RBSE Solutions for Class 11 Home Science unit 3 पारिवारिक पोषण

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Practical Work unit 3 पारिवारिक पोषण

RBSE Class 11 Home Science Practical Work chapter 4

भोज्य पदार्थों की पौष्टिकता को घरेलू स्तर पर अंकुरीकरण, खमीरीकरण एवं विभिन्न पदार्थों के मिश्रण द्वारा बढ़ाया जा सकता है। अंकुरण से अनाजों के पौष्टिक तत्व विशेषकर विटामिन ‘बी,’, ‘बी,’ नियासिन तथा विटामिन ‘सी’ की मात्रा में काफी वृद्धि हो जाती है। दालों के कुछ विषाक्त तत्वों की मात्रा में काफी कमी हो जाती है तथा कार्बोज की कुछ मात्रा शर्करा में परिवर्तित हो जाती है। खमीरीकरण की प्रक्रिया से दालों में वसा की मात्रा में कमी आ जाती है।

अत: दाल में उपस्थित लौह लवण भी मुक्त हो जाता है जिसके कारण इसका अवशोषण भी आसान हो जाता है। खमीरीकरण की प्रक्रिया द्वारा अनाजों की पाचनशीलता, स्वाद तथा पोषण मूल्य में वृद्धि हो जाती है। भोज्य पदार्थों के मिश्रण में दो या दो से अधिक भोज्य पदार्थों को मिलाकर व्यंजन बनाकर खाने से उनकी पौष्टिकता व पोषक तत्वों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है; जैसे – दाल-चावल, दाल-रोटी, खिचड़ी, इडली, भरवाँ पराँठे, पुलाव आदि। यहाँ इन तीनों विधियों से बनाए जा सकने वाले कुछ व्यंजनों की विधियाँ दी गई हैं।

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1. अंकुरित मोठ – बाजरा चाट
सामग्री –
मोठ   :   20 ग्राम
प्याज   :   1 छोटा
टमाटर   :   1 छोटा
नमक   :   स्वादानुसार
बाजरा   :   10 ग्राम
हरी मिर्च   :   1/2 (आधा)
नीबू रस   :   4-5 बूंदें

विधि:

  1.  मोठ एवं बाजरा को भली-भाँति धोकर एक रात के लिए भिगोइए।
  2. भीगे हुए मोठ एवं बाजरा को भीगे हुए पतले कपड़े में बाँधकर हवा में लटकाएँ जिससे अंकुरण हो जाए।
  3. अब इन्हें एक प्लेट में लेकर इसमें प्याज, हरीमिर्च व टमाटर के टुकड़े, नींबू का रस व नमक मिलाकर परोसें।

2. मीठी मठरी
सामग्री:
बाजरा आटा   :   50 ग्राम
मोठ आटा   :   25 ग्राम
भुनी मूंगफली के टुकड़े   :  10 ग्राम
भुने तिल  :  5 ग्राम
तल   :  तलने के लिए

विधि:

  1. बाजरा और मोठ के आटे को मिला लीजिए।
  2. आटे में मूंगफली, तिल, थोड़ा तेल व गुड़ या चीनी डालकर कड़ा आटा गूंध लीजिए।
  3.  छोटी व मोटी मठरियाँ बनाकर गुलाबी भूरा होने तक गरम तेल में धीमी आँच पर तलें।

3. कटोरी चाट
सामग्री –
मोठ आटा   :   20 ग्राम
बाजरा आटा   :   15 ग्राम
गेहूँ   :   10 ग्राम
प्याज   :   10 ग्राम तेल
तेल   :   तलने के लिए
हरी मिर्च   :   आधा चम्मच कटी हुई
हरा धनियाँ   :   5 ग्राम
टमाटर   :   20 ग्राम
नींबू रस   :   आधा चम्मच
नमक   :   स्वादानुसार

विधि:

  1. सभी आटे मिलाकर तथा इसमें नमक डाल कर गूंधे।
  2. आटे को कटोरी के बाहर चारों तरफ पतली परत में लपेटें।
  3. गर्म तेल में ऐसी कटोरियों को धीमी आँच पर तलें।
  4. सुनहरा होने पर निकाल लें और कटोरियाँ अलग कर दें।
  5. उसमें अंकुरित की हुई मोठ, प्याज, नमक, मिर्च, हरा धनियाँ, टमाटर व नींबू के रस का मिश्रण बनाकर भरें और परोसें।

4. ढोकला
सामग्री –
बाजरे का आटा    :    50 ग्राम
मोठ का आटा   :    10 ग्राम
प्याज अदरक   :   थोड़ी मात्रा
हरा धनिया हरी मिर्च   :   स्वादानुसार
जीरा   :    थोड़ी मात्रा में
नमक    :   स्वादानुसार
दही    :    चौथाई कप
तेल   :    1 बड़ा चम्मच

विधि:

  1. आटे को छानकर नमक मिला लें।
  2. इसमें बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च, अदरक, धनियाँ, जीरा व दही डालकर कड़ा आटा गूंध लीजिए।
  3. छोटे-छोटे गोले बनाकर उसे जाली ऊपर रखकर 20 मिनट भाप में पकाइए।
  4. चम्मच या चाकू डालकर देखें कि चिपक नहीं रहा हो, तब आँच से उतार लें।
  5. थोड़े से तेल में राई डालकर, ढोकले में छोंक लगाइए।
  6.  उड़द की दाल के साथ परोसें।

5. इडली
सामग्री
चावल   :    30 ग्राम
उड़द दाल बिना छिलके वाली   :   10 ग्राम
नमक   :   स्वादानुसार
तेल   :   थोड़ा-सा

विधि:

  1. दाल एवं चावल को बीन कर, धोकर 6 – 8 घंटे के लिए अलग – अलग भिगो लें।
  2. भीगी हुई दाल को महीन व चावल को थोड़ा मोटा पीस लीजिए।
  3.  पिसे हुए दाल व चावल के पेस्ट को अच्छी तरह मिलाकर, नमक डालकर धूप में या फिर रात भर के लिए ढक कर रखिए जिससे खमीर उठ जाए।
  4. इडली बनाने के साँचे में तेल का चिकना हाथ लगाकर एक-एक कड़ी घोल डालें।
  5. इसे इडली बनाने के बर्तन या प्रैशर कुकर के उबलते पानी में इस प्रकार रखें कि इडली के घोल वाला साँचा उबलते पानी से ऊपर रहे।
  6. बर्तन को ढक दें। यदि कुकर हो तो उसके ढक्कन से सीटी हटा दें।
  7. इडली को 10 से 15 मिनट तक भाप में पकाएँ।
  8. अब ढक्कन हटाकर इडली वाले साँचे को बाहर निकालकर ठंडा करें व इडली को निकाल लें। इडली के पकने की पहचान यह है कि इडली में चाकू डालने पर घोल उस पर चिपकेगा नहीं। यदि घोल चिपकता है तो इसे अभी और पकाने की आवश्यकता है।
  9. इडली को नारियल की चटनी या सांभर के साथ परोसें।

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RBSE Class 11 Home Science Practical Work chapter 5

हमारे घरों में समय-समय पर विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इन व्यंजनों को बनाने के लिए पाक क्रिया की विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है। पाक क्रिया की विभिन्न विधियों से बनाए जाने वाले कुछ व्यंजन नमूने के रूप में इस अध्याय में दिए जा रहे हैं –
1. उबालना : इस विधि द्वारा हम दिन-प्रतिदिन खाई जाने वाली अनेक सब्जियों व दालों को पकाते हैं। दाल व सब्जियों को उबालने के पश्चात् उनमें छोंक लगाया जाता है ताकि ये स्वादिष्ट व आकर्षक बन जाएँ।

1. मूंग दाल
सामग्री:
मूंग का दाल    :   25 ग्राम
घी   :    1/2 चाय का चम्मच
नमक   :   स्वादानुसार
अन्य मसाले   :   हल्दी, मिर्च, धनियाँ पाउडर व जीरा

विधि:

  1. दाल को बीन कर, साफ करके स्वच्छ पानी से दो बार धोइए।
  2. दाल को 15 – 20 मिनट तक पानी में भीगने दीजिए।
  3. भगोने में 1 कटोरी पानी उबालें और उसमें भीगी हुई दाल पकने के लिए रखें।
  4.  पिसी हल्दी तथा नमक डालकर भगोने को ढक दीजिए।
  5.  जब दाल पक जाए तो एक छोटे बर्तन में घी गर्म करके जीरा तड़काएँ एवं अन्य मसाले डालकर दाल में मिलाएँ।
  6. दाल में हरी मिर्च, हरा धनियाँ व नींबू का रस इच्छानुसार डाला जा सकता है।
  7. गर्मागरम दाल, चावल व चपाती के साथ परोसें।

2. सूप:
सामग्री:
भीगा हुआ बाजरा    :   20 ग्राम
मोठ    :    20 ग्राम
नमक    :    आधा चम्मच
काली मिर्च   :   आधा चम्मच
जीरा   :   चुटकी भर

विधि:

  1. बाजरा व मोठ को पानी में उबालें।
  2. पूर्णतया गल जाने व इसे मथनी घुमाकर छोटी व मोटी चलनी से छानें।
  3. इसमें नमक, काली मिर्च व जीरा भूनकर डालिए व कप में गर्म – गर्म सूप भोजन से पहले परोसें।  खदकाना:इस विधि द्वारा भोजन को धीमी आँच पर पकाया जाता है।

2. चावल की खीर
सामग्री:
दूध     :   250 मिली
चावल   :   10 ग्राम
शक्कर   :   10 ग्राम
इलायची   :   1 छोटी (पीसी हुई)

विधि:

  1. चावल बीन कर धो लीजिए तथा इन्हें पानी में 10-15 मिनट के लिए भिगोकर रखें।
  2. भगोने में दूध उबालिए एवं भीगे हुए चावल मिलाकर धीमी आँच पर पकाएँ।
  3. बीच-बीच में दूध को चम्मच से हिलाते रहिए।
  4. जब चावल अच्छी तरह से गल जाएँ तब उसमें शक्कर मिलाकर अच्छी तरह पकाएँ।
  5. खीर को कटोरी में निकालकर पिसे इलायची पाउडर से सजाएँ एवं गर्म-गर्म परोसें।
  6. खीर को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें सूखे मेवे, केसर आदि भी डाले जा सकते हैं।

बाजरा राब
सामग्री:
बाजरे का आटा    :   20 ग्राम
छाछ    :    150 ग्राम
अंकुरित मोठ   :   5 ग्राम
नमक जीरा   :   स्वादानुसार
पानी   :   200 मिली.

विधि:

  1. बाजरे के आटे को छाछ में घोल लीजिए।
  2. जीरे का छोंक लगाकर गाढ़ा होने तक पकाइए तथा बीच-बीच में हिलाते रहिए।
  3. अंकुरित मोठ मिलाकर 2 मिनट और पकाइए। गर्म – गर्म या ठंडा होने पर परोसें।

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दाब द्वारा पकाना (प्रेशर कुकर में) छोले
सामग्री:
काबुली चने    :   30 ग्राम
टमाटर   :   25 ग्राम
प्याज    :   20 ग्राम
अदरक   :   5 ग्राम
हरी मिर्च   :   एक या दो
हरा धनियाँ   :   कुछ पत्ते
नमक   :   स्वादानुसार
अन्य मसाले   :   हल्दी, मिर्च पाउडर, धनियाँ पिसा, गरम मसाला पाउडर, जीरा आदि।
तेल   :   आधा या 1 चम्मच
नींबू / अमचूर / इमली   :   स्वादानुसार

विधि:

  1. छोलों को बीनकर, धोकर रात भर पानी में में भिगोयें।
  2. अगले दिन इन छोलों को प्रेशर कुकर में आवश्यक मात्रा में पानी में डालकर व थोड़ा-सा नमक मिलाकर 3-4 सीटी आने तक पकाइए।
  3. प्याज, अदरक, हरी मिर्च, टमाटर व हरा धनियाँ काट लीजिए।
  4. कड़ाही में तेल गर्म करके जीरा तड़काइए एवं अदरक व प्याज सुनहरा होने तक इसमें भून लीजिए।
  5. अब इसमें कटे टमाटर व अन्य मसाले डालकर 3-4 मिनट भूनें तथा प्रेशर कुकर में उबाले गए छोले मिलाएँ। अच्छी तरह पकने पर इसमें स्वादानुसार खटाई मिलाइए।
  6. अब इन्हें कटोरी में निकालकर प्याज के गोल छल्ले, टमाटर के स्लाइस, कटी हरी मिर्च व हरे धनिए से सजाकर गर्मागरम परोसिए।

बाजरा – मोठ घुघरी
सामग्री:
भीगा हुआ बाजरा   :   20 ग्राम
भीगा हुआ मोठ   :   10 ग्राम
प्याज   :   25 ग्राम
हरी मिर्च   :   1 नग
तेल   :   2 छोटे चम्मच
जीरा, नमक, पानी   :   आवश्यकतानुसार

विधि:

  1.  भीगे बाजरे व मोठ को धीमी आँच पर 20-25 मिनट तक पानी में पकाएँ।
  2. प्याज, अदरक व हरी मिर्च को धोकर बारीक काट लीजिए।
  3. तेल गर्म करके जीरा डालिए एवं प्याज डालकर भूनिए।
  4. मसाले, अदरक व हरी मिर्च डालकर पकाइए एवं उबला हुआ बाजरा-मोठ का मिश्रण इसमें मिलाइए।
  5. हरा धनियाँ डालकर गरम-गरम परोसिए।

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4. भाप द्वारा पकाना
मक्की के ढोकले
सामग्री:
मक्की का आटा    :   50 ग्राम
प्याज   :   10-15 ग्राम
अदरक   :   2-5 ग्राम
हरा धनिया   :   5 ग्राम
नमक   :   स्वादानुसार
तेल  :   एक बड़ा चम्मच (10-15 ग्राम)
राई एवं जीरा   :   आधा चाय का चम्मच
पापड़ खार   :   चौथाई चाय का चम्मच

विधि:

  1. मक्की के आटे को छान लें व नमक तथा पापड़ खार मिलाकर एक-दो बार पुनः छान लें, जिससे नमक व खार आटे में भली-प्रकार से मिल जाए।
  2. प्याज, अदरक व हरा धनियाँ धोकर बारीक काट लीजिए।
  3. मक्की के आटे में कटा प्याज, हरी मिर्च, धनिया व अदरक मिलाकर आटा गूधे।
  4. कुकर या भगोने में थोड़ा-सा पानी लेकर कुकर की जाली या स्टील की छलनी घेरे पर रखें।
  5. मक्की के गूंधे हुए आटे की लोइयाँ बनाकर जाली पर रखिए।
  6. भगोने पर ढक्कन रखकर या कुकर की सीटी हटाकर 15-20 मिनट तक भाप में पकाएँ।
  7. तेल गर्म करके जीरा व राई तड़काएँ तथा भाप में पके ढोकलों पर डालकर हरे धनिए की पत्ती से सजाकर गरम-गरम परोसें।
  8. बिना छोंके ढोकलों में तेल या घी मिलाकर गरमागरम दाल के साथ परोसें।

गहरी तलने की विधि
मठरी
सामग्री:
बाजरे का आटा   :   20 ग्राम
मोठ का आटा   :   20 ग्राम
मैदा   :   20 ग्राम
अजवायन   :   5 ग्राम
नमक    :   स्वादानुसार
तेल   :   तलने के लिए

विधि:

  1.  बाजरे और मोठ के आटे को मैदा में मिलाकर छान लीजिए।
  2. थोड़ा तेल, नमक व अजवायन डालकर कड़ा आटा गूंध लीजिए।
  3. छोटी व मोटी मठरी बेलिए। .
  4. चाकू या किसी नुकीली चीज से इनमें छेद कर दीजिए।
  5. गरम तेल में धीमी आँच पर हल्के भूरे होने तक तलिए।

6. उथली तलने की विधि
कटलेट
सामग्री:
बाजरा आटा   :   50 ग्राम
अंकुरित मोठ    :    5 ग्राम
मटर के दाने   :   30 ग्राम
प्याज   :    50 ग्राम
हरी मिर्च   :   आधी
हरा धनिया   :   5 ग्राम
नमक   :   स्वादानुसार
सूजी   :   5 ग्राम

विधि:

  1. आलू उबालकर छील लीजिए।
  2. हरी मिर्च व प्याज को काटकर गर्म तेल में भून लीजिए।
  3. अब इसमें आलू मसलकर, मटर व अंकुरित मोठ कुचलकर व हरा धनिया साफ करके मिलाएँ। साथ ही बाजरे का आटा व नमक भी मिलाइए।
  4. इस मिश्रण से टिकिया तैयार करके सूजी में लपेटिए।
  5. तवे पर थोड़ा सा तेल लगाकर बनाई गई टिकियाओं को सेकें व हरे धनिए की चटनी के साथ परोसिए।

7. सेंकना (भूनना):
रोटी / चपाती
सामग्री:
गेहूँ का आटा   :   50 ग्राम
नमक   :   स्वादानुसार
पानी   :   आटा गूंधने के लिए।

विधि:

  1. आटे में नमक मिलाकर छान लीजिए।
  2. थोड़ा – थोड़ा पानी मिलाते हुए हल्के हाथ से आटा गूंधे व 5 – 10 मिनट के लिए ढक कर रख दीजिए।
  3. गूंधे हुए आटे से लोई बनाकर चकले पर पलोथन (सूखा आटा) की सहायता से चपाती बेलें।
  4. आँच पर तबा रखें एवं गर्म होने पर बेली हुई रोटी डालें।
  5.  रोटी को दोनों ओर से तवे पर सेंके तथा तवे पर या सीधे आँच पर फुलाएँ।
  6. गरमागरम रोटी पर घी लगाकर दाल-सब्जी के साथ परोसें।

बाटी
सामग्री:
गेहूँ का आटा   :   75 ग्राम
नमक   :   स्वादानुसार
घी   :   एक बड़ा चम्मच (10-15 ग्राम)
पानी   :   आटा गूंधने के लिए।

विधि:

  1. आटे में नमक मिलाकर छान लीजिए।
  2. छाने हुए आटे में 1/2 – 1 चाय का चम्मच घी का मोयन डालकर अच्छी तरह मिला दीजिए।
  3. थोड़ा – थोड़ा पानी डालते हुए रोटी से सख्त आटा गूंधिए।
  4. गूंधे हुए आटे की दो लोई बनाकर अंगीठी की गरम राख के अन्दर या गैस तंदूर में सेकें।
  5. सिकने पर बाटियों के मुंह खुले जाते हैं।
  6. सिकी हुई बाटियों पर घी लगाकर दाल के साथ परोसें।

8. बेकिंग
बिस्कुट
सामग्री:
बाजरा आटा    :   50 ग्राम
बेकिंग पाउडर    :   1/4 चम्मच
घी   :   1 छोटा चम्मच
मोठ आटा   :   10 ग्राम
नमक   :   1/4 चम्मच
दूध   :   आटा गूंधने के लिए

विधि:

  1. आटे में बेकिंग पाउडर व नमक मिलाकर छान लीजिए।
  2. मक्खन मिलाकर दूध से कड़ा आटा गूंध लीजिए।
  3. 1/4 मोटी रोटी बेलकर छोटे-छोटे गोल बिस्कुट के आकार के टुकड़े काट लिजिए।
  4. घी लगी ट्रे में रखकर 200°C तापमान पर 15 – 20 मिनट तक ओवन में रखिए।
  5. ठंडा होने पर परोसिए।

केक
सामग्री:
बाजरा आटा    :   50 ग्राम
मोठ आटा   :   20 ग्राम
मैदा   :   50 ग्राम
बैंकिंग पाउडर   :   1 चम्मच
नमक   :   चुटकी भर
चीनी   :   100 ग्राम
अण्डा   :   2 नग
चेरी   :   आवश्यकतानुसार
घी   :   50 ग्राम
बनीला ऐसेंस   :   1/2 चम्मच

विधि:

  1. आटा, मैदा, नमक व बेकिंग पाउडर को मिलाकर 3 – 4 बार चलनी से छान लीजिए।
  2. पिसी हुई चीनी एवं घी डालकर खूब फेंटिए।
  3. इसमें अण्डे व छाने आटे को बारी-बारी से डालकर मिलाएँ व आवश्यकतानुसार दूध मिलाएँ।
  4. बनीला ऐसेंस व चेरी मिलाएँ।
  5. एल्युमीनियम के बर्तन में थोड़ा सा घी लगायें व सादा साफ कागज लगाकर केक मिश्रण को इस बर्तन में डालकर 200°F ताप पर एक घंटे तक ओवन में बेक करें।
  6. ठण्डा होने पर काटकर टुकड़े करें व परोसें।

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भोजन परिरक्षण से तात्पर्य:
भोज्य पदार्थों के मूल आकार एवं रूप को परिवर्तित करके या परिवर्तित किए बिना ही उनके पोषक मूल्य को यथावत बनाए रखते हुए बिना विकृति के लम्बे समय तक सुरक्षित रखने की प्रक्रिया एवं तकनीक खाद्य परिरक्षण (food Preservation) कहलाते हैं। कई खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक संग्रह करने की आवश्यकता होती है ताकि आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में इनका उपयोग किया जा सके।

परिरक्षण की घरेलू विधियों द्वारा पदार्थों को छोटे पैमाने पर परिवार के प्रयोग के लिए परिरक्षित किया जाता है। गृह विज्ञान के छात्र प्रयोगशाला में इन विधियों को सीख कर विभिन्न प्रकार के परिरक्षित पदार्थ घर पर ही तैयार कर सकते हैं। खाद्य परिरक्षण की रासायनिक विधि का उपयोग करके घरेलू स्तर पर अनेक प्रकार के संरक्षित खाद्य पदार्थ बनाए जा सकते हैं। जैसे-जैम, जैली, मुरब्बा, स्क्वै श, शरबत, टमाटर सॉस, अचार इत्यादि।

फल संरक्षण कार्य में प्रयुक्त रासायनिक पदार्थ:
फल संरक्षण की प्रक्रिया में खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए निम्नलिखित रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है –

1. साइटिक अम्ल:
यह देखने में सफेद रवादार तथा स्वाद में खट्टा होता है। इसे नींबू का सत भी कहा जाता है। जैसे – शर्बत, मुरब्बा, जैम, जैली आदि में चीनी के रवे (Crystals) बनाने को रोकने के लिए किया जाता है। ध्यान रहे कि यह सुरक्षा कारक नहीं है।

2. ऐसीटिक अम्ल:
यह देखने में लगभग पानी जैसा तीव्र गन्ध वाला तरल पदार्थ है, इसे सिरके का सत् भी कहते हैं। इसका प्रयोग मसालेदार खाद्य पदार्थों; जैसे – अचार, चटनी, सॉस आदि में खटास तथा स्वाद पैदा करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा तैयार 4-5 प्रतिशत पानी के घोल को (5 मिली ऐसीटिक अम्ल + 95 मिली पानी = सफेद सिरका) सिरका कहा जा सकता है। इसमें हरी मिर्च, अदरक, प्याज, लहसुन, ब्लॉन्च सब्जियों आदि को डुबोकर सिरके वाला अचार तैयार किया जाता है। सफेद सिरका स्वयं सुरक्षा कारक है।

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3. सोडियम बन्जोएट:
यह रासायनिक फदार्थ सुरक्षा कारक है जो देखने में पाउडर जैसा होता है और छूने पर चॉक की भाँति चिपक जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से गहरे रंग वाले फलों के रस अथवा रस से तैयार खाद्य पदार्थों; जैसे-अनार, फालसा, जामुन, स्क्वैश, टमाटर से निर्मित पदार्थों, सभी प्रकार की चटनी, सॉस, अचार आदि में किया जाता है। यह खाद्य में मिलाये जाने पर बैन्जोइक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है।

4. पोटेशियम मेटा बाईसल्फाइट:
यह सुरक्षाकारक रासायनिक पदार्थ है जो देखने में हल्का सफेद तथा छने पर रवेदार प्रतीत होता है। यह फलों की खटास अथवा तैयार खाद्य पदार्थों में प्रयोग करने पर सल्फर डाई ऑक्साइड (So,) गैस में परिवर्तित हो जाता है तथा यह गैस सुरक्षा कारक का कार्य करती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से हल्के रंग वाले फलों के रस अथवा स्क्वैश; जैसे-नींबू, संतरा, आम, अनन्नास, लीची, बेल आदि में सुरक्षा कारक के रूप में किया जाता है। यह गैस गहरे रंग को उड़ा देती है अत: ध्यान रहे कि इसका उपयोग गहरे रंग वाले फलों के रस के स्क्वैश के संरक्षण के लिए नहीं किया जा सकता। उपरोक्त रासायनिक पदार्थों के अतिरिक्त कुछ प्रचलित अन्य पदार्थों का भी उपयोग किया जाता है।

चीनी द्वारा संरक्षण – खाद्य पदार्थों में 68 – 70 प्रतिशत चीनी की मात्रा सुरक्षा कारक की भाँति कार्य करती है। जैम, जैली, मुरब्बा, शर्बत आदि चीनी द्वारा संरक्षित किए जा सकते हैं।

नमक द्वारा संरक्षण – खाद्य पदार्थों में नमक की 18-20 प्रतिशत मात्रा सुरक्षा कारक का कार्य करती है अत: नींबू का अचार, आम का बिना तेल वाला अचार नमक के द्वारा संरक्षित किए जाते हैं।

मुरब्बा संरक्षण – विभिन्न प्रकार के फलों को उनके आकार एवं स्वभाव के अनुसार साबुत अथवा छीलकर, काटकर तैयार करके चीनी द्वारा संरक्षित तैयार पदार्थ को मुरब्बा कहते हैं। तैयार किए गए सभी मुरब्बे 68 प्रतिशत चीनी द्वारा सुरक्षित रहते हैं। सेब, आँवला, गाजर, कच्चा आम, कच्चा बेल आदि फलों के मुरब्बे अत्यधिक लोकप्रिय हैं।

उपरोक्त के अलावा निम्न प्रकार के फलों से तैयार मुरब्बे अलग-अलग नामों से प्रचलित हैं।

  • अदरक से तैयार सूखा मुरब्बा केन्डी (Candy) के नाम से।
  • कच्चे पपीते से हरे, लाल, पीले रंग में तैयार मुरब्बा टूटी-फूटी के नाम से।
  • सफेद करोंदे से तैयार किया गया लाल रंग का मुरब्बा चैरी के नाम से।

फलों के स्वाद एवं स्वभाव के अनुसार मुरब्बा तैयार करते समय निम्नलिखित घोल में रखकर मुरब्बा तैयार करते हैं –
1. 2 प्रतिशत नमक का घोल:
ऐसे फल जिन्हें छीलने के बाद उनके रंग में परिवर्तत हो जाता है, उन्हें छीलकर 2% नमक के घोल में रखते हैं; जैसे-सेब, नाशपाती आदि। नमक के घोल में रखने से फल का रंग खराब नहीं होता है। (1 लीटर पानी + 20 ग्राम नमक = 2 प्रतिशत नमक का घोल)

2. 1.5 प्रतिशत फिटकरी का घोल:
ऐसे फल जिनका स्वाद कसैला व कड़वा होता है जैसे आँवला। ऐसे फलों को __गोदने के बाद 24 घंटे के लिए फिटकरी के घोल में रखते हैं जिससे उनका कसैलापन एवं कड़वापन कम हो जाता है। (1 लीटर पानी + 15 ग्राम फिटकरी = 1.5% फिटकरी घोल)।

3. 2 प्रतिशत चूने का घोल-ऐसे फल जो बहुत मुलायम होते हैं उन्हें गोदने के बाद लगभग 10-12 घंटे चूने के घोल में रखते हैं; जैसे- पेठा, बेल आदि।

सेब का मुरब्बा
आवश्यक सामग्री:
सेब    :   1.0 किग्रा
चीनी    :   1.5 किग्रा
पानी   :   400 मिली
साइट्रिक अम्ल   :   7 ग्राम

विधि
व्यावसायिक स्तर पर सेब का मुरब्बा तैयार करने के लिए सेब की ‘राइमर’ तथा ‘अम्बरी’ जाति के फल उपयुक्त रहते हैं। इस प्रकार के फल न मिलने पर मध्यम छोटे आकार वाले खट्टे फलों से मुरब्बा बनाना चाहिए। फलों को छीलकर 2 प्रतिशत नमक के घोल में रख देते हैं।

1. ब्लान्चिंग (Blanching):
फलों को नमक के घोल से निकालकर उबलते हुए पानी में 8 – 10 मिनट तक ब्लांच करते हैं। जब माचिस की तीली या स्टील का कांटा फलों में आसानी से जाने लगे तब ब्लान्चिंग समय पूर्ण मानते हैं।

2. फलों को गोदना (Pricking):
स्टेनलेस स्टील के काँटों (Forks) में फलों को सभी ओर से अच्छी तरह गोद लिया जाता है अर्थात् काँटे फलों के अन्दर बीज वाले भाग तक पहुँचने चाहिए।

3. चीनी की चाशनी बनाना:
चीनी, पानी तथा साइटिक अम्ल मिलाकर चीनी के घुलने तक पकाने के बाद उबाल आते ही चाशनी को छानकर तैयार गोदे हुए फलों के साथ मिला देते हैं। दूसरे दिन मुरब्बे वाले बर्तन को गैस पर गर्म होने के लिए रख देते हैं। जब चाशनी उबलने लगे तब फलों को बाहर निकाल लेते हैं तथा चाशनी को पाँच मिनट उबालकर बर्तन को आँच से उतारकर फलों को पुन: चाशनी में डाल देते हैं।

इसी प्रकार तीसरे तथा चौथे दिन चाशनी को 5 – 5 मिनट गर्म करते हैं। ऐसा करने से चाशनी प्रतिदिन धीरे-धीरे गाढी होती है तथा फलों में गोदे हुए छिद्रों से अन्दर तक जाती है। यदि चाशनी को एक ही दिन में 20 मिनट पकाकर गाढ़ा कर दिया जाए तो फलों के गोदे हुए छिद्र गाढ़ी चाशनी से बंद हो जाएँगे तथा फलों में से पानी बाहर नहीं निकल पाएगा तथा फल सिकुड़ जाएंगे।

4. तैयार होने की पहचान:

  1. जब मुरब्बे की चाशनी शहद के समान गाढ़ी हो जाए।
  2. उपयोग की गई चीनी से तैयार मुरब्बा लगभग 1.5 गुना बनता है।
  3. जब चाशनी में चीनी की मात्रा 68 प्रतिशत हो जाए। चीनी की मात्रा रिफरैक्ट्रोमीटर द्वारा ज्ञात की जाती है। तैयार मुरब्बे को साफ तथा सूखे पात्र में भर कर रखें।

सावधानियाँ:
1. तैयार मुरब्बा चाशनी में डूबा रहना चाहिए।
2. मुरब्बा तैयार होने के 8-10 दिन बाद चाशनी को चैक कर लें, कभी-कभी मुरब्बा बनाते समय फलों से पूरा पानी नहीं निकल पाता है जो बाद में निकलता है, जिसके कारण चाशनी पतली हो जाती है। यदि चाशनी पतली हो गयी तो चाशनी को निकालकर गर्म करके गाढ़ा कर लें।
3. कभी-कभी मुरब्बे की चाशनी में चीनी जम जाती है। अत: थोड़ा साइट्रिक अम्ल मिलाकर धीमी आँच पर गर्म करके चीनी के रवे दूर किए जा सकते हैं।

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आँवले का मुरब्बा
आवश्यक
सामग्री:
आँवला    :   1.0 किग्रा
चीनी    :   1.5 किग्रा
पानी   :   400 मिली
साइट्रिक ऐसिड   :   10 ग्राम

विधि:
जहाँ तक संभव हो बड़े आकार वाले आँवला फल मुरब्बा बनाने के लिए चुनने चाहिए। सर्वप्रथम फलों को साफ पानी में डुबोकर 4-5 दिन रखें, प्रतिदिन पानी बदलते रहें। ऐसा करने से फलों का हरा रंग कम हो जाता है। समयाभाव की स्थिति में फलों को 4-5 दिन पानी में रखना आवश्यक नहीं है।

  1. गोदना – स्टेनलेस स्टील के काँटो द्वारा फलों को सभी ओर से अच्छी तरह गोद लेते हैं अर्थात् गोदे हुए फलों को। दबाया जाए तो जूस गिरने लगे।
  2.  फिटकरी घोल में रखना – गोदे हुए फलों को फिटकरी के 1.5% घोल (पानी 1 लीटर + 15 ग्राम फिटकरी का घोल) में 24 घण्टे के लिए रखते हैं और इसके बाद साफ पानी से अच्छी तरह धोते हैं।
  3. ब्लॉन्चिंग – उबलते हुए पानी में फलों को 8-10 मिनट ब्लॉन्च करते हैं।
  4. चीनी की चाशनी बनाना – चीनी, पानी व साइट्रिक एसिड मिलाकर चाशनी तैयार करते हैं तथा ब्लॉन्च किए गए फलों को इसमें मिला देते हैं।लगभग 3 – 4 दिन तक 5 – 5 मिनट सेब के मुरब्बे की भाँति प्रतिदिन गर्म करके मुरब्बा तैयार कर लिया जाता है।

अचार
हमारे देश के अधिकांश परिवारों में अचार बनाये जाते हैं परन्तु अक्सर देखा गया है कि कभी-कभी तैयार अचार अधिक गल जाते हैं अथवा खराब हो जाते हैं। अधिकांश अचार नमक की कमी के कारण खराब हो जाते हैं। अतः विभिन्न प्रकार के फल व सब्जियों से अचार बनाते समय नमक की मात्रा को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है नमक 20 प्रतिशत-नमक की 20% मात्रा खाद्य पदार्थों में सुरक्षा कारक के रूप में कार्य करती है। अत: ऐसे अचार जिनका संरक्षण केवल नमक पर निर्भर करता है उनमें एक किग्रा तैयार फल के साथ 200 ग्राम नमक तथा आवश्यक मसाले प्रयोग करते हुए अचार बनाते हैं। जैसे-नीबू का अचार तथा आम का बिना तेल वाला अचार जिसे कहीं-कहीं हींग वाला अचार भी कहते हैं।

नमक 15 प्रतिशत:
ऐसे फल एवं सब्जियाँ जिनका स्वाद कड़वा, तीखा, कसैला अथवा खट्टा होता है, उनमें एक किग्रा तैयार फल या सब्जी के साथ नमक 150 ग्राम, सरसों का तेल 250 ग्राम, ऐसीटिक अम्ल 5 मिग्रा, सोडियम बैन्जोइट 1 ग्राम तथा आवश्यक मात्रा में मसाले प्रयोग करते हुए अचार तैयार करते हैं; जैसे-करेला, आँवला, मिर्च, आम, टेंटी, प्याज, “करौंदा आदि।

नमक 10 प्रतिशत:
ऐसे फल अथवा सब्जियाँ जिनका स्वाद लगभग फीका होता है, उनमें एक किग्रा तैयार फलों या सब्जी के साथ नमक 100 ग्राम, ऐसीटिक अम्ल 10 मिग्रा, सोडियम बैन्जोइट 1 ग्राम, तेल 250 ग्राम तथा आवश्यक मात्रा में. अन्य मसाले प्रयोग करते हुए अचार तैयार करते हैं। जैसे-गाजर, गोभी, कटहल, मूली, शलजम आदि।

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सब्जियों का मिश्रित अचार
आवश्यक सामग्री:
फूल गोभी   :   1 किग्रा
गाजर   :   500 ग्राम
नींबू    :    250 ग्राम
हरी मटर    :    500 ग्राम
हरी मिर्च   :   500 ग्राम
मूली   :   500 ग्राम
[सब्जियों का कुल भार : 3.250 किग्रा तैयार सब्जियों का कुल भार : 2.00 किग्रा]
नमक   :   200 ग्राम
पिसी हल्दी   :   50 ग्राम
पिसी लाल मिच   :   30 ग्राम
सौंफ मोटी कुटी हुई   :   50 ग्राम
राई मोटी कुटी हुई   :   50 ग्राम
हींग   :   आवश्यकतानुसार
सरसों का तेल   :   500 ग्राम
अदरक   :   200 ग्राम
ऐसीटिक ऐसिड   :   10 मिग्रा
सोडियम बैन्जोइट   :   2 ग्राम

विधि
सभी सब्जियों को छीलकर खाने योग्य टुकड़ों में काटकर तैयार करके गाजर व गोभी को 6-7 मिनट तथा मटर के दानों को 4-5 मिनट ब्लॉन्च (Blanching) करके 10 मिनट के लिए कपड़े पर फैला देते हैं जिससे कि अतिरिक्त पानी निकल जाए। ब्लान्च की हुई सब्जियों को किसी टब या भगोने में रखें तथा कटी हुई हरी मिर्च, कटा हुआ अदरक, नीबू, नमक, पिसे मसाले, मोटी कुटी हुई (दरदरी) राई, सौंफ व हींग मिला दें। तेल को गर्म करके या ठण्डा होने पर मिलाने के बाद ऐसिटिक एसिड व सोडियम बैन्जोइट मिलाकर तैयार अचार को उपयुक्त बर्तन में भरकर रख दें। लगभग 2-3 दिन बाद अचार खाने में प्रयोग किया जा सकता है।

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आम का अचार
आवश्यक सामग्री
कच्चे आम की फाँके   :   5 किग्रा
नमक   :   750 ग्राम
पिसी हल्दी   :   125 ग्राम
पिसी लाल मिर्च   :   75 ग्राम
पिसा गरम मसाला   :   50 ग्राम
सौंफ मोटी कुटी हुई   :   125 ग्राम
मैथी (साबुत)   :   100 ग्राम
कलोंजी (साबुत)   :   75 ग्राम
हींग पिसी हुई   :   5 ग्राम
सरसों का तेल   :   1.5 ग्राम
ऐसिटिक ऐसिड   :   20 ग्राम
सोडियम बैंजोइट   :   5 ग्राम

विधि:
अचार के लिए देशी प्रजाति के कच्चे आम उपयुक्त रहते हैं। आमों को धोकर चार या आठ टुकड़ों में काट लीजिए। कटे हुए टुकड़ों में सभी मसाले मिलाकर कपड़े द्वारा ढककर 1-2 दिन धूप में रखने के बाद गर्म किया हुआ तेल, ऐसीटिक अम्ल तथा सोडियम बैंजोएट मिलाकर उपयुक्त बर्तन में भर लेते हैं। लगभग 15-20 दिन में अचार प्रयोग हेतु तैयार हो जाता है।
नींबू का अचार
आवश्यक सामग्री:
नीबू : 1 किग्रा
काला नमक   :   50 ग्राम
नमक   :   150 ग्राम
अजवाइन    :    20 ग्राम
अदरक   :   50 ग्राम
गर्म मसाला पाउडर   :   25 ग्राम
काली मिर्च पाउडर   :   25 ग्राम

विधि:
नीबू को पानी से धोकर भली प्रकार पोंछ लीजिए। इन्हें चार टुकड़ों में काट लें या फिर इस प्रकार काटें कि चारों टुकड़े आपस में जुड़े रहे। पिसा हुआ नमक, साबुत अजवायन, मसाले तथा बारीक कटा हुआ अदरक इसमें अच्छी प्रकार मिला दें। कटे हुए नीबू को हल्का दबाकर इनका थोड़ा रस निकाल लें तथा मसाले को नीबू में भरकर किसी बर्तन में दबा दबा कर रखते जाएँ। निकाला हुआ नीबू का रस ऊपर से डाल दें। लगभग एक माह पश्चात नीबू का अचार खाने योग्य तैयार हो जाता है अचार के बर्तन को बीच-बीच में हिलाते रहें।

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विशेष:
यदि अचार को खट्टा – मीठा बनाना हो तो 500 ग्राम चीनी तैयार अचार में मिला दें अथवा किसी भी मुरब्बे की बची हुई चाशनी इच्छानुसार मात्रा में मिला दें। नमकीन नीबू के अचार में छोटी हरड़ 50 ग्राम, छोटी पीपल 25 ग्राम तथा लोंग 25 ग्राम मिलाने पर अचार के गुण और भी बढ़ जाते हैं।
टमाटर सॉस अथवा कैचप
आवश्यक सामग्री:
टमाटर    :   2 किग्रा
अदरक    :   25 ग्राम
प्याज       :    50 ग्राम
लहसुन    :     5 ग्राम
ऐसिटिक एसिड   :   10 किग्रा
चीनी     :    160 ग्राम
नमक    :    25 ग्राम
पिसी लाल मिर्च   :   10 ग्राम
पिसा गर्म मसाला   :   10 ग्राम
सोडियम बैंजोइट   :   1 ग्राम

विधि:
पूर्णरूप से पके हुए टमाटर, सॉस बनाने के लिए उपयुक्त रहते हैं। टमाटर को पानी से धोकर काट लेते हैं। अदरक, प्याज व लहसुन को छीलकर बारीक काटकर या कूटकर कटे हुए टमाटर के साथ मिलाकर प्रेशर कुकर में तीन-चार सीटी तक गर्म करें तथा स्टेनलेस स्टील की बारीक छलनी द्वारा छान लें। बीज व छिलका रहित टमाटर के रस को पकाने के लिए गैस पर रख दें। रस के गाढ़े हो जाने पर चीनी तथा नमक मिला दें।

1. मसाले मिलाना – गर्म मसाला तथा पिसी हुई लाल मिर्च को 200 मिली पानी के साथ 7 – 8 मिनट उबालकर छान लीजिए। इस प्रकार तैयार मसाले के सत्व को पकाते हुए सॉस में अपने स्वादानुसार एक या दो बार में मिला दें।

2. बैग मैथड-इस विधि के अन्तर्गत पिसी लाल मिर्च व गर्म मसाले को छन्ने कपड़े में बाँधकर पकाते हुए टमाटर – रस में डाल देते हैं। सॉस के तैयार हो जाने पर मसाले की थैली को बाहर निकाल लेते हैं। ध्यान रहे कि मसाले की थैली खुलनी नहीं चाहिए और यह रस में डूबी रहनी चाहिए।

3. सीधे ही मसाले मिलाना – पिसे हुए मसाले को कपड़े द्वारा छानकर स्वादानुसार टमाटर के रस में सीधे ही मिला देते हैं।
तैयार होने की पहचान – पकते हुए सॉस में से बहुत थोड़ा सॉस किसी प्लेट पर रखें और जब रखे हुए सॉस के किनारे से पानी बहना बन्द हो जाए, तो सॉस तैयार मानते हैं।

सोडियम बैन्जोएट तथा ऐसिटिक एसिड मिलाना – सॉस के तैयार हो जाने पर गैस को बंद कर दीजिए तथा सोडियम बैन्जोएट व ऐसीटिक एसिड मिलाकर सॉस को बोतल में गर्म-गर्म और ऊपर तक भर कर ढक्कन बन्द कर देते हैं।

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जैम
जैम, फल के गूदे के साथ निश्चित मात्रा में चीनी तथा खटास मिलाकर तथा निश्चित समय तक पकाकर तैयार किया जाता है। तैयार होने पर ठण्डी दशा में जैम लगभग दही के समान जम जाता है। तैयार जैम में चीनी की मात्रा लगभग 68-70 प्रतिशत होने के कारण यह चीनी द्वारा परिरक्षित रहता है। निम्न फलों से अलग-अलग अथवा मिलाकर जैम बनाया जा सकता है –
जैसे – सेब, आम, नाशपाती, अमरूद, अनन्नास आदि।

सेब का जैम
आवश्यक सामग्री:
सेब    :    1 किग्रा
पानी    :     200 मिली
साइट्रिक अम्ल    :    7-8 ग्राम
चीनी    :      750 ग्राम
औरेन्ज रेड कलर तथा एमरन्थ कलर     :    आवश्यकतानुसार
सेब अथवा मिक्स फ्रूट ऐसेन्स (सुगन्ध)   :    20 बूंद

विधि
जैम बनाने के लिए खट्टे सेब उपयुक्त रहते हैं। फलों को छिलके सहित काटकर प्रेशर कुकर में 200 मिली पानी मिलाकर 4-5 सीटी आने तक पकाते हैं और फिर स्टील या एल्युमिनियम की छलनी द्वारा छान लेते हैं। छने हुए गूदे के साथ लगभग बराबर मात्रा में चीनी, आवश्यक मात्रा में, दोनों प्रकार के रंग मिला देते हैं। पकाते समय लगातार चलाते रहते हैं। थोड़ा गाढ़ा होने पर साइट्रिक ऐसिड अथवा समान मात्रा में टाटरी मिला देते हैं।

तैयार होने की पहचान:

  1. प्लेट टेस्ट-यह पहचान का घरेलू तरीका है। पके हुए जैम में से थोड़ा-सा जैम किसी प्लेट पर रखकर ठण्डा होना देते हैं और प्लेट को थोड़ा टेढ़ा करते हैं, जब प्लेट पर रखा हुआ जैम एक साथ एक ही दिशा में सरकने लगे तब जैम तैयार मानते हैं।
  2. थर्मामीटर द्वारा-जब पकते हुए पदार्थ का तापमान 222° फारेनहाइट हो जाए।
  3. रिफरैक्ट्रोमीटर द्वारा-जब पकाते हुए पदार्थ में चीनी की मात्रा लगभग 68-70 प्रतिशत हो जाए।
  4. भार द्वारा सामान्यतया प्रयोग की गई चीनी से तैयार जैम, लगभग डेढ़ गुना बनता है।

किसी भी विधि से जैम तैयार होने की पहचान करके गैस बन्द कर देते हैं तथा आवश्यक मात्रा में एसेन्स मिलाते हैं अब जैम को चौड़े मुँह वाले उपयुक्त आकार के बर्तन में रखते हैं।

जैली
यह पैक्टिन युक्त फलों से पैक्टिन द्रव प्राप्त करके निश्चित मात्रा में चीनी व खटास मिलाकर निश्चित समय तक पकाकर तैयार की जाती है। तैयार होने पर जैली ठण्डा होने के बाद पारदर्शी स्थिति में लगभग दही के समान जम जाती है। अमरूद, करोंदा, खट्टे सेब, आलू बुखारा इत्यादि फलों में पैक्टिन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है। अन्य फलों से जैली बनाते समय पैक्टिन के अभाव में अतिरिक्त पैक्टिन पाउडर मिलाकर जैली बनाई जाती है। तैयार जैली में चीनी की मात्रा लगभग 70 प्रतिशत रह जाती है। अतः यह चीनी द्वारा परिरक्षित पदार्थ है।

अमरूद की जैली
आवश्यक सामग्री:
अमरूद     :    750 ग्राम
साइट्रिक ऐसिड    :   6-7 ग्राम
पानी    :    1 लीटर
चीनी    :    500 ग्राम

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विधि:
जैली बनाने के लिए पूर्ण विकसित तथा कम पके हुए फल उपयुक्त रहते हैं। फलों को धोकर पतले टुकड़े काटकर पानी में डालकर मध्यम आँच पर लगभग 35 मिनट पकाने के बाद कपड़े से बिना दबाए छान लेते हैं। छने हुए द्रव को पैक्टिन द्रव कहते हैं। जैली बनाने के लिए यही द्रव उपयोग में लाया जाता है। कपड़े में बचा हुआ फल का गूदा उपयोग में नहीं लाया जाता। प्राप्त पैक्टिन द्रव के साथ लगभग बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर पकाते हैं। पकाते समय चलना आवश्यक नहीं है। तैयार होने से पूर्व साइट्रिक एसिड मिला देते हैं। यदि जैली में रंग मिलाना हो तो आवश्यक मात्रा में अनुकूल रंग जैली तैयार होने से पहले मिला सकते हैं। अन्यथा रंग एवं सुगन्ध मिलाना आवश्यक नहीं है।

तैयार होने की पहचान:

  1. चम्मच परीक्षण – पकते हुए पदार्थ में से बहुत थोड़ा पदार्थ किसी चम्मच में ठण्डा करके नीचे की ओर गिराते हैं, जब ठंडा किया हुआ पदार्थ चम्मच के साथ शीट जैसे आकार में बनने लगे तब जैली तैयार समझी जाती है।
  2. थर्मामीटर द्वारा – जब पकते हुए पदार्थ का तापक्रमश: 222° फारेनहाइट हो जाए।
  3. रिफरैक्ट्रोमीटर द्वारा – जब पकते हुए पदार्थ में चीनी की मात्रा लगभग 70 प्रतिशत हो जाए।

तैयार होने की पहचान करने के बाद गैस बंद कर दें तथा जैली के ऊपर आए झाग निकालकर चौड़े मुँह के जार में गर्म-गर्म भर दें तथा ठंडा होने पर ढक्कन लगा दें।

शरबत
सभी प्रकार के शरबत चीनी द्वारा संरक्षित किए जाते हैं अतः तैयार शरबत में चीनी की मात्रा लगभग 68-70 प्रतिशत होना अनिवार्य है। निम्नलिखित प्रकार के शरबत लोकप्रिय हैं –

  1. फलों के शर्बत; जैसे-नींबू, अनार, सन्तरा, अनन्नास आदि।
  2. फूलों तथा बूटियों; के शरबत जैसे – गुलाब, खस, केवड़ा आदि।
  3. कृत्रिम शर्बत; जैसे-गुलाब, खस, सन्तरा, अनन्नास आदि।

उपरोक्त प्रकार के शरबत बनाते समय फल, फूल अथवा बूटियों के रंग अथवा स्वाद के अनुसार निम्न प्रकार शरबत तैयार किया जाता है –

आवश्यक सामग्री:
चीनी    :    800 ग्राम
पानी    :     250 मिली
साइट्रिक एसिड     :    4-12 ग्राम
फल/फूल/बूटियों का रस या अर्क    :    100 ग्राम
अनुकूल खाद्य रंग     :    आधा ग्राम
सुगन्ध    :     2 – 3 ग्राम व एक खाली बोतल

विधि:
चीनी, पानी तथा साइट्रिक अम्ल को मिलाकर पकाएँ तथा चलाते रहें, जब चीनी घुल जाए तब छानकर ठण्डा कर लें। ठण्डी चाशनी में फल का रस / फूल / बूटियों से तैयार अर्क, शरबत के अनुकूल रंग व ऐसेन्स मिलाकर शरबत तैयार करते हैं।

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नीबू का शरबत:
यह शरबत बनाने की बहुत प्राचीन और सरल विधि है। एक बोतल में लगभग 800 ग्राम चीनी भर लीजिए। 500 ग्राम नींबू से लगभग 225 से 250 ग्राम रस निकाल कर छान लीजिए और बोतल में डाल दीजिए। इस बोतल को चीनी को घुलने तक धूप में रखिए। जब चीनी घुल जाए तब यदि आप चाहें तो 25 ग्राम अदरक का रस तथा आधा चम्मच पुदीने का रस इसमें मिला सकते हैं। इस प्रकार तैयार शरबत चीनी द्वारा परिरक्षित रहता है।

स्क्वैश:
सामान्यतया सभी प्रकार के स्क्वै श में रस 25 प्रतिशत, चीनी 45 प्रतिशत से 50 प्रतिशत, खटास 1.2 से 1.5 प्रतिशत तथा शेष मात्रा पानी की पायी जाती है। इसका परिरक्षण निम्नलिखित पदार्थों द्वारा किया जाता है।

1. पौटेशियम मेटा बाई सल्फाइट – इसके द्वारा हल्के रंग वाले फलों के रस तथा तैयार स्क्वैश परिरक्षित किए जाते हैं। जैसे-नीबू, संतरा, बेल, लीची, अनान्नास इत्यादि।

2. सोडियम बैन्जोएट – इसके द्वारा गहरे रंग वाले फलों के रस तथा तैयार स्क्वैश संरक्षित किए जाते हैं। जैसे–फालसा, अनार, जामुन इत्यादि।

संतरा स्क्वैश
आवश्यक सामग्री:
सन्तरा     :    500 ग्राम
चीनी       :    500 ग्राम
साइट्रिक ऐसिड    :   10 ग्राम
पानी      :     300 मिली
के. एम. एस.    :    1 ग्राम
ओरेन्ज कलर   :    आधा ग्राम
ओरेन्ज ऐसेन्स   :   2 ग्राम व एक खाली बोतल

विधि:
सर्वप्रथम चीनी, पानी व साइट्रिक एसिड को मिलाकर चाशनी बनाएँ और छानकर ठण्डा कर लें। इसके बाद सन्तरे का रस मशीन द्वारा या काटकर हाथ से दबाकर सीधे ठण्डी चाशनी वाले बर्तन में निकाल लें। अब आवश्यक मात्रा में रंग मिलाकर छान लें। एसेन्स मिलाकर पोटेशियम मेटा बाईसल्फाइट (KMS) को थोड़े पानी में घोलकर तैयार स्क्वैश में भली भाँति मिलाएँ। स्क्वै श को तुरन्त बोतल में ऊपर से 1 इंच खाली रखकर भर दें।

क्रियात्मक कार्य:
उपरोक्त वर्णित मुरब्बा, अचार, सॉस, जैम, जैली, शरबत व स्क्वैश पाक प्रयोगशाला में बनाकर प्रायोगिक पुस्तिका में विधि लिखें और उसके स्वाद रंग, खूशबू, प्रकृति व दिखावट के बारे में सारिणी बनाकर पाँच बिन्दु स्वीकार्य पैमाने पर अंकित करें। बहुत अच्छा (5), अच्छा (4), ठीक (3), बुरा (2), बहुत बुरा (1)।
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