RBSE Solutions for Class 11 Home Science unit 4 वस्त्र परिधान

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Practical Work unit 4 वस्त्र परिधान

RBSE Class 11 Home Science Practical Work chapter 7

वस्त्र उद्योग में तीव्रतम औद्योगिक क्रान्ति के कारण अनुकरणीय रेश एवं रेशों की नकल द्वारा वस्त्र निर्माण का प्रादुर्भाव हुआ है। रेशमी वस्त्र सूती वस्त्रों की तरह और सूती रेशमी वस्त्रों की तरह परिसज्जाओं द्वारा तैयार किए जाने लगे, जिससे उपभोक्ता को मूल रेशों के चयन में कठिनाई होने लगी। सही वस्त्र चुनाव के लिए रेशों का परीक्षण आवश्यक है। परीक्षण के लिए मुख्यत: तीन तरीके अपनाए जाते हैं – भौतिक, सूक्ष्मदर्शी तथा रासायनिक।

भौतिक परीक्षण (Physical Test):

  • बाह्य आकृति परीक्षण-वस्त्र की बाह्य आकृति देखकर-छूकर, रेशों की लम्बाई, चमक, कोमलता, तन्यता लचीलापन आदि की जाँच वस्त्र में से एक धागा निकालकर ऐंठन खोलकर की है।
  • रेशें की लम्बाई एवं व्यास का नाप कर।
  • रेशे तोड़ परीक्षण-इसमें वस्त्र से धागा खींचकर तोड़ा जाता है, फिर उसके स्वरूप को पहचानते हैं।
  • सिलवट परीक्षण-वस्त्र को तह करके, दबाकर या मुट्ठी कस कर दबाया जाता है, फिर छोड़ने पर वस्त्र पर पड़ी सिलवटों का प्रभाव कितना व कितनी देर तक रहता है, जाँच की जाती है।
  • दाहन परीक्षण-एक ही वर्ग के रेशों से बने वस्त्र का दाहन परीक्षण आसानी से किया जा सकता है। धागों को जलाकर लौ का तथा उसकी राख का सूक्ष्मता एवं गहनता से परीक्षण किया जाता है।
  • वस्त्र विदीर्ण परीक्षण-वस्त्र को कड़ा करके खींचकर फाड़ा जाता है और जाँच की जाती है। इसके अतिरिक्त स्याही परीक्षण, तेल परीक्षण नमी परीक्षण, निस्पीड़न परीक्षण आदि भी वस्त्र को जाँचने के लिए करते हैं।

सूक्ष्मदर्शी परीक्षण:
इस परीक्षण में रेशे का आकार, प्रकार, बनावट, लचीलापन, खुरदरापन आदि का परीक्षण करते हैं, इस परीक्षण के लिए –

  • वस्त्र की परिसज्जाओं को हटाया जाता है।
  • फिर वस्त्र से रेशा निकालकर 5 मिनट तक जल में डुबाकर रखा जाता है।
  • तत्पश्चात् साफ सुथरी स्लाइड पर एक बूंद पानी की डालकर रेशे को लम्बवत् दिशा में रखते हैं।
  • 10 प्रतिशत ग्लिसरीन के घोल की एक बूंद डालते हैं और कवर स्लिप लगाकर सूक्ष्मदर्शी से रेशों के ताने-बाने का अवलोकन करते हैं।

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1. रासायनिक परीक्षण – आवश्यक साधन एवं उपकरणों द्वारा कुशल, प्रशिक्षित एवं अनुभवी निरीक्षण कर्ताओं द्वारा रेशों पर अम्ल एवं क्षार की प्रतिक्रिया कराकर वस्त्रों का परीक्षण किया जाता है।

2. पक्के रंग का परीक्षण – पानी, साबुन, प्रकाश, पसीना, ताप आदि का प्रभाव वस्त्र के रंग पर पड़ने का परीक्षण किया जाता है। परीक्षण के लिए वस्त्र का गीला टुकड़ा सफेद कपड़े के बीच रखकर इस्त्री की जाती है। कच्चा रंग होने पर सफेद कपड़े पर रंग चढ़ जाएगा।

3. गतिविधि – विभिन्न वस्त्रों के नमूने इकट्ठे करके निम्न परीक्षणों द्वारा वस्त्र की पहचान करें –
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अवलोकन बिन्दु-भौतिक परीक्षण

  • बाह्य आकृति
  • लम्बाई
  • सिलवट
  • जलने की क्रिया
  • वस्त्र विदीर्ण अध्याय

RBSE Class 11 Home Science Practical Work chapter 8

बुनाई कला:
एक ही धागे से फंदे से फंदा निकाल कर वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया बुनाई (Knitting) कहलाती है। निटिंग हाथ से एवं मशीन दोनों से जाती है। केवल एक ही धागे से सलाइयों पर फंदे डालकर उन्हीं फंदों में से फंदा फँसाकर अगली पंक्ति हेतु फंदे निकालते हैं। मशीन से बुनाई करते समय वस्त्र के नमूनों, विविधता आदि के आधार पर धागों की एक से अधिक संख्या से फंदे बनाए जाते हैं। बुनाई प्रक्रिया से गर्म वस्त्र, स्वेटर, टोपा, मोजा, बनियान आदि वस्त्र एवं होजरी के वस्त्र बनाए जाते हैं।

बुनाई के लिए आवश्यक सामग्री:

  1. ऊन या निटिंग यार्न विभिन्न रंगों व मोटाई वाली ऊन या निटिंग यार्न का उपयोग बुनाई के लिए किया जाता है।
  2. बुनाई की सलाइयाँ-कई प्रकार की धातु एवं प्लास्टिक की सलाइयों का उपयोग किया जाता है। ये सलाइयाँ हैं –
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  • सामान्य सीधी सलाइयाँ-ये जोड़ों में 0 से 16 नम्बर तक की उपलब्ध होती है। इनका एक सिरा नुकीला एवं दूसरे सिरे पर धुंडी होती है। सलाइयों के नंबर बढ़ने के साथ सलाइयों की मोटाई घटती जाती है।
  • दोनों सिरे नुकीले दोनों सिरे नुकीले वाली सलाइयों का प्रयोग स्वेटर के गले, मोजे, दस्ताने आदि बुनने के लिए किया जाता है।
  •  गोल सलाइयाँ-इन सलाइयों की नोंक एक-दूसरे के सामने होती हैं, इसमें परिधान को सिलने की आवश्यकता नहीं होती है।

3. सिलाई की सुई – मोटी सुई जिसकी नोंक कम मोटी हो, उपयोग में लाते हैं।
बुनाई की पहचान एवं निर्माण – वस्त्र का निर्माण ताने व बाने के धागों की भिन्न-भिन्न संख्या एवं क्रम से एक-दूसरे में फँसाकर विभिन्न प्रकार की बुनाई की जाती है, ये बुनाई वस्त्र को मजबूती एवं स्वरूप प्रदान करती है।

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गतिविधि:

  • बुनाई की सलाइयों द्वारा फंदे डालकर उल्टा एवं सीधा बनाना, फंदे डालना एवं फंदे बन्द करते हुए 2 उपयोगी नमूने बनाना।
  • निटिंग क्रिया द्वारा दो नमूने बनाकर प्रायोगिक पुस्तिका में लगाना।
  • विभिन्न वस्त्रों की बुनाई के नमूने इकट्ठे करना तथा बुनाई को पहचान कर नमूने प्रायोगिक पुस्तिका में लगाना।
  • सादी बुनाई, ट्वील बुनाई, साटिन बुनाई आदि में से कोई दो के कागज या मोटी ऊन से नमूने बनाकर प्रायोगिक पुस्तिका में लगाना।
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RBSE Class 11 Home Science Practical Work chapter 9

बंधेज:
रंगाई की बंधेज कला के लिए राजस्थान एवं गुजरात प्रसिद्ध हैं। हमारे देश में बंधेज को सुहाग एवं सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसमें विशेष रूप से लाल, हरे, पीले रंग का प्रयोग किया जाता है। आज के फैशन के दौर में सभी रंगों का प्रयोग किया जाने लगा है।

सामग्री:
वस्त्र, रंग, धागा, साधारण नमक, लकड़ी का चम्मच, भगोना एवं गैस, पानी, डिजाइन देने के लिए सुई नुकीली पेन्सिल या अन्य रंगने वाले पदार्थ। वस्त्र का प्रकार-जॉर्जेट, मलमल, कैम्ब्रिक, सिल्क आदि।

बाँधने की विधियाँ:

  • नोंक द्वारा – कील, पेन्सिल, तीखी लकड़ी आदि की नोंक पर कपड़ा रखकर गाँठ बाँधना।
  • विभिन्न वस्तुएँ बांधना – चना, मटर, बीज, मोती आदि कपड़े पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बाँधना।
  • गाँठे लगाना – वस्त्र को पकड़कर गाठे बाँधना।
  • वस्त्र में तह लगाकर – डिजाइन के अनुसार धागा बाँधना या क्लिप रबड़ बैण्ड लगाना।
  • लहरिया – वस्त्र को तिरछा एक कोने से दूसरे कोने तक मोड़कर डिजाइन के अनुसार धागा बाँधना।
  • मार्बलिंग – वस्त्र को क्रश करके गोला बनाकर उसे धागे से बाँधना।

रंगने की विधि:
वस्त्र से मॉड हटाकर वस्त्र को डिजाइन के अनुसार बाँध दिया जाता है। रंग को थोड़े पानी से अच्छी तरह घोल लें। फिर वस्त्रों के अनुसार पानी लेकर गर्म करें। साधारण नमक व धुला हुआ रंग डाल दें, फिर बँधे हुए कपड़े को उबलते पानी में डालकर कुछ देर रखें एवं कपड़े को लकड़ी के चम्मच से हिलाते रहें। कम-से-कम 15 मिनट तक रंग वस्त्र को डालकर हिलाते रहते हैं।

तत्पश्चात् बाहर निकालकर बहते पानी के नीचे तब तक रखते हैं जब तक कि रंग निकलना बन्द नहीं हो जाए। रंग पक्का करने के लिए फिक्सनर या नमक युक्त ठंडे पानी में 3-4 घंटे के लिए छोड़ देते हैं। अब कपड़े को बाहर निकालकर साफ पानी से धोकर, निचोड़कर, छायादार स्थान पर सुखा देते हैं।वस्त्र को एक से अधिक रंगों में रंगने के लिए हल्के रंग से गहरे रंग में बिना नमूने खोले पुन: बाँधने हुए रंगने की क्रिया दोहराते हैं। सूखने पर धागे, क्लिप आदि खोलकर वस्त्र पर इस्त्री कर ली जाती हैं।

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ब्लॉक प्रिंटिंग (ठप्पा छपाई) – ठप्पे (लकड़ी या लिनोलियम के विभिन्न आकारों एवं डिजाइनों वाले) का उपयोग करके वस्त्र पर रंग द्वारा छपाई करना ब्लॉक प्रिंटिंग कहलाता है।
सामग्री – वस्त्र, छपाई के रंग, यूरिया एक्राफिक्स, बाइंडर, लकड़ी के विभिन्न आकार एवं डिजाइन के साँचे, स्पंज, छपाई-टेबल।

विधि:
रंग को चौड़े बर्तन में रंग, यूरिया एक्राफिक्स बाइंडर डालकर पेस्ट के रूप में तैयार करते हैं। रंगाई के लिए अलग-अलग रंगों का प्रयोग करना हो तो सबके लिए अलग-अलग ठप्पों का प्रयोग किया जाता है। छपाई टेबल पर मुलायम गद्दा या कम्बल बिछाकर उस पर प्लास्टिक शीट लगाकर तत्पश्चात्, छपाई करने वाला वस्त्र बिछाते हैं। अब रंग पेस्ट को स्पंज में डाल लेते हैं। ठप्पा को रंग युक्त स्पंज पर धीरे से दबाकर छपाई वाले वस्त्र पर डिजाइन के अनुसार लगाते हैं। एक रंग के सूखने पर दूसरे रंग का प्रयोग करते हैं। यह क्रिया सम्पूर्ण वस्त्र पर दोहराते जाते हैं। रंग एक समान आए उसके लिए एक समान दाब डालते हैं। छपाई के पश्चात, अच्छी तरह सूखने पर कपड़ा पलटकर इस्त्री करते हैं।

गतिविधि:

  • बंधेज के तीन नमूने तैयार करने अपनी प्रायोगिक पुस्तिका में लगाइए।
  • ब्लॉक प्रिटिंग के तीन नमूने तैयार करके अपनी प्रायोगिक पुस्तिका में लगाइए।

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