RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 दशरथ-श्रवणकुमारवृत्तम्

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 दशरथ-श्रवणकुमारवृत्तम्

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्ना:

(क) दशरथः कदा दुष्कृतं स्मृतवान्? (राजा दशरथ ने दुष्कर्म कब याद किया?)
उत्तरम्:
रामे वनं गते षष्ठी रजनीं अर्धरात्रे राजा दशरथः कृतं दुष्कर्म अस्मरत्। (राम के वन चले जाने पर छटी रात को आधी रात के समय राजा दशरथ ने किए गये दुष्कर्म को याद किया।)

(ख) राजा पुत्रशोकार्ता कां वचनम् अब्रवीत्? (पुत्र शोक से दुखी राजा ने किससे वचन कहे?)
उत्तरम्:
पुत्रशोकाता कौशल्यां राजा वचनम अब्रवीत्। (पुत्र शोक से पीड़ित कौशल्या से राजा ने वचन कहे।)

(ग) अन्धकारे दशरथः किम् अश्रौषत्? (अँधेरे में दशरथ ने क्या सुना?)
उत्तरम्:
अन्धकारे दशरथ: जले पूर्यत: कुम्भस्य घोषम् अश्रौषम्। (अँधेरे में दशरथ ने जल में भरते हुए घड़े का घोष सुना।)

(घ) दशरथः कीदृशं बाणम् अमुञ्चत् ? (दशरथ ने कैसी बाण छोड़ा?)
उत्तरम्:
दशरथः आशीविषोपमम् निशितं बाणम् अमुञ्चत्। (दशरथ ने साँप के समान तीखे बाण को छोड़ा।)

(ङ) दशरथः सरय्वाः तीरे कम् अपश्यत्? (दशरथ ने सरयू के किनारे क्या देखा?)
उत्तरम्:
दशरथः सरय्वाः तीरे हतम् तापसम् अपश्यत् । (दशरथ ने सरयू के किनारे मरे हुए तपस्वी को देखा।)

(च) दशरथस्य पदशब्दं श्रुत्वा मुनिः किम् अभाषत? (दशरथ की पदचाप को सुनकर मुनि क्या बोला ?)
उत्तरम्:
दशरथस्य पदशब्दं श्रुत्वा मुनिः अवदत् मे पुत्र! किं चिरायसि पानीयं क्षिप्रमानय। (दशरथ की पदचाप को सुनकर मुनि बोला-‘मेरे पुत्र ! देर क्यों कर रहे हो, शीघ्र पानी लाओ।’

(छ) त्वं (दशरथः) केन शोकेन मृत्यु प्राप्स्यसि? (तुम (दशरथ) किस शोक से मृत्यु को प्राप्त होगे ?)
उत्तरम्:
त्वमपि राजन् ! पुत्रशोकेन मृत्यु प्राप्स्यसि। (राजन् ! तुम भी पुत्र शोक से मौत को प्राप्त होगे।)

(ज) कयोः सन्निधौ दशरथः जीवितान्तम् उपागमत्? (किनके सान्निध्य में दशरथ जीवन के अन्त को प्राप्त हुआ ?)
उत्तरम्:
सः रामस्य मातुः कौशल्यायाः सुमित्रायाः च सन्निधौ जीवितान्तम् उपागमत्। (वह राम की माँ कौशल्या और सुमित्रा के सान्निध्य में जीवन के अन्त को प्राप्त किया।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

(क) कर्ता कीदृशं फलं लभते? (कर्ता कैसे फल को प्राप्त करता है?)
उत्तरम्:
कर्ता आत्मनः कर्मजं शुभाशुभम् फलं लभते। (कर्ता अपने कर्म से उत्पन्न फल को प्राप्त करता है।)

(ख) दशरथः बाणमोचनानन्तरं किम् अकरोत्? (दशरथ ने बाण छोड़ने के बाद क्या किया?)
उत्तरम्:
दशरथ: बाणमोचनान्तरं तं देशम् आगतवान् यत्र तापसः हतः। (दशरथ बाण छोड़ने के बाद उस स्थान पर गया जहाँ तापस मरा था।

(ग) श्रवणकुमारः स्वमातृ-पितृ-विषये किम् उक्तवान्? (श्रवणकुमार ने अपने माता-पिता के विषय में क्या कहा?)
उत्तरम्:
मे माता पिता च अन्धौ स्तः। तौ पिपासितौ मत्प्रतीक्षौ दुर्बलान्धौ कथं निहतौ ? (मेरे माता-पिता अन्धे हैं। वे दोनों प्यासे, मेरी प्रतीक्षा करने वाले दुर्बल वृद्ध कैसे मारे गये?)

(घ) दशरथः श्रवणकुमारस्य पितरं किं वदति? (दशरथ श्रवण कुमार के पिता से क्या कहता है?)
उत्तरम्:
अहं क्षत्रियः दशरथः अस्मि। नाहं महात्मनः पुत्रः। सज्जननिन्दितम् इदं दु:खं मया कर्मजं प्राप्तम्। (मैं क्षत्रिय देशरथ हूँ। मैं (आप) महात्मा का पुत्र नहीं। सज्जनों द्वारा निन्दित यह दुख मैंने कर्मफल के रूप में प्राप्त किया है।)

(ङ) श्रवणकुमारस्य पितुः का इच्छा आसीत्? (श्रवणकुमार के पिता की क्या इच्छा थी?)
उत्तरम्:
हे नृप ! आवाम् तं देशं नय यत्रे, आवयोः पुत्रः स्थितः आवाम् तं द्रष्टुम् इच्छावः, इति इच्छा आसीत्। (हे राजन् ! हम दोनों को उस स्थान पर ले चलो जहाँ हम दोनों का पुत्र है। हम उसे देखना चाहते हैं।)

(च) श्रवणकुमारस्य पिता दशरथं कि शप्तवान्? (श्रवणकुमार के पिता ने दशरथ को क्या शाप दिया?)
उत्तरम्:
यथा अहं पुत्रव्यसनजेन दुःखेन मृत्योः मुखं यामि तथैव त्वमपि स्वपुत्र-वियोग-शोकेन मृत्यु प्राप्स्यसि। (जैसे मैं पुत्र के दु:ख से मृत्यु के मुख में जा रहा हूँ वैसे ही तुम भी पुत्र-वियोग के शोक में मौत को प्राप्त करोगे।)

3. अधोलिखितश्लोकानाम् अन्वयं हिन्दी-भाषायाम् आशयं च लिखत-(निम्नलिखित श्लोकों का अन्वय और हिन्दी भाषा में आशय लिखिए-)
(क) यदाचरति कल्याणि ………………. कर्मजमात्मनः ॥3॥
अन्वयः
(ग) यद्येतदशुभम् …. सहस्रधा ॥22॥
अन्वयः – राजन् ! यदि एतत् अशुभं कर्म त्वं स्वयं में न कथयेः, ते मूर्धा सद्यः शतसहस्रधा फलेत स्म्।
आशय – हे राजन् ! यदि यह अशुभ समाचार मुझसे नहीं कहते तो तुम्हारा शिर टुकड़े-टुकड़े हो जाता।
(घ) पुत्रव्यसनजं ……………. गमिष्यसि ॥29॥
अन्वयः – राजन् ! साम्प्रतं यत् एतत् मम पुत्र व्यसनजं दुःखं, एवं त्वं पुत्र-शोकेन कालं गमिष्यसि ।।
आशय – जैसे मैं पुत्र-वियोग के शोक में मर रहा हूँ वैसे ही हे राजा ! तू भी पुत्र वियोग दुःख से मरेगा।

4. श्लोकानां पूर्ति कुरुत। (श्लोकों की पूर्ति कीजिए-)

(क) स राजा रजनीं षष्ठीं रामे प्रव्राजिते वनम्-
उत्तरम्:
अर्धरात्रे दशरथः संस्मरन् दुष्कृतं कृतम् ॥1॥

(ख) किं तवापकृतं राजन् वने निवसता मया
उत्तरम्:
एकेन खलु बाणेन मर्मण्यभिहते मयि ॥2॥

(ग) अज्ञानाद्धि कृतं यस्मादिदं तेनैव जीवसि
उत्तरम्:
अपि ह्यद्य कुलं न स्यादिक्षुवाकूणां, कुतो भवान् ॥23॥

(घ) हा राघव महाबाहो हा ममायासनाशन
उत्तरम्:
हा पितृप्रिय मे नाथ हाऽद्य क्वासि गतः सुत ॥32॥

व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –

5. अधोलिखितपदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धेः नाम लिखत| –
(निम्न पदों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए-)
उत्तरम्:
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6. निम्नलिखितसामासिकपदानां समासविग्रहं कृत्वा समासस्य नाम लिखत –
(निम्नलिखित समस्त पदों का समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए-)
उत्तरम्:
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RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 दशरथ-श्रवणकुमारवृत्तम् 3

7. अधोलिखितानां श्लोकानां संस्कृते व्याख्यां कृत्वा भावार्थं लिखत –
(निम्न श्लोकों को संस्कृत-व्याख्या करके भावार्थ लिखिए-)
(क) तत्राहं दुर्बलान्धौ ………….. द्विजौ ॥17॥
उत्तरम्:
संस्कृत – व्याख्याः – तस्मिन् स्थाने अहम् तौ निर्बलौ, दृष्टिहीनौ, वृद्धावस्था प्राप्तौ तस्य (श्रवणस्य) मातरं पितरं च (जननीजनकौ) दृष्टवान्। तौ उभौ कर्तितपक्षौ खगौ इव आस्ताम्।
भावार्थ – उस स्थान पर मैंने उन दोनों बलहीनों, अन्धों तथा वृद्धावस्था को प्राप्त हुओं उस (श्रवण) के माता और पिता को देखा। वे दोनों पर (पंख) कटे हुए दो पक्षियों की तरह थे।)

(ख) नाभिवादयसे ………… कुपितो ह्यसि॥26॥
उत्तरम्:
संस्कृत – व्याख्याः – हे पुत्र! किं अद्य आवयोः अभिवादनं न करोषि। न च त्वं मया सह संवादं करोषि पुत्र! अद्य त्वं धरायां कस्मात् स्वपिति। वत्स! कि त्वं आवाभ्याम् प्रकुपितः असि ?
भावार्थ – हे बेटा ! क्यों आज हमारा अभिवादन नहीं करता है और न तू हमारे साथ बातचीत करता है। बेटा! आज तू धरती पर क्यों सो रहा है। वत्स! क्या तुम हम दोनों से नाराज हो ?)

(ग) तस्यायं ………….. भूमिपः ॥31॥
उत्तरम्:
संस्कृत – व्याख्याः – हे देवि ! कौशल्ये ! इदम् अमुष्य कृत्यस्य एव फलम् उपस्थितं जातम् (प्रकटितम्) एवम् उदित्वा पीडितोऽसौ राजा दशरथः स्वपत्नीमवदत् ।
भावार्थ – हे देवि! कौशल्ये! यह उसी कृत्य का फल प्रकट हो गया है। इस प्रकार कहकर पीड़ित हुआ वह राजा अपनी पत्नी से बोला।

8. अधोलिखितपदानां प्रकृति-प्रत्ययौ लेख्यौ (निम्न पदों का प्रकृति प्रत्यय लिखिए)
उत्तरम्:
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9. अधोलिखितपदानां धातु-लकार-पुरुष-वचनादीनां निर्देशनं कुरुत| (निम्न पदों के धातु, लकार, पुरुष, वचन आदि का निर्देश कीजिए-)
उत्तरम्:
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10. अधोलिखितपदानां मूल शब्द-विभक्ति-लिंग-वचनादीनां निर्देशं कुरुत –
(निम्न पदों का मूल शब्द, विभक्ति, लिंग तथा वचन बताइए-)
उत्तरम्:
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RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

प्रश्न 1.
रामे वनं गते दशरथः किम् अस्मरत्? (राम के वन चले जाने पर दशरथ ने क्या याद किया?)
उत्तरम्:
रामे वनं गते दशरथः स्वकृतं दुष्कृतम् अस्मरत्। (राम के वन चले जाने पर दशरथ ने अपने किए हुए पाप को याद किया।)

प्रश्न 2.
दशरथेन किं दुष्कृतं कृतं यत् कौशल्याम् अश्रावयत्? (दशरथ ने कौनसा पाप किया, जिसे कौशल्या को सुनाया ?)
उत्तरम्:
दशरथेन अज्ञातेन श्रवणकुमारः हतः। (दशरथ ने अनजाने में श्रवणकुमार को मार दिया।)

प्रश्न 3.
यदा दशरथः कौशल्या-समीपे अगच्छत् तदा कौशल्या कीदृशी आसीत्? (जब दशरथ कौशल्या के पास गया तब कौशल्या कैसी थी ?)
उत्तरम्:
तदा कौशल्या पुत्रशोकेन आर्ता आसीत् ? (तब कौशल्या पुत्रशोक से पीड़ित थी।)

प्रश्न 4.
मनुष्यः कीदृशम् फलम् लभते? (मनुष्य कैसा फल प्राप्त करता है?)
उत्तरम्:
मानव: यादृशं कर्म करोति तादृशम् एव फलं प्राप्नोति। (मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल प्राप्त करता है।)

प्रश्न 5.
दशरथः अर्द्धरात्रे कौशल्य किं उपदिष्टवान्? (दशरथ ने आधी रात में कौशल्या को क्या उपदेश दिया?)
उत्तरम्:
दशरथेन उपदिष्टम्-भद्रे मानवः यथा शुभम् अशुभम् वी कर्म करोति सः तथैव आत्मनः कर्मजं फलं प्राप्नोति। (दशरथ ने उपदेश दिया – भद्रे मनुष्य जैसा शुभ-अशुभ कर्म करता है वह अपने कर्म से उत्पन्न फल को प्राप्त करता है।)

प्रश्न 6.
दशरथेन यदा श्रवणकुमारः हतः तदा सः कस्मिन् पदे आरूढः आसीत्? (दशरथ ने जब श्रवणकुमार को मारा तब वह किस पद पर आरूढ़ था?)
उत्तरम्:
तदा सः युवराज पदे आरूढः आसीत्। (तब वह युवराज पद पर आरूढ़ था।)

प्रश्न 7.
दशरथेन श्रवणं कुत्र हतः? (दशरथ ने श्रवण को कहाँ मारा?)
उत्तरम्:
दशरथेन श्रवणं सरयू नद्याः तटे हतः। (दशरथ ने श्रवण को सरयू नदी के किनारे मारा ।)

प्रश्न 8.
यदा दशरथः शरमक्षिपत् तदा श्रवणः किं करोति स्म? (जब दशरथ ने बाण छोड़ा तब श्रवण क्या कर रहा था?)
उत्तरम्:
तदा श्रवण सरयू-जले घटं पूरयन्नासीत्। (तब श्रवण सरयू के जल में घड़े को भर रहा था।)

प्रश्न 9.
श्रवणस्य वध-काले दशरथः विवाहितो आसीत् न वा? (श्रवण के वध के समय दशरथ विवाहित था अथवा नहीं ?)
उत्तरम्:
श्रवण-वध काले दशरथः अविवाहित आसीत्। (श्रवण-वध के समय दशरथ अविवाहित था।)

प्रश्न 10.
श्रवणस्य वध-काले कः ऋतुः आसीत्? (श्रवण वध के समय कौन-सी ऋतु थी?)
उत्तरम्:
श्रवणस्य वधकाले पावस ऋतुः आसीत्। (श्रवण के वध के समय वर्षा ऋतु थी।)

प्रश्न 11.
पावस ऋतु कीदृशी भवति? (वर्षा ऋतु कैसी होती है ?)
उत्तरम्:
पावस ऋतुः कामवर्धिनी भवति। (वर्षा ऋतु कामवर्धिनी होती है।)

प्रश्न 12.
जले पूर्यतः घटस्य घोष कीदृशम् आसीत्? (जल में भरे जा रहे घड़े की आवाज कैसी थी ?)
उत्तरम्:
जले पूर्यतः घटस्य घोषं नार्दतः गजस्य घोषम् इव आसीत्। (जल में भरते हुए घड़े की आवाज हाथी की गर्जना की तरह थी।)

प्रश्न 13.
दशरथः कीदृशं बाणम् अमुञ्चत्? (दशरथ ने कैसा बाण छोड़ा ?)
उत्तरम्:
दशरथः निशितं आशीविषमिव बाणं अमुञ्चत्। (दशरथ ने तीखे और नाग के समान बाण को छोड़ा।)

प्रश्न 14.
बाणेन अभिहतः श्रवणः क्वगतः? (बाण से आहत हुआ श्रवण कहाँ गया?)
उत्तरम्:
बाणेन अभिहतः श्रवणः हा हेति क्रन्दत् नद्या तोये पतितः। (बाण से आहत हुआ श्रवण हा हा’ ऐसा क्रन्दन करता हुआ नदी के जल में गिर गया।)

प्रश्न 15.
शरे मुक्ते दशरथः किम् अशृणोत्? (बाण छूट जाने पर दशरथ ने क्या सुना?)
उत्तरम्:
शरे मुक्ते दशरथः श्रवणस्य आलपत: करुणं क्रन्दनं श्रुतम्। (बाण छूट जाने पर दशरथ ने विलाप करते श्रवण का करुण क्रन्दन सुना।)

प्रश्न 16.
श्रवणस्य करुणं क्रन्दनं श्रुत्वा राजा किमकरोत्? (श्रवण के करुण क्रन्दन, को सुनकर राजा ने क्या किया ?)
उत्तरम्:
राजा तं स्थानं प्राप्य सरय्वाः तीरे बाणेन हतम् श्रवणम् अपश्यत्। (राजा ने उस स्थान पर पहुँचकर सरयू के किनारे बाण से मरे श्रवणकुमार को देखा।)

प्रश्न 17.
श्रवणः आहतः कीदृशं दशरथं अपश्यत्? (आहत श्रवण ने कैसे दशरथ को देखा?)
उत्तरम्:
आहतः श्रवणः त्रस्तमस्वस्थचेतसम् दशरथम् अपश्यत्। (आहत श्रवण ने त्रस्त एवं अस्वस्थ दशरथ को देखा।)

प्रश्न 18.
श्रवणः दशरथं कथम् अपश्यत्? (श्रवण ने दशरथ को कैसे देखा?)
उत्तरम्:
श्रवणः दशरथं दिधक्षन्निव तेजसा अपश्यत्। (श्रवण ने दशरथ को मारने की इच्छा वाले की तरह देखा।)

प्रश्न 19.
किं तव अपकृतं वने निवसता मया’ इदं वाक्यं कः कम् अकथयत्? (वन में निवास करने वाले मैंने तुम्हारा क्या अहित किया है। यह वाक्य किसने किससे कहा ?)
उत्तरम्:
इदं वाक्यं श्रवणेन दशरथं प्रति उक्तम्। (यह वाक्य श्रवण ने दशरथ से कहा।)

प्रश्न 20.
दशरथेनः किं अपकृत? (दशरथ ने क्या अपकार किया?)
उत्तरम्:
यतः श्रवण दशरथेन एकेन एव बाणेन अभिहतः। (क्योंकि श्रवण को दशरथ ने एक ही बाण से मार दिया।)

प्रश्न 21.
मरणासन्न श्रवणः दशरथं कि निवेदितवान्? (मरणासन्न श्रवण ने दशरथ से क्या निवेदन किया?)
उत्तरम्:
मरणासन्न श्रवणः दशरथं कथितवान् यत् त्वं मे पितुः समीपं गत्वा शीघ्र तं सूचयत। (मरणासन्न श्रवण ने दशरथ से कहा कि तुम मेरे पिता के पास शीघ्र जाकर सूचना दे दो।)

प्रश्न 22.
यदि दशरथः तौ न प्रसादयति तर्हि कि भविष्यति? (यदि दशरथ उनको प्रसन्न नहीं करेगा तो क्या होगा?)
उत्तरम्:
यदि दशरथ तौ न प्रसादयति तर्हि तस्य शिरः शतसहस्रधा भविष्यति। (यदि दशरथ उन दोनों को प्रसन्न नहीं करता है तो उसका सिर हजारों टुकड़ा हो जायेगा।)

प्रश्न 23.
किं काव्यम् आदिकाव्यम् उच्यते? (कौन-सा काव्य आदिकाव्य कहलाता है?)
उत्तरम्:
रामायणम् आदिकाव्यम् उच्यते। (रामायण आदिकाव्य कहलाता है।)

प्रश्न 24.
कः संस्कृतस्य आदिकविः? (संस्कृत का आदिकवि कौन है?)
उत्तरम्:
महर्षि वाल्मीकिः संस्कृतभाषायाः आदिकविः। (महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा का आदिकवि है।)

प्रश्न 25.
कतिकाण्डात्मकम् रामायणम् नाम महाकाव्यम्? (रामायण महाकाव्य कितने काण्डों वाला है?)
उत्तरम्:
सप्तकाण्डात्मकम् रामायणं नाम महाकाव्यम्। (रामायण महाकाव्य सात काण्डों वाला है।)

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