RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 32 महत्त्वपूर्ण योगासन

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 महत्त्वपूर्ण योगासन

RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
योग शब्द से क्या मतलब है?
उत्तर:
योग संस्कृतत भाषा की ‘युज’ धातु से बना है जिसका अर्थ है-जोड़ना अर्थात् शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने की प्राचीन भारतीय पद्धति को योग कहते हैं।

प्रश्न 2.
आज की वर्तमान जीवन शैली में योग का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
आज की वर्तमान जीवन शैली अत्यन्त व्यस्तता वाली एवं भाग-दौड़युक्त हो गई है। आज के समय में व्यक्ति. रिश्तों से विलग होता जा रहा है। उसके पास अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने का समय भी नहीं है। अनेक व्यक्ति तो दवाओं के सहारे जीवन जी रहे हैं। ऐसी स्थिति में योग मानव के लिए एक वरदान से कम नहीं है। वह यदि अपने व्यस्त समय में से बहुत ही थोड़ा समय निकालकर योग एवं इसकी क्रियाओं को अपनाए तो निश्चय ही वह शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करेगा। स्वस्थ शरीर, लम्बी आयु के साथ ही उसके आत्मचिंतन की शक्ति बढ़ेगी।

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प्रश्न 3.
शारीरिक स्वास्थ्य पर योग के प्रभाव बताइए।
उत्तर:
योग के शारीरिक स्वास्थ्य पर निम्न प्रभाव होते हैं –

  • शारीरिक थकान दूर होती है तथा मन तरोताजा हो जाता है।
  • शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग बलिष्ठ व निरोग हो जाते हैं।
  • उदर, आंत्र, आमाशय, अग्न्याशय एवं फेफड़े स्वस्थ व मजबूत होते हैं तथा इनसे संबंधित अनेक रोग भी दूर हो जाते हैं।
  • रक्त का संचार अच्छा होता है।
  • अस्थियाँ एवं पेशियां मजबूत हो जाती हैं।
  • आँखों की रोशनी तेज हो जाती है।
  • मोटापा कम हो जाता है।
  • अनेक रोग; जैसे-नज़ला, जुकाम, आर्थराइटिस, डायबिटीज, अस्थमा आदि दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
योग का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
योग से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मन शांत रहता है। सोचने, समझने की क्षमता प्रबल होती है। मस्तिष्क के उद्वेग समाप्त होते हैं। अनेक प्रकार के मानिसक रोग भी योगाभ्यास से दूर होते हैं।

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प्रश्न 5.
सूर्य नमस्कार के लाभ बताइए।
उत्तर:
सूर्य नमस्कार के लाभ –

  • सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इससे शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग बलिष्ठ एवं निरोग होते हैं।
  • उदर, आंत्र, अग्न्याशय, हृदय एवं फेफड़ों को स्वस्थ व मजबूत करता है।
  • मेरुदण्ड एवं कमर को लचीला बनाकर बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
  • सम्पूर्ण शरीर में रक्त सुचारु रूप से संचालित करता है तथा रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
  • सूर्य नमस्कार से विटामिन-‘डी’ की प्राप्ति होती है, जिससे हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।
  • सूर्य नमस्कार करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
  • मोटापा कम करने में सहायक होता है।

प्रश्न 6.
त्रिकोणासन की विधि बताइए।
उत्तर:
त्रिकोणासन की विधि –

  • दोनों पैरों के बीच औसतन एक मीटर की दूरी रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ पैरों के समान्तर फैलाएँ।
  • अब दाएँ पैर के पंजे को दाएँ हाथ से छूने का प्रयास करें और बाँया हाथ आसमान की ओर हो ताकि 90 डिग्री का कोण बने। यह मुद्रा इस आसान की मुख्य मुद्रा है।
  • 15 से 20 सेकण्ड बाद सीधे हो जाएँ। यही विधि बाएँ हाथ और बाएँ पैर से पुनः करें।
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मुख्य बिन्दु (i):
घुटने और कुहनियों को किसी भी अवस्था में न मोड़ें। चित्र 391. त्रिकोणासन की विधि झुकने के क्रम में आगे की ओर नहीं मुड़ा जा सकता है।
(ii) अपने दायीं या बायीं ओर मुड़ने के समय श्वास छोड़े तथा वापस आने के साथ श्वास अन्दर लें। आसन की मुख्य मुद्रा में श्वास सामान्य गति से रहती है।

प्रश्न 7.
मकरासन के लाभ बताइए।
उत्तर:
मकरासन:
मकरासन की गिनती पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में होती है। इस आसन की अंतिम अवस्था में शरीर की आकृति मगर की तरह प्रतीत होती है।
लाभ:

  • मकरासन से समस्त माँसपेशियों को लाभ मिलता है।
  • शरीर में रक्त प्रवाह सुचारु रूप से होने लगता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ व निरोगी रहता है।
  • इस आसन से आँतों की क्रियाशीलता बढ़ जाती है जिससे कब्ज दूर होती है।
  • मकरासन से फेफड़े फैलते हैं जिससे प्राणवायु अधिक मात्रा में अन्दर जाती है इसलिए दमा रोग निवारण में सहायता मिलती है।

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प्रश्न 8.
वक्रासन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
वक्रासन की उपयोगिता:

  • इस आसन के अभ्यास से यकृत, वृक्क व अग्न्याशय प्रभावित होते हैं जिससे अंग निरोगी रहते हैं।
  • स्पाइनल कार्ड मजबूत होती है।
  • हार्निया के रोगी भी इस आसन से लाभान्वित होते हैं।

प्रश्न 9.
पद्मासन के लाभ बताइए।
उत्तर:
पद्मासन के लाभ:

  • पद्मासन से पैरों का रक्तसंचार कम हो जाता है और रक्त अन्य अंगों की ओर संचालित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है।
  • तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • छाती और पैर मजबूत होते हैं।
  • नियमित अभ्यास से पेट कभी बाहर नहीं होता है।

प्रश्न 10.
पद्मासन की विधि बताइए।
उत्तर:
पद्मासन:
संस्कृत शब्द पद्म का अर्थ होता है-कमल। इसलिए पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं। ध्यानमुद्रा के लिए यह आसन महत्त्वपूर्ण है। इससे चिन्त एकाग्र होता है। चिन्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है।

पद्मासन की विधि:

  • दोनों पैरों को सीधा कर दण्डासन की स्थिति में भूमि पर बैठ जाएं।
  • दाहिने पैर के अंगूठे को बाएँ हाथ से पकड़कर घुटने मोड़ते हुए दाहिने पैर के पंजे को बायीं जाँघ के मूल पर रखें।
  • बाएँ पैर के अंगूठे को दाहिने हाथ से पकड़कर घुटने मोड़ते हुए बाएँ पैर के पंजे को दाहिनी जाँघ के मूल पर रखें।
  • दोनों घुटने भूमि पर टिके हों और पैर के तलवे आकाश की ओर हों। रीढ़, गला व सिर सीधी रेखा में रखें।
  • हथेलियों को घुटनों पर रखें या एक हथेली को दूसरी पर रखकर गोद में रखिए। आँखें बन्द कर सांसों को गहरा खींचते हुए सामान्य गतिं कर लें।
  • आसन से वापस लौटने के लिए पहले बायें पैर के पंजे को दाहिने हाथ से पकड़कर लम्बा कर दें फिर दाहिने पैर के पंजे को बाएँ हाथ से पकड़कर लंबा कर दें और पुन: दंडासन की स्थिति में आ जाएँ। यह एक ओर से किया गया आसन है जब आप पहले बाएँ पैर के जंघा पर रखकर इस आसन को करें।
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प्रश्न 11.
सूर्य नमस्कार कितने चरणों में पूरा होता है?
उत्तर:
सूर्य नमस्कार 12 चरणों में पूर्ण होता है।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
योग है –
(अ) एक प्राकृतिक पद्धति
(ब) कृत्रिम पद्धति
(स) भोजन पद्धति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) एक प्राकृतिक पद्धति

प्रश्न 2.
योग जोड़ता है –
(अ) शरीर को
(ब) मन को
(स) आत्मा को
(द) इन सभी को
उत्तर:
(द) इन सभी को

प्रश्न 3.
‘मन की वृत्तियों पर नियंत्रण ही योग है।’ किस ग्रन्थ में वर्णित है –
(अ) महाभारत में
(ब) रामायण में
(स) योग दर्शन में
(द) महाभाष्य में
उत्तर:
(स) योग दर्शन में

प्रश्न 4.
पदमासन के लिए महत्त्वपूर्ण है –
(अ) लेटने की मुद्रा
(ब) खड़े होने की मुद्रा
(स) ध्यान मुद्रा
(द) वक्रासन मुद्रा
उत्तर:
(स) ध्यान मुद्रा

प्रश्न 5.
किस आसन में मेरुदण्ड सीधा होता है, लेकिन शरीर पूरा टेढ़ा हो जाता है?
(अ) पद्मासन
(ब) वक्रासन
(स) मकरासन
(द) त्रिकोणासन
उत्तर:
(ब) वक्रासन

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रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए –
1. ………… एक ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न साधन सामग्री की आवश्यकता होती है।
2. योगासनों में सबसे असरकारी और लाभदायक ………… है।
3. पद्मासन को ………… भी कहते हैं।
4. जिन्दगी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ………… ऐसी प्रवृत्ति है जो शरीर को निरोग रखती है।
5. ध्यान मुद्रा के लिए ………… महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर:
1. योगासन
2. सूर्य नमस्कार
3. कमलासन
4. योग
5. पद्मासन।

सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए
स्तम्भ A                              स्तम्भ B
1. सूर्य नमस्कार        (a) कमलासन
2. त्रिकोणासन          (b) स्पाइनल कॉर्ड मजबूत, हर्निया रोग में लाभ
3. पद्मासन               (c) विटामिन ‘डी’ मजबूत अस्थियाँ
4. मकरासन            (d) दमा रोग में लाभ, रक्त प्रवाह अच्छा होना
5. वक्रासन              (e) मंजबूत माँसपेशियाँ, कब्ज दूर करना
उत्तर:
1. (c) विटामिन ‘डी’ मजबूत अस्थियाँ
2. (e) मंजबूत माँसपेशियाँ, कब्ज दूर करना
3. (a) कमलासन
4. (d) दमा रोग में लाभ, रक्त प्रवाह अच्छा होना
5. (b) स्पाइनल कॉर्ड मजबूत, हर्निया रोग में लाभ

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
योगासन को कौन कर सकता है?
उत्तर:
योगासन, अमीर – गरीब, बूढ़े – जवान, सबल – निर्बल, स्त्री – पुरुष सभी कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
किस आसन में सभी आसनों का सार छिपा है?
उत्तर:
सूर्य नमस्कार में सभी आसानों का सार छिपा है।

प्रश्न 3.
सूर्य नमस्कार के दो लाभदायक प्रभाव लिखिए।
उत्तर:

  • सूर्य नमस्कार मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
  • यह उदर, आंत्र, आमाशय, अग्न्याशय, हृदय आदि को स्वस्थ रखता है।

प्रश्न 4.
पाद पश्चिमोत्तासन या पाद हस्तासन किस आसन के अंश हैं?
उत्तर:
सूर्य नमस्कार के।

प्रश्न 5.
त्रिकोणासन की मुख्य मुद्रा क्या है?
उत्तर:
त्रिकोणासन की मुख्य मुद्रा में शरीर एक त्रिकोण की तरह दिखता है।

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प्रश्न 6.
पद्मासन को कमलासन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
संस्कृत शब्द ‘पद्म’ का अर्थ होता है – कमल’ इसलिए पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
वक्रासन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वक्रासन बैठकर किया जाता है। वक्र संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है – टेढ़ा। इस आसन को करने से मेरुदण्ड सीधा होता है किन्तु शरीर पूरा टेढ़ा हो जाता है। अत: यह वक्रासन कहलाता है।

प्रश्न 8.
कौन-सा आसन हर्निया के रोग में लाभकारी होता है?
उत्तर:
वक्रासन आसन हर्निया के रोग में लाभकारी होता है।

RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
त्रिकोणासन क्या है? इसके लाभ लिखिए।
उत्तर:
त्रिकोणासन:
त्रि का अर्थ तीन होता है अर्थात् इसके नाम का आशय तीन कोणों से है। इस आसन की मुख्य मुद्रा में शरीर एक त्रिकोण की तरह दिखता है।
लाभ:

  • त्रिकोणासन माँसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
  • त्रिकोणासन कब्ज के रोगियों के लिए लाभदायक है।
  • त्रिकोणासन कमर और कूल्हे की चर्बी कम करने में सहायक है।
  • त्रिकोणासन पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मददगार है।

प्रश्न 2.
योग का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? समझाइए।
उत्तर:
योग एक प्राचीन भारतीय जीवन पद्धति है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे सहज, साध्य और सर्व सुलभ हैं। योगासन एक ऐसी व्यायाम पद्धति है। जिसमें कोई विशेष व्यय नहीं होता और किसी खास साधन सामग्री की आवश्यकता भी नहीं होती है। योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल, स्त्री-पुरुष सभी कर सकते हैं।

आसनों से जहाँ माँसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियाएँ करनी पड़ती हैं तथा तनाव-खिंचाव की क्रियाएँ भी होती हैं जिससे शरीर की थकान मिट जाती है। आसनों से शरीर की व्यय शक्ति वापस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति को पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है।

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 32 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्य नमस्कार की विधि लिखिए।
अथवा
सूर्यनमस्कार के विभिन्न चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सूर्य नमस्कार:
योगासनों में सबसे असरकारी और लाभदायक सूर्य नमस्कार एक आरम्भिक कड़ी की तरह है। इसमें सभी आसनों का सार छिपा है। सूर्य नमस्कार की विधि – सूर्य नमस्कार के निम्न चरण हैं –

1. सावधान की मुद्रा में खड़े होकर दोनों हाथों को कंधे के बराबर में उठाते हुए ऊपर की ओर ले जाएँ। हाथों के अग्र भाग को एक-दूसरे से चिपका लीजिए फिर हाथों को उसी स्थिति में सामने की ओर लाकर नीचे की ओर गोल घूमते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएँ।

2. साँस लेते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर खींचे तथा कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएँ, यह अर्द्ध चक्रासन की स्थिति मानी जाती है। यह पूरी प्रक्रिया श्वांस लेने हुए सम्पन्न होती है।

3. सांस को धीरे – धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकिए। हाथ को गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर घुटनों को सीधा रखते हुए पैर के दाएं – बाएं जमीन को छुएं। कुछ समय तक इसी स्थिति में रूकिए। इस स्थिति को पाद पश्चिमोत्तासन या पाद हस्तासन भी कहते हैं।

4. इसी स्थिति में हाथों को जमीन पर टिकाकर साँस लेते हुए दाहिने पैर को पीछे की तरफ ले जाएँ उसके बाद सीने को आगे खींचते हुए गर्दन को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा में पैर का पंजा खड़ा हुए रहना चाहिए।

5. साँस को धीरे – धीरे बाहर निकालते हुए बाएँ पैर की भी पीछे की तरफ ले जाइए। अब दोनों पैरों की ऐडियों आपस में मिली हों। शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दीजिए और ऐड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को झुकाइए।

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6. साँस लेते हए हाथों एवं पैरों के पंजों को स्थिर रखते हुए छाती एवं घुटनों को जमीन पर स्पर्श करें। इस प्रकार दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती एवं सिर इन आठों अंगों के जमीन पर टिकने से यह साष्टांगासन है। जाँघों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए साँस छोड़ें।

7. इस स्थिति में धीरे – धीरे साँस को भरते हुए सीने को आगे की ओर खींचते हए हाथों को सीधा कीजिए। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएँ। घुटने जमीन की ओर छू रहे हों तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। इसे भुजंगासन भी कहते हैं।

8. पाँचवीं स्थिति जैसी मुद्रा बनाएँ उसके बाद इसमें ठोड़ी को कष्ट से टिकाते हुए पैरों के पंजों को देखते हैं।

9. इसमें चौथी स्थिति जैसी मुद्रा बनाएँ उसके बाद बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ, दाहिने पैर को आगे ले जाएं।

10. तीसरी स्थिति जैसी मुद्रा बनाएँ उसके बाद बाएँ पैर को भी आगे लाते हुए पश्चिमोत्तानासन की स्थिति में आ जाएँ।

11. दूसरी मुद्रा में रहते हुए सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएँ। उस स्थिति में हाथों को पीछे की ओर ले जाएँ साथ ही गर्दन तथा कमर को भी पीछे की ओर झुकाएँ।

12. यह स्थिति पहली मुद्रा की तरह है अर्थात् नमस्कार की मुद्रा।

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प्रश्न 2.
मकरासन की विधि लिखिए।
उत्तर:
मकरासन की विधि –

  • पेट के बल लेटकर दोनों पैरों को सुविधानुसार अच्छी तरह से फैला लें। पैरों के अंगूठे बाहर की ओर जमीन पर होते हैं तथा ऐड़ियाँ अदर की तरफ होती हैं।
  • दायें हाथ को मोड़कर दायीं हथेली को बाएँ कंधे पर रखें तथा बायीं हथेली को दाहिने कंधे पर रखें। वक्ष को थोड़ा उठा लें ताकि श्वसन प्रक्रिया में असुविधा न हो। ठुड्डी वक्ष के सम्मुख बने दोनों हाथों के कटान पर टिक जाते हैं।
  • बायें हाथ की हथेली को दाहिने कंधे से हटाकर सीधा सिर के ऊपर आगे की ओर फैला दें फिर दाहिनी हथेली को बायें कंधे से हटाकर पहली मुद्रा में आ जाएँ।
  • दोनों पैरों को धीरे-धीरे समेटकर मूल स्थिति में आ जाएँ।
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प्रश्न 3.
वक्रासन की विधि लिखिए।
उत्तर:
वक्रासन की विधि –

  • दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाते हैं। दोनों हाथ बगल में रखते हैं। कमर सीधी व निगाहें सामने की ओर रखें। दाएँ पैर को घुटने से मोड़कर लाते हैं और ठीक बाएँ पैर के घुटने की सीध में रखते हैं।
  • शरीर को थोड़ा दाहिनी ओर देखाते हुए बाएँ हाथ से उठाकर श्वांस छोड़ते हुए दाहिने घुटने के बाहर से घुमाकर दाहिने पैर के अंगूठे के.पास ले आएँ तथा उसे बायीं अंगुली से पकड़ लें। इसके बाद दाहिने हाथ के पीठ के पीछे करके दाहिनी हथेली को धरती पर रखें और रीढ़ में आवश्यक घुमाव देकर दाहिने कंधे के ऊपर से पीछे की ओर देखें।
  • श्वांस लेते हुए बाएँ हाथ को उठाकर फिर से बायीं जाँध के बगल में धरती पर रखें।
  • दाहिने पैर को सीधा करके बाएँ पैर के साथ रखें वापस सामान्य स्थिति में आ जाएँ।
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