RBSE Solutions for Class 11 Indian Geography Chapter 11 प्राकृतिक आपदाएँ व प्रबन्धन (बाढ़, सूखा व समुद्री तूफान)

Rajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 प्राकृतिक आपदाएँ व प्रबन्धन (बाढ़, सूखा व समुद्री तूफान)

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल का शोक जिस नदी को कहते हैं, वह है।
(अ) कोसी
(ब) दामोदर
(स) गंगा
(द) स्वर्ण रेखा
उत्तर:
(ब) दामोदर

प्रश्न 2.
जिन चक्रवातों को भारत में तूफान के नाम से जाना जाता है, वे हैं-
(अ) शीत कटिबंधीय चक्रवात
(ब) शीत चक्रवात
(स) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(द) मरुस्थलीय चक्रवात
उत्तर:
(ब) शीत चक्रवात

प्रश्न 3.
भारत के जिस क्षेत्र में सूखा अधिक पड़ता है, वह है-
(अ) उत्तर का मैदान
(ब) पूर्वोत्तर क्षेत्र
(स) पश्चिमी क्षेत्र
(द) तटीय क्षेत्र
उत्तर:
(स) पश्चिमी क्षेत्र

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 4.
बाढ़ किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब भारी अथवा निरन्तर वर्षा के कारण नदियों का जल अपने तटबंधों को तोड़कर बहुत बड़े क्षेत्र में फैल जाता है उसे बाढ़ कहते हैं। बाढ़ की स्थिति प्रायः अतिवृष्टि के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 5.
भारत के किस क्षेत्र में बाढ़ अधिक आती है?
उत्तर:
भारत के उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में अधिक बाढ़े आती हैं।

प्रश्न 6.
बिहार का शोक किस नदी को कहते हैं?
उत्तर:
कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।

प्रश्न 7.
सूखे का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
सूखे का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण पर्याप्त वर्षा का नहीं होना है।

प्रश्न 8.
भारत में समुद्री तूफान किन महीनों में अधिक आते हैं?
उत्तर:
भारत में समुद्री तूफान मुख्यत: जून, जलाई, अगस्त माह में अधिक आते हैं। हालांकि बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में अप्रैल से दिसम्बर तक ये मिलते हैं।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 9.
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का वितरण वर्षा के द्वारा निर्धारित किया गया है। भारत में आने वाली बाढ़ों में 90 प्रतिशत से अधिक बाढ़ उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी मैदानों में आती है। बाढ़ के दृष्टिकोण से भारत को मुख्यत: चार भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. उत्तरी मैदानी क्षेत्र – इसमें यमुना, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, सतलज, रावी, व्यास, झेलम व चिनाब नदियों का प्रवाहित क्षेत्र शामिल है।
  2. उत्तरी-पूर्वी मैदानी क्षेत्र – इसमें मुख्यत: ब्रह्मपुत्र नदी घाटी क्षेत्र शामिल है।
  3. मध्य भारतीय क्षेत्र – इसमें उत्तरी व उत्तरी-पूर्वी भागों की नदियों में बाढ़ के कारण चम्बल, सोन, बेतवा व दामोदर नदियों के क्षेत्र को बाढ़ वाले क्षेत्र में शामिल किया गया है।
  4. दक्षिणी भारतीय क्षेत्र – इसमें गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी नदियों के तटीय क्षेत्र सम्मिलित हैं।

प्रश्न 10.
त्रिकाल को समझाइये।
उत्तर:
जब वर्षा की मात्रा अत्यधिक कम होती है तो ऐसी स्थिति में धरातल पर लम्बे समय तक नमी के अभाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिसके कारण सम्बन्धित क्षेत्र में पानी की कमी से न तो अन्न का उत्पादन हो सकता है और न ही चारे का उत्पादन किया जा सकता है, साथ ही पीने के पानी का भी अभाव उत्पन्न हो जाता है तो ऐसी अन्न, चारे व पानी के अभाव वाली स्थिति को ही त्रिकाल कहा जाता है।

प्रश्न 11.
बाढ़ नियंत्रण के सुझाव दीजिये।
उत्तर:
बाढ़ की समस्या मुख्यतः अनियंत्रित जल प्रवाह के रूप में उत्पन्न होती है। अतः इसका नियंत्रण मुख्यतः जल प्रवाह से जुड़ा हुआ है। बाढ़ को नियंत्रित करने हेतु निम्न सुझाव दिये गये हैं-

  1. नदियों के पानी के वेग को कम करने के लिए जगह-जगह बाँध बनाये जाने चाहिए।
  2. बाढ़ों पर नियत्रंण हेतु उद्गम क्षेत्रों व जल ग्रहण क्षेत्रों में वनों को लगाया जाना चाहिए।
  3. यातायात मार्गों के निर्माण के दौरान प्राकृतिक प्रवाह को अवरोधित न किया जाये।
  4. वर्षा के पहले नदी की जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाया जाये।
  5. नदियों की तली के अवसादों को निकालकर तटबन्धों पर डलवाया जाये ताकि नदी’ की जलग्रहण क्षमता बढ़ने के साथ-साथ तटबंध ऊँचे व मजबूत हो सकें।
  6. सूचना व संचार तंत्र को मजबूत कर इसकी सुलभता निर्धारित की जाये।

प्रश्न 12.
समुद्री तूफानों की उत्पत्ति को समझाइये।
उत्तर:
समुद्री तूफानों की उत्पत्ति हेतु मुख्यतः वाताग्र सिद्धान्त व संवहन सिद्धान्त को आधार माना जाता है। संवहन सिद्धान्त के अनुसार समुद्री तूफानों की उत्पत्ति संवहन क्रिया के कारण चक्रवातों की उत्पत्ति के रूप में होती है। संवहन क्रिया के अन्तर्गत सागरों के ऊपर अधिक ताप के कारण वायु हल्की होकर ऊपर की ओर उठती है। उससे बने कम वायुदाब के क्षेत्र को भरने के लिए चारों ओर से हवाएँ आती हैं। इन वायुमंडलीय विक्षोभों से चक्रवात या समुद्री तूफान की उत्पत्ति होती है। संवहनीय क्रिया से समुद्री तूफानों की उत्पत्ति ग्रीष्मकाल में ही होती है, तथा ये विषुवत रेखीय प्रदेशों में नहीं पाये जाते हैं। ग्रीष्मकालीन अवधि में ये 5°- 30° उत्तरी अक्षांशों के मध्य विकसित होते हैं। वाताग्र सिद्धान्त के अनुसार ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों (समुद्री तूफानों) की उत्पत्ति वाताग्रों से होती है।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 13.
भारत में बाढ़ अधिक आने के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ आने की प्रक्रिया के लिए अनेक कारण उत्तरदायी माने जाते हैं। किन्तु भारत के संदर्भ में अधिक बाढ़ आने के लिए निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी माना जाता है-
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  1. भारत में बाढ़ों की उत्पत्ति नदियों के कारण होती है। इनमें से अधिकांश नदियाँ ऊँचे पर्वतीय भागों से निकलती हैं। अधिक ढाल के कारण नदियों के पानी का वेग तीव्र हो जाने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  2. ऊँचे पर्वतीय भागों में होने वाली वर्षा का सम्पूर्ण जल केवल नदियों के माध्यम से निम्नवर्ती भागों में आता है। जिसके कारण नदियों में जलप्लावन की स्थिति बाढ़ का कारण बनती है।
  3. बादलों के फटने की स्थिति अनियंत्रित जल प्रवाह को जन्म देती है जो बाढ़ के लिए उत्तरदायी होता है।
  4. नदियों में अवसादों के जम जाने के कारण नदियों को पैंदा उथला हो जाता है जिससे जल किनारों के बाहर फैलने लगता है।
  5. नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में होने वाली तीव्र वर्षा से पानी बहने के लिए पर्याप्त रास्ता न मिल पाने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  6. वनों के विनाश व चरागाहों के विनाश से पानी बहने की गति तीव्र हो जाती है जो बाढ़ का कारण बनती है।
  7. भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है। इसे जनसंख्या के द्वारा प्रवाहन क्षेत्रों में बसावट की प्रक्रिया के कारण, जल प्रवाहन में अवरोध उत्पन्न होना भी बाढ़ का कारण बनता है।
  8. मानव के द्वारा अविवेकपूर्ण ढंग से आवागमन मार्गों के निर्माण के कारण भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
  9. परम्परागत जलग्रहण के क्षेत्रों को नष्ट करने तथा प्राकृतिक रूप से जल प्रवाह की उपेक्षा कर निर्माण कार्य करने से भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 14.
अकाल के मुकाबले के लिए किस तरह के प्रबंधन किये जाने चाहिए?
उत्तर:
अकाल की उत्पत्ति सूखे जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण होती है। जिसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध जल की उपलब्धता से जुड़ा हुआ होता है। प्रायः जल की उपलब्धता जितनी कम होती है, अकाल उतना ही विकराल रूप ले लेता है। जल की स्थिति के अनुसार यह अन्न अकाल, द्विकाल व त्रिकाल के रूप में बदल जाता है। इस समस्या से बचने के लिए निम्नानुसार प्रबन्ध किया जाना चाहिए-
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  1. अकाल की विभीषिका को कम करने के लिए भूमिगत जल बहुत बड़ी सहायता कर सकता है। अतः भू-जल भंडारों की खोज के लिए सुदूर-संवेदन, उपग्रह, मानचित्रण व भौगोलिक सूचना तंत्र जैसी तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  2. प्रत्येक गाँव में जल संग्रहण क्षेत्रों का विकास करना चाहिए।
  3. गाँवों में भूमिगत जल के स्तर को सुधारने के लिए ढाल के अनुसार छोटे-छोटे एनिकट बनवाये जाने चाहिए।
  4. लोगों में ऐसी प्रवृत्ति का विकास किया जाना चाहिए जिससे वे जलसंचय क्षेत्रों को बनाने में सरकार को सहयोग करें।
  5. प्रत्येक आवासीय परिसर में वर्षा जल एकत्रण हेतु उचित टैंक की व्यवस्था निश्चित की जाए।
  6. ग्रामीणों के द्वारा अपने खेतों के चारों ओर मेड़बंदी की जाये ताकि वर्षा के जल के अधिक समय तक भरे रहने से लम्बे समय तक नमी बनी रहे।
  7. भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने के सतत् प्रयास किये जाने चाहिए।
  8. ऐसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाये जिसमें पानी की कम आवश्यकता पड़ती है।
  9. बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति का प्रयोग कर पानी को बचाया जाना चाहिए।
  10. नहरी क्षेत्रों में अत्यधिक जल रिसावे व जल प्लावन, जल वाष्पन को रोकने के उपाय करके उस पानी का उपयोग अन्य सूखे क्षेत्रों में करना।
  11. पर्यटन को बढ़ावा दिया जाये ताकि वैकल्पिक आय के स्रोतों का द्वार खुले जिससे कृषि सम्बन्धी कार्यों पर निर्भरता कम हो।
  12. कृषि वानिकी एवं चारागाह भूमि विकास को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 15.
समुद्री तूफानों के बारे में विस्तार से बताइये।
उत्तर:
समुद्री तूफानों की परिभाषा – विभिन्न वायुराशियों के मिलने से बनने वाले वाताग्र जब समुद्री भागों में विकराल रूप , धारण कर लेते हैं तो ऐसे चक्रवातों को समुद्री तूफान कहते हैं। भारत में इन्हें प्राय: चक्रवातों के रूप में जाना जाता है। भारत में इनकी । उत्पत्ति मुख्यतः बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में जुड़ी हुई है।

उत्पत्ति के कारण – समुद्री तूफानों की उत्पत्ति मुख्यत: विविध वायुराशियों के मिलने से होती है। कुछ विद्वानों ने इनकी उत्पत्ति संवहन क्रिया के कारण भी मानी है। प्रायः वायुदाबीय दशाओं में होने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया इनकी उत्पत्ति का कारण बनती है। वायुमंडलीय विक्षोभ से चक्रवात अथवा समुद्री तूफान की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार के तूफान मुख्यत: भारत में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के रूप में उत्पन्न होते हैं।

समुद्री तूफानों के प्रकार – वायुराशियों के आधार पर समुद्री तूफानों के स्वरूप मुख्यतः दो रूपों उष्ण कटिबंधीय चक्रवात व शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के रूप में देखने को मिलता है। भारत में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी व अरब सागर जबकि शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात भूमध्य सागर की देन माने जाते हैं।

समुद्री तूफानों का भौतिक स्वरूप – समुद्री तूफान न्यून वायुदाब के केन्द्र होते हैं। जिसमें हवाएँ परिधि से केन्द्र की ओर चलती हैं। सामुद्रिक भागों में इनकी गति तीव्र होती है। किन्तु स्थलीय भागों में प्रवेश करने के साथ-साथ इनकी गति कम होती जाती है। निम्न वायुदाब का केन्द्र जितना प्रबल या प्रभावशाली होता है। ये उतने ही तीव्र व अधिक दूरी तक जाने वाले होते हैं।

समुद्री तूफानों का प्रभाव व उत्पन्न समस्या – भारत के संदर्भ में ये तूफान प्रायः अप्रैल से जून (अरब सागर) व अक्टूबर से – दिसम्बर (बंगाल की खाड़ी) में उत्पन्न होते हैं। इनके द्वारा आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा व पश्चिमी बंगाल में सर्वाधिक प्रभाव डाले जाते हैं। इनसे जन-धन की हानि, बाढ़ की स्थिति का उत्पन्न होना, वृक्षों का उखड़ना, मकानों का ढहना, नावों का पलटना जैसी अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

समुद्री तूफानों से बचाव व प्रबंधन – समुद्री तूफानों से बचाव ही सबसे अच्छा साधन है। क्योंकि इनको रोका नहीं जा सकता है। प्राय: उपग्रहों के चित्रों व उनसे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ही इनके मार्गों, इनकी गति व इनसे होनी वाली वर्षा के आंकलन के आधार पर ही इनसे बचा जा सकता है। संचार के साधनों की सुलभता इनसे बचाव का मुख्य साधन सिद्ध होती है। व्यक्तिगत ईमानदारी व निष्ठा इनसे बचने में एक लाभकारी कारक सिद्ध होती है। सरकारों व सामाजिक संस्थाओं की भूमिका भी इनसे बचाव में अपना अहम् योगदान निभाती है।

प्रश्न 16.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं व उनके समाधान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है जो जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। भारत इस आपदा से प्रतिवर्ष नुकसान उठाता है। अन्य सभी प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में इस आपदा से भारत में सबसे ज्यादा नुकसान होता है। भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं व उनके भावी उपायों को निम्नानुसार वर्णित किया गया है-

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याएँ

  1. इस आपदा से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अत्यधिक जन हानि होती है। प्राय: भारत में प्रतिवर्ष बाढ़ से 150 से अधिक जाने जाती हैं।
  2. भारत में इस आपदा के कारण 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित होता है।
  3. आर्थिक दृष्टिकोण से भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में धन हानि के रूप में प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ से अधिक रुपयों की हानि होती है।
  4. प्रतिवर्ष बाढ़ से लगभग 35 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई गयी फसलें नष्ट हो जाती हैं।
  5. प्रतिवर्ष लगभग 3 करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं।
  6. बाढ़ की इस समस्या से पशु मर जाते हैं। सामान्यत: प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख पशुधन प्रभावित होता है। जबकि लगभग 2 लाख पशु मर जाते हैं।
  7. लोगों के मकान तहस-नहस हो जाते हैं। जिससे उनके सामने रहने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  8. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आवागमन के मार्गों के नष्ट होने या अवरुद्ध होने के कारण लोगों का अन्य क्षेत्रों से सम्पर्क टूट जाता है।
  9. बाढ़ से पीने के पानी के स्रोत खराब व दूषित हो जाते हैं जिसके कारण अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  10. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चारों ओर गंदगी फैल जाने से महामारी व संक्रामक बीमारियाँ फैल जाती हैं।
  11. बाढ़ से बाँधों, नहरों व तालाबों को नुकसान होता है।

बाढ़ की समस्या का समाधान

  1. बाढ़ की समस्या को दूर करने के लिए तटबंधों व जल प्रवाह नलिकाओं का निर्माण करना चाहिए।
  2. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र के अन्तर्गत वनों को लगाया जाना चाहिए।
  3. वर्षा से पहले नदियों की जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाया जाये।
  4. नदियों की तली में जमे अवसादों को निकालकर नदियों के तटबन्धों को मजबूत किया जाये।
  5. जल के प्राकृतिक प्रवाह में अवरोध उत्पन्न न हों इस तथ्य को ध्यान में रखकर यातायात मार्गों का निर्माण किया जाये।
  6. नदियों के जल ग्रहण क्षेत्रों में आवास ने बनाये जायें।
  7. संचार की गतिविधियों को सुलभ बनाया जाये।
  8. आपदा के दौरान खान-पान, पीड़ितों को निकालने का उचित प्रंबध किया जाये।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 17.
भारत के मानचित्र में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को दर्शाईये।
उत्तर:
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र निम्नानुसार हैं-
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प्रश्न 18.
भारत के मानचित्र में सूखे के क्षेत्रों को अंकित कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्र निम्नानुसार हैं-
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प्रश्न 19.
भारत के मानचित्र में समुद्री तूफानों के मार्गों को अंकित कीजिए।
उत्तर:
भारत में समुद्री तूफानों के मार्ग व प्रभावित क्षेत्र निम्नानुसार हैं-
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RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकतम बाढ़ आवृत्ति का क्षेत्र नहीं है-
(अ) ब्रह्मपुत्र क्षेत्र
(ब) निम्न गंगा-घाटी
(स) कोसी क्षेत्र
(द) राजस्थान
उत्तर:
(द) राजस्थान

प्रश्न 2.
इनमें से भारत के किस राज्य में बाढ़ अधिक आती है?
(अ) मध्य प्रदेश
(ब) असम
(स) उत्तराखण्ड
(द) छत्तीसगढ़
उत्तर:
(ब) असम

प्रश्न 3.
परम चक्रवाती तूफान की गति कितनी होती है?
(अ) 88-117 किमी/घण्टा
(ब) 168-221 किमी/घण्टा
(स) 222 किमी/घण्टा से अधिक
(द) 52 किमी/घण्टा से कम
उत्तर:
(स) 222 किमी/घण्टा से अधिक

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय बाढ़ नियंत्रण योजना कब शुरू की गई थी?
(अ) 1952 में
(ब) 1954 में
(स) 1956 में
(द) 1955 में
उत्तर:
(ब) 1954 में

प्रश्न 5.
बाढ़ पूर्वानुमान संगठन की स्थापना कब की गई थी?
(अ) 1951 में
(ब) 1953 में
(स) 1954 में
(द) 1955 में
उत्तर:
(स) 1954 में

प्रश्न 6.
भारत सरकार ने सूखे हेतु कितनी वार्षिक वर्षा को आधार माना है?
(अ) 100 सेमी से अधिक
(ब) 10 सेमी से कम
(स) 50 सेमी से अधिक
(द) 10 सेमी से 50 सेमी
उत्तर:
(ब) 10 सेमी से कम

प्रश्न 7.
भारत के सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्य हैं।
(अ) राजस्थान व गुजरात
(ब) मध्य प्रदेश व बिहार
(स) पंजाब व हरियाणा
(द) महाराष्ट्र व कर्नाटक
उत्तर:
(अ) राजस्थान व गुजरात

प्रश्न 8.
भारत के कितने जिलों को सूखा प्रवृत माना गया है?
(अ) 57 जिलों को
(ब) 67 जिलों को
(स) 77 जिलों को
(द) 87 जिलों को
उत्तर:
(स) 77 जिलों को

प्रश्न 9.
भारत में उत्तरी-पश्चिमी भाग में शीत ऋतु में होने वाली वर्षा कहलाती है-
(अ) प्री मानसून
(ब) आम्र वर्षा
(स) मावट
(द) काल बैशाखी
उत्तर:
(स) मावट

प्रश्न 10.
बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले चक्रवात आते हैं-
(अ) जनवरी से फरवरी में
(ब) जून से जुलाई में
(स) अगस्त से सितम्बर में
(द) अक्टूबर से दिसम्बर में
उत्तर:
(द) अक्टूबर से दिसम्बर में

प्रश्न 11.
भारत में बाढ़ द्वारा आधे से अधिक क्षति निम्न में से किन दो राज्यों में होती है?
(अ) पंजाब-हरियाणा
(ब) मध्य प्रदेश–महाराष्ट्र
(स) उत्तर प्रदेश-बिहार
(द) कर्नाटक-तमिलनाडु
उत्तर:
(स) उत्तर प्रदेश-बिहार

प्रश्न 12.
भारत में निम्न में से किन राज्यों में सूखा एक स्थाई आपदा है?
(अ) महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश
(ब) राजस्थान-गुजरात
(स) फंजाब-उत्तर प्रदेश
(द) उड़ीसा-आन्ध्र प्रदेश
उत्तर:
(ब) राजस्थान-गुजरात

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-

स्तम्भ अ
(आपदा का प्रकार)
स्तम्भ ब
(प्रभावित क्षेत्र)
(i) बाढ़ (अ) हिमालय क्षेत्र
(ii) सूखा (ब) आन्ध्र प्रदेश
(iii) समुद्री तूफान (स) उत्तराखंड
(iv) भूकम्प (द) राजस्थान
(v) भूस्खलन (य) असम

उत्तर:
(i) (य), (ii) (द), (iii) (ब), (iv) (अ), (v) (स)।

स्तम्भ अ
(आपदा)
स्तम्भ ब
(आपदा के कारण)
(i) बाढ़ (अ) प्लेट विवर्तनिकी
(ii) सूखा (ब) भिन्न वायुराशियों का मिलन
(iii) समुद्री तूफान (स) नदी के तल में अवसाद जमना
(iv) भूकम्प (द) वर्षा का कम होना

उत्तर:
(i) (स), (ii) (द), (iii) (ब), (iv) (अ)

स्तम्भ अ स्तम्भ ब
(i) चक्रवाती तूफान (अ) सामान्य से 25 प्रतिशत तक अनिश्चितता।
(ii) भयंकर सूखा (ब) विक्रम संवत् 1956
(iii) सामान्य सूखा (स) संवहन क्रिया
(iv) छप्पन का अकाल (द) हवाएँ 62-87 किमी/घण्टा
(v) समुद्री तूफान (य) सामान्य से 25 प्रतिशत से अधिक अनिश्चितता

उत्तर:
(i) (द), (ii) (य), (iii) (अ), (iv) (ब), (v) (स)

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी क्षेत्र में बहुत कम वर्षा होती हो वे इतनी कम हो कि फसलों का उत्पादने तो दूर पीने के लिए पानी का ही अभाव उत्पन्न हो जाये तो ऐसी स्थिति को सूखा कहते हैं।

प्रश्न 2.
बाढ़ क्यों आती है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में लगातार होने वाली वर्षा अर्थात् अतिवृष्टि की स्थिति उत्पन्न होने के कारण बाढ़ आती है।

प्रश्न 3.
सूखा क्यों पड़ता है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में अत्यधिक कम वर्षा होने अर्थात् अनावृष्टि की स्थिति उत्पन्न होने के कारण सूखा पड़ता है।

प्रश्न 4.
भारतीय जनमानस आपदाओं को क्या मानता है?
उत्तर:
भारतीय जनमानस अपनी संतोषी वृत्ति के कारण आपदाओं को ईश्वरीय असन्तुष्टि मानता है।

प्रश्न 5.
महाविनाशकारी बातें कहाँ आती हैं?
उत्तर:
बिहार के अन्दर कोसी प्रवाहित क्षेत्र तथा पश्चिमी बंगाल में दामोदर प्रवाहित क्षेत्र में महाविनाशकारी बाढ़ आती हैं।

प्रश्न 6.
भारत में सुनामी प्रभावित क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत में उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु व केरल के समुद्र तटीय क्षेत्र सुनामी प्रभावित क्षेत्र हैं।

प्रश्न 7.
चक्रवातों को तीव्रता के आधार पर किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
चक्रवातों को तीव्रता के आधार पर मुख्यत: परम चक्रवाती तूफान, अति प्रचंड चक्रवाती तूफान, चक्रवाती तूफान व गहरे अवदाब क्षेत्रों के रूप में बाँटा गया है।

प्रश्न 8.
उत्तरी भारतीय नदियों की तुलना में दक्षिणी भारतीय नदियों में बाढों की विकरालता कम है। क्यों?
उत्तर:
दक्षिणी भारतीय नदियों को जलग्रहण क्षेत्र उत्तरी भारत की नदियों से कम है तथा इनका ढाल अपेक्षाकृत अधिक है इसी कारण इन नदियों में बाढ़ों की विकरालता कम मिलती है।

प्रश्न 9.
बाढ़ का रूप भयंकर कब हो जाता है?
उत्तर:
यदि मानसूनी व मौसमी कारणों से लगातार मूसलाधार वर्षा होती है व बादल फट जाने जैसी स्थिति बन जाती है तो बाढ़ का रूप भयंकर हो जाता है।

प्रश्न 10.
किस प्राकृतिक आपदा से भारत में सर्वाधिक नुकसान होता है?
उत्तर:
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से भारत में सर्वाधिक नुकसान होता है।

प्रश्न 11.
भारत में सर्वाधिक बाढ़ से क्षति वाले क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत में बाढ़ से होने वाली क्षति को 60 प्रतिशत से अधिक केवल उत्तर प्रदेश व बिहार में होता है। इनके अलावा पश्चिमी बंगाल, असम में उड़ीसा अन्य मुख्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं।

प्रश्न 12.
भारत में बाढ़ प्रबंधन हेतु मुख्यतः किन-किन बहूद्देशीय परियोजनाओं की स्थापना की गई है।
उत्तर:
भारत में बाढ़ प्रबंधन हेतु मुख्यतः भांखड़ा-नागल, दामोदर घाटी, महानदी घाटी (हीराकुड), फरक्का, इदुक्की, टिहरी, रामगंगा, दामोदर घाटी, राणा प्रताप सागर, व सतलज-व्यास परियोजनाओं की स्थापना की गई है।

प्रश्न 13.
बाढ़ के समय लोगों को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
बाढ़ के समय लोगों को सरकारी आदेशों व सलाहों का पालन करना चाहिए। बिजली के उपकरणों को बंद कर देना चाहिए। पानी की गहराई व वेग से अनजान होने पर जल में प्रवेश नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 14.
सूखा व शुष्कता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
शुष्कता जलवायु व भौगौलिक स्थिति से सम्बन्धित दशा है। जबकि सूखा पर्याप्त वर्षा न होने के कारण पैदा हुई अस्थायी दशा है। प्रायः शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्र सूखे से अधिक प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 15.
भारत में सूखा प्रभावित राज्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में मुख्यत: राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, मध्य व पूर्वी कर्नाटक, मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्र तथा हरियाणा राज्य में सूखे का प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 16.
अन्न अकाल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब कभी वर्षा की मात्रा कम होती है तो फसलें बर्बाद हो जाती हैं। वर्षा की इस स्थिति के कारण अन्न का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाता है जिसके कारण अन्न का अभाव उत्पन्न हो जाता है। अन्न के अभाव की इस स्थिति को अन्न अकाल कहते हैं।

प्रश्न 17.
द्विकाल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब कभी वर्षा की प्राप्ति इतनी कम होती है कि न तो अन्न का पर्याप्त उत्पादन होता है, और न ही चारा उत्पादित हो पाता है तो ऐसी स्थिति में अन्न व चारे का जो अभाव उत्पन्न होता है उसे द्विकाल कहा जाता है।

प्रश्न 18.
छप्पन का अकाल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विक्रमी संवत 1956 अर्थात् सन् 1900 में भारत का अब तक की सबसे भीषण अकाल पड़ा था। इस अकाल को ही छप्पन का अंकाल कहा जाता है।

प्रश्न 19.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात भारत में कहाँ से प्रवेश करते हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात समुद्री क्षेत्र में उत्पन्न होकर बंगाल की खाड़ी व अरब सागर से भारत में प्रवेश करते हैं।

प्रश्न 20.
उत्तरी-पश्चिमी भारत में आने वाले शीतकालीन चक्रवात लाभकारी सिद्ध होते हैं, कैसे?
उत्तर:
वास्तव में ये चक्रवात शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात होते हैं जिनमें भारत के उत्तरी-पश्चिमी भागों में शीतकाल के दौरान वर्षा होती है। यह वर्षा मावट कहलाती है जो वर्षा रबी की फसलों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। अत: ये चक्रवात लाभकारी सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 21.
भारत में समुद्री तूफानों से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में समुद्री तूफानों का सर्वाधिक प्रभाव आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल राज्यों पर पड़ता है।

प्रश्न 22.
भारत में समुद्री तूफानों से हुई मानव क्षति को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में समुद्री तूफानों से अत्यधिक मानवीय क्षति होती है। यथा- मई 1833 में पश्चिम बंगाल में आये तूफान से लगभग 5000, अक्टूबर 1971 में उड़ीसा में आये समुद्री तूफान से लगभग 3000 तथा अक्टूबर 1999 में उड़ीसा में आये समुद्री तूफान से लगभग 10000 लोगों की मौतें हुई थीं।

प्रश्न 23.
समुद्री तूफानों की क्षतिपूर्ति कैसे सम्भव है?
उत्तर:
यदि तूफान प्रभावित क्षेत्रों के निवासी स्वयं अपना, अपने परिवार का, पशुओं का तथा फसलों का बीमा करायें तो समुद्री तूफान से होने वाली हानि की क्षति पूर्ति सम्भव हो सकती है।

प्रश्न 24.
भू-जल भण्डारों की खोज के लिए किन नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए?
उत्तर:
अकाल की स्थिति में भूमिगत जल बड़ा उपयोगी सिद्ध हो सकता है। भू जल भण्डारों की खोज के लिए दूर संवेदन, उपग्रह मानचित्रण तथा भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.) जैसी नवीन तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 25.
बहुउद्देशीय योजनाओं के अन्तर्गत किन प्रमुख नदियों पर बाँध बनाये गये हैं?
उत्तर:
बहु-उद्देशीय योजनाओं के अन्तर्गत महानदी, दामोदर, सतलज, व्यास, चम्बल, नर्मदा आदि नदियों पर बाँध बनाये गये हैं।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बाढ़ की आपदा में मानवीय भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बाढ हेतु उत्तरदायी मानवीय कारण कौन-कौन से हैं?
अथवा
अप्राकृतिक कारणों से भी बाढ़ आती है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ में प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मानवीय कारण भी उत्तरदायी होते हैं जिनमें से मुख्य कारण निम्न हैं-

  1. प्राकृतिक संसाधनों का अविवेकपूर्ण दोहन करना।
  2. नदी प्रवाह मार्गों पर आबादी की बसावट।
  3. अविवेकपूर्ण तरीके से आवागमन मार्गों का निर्माण करना।
  4. परम्परागत जलग्रहण क्षेत्रों को नष्ट करना।
  5. प्राकृतिक रूप से जल प्रवाह स्वरूप की उपेक्षा कर निर्माण कार्य करना।
  6. वनों का अनियंत्रित रूप से दोहन व चारागाह विनाश आदि।

प्रश्न 2.
बाढ़ के क्या हानिकारक परिणाम होते हैं?
उत्तर:

  1. बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कृषि भूमि व मानव बस्तियों के डूबने से देश की अर्थव्यवस्था एवं समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  2. बाढ़ कृषि फसलों का विनाश करने के साथ-साथ सड़कों, रेल पटरियों, फलों व मानव बस्तियों को भी हानि पहुँचाती है।
  3. बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अनेक जलजनित बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
  4. बाढ़ से जन-धन व पशु सम्पदा की अपार हानि होती है।

प्रश्न 3.
नदियों को प्रायः क्षेत्र विशेष का शोक कहा जाता है। क्यों?
उत्तर:
नदियाँ अपनी भयंकर विनाशकारी लीला के कारण अपार जन-धन की हानि करती हैं। इनके जलग्रहण क्षेत्र में जो कुछ भी आता है उसका सम्पूर्ण विनाश हो जाता है। इनसे अपार जन-धन की हानि होने के साथ-साथ वन सम्पदा का हनन, आवासों के नष्ट होने, यातायात वे परिवहन मार्गों के नष्ट होने जैसी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसी कारण इन्हें प्राय: शोक की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 4.
नदियों में बाढ़ की विकरालता कब बढ़ जाती है?
अथवा
उत्तरी भारतीय नदियाँ कभी-कभी विकराल रूप धारण कर लेती हैं। कैसे?
उत्तर:
उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी भारत में जब कभी मूसलाधार वर्षा होती है तो इन क्षेत्रों में स्थित नदी घाटियों में बाढ़ आ जाती है। ऐसे में यदि मध्य भारत में भी वर्षा हो तो बाढ़ का प्रकोप बढ़ जाता है। भारत के मध्यवर्ती भाग में बहने वाली चम्बल, सोन, बेतवा व दामोदर नदियाँ मध्ये भारत से वर्षा की जल लाकर उत्तरी भारत की नदियों में मिला देती हैं जिसके कारण उत्तरी भारतीय नदियों का जल अधिक क्षेत्र में फैल जाती है व बाढ़ का स्वरूप विकराल हो जाता है।

प्रश्न 5.
भारत में बाढ़ से होने वाली क्षति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बाद भारत में अनेक प्रकार की क्षति पहुँचाती है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ों के द्वारा भारत में होने वाली क्षति कई रूपों में होती है। इस आपदा से भारत में प्रतिवर्ष लगभग 150 लोग मर जाते हैं। 76 लाख हैक्टेयर क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हो जाता है जिसके कारण 35 लाख हैक्टेयर क्षेत्र की फसलें नष्ट हो जाती हैं। बाढ़ों के द्वारा 3 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं। इस आपदा से लगभग 2 लाख पशु मर जाते हैं। बाढ़ के कारण प्रतिवर्ष लगभग 80 करोड़ की सम्पत्ति नष्ट हो जाती है। इस प्रकार बाढ़ विविध स्वरूपों में क्षति पहुँचाती है।

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत स्तर पर बाढ़ से बचने के क्या-क्या उपाय किये जा सकते हैं?
अथवा
बाढ़ के समय आम जन को क्या करना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ के समय व्यक्तिगत स्तर पर लोगों द्वारा अग्रलिखित उपाय किये जाने चाहिए-

  1. वर्षा ऋतु में रेडियो व टेलीविजन से लगातार समाचार सुनते रहें।
  2. यदि बाढ़ सम्भावित क्षेत्र में रह रहे हैं तो सरकारी आदेशों का पालन करें।
  3. घर के कीमती सामान, कपड़े व भोजन सामग्री को सुरक्षित स्थान पर ले जायें।
  4. जब तक बाढ़ का पानी उतरे नहीं स्वयं का व अन्य लोगों का भी ध्यान रखें।
  5. घर के मुख्य द्वार का ताला लगाकर जायें।
  6. एक-दूसरे की तन-मन से सहायता करें व ईमानदारी तथा निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन करें।

प्रश्न 7.
अनावृष्टि क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूखा किसी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार निर्धारित होता है। प्रायः ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा इतनी कम हो कि कृषि का पर्याप्त उत्पादन न हो पाये साथ ही पेयजल के स्रोतों में भी आवश्यकता से कम जल उपलब्ध हो तो वह क्षेत्र अनावृष्टि प्रभावित होता है। इसे प्रायः सूखे के रूप में जाना जाता हैं। यह स्थिति एक प्राकृतिक आपदा होती है। भारत के सिंचाई आयोग ने 10 सेमी से कम वार्षिक वर्षा वाले भागों को प्रायः इसी श्रेणी के क्षेत्रों में शामिल किया है।

प्रश्न 8.
भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को किन भागों में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को सिंचाई विभाग ने मुख्यत: निम्न दो भागों में बाँटा है-

  1. अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र,
  2. सामान्य सूखा ग्रस्त क्षेत्र।

1. अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र – इनमें उन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है जिनमें 25 प्रतिशत से अधिक अनिश्चितता मिलती है; यथा-पश्चिमी राजस्थान व पश्चिमी गुजरात।
2. सामान्य सूखाग्रस्त क्षेत्र – इन क्षेत्रों में अनिश्चितता की मात्रा 25 प्रतिशत से कम मिलती है। इसके अन्तर्गत पूर्वी गुजरात, पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड पश्चिमी मध्य प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, आन्तरिक कर्नाटक, दक्षिणी आन्ध्र प्रदेश, मध्यवर्ती कर्नाटक, उत्तरी पश्चिमी बिहार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उड़ीसा को शामिल किया गया है।

प्रश्न 9.
सूखे के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सूखा अनेक समस्याओं को साथ लेकर आता है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूखा एक भयंकर आपदा होती है जिसके कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यथा- अन्न, जल व पशु के लिए चारे की कमी हो जाना, सूखा प्रभावित क्षेत्रों से लोगों व पशुओं का पलायन होना, गाँव के गाँवों का उजड़ जाना, लगातार अकाल पड़ने पर वन व चरागाह क्षेत्रों का नष्ट हो जाना, कुपोषण का बढ़ना, कृषिगत उद्योगों को कच्चा माल नहीं मिलना, महँगाई का बढ़ जाना, जमाखोरी व भ्रष्टाचार का बढ़ना, सरकारों तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जनता पर कर्ज का बोझ बढ़ना तथा सामाजिक समरसती में कमी का आना आदि प्रमुख समस्याएँ हैं।

प्रश्न 10.
समुद्री तूफानों की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
भारत में जो उष्ण कटिबंधीय समुद्री तूफान आते हैं, उनकी निम्न विशेषताएँ हैं-

  1. इनमें आर्द्रता की मात्रा बहुत अधिक होती है।
  2. तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करने पर ये बहुत वर्षा करते हैं।
  3. तटीय क्षेत्रों में इनकी गति तेज होती है। किन्तु जैसे-जैसे ये आन्तरिक भागों में प्रवेश करते हैं इनकी गति कम होती जाती है।
  4. अपनी तेज गति व अधिक वर्षा के कारण तटीय क्षेत्रों में इनके द्वारा अपार जन-धन की हानि होती है।
  5. आन्तरिक भागों में प्रवेश करने के साथ ही इनकी तीव्रता में धीरे-धीरे कमी आती जाती हैं।

प्रश्न 11.
भारत में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में अप्रैल से दिसम्बर तक चक्रवात सक्रिय रहते हैं। अरब सागर की ओर से वर्ष में औसतन 2 तथा बंगाल की खाड़ी की ओर से 6 या 7 बार समुद्री तूफान भारत में प्रवेश करते हैं। इनमें से कुछ तूफान तटीय क्षेत्रों में प्रवेश कर समाप्त हो जाते हैं जबकि कुछ तूफान आन्तरिक क्षेत्रों में प्रवेश कर जन-जीवन को प्रभावित करते हैं। इन तूफानों का भीतरी भागों में अन्दर तक प्रवेश करना उत्तरी पश्चिमी भाग में मिलने वाले तापमान व इसके कारण निर्मित होने वाले न्यून वायुदाब केन्द्र पर निर्भर करता है।

प्रश्न 12.
समुद्री तूफानों से बचने के लिए कौन-से व्यक्तिगत उपाय अपनाये जाने चाहिए?
अथवा
लोगों द्वारा उपाय अपनाने की प्रवृत्ति तूफानों से बचने का मुख्य तरीका है। कैसे?
उत्तर:
भारत में आने वाले समुद्री तूफानों के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जाने चाहिए-

  1. समुद्री तूफानों के समय व्यक्तिगत ईमानदारी व निष्ठा का परिचय देना चाहिए।
  2. तूफानों के बारे में जो सूचनाएँ मिलती हैं उनके अनुसार सावधानी रखनी चाहिए।
  3. सरकार व सामाजिक संस्थाओं द्वारा दी जा रही राहत सामग्री का उपयोग मिल बाँट कर करना चाहिए।
  4. तूफान प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को स्वयं व अपने पशुओं का बीमा करवाना चाहिए।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में आये प्रमुख चक्रवातों की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में चक्रवात एक निरन्तर आने वाली आपदा है। कैसे?
उत्तर:
भारत में चक्रवातों की बार-बार आने की स्थिति के कारण इन्हें एक निरन्तर आने वाली आपदा माना जाता है। भारत में आये चक्रवातों की स्थिति निम्नानुसार है।

सितम्बर 1976 में आये समुद्री तूफान से कोनताई, पश्चिम बंगाल तट प्रभावित हुआ था। नवंबर 1977 में समुद्री तूफान का असर आन्ध्र प्रदेश के निजामपटनम् क्षेत्र में देखने को मिला था। सन् 1978 में नवंबर माह में आन्ध्र प्रदेश के रामनाथपुरम् में भी समुद्री तूफान की विनाशकारी लीला देखने को मिली थी। मई 1979 में आन्ध्र प्रदेश के दक्षिण ओंगोल, नवंबर 1989 में कवाली के समीप, मई 1990 में आन्ध्र प्रदेश के नेल्लोर, नवंबर 1991 में तमिलनाडु के कराइकल, नवंबर 1992 में तमिलनाडु के तूतीकोरन, दिसम्बर 1993 में तमिलनाडु के कराइकल, व अक्टूबर 1999 में उड़ीसा के पारादीप व बालेश्वर में आये समुद्री तूफानों की स्थिति एक नियमित आपदा वाले स्वरूप को प्रकट करती है।

प्रश्न 2.
समुद्री तूफान की समस्या व संकट को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
समुद्री तूफान से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
समुद्री तूफान किस प्रकार संकट सिद्ध होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समुद्री तूफानों से होने वाली क्षति एवं उनसे उत्पन्न समस्यायें मानव को झकझोर देती हैं। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का विस्तार कम क्षेत्र में होता है लेकिन दाब की प्रवणता तीव्र होने के कारण वायु बहुत तेज गति से चलती है। उत्पत्ति के समय इनको आकार कम होता है लेकिन समुद्री क्षेत्र में निर्बाध आगे बढ़ते रहने के साथ इनका आकार व वायु की गति बढ़ती जाती है। ये चक्रवात लगभग 15 किमी से 25 किमी प्रति घंटा की औसत गति से आगे बढ़ते हैं। इन तूफानों में हवा की गति 200-400 किमी प्रति घंटा होती है। जल क्षेत्र से आने के कारण इनमें बहुत नमी होती है। इनसे उत्पन्न समस्याओं को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया गया है-

  1. तटीय क्षेत्रों में ये तेज हवा के साथ तेज गति से वर्षा करते हैं। वर्षा इतनी भारी होती है कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  2. पवनों की गति तेज होने से वृक्ष उखड़ जाते हैं, विद्युत के पोल व संचार के साधनों के पोल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
  3. कच्चे मकान ढह जाते हैं वे झोंपड़ियाँ उड़ जाती हैं।
  4. चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल हो जाता है।
  5. खड़ी फसलें गिर जाती हैं।
  6. तेज हवा के कारण तटीय क्षेत्र में समुद्री लहरें अन्दर तक प्रवेश कर जाती हैं। इनसे भी काफी विनाश हो जाता है।
  7. नावे उलट जाती हैं व नाविकों का जीवन खतरे में पड़ जाता है।

प्रश्न 3.
समुद्री तूफानों से सरकारी स्तर पर कैसे बचाव किया जा सकता है?
अथवा
समुद्री तूफानों में किन-किन उपायों को सामाजिक स्तर पर अपनाया जाना चाहिए?
उत्तर:
सरकारी व सामाजिक स्तर पर समुद्री तूफानों से बचने के लिए निम्न उपायों को अपनाया जाना चाहिए-

  1. समुद्री तूफानों के सम्बन्ध में आगामी सूचना तंत्र का विकास अवश्य होना चाहिए।
  2. उपग्रह के चित्रों तथा उससे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तूफान के मार्ग, पवन की गति व वर्षा की मात्रा की समीक्षा होती ग्दनी नादिता।
  3. सूचनाओं को रेडियो व अन्य संचार माध्यमों से बार-बार प्रसारित किया जाना चाहिए।
  4. नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्र की जानकारी दी जाये ताकि वे वहाँ पहुँच सकें। इस तरह जनहानि को बचाया जा सकता है।
  5. तटीय क्षेत्रों में मकान इस तरह के बनवाने की सलाह दी जाये कि वे हवा की गति का सामना कर सकें।
  6. मकान निचले इलाकों में नहीं बनवाये जायें। ऐसे क्षेत्रों में अकस्मात् आने वाली बाढ़ को जल फैलता है।
  7. तूफान की गति कम करने के लिए तटीय क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण अभियान चलाये जाने चाहिए।
  8. मछुआरों को तूफान की अवधि के समय समुद्र में प्रवेश से रोकने की सलाह व प्रयास किये जाने चाहिए।
  9. तूफान प्रभावित क्षेत्रों में सामूहिक बीमा जैसी योजनाएँ चलाई जानी चाहिए।

RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बाढ़, सूखा व समुद्री तूफान भारत की प्रमुख आपदायें हैं। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत की प्राकृतिक आपदाओं का क्षेत्रवार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की धरातलीय संरचना, उच्चावचन व भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ की जलवायु, मिट्टी, वनस्पति आदि में अनेक विभिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। इन विभिन्नताओं का प्रभाव भारत में आने वाली आपदाओं पर भी पड़ता है। विशाल क्षेत्रफल के कारण भारत में ऐसा बहुत कम समय होता है जबकि यहाँ प्रत्येक क्षेत्र में समरसता है। कहीं न कहीं, कोई न कोई आपदा जरूर आती रहती है। चाहे वह आपदा प्राकृतिक हो अथवा मानवजनित हो।

बाढ़, सूखा व समुद्री तूफान मूलत: प्राकृतिक आपदाएं हैं। इन आपदाओं का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार है-

बाढ़ – बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसमें सम्बन्धित क्षेत्रों में जल प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं; मकान गिर जाते हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, यातायात एवं संचार व्यवस्था तहस-नहस हो जाती है तथा मानव जीवन व पशु जीवन को भी हानि होती है। बाढ़ के उपरान्त सम्बन्धित क्षेत्र में गन्दगी का साम्राज्य हो जाता है और अनेक बीमारियों के फैलने की आंशका बनी रहती हैं। इस प्रकार बाढ़ एक अभिशाप के रूप में सिद्ध होती है।

प्रमुख बाढ़ क्षेत्र – प्रमुख बाढ़ क्षेत्र निम्नलिखित हैं-

  1. भारत का उत्तरी व उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र
  2. प्रायद्वीपीय भारत में महानदी, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी नदियों के तटीय क्षेत्र।

बाढ़ के बारे में एक प्रमुख तथ्य यह है कि नदी कोई भी हो वे भारत के किसी भी क्षेत्र में बहती हो, यदि मानसूनी व मौसमी कारणों से लगातार मूसलाधार वर्षा होती है तो बाढ़ का रूप भयंकर हो जाता है।

सूखा – सामान्य से कम वर्षा अथवा वर्षा की मात्रा का इतना कम होना कि कृषि फसलें सूख जायें, मानव व पशुओं के पीने के पानी की कमी होने लगे अथवा भूमिगत जल स्तर की स्थिति अधिक चिन्तनीय होने लगे तो यह स्थिति सूखा कहलाती है। किसी भू-भाग पर सूखे की लगातार पुरानवृत्ति अकाल की स्थिति ला देती है। भारत सरकार के सिंचाई आयोग के अनुसार यदि किसी क्षेत्र में वार्षिक वर्षा 10 सेमी से भी कम हो तो वह क्षेत्र सूखाग्रस्त माना जायेगा।

प्रमुख सूखाग्रस्त क्षेत्र – भारत के प्रमुख सूखाग्रस्त क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

  1. पश्चिमी भारत- राजस्थान व गुजरात राज्य
  2. हरियाणा, मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्र, मध्य महाराष्ट्र व मध्य तथा पूर्वी कर्नाटक राज्य।
  3. उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ भाग सूखाग्रस्त होते रहते हैं।

अपर्याप्त व अनिश्चित वर्षा सूखे का कारण बनती है। किन्तु राजस्थान व गुजरात में सूखा एक स्थायी आपदा है।

समुद्री तूफान- समुद्री तूफान मुख्यत: उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात है। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात समुद्री क्षेत्र में उत्पन्न होकर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से होकर भारत में प्रवेश करते हैं। समुद्र में उत्पन्न होने के कारण इनमें आर्द्रता की मात्रा अधिक होती है। अतएव तटीय क्षेत्रों में इनमें भयंकर वर्षा होती है। तटीय क्षेत्रों में ये बड़ी तीव्रगति से चलते हैं। जैसे-जैसे ये आन्तरिक भागों में बढ़ते हैं, इनकी गति एवं वर्षा की मात्रा भी कम होती जाती है।

समुद्री तूफान प्रभावित क्षेत्र – समुद्री तूफानों से प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी वं पश्चिमी तटीय भाग तथा उनसे जुड़े हुए क्षेत्र प्रभावित होते हैं। इनका मार्ग सामान्यत: तट के समानान्तर होता है। अरब सागर में उत्पन्न होकर (अप्रैल से जून तक) ये समुद्री तूफान गुजरात तट के सहारे भारत में प्रवेश करते हैं। बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले चक्रवात अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य उत्पन्न होते हैं और ये अनद पटेण राष्ट्रिनी बंगाल को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं।

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