RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 18 दस्त एवं ज्वर में आहार

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 दस्त एवं ज्वर में आहार

RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) दीर्घकालीन दस्त के रोगी को कैसा आहार देना चाहिए?
(अ) कार्बोजविहीन
(ब) रेशेविहीन
(स) प्रोटीन विहीन
(द) इनमें से में कोई नहीं
उत्तर:
(ब) रेशेविहीन

(ii) अल्पकालीन दस्त की अवधि होती है –
(अ) 4 – 8 घंटे
(ब) 14 -18 घंटे
(स) 24 – 48 घंटे
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) 24 – 48 घंटे

(iii) मध्यकालीन ज्वर है –
(अ) चिकिन पॉक्स
(ब) टायफाइड
(स) मलेरिया
(द) टी. बी.
उत्तर:
(अ) चिकिन पॉक्स

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. …………सप्ताह या उससे अधिक अवधि तक रहने वाले दस्त को दीर्घकालीन दस्त कहते हैं।
2. यदि दस्त लम्बे समय तक चलता है तो……….., …………एवं…………का क्षय काफी अधिक हो जाता है।
3. द्रव एवं आवश्यक लवणों की कमी से शरीर में…………हो सकता है।
4. निर्जलीकरण से बचने के लिए W. H. O. द्वारा प्रस्तावित…………दिया जाना चाहिए।
5. शारीरिक तापक्रम के बढ़ने एवं तंतुओं के अत्यधिक क्षय होने से ऊर्जा की माँग…………तक बढ़ जाती है।

उत्तर:
1. दो
2. द्रव, लवण
3. निर्जलीकरण
4. O. R. S.
5. 50 प्रतिशत

प्रश्न 3.
O.R.S. क्या है? इसकी बनाने की विधि लिखिए।
उत्तर:
निर्जलीकरण से बचने के लिए एवं जल तथा आवश्यक लवणों की भली – भाँति आपूर्ति हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (W. H. O.) द्वारा O. R. S. (ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशन) प्रस्तावित किया गया है।

O. R. S. घोल बनाने की विधि:
इस घोल को बनाने के लिए सर्वप्रथम पानी को उबालकर ठंडा करें एवं 200 मिली. (1 गिलास) पानी में O. R. S. का एक छोटा पैकेट (5.7 ग्राम) डालें एवं भली – भाँति मिलायें। बड़े O. R. S. के पैकेट (28.5 ग्राम) को एक लीटर पानी में घोलें। O. R. S. का घोल बनाने के बाद 24 घंटे के अन्दर ही प्रयोग में लें। घोल की अधिक आवश्यकता होने पर नया घोल बना लें। 24 घंटे पुराना घोल काम में न लें।

O. R. S. की मात्रा, आयु एवं निर्जलीकरण पर निर्भर करती है। शिशुओं एवं बच्चों को 24 घंटे में 1- 2 लीटर (5 -10 गिलास) O. R. S. दिया जाना चाहिए। वयस्कों को उतने ही समय में 2 – 4 लीटर (10 – 20 गिलास) O. R. S. दिया जा सकता है। O. R. S. के 1 लीटर घोल में सोडियम क्लोराइड 3.5 ग्राम, पोटैशियम क्लोराइड 1 – 5 ग्राम, सोडियम सिट्रेट 2. 9 ग्राम एवं डैक्स्ट्रोज शर्करा 20. 0 ग्राम होती है।

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प्रश्न 4.
अल्पकालीन दस्त एवं दीर्घकालीन दस्त में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अल्पकालीन दस्त एवं दीर्घकालीन दस्त में निम्नलिखित अंतर होते हैं –
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प्रश्न 5.
ज्वर क्या है? ज्वर की स्थिति में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ज्वर – शरीर के तापक्रम का सामान्य तापक्रम से अधिक हो जाना अर्थात् शारीरिक तापक्रम में 98.4°F से बढ़ जाना, ज्वर या बुखार कहलाता है। ज्वर की स्थिति में होने वाले शारीरिक परिवर्तन निम्नलिखित हैं –

  • ज्वर होने की स्थिति में शरीर की आहारीय उपापचय दर में वृद्धि हो जाती है।
  • ग्लाइकोजन एवं वसीय तन्तुओं का क्षय हो जाने के कारण शरीर में एकत्रित संग्रहीत भण्डार में कमी आ जाती है।
  • प्रोटीन का उपापचय बढ़ जाता है जिससे गुर्दो को अधिक मात्रा में यूरिया मूत्र के रूप में उत्सर्जित करना पड़ता है, जिससे गुर्दो पर अनावश्यक कार्य बढ़ जाता है।
  • ज्वर में पसीना अधिक आता है। इसके फलस्वरूप शरीर से पसीने के रूप में जल, सोडियम क्लोराइड तथा पोटेशियम आदि खनिज लवण शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे व्यक्ति कमजोर व नि:शक्त हो जाता है।
  • ज्वर में श्वसन क्रिया की गति तीव्र हो जाती है।
  • श्वाँस गति बढ़ने से फेफड़े तथा रक्त परिसंचरण संस्थान को भी अधिक कार्य करना पड़ता है।
  • ज्वर के कारण पाचन तंत्र में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं जिसके कारण भूख नहीं लगती है। भोजन भी देर में पचता है।
  • भोजन को देखते ही जी मिचलाने लगता है तथा खाना खाने की इच्छा समाप्त हो जाती है।
  • अधिक समय तक ज्वर रहने पर व्यक्ति कुपोषित हो जाता है।
  • शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है जिससे अन्य संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आमाशय एवं आंत्र की मांसपेशियों की सामान्य क्रियाशीलता के लिए अत्यन्त आवश्यक है –
(अ) सोडियम
(ब) पोटेशियम
(स) क्लोराइड
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) पोटेशियम

प्रश्न 2.
दस्त होने पर शरीर में निम्न विटामिनों की कमी पाई जाती है
(अ) राइबोफ्लेविन, विटामिन A, विटामिन C
(ब) विटामिन D, विटामिन B6, विटामिन K
(स) विटामिन B12, फोलिक एसिड, नियासिन
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) विटामिन B12, फोलिक एसिड, नियासिन

प्रश्न 3.
दीर्घकालीन दस्त की अवधि होती है –
(अ) दो सप्ताह या उससे अधिक
(ब) 1 सप्ताह या उससे अधिक
(स) 3 सप्ताह या उससे अधिक
(द) चार सप्ताह या उससे अधिक
उत्तर:
(अ) दो सप्ताह या उससे अधिक

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प्रश्न 4.
अल्पकालीन दस्त में रोगी कितने बार मल विसर्जित करता है?
(अ) 4 – 5 बार
(ब) अनेक बार
(स) 6 – 7 बार
(द) 3 – 4 बार
उत्तर:
(ब) अनेक बार

प्रश्न 5.
कमजोरी एवं शारीरिक वजन में कमी की पूर्ति हेतु ऊर्जा की माँग में कितनी अतिरिक्त वृद्धि की जानी चाहिए?
(अ) 10 – 15 प्रतिशत
(ब) 5 – 10 प्रतिशत
(स) 10 – 20 प्रतिशत
(द) 20 – 25 प्रतिशत
उत्तर:
(स) 10 – 20 प्रतिशत

प्रश्न 6.
शरीर का सामान्य तापक्रम होता है –
(अ) 98.4°F
(ब) 97°F
(स) 97.4°F
(द) 99°F
उत्तर:
(अ) 98.4°F

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. दस्त एवं ज्वर सामान्य रूप से…………रोग है।
2. शिशु एवं बच्चों के लिए दस्त…………बन सकते हैं।
3. ऊर्जा की बढ़ी हुई माँग को पूरा करने के लिए उच्च…………युक्त आहार लेना चाहिए।
4. दीर्घकालीन ज्वर की तीव्रता अपेक्षाकृत…………होती है।
5. अवधि एवं तीव्रता के आधार पर ज्वर को…………प्रकारों में बाँटा जा सकता है।
6. ज्वर में फेफड़े तथा रक्त…………तंत्र को…………कार्य करना पड़ता है।
उत्तर:
1. संक्रामक
2. जानलेवा
3. कार्बोज
4. कम
5. तीन
6. परिसंचरण, अधिक।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दूषित वायु एवं जल से होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • दस्त
  • ज्वर।

प्रश्न 2.
दस्त की अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन लिखिए।
उत्तर:
इस अवस्था में विभिन्न जीवाणु एवं बाहरी तत्व आमाशय एवं आँत की श्लेष्मा में जलन एवं सूजन उत्पन्न कर देते हैं।

प्रश्न 3.
अवधि एवं तीव्रता के आधार पर दस्त कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
अवधि एवं तीव्रता के आधार पर दस्त दो प्रकार के होते हैं –

  • अल्पकालीन दस्त
  • दीर्घकालीन दस्त।

प्रश्न 4.
पानी की कमी एवं लवणों के असंतुलन से शरीर में होने वाली समस्याएँ लिखिए।
उत्तर:
1. भूख न लगना
2. वमन होना
3. सुस्ती एवं मांसपेशियों की कमजोरी होना।

प्रश्न 5.
शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
उत्तर:
शरीर में जल एवं आवश्यक लवणों की कमी हो जाती है। शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 6.
दस्त के समय रोगी को भूखा क्यों नहीं रखना चाहिए?
उत्तर:
दस्त के समय रोगी के शरीर से द्रव, लवण एवं तन्तु प्रोटीन का अधिक मात्रा में क्षय होने के कारण निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है। इसलिए रोगी व्यक्ति को थोड़े – थोड़े समय पश्चात् कुछ-न-कुछ तरल भोज्य पदार्थ अवश्य देना चाहिए।

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प्रश्न 7.
W. H. O. से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
W. H. O. से अभिप्राय है – विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation)।

प्रश्न 8.
ओ. आर. एस. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
O. R. S. (ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशन; Oral Rehydration Solution)

प्रश्न 9.
दस्त की स्थिति में सुधार होने पर दिया जाने वाला आहार लिखिए।
उत्तर:
दस्त की स्थिति में सुधार होने पर थोड़ी-थोड़ी देर में अल्पमात्रा में तरल व अर्द्ध ठोस सुपाच्य भोज्य पदार्थ दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 10.
ज्वर क्या है?
उत्तर:
शरीर के तापक्रम का सामान्य तापक्रम (98.4° F) से अधिक होना बुखार कहलाता है।

प्रश्न 11.
अल्पकालीन ज्वर के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:

  • चिकिन पॉक्स
  • टायफाइड की स्थिति में आने वाले ज्वर।

प्रश्न 12.
लम्बे ज्वर की स्थिति में एक वयस्क व्यक्ति के आहार में प्रोटीन की मात्रा बताइए।
उत्तर:
लम्बे ज्वर की स्थिति में एक वयस्क व्यक्ति के आहार में 100 ग्राम अथवा उससे कुछ अधिक प्रोटीन की मात्रा होनी चाहिए।

प्रश्न 13.
ज्वर की स्थिति में ऊर्जा, प्रोटीन, कार्बोज, खनिज लवण एवं विटामिन की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ज्वर की स्थिति में ऊर्जा, प्रोटीन, कार्बोज, खनिज लवण एवं विटामिन ए एवं सी की माँग बढ़ जाती है।

प्रश्न 14.
ज्वर उतर जाने की स्थिति में रोगी को कैसा आहार देना चाहिए?
उत्तर:
ज्वर उतर जाने की स्थिति में रोगी को ऊर्जा युक्त आहार दिया जाना चाहिए।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ज्वर की स्थिति में रोगी व्यक्ति को भोजन देते समय किन-किन महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:

  • ज्वर की स्थिति में रोगी का भोजन वसा युक्त नहीं होना चाहिए।
  • भोजन में अधिक मिर्च – मसालों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
  • भोजन संतुलित होना चाहिए।
  • भोजन में सादे तरल पेय पदार्थों का समावेश होना चाहिए।
  • आहार में अधिक ऊर्जा एवं अधिक प्रोटीनयुक्त भोज्य पदार्थों का समावेश होना चाहिए।
  • भोजन में पर्याप्त नमक एवं फलों का रस दिया जाना चाहिए जिससे पसीने के रूप में खनिज लवणों तथा जल के अत्यधिक उत्सर्जन की पूर्ति हो सके।

प्रश्न 2.
किन परिस्थितियों में ऊर्जा की माँग 50% तक बढ़ जाती है?
उत्तर:
निम्न परिस्थितियों में ऊर्जा की माँग 50% तक बढ़ जाती है –

  • ज्वर में शारीरिक तापक्रम बढ़ने से।
  • तन्तुओं के अत्यधिक क्षय के कारण।
  • उपापचय दरं में वृद्धि के कारण।
  •  बेचैनी एवं अस्थिरता के कारण।

प्रश्न 3.
दस्त की स्थिति में शरीर में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:

  • दस्त की स्थिति में पोषक तत्वों का अवशोषण पूर्णरूप से न होने के कारण व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है।
  • द्रव एवं आवश्यक लवणों की कमी से निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है।
  • निर्जलीकरण अधिक लम्बे समय तक रहने की स्थिति में व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।
  • पानी की कमी एवं लवणों के असंतुलन से भूख न लगना, वमन, सुस्ती एवं मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • दस्त के लम्बे समय तक चलने पर तन्तु प्रोटीन का क्षय होने लगता है एवं रक्त में प्रोटीन का स्तर भी कम हो जाता
  • लौह तत्वों की कमी भी दस्त के समय हो जाती है।
  • दस्त में मल सहित विटामिनों के निकलने व इनकी पूर्णरूपेण आपूर्ति न होने से विटामिन B12, ए, फोलिक अम्ल व नियासिन की कमियाँ भी हो जाती हैं।

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प्रश्न 4.
ज्वर से क्या अभिप्राय है? ज्वर को कितने प्रकारों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
शरीर के तापक्रम का सामान्य तापक्रम से अधिक होना अर्थात् शारीरिक तापक्रम में 98.4°F से बढ़ोत्तरी हो जाना ज्वर अथवा बुखार कहलाता है।

ज्वर के प्रकार:
अवधि एवं तीव्रता के आधार पर ज्वर तीन प्रकार का होता है –

(क) अल्पकालीन ज्वर:
इस प्रकार के ज्वर की तीव्रता बहुत अधिक होती है, किन्तु यह अल्प समय तक ही रहता है; जैसे – सर्दी, जुकाम, चिकन पॉक्स, टायफाइड आदि के कारण होने वाला ज्वर।

(ख) दीर्घकालीन ज्वर:
इस ज्वर की तीव्रता अपेक्षाकृत कम होती है, किन्तु यह काफी लम्बे समय तक रहता है; जैसे-तपेदिक या राजयक्ष्मा रोग में आने वाले ज्वर।

(ग) मध्यमकालीन ज्वर:
जैसे – मलेरिया रोग में आने वाला ज्वर।

प्रश्न 5.
अल्पकालीन ज्वर एवं दीर्घकालीन ज्वर में अन्तर स्पष्ट करिए।
उत्तर:

  • अल्पकालीन ज्वर की तीव्रता बहुत अधिक होती है, जबकि दीर्घकालीन ज्वर की तीव्रता अल्पकालीन ज्वर की अपेक्षा कम होती है।
  • तक रहता है; जैसे – तपेदिक अथवा राजयक्ष्मा आदि में।
  • अल्पकालीन ज्वर से पीड़ित व्यक्ति का ज्वर 102° – 103° तक पहुँच जाता है, जबकि दीर्घकालीन ज्वर से पीड़ित व्यक्ति का ज्वर 100°- 101° तक ही रहता है।
  • अल्पकालीन ज्वर की तीव्रता अधिक होने के कारण कभी – कभी रोगी मूर्च्छित अवस्था में भी हो जाता है, जबकि दीर्घकालीन ज्वर की स्थिति में रोगी प्रायः असामान्य स्थिति को प्राप्त नहीं होता है।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ज्वर की स्थिति में विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
(1) ऊर्जा:
ज्वर की स्थिति में आहार, रोग स्वभाव एवं तीव्रता पर निर्भर करता है। शारीरिक तापक्रम एवं तन्तुओं के अत्यधिक क्षय के कारण ऊर्जा की माँग 50 प्रतिशत बढ़ जाती है। बेचैनी एवं अस्थिरता भी ऊर्जा की माँग को बढ़ा देती है।

(2) प्रोटीन:
प्रोटीन का उपापचय अधिक होने से प्रोटीन की माँग बढ़ जाती है। ज्वर की अवधि लम्बी होने की स्थिति में एक वयस्क व्यक्ति के लिए प्रोटीन की आहारिक मात्रा 100 ग्राम या इससे कुछ अधिक प्रस्तावित की गई है।

(3) कार्बोज:
ज्वर की स्थिति में यकृत एवं वसीय ऊतकों में संगृहीत ग्लाइकोजन भण्डार में कमी आने से कार्बोज की माँग बढ़ जाती है।

(4) जल एवं खनिज लवण:
शरीर से पसीने के रूप में जल एवं खनिज लवणों का उत्सर्जन होता है अतः इनकी माँग बढ़ जाती है।

(5) विटामिन:
ज्वर में विटामिन ए एवं सी की माँग बढ़ जाती है, साथ ही एक ऊर्जा माँग के अनुपात में बी-समूह के कुछ विटामिनों की आवश्यकता भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 2.
ज्वर में पोषणिक आवश्यकताओं का उल्लेख करिए।
उत्तर:
ज्वर में पोषणिक आवश्यकताएँ –

  •  ज्वर में भूख कम लगने के कारण व्यक्ति का आहार संतुलित एवं स्वादिष्ट होना चाहिए।
  • ज्वर से ग्रसित व्यक्ति में यकृत एवं वसीय ऊतकों में संग्रहीत ग्लाइकोजन के भण्डार में कमी आने के कारण कार्बोज की माँग में वृद्धि होती है, जिसकी पूर्ति अधिक शर्करायुक्त आहार देकर की जानी चाहिए।
  • ज्वर की स्थिति में व्यक्ति का पाचन व अवशोषण सुगमता से हो सके, इसलिए आहार में ऊर्जा एवं प्रोटीन युक्त पदार्थों की अधिकता एवं वसा युक्त भोज्य पदार्थ कम होने चाहिए।
    बुखार के कुछ कम होने पर सादा ठोस किन्तु नरम भोज्य पदार्थ; जैसे – दलिया, खिचड़ी, खीर आदि दिये जाने चाहिए एवं ज्वर के उतर जाने पर आहार में धीरे – धीरे परिवर्तन कर उसे सामान्य आहार दिया जाना चाहिए।
  • अत्यधिक तेज ज्वर की स्थिति में सादे तरल पेय पदार्थ जैसे-ग्लूकोज का पानी, फलों का छना हुआ रस, सब्जियों एवं दालों का सूप आदि दिये जाने चाहिए।
  • पाचन तंत्र पर अनावश्यक भार न पड़े और पर्याप्त संतुलित आहार भी मिलता रहे, इसके लिए 2 – 3 घंटे के अन्तराल में थोड़ा-थोड़ा आहार देते रहना चाहिए।
  • ज्वर से ग्रस्त व्यक्ति को तले – भुने एवं मिर्च – मसाले वाले पदार्थ नहीं देने चाहिए।
  • शरीर से पसीने के रूप में जल एवं खनिज लवणों के अत्यधिक उत्सर्जन की परिपूर्ति करने के लिए भोजन में पर्याप्त नमक एवं फलों का रस दिया जाना चाहिए।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 18 प्रयोगात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दस्त के रोगी की परिवर्तित आहार – तालिका बनाइए।
उत्तर:
दस्त के रोगी की आहार- तालिका
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प्रश्न 2.
ज्वर के रोगी की एक दिन की आहार-तालिका बनाइए।
उत्तर:
ज्वर के रोगी की एक दिन की परिवर्तित आहार-तालिका निम्न प्रकार है –
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प्रश्न 3.
छात्राएँ अध्यापिका की सहायता से कक्षा में जीवन-रक्षक घोल बनाएँ।
उत्तर:
छात्राएँ कक्षा में जीवन-रक्षक घोल तैयार करेंगी।

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