RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन से क्या आशय है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवायें तुरन्त क्रय करने के लिये प्रेरित करती हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संवर्द्धन विधियों में से किन्हीं चार का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • मुफ्त नमूनों का विवरण
  • प्रतियोगितायें
  • मूल्य पर विक्रय
  • कूपन

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 3.
व्यापारी संवर्द्धन विधियों में से किन्हीं चार का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • विक्रय प्रतियोगितायें
  • भत्ते
  • सभायें एवं सम्मेलन
  • प्रशिक्षण

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संवर्द्धन विधि से क्या समझते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता संवर्द्धन विधि से आशय उसे विधि से है जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं से सम्बन्धित होती है। तथा उन्हें अधिकाधिक मात्रा में माल को क्रय करने के लिये प्रेरित करती है।

प्रश्न 5.
व्यापारी संवर्द्धन विधि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यापारी संवर्द्धन विधि से तात्पर्य उस विधि से है जो मध्यस्थों (थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी आदि) को अधिकाधिक माल का क्रय करने एवं उसे विक्रय करने के लिये प्रोत्साहित करती है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 6.
विक्रय संवर्द्धन के महत्व के कोई दो बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय की प्रभावशीलता में वृद्धि।
  • उपभोक्ताओं के ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रतियोगिता विधि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रतियोगिता विधि में भाग लेने वाले अपनी युक्ति के आधार पर एक निश्चित आकांक्षा, जो साधारणतया विश्लेषणात्मक या उत्पादक होती है, को पूरा करते हुए पुरस्कार या पुरस्कारों को पाने के लिये स्पर्धा करते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन से विक्रय में वृद्धि होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आज का बाजार क्रेता पर आधारित है। बाजार में एक ही प्रकार की कई स्थानापन्न वस्तुयें होने के कारण गला काट प्रतिस्पर्धा को बोलवाला है। इन परिस्थितियों में व्यवसायी अपनी बिक्री बढ़ाने के लिये विभिन्न साधनों (नमूने, कूपन, धन वापसी प्रस्ताव, मूल्य में कमी, प्रीमियम, प्रतियोगितायें, प्रदर्शनी आदि) का प्रयोग करता है। जिससे विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय के बीच की दूरी कम होती है और विक्रय में वृद्धि होती है। इस प्रकार विक्रय संवर्द्धन, विक्रय वृद्धि का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 2.
विक्रय संवर्द्धन के महत्व के किन्हीं पाँच बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

1. विक्रय में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन के अन्तर्गत नमूने, कूपन, धन वापसी प्रस्ताव, मूल्य में कमी, प्रीमियम, प्रतियोगितायें, फैशन परेड आदि का आयोजन किया जाता है। इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप ग्राहकों का वस्तु की वृद्धि में विश्वास बढ़ता है तथा वे अधिक वस्तुयें खरीदने के लिये प्रोत्साहित होते हैं, जिससे विक्रय में वृद्धि होती है।

2. प्रतिस्पर्धा पर विजय प्राप्त करना – वर्तमान गलाकाट व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में व्यवसाय की सफलता के लिये व्यवसायी को क्या कुछ नहीं करना पड़ता, सर्वाधिक व्यावसायिक गलाकाट प्रतिस्पर्धा विक्रय के क्षेत्र में देखी जा सकती है। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा पर सफलता प्राप्त करने के लिये विक्रय संवर्द्धन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विक्रय संवर्द्धन के नये – नये कार्यक्रमों के द्वारा संस्था अपनी प्रतिस्पर्धी कम्पनियों से आगे निकल सकती है।

3. ख्याति में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन के अन्तर्गत विभिन्न प्रतियोगितायें, फैशन परेड का आयोजन आदि कार्यक्रमों के द्वारा वस्तु के ब्राण्ड की लोकप्रियता बढ़ती है और वह ब्राण्ड उपभोक्ताओं के मन में अपनी विशिष्ट पहचान बना लेता है जिससे संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है।

4. उपभोक्ताओं के ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि – जब सम्भावित ग्राहकों को वस्तु के मुफ्त नमूनों का वितरण एवं अन्य कार्यक्रमों के द्वारा वस्तु की गुणवत्ता एवं उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है तो उनके ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि होती है।

5. माँग का सृजन करना – विक्रय संवर्द्धन के माध्यम से व्यापारी उपभोक्ताओं के मन में ब्राण्ड के प्रति उत्सुकता उत्पन्न करता है तथा इन्हें ब्राण्ड के सम्बन्ध में शिक्षित करता है जिससे माँग का सृजन होता है।

प्रश्न 3.
व्यापारी संवर्द्धन की विधियों के किन्हीं पाँच बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

1. विक्रय प्रतियोगितायें – थोक व्यापारियों एवं फुटकर व्यापारियों को अधिक माल की बिक्री हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं जिसमें निर्माताओं द्वारा पुरस्कार दिये जाते हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक विक्रय प्रतियोगिता, सर्वश्रेष्ठ विक्रेता प्रतियोगिता, काउन्टर सजावट प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है।

2. भत्ते – निर्माताओं द्वारा थोक व्यापारी एवं फुटकर व्यापारियों का सहयोग प्राप्त करने के लिये उन्हें क्रय भत्ता, वस्तु भत्ता, विज्ञापन भत्ता, सजावट भत्ता आदि विभिन्न भत्ते प्रदान किये जाते हैं जिससे इन भत्तों के द्वारा मध्यस्थों के व्यय में कमी आती है तथा बिक्री में वृद्धि होती है।

3. फैशन शो – निर्माता, व्यापारियों द्वारा विक्रय की जाने वाली वस्तुओं का प्रचार करने के लिये फैशन शो का आयोजन करते हैं जिसमें वस्तुओं को नवीनतम एवं आकर्षक तरीकों के साथ प्रस्तुत किया जाता, है जिससे ग्राहक इन वस्तुओं को क्रय करने के लिये प्रेरित हो सके।

4. व्यापारी प्रीमियम – निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को एक निश्चित मात्रा में अथवा निश्चित मूल्य की वस्तुयें बेचने पर अथवा एक साथ बड़ी मात्रा में माल क्रय करने पर प्रीमियम के रूप में कोई अन्य वस्तु कम मूल्य पर या नि:शुल्क प्रदान की जाती है।

5. प्रबन्धन सहायता – प्रबन्धन सहायता से व्यापारियों की कार्यक्षमता में सुधार हेतु निर्माता मध्यस्थों को नवीन प्रबन्ध तकनीकों, सरकारी नीतियों, वित्तीय प्रबन्धन, विक्रय प्रबन्ध, संस्था की सजावट, ग्राहकों की आपत्तियों के निराकरण सम्बन्धी मामलों पर जानकारी एवं सलाह देता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संवर्द्धन की विधियों के किन्हीं पाँच बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

1. नमूने – नमूने विक्रय संवर्द्धन का एक महत्वपूर्ण उपकरण एवं प्रभावकारी उपाय है जिसमें एक उपभोक्ता को एक वस्तु का मुफ्त परीक्षण करने का वास्तविक प्रस्ताव किया जाता है। नमूनों की सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों, प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध में जाँच परख कर सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णय लें। सकता है।

2. प्रतियोगितायें – निर्माता उपभोक्ताओं को आकर्षित करने, नई वस्तु को बाजार में प्रस्तुत करने, प्रतिस्पर्द्धियों से आगे निकलने अथवा विक्रय में वृद्धि करने के लिये उपभोक्ताओं के लिये विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं तथा प्रतियोगिता में विजयी रहने वाले ग्राहकों को नकद राशि, कम्पनी उत्पाद, विदेश भ्रमण एवं पाँच सितारा होटल में रुकने की सुविधा प्रदान करते हैं।

3. कम मूल्य पर विक्रय – कम मूल्यों पर वस्तु की बिक्री करना उपभोक्ता संवर्द्धन का महत्वपूर्ण तरीका है। इसमें विशेष अवसरों पर, जैसे – दीपावली, नव वर्ष, दशहरा आदि अवसरों पर निर्माता द्वारा उत्पाद को सूची मूल्य से कम मूल्य पर बेचता है।

4. कूपन – कूपन एक प्रकार का प्रमाण – पत्र है। जब कभी – भी इसको भुगतान के लिये एक फुटकर दुकानदार के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगी तो इसके धारक को इसमें लिखी बचत एक खास वस्तु के क्रय करने पर हो जाएगी।

5. मेले एवं प्रदर्शनियाँ – मेले एवं प्रदर्शनियाँ विक्रय संवर्द्धन का महत्वपूर्ण साधन हैं, इनमें वस्तुओं को विशेष रूप से सजाकर रखा जाता है तथा वस्तु से सम्बन्धित हैण्ड बिल अथवा साहित्य को मुफ्त विवरण भी किया जाता है।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन से आप क्या समझते हैं? उपभोक्ता संवर्द्धन की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन:
विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवायें तुरन्त क्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इनमें विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार को छोड़कर अन्य सभी प्रवर्तन तकनीक सम्मिलित होती हैं। विक्रय संवर्द्धन की क्रियाओं को अन्य प्रवर्तन तकनीकों के पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
विलियम जे स्टेन्टन के अनुसार – “विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की माँग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणून निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती हैं।”

उपभोक्ता संवर्द्धन विधियाँ:
उपभोक्ता संवर्द्धन विधियों का सम्बन्ध उपभोक्ताओं से होता है जो उन्हें अधिकाधिक मात्रा में माल को क्रय करने के लिये प्रेरित करती है। इन संवर्द्धन विधि यिों को उपभोक्ता के निवास स्थान, कार्यालय अथवा मध्यस्थों की दुकानों पर क्रियान्वित किया जाता है। उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रमुख विधियाँ इस प्रकार हैं –

1. नमूने – नमूने विक्रय संवर्द्ध का एक महत्वपूर्ण उपकरण एवं प्रभावकारी उपाय है जिसमें एक उपभोक्ता को एक वस्तु का मुफ्त परीक्षण करने का वास्तविक प्रस्ताव किया जाता है। नमूनों की सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों, प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध से जाँच परख कर सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णय ले सकता है। नमूनों को मुफ्त वितरण घर – घर जाकर अथवा कार्यालयों, दुकानों, चौराहों पर किया जा सकती है। डाक द्वारा भी। सम्भावित ग्राहकों को नमूने भेजे जा सकते हैं। दवा विक्रेता डॉक्टरों को दवाइयाँ, पुस्तक प्रकाशकों द्वारा शिक्षकों को पुस्तके नमूने के रूप में देना. आदि इसके प्रमुख उदाहरण देखे जा सकते हैं।

2. प्रतियोगितायें – उपभोक्ता संवर्द्धन की इस विधि के अन्तर्गत निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को आकर्षित करने, नई वस्तु को बाजार में प्रस्तुत करने, प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने अथवा विक्रय में वृद्धि करने के लिये विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता में विजयी रहने वाले ग्राहकों को नकद राशि, कम्पनी का उत्पाद अथवा विदेश घूमने एवं पाँच सितारा होटल में रुकने की सुविधा प्रदान की जाती है।

3. कम मूल्य पर विक्रय – इस विधि में निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को दीपावली, संस्था का स्थापना वर्ष दिवस, नव वर्ष, दशहरा, गान्धी जयन्ती आदि विशेष अवसरों पर उत्पाद को सूची मूल्य में ‘दिए गए मूल्य से कम मूल्य पर बेचता है। यह प्रचलन एवं फैशन से बाहर हो गई वस्तुओं एवं पुराने स्टॉक को बेचने का सर्वाधिक प्रचलित तरीका है।’

4. कूपन – कूपन एक प्रकार का प्रमाण पत्र है। जब कभी भी इसको भुगतान के लिये एक फुटकर दुकानदार के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा तो इसके धारक को इसमें लिखी बचत एक खास वस्तु के क्रय करने पर प्राप्त हो जायेगी। कूपन में उपभोक्ता को वस्तु खरीदने पर कीमत में छूट दी जाती है अथवा कुछ मुफ्त वस्तु दी जाती। हैं। कूपन वस्तु की पैकिंग में रखे जा सकते हैं अथवा अखबार में प्रकाशित किये जा सकते हैं। राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर कूपन पद्धति का अपने पाठकों को बनाये रखने एवं उनका विस्तार करने में बखूबी उपयोग कर रहे हैं।

5. मेले एवं प्रदर्शनियाँ – उपभोक्ता संवर्द्धन विधि में मेले एवं प्रदर्शनियाँ एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावकारी साधन हैं। इनमें वस्तुओं को विशेष रूप से सजाकर रखा जाता है तथा वस्तु से सम्बन्धित हैण्डबिल अथवा साहित्य का मुफ्त वितरण भी किया जाता है। राष्ट्रीय पुस्तक मेला, स्वदेशी मेला, सहकारी वस्तुओं एवं हस्तशिल्प का मेला इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है।

6. प्रीमियम – प्रीमियम से अभिप्राय ग्राहकों द्वारा कोई वस्तु खरीदे जाने पर निर्माता द्वारा अतिरिक्त वस्तु प्रदान किये जाने से है। प्रीमियम के कारण ग्राहक वस्तु को खरीदने के लिये प्रेरित होते हैं। पेन्सिल के पैकेट के साथ रबर देना, टूथपेस्ट के पैकेट के साथ टूथ ब्रुश देना, अगरबत्ती के पैकट के साथ अगरबत्ती स्टैण्ड देना, टी.वी. खरीदने पर वी.सी.डी./डी.वी.डी देना आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

7. विक्रयोपरान्त सेवा – विक्रयोपरान्त सेवा ग्राहकों को क्रय हेतु प्रेरित करने का महत्वपूर्ण तरीका है। ग्राहक उस कम्पनी के उत्पाद को खरीदना पसन्द करता है जिसकी विक्रयोपरान्त सेवा अच्छी है। इसमें विक्रेता उपभोक्ता को विक्रय के पश्चात् निश्चित अवधि के लिये सेवा की गारन्टी देता है। इससे उस अवधि में ग्राहक वस्तु की देख – रेख, मरम्मत आदि के व्यय से बच जाता है। मशीन, पंखे, वाइक, कार, फ्रिज, आदि के निर्माताओं द्वारा इस विधि का प्रयोग सामान्यतः किया जाता है।

8. पैकेजिंग – आकर्षक एवं सुन्दर, पैकेजिंग से ग्राहक वस्तु को क्रय करने हेतु अधिक आकर्षित होते हैं। अच्छी पैकेजिंग द्वारा वस्तु की कीमत, ब्राण्ड, गुण, प्रयोग विधि आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। पैकेजिंग विशेष रूप से उपभोक्ता उत्पादों की विपणन की सफलता में विशेष भूमिका निभाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 2.
व्यापारी संवर्द्धन से क्या आशय है? व्यापारी संवर्द्धन की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यापारी संवर्द्धन:
व्यापारी संवर्द्धन में उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो व्यापारी को अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से वस्तुओं का विक्रय करने के लिए प्रेरित करती है। इसमें निर्माताओं द्वारा थोक व्यापारियों, फुटकर व्यापारियों को अधिकाधिक माल का क्रय करने एवं विक्रय करने के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जाता है।

व्यापारी संवर्द्धन की विधियाँ:
व्यापारी संवर्द्धन की निम्नलिखित विधियाँ हैं –

1. विक्रय प्रतियोगितायें – थोक व्यापारियों एवं फुटकर व्यापारियों को अधिक माल की बिक्री हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं जिसमें निर्माताओं द्वारा पुरस्कार दिये जाते हैं। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक विक्रय प्रतियोगिता, सर्वश्रेष्ठ विक्रेता प्रतियोगिता, काउन्टर सजावट प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है।

2. भत्ते – निर्माताओं द्वारा थोक व्यापारी एवं फुटकर व्यापारियों का सहयोग प्राप्त करने के लिए उन्हें क्रय भत्ता, वस्तु भत्ता, विज्ञापन भत्ता, सजावट भत्ता आदि विभिन्न भत्ते प्रदान किये जाते हैं। इन भत्तों के द्वारा मध्यस्थों के व्ययों में कमी आती है तथा बिक्री में वृद्धि होती है।

3. सभाएँ एवं सम्मेलन – सभा एवं संम्मेलन के आयोजन से निर्माता एवं व्यापारियों के पारस्परिक सहयोग में वृद्धि होती है जो विक्रय संवर्द्धन में सहायक है। सभा एवं सम्मेलन से मध्यस्थ अपनी समस्यायें निर्माता के सामने रखते हैं तथा आपसी विचार विमर्श द्वारा इन समस्याओं का समाधान खोजा जाता है। इन सभा एवं सम्मेलनों के माध्यम से निर्माता नवीन परिवर्तनों की जानकारी देता है तथा विक्रय नीति को स्पष्ट करता है।

4. प्रशिक्षण – प्रशिक्षण विक्रय संवर्द्धन में बहुत उपयोगी होता है निर्माता अपने मध्यस्थों व विक्रेताओं को वस्तु के सम्बन्ध में सामान्य तथा विशिष्ट प्रशिक्षण देते हैं। सामान्य प्रशिक्षण में विक्रय कला, व्यापार नीति एवं कार्य प्रणाली का ज्ञान कराया जाता है। विशिष्ट प्रशिक्षण तकनीकी वस्तुओं के सम्बन्ध में दिया जाता है जिसमें विक्रय कला एवं व्यापार नीति के साथ-साथ उत्पाद के तकनीकी एवं संचालन सम्बन्धी पहलुओं की जानकारी दी जाती है।

5. फैशन शो – निर्माता व्यापारियों द्वारा विक्रय की जाने वाली वस्तुओं का प्रचार करने के लिये फैशन शो का आयोजन करते हैं। फैशन शो द्वारा वस्तुओं को नवीनतम एवं आकर्षक तरीकों के साथ प्रस्तुत किया जाता है जिससे ग्राहक इन वस्तुओं को क्रय करने के लिए प्रेरित हो सके। परिधान, आभूषण एवं वाहन निर्माताओं द्वारा समय-समय पर फैशन शो का आयोजन किया जाता है।

6. व्यापारी प्रीमियम – निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को बिक्री के प्रति प्रोत्साहित करने हेतु प्रीमियम एक महत्वपूर्ण साधन है जिसमें निर्माता द्वारा व्यापारियों को एक निश्चित मात्रा में अथवा निश्चित मूल्य की वस्तुएँ बेचने पर अथवा एक साथ बड़ी मात्रा में माल क्रय करने पर प्रीमियम के रूप में मूल्यवान वस्तु निःशुल्क दी जाती है।

7. विशिष्ट सेवायें – निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को निश्चित अवधि के लिये उधार विक्रय की सुविधा प्रदान की जाती है जिससे मध्यस्थ व्यापारियों को पूँजी की व्यवस्था करने की चिन्ता नहीं करनी पड़ती है। इसी तरह निर्माता, वितरकों एवं व्यापारियों को विक्रय अथवा वापसी की सुविधा प्रदान करता है। विशिष्ट सेवाओं में व्यापारी द्वारा विक्रय संवर्द्धन का एक अन्य उपाय – मरम्मत सुविधायें प्रदान करना है जिसमें निर्माता वस्तु के खराब होने पर उसे व्यापारी के विक्रय स्थल पर ही मरम्मत करता है।

8. प्रबन्धन सहायता – व्यापारियों की कार्यक्षमता में सुधार एवं धन के अनुकूलतम उपयोग हेतु निर्माता मध्यस्थों को नवीन प्रबन्ध तकनीकों, सरकारी नीतियों, वित्तीय प्रबन्ध, विक्रय प्रबन्ध, संस्था की सजावट, ग्राहकों की आपत्तियों के निराकरण सम्बन्धी मामलों पर जानकारी एवं सलाह देता है।

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प्रश्न 3.
विक्रय संवर्द्धन क्या है? इसके महत्व को समझाइये।
उत्तर:
विक्रय संवर्धन:
विक्रय संवर्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवाएँ तुरन्त क्रय करने के लिए प्रेरित करती हैं। इनमें विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार को छोड़कर अन्य सभी प्रवर्तन तकनीक सम्मिलित होती हैं। विक्रय संवर्धन की क्रियाओं को अन्य प्रवर्तन तकनीकों के पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार – “विक्रय संवर्द्धन में वैयक्तिक विक्रय, विज्ञापन एवं प्रकाशन के अलावा वे समस्त अनियमित क्रियायें, जैसे – प्रदर्शन, दिखावा एवं प्रदर्शनी, क्रियात्मक प्रदर्शन आदि सम्मिलित की। जाती हैं जो उपभोक्ता की क्रय शक्ति तथा विक्रेता की प्रभावशीलता को प्रोत्साहित करती है।”

विक्रय संवर्द्धन का महत्व:
विक्रय संवर्द्धन उपभोक्ताओं, निर्माताओं, व्यापारियों एवं समाज के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय के बीच की दूरी को कम करके उन्हें प्रभावशाली बनाता है। विक्रय संवर्द्धन के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

1. विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय की प्रभावशीलता में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन योजनाओं (मूल्यों में नकद छूट, प्रतियोगितायें, मुफ्त तोहफे एवं मुफ्त नमूनों का वितरण, कूपन आदि) के कारण ग्राहक स्वयं व्यापारी के पास पहुँचकर वस्तु की माँग करता है जिससे विक्रेता को उपभोक्ता को समझाने, उनकी आपत्तियों का निराकरण करने एवं उन्हें क्रय करने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। विक्रय संवर्द्धन में उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों को विभिन्न प्रोत्साहन एवं स्कीम देकर विज्ञापन संदेश को विक्रय में बदला जा सकता है।

2. विक्रय में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन के अन्तर्गत नमूने कूपन, धन वापसी प्रस्ताव, मूल्य में कमी, प्रीमियम, प्रतियोगितायें, फैशन परेड आदि का आयोजन किया जाता है। इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप ग्राहकों का वस्तु के ब्राण्ड में विश्वास बढ़ता है तथा वे अधिक वस्तुयें खरीदने के लिये प्रोत्साहित होते हैं जिससे विक्रय में वृद्धि होती है।

3. प्रतिस्पर्धा पर विजय प्राप्त करना – वर्तमान गलाकाट व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में व्यवसाय की सफलता के लिए व्यवसायी को क्या कुछ नहीं करना पड़ता, सर्वाधिक व्यावसायिक गलाकाट प्रतिस्पर्धा विक्रय के क्षेत्र में देखी जा सकती है। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा पर सफलता प्राप्त करने के लिये विक्रय संवर्द्धन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विक्रय संवर्द्धन के नए – नए कार्यक्रमों द्वारा संस्था अपनी प्रतिस्पर्धी कम्पनियों से आगे निकल सकती है।

4. ख्याति में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन के अन्तर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं, फैशन परेड का आयोजन आदि कार्यक्रमों के द्वारा वस्तु के ब्राण्ड की लोकप्रियता बढ़ती है और वह ब्राण्ड उपभोक्ताओं के मन में अपनी विशिष्ट पहचान बना लेता है जिससे संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है।

5. उपभोक्ताओं के ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि – जब सम्भावित ग्राहकों को वस्तु के मुफ्त नमूनों का वितरण एवं अन्य कार्यक्रमों के द्वारा वस्तु की गुणवत्ता एवं उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है तो उनके ज्ञान एवं विश्वास में वृद्धि होती है।

6. लाभों में वृद्धि – विक्रय संवर्द्धन के विभिन्न कार्यक्रमों की सहायता से ग्राहक अधिक माल क्रय करने के लिये प्रेरित होते हैं जिससे विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय में वृद्धि होने से बढ़ी हुई माँग को पूरा करने के लिये वृहद स्तर पर उत्पादन करना पड़ता है। जब वृहद स्तर पर उत्पादन होता है तो प्रति इकाई लागत में कमी आती है तथा लाभों में वृद्धि होती है।

7. मध्यस्थों को अधिक सुविधायें – व्यवसाय के वितरण मार्ग में अनेक मध्यस्थ कार्यरत होते हैं जिनकी सन्तुष्टि परम आवश्यक है। विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उत्पादक मध्यस्थों को विभिन्न प्रकार की सुविधायें देते हैं, जैसे – फुटकर व्यापारी के नाम से विज्ञापन देना, दुकान की सजावट करना, मुफ्त वस्तुयें एवं भेंट देना आदि।

8. जीवन स्तर में सुधार – विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उपभोक्ताओं को छूट प्राप्त होने के कारण वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर मिल जाती हैं। परिणामस्वरूप उपभोक्ता अधिक एवं विविध वस्तुएँ खरीद पाते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।

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प्रश्न 4.
विक्रय संवर्द्धन की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को विक्रय के लिये व ग्राहकों को क्रय करने के लिए प्रेरित करना है। विक्रय सवंर्द्धन का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसलिये विक्रय संवर्द्धन के लिए विभिन्न प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतया प्रयोग में आने वाली विक्रय संवर्द्धन की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं –

1. छुट – इसके अन्तर्गत उत्पादों के अतिरिक्त स्टॉक को मूल्य कम करके बेचा जाता है, जैसेएक कार उत्पादक द्वारा कार को सीमित समय के लिए 10,000 की छूट पर बेचना।

2. कटौती – इसके अन्तर्गत उत्पाद को सूची मूल्य पर निश्चित प्रतिशत की दर से कम करके बेचा जाता है, जैसे – मोबाइल की बिक्री पर 20 प्रतिशत की छूट।

3. वापसी – मूल्य का कुछ भाग क्रय का प्रमाण प्रस्तुत करने पर वापस करना, जैसे – खाली रैपर वापस करने पर एक रुपया वापस करना। यह विधि सामान्य खाद्य पदार्थ तैयार करने वाली कम्पनियों द्वारा अपनाई जाती है।

4. उत्पादों का मिश्रण – किसी एक उत्पाद को क्रय करने पर दूसरे उत्पाद को उपहारस्वरूप मुफ्त में देना।

5. उपहार की अतिरिक्त मात्रा देना – इसमें क्रय किए जाने वाले उत्पाद की अतिरिक्त मात्रा मुफ्त उपहारस्वरूप दी जाती है। सामान्यतया इसका प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता कम्पनियाँ करती हैं।

6. तुरन्त ड्रा एवं उपहार – इसमें एक उत्पाद के साथ मिलने वाले कार्ड को खुरचकर या अन्य प्रकार से तुरन्त निकलने वाली चीज प्रदान कर दी जाती हैं।

7. लक्की ड्रा – इसमें उत्पाद के साथ एक कूपन दिया जाता है तथा बाद में बहुत से कूपनों के एकत्रित होने पर निश्चित संख्या में उनमें से ड्रा निकाला जाता है तथा ड्रा में निकली वस्तु प्रदान कर दी जाती है।

8. उपयोग योग्य लाभ – इसमें उपयोग करने हेतु लाभ प्रदान किया जाता है। जैसे – 1,000 से अधिक का माल खरीदने पर छूट वाउचर प्राप्त करें।

9. शून्य प्रतिशत पर वित्तीयन – कभी – कभी विपणनकर्ता कुछ टिकाऊ वस्तुओं को किस्तों पर उधार देते हैं तथा उधार के लिए कोई ब्याज वसूल नहीं करते हैं। यह विधि इलैक्ट्रॉनिक तथा ऑटोमोबाइल वस्तुओं पर अधिकांशतया लागू होती हैं।

10. नमूनों का वितरण – किसी नये ब्राण्ड को बाजार में लाते समय सम्भावित ग्राहकों को उत्पाद के नमूनों का मुफ्त वितरण करके उसका परिचय कराया जाता है।

11. प्रतियोगिता – इसके अन्तर्गत प्रतियोगिताओं का आयोजन करके कौशल देखा जाता है या किस्मत आजमाई जाती है। जैसे – किसी पहेली को हल करने पर उत्पाद की एक इकाई प्रदान करना।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बाजार की गला काट प्रतिस्पर्धा की परिस्थितियों में विक्रय हेतु प्रयोग किया जाता है –
(अ) विज्ञापन का
(ब) व्यक्तिगत विक्रय का
(स) विक्रय संवर्द्धन का
(द) उपरोक्त सभी का

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प्रश्न 2.
“विज्ञापन एवं विक्रय प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाने के लिए जिन संगठित प्रयासों की सहायता ली जाती है उन्हें विक्रय संवर्द्धन कहते हैं।” यह कथन है –
(अ) विलियम जे. स्टेन्टन का
(ब) जार्ज डब्ल्यू. हापकिन्स का
(स) हेनरी फोर्ड का
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3.
विक्रय संवर्द्धन उपयोगी है –
(अ) उपभोक्ताओं के लिए
(ब) निर्माताओं के लिए
(स) व्यापारियों के लिए
(द) सभी के लिए

प्रश्न 4.
विक्रय संवर्द्धन से वस्तु की बिक्री पर क्या प्रभाव पड़ता है –
(अ) वृद्धि होती है।
(ब) कमी होती है।
(स) स्थिर रहती है।
(द) इनमें से कोई नहीं

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प्रश्न 5.
विक्रय संवर्द्धन से लाभ है –
(अ) लाभों में वृद्धि
(ब) ख्याति में वृद्धि
(स) जीवन स्तर में सुधार
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 6.
विक्रय संवर्द्धन का लाभ नहीं है –
(अ) मध्यस्थों को कम सुविधाएँ
(ब) लाभों में वृद्धि
(स) ख्याति में वृद्धि
(द) विक्रय में वृद्धि

प्रश्न 7.
विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उत्पाद मध्यस्थों को सुविधाएँ प्रदान करते हैं –
(अ) विज्ञापन की
(ब) दुकान सजावट की
(स) मुफ्त वस्तुएँ एवं भेंट देने की
(द) उपरोक्त सभी की

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प्रश्न 8.
उपभोक्ता संवर्द्धन की विधियाँ हैं –
(अ) मुफ्त नमूनों का वितरण
(ब) प्रतियोगितायें
(स) कूपन
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 9.
उपभोक्ता संवर्द्धन की विधि नहीं है –
(अ) प्रतियोगिता
(ब) भत्ते
(स) विक्रयोपरान्त सेवा
(द) पैकेजिंग

प्रश्न 10.
विक्रय संवर्द्धन को वह कौनसा साधन है जिसमें ग्राहक को प्रयोग करने के लिए वस्तु मुफ्त प्राप्त होती है –
(अ) कूपन
(ब) धन वापसी प्रस्ताव
(स) नमूने
(द) प्रतियोगिताएँ।

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प्रश्न 11.
व्यापारी संवर्द्धन विधियाँ प्रेरित करती हैं –
(अ) निर्माता को
(ब) मध्यस्थों को
(स) उपभोक्ताओं को
(द) उपरोक्त सभी को

प्रश्न 12.
व्यापारी संवर्द्धन विधियाँ हैं –
(अ) विक्रय प्रतियोगिताएँ
(ब) भत्ते
(स) सभायें/सम्मेलन
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 13.
व्यापारी संवर्द्धन विधियाँ नहीं हैं –
(अ) फैशन शो
(ब) प्रशिक्षण
(स) व्यापारी प्रीमियम
(द) इनमें से कोई नहीं

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प्रश्न 14.
निर्माताओं द्वारा मध्यस्थों का सहयोग प्राप्त करने हेतु दिया जाता है –
(अ) क्रय भत्ता
(ब) वस्तु भत्ता
(स) विज्ञापन भत्ता
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15.
निर्माता द्वारा व्यापारी को दी जाने वाली विशिष्ट सेवायें हैं –
(अ) साख – सुविधा।
(ब) वापस क्रय गारन्टी सुविधा
(स) मरम्मत सुविधा
(द) उपरोक्त सभी।

उत्तरमाला:
1. (द)
2. (ब)
3. (द)
4. (अ)
5. (द)
6. (अ)
7. (द)
8. (द)
9. (ब)
10. (स)
11. (ब)
12. (द)
13. (द)
14. (द)
15. (द)

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा की बिक्री में वृद्धि करना।

प्रश्न 2.
संकुचित अर्थ में विक्रय संवर्द्धन का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन से आशय ऐसी क्रियाओं से है जो वैयक्तिक विक्रय में सहायक होती हैं।

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प्रश्न 3.
विलियम जे. स्टेन्टन ने विक्रय संवर्द्धन को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की माँग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणन निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती हैं।

प्रश्न 4.
विक्रय संवर्द्धन से संस्था की ख्याति में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों द्वारा वस्तु के ब्राण्ड की लोकप्रियता बढ़ने के कारण संस्था की ख्याति बढ़ती है।

प्रश्न 5.
उपभोक्ताओं को वस्तु के गुणों एवं उपयोग के बारे में जानकारी कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन क्रियायें प्रोत्साहन कार्यक्रमों का उपयोग करके।

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प्रश्न 6.
निर्माता अपनी वस्तु के लिए नए – नए बाजारों में प्रवेश कैसे कर सकता है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों की सहायता से।

प्रश्न 7.
विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उत्पादक मध्यस्थों को कौन – कौन – सी सुविधाएँ प्रदान करते हैं?
उत्तर:
फुटकर व्यापारी के नाम से विज्ञापन देना, दुकान की सजावट करना, मुफ्त वस्तुएँ एवं भेंट देना आदि।

प्रश्न 8.
विक्रय संवर्द्धन से उपभोक्ताओं के जीवन स्तर में सुधार कैसे होता है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रमों में उपभोक्ताओं को छूट मिलने से वस्तुएँ सस्ती मिल जाती हैं। परिणामस्वरूप उपभोक्ता अधिक एवं विविध वस्तुएँ खरीद पाते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।

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प्रश्न 9.
विक्रय संवर्द्धन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को विक्रय के लिए व ग्राहकों को क्रय करने के लिए प्रेरित करता है।

प्रश्न 10.
विक्रय संवर्द्धन के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों को क्यों अपनाया जाता है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन का क्षेत्र व्यापक होने के कारण विभिन्न प्रकार के तरीकों को अपनाया जाता है।

प्रश्न 11.
उद्देश्य के आधार पर विक्रय संवर्द्धन की कौन – कौन – सी विधियाँ हैं?
उत्तर:

  • उपभोक्ता संवर्द्धन विधियाँ।
  • व्यापारी संवर्द्धन विधियाँ।

प्रश्न 12.
वस्तु की प्रकृति के आधार पर विक्रय संवर्द्धन को कितने भागों में वर्गीकृत किया है? नाम बताइए।
उत्तर:

  • उपभोक्ता वस्तु संवर्द्धन विधियाँ
  • औद्योगिक संवर्द्धन विधियाँ।

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प्रश्न 13.
विक्रय क्षेत्र के आधार पर निर्माता विक्रय संवर्द्धन की कौन – कौन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
विक्रय क्षेत्र के आधार पर निर्माता देशी व्यापार विक्रय संवर्द्धन एवं निर्यात व्यापार विक्रय संवर्द्धन विधियों का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 14.
उपभोक्ता संवर्द्धन विधियों में ‘नमूने’ से क्या आशय है?
उत्तर:
‘नमूने’ विक्रय संवर्द्धन का एक उपकरण हैं जिसमें एक उपभोक्ता को एक वस्तु का मुफ्त परीक्षण करने का वास्तविक प्रस्ताव किया जाता है।

प्रश्न 15.
मुफ्त नमूनों के वितरण से उपभोक्ताओं को क्या लाभ है?
उत्तर:
मुफ्त नमूनों के वितरण की सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों, प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध में जाँच परख सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णय ले सकता है।

प्रश्न 16.
नमूने के वितरण में ध्यान रखने हेतु कोई एक बात बताइए।
उत्तर:
नमूने आकर्षक एवं जांच करने योग्य होने चाहिए।

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प्रश्न 17.
निर्माताओं द्वारा किन विशेष अवसरों पर घटे मूल्यों पर विक्रय किया जाता है?
उत्तर:
दीपावली, संस्था का स्थापना दिवस, नववर्ष, गान्धी जयन्ती आदि विशेष अवसरों पर।

प्रश्न 18.
कूपन क्या है?
उत्तर:
कूपन एक प्रकार का प्रमाण पत्र है। जब कभी भी इसको भुगतान के लिए एक फुटकर दुकानदार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तो इसके धारक को इसमें लिखी बचत एक खास वस्तु के क्रय करने पर दी जाएगी ।

प्रश्न 19.
उपभोक्ता प्रीमियम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोक्ता प्रीमियम से अभिप्राय ग्राहक द्वारा कोई वस्तु खरीदे जाने पर निर्माता द्वारा अतिरिक्त वस्तु प्रदान किए जाने से है।

प्रश्न 20.
उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रीमियम विधि के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:

  • पेन्सिल के पैकेट के साथ रबर देना।
  • टी.वी. खरीदने पर वी.सी.डी./डी.वी.डी. देना आदि।

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प्रश्न 21.
उपभोक्ता संवर्द्धन विधियों में अतिरिक्त मात्रा उपहार स्वरूप विधि क्या है?
उत्तर:
इस विधि में निर्माता उपभोक्ताओं को उत्पाद की अतिरिक्त मात्रा उपहार में देता है। यह सामान्यत: सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता उपयोग करते हैं, जैसे – फेयर एण्ड लवली क्रीम पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त देना।

प्रश्न 22.
निर्माताओं द्वारा विक्रय प्रतियोगिताओं का आयोजन क्यों किया जाता है?
उत्तर:
व्यापारियों को अधिक माल बेचने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विक्रय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

प्रश्न 23.
निर्माताओं द्वारा मध्यस्थों को कौन-कौन से भत्ते प्रदान किए जाते हैं?
उत्तर:
क्रय भत्ता, वस्तु भत्ता, विज्ञापन भत्ता एवं सजावट भत्ता आदि।

प्रश्न 24.
विज्ञापन भत्ता से क्या आशय है?
उत्तर:
विज्ञापन भत्ता से आशय व्यापारी द्वारा किए जा रहे विज्ञापन का कुछ खर्च निर्माता द्वारा वहन करना।

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प्रश्न 25.
निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को सजावट भत्ता क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
वस्तुओं को सुन्दर तरीके से सजाकर रखने से ग्राहक दुकान की ओर आकर्षित होते हैं जिससे बिक्री में वृद्धि होती है। इसीलिये निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को सजावट भत्ता दिया जाता है।

प्रश्न 26.
विक्रय संवर्द्धन में सभा एवं सम्मेलन के आयोजन से मध्यस्थों को क्या लाभ है?
उत्तर:
सभा या सम्मेलन के माध्यम से मध्यस्थ अपनी समस्याओं को निर्माताओं के समक्ष आसानी से रख सकते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 27.
व्यापारी संवर्द्धन विधि में ‘सामान्य प्रशिक्षण’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
व्यापारी संवर्द्धन विधि में सामान्य प्रशिक्षण में विक्रय कला, व्यापार नीति एवं कार्य प्रणाली का ज्ञान कराया जाता है।

प्रश्न 28.
निर्माताओं द्वारा व्यापारियों को प्रदान की जाने वाली दो विशिष्ट सेवाओं को बताइय।
उत्तर:

  • व्यापारियों को उधार क्रय की सुविधा प्रदान करना।
  • मरम्मत सुविधा प्रदान करना।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन विक्रय वृद्धि का एक महत्वपूर्ण उपाय है स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाजार में विभिन्न डिजाइनों, रंगों, किस्मों तथा स्थानापन्न वस्तुएँ पाई जाती हैं जिसके कारण आज गला काट प्रतिस्पर्धा का बोलबाला है इन परिस्थितियों में विक्रय वृद्धि हेतु विभिन्न साधनों यथा – विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय एवं विक्रय संवर्द्धन विक्रय वृद्धि का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

प्रश्न 2.
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन ने विक्रय संवर्द्धन को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
“विक्रय संवर्द्धन में वैयक्तिक विक्रय, विज्ञापन एवं प्रकाशन के अलावा वे समस्त अनियमित क्रियायें, जैसे – प्रदर्शन, दिखावी एवं प्रदर्शनी, क्रियात्मक प्रदर्शन आदि सम्मिलित की जाती हैं जो उपभोक्ता की क्रय शक्ति तथा विक्रेता की प्रभावशीलता को प्रोत्साहित करती हैं।”

प्रश्न 3.
विक्रय संवर्द्धन से वैयक्तिक विक्रय की प्रभावशीलता में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन योजनाओं (मूल्यों में नकद छूट, विक्रय प्रतियोगितायें, मुफ्त तोहफे एवं मुफ्त नमूनों का वितरण, कूपन) के कारण ग्राहक स्वयं व्यापारी के पास पहुँचकर वस्तु की माँग करता है फलस्वरूप विक्रेता को उपभोक्ता को समझाने, उसकी आपत्तियों का निराकरण करने एवं उन्हें क्रय करने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 4.
विक्रय संवर्द्धन से लाभों में वृद्धि होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजनों से ग्राहकों को अधिक माल क्रय करने हेतु प्रेरित किया जाता है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है। विक्रय में वृद्धि होने से बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए वृहद स्तर पर उत्पादन करना पड़ता है, बड़े पैमाने पर उत्पादन होने से प्रति इकाई लागत में कमी होने से लाभों में वृद्धि होती है।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता संवर्द्धन विधि ‘मेले एवं प्रदर्शनी’ पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मेले एवं प्रदर्शनियाँ विक्रय संवर्द्धन का महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली साधन हैं। इनमें वस्तुओं को विशेष रूप से सजाकर रखा जाता है तथा वस्तु से सम्बन्धित हैण्डबिल अथवा साहित्य का मुफ्त वितरण भी किया जाता है। राष्ट्रीय पुस्तक मेला, स्वदेशी मेला, सरकारी वस्तुओं एवं हस्तशिल्प का मेला इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

प्रश्न 6.
क्रियात्मक प्रदर्शन क्या है?
उत्तर:
क्रियात्मक प्रदर्शन ग्राहकों के सन्देहों का निवारण करने का महत्वपूर्ण साधन है। इसमें निर्माता अपने शोरूम पर अथवा मेले प्रदर्शनी में वस्तु को उपयोग में लेने का प्रदर्शन करता है। तकनीकी प्रकृति की वस्तुओं, जैसे टी.वी. रेफ्रीजरेटर, कम्प्यूटर, मिक्सी, वाशिंग मशीन आदि बेचने में इसका प्रयोग किया जाता है। क्रियात्मक प्रदर्शन के द्वारा उपभोक्ता स्वयं भी वस्तु का प्रयोग करके देख सकता है।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 7.
क्रय भत्ता एवं वस्तु भत्ता को समझाइए।
उत्तर:

  • क्रय भत्ता – यह भत्ता व्यापारी को एक निश्चित अवधि में निश्चित मात्रा का माल क्रय करने पर निर्माता द्वारा दिया जाता है, जैसे – ₨. 2 लाख का माल एक साथ खरीदने पर मिलने वाला भत्ता।
  • वस्तु भत्ता – जब व्यापारी को केवल एक ही निर्माता द्वारा वस्तु भत्ता दिया जाता है, जैसे विभिन्न कम्पनियों के कपड़े रखने के स्थान पर केवल बॉम्बे डाइंग का कपड़ा रखने पर माल भत्ता।

प्रश्न 8.
आप किस प्रकार कह सकते हैं कि सभायें एवं सम्मेलनों के आयोजनों से निर्माता एवं व्यापारियों में सहयोग बढ़ता है?
उत्तर:
सभा एवं सम्मेलन का आयोजन विक्रय संवर्द्धन हेतु निर्माताओं द्वारा समय – समय पर किया जाता है, इन सम्मेलनों तथा सभाओं में मध्यस्थ अपनी समस्यायें निर्माता के सामने रखते हैं तथा आपसी विचार द्वारा इन समस्याओं का समाधान खोजते हैं। निर्माता भी अपने उत्पाद के परिवर्तनों से अवगत कराता है तथा अपनी विक्रय नीतियों को स्पष्ट करता है। इस प्रकार के आयोजनों से निर्माता एवं व्यापारियों में सहयोग बढ़ता है जो विक्रय संवर्द्धन में सहायक होता है।

प्रश्न 9.
व्यापारी संवर्द्धन की प्रबन्धन सहायता’ विधि को समझाइए।
उत्तर:
प्रबन्धन सहायता विधि में निर्माता मध्यस्थों को नवीन प्रबन्ध तकनीकों, सरकारी नीतियों, वित्तीय प्रबन्ध, विक्रय प्रबन्ध, संस्था की सजावट, ग्राहकों की आपत्तियों के निराकरण सम्बन्धी मामलों पर जानकारी एवं सलाह देते हैं। जिससे व्यापारियों की कार्यक्षमता में सुधार होती है तथा वे अपने धन का अनुकूलतम प्रयोग कर पाते हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)

प्रश्न 1.
मुफ्त नमूनों के वितरण से आप क्या समझते हैं? नमूने वितरण में किन – किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तर:
मुफ्त नमूनों का विवरण उपभोक्ता संवर्द्धन का महत्वपूर्ण एवं प्रभावकारी साधन है। इसकी सहायता से उपभोक्ता वस्तु के गुणों, प्रयोग व उपयोगिता के सम्बन्ध में जाँच परख कर सकता है तथा उसे खरीदने का निर्णय लें। सकता है। मुफ्त नमूनों का वितरण ब्राण्ड को बाजार में लाते समय संभावित ग्राहकों को किया जाता है। यह वितरण घर – घर जाकर अपना अथवा कार्यालयों दुकानों, चौराहों पर किया जा सकता है तथा डाक द्वारा भी भेजा जा सकता है।
नमूने वितरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

  • नमूने वस्तु का सही प्रतिनिधित्व करने वाले हों अन्यथा माल से भिन्न होने पर संस्था की ख्याति को ठेस लगने का भय रहता है।
  • नमूने आकर्षक एवं जाँच करने योग्य होने चाहिए।
  • नमूने पर ‘विक्रय’ के लिए नहीं अथवा ‘नमूने’ की प्रति शब्द अंकित करना चाहिए जिससे उसका दुरुपयोग नहीं हो सके।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 7 विक्रय संवर्द्धन

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संवर्द्धन की प्रतियोगिता विधि क्या है? इसमें कौन – कौन – सी प्रतियोगितायें हो सकती हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता संवर्द्धन की इस विधि के अन्तर्गत निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं को आकर्षित करने, नई वस्तु का बाजार में प्रस्तुत करने, प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने अथवा विक्रय में वृद्धि करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होने के लिए उपभोक्ताओं को क्रय की गई वस्तु का कैशमेमो अथवा वस्तु की पैकिंग का कोई हिस्सा संलग्न करना होता है। प्रतियोगिता में विजयी रहने वाले ग्राहकों को नकद राशि, कम्पनी का उत्पाद, विदेश भ्रमण या पाँच सितारा होटल में रुकने की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इसमें निम्न प्रतियोगितायें हो सकती हैं –

  • ग्राहकों को वस्तु का चित्र देकर वस्तु का शीर्षक अथवा नाम पूछना। सर्वश्रेष्ठ शीर्षक – ध्नाम देने वाले को पुरस्कार दिया जाता है।
  • वस्तु के बारे में नारा पूछना।
  • उपभोक्ताओं से पहेलियों को हल करवाना।
  • वस्तु के बारे में ग्राहकों से पत्र लिखवाना, एस.एम.एस. लेना।
  • वस्तु से सम्बन्धित अधूरा वाक्य पूरा करांना आदि।

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रय संवर्द्धन से क्या आशय है? यह विज्ञापन से किस प्रकार भिन्न है। वर्णन कीजिये।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन से आशय:
विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु अथवा सेवाएँ तुरन्त क्रय करने के लिए प्रेरित करती है। इनमें विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार को छोड़कर अन्य सभी प्रवर्तन तकनीकी सम्मिलित होती हैं। विक्रय संवर्द्धन की क्रियाओं को अन्य प्रवर्तन तकनीकों के पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

1. विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार – “विक्रय संवर्द्धन से आशय विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार के अतिरिक्त उन संवर्द्धनात्मक क्रियाओं से है जो ग्राहक की मांग को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थों के विपणन निष्पादन में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती हैं।”

2. जार्ज डब्ल्यू. हॉपकिन्स के अनुसार – “विज्ञापन एवं विक्रय प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाने के लिए जिन संगठित प्रयासों की सहायता ली जाती है उन्हें विक्रय संवर्द्धन कहते हैं।”

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि विक्रय संवर्द्धन में उन्हीं क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो फर्म की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कम अवधि में प्रोत्साहन के लिए की जाती हैं। ये विक्रय प्रयास अनियमित होते हैं जो उपभोक्ताओं को अधिक क्रय करने तथा व्यापारी को अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से वस्तुओं का विक्रय करने के लिए प्रेरित करते हैं।
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 7 1

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies