RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 29 गृह परिचर्या

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 गृह परिचर्या

RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) गृह परिचारिका के कार्य हैं –
(अ) रोगी को स्नान कराना
(ब) रोगी को समय पर दवा देना
(स) रोगी की समस्त जानकारी चिकित्सक को देना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।

(ii) गृह परिचारिका का कार्य कुशलतापूर्वक कर सकते हैं –
(अ) स्त्री
(ब) पुरुष
(स) बच्चे
(द) कोई भी
उत्तर:
(द) कोई भी।

(iii) गृह परिचारिका को नहीं होना चाहिए।
(अ) आज्ञाकारी
(ब) मधुरभाषी
(स) सुस्त
(द) हंसमुख
उत्तर:
(स) सुस्त

(iv) परिचारिका का कार्य नहीं है –
(अ) शारीरिक सफाई करना
(ब) खाने-पीने की व्यवस्था करना
(स) कमरे की व्यवस्था करना
(द) चिकित्सा करना
उत्तर:
(द) चिकित्सा करना।

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(v) परिचारिका को आदेश का पालन करना पड़ता है –
(अ) डॉक्टर के
(ब) रोगी के
(स) गृहस्वामी के
(द) सभी के
उत्तर:
(अ) डॉक्टर के।

प्रश्न 2.
गृह परिचर्या का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गृह परिचर्या (Nursing):
रोग दूर करने हेतु रोगी के घर पर ही दी जाने वाली हर प्रकार की सुविधा एवं देखभाल को गृह परिचर्या कहते हैं।

प्रश्न 3.
परिचारिका को मनोविज्ञान का ज्ञान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
परिचारिका को मनोविज्ञान का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है जिससे वह रोगी के व्यवहार को समझकर मनोवैज्ञानिक ढंग से सांत्वना एवं हिम्मत दे सके और बहलाकर दवा पिला सके।

प्रश्न 4.
परिचारिका को रोगी व चिकित्सक के बीच की कड़ी क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
चिकित्सक रोगी के लिए आवश्यक निर्देश एवं उपचार प्रक्रियाएँ परिचारिका को बताता है। परिचारिका चिकित्सक के निर्देशानुसार रोगी की देखभाल करती है। इसी प्रकार परिचारिका भी रोगी की हालत की दिनचर्या को चिकित्सक को बताती है। इसीलिए रोगी व चिकित्सक के बीच की कड़ी कहा जाता है।

प्रश्न 5.
परिचारिका के कोई चार गुण बताइए।
उत्तर:
परिचारिका के गुण –

  • उचित ज्ञान-परिचारिका को शरीर विज्ञान तथा विसंक्रामक पदार्थ आदि का ज्ञान होना चाहिए ताकि वह रोगी की देखभाल भली भाँति कर सके।
  • निर्णय लेने की क्षमता-यदि रोगी की हालत अचानक बिगड़ जाए तो परिचारिका घबराये नहीं तथा अपना मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए उचित निर्णय ले।
  • प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान-उसे तापमान लेने, नाड़ी की गति देखना, पट्टी बाँधना आदि का पूर्ण ज्ञान होना चा । रोगी का बिस्तर करना, स्पंज करना, चार्ट बनाना आदि कार्यों का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • अवलोकन शक्ति-परिचारिका की अवलोकन शक्ति तीव्र होनी चाहिए ताकि वह रोग की दशा, दवाओं का प्रभाव आदि का ध्यानपूर्वक मनन कर डॉक्टर को रोगी के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी दे सके।

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प्रश्न 6.
एक कुशल परिचारिका के क्या-क्या कर्त्तव्य होते हैं? उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिचारिका के कर्तव्य – रोगी को स्वास्थ्य लाभ कराने में परिचारिका का अधिक महत्त्व रहता है। क्योंकि वह चिकित्सक तथा रोगी के बीच की कड़ी का कार्य करती है। उसे रोगी की देखभाल करने के सम्बन्ध में निम्न कार्य करने पड़ते हैं –
1. कमरे का प्रबंध – रोगी को रात दिन कमरे में ही रहना पड़ता है। अत: उसके कमरे का वातावरण ठीक रखना परिचारिका का कर्तव्य है। कमरा जितना शान्तियुक्त, आरामदायक व सुविधाजनक रहेगा उतना ही शीघ्र रोगी स्वस्थ्य होगा। अत: रोगी का कमरा स्वच्छ, हवादार एवं प्रकाशयुक्त होना चाहिए।

2. रोगी की स्वच्छता – रोगी को समय-समय पर मल मूत्र कराना, मुँह धुलाना, स्पंज कराना, वस्त्र पहनाना, बाल संवारना आदि कार्य परिचारिका को ही करने पड़ते हैं।

3. रोगी का भोजन – परिचारिका पाक कला में भी दक्ष होनी चाहिए क्योंकि रोगी के भोजन व पथ्य की व्यवस्था भी उसे ही करना होती है।

4. संक्रामक रोगों से सुरक्षा – यदि रोगी किसी संक्रामक रोग से पीड़ित है तो परिचारिका को चाहिए कि वह रोग को फैलने से रोकने का प्रबन्ध करे। रोगी के बर्तन, वस्त्र आदि को विसंक्रामक घोल से धोएं।

5. रोगी का विवरण-उसे रोगी की प्रत्येक अवस्था का पूर्ण विवरण तैयार करना पड़ता है; जैसे-दवा देने का समय, दवा की मात्रा आदि।

6. आदेशों का पालन – परिचारिका को डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पूर्ण सत्यनिष्ठ एवं ईमानदारी से पालन करना चाहिए एवं डॉक्टर को पूर्णरूप से रोगी के विषय में अवगत कराना चाहिए।

7. प्रेरणादायी रोगी को हताश नहीं होने देना चाहिए तथा उसके दुःख एवं घबराहट को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
रोगी की देखभाल में शामिल है –
(अ) उसके कमरे की व्यवस्था
(ब) उसे दवाई देने की व्यवस्था
(स) उसके भोजन की व्यवस्था
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 2.
रोगी की घर पर ही देखभाल को कहते हैं –
(अ) गृह परिष्करण
(ब) गृह परिचर्या
(स) गृह व्यवस्था
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) गृह परिचर्या

प्रश्न 3.
एक परिचारिका का गुण है –
(अ) अवलोकन शक्ति
(ब) उत्तम स्वास्थ्य
(स) विनम्रता
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

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प्रश्न 4.
अच्छी परिचारिका हो सकती है जो अपना कार्य
(अ) लगन से करे
(ब) सेवा भाव से करे
(स) उचित ज्ञान के साथ करे
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 5.
परिचारिका को किसके आदेशों का पालन करना चाहिए –
(अ) मरीज
(ब) डॉक्टर
(स) प्रबन्धक
(द) रोगी के घर वाले।
उत्तर:
(ब) डॉक्टर

रिक्त स्थान
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. आज के युग में ………… तथा ………… आम बात हो गई है।
2. रोगी को स्वस्थ करने में चिकित्सा का जितना महत्त्व है उतनी ही अच्छी ………… का होता है।
3. रोगी को घर पर ही दी जाने वाली हर प्रकार की सुविधा व देखभाल को ………… कहते हैं।
4. रोगी का स्वभाव ……… हो जाता है।
5. परिचारिका ………… में भी दक्ष होनी चाहिए क्योंकि उसे रोगी के भोजन की भी व्यवस्था करनी होती है।
उत्तर:
1. बीमारी, दुर्घटना
2. परिचर्या
3. परिचर्या
4. चिड़चिड़ा
5. पाक कला।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह परिचर्या क्या है?
उत्तर:
रोगी को घर पर ही दी जाने वाली हर प्रकार की सुविधा व देखभाल गृह परिचर्या कहलाती है।

प्रश्न 2.
गृह परिचर्या कौन करता है?
उत्तर:
गृह परिचारिका या घर का कोई भी अन्य सदस्य।

प्रश्न 3.
परिचारिका के गुण क्या होने चाहिए?
उत्तर:
परिचारिका की स्वयं स्वस्थ, तीव्र बुद्धि, हँसमुख, सेवाभावी एवं ज्ञानयुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 4.
परिचारिका, रोगी तथा डॉक्टर में क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
परिचारिका चिकित्सक तथा रोगी के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती है।

प्रश्न 5.
परिचारिका को रोगी का विवरण क्यों तैयार करना पड़ता है?
उत्तर:
क्योंकि वह रोग की स्थिति, दवा देने का समय एवं दवाओं का ज्ञान रख सके।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रोगी के रहने का प्रबन्ध कौन करता है तथा रोगी का स्थान कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
रोगी को रात – दिन कमरे में ही रहना पड़ता है। अतः उसके कमरे का वातावरण ठीक रखना परिचारिका का कर्तव्य है। रोगी का कमरा या स्थान शान्तियुक्त, आरामदायक व सुविधाजनक होना चाहिए क्योंकि इससे रोगी शीघ्र स्वस्थ होता है अत: रोगी का कमरा स्वच्छ, हवादार एवं प्रकाशयुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 2.
परिचारिका को सेवाभावी होना चाहिए। क्यों?
उत्तर:
परिचारिका में सेवा करने की प्रेरणा स्वत: जागृत होनी चाहिए ताकि वह धैर्य एवं लगन से रोगी की सेवा कर सके। प्रायः महिलाओं में उपर्युक्त गुण पाए जाते हैं। उनमें सेवा करने की भावना बपचन से ही होती है। घर तथा अस्पतालों में इसलिए प्राय: स्त्री ही परिचारिका होती हैं। यद्यपि आजकल पुरुष भी परिचारक का कार्य करने लगे हैं।

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प्रश्न 3.
परिचारिका को स्वयं के स्वास्थ्य का भी ध्यान क्यों रखना चाहिए और कैसे?
उत्तर:
परिचारिका को अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। रोगी का कोई भी कार्य करने के उपरान्त उसे साबुन या डिटॉल से हाथ धोने चाहिए। परिचारिका को हल्के व आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए। प्रसन्न एवं चुस्त रहने के लिए पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। स्वस्थ परिचारिका ही किसी रोगी की ठीक से देखभाल कर सकेगी।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 29 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह परिचर्या पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
गृह परिचर्या:
वर्तमान समय में बीमारी एवं दुर्घटना एक आम बात हो गई है। प्राय; परिवार में कोई न कोई बीमार पड़ा ही रहता है। घर किसी भी समय अस्पताल में बदल सकता है। ऐसी स्थिति में रोगी की सेवा की जानकारी रहने से रोगी की देखभाल सही तरीके से हो जाती है। रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ कराने में चिकित्सा का जितना महत्त्व है, उतना ही अच्छी परिचर्या का होता है।

बीमारी के समय रोगी की उचित तरीके से देख-रेख व सेवा शुश्रुषा अत्यन्त आवश्यक होती है। दवा निर्धारण एवं अन्य मुख्य कार्य तो चिकित्सक द्वारा किया जाता है परन्तु रोगी की निरंतर भी प्रकार से देखरेख, समय पर दवा, उचित भोजन देना अत्यन्त ही आवश्यक कार्य हैं। रोगी को मूलमूत्र हेतु उठाना, नहलाना, कपड़े बदलना आदि कार्य भी होते हैं अत: रोगी के घर पर ही दी जाने वाली हर प्रकार की सुविधा व देखभाल को गृह परिचर्या कहते हैं। प्रत्येक किशोर एवं किशोरी को गृह परिचर्या का साधारण ज्ञान होना नितांत आवश्यक है जिससे रोग की रोकथाम प्रारम्भिक अवस्था में ही हो जाती है।

कभी-कभी देखा गया है कि रोगी की उचित देखभाल न होने से रोग ठीक होने की बजाय बढ़ जाता है। यह संभव नहीं है कि प्रत्येक रोगी का अस्पताल में ही उपचार हो, घर पर भी उसकी देखभाल करनी पड़ती है। घरं पर रोगी की सेवा संतोषप्रद ढंग से की जा सकती है। पारिवारिक वातावरण में रोगी स्वयं को सुरक्षित एवं आराम में अनुभव करता है, भय नहीं रहता है तथा रोगी की दशा सुधारने में घर संतोषप्रद एवं आनन्दायक का बड़ा योगदान रहता है।

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