RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 21 जैवविविधता

Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 जैवविविधता

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता किस देश में पायी जाती है?
(अ) ब्राजील
(ब) भारत
(स) दक्षिण अफ्रीका
(द) जर्मनी
उत्तर:
(अ) ब्राजील

प्रश्न 2.
‘वन्दनवार’ हेतु कौन-से वृक्षों की पत्तियाँ सामान्यतः प्रयुक्त की जाती हैं?
(अ) अशोक एवं पीपल
(ब) आम एवं जामुन
(स) अशोक एवं आम
(द) बरगद एवं पीपल
उत्तर:
(स) अशोक एवं आम

प्रश्न 3.
जिसमें अधिकतम जैव विविधता मिलती है-
(अ) नम प्रदेश
(ब) प्रवाल भित्तियाँ
(स) मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र
(द) उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र
उत्तर:
(ब) प्रवाल भित्तियाँ

प्रश्न 4.
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान स्थित है-
(अ) भरतपुर
(ब) अलवर
(स) जयपुर
(द) सवाईमाधोपुर
उत्तर:
(द) सवाईमाधोपुर

प्रश्न 5.
राजस्थान का राज्य वृक्ष है-
(अ) ढाक
(ब) खेजड़ी
(स) इमली
(द) कदम्ब
उत्तर:
(ब) खेजड़ी

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
जैव विविधता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी प्राकृतिक प्रदेश में उपलब्ध जीव-जन्तुओं और पादपों की प्रजातियों की संख्या को जैव विविधता कहा जाता है।

प्रश्न 7.
मुख्य रूप से किसकी सघनता से जैव विविधता में अभिवृद्धि होती है?
उत्तर:
मुख्य रूप से वनों की सघनता से जैव विविधता में अभिवृद्धि होती है।

प्रश्न 8.
जैव विविधता की संकल्पना विकसित होने का क्या आधार है?
उत्तर:
पर्यावरणीय ह्रास के फलस्वरूप विगत वर्षों में जैव विविधता की संकल्पना/अवधारणा विकसित हुई है।

प्रश्न 9.
कुनैन नामक औषधि किससे प्राप्त होती है?
उत्तर:
सिनकोना पेड़ की छाल से कुनैन नामक औषधि प्राप्त होती है।

प्रश्न 10.
इकोटूरिज्म से क्या आशय है?
उत्तर:
वन्य प्राणियों को उनके ही प्राकृतिक परिवेश में स्वतंत्र, निर्बाध रूप से विचरण करते हुए देखने को ही इकोटूरिज्म कहते हैं?

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
जैव विविधता के खाद्य मूल्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध पारिस्थितिकीविद् नॉमर्न मेयर्स के मतानुसार मनुष्य के द्वारा लगभग 80,000 पौधों की जातियों का उपभोग खाद्य के रूप में किया जाता है। संसार की सम्पूर्ण भोजन प्राप्ति मुख्य रूप से गेहूँ, चावल, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, चुकन्दर, अरहर, नारियल, आलू, कसावा, शकरकन्द, चिकबीन्स, फिल्डबीन्स, गन्ना आदि पर निर्भर है। इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के फल जैसे – केला, आम, सीताफल, पपीता, अंगूर, सेब, संतरा, तरबूज, खरबूजा इत्यादि तथा विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ; जैसे-बैंगन, भिण्डी, गोभी, टमाटर आदि एवं विभिन्न प्रकार की मछलियाँ संसार की खाद्य आपूर्ति में मुख्य भूमिका निभाती हैं। इन सब के अलावा अदरक, कालीमिर्च, हल्दी, केसर, धनिया, हींग, सौफ, जीरा, अजवायन, तेजपत्ता, आदि का उपयोग भी घरेलू एवं व्यापारिक तौर पर किया जाता है।

प्रश्न 12.
वनस्पतियों के सामाजिक मूल्य को सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वनस्पतियों के सामाजिक मूल्य को समाज में मिलने वाली दशाओं से स्पष्ट किया जा सकता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा जीवन की विविधता विभिन्न रूपों में सामाजिक मान को प्रतिबिम्बित करती है। यथा-तुलसी, केला, पीपल आदि ऐसे पौधे हैं, जो हमारे घरों में आयोजित प्रत्येक धार्मिक समारोहों का अभिन्न अंग होते हैं। अशोक, आम ऐसे वृक्ष हैं जिनकी पत्तियों की ‘वन्दनवार’ यज्ञ, विवाह, धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान अनिवार्य रूप से लगाई जाती है। नि:संदेह मनुष्य की इस प्रकार की मनोवृत्ति प्रकृति की वानस्पतिक सम्पदा को सुरक्षित रखती है। इस प्रकार वनस्पति का सामाजिक मूल्य महत्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 13.
कृषि के क्षेत्र में जीन कोष का क्या महत्व है?
उत्तर:
कृषि के क्षेत्र में जीन कोष का विशेष महत्व है, क्योंकि भविष्य की खाद्य समस्याओं का त्वरित निराकरण इनके माध्यम से सरलतापूर्वक किया जा सकता है। जीन कोर के माध्यम से विभिन्न प्रकार की खाद्य फसलों ‘पेय फसलों एवं दलहनी फसलों की उन्नत किस्में तैयार की जा सकती हैं। जिनसे कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। जीन कोष से ही बीजों को प्रसंस्करित करके तैयार किया जाता है ताकि वे अधिक प्रतिकूल जलवायविक परिस्थितियों का सामना कर सकें।

प्रश्न 14.
जॉनसन (1993) के शब्दों में जैव विविधता की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जॉनसन नामक विद्वान ने 1993 में जैव विविधता को (कन्वेंशन ऑन बॉयलॉजिकल डायवर्सिटी) को परिभाषित करते हुए बताया था कि जैविक विभिन्नताएँ स्थल, समुद्र व जलीय (मीठे) पारिस्थितिक तंत्रों में पायी जाती है। यह विभिन्नता समष्टि की जातियों में, जातियों के बीच में एवं पारिस्थितिक तंत्र की जातियों में हो सकती है।

प्रश्न 15.
जैव विविधता के औषधीय मूल्य पर संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जैव विविधता के रूप में अनेक औषधियाँ प्राप्त होती हैं। इन विभिन्न प्रकार की औषधियों की प्राप्ति प्राणियों व वनस्पतियों से होती है। यथा–मेडागास्कर पेरिविकल या सदाबहार के पौधे से बिन ब्लास्टीन एवं विन्क्रिस्टीन नामक कैंसर रोधी औषधियाँ निर्मित की जाती हैं। इन औषधियों से बाल्यकाल में होने वाले रक्त कैंसर ‘ल्यूकेमिया’ पर 99 प्रतिशत नियंत्रण कर लेने में सफलता प्राप्त हुई है। कवक द्वारा पैनीसिलीन, सिनकोना पेड़ की छाल से कुनैन, औषधि तैयार की जाती है। इसी प्रकार बैक्टीरिया से एरिथ्रोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन नामक प्रतिजैविक औषधियाँ तैयार की जाती हैं। इन सभी उदाहरणों से जैवविविधता के औषधीय मूल्य का पता चलता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
जैव विविधता को परिभाषित कीजिए। इसकी अवधारणा का संक्षेप में विवेचन प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
किसी प्राकृतिक प्रदेश में उपलब्ध जीव-जन्तुओं और पादपों की प्रजातियों की संख्या को जैव विविधता कहा जाता है। जैवविविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी कीट वैज्ञानिक ई.ओ.विल्सन ने 1986 में किया था, जिसे बाद में एक संकल्पना के रूप में अन्य वैज्ञानिकों एवं पर्यावरणविदों ने अपनाया। पृथ्वी पर अनगिनत जीव-जन्तु मिलते है, जिनमें आनुवांशिक जातीय और पारिस्थितिकीय विविधता देखने को मिलती है। जैविक विविधता को अलग-अलग लोगों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। जीवधारियों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की विभिन्नताएँ लाखों-करोड़ों वर्षों में हुए जैविक उद्विकास की परिणति है। सारा जैवमण्डल इन्हीं विभिन्नताओं के माध्यम से संचरित एवं नियंत्रित होता है। इनको ही वैज्ञानिक भाषा में जैव विविधता के नाम से जाना जाता है। किसी विद्वान ने लिखा है- पृथ्वी रूपी, वासोपयोगी जहाज पर मनुष्य के जीवन का आधार ही जैवविविधता है।”

जैवविविधता की संकल्पना/ अवधारणा – प्रत्येक जीवधारी का शरीर उसके जीनों से निर्मित होता है, एवं उसके शरीर की कार्यिकी भी इन्हीं जीनों के द्वारा नियंत्रित होती है। जीन ही जैवमण्डल की जैवविविधता का मूलभूत आधार होता है। पर्यावरणीय ह्रास के फलस्वरूप विगत वर्षों में जैवविविधता की संकल्पना/ अवधारणा विकसित हुई है। जैविक विविधता एवं सम्पन्नता प्रकृति का एक अति महत्त्वपूर्ण गुण है, जो पृथ्वी पर विकास की प्रक्रिया का परिणाम है तथा सतत् संरक्षण हेतु प्रार्थी है। प्राकृतिक आवासों के अकल्पनीय विनाश के कारण गत वर्षों में जैव विविधता के ह्रास का संकट प्रकट हुआ है। उदाहरणार्थ – हमारे प्रांत राजस्थान में कृष्ण (काले) मृगों का शिकार, उत्तखण्ड प्रांत के विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग आधा दर्जन हार्थियों का शिकार, ट्राईपाइनासिमियोसिस नामक बीमारी के कारण नंदन कानन अभ्यारण्य में 13 बाघों की अकाल मृत्यु आदि। ऐसी असहनीय घटनाएँ ही इस वास्तविकता का पुरजोर समर्थन करती हैं कि हमारे देश में भी जैव विविधता का क्षेत्र आसन्न संकटों से अछूता नहीं हैं।

मानव के जीवन निर्वाह हेतु जैवविविधता का अस्तित्व हर सूरत में बना रहना अति आवश्यक है। प्रदूषण का उद्गम मानवीय क्रियाकलापों की ही देन है। निरंतर उत्तरोत्तर रूप में अपने पैर पसार रहे प्रदूषण के कारण जैव विविधता का ग्राफ निश्चित तौर पर घट रहा है। मनुष्य अब तक लगभग एक लाख प्राणी जातियों तथा लगभग 76% वन्य प्राणियों को अपने लाभ हेतु उपभोग करते हुए उनका सम्पूर्ण रूप से अस्तित्व ही समाप्त कर चुका है। जैवविविधता में कमी, वर्तमान विश्व की एक महत्त्वपूर्ण समस्या है। इसकी कमी जीवों की उविकासीय (Evolutionary) समर्थता को प्रभावित करती है और वे पर्यावरणीय बदलावों से संघर्ष करने में अपने आपको असहाय पाते हैं।

जैवविविधता की संकल्पना में जातियों की एक निर्णायक स्थिति होती है। प्रकृति में वंश वृद्धि के योग्य उत्पादक जीवन तथा पुनः उत्पादक संतान वाले समान प्रकार के जीवों को जाति कहते हैं। प्रकृति में जातियाँ मिलकर संक्रमण के द्वारा नवीन जाति को जन्म देती। हैं। इस प्रकार जैव विविधता जीवन की निरंतरता तथा पर्यावरण की दीर्घावधि, टिकाऊपन हेतु एक अति आवश्यक महत्त्वपूर्ण शर्त है।

प्रश्न 17.
जैव विविधता के मूल्य पर सविस्तार चयनित शब्दों में एक लेख लिखिए।
उत्तर:
प्रकृति में विद्यमान प्राणी एवं वनस्पति मानव मात्र के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक हैं। हमारी बौद्धिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक विविधता भी जैव विविधता का ही अंग है। प्राकृतिक साधनों से ही राज्य, राष्ट्र और विश्व की आर्थिक प्रक्रिया निर्भर रहती है। जैव विविधता के मूल्य का वर्णन मुख्यतः निम्न बिन्दुओं के रूप में किया गया है-

  1. खाद्य मूल्य,
  2. औषधीय मूल्य,
  3. सौन्दर्यात्मक मूल्य,
  4. आनुवांशिक मूल्य,
  5. नीतिमान,
  6. सामाजिक मूल्य।

1. खाद्य मूल्य – जैव विविधता से विविध प्रकार की खाद्य वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। जो संसार में भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इनमें मुख्यत: गेहूं, चावल, मक्का, जौ, ज्वार, बाजार, सोयाबीन, चुकन्दर, अरहर, नारियल, आलू, कसावा, शकरकंद, चिकबीन्स, फिल्डबीन्स, गन्ना, तथा फलों के रूप में केला, आम, सीताफल, पपीता, अंगूर, सेब, संतरा, तरबूज, खरबूजा, सब्जियों के रूप में बैंगन, भिण्डी, गोभी, टमाटर व अदरक, हल्दी, धनिया, हींग, सौफ आदि की प्राप्ति होती है। ये सब खाद्य मूल्यों की स्थिति को दर्शाते हैं।

2. औषधीय मूल्य – विभिन्न प्रकार की औषधियाँ प्राणियों एवं वनस्पतियों से प्राप्त की जाती हैं। जिनमें मेडागास्कर पेरिविकल या सदाबहार के पौधे से विनब्लास्टीन एवं विन्क्रिस्टीन, कवक द्वारा पेनीसिलीन, टेट्रासाइक्लिन आदि औषधियों की प्राप्ति होती है।

3. सौन्दर्यात्मक मूल्य-जैव विविधता सुन्दरता का वास होती है। प्रकृति में जितनी ज्यादा विविधता होती है, सुन्दरता उतनी ही अधिक होती है। यथा – एक जन्तुआलय में जितनी जैव विविधता होगी वह दर्शकों को उतना ही अधिक आकर्षित करेगा। पर्यटन के फैलाव में प्राकृतिक सुन्दरता की एक अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फूलों में रंग व उनकी महक अनायास ही सौन्दर्यतारूपी मूल्य का स्वाभाविक बखान कर देती है।

4. आनुवांशिक मूल्य – जीवधारियों में अनेक जीनकोश मिलते हैं। किसी भी समष्टि में जीन-कोश संबंधित जाति का प्रतिनिधि होता है। कृषि के क्षेत्र में भी जीन-कोश का महत्व है, क्योंकि भविष्य की खाद्य समस्याओं का त्वरित निराकरण इनके माध्यम से सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

5. नीतिमान – भारतीय समाज आदिकाल से सदैव वृक्षों की पूजा करके उन्हें, संरक्षित करने में अग्रणी रहा है। हमारे समाज, धर्म तथा सभ्यता ने हमें नैतिक रूप से बलवान बनाया है। हमारे देश में जैविक विविधता के रूप में कदम्ब, आम, इमली, ढाक व महुआ की पूजा करना हमारे नीतिमान को दर्शाता है।

6. सामाजिक मान-जैव विविधता का सामाजिक मूल्य चिरकाल से ही मनुष्य के जीवन का अंग रहा है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा जीवन की विविधता विभिन्न रूपों में सामाजिक मान को प्रतिबिम्बत करती है। तुलसी, केला, पीपल आदि ऐसे पौधे हैं जो हमारी सामाजिक परम्पराओं से जुड़े होने के कारण एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।

प्रश्न 18.
“प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता मानव के लिए वरदान है”। समझाइये।
उत्तर:
प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता मानव के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है। इसी कारण इसे मानव के लिए वरदान माना जाता . है। इसके इस वरदान रूपी स्वरूप को निम्न बिन्दुओं के रूप में स्पष्ट किया गया है-

  1. प्रकृति प्रदत्त जैव विविधताओं से ही सम्पूर्ण जैवमण्डल संचरित एवं नियंत्रित होता है।
  2. जैव विविधता जीवन की निरंतरता तथा पर्यावरण की दीर्घावधि, टिकाऊपन हेतु एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है।
  3. मानव प्राचीन काल से वर्तमान काल तक प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जैव विविधता पर निर्भर रहा है। इसमें भोजन, कपड़े, निवास आदि तथ्य शामिल हैं।
  4. हमारी बौद्धिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक विविधता भी जैव विविधता का ही, परिणाम होती है।
  5. प्राकृतिक संसाधन ही राज्य, राष्ट्र और विश्व की आर्थिक व्यवस्था निर्धारित करते हैं।
  6. विभिन्न प्रकार की खाद्य वस्तुएँ, फल-सब्जी जैव विविधता के ही परिणाम हैं जिनसे हमारी दैनिक आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।
  7. हमारे द्वारा विभिन्न प्रकार की औषधियों की प्राप्ति भी प्राणियों व वनस्पतियों से होती है।
  8. जैव विविधता का सामाजिक मूल्य चिरकाल से ही मनुष्य के जीवन का अंग रहा है।
  9. जैविक विविधता विभिन्न रूपों में सामाजिक मान को प्रतिबिम्बित करती है।
  10. जैविक विविधता से हमारे समाज, धर्म व सभ्यता को बलिष्ठ, रूप मिला है।
  11. जैवविविधता हमें सुन्दरता प्रदान करती है। साथ ही हमें मनोरंजन प्रदान करती है।
  12. पर्यटन के फैलाव में प्राकृतिक सुन्दरता का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
  13. इकोटूरिज्म व आधुनिक पर्यटन जैव विविधता के कारण ही सम्भव है।
  14. जीवधारियों में मिलने वाली जीन कोश की विविधता हमारे लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।
    उपर्युक्त सभी बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है कि जैव विविधता मानव के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है। इसी कारण इसे मानव के लिए वरदान माना गया है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जैवमण्डल की संरचना में जो मुख्यरूप से शामिल है-
(अ) परिवर्तनमण्डल
(ब) दुर्बलतामण्डल
(स) स्थलमण्डल
(द) बहिर्मण्डल
उत्तर:
(स) स्थलमण्डल

प्रश्न 2.
स्थलमण्डल पर जीव किससे पोषण प्राप्त करते हैं?
(अ) हवा में
(ब) ताप से
(स) जल से
(स) जल स
(द) मिट्टी से
उत्तर:
(द) मिट्टी से

प्रश्न 3.
पृथ्वी के कितने भाग पर जल मिलता है?
(अ) 50.8% पर
(ब) 69.6% पर
(स) 70.8% पर
(द) 87.6% पर
उत्तर:
(स) 70.8% पर

प्रश्न 4.
वायुमण्डल की सबसे निचली परत है-
(अ) क्षोभमण्डल
(ब) समताप मण्डल
(स) अयनमण्डल
(द) बहिर्मण्डल
उत्तर:
(अ) क्षोभमण्डल

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा मिलती है-
(अ) 21 प्रतिशत
(ब) 78 प्रतिशत
(स) 9 प्रतिशत
(द) 0.03 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 78 प्रतिशत

प्रश्न 6.
जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था?
(अ) ओडम ने
(ब) हैकल ने
(स) विल्सन ने
(द) रालैण्ड ने
उत्तर:
(स) विल्सन ने

प्रश्न 7.
विश्व व भारत में क्रमशः कितने तप्त स्थल हैं?
(अ) 30 व 6
(ब) 25 व 2
(स) 22 व 3
(द) 35 व 7
उत्तर:
(ब) 25 व 2

प्रश्न 8.
राजस्थान में कितने राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की जा चुकी है?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 6
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 9.
गजनेर राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?
(अ) जयपुर में
(ब) जोधपुर में
(स) उदयपुर में
(द) बीकानेर में
उत्तर:
(द) बीकानेर में

प्रश्न 10.
पृथ्वी सम्मेलन -2 कहाँ आयोजित हुआ था?
(अ) काठमांडू में
(ब) रियो-डी-जेनेरो में
(स) जोहान्सबर्ग में
(द) पेरिस में
उत्तर:
(स) जोहान्सबर्ग में

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-

स्तम्भ – अ
(राष्ट्रीय उद्यान का नाम)
स्तम्भ – ब
(जिला)
(i) राष्ट्रीय मरु उद्यान (अ) चुरू
तालछापर (ब) अजमेर
(iii) रावली टाड़गढ़ (स) करौली
(iv) कैलादेवी (द) जयपुर
(v) नाहरगढ़ (य) कोटा
(iv) चम्बल (र) जैसलमेर

उत्तर:
(i) र, (ii) अ, (iii) ब, (iv) स, (v) द, (vi) य।

ख.

स्तम्भ-अ
(दशा)
स्तम्भ-ब (सम्बन्धित मूल्य)
(i) शकरकन्द नीतिमान
सदाबहार पौधे सौन्दर्यात्मक मूल्य
(iii) जंतुआलय सामाजिक मान
(iv) वन्दनवार आनुवांशिक मूल्य
(v) जीन कोश खाद्य मूल्य
(vi) पेड़ों की पूजा औषधीय मूल्य

उत्तर:
(i) य, (ii) र, (iii) ब, (iv) स, (v) द, (vi)

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव विविधता का स्वरूप पृथ्वी पर किन रूपों में देखने को मिलता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर उपलब्ध जैव विविधता में सूक्षम प्रोटोजोआ से लेकर विशालकाय व्हेल तक के जीव और सूक्ष्म लाइकेन से लेकर विशाल आकार के वृक्षों के रूप में देखने को मिलता है।

प्रश्न 2.
जैवमण्डल किसका परिणाम होता है?
उत्तर:
जैवमण्डल पृथ्वी के धरातल पर पाये जाने वाले जैविक और अजैविक घटकों की परस्पर जटिल क्रियाओं का परिणाम होता है।

प्रश्न 3.
जीवों में कितने प्रकार का अनुकूलन मिलता है?
उत्तर:
जीवों में मुख्यतः दो प्रकार का अनुकूलन मिलता है –

  1. वंशानुगत अनुकूलन व
  2. उपार्जित अनुकूलन।

प्रश्न 4.
वंशानुगत व उपार्जित अनुकूलन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
वंशानुगत अनुकूलन जन्म से प्राप्त होता है जबकि उपार्जित अनुकूलन किसी विशेष उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 5.
जैवमंडल की संरचना में किसको शामिल किया गया है?
उत्तर:
जैवमंडल की संरचना में स्थलमंडल, जलमंडल व वायुमंडल को मुख्य रूप से शामिल किया गया है।

प्रश्न 6.
स्थलमंडल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
स्थलमंडल पृथ्वी का ठोस भाग है, जो सम्पूर्ण पृथ्वी के लगभग 29.2 प्रतिशत भाग पर महाद्वीपों और द्वीपों के रूप में विस्तृत है। इसकी ऊपरी सतह असंगठित मिट्टी से निर्मित है।

प्रश्न 7.
जलमंडल किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी सतह का जो भाग जल से ढका हुआ है उसे जलमंडल कहते हैं।

प्रश्न 8.
वायुमंडल किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह के चारों और गैसों का एक आवरण पाया जाता है जिसे वायुमंडल कहते हैं। यह वायुमंडल पृथ्वी की सतह से हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है।

प्रश्न 9.
आनुवांशिक विविधता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रत्येक जीव-जन्तु के गुण आनुवांशिक स्तर पर जीन द्वारा निर्धारित होते हैं। किसी भी प्रजाति के जीवों में एक समान जीन के अलग-अलग रूपों का आंकलन आनुवांशिक विविधता कहलाती है।

प्रश्न 10.
जातीय विविधता से क्यो आशय है?
उत्तर:
एक पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध विभिन्न प्रजातियों के जीवों की संख्या का विवरण जातिगत विविधता कही जाती है।

प्रश्न 11.
पारिस्थितिक विविधता क्या होती है?
उत्तर:
एक पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध जैव प्रजातियों की जटिलता पारिस्थितिकीय विविधता कहलाती है।

प्रश्न 12.
पारिस्थितिकीय विविधता में क्या-क्या शामिल है?
उत्तर:
पारिस्थितिकीय विविधता में एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर में ऊर्जा स्थानान्तरण संतुलित खाद्य, जल और खनिज पदार्थों के चक्रीकरण की प्रतिक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं।

प्रश्न 13.
भारत की जलवायु भिन्न-भिन्न क्यों मिलती है?
उत्तर:
भारत में मिलने वाली भौगोलिक विषमताओं; जैसे-उत्तर में हिमालय पर्वत, दक्षिण में विस्तृत समुद्र, पूर्व में आर्द्र क्षेत्र और पश्चिम में शुष्क क्षेत्र के कारण भारत में जलवायु भिन्न-भिन्न प्रकार की मिलती है।

प्रश्न 14.
भारत में कितनी पादप व जीव प्रजातियाँ मिलती हैं?
उत्तर:
भारत में लगभग 46,000 पादप प्रजातियाँ और 81,000 जीव प्रजातियाँ मिलती हैं।

प्रश्न 15.
जैविक विविधता विधेयक कब पारित हुआ?
उत्तर:
जैविक विविधता विधेयक 2 दिसम्बर 2002 को लोकसभा एवं 11 दिसम्बर 2002 को राज्यसभा में पारित हुआ।

प्रश्न 16.
जैव विविधता विधेयक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारत की विशाल जैव विविधता का संरक्षण, विदेशी संगठनों तथा लोगों को इसके एक पक्षीय प्रयोग से रोकना तथा जैव तस्करी को रोकना है।

प्रश्न 17.
तप्त स्थल से क्या तात्पर्य है?
अथवा
हॉट स्पॉट क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
विश्व के ऐसे भागों को जहाँ जीव-जन्तुओं की अधिकता तथा ऐसी दुर्लभ प्रजातियों की अधिकता मिलती है, जो अन्य किसी क्षेत्र में नहीं पाई जाती, तप्त स्थल कहलाते हैं।

प्रश्न 18.
भारत को पश्चिमी घाट तप्त स्थल किन राज्यों में फैला है?
उत्तर:
भारत का यह तप्त स्थल महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों में फैला हुआ मिलता है।

प्रश्न 19.
जैव विविधता के हास के मानवीय कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में जीव-जन्तुओं के प्राकृतिक आवासों का विनाश, शिकार, मानवीय आर्थिक क्रियाओं के फलस्वरूप बढ़ता प्रदूषण जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख मानवीय कारण हैं।

प्रश्न 20.
जैव विविधता ह्रास के प्राकृतिक कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत को छिछला होना तथा अम्लीय वर्षा जैव विविधता ह्रास के प्राकृतिक कारण हैं।

प्रश्न 21.
जैव विविधता के संरक्षण से क्या आशय है?
उत्तर:
जैव विविधता में लगातार हो रहे ह्रास को रोकने तथा मानव-हित को ध्यान में रखते हुए जैव विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने के लिये उचित प्रबन्धन को जैव विविधता का संरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 22.
मत्स्य-पुराण में वृक्ष महिमा के सम्बन्ध में क्या लिखा है?
उत्तर:
मत्स्य-पुराण में वृक्ष महिमा के सम्बन्ध में लिखा है कि दस कुओं के बराबर एक बावड़ी होती है, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्रं होता है, जबकि दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है।

प्रश्न 23.
हमारी संस्कृति में किन-किन वृक्षों में देवताओं का निवास माना है?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में पीपल में विष्णु,आँवला में माँ लक्ष्मी, बरगद में जगतपिता ब्रह्मा, बेलपत्र में भगवान शिव, कदम्ब में श्रीकृष्ण, पलास में गंधर्व, कपूर में चन्द्र तथा अशोक के वृक्ष में इन्द्र देवता का निवास माना है।

प्रश्न 24.
हमारी संस्कृति में किन-किन जीवों को देवत्व का स्थान प्रदान किया गया है?
अथवा
विभिन्न देवी-देवताओं की सवारी के रूप में प्रयुक्त जीवों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारी संस्कृति में गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन, नंदी को शिव का, दुर्गा के वाहन के रूप में सिंह, इन्द्र का वाहन हाथी, कार्तिकेय का वाहन मयूर, गणेश का वाहन चूहा, लक्ष्मी का वाहन उल्लू व सरस्वती के वाहन के रूप में हंस को देवत्व स्थान दिया गया है।

प्रश्न 25.
जैव विविधता के ह्रास के संरक्षण हेतु किन उपायों को अपनाया जाना आवश्यक है?
उत्तर:
जैव विविधता के ह्रास के संरक्षण हेतु कृत्रिम संग्रहण, आवास स्थल में सुधार, प्रतिबन्धित आखेट, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम और राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों की स्थापना करना आवश्यक है।

प्रश्न 26.
राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों की स्थापना का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों का संरक्षण, अवैध तरीके से वन्य जीवों के शिकार और वन्यजीव उत्पादों के अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाना तथा राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों के समीपवर्ती क्षेत्र में पारिस्थितिकी का विकास करना है।

प्रश्न 27.
भारत में किन अभयारण्यों को यूनेस्को ने मान्यता प्रदान कर दी है?
उत्तर:
भारत में नीलगिरि, सुन्दरवन, मन्नार की खाड़ी, नन्दादेवी, नोकरेक, ग्रेट निकोबार, सिम्लीपाल, पंचमढ़ी और अचनकमर-अमरकंटक को यूनेस्को ने मान्यता प्रदान कर दी है।

प्रश्न 28.
राजस्थान में वन्यजीवों के संरक्षण हेतु क्या कदम उठाये गए हैं?
उत्तर:
राजस्थान में वन्यजीवों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय उद्यानों, 26 अभयारण्यों., 35 निषेध क्षेत्रों तथा 5 चिड़ियाघरों की स्थापना की जा चुकी है।

प्रश्न 29.
विश्व में सर्वाधिक एवं सबसे कम जैव विविधता कहाँ मिलती है?
उत्तर:
विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता भूमध्य रेखा के दोनों ओर तथा सबसे कम जैव विविधता ध्रुवों पर मिलती है।

प्रश्न 30.
पृथ्वी सम्मेलन कहाँ व कब आयोजित किये गये?
उत्तर:
प्रथम पृथ्वी सम्मेलन 1992 में ब्राजील के रियो दि जेनेरो तथा द्वितीय पृथ्वी सम्मेलन 2002 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर में आयोजित किया गया था।

प्रश्न 31.
विश्व में अधिक जैव विविधता किन पारितंत्रों में मिलती है?
उत्तर:
विश्व में अधिकतम जैव विविधता प्रवाल भित्तियों, नम प्रदेशों, मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र तथा उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र में प्राप्त होती है।

प्रश्न 32.
जाति किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रकृति में वंश वृद्धि के योग्य, उत्पादक जीवन तथा पुन: उत्पादक संतान वाले समान प्रकार के जीवों को जाति कहते हैं।

प्रश्न 33.
प्रकृति को सुन्दर रूप प्रदान करने में जैव विविधता किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
उत्तर:
विविधता में ही सुन्दरता का वास होता है। प्रकृति में जितनी ज्यादा विविधता होगी यह उसी अनुरूप उतनी ही सुन्दर होगी। इस प्रकार जैव विविधता प्रकृति को सुन्दर बनाती है।

प्रश्न 34.
जीन कोश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भी समष्टि के जीवधारियों के जीनों का साथ-साथ जुड़ना जीन कोश की स्थिति को दर्शाता है।

प्रश्न 35.
जीव जातियों की जैव विविधता को कैसे संरक्षित किया जा सकता है?
उत्तर:
शुक्राणु बैंक एवं बीज भंडार बनाकर जीव जातियों की जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
जैवमण्डल को ऊर्जा और पोषक तत्वों के चक्रीय प्रवाह पर आधारित जैव तंत्र क्यों माना जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जन्तु उस स्थान के पर्यावरण में उपलब्ध भोजन स्रोतों पर निर्भर रहते हैं, जिससे उन्हें ऊर्जा एवं पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। यह ऊर्जा और पोषक तत्व एक उपभोक्ता स्तर से दूसरे उपभोक्ता स्तर में प्रवाहित होते रहते हैं। इसलिये जैवमण्डल को ऊर्जा और पोषक तत्वों के चक्रीय प्रवाह पर आधारित जैव-तंत्र माना गया है।

प्रश्न 2.
स्थलमण्डल के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थलमण्डल पृथ्वी का ठोस भाग है, जो सम्पूर्ण पृथ्वी के लगभग 29.2 प्रतिशत भाग पर महाद्वीपों और द्वीपों के रूप में फैला हुआ है। इसकी ऊपरी सतह असंगठित मिट्टी से निर्मित है, जिसके नीचे चट्टानें पायी जाती हैं। किन्तु जैवमण्डल की दृष्टि से पृथ्वी धरातल की ऊपरी सतह ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि सभी जीव स्थलमण्डल पर प्राप्त मिट्टी से ही पोषण प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की सतह के चारों ओर गैसों का एक आवरण पाया जाता है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं। यह वायुमण्डल पृथ्वी की सतह से हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इसमें अनेक प्रकार की गैसें, जलवाष्प और धूलिकण मिश्रित रूप में मिलते है। इन तत्वों का मिश्रण सर्वत्र समान रूप से नहीं पाया जाता बल्कि ऊँचाई, अक्षांश, मौसम आदि के साथ बदलता रहता है। वायुमण्डल की सबसे निम्नतम परत क्षोभमण्डल उसके ऊपर समतापमण्डल, मध्यमण्डल, अयन मण्डल व बहिर्मण्डल के रूप में परतें पायी जाती हैं।

प्रश्न 4.
आनुवांशिक विविधता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक जीव-जन्तु के गुण आनुवांशिक स्तर पर जीन द्वारा निर्धारित होते हैं। किसी भी प्रजाति के जीवों में एक समान जीन के अलग-अलग रूपों का आकलन आनुवांशिक विविधता कहलाती है। एक प्रजाति पर्यावरणीय परिवर्तनों में अपने आपको अच्छी तरह ढाल सकने में सक्षम होगी। इसके विपरीत आनुवांशिक विविधता कम होने पर उस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो जायेगा क्योंकि वह प्रजाति, पर्यावरणीय परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को अनुकूलित करने में विफल रहेगी। पादपों में आनुवांशिक विविधता के द्वारा ही विभिन्न प्रजातियों का जन्म होता है।

प्रश्न 5.
जैव विविधता के ह्रास हेतु उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
अथवा
जैव विविधता के लिए प्राकृतिक व मानवीय कारक किस प्रकार उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
जैव विविधता के ह्रास हेतु दो प्रकार के कारक उत्तरदायी होते हैं-

  1. मानवीय कारक,
  2. प्राकृतिक कारक।

वर्तमान समय में जीव-जन्तुओं के प्राकृतिक आवासों का विनाश, शिकार, मानवीय आर्थिक क्रियाओं के फलस्वरूप बढ़ता प्रदूषण जैव विविधता ह्रास का मानवीय कारण है जबकि भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत का छिछला होना और अम्लीय वर्षा आदि प्राकृतिक कारक हैं जो जैव विविधता के ह्रास हेतु उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 6.
भारत में जीवों के आवास में किस प्रकार सुधार किये गए हैं?
उत्तर:
भारत में जीवों के आवास स्थलों में सुधार करने के लिए अनेक जैवमण्डलीय आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गई है जिनमें नीलगिरि, नंदादेवी, नोकरेक, ग्रेट निकोबार, मन्नार की खाड़ी, मानस, सुन्दरवन, सिमलीपाल, पंचमढ़ी, कंचनजंगा, अगस्थ्यमलाई, पन्ना, अचनकमर-अमरकंटक, सेशाचेलम, नामदफा, उत्तराखण्ड, थार का रेगिस्तान, कच्छ का छोटा रन, कान्हा, काजीरंगा व उत्तरी अंडमान जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र शामिल हैं।

प्रश्न 7.
राजस्थान के प्रमुख राष्ट्रीय अभयारण्यों/ राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख वन्यजीव व पक्षी आरक्षित क्षेत्रों में मुख्यतः राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) केवलादेव घना राष्ट्रीय पक्षी उद्यान (भरतपुर), राष्ट्रीय मरु उद्यान (जैसलेमर) व सरिस्का वन्य जीव राष्ट्रीय उद्यान (अलवर) प्रमुख हैं। इन राष्ट्रीय उद्यानों के अलावा प्रमुख अभयारण्यों में दर्रा अभयारण्य (झालावाड़), तालछापर अभयारण्य (चूरु), नाहरगढ़ (जयपुर), जयसमन्द (उदयपुर), कुम्भलगढ़ (पाली), बंध बारेठा (भरतपुर), वन विहार (धौलपुर), सीतामाता (चितौड़गढ़), माउंट आबू (सिरोही), रावली टाडगढ़ (अजमेर), चम्बल (कोटा), जवाहर सागर (कोटा), जमुवा रामगढ़ (जयपुर), कैलादेवी (करौली) एवं गजनेर अभयारण्य. (बीकानेर) प्रमुख हैं।

प्रश्न 8.
जैव विविधता के आनुवांशिक मूल्य को स्पष्ट कीजिंए।
उत्तर:
जीवधारियों में से ऐसे अनेक विशेषक हैं, जिनका अनुसंधान होना अभी तक शेष है। विशेषक, जाति विशेष को जीवित रखने हेतु उत्तरदायी होते हैं। किसी भी समष्टि में जीन-कोश सम्बन्धित जाति का प्रतिनिधि होता है। जीन कोश से तात्पर्य है- किसी भी समष्टि के जीवधारियों के जीनों का साथ-साथ जुड़ना। इनका संरक्षित रहना परम आवश्यक होता है ताकि निकट भविष्य में इनको लाभदायक उपयोग किया जा सके। कृषि के क्षेत्र में भी जीन कोश का महत्त्व है, क्योंकि भविष्य की खाद्य समस्याओं का त्वरित निराकरण इनके माध्यम से सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
वायुमण्डल में मिलने वाली गैसों के संगठन व वितरण को दर्शाइए।
अथवा
जैवमण्डल के बाहर जीवन की सम्भावना नगण्य क्यों मानी गई है?
उत्तर:
वायुमण्डल की गैसों में सबसे अधिक मात्रा नाइट्रोजन (78%) और ऑक्सीजन (21%) की पायी जाती है। शेष 1 प्रतिशत में अन्य गैसें जैसे कार्बन डाइआक्साइड, नियोन, ऑर्गन, ओजोन आदि सम्मिलित हैं। विभिन्न परीक्षणों से ज्ञात हुआ है कि क्षोभमण्डल में 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक वायुमण्डलीय गैसों के प्रतिशत अनुपात में भिन्नता आती जाती है। भारी एवं सघन गैसें जैसे कार्बन डाइ-आक्साइड केवल 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक ही पायी जाती है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैसें भी 140 किलोमीटर की ऊँचाई के बाद लगभग लुप्त हो जाती है। 150 किलोमीटर की ऊँचाई के बाद केवल हाइड्रोजन गैस ही महत्त्वपूर्ण गैस के रूप में पायी जाती है।

आक्सीजन अर्थात् प्राणवायु सभी जीवों के श्वसन के लिए अत्यन्त आवश्यक गैस है, जबकि कार्बन डाइआक्साइड पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए अति आवश्यक गैस है। इसी प्रकार सभी जीवों में नाइट्रोजन एक महत्त्वपूर्ण घटक होता है, जो उन्हें भोजन से प्राप्तु होता है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि जैवमण्डल के समस्त जैविक घटक तीनों मण्डलों से जीवन के लिए आवश्यक तत्त्व प्राप्त करते हैं। वायुमण्डल से जहाँ प्राणवायु प्राप्त होती है, वहीं जलमण्डल से जल की प्राप्ति होती है, जो जीवों के प्रोटोप्लाज्म का 75 प्रतिशत भाग बनाता है। स्थल मण्डल से जीवों को भोज्य पदार्थ प्राप्त होते हैं। इसीलिये यह कहा जा सकता है कि जैवमण्डल से बाहर जीवन की संम्भावना नगण्य है।

प्रश्न 2.
भारत में जैव विविधता की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जैव विविधता भारत में किस प्रकार भिन्नताओं को दर्शाती है?
उत्तर:
समस्त संसार में जैव विविधता समान रूप से वितरित नहीं पाई जाती है। यह कुछ स्थानों पर अनुपस्थित, कुछ स्थानों पर अत्यन्त अल्प और कुछ स्थानों पर बहुत अधिक पाई जाती है। भारत के विशाल आकार में पायी जाने वाली भौगोलिक विषमताओं और जलवायु की भिन्नताओं के कारण पादप और जीव-जन्तुओं की विस्तृत जैव विविधता पायी जाती है। भारत की जलवायु मुख्यत: उष्ण कटिबन्धीय है, किन्तु भौगोलिक विषमताओं; जैसे-उत्तर में हिमालय पर्वत, दक्षिण में विस्तृत समुद्र, पूर्व में आर्द्र क्षेत्र और पश्चिम में शुष्क क्षेत्र के कारण यहाँ विभिन्न प्रकार की जलवायु पायी जाती है।

सम्पूर्ण पृथ्वी धरातल का लगभग 2.4 प्रतिशत भू-भागे हमारे देश में स्थित है, जबकि यहाँ विश्व की 6.5 प्रतिशत जीव प्रजातियाँ और 8 प्रतिशत पादप प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इसीलिये हमारा देश विश्व के 12 विशाल जैविक विविधता वाले देशों में से एक है। अभी तक देश के लगभग 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रफल के सर्वेक्षण के बाद यहाँ 46,000 पादप प्रजातियाँ और 81,000 जीव प्रजातियाँ वर्णित की जा चुकी हैं।

प्रश्न 3.
भारत में मिलने वाले तप्त स्थलों का वर्णन कीजिए।
अथवा
तप्त स्थलों को परिभाषित करते हुए भारत के हॉट स्पॉट क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व के ऐसे भागों को जहाँ जीव-जन्तुओं की अधिकता मिलती है, जो अन्य किसी क्षेत्र में नहीं पायी जाती, तप्त स्थल कहलाते हैं। भारत के तप्त स्थल-सम्पूर्ण विश्व में अभी तक 25 तप्त स्थलों का पता लगाया गया है जिनमें से दो तप्त स्थल भारत में हैं जिनका वर्णन निम्नानुसार है-

  1. पश्चिमी घाट तप्त स्थल,
  2. पूर्वी हिमालय तप्त स्थल।

1. पश्चिमी घाट तप्त स्थल – इस तप्त स्थल का विस्तार देश के पश्चिमी समुद्र तट के सहारे लगभग 1600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों में पाया जाता है। यहाँ देश के कुल भू-भाग का मात्र 5 प्रतिशत क्षेत्र है, किन्तु यहाँ देश की लगभग 25 प्रतिशत पादप प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ जैव विविधता की दृष्टि से दो केन्द्र उल्लेखनीय
(अ) अमामबलम रिजर्व
(ब) अगस्थमलई पर्वत

2. पूर्वी हिमालय तप्त स्थल-यहाँ शीतोष्ण वन 1700 से 3500 मीटर की ऊँचाई तक विस्तृत हैं, जिनमें 11540 पादप प्रजातियाँ स्थित हैं। इनमें से 4052 स्थानीय प्रजातियाँ हैं।

प्रश्न 4.
जैव विविधता के खतरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल से ही विभिन्न प्रजातियाँ प्राकृतिक रूप से विलुप्त होती रही हैं और आनुवांशिक विविधता के कारण उनके स्थान पर बदलते हुए पर्यावरण के अनुसार नयी प्रजातियाँ जन्म लेती रही हैं। किन्तु गत शताब्दी में मानव द्वारा वैज्ञानिक एवम् तकनीकी विकास के माध्यम से अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिये प्रकृति का अत्यधिक दोहन करके उसे बहुत नुकसान पहुँचाया गया है। जिसके फलस्वरूप पारिस्थितिक तंत्रों में विभिन्न प्रजातियों की प्राकृतिक विलोपन दर एक प्रजाति प्रति दशक से बढ़कर 100 प्रजाति प्रति दशक हो गई है। यदि विलोपन की यह दर इसी प्रकार बढ़ती रही, तो निकट भविष्य में ही पादपों और जीव-जन्तुओं की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो जायेंगी। अतः मानवीय प्रभाव के कारण वर्तमान समय में बची हुई प्रजातियों को जीवित रहने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

वर्तमान समय में जीव – जन्तुओं के प्राकृतिक आवासों का विनाश, शिकार, मानवीय आर्थिक क्रियाओं के फलस्वरूप बढ़ता प्रदूषण जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख मानवीय कारण हैं। इन प्राकृतिक कारणों के फलस्वरूप भी जैव विविधता की हासे दर में बढ़ोत्तरी हुई है। इन प्राकृतिक कारणों में भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत का छिछला होना, अम्लीय वर्षा आदि ‘महत्त्वूपर्ण हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 21 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जैवमण्डल क्या है? इसकी संरचना को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जैवमण्डल की आधारभूत संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैवमण्डल जीवों के अध्ययन का विज्ञान (विषय ) है जिसमें स्थलमण्डल, जलमण्डल व वायुमण्डल में रहने वाले जीवों, उनकी आपसी अन्तक्रियाओं व सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। जैवमण्डल की संरचना-जैवमण्डल की संरचना में स्थलमण्डल, जलमण्डल व वायुमण्डल को शामिल किया गया है। जैवमण्डल के इन अंगों का वर्णन निम्नानुसार है-

(i) स्थलमण्डल – स्थलमण्डल पृथ्वी का ठोस भाग है, जो सम्पूर्ण पृथ्वी के लगभग 29.2 प्रतिशत भाग पर महाद्वीपों और द्वीपों के रूप में विस्तृत है। इसकी ऊपरी सतह असंगठित मिट्टी से निर्मित है, जिसके नीचे चट्टानें पायी जाती हैं। किन्तु जैवमण्डल की दृष्टि से पृथ्वी धरातल की ऊपरी सतह ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि सभी जीव स्थलमण्डल पर प्राप्त मिट्टी से ही पोषण प्राप्त करते हैं।

(ii) जलमण्डल – सम्पूर्ण पृथ्वी के 70.8 प्रतिशत भाग पर महासागर विस्तृत हैं। यदि इसमें नदियों, तालाबों व अन्य जलीय स्रोतों को भी सम्मिलित कर लिया जाये, तो पृथ्वी सतह का लगभग 72 प्रतिशत क्षेत्र जल से ढका है, जिसे जलमण्डल कहते हैं। प्राणवायु के बाद जल ही जीव की दूसरी महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है, इसीलिये जल को जीवन कहा गया है। शरीर की आक्सीजन और हाइड्रोजन की आवश्यकताओं की पूर्ति जल से ही होती है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी सतह पर लगभग 1360 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर जल उपलब्ध है, जिसमें से 97 प्रतिशत अर्थात् 1320 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर जल महासागरों में स्थित है, लगभग 30 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर जल बर्फ के रूप में स्थित है और शेष 1 प्रतिशत से भी कम भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध है। पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध जल एक चक्रीय प्रवाह के रूप में परिवर्तित होता है। और फिर संघनन की प्रक्रिया द्वारा वृष्टि के रूप में पृथ्वी पर बरसता है।

(iii) वायुमण्डल-पृथ्वी की सतह के चारों और गैसों को एक आवरण पाया जाता है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं। यह वायुमण्डल पृथ्वी की सतह से हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इसमें अनेक प्रकार की गैसें, जलवाष्प और धूलिकण मिश्रित होते हैं। इन तत्वों का मिश्रण सर्वत्र समान रूप से नहीं पाया जाता, बल्कि ऊँचाई, अक्षांश, मौसम आदि के साथ बदलता रहता है। वायुमण्डल की सबसे निचली परत क्षोभमण्डल में जलवाष्प और धूलिकणों को छोड़कर अन्य गैसों का औसत प्रतिशत सर्वत्र लगभग समान पाया जाता है, क्योंकि हवाएँ, वायुधाराएँ और गैस का प्लवनशील स्वभाव उनके अनुपात को लगातार समान बनाए रखते हैं। जैवमण्डल के इस समिश्रित स्वरूप को निम्न चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है।
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 21 जैवविविधता 1

प्रश्न 2.
जैव विविधता को परिभाषित करते हुए इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पृथ्वी पर जैव विविधता का स्वरूप किन प्रारूपों में देखने को मिलता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी प्राकृतिक प्रदेश में उपलब्ध जीव-जन्तुओं और पादपों की प्रजातियों की संख्या को जैव विविधता कहा जाता है। जैव विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिकी कीट वैज्ञानिक ई.ओ. विल्सन ने 1986 में किया था। जैव विविधता के प्रारूप-पृथ्वी पर अनगिनत जीव-जन्तु मिलते हैं। इन जीव-जन्तुओं में मिलने वाली विविधताओं को आधार मानकर जैव विविधता के निम्न प्रारूप देखने को मिलते हैं-

  1. आनुवांशिक विविधता,
  2. जातीय विविधता,
  3. पारिस्थितिकीय विविधता।

जैव विविधता के इन सभी प्रारूपों का वर्णन निम्नानुसार है-

1. आनुवांशिक विविधता – प्रत्येक जीव-जन्तु के गुण आनुवांशिक स्तर पर जीन द्वारा निर्धारित होते हैं। किसी भी प्रजाति के जीवों में एक समान जीन के अलग-अलग रूपों का आकलन आनुवांशिक विविधता कहलाती है। एक प्रजाति पर्यावरणीय परिवर्तनों में अपने आपको अच्छी तरह ढाल सकने में सक्षम होगी। इसके विपरीत आनुवांशिक विविधता कम होने पर उस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो जायेगा, क्योंकि वह प्रजाति, पर्यावरणीय परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को अनुकूलित करने में विफल रहेगी। पादपों में अनुवांशिक विविधता के द्वारा ही विभिन्न प्रजातियों का जन्म होता है।

2. जातीय विविधता – एक पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध विभिन्न प्रजातियों के जीवों की संख्या का विवरण जातिगत विविधता कही जाती है।

3. पारिस्थितिकीय विविधता – एक पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध जैव प्रजातियों की जटिलता पारिस्थितिकीय विविधता कहलाती है। पारिस्थितिकीय विविधता में एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर में ऊर्जा स्थानान्तरण, सन्तुलित खाद्य जाल और खनिज पदार्थों के चक्रीकरण की प्रक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं। जैसे समुद्र के लवणीय जलीये तंत्र और अलवणीय जलीय तंत्र से भिन्न-भिन्न जैव विविधता पायी जाती है। लवणीय जल में जहाँ व्हेल, शार्क जैसी बड़ी मछलियाँ मिलती हैं, वहाँ अलवणीय जल में ऐसी मछलियाँ नहीं मिलती हैं। इसी प्रकार वन, घास प्रदेश और मरुस्थल में पादप व जीव-जन्तु अलग-अलग प्रकार के मिलते हैं।

प्रश्न 3.
जैव विविधता में तीव्र गति से हो रहे हास के संरक्षण हेतु किन उपायों का अपनाया जाना आवश्यक है?
अथवा
जैव विविधता को बचाये रखने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
वर्तमान में तीव्र गति से हो रहे जैव विविधता के ह्मस के संरक्षण हेतु निम्न उपायों को अपनाया जाना आवश्यक है

  1. कृत्रिम संग्रहण,
  2. आवास स्थल में सुधार,
  3. प्रतिबन्धित आखेट,
  4. वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम,
  5. राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों की स्थापना।

(i) कृत्रिम संग्रहण – कृत्रिम संग्रहण के अन्तर्गत ऐसी प्रजातियों का संरक्षण आता है, जिनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ रहा है। ऐसी प्रजातियों का उन्हीं क्षेत्रों में आसानी से संरक्षण किया जा सकता है, जहाँ वे विलुप्त होने के कगार पर हैं।

(ii) आवास स्थल में सुधार – मानव ने अपनी उन्नति और समृद्धि के लिये जीवों के प्राकृतिक आवासों को या तो नष्ट कर दिया है अथवा उन्हें विकृत कर दिया है। जीवों के ऐसे विकृते या नष्ट प्राकृतिक आवासों के सुधार की आवश्यकता है ताकि उनमें निवास करने वाली प्रजातियों को भोजन एवम् अन्य आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध हो सकें। भारत में अब तक 18 जैवमण्डलीय आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके हैं। ये नीलगिरि, नंदादेवी, नोकरेक, ग्रेट निकोबार, मन्नार की खाड़ी, मानस, सुन्दरवन, सिमलीपाल, पचमढ़ी, कंचनजंगा, अगस्थ्यमल्गह, पन्ना, अचनकमर-अमरकंटक, सेशाचेलम, लाम दाफा, उत्तराखण्ड, थार का रेगिस्तान, कच्छ का छोटा रन, कान्हा, काजीरंगा, उत्तरी अंडमान, आदि हैं। इन 18 आरक्षित जैवमण्डलों में से नौ (09)-नीलगिरी, सुन्दरवन, मन्नार की खाड़ी, नन्दादेवी, नेफरेक, ग्रेट निकोबार, सिमलीपाल, पंचमढ़ी और अचनकमर-अमरकंटक को यूनेस्को ने मान्यता प्रदान कर दी है।

(iii) प्रतिबन्धित आखेट-जिन जैव प्रदेशों में वन्यजीवों की अधिकता के साथ ही उनमें उच्च प्रजनन दर पायी जाती है, वहाँ स्वतंत्र रूप से आखेट किया जा सकता है अन्यथा संवेदनशील क्षेत्रों को प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए।

(iv) वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम-अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति एवम् प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संगठन में विश्व के समस्त राष्ट्रों को पर्यावरण संरक्षण नियमों की ऐसी प्रभावी प्रणाली विकसित करने को कहा है, जिससे मानवाधिकार सुरक्षित रह सकें और साथ ही भावी पीढ़ी के हितों पर भी कुठाराघात नहीं हो।। हमारा देश उन गिने चुने देशों में से है, जहाँ 1894 से ही वननीति लागू है। इस वननीति में 1952 और 1988 में संशोधन किया गया। संशोधित वन नीति, 1988 का मुख्य आधार वनों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास है। यही नहीं आगामी 20 वर्षों के लिये राष्ट्रीय वन्य कार्यक्रम के अन्तर्गत एक वृहत योजना तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य वनों की कटाई को रोकना और देश के एक-तिहाई भाग को वृक्षों/वनों से आवृत करना है। इसी प्रकार राष्ट्रीय वन्यजीव कार्यशाला, 1993 को संशोधित करके नई वन्यजीव कार्ययोजना (2000-2016) बनाई गई है, जिसके अन्तर्गत वन्यजीवन संरक्षण और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण के लिये कार्यक्रम बनाये जाते हैं।

(v) राष्ट्रीय उद्यान एवम् अभयारण्यों की स्थापना – हमारे देश में अब तक 89 राष्ट्रीय उद्यानों और 490 अभ्यारण्यों की स्थापना की जा चुकी है, जो देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 150,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर विस्तृत हैं। इनका प्रमुख उद्देश्य वन्यजीवों को संरक्षण, अवैध तरीके से वन्य जीवों के शिकार और वन्यजीव उत्पादों के अवैध व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाना, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के समीपवर्ती क्षेत्र में पारिस्थितिकी विकास करना है।

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