RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) न्यग्रोधपादपे कौ प्रतिवसतः? (वट-वृक्ष पर कौन रहते थे?)
(अ) वायसदम्पती
(ब) कृष्णसर्पदम्पती
(स) कर्कटदम्पती
(द) जलचरदम्पती
उत्तराणि:
(अ) वायसदम्पती

(ख) कः वायसदम्पत्याः बालकान् भक्षयति? (वायस दंपत्ती के बच्चों को कौन खा जाता?)
(अ) कृष्णसर्पः
(ब) कर्कटः
(स) वायसः
(द) बकः
उत्तराणि:
(अ) कृष्णसर्पः

(ग) कुलीरकः कस्य ग्रीवां समादाय जलाशयमाससाद? (केकड़ा किसकी गर्दन लेकर जलाशय पर पहुँचा?)
(अ) वायसः
(ब) मत्स्यस्य
(स) बकस्य
(द) सर्पस्य
उत्तराणि:
(स) बकस्य

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 अति लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 2.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत-(निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)

प्रश्न 1.
(क) कः शूरैः न परिभूयते? (कौन-शूरवीर द्वारा पराजित नहीं किया जाता?)
उत्तरम्:
उपायज्ञाल्पकायः शूरैः न परिभूयते। (उपाय को जानने वाला शूरवीर द्वारा भी पराजित नहीं किया जाता।)

(ख) बकः कुत्र निवसति स्म? (बगुला कहाँ रहता था?)
उत्तरम्:
बेकः नानाजलचर सनाथे जलाशये निवसति स्म। (बगुला अनेक जलचरों से युक्त महान सरोवर पर रहता था।)

(ग) बकः कान् शिलातले प्रक्षिप्य भक्षितवान्? (बगुला किनको शिला पर डालकर खाता था?)
उत्तरम्:
बकः जलचरान् शिलातले ‘प्रक्षिप्य भक्षितवान्। (बगुला जलचरों को शिला पर डालकर खा जाता।)

(घ) वायसी किमादाय स्वगृहाभिमुखं प्रतस्थे? (काकी क्या लेकर अपने घर की ओर प्रस्थान कर गई?)
उत्तरम्:
वायसी एक कनकं सूत्रमेकमादाय स्वगृहाभिमुखं प्रतस्थे? (काकी एक स्वर्णसूत्र लेकर अपने घर की ओर प्रस्थान कर गई।)

(ङ) किं न किंचिदिह असाध्यमस्ति? (यहाँ क्या असाध्य नहीं है?)
उत्तरम्:
बुद्धिमतां न किञ्चिदिह असाध्यमस्ति। (बुद्धिमानों के लिए इस संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्नाः

अधोलिखितानां गद्यांशानाम् अनुवादं हिन्दी भाषायां कुरुत(निम्नलिखित गद्यांशों का अनुवाद हिन्दी भाषा में कीजिए-)

प्रश्न 3.
(क) अस्ति कस्मिंश्चित् प्रदेशे……………..बालकान् भक्षयति।
उत्तरम्:
किसी प्रदेश में महान बड़ का पेड़ है। वहाँ काक युगल रहता था। इसके बाद उन दोनों के प्रसवकाल के समय बिल से निकलकर काला सर्प सदैव उनके बच्चों को खा जाता है।

(ख) स आह-वत्स! सत्यमुपलक्षितं ……………सम्पद्यते लग्ना।।
उत्तरम्:
उसने कहा-वत्स! आपने सही समझा, मेरी मछली खाने से बहुत विरक्ति होने से अब मैं प्राण त्याग का व्रत लेकर बैठा हूँ, इससे मैं पास में आई मछलियों को भी नहीं खाता हूँ। केकड़े ने यह सुनकर कहा-मामाजी, उस वैराग्य का क्या कारण है? उसने कहा-वत्स! मैं उस तालाब में पैदा हुआ हूँ और बड़ा हुआ हूँ। तो मैंने यह सुना है कि बारह वर्ष तक अनावृष्टि रहेगी।

(ग) अथ ते तत्र…………….”रंजयन्नित्यमेवाहारवृत्तिमकरोत्।
उत्तरम्:
इसके बाद वे वहाँ आश्वस्त हुए-‘तात, मामा, भैया’ ऐसा कहते हुए मैं पहले, मैं पहले, सभी ओर से चारों ओर खड़े हो गये। वह भी दुष्ट हृदये क्रमशः उनको पीठ पर चढ़ाकर (बैठाकर) जलाशय के समीप शिला पर पहुँच कर उस पर डालकर स्वेच्छा से खाकर फिर से जलाशय पर पहुँचकर जलचरों को मिथ्या वार्ता सन्देशों से मनों को प्रसन्न करता हुआ नित्य ही आहार वृत्ति किया करता था।

(घ) अथ यावद्राजपुरुषास्तं ……………. बुद्धिमतामसाध्यमस्ति।
उत्तरम्:
तब राजपुरुष जैसे ही वृक्ष पर चढ़कर उस कोटर को देखते हैं वैसे ही काला सर्प फन फैलाये हुए दिखाई देता है। तब उसको लाठी के प्रहार से मारकर सोने के हार को लेकर यथेच्छ स्थान पर चले गये। वायस दम्पती भी तब से खूब सुख से रहती है। इसलिए मैं कहता हूँ-“उपाय से जो किया जाना चाहिए …………।’ तो बुद्धिमानों के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है।

प्रश्न 4.
‘यस्य क्षेत्र ……………… स्यात्तस्य निवृत्ति।’ अस्मिन् पद्ये कः छन्दः तल्लक्षणं च लिखित्वा संगमयत-(इस पद्य में कौन-सा छन्द है उसका लक्षण लिखकर संगति कीजिए-)
उत्तर:
अस्मिन् पद्ये अनुष्टुप् छन्दः आस्ति। (इस पद्य में अनुष्टुप् छन्द है।)

लक्षणम् – श्लोके षष्टं गुरुर्जेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम्।
द्विचतुष्पादयोर्हस्वं, सप्तमं दीर्घमन्ययोः॥
(अनुष्टुप् छन्द के प्रत्येक चरण में पाँचवाँ वर्ण लघु, छटा गुरु तथा दूसरे चौथे चरण में सातवाँ ह्रस्व तथा शेष में गुरु। होता है।)
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 1

प्रस्तुत उदाहरण में पाँचवां चारों चरणों लघु है छटा गुरु है तथा सातवाँ दूसरे चौथे चरण में लघु है, शेष में गुरु।

प्रश्न 5.
कथायाः सारं प्रतिपादयत्। (कथा का सार लिखिए।)
उत्तरम्:
न्यग्रोध वृक्षे वायसदम्पती वसतः स्म। एकः सर्प तयोः बालकान भक्षयति। सः शृगालं पृच्छति। शृगालः वञ्चकवकस्य कथां कथयित्वा उपायं निर्दिशति। सः कथयति यत् एकस्मिन् सरोवरे वृष्टे: अभावात् जलस्य अभावः अभवत्। एक वकः कथयति यत् इतः समीपमेव एकः विशालः जलाशयः अस्ति। अहं पृष्ठमारोप्य जलचरान् तत्र नयामि। आश्वस्तान् तान् असौ वकः पृष्ठमारोप्य नीत्वा च शिलायां निपात्य अभक्षयत्। एकदा कर्कट: तेन सह अगच्छत्। सः यथार्थमजानत्। तं स्ववदनदंशद्वयेन ग्रीवायो गृहीत्वा अहनत्। शृगाल आह-एवमेव त्वमपि कस्यचिद् स्वर्णसूत्रं चोरयित्वा सर्पस्य कोटरे निक्षिप। तेन राजपुरुषाः तं चौरं मत्वा हनिष्यन्ति। काकी राजप्रसादात् स्वर्णहारमानयत् न्यक्षिपत् च सर्पबिले। अन्वेषकाः राजपुरुषाः सर्प चौरं मत्वा लगुडै: अहनत्।

(वट वृक्ष पर काक-काकी युगल रहता था। एक सर्प उन दोनों के बच्चों को खा जाता था। वह गीदड़ से पूछता है। गीदड़ छलिया बगुले की कथा कहकर उपाय बताता है। वह कहता है कि एक सरोवर में वर्षा के अभाव से जल का अभाव हो गया। एक बगुला कहता है कि यहाँ से समीप ही एक विशाल जलाशय है। मैं पीठ पर बैठाकर जलचरों को वहाँ ले जाता हूँ। आश्वस्त हुए उनको वह बगुली पीठ पर बैठाकर और ले जाकर शिला। पर पटककर खा गया। एक दिन केकड़ा उसके साथ गया। उसने यथार्थ को जान लिया। उसको अपने मुख के दो देशों (कांटों) से गर्दन पकड़कर मार दिया। शृगाल ने कहा इसी प्रकार तुम भी किसी का स्वर्ण सूत्र चोरी कर सर्प के कोटर में रख दो। इससे सिपाही उसको चोर मानकर मार देंगे। काकी राजमहल से स्वर्णहार ले आई और सर्प के बिल पर रख दिया। खोजने वाले सिपाहियों ने सर्प को चोर मानकर लाठियों से मार दिया।)

व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –

प्रश्न 6.
(क) अधोलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धि नाम निर्देशं कुरुत-(निम्नलिखित पदों की। संधिविच्छेद कर संधि का नाम लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 2

(ख) अधोलिखितानां पदानां सन्धिं कुरुत-(निम्नलिखित पदों की सन्धि कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 3
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 4

(ग) अधोलिखित पदेषु मूलधातु-लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत-(निम्नलिखित पदों में मूल धातु, लकार, पुरुष और वचने बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 5

(घ) अधोलिखितेषु पदेषु मूलशब्द विभक्ति-लिङ्ग-वचनानां निर्देशं कुरुत-(निम्न पदों में मूल शब्द, विभक्ति, लिंग, वचन का निर्देश कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 6

(ङ) अधोलिखित पदेषु उपसर्ग-प्रकृति-प्रत्ययानां निर्देशं कुरुत-(निम्नलिखित पदों में उपसर्ग, प्रकृति, प्रत्यय का निर्देश कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 7

(च) अधोलिखित पदेषु समास विग्रहं कृत्वा समासस्य नाम निर्देशं कुरुत-(निम्नलिखित पदों में समास विग्रह करके समास का नाम बताइये ।)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 8
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 काकी कृष्णसर्पकथा 9

(छ) पंच-उपसर्गपदानाश्रित्य वाक्यनिर्माणं कुरुत-(पाँच उपसर्ग पदों पर आश्रित वाक्यों का निर्माण कीजिए-)
उत्तरम्:

  1. शिष्यः आचार्याय निवेदयति। (शिष्य आचार्य से निवेदन करता है।)
  2. आचार्यः शिष्याय उपदिशति। (आचार्य शिष्य को उपदेश देता है।)
  3. उद्याने बहवः जनाः विहरन्ति। (बाग में बहुत से लोग विहार करते हैं।)
  4. छात्राः गुरुं प्रणमन्ति। (छात्र गुरुजी को प्रणाम करते हैं।)
  5. मूर्खः प्रहरति। (मूर्ख चोट (प्रहार) करता है।)

RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रजोत्तराणि

प्रश्न 1.
वायसदम्पती कुत्र प्रतिवसतः स्म? (काकदम्पती कहाँ रहती थी ?)
उत्तरम्:
काकदम्पती न्यग्रोध पादपे निवसति स्म। (काक दम्पती वटवृक्ष पर रहती थी।)

प्रश्न 2.
काक दम्पती कम् उपायम् अपृच्छताम्? (काक दम्पती ने किससे उपाय पूछा ?)
उत्तरम्:
काकंदम्पती अन्य वृक्षमूले निवासिने प्रिय सुहृदं शृगालमयपृच्छत्। (काक दम्पती ने अन्य वृक्ष के मूल में निवास करने वाले प्रिय मित्र गीदड़ से पूछा।)

प्रश्न 3.
कस्य निवृत्ति न भवति? (किसकी निवृत्ति नहीं होती?)
उत्तरम्:
यस्य क्षेत्रं नदी तीरे भवति, यस्य भार्या परसंगता अस्ति ससपें गृहे च वसति तस्य निवृत्ति न भवति। (जिसका खेत नदी के किनारे पर होता है। जिसकी पत्नी पर पुरुष के साथ रहती है। जो सर्प वाले घर में रहता है, उसकी निवृत्ति नहीं होती।)।

प्रश्न 4.
सर्पयुक्ते गृहे किं निश्चितम्? (सर्पयुक्त घर में क्या निश्चित है?)
उत्तरम्:
सर्पयुक्ते गृहे मृत्यु निश्चितमस्ति। (सर्पयुक्त घर में मृत्यु निश्चित है।)

प्रश्न 5.
‘नात्रविषये स्वल्पोऽपि विषादः कार्यः’ इति केन उक्तम्? (‘इस विषय में थोड़ा भी शोक नहीं करना चाहिए’ यह वाक्य किसने कहा ?)
उत्तरम्:
‘नात्रविषये स्वल्पोऽपि विषादः कार्यः’ इति वाक्यं शृगालेन उक्तम्। (यह वाक्य शृगाल ने कहा।)

प्रश्न 6.
अल्पकायोऽपि को न परिभूयते? (छोटी काया वाला भी कौन पराजित नहीं होता?)
उत्तरम्:
उपायज्ञः अल्पकायोऽपि न परिभूयते। (उपाय जानने वाला छोटी काया वाला भी पराजित नहीं होता है।)

प्रश्न 7.
बकः केन कारणेन हतः? (बगुला किस कारण से मारा गया?)
उत्तरम्:
बकः अति लौल्यात् हतः (बगुला अधिक लालसा के कारण मारा गया।)

प्रश्न 8.
वञ्चकः बकः केन हतः? (छलिया बगुला किसके द्वारा मारा गया?)
उत्तरम्:
वञ्चकः बकः कर्कटेन हतः। (धोखेबाज बगुला केकड़े के द्वारा मारा गया।)

प्रश्न 9.
उपायज्ञोऽल्पकायोऽपि कैर्न परिभूयते? (उपाय जानने वाला छोटा भी किनके द्वारा परास्त नहीं किया जाता ?)
उत्तरम्:
उपायज्ञोऽल्पकायोऽपि शूरैः न परिभूयते। (उपाय जानने वाला छोटा भी शूरवीरों के द्वारा परास्त नहीं होता)।

प्रश्न 10.
वन प्रदेशे जलाशयः कीदृशः आसीत्? (वन प्रदेश में जलाशय कैसा था ?)
उत्तरम्:
वन प्रदेशे जलाशयः नानाजलचर सनाथः आसीत्। (वन प्रदेश में जलाशय अनेक जलचरों से युक्त था।)

प्रश्न 11.
बकः कुत्र प्रतिवसति स्म? (बगुला कहाँ रहता था?)
उत्तरम्:
बक: नानाजलचर सनाथे महासरसि प्रतिवसति स्म। (बगुला अनेक जलचरों से युक्त महान सरोवर में रहता था।)

प्रश्न 12.
सरस्तीर उपविष्टो बकः कथमरोदत्? (तालाब के किनारे बैठा बगुला कैसे रोया?)
उत्तरम्:
सरस्तीर उपविष्टः बकः मुक्ताफलं प्रकरसदृशैरश्रुवाहैर्धरातलमभिसिंचिन् रुरोद। (तालाब के किनारे बैठे बगुले ने मोतियों की तरह बिखरते हुए आँसुओं से धरातल को सींचा।)

प्रश्न 13.
सरस्तीर उपविष्ट बकं प्रति कः अगच्छत्? (तालाब के किनारे बैठे बगुले की ओर कौन गया?)
उत्तरम्:
सरस्तीर उपविष्टं वकं प्रति एकः कुलीरकः नानाजलचरेण समेतः अगच्छत्। (तालाब के किनारे बैठे बगुले की ओर एक केकड़ा विविध जलचरों के साथ गया।)

प्रश्न 14.
बकस्य दुःखेन दुःखितः कोऽभवत्? (बगुला के दु:ख से दु:खी कौन हुआ?)
उत्तरम्:
कुलीरको बकस्य दुःखेन दुःखितोऽभवत्। (केकड़ा बगुले के दुःख से दु:खी हुआ।)

प्रश्न 15.
बकस्य दुःखेन दुःखितः कुलीरकः किम् अकथयत्? (बगुले के दुःख से दुःखी होकर केकड़े ने क्या कहा?)
उत्तरम्:
सोऽवदत्-“माम! किमद्य त्वया नाहारवृत्तिरनुष्ठीयते? केवलमश्रुपूर्णनेत्राभ्यां सनि:श्वासेन स्थीयते ?” (वह बोला-चाचा! क्या आज तुम्हें आहार नहीं करना है, केवल आँसुओं से पूर्ण नेत्रों से लम्बी साँस लेकर ही रहना है?)

प्रश्न 16.
प्रायोपवेशनं केन कृतम्? (प्राण त्यागने का व्रत लेकर कौन बैठ गया?)
उत्तरम्:
वकुलेन प्रायोपवेशनं कृतम्। (बगुला प्राण त्यागने का व्रत लेकर बैठ गया।)

प्रश्न 17.
दैवज्ञेन ग्रहाणां का गतिः वर्णिता? (ज्योतिषी ने ग्रहों की क्या गति वर्णन की ?)
उत्तरम्:
दैवज्ञेनोक्तम् यत् शनैश्चरः हि रोहिणी सकटं भित्वा भौमं शुक्रं च प्रयास्यति। अतोऽनावृष्टिर्भविष्यति। (ज्योतिषी ने कहा कि शनि रोहिणी के घेरे को भेदकर मंगल और शुक्र के पास जायेगा अतः अनावृष्टि होगी।)।

प्रश्न 18.
कुलीरकस्यगमन प्रस्तावं श्रुत्वा बकः किमचिन्तयत्? (केकड़े के जाने के प्रस्ताव को सुनकर बगुले ने क्या सोचा?)
उत्तरम्:
सोऽचिन्तयत् यत् निर्विण्णोऽहं मत्स्यमांसादनेन, तदद्यैनं कुलीरकं व्यञ्जनस्थानें करोमि। (उसने सोचा कि मैं मछली का मांस खाने से ऊब गया हूँ। अतः आज इसी को व्यंजन बनाता हूँ।)

प्रश्न 19.
अस्थिमवलोक्य कुलीरकः वर्क किम् पृच्छत्? (हड्डियों के ढेर को देखकर केकड़े ने बगुले से क्या पूछा?)
उत्तरम्:
सोऽपृच्छत्-माम! कियद्रे स जलाशयः? मदीयभारेणाति श्रान्तस्तत्वम् ? (वह बोला-चाचा! कितनी दूर पर है वह जलाशय? मेरे बोझ से आप थक गये होंगे।)

प्रश्न 20.
न्यग्रोध-पादपे कौ प्रतिवसतः स्म? (बरगद के पेड़ में कौन रहते थे?)
उत्तरम्:
न्यग्रोध – पादपे वायसदम्पती प्रतिवसतः स्म। (बरगद के पेड़ में काक-युगल रहता था)।

प्रश्न 21.
काक-दम्पत्योः अपत्यानि कः खादति स्म? (काक-युगल के बच्चों को कौन खा जाता था) ?
उत्तरम्;
काक – दम्पत्योः अपत्यानि एकः कृष्णसर्पः खादति स्म। (काक-दम्पती के पुत्रों को एक काला साँप खा जाता था)

प्रश्न 22.
कृष्ण सर्पः कुतः निष्क्रम्यागच्छति स्म? (काला साँप कहाँ से निकलकर आता था।)
उत्तरम्:
कृष्ण सर्पः वृक्ष विवरात् निष्क्रम्य आगच्छति स्म। (काला साँप पेड़ के विवर से निकलकर आता था।)

प्रश्न 23.
यद् ग्रामान्ते सर्पः वसेत् तत्र किं भयम्? (जिस ग्राम के अन्त में सर्प हो, वहाँ क्या भय होता है?)
उत्तरम्य:
द् ग्रामान्ते सर्पः वसेत् तत्र प्राण संशयः स्यात्। (जिस गाँव के अन्त में साँप रहे वहाँ प्राणों का संशय होना चाहिए।

प्रश्न 24.
यद् ऐतिभिः न जयः भवति तत् केन सम्भवति? (जो शस्त्रों से विजय नहीं होता वह किससे सम्भव होता है)।
उत्तरम्:
यद् रिपुः हेतिभिः जयः न भवति सः उपायेन सम्भवति। (जो शत्रु हथियारों से नहीं जीता जाता वह उपाय से सम्भव होता है।)

प्रश्न 25.
वकः कर्कटग्रहात् कस्मात् हतः? (बगुला केकड़े की पकड़ से क्यों मारा गया?)
उत्तरम्:
वकः अतिलौल्यात् कर्कटग्रहात् हतः। (बगुला अति लालसा के कारण केकड़े की पकड़ से मारा गया।)

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