपयोगी हों; जैसे-घड़ी बन्द न हो, लैम्प सही रोशनी देने वाला हो आदि।
  • कुछ समय बाद आवश्यकता पड़ने पर फैशन के अनुसार बदल सकें।
  • सजावटी वस्तुओं का उपयोग सजावट की शैली के अनुसार ही होना चाहिए। जैसे यदि पंरपरागत शैली में लोक-कला की वस्तुएँ व ऐतिहासिक वस्तुएँ ही उचित लगेंगी जबकि आधुनिक शैली में नयापन दर्शाने वाली वस्तुएँ जैसे 3 – डी इलैक्ट्रिक झरना आदि आकर्षक प्रभाव छोड़ती हैं। अत: इस प्रकार सजावटी वस्तुओं का ढंग से उपयोग ही सब कुछ नहीं है वरन् इन सभी की समय-समय पर देखभाल भी अति आवश्यक है।

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