RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986

RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम निम्न में से किस वर्ष में लागू किया गया –
(अ) 1956
(ब) 1965
(स) 1986
(द) 2001
उत्तर:
(स) 1986

(ii) उपभोक्ता संरक्षण कानून का मुख्य उद्देश्य है –
(अ) वस्तुओं को सस्ते दाम पर उपलब्ध करवाना
(ब) नकली माल को पकड़वाना
(स) उपभोक्ता को बेहतर संरक्षण देना
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) उपभोक्ता को बेहतर संरक्षण देना

(iii) यह अधिनियम किस स्थिति में लागू नहीं होगा –
(अ) वस्तु पुनः बिक्री या व्यापार के लिए खरीदी गई हो
(ब) वस्तु में कोई दोष पाया गया हो
(स) वस्तु व सेवा का उपभोग उपभोक्ता स्वयं कर रहा हो ..
(द) वस्तु का मूल्य बढ़ाकर माँगा गया हो
उत्तर:
(अ) वस्तु पुनः बिक्री या व्यापार के लिए खरीदी गई हो

(iv) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत निम्न का प्रावधान है –
(अ) अर्द्धन्यायिक तंत्र की स्थापना
(ब) उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति दिलाना
(स) उपभोक्ताओं की शिकायतों को शीघ्र, सरल तरीके से तथा कम समय एवं खर्चों में दूर करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

(v) अर्द्धन्यायिक तंत्र के विभिन्न स्तर निर्भर करते हैं –
(अ) वस्तु या सेवा की मात्रा पर
(ब) मुआवजे के प्रकार पर
(स) मुआवजे की वित्तीय सीमा पर
(द) वस्तु के क्षेत्र की सीमा पर
उत्तर:
(स) मुआवजे की वित्तीय सीमा पर

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस ………… को मनाया जाता है?
(2) जिला मंच के निष्कर्षों को न मानने पर विरोधी पक्ष को न्यायालय द्वारा ………… मिल सकती है।
(3) उपभोक्ता को शिकायत के साथ एक …………. भी देना होगा।
(4) अपनी शिकायत की पुष्टि हेतु आपके पास सभी जरूरी…….. का होना आवश्यक है।
(5) यदि मुआवजा 20,00,000 रु. से कम है तो अपनी शिकायत ………… में दायर करवायें।
(6) जब किसी वस्तु या सेवा में ………… पाया जाए तक शिकायत दर्ज करवायें।
उत्तर:
(1) 24 दिसम्बर
(2) सजा
(3) शपथ-पत्र
(4) दस्तावेजों
(5) जिला मंच
(6) दोष।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये –
(1) सुरक्षा का अधिकार
(2) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
(3) नियंत्रित व्यापार नीतियाँ
(4) अर्द्धन्यायिक तंत्र
उत्तर:
(1) सुरक्षा का अधिकार (Right to safety):
प्रत्येक उपभोक्ता को ऐसी किसी भी वस्तु के क्रय-विक्रय के विरुद्ध शिक्षा पाने का अधिकार है, जो उसके जीवन के लिए हानिकारक साबित हो। प्रत्येक प्रकार की हानिकारक वस्तु से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, विशेषकर–बिजली के उपकरण, दवाएँ, खाने का रंग, साबुन, सौन्दर्य प्रसाधन इत्यादि।

(2) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to consumer education):
उपभोक्ता को अपना पक्ष सुदृढ़ करने के लिए सभी प्रकार की वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है, जिससे उसे वस्तु की दरों, गुणवत्ता, मूल्य आदि का ज्ञान प्राप्त हो। इसके लिए समय-समय पर कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जो उपभोक्ता को शिक्षा प्रदान करते हैं।

(3) नियंत्रित व्यापार नीतियाँ:
नियंत्रित व्यापार नीतियाँ व्यापारियों द्वारा बनाई गई वे नीतियाँ हैं जिनके द्वारा व्यापारी उपभोक्ता का शोषण करते हैं तथा सामूहिक रूप से अपने स्तर पर किसी वस्तु इत्यादि का मूल्य बढ़ा देते हैं। इन नीतियों को अपने स्वार्थ को पूर्ण करने के लिए अपनाया जाता है।

(4) अर्द्ध-न्यायिक तंत्र:
उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में तीन स्तरीय अर्द्धन्यायिक तंत्र की स्थापना की गई है, जो जिला मंच, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग के तीन स्तरों पर कार्य करता है। 20,00,000 रु. तक की धनराशि का मुकदमा जिला मंच में, 20,00,000 से 1 करोड़ तक राज्य आयोग तथा 1 करोड़ से अधिक के केस राष्ट्रीय आयोग में दायर किये जाते हैं।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता अपनी शिकायत को कब दर्ज करवा सकता है?
उत्तर:
उपभोक्ता निम्नलिखित परिस्थितियों में शिकायत दर्ज करवा सकता है –

  • व्यापारियों द्वारा नियंत्रित व्यापार नीति अथवा उनके गलत व्यापार से घाटा होने पर।
  • किसी वस्तु अथवा सेवा में दोष अथवा हानि होने पर।
  • व्यापारी द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य माँगने पर।
  • उपभोक्ता वस्तु खरीदने के दो वर्ष के अंदर शिकायत कर सकता है।

प्रश्न 5.
शिकायत दर्ज करवाने से पूर्व उपभोक्ता को क्या आवश्यक कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करवाने से पूर्व निम्नलिखित कदम अवश्य उठाने चाहिए –

  • समस्त संबंधित दस्तावेज; जैसे-दुकान का बिल, गारंटी कार्ड, वारंटी कार्ड, व्यापारी द्वारा दिया गया पत्र का जवाब इत्यादि शिकायत की पुष्टि हेतु एकत्रित कर लें।
  • एक बार व्यापारी को शिकायत की सूचना भेजें. तथा इसके निवारण हेतु 15 दिन का समय दें।
  • उपभोक्ता न्यायालय का औपचारिक फॉर्म भरें जिसका प्रारूप निम्न प्रकार है
  • आवेदन-पत्र में दी गई सूचना को शपथ-पत्र पर पुनः लिखकर नोटरी पब्लिक से सत्यापन कराकर पुनः संलग्न करना चाहिए।
  • शिकायत में जितने विरोधी पक्षकार है उतनी ही शिकायत की प्रतियाँ अलग से संलग्न करें।
  •  शिकायत के समर्थन में प्रार्थी को एक शपथ-पत्र सादे कागज पर प्रस्तुत करना चाहिए।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ताओं को किस प्रकार बेहतर संरक्षण प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ताओं को बेहतर संरक्षण-निम्नलिखित प्रकार से दिया जाता है –

  • उपभोक्ता शिक्षा द्वारा उपभोक्ता को जागरूक व सुदृढ़ बनाना।
  • तीन स्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तंत्र की स्थापना।
  • शिकायतकर्ता को पूर्ण मुआवजा दिलवाना।

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  • विरोधी पक्ष द्वारा शिकायतकर्ता को वह रकम भी दिलवाना जो उसकी उपेक्षा के कारण उपभोक्ता को वहन करनी पड़ी।
  • उपभोक्ता के अधिकारों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करना।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता कानून के लागू होने के इतने वर्षों बाद भी आज उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसके कारणों की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता कानून के पूर्ण लाभ न मिल पाने के कारण
(1) उपभोक्ता का जागरूक न होना:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के पारित होने के काफी समय बाद भी उपभोक्ता जागरूक नहीं हुए हैं। वे विज्ञापनों के भ्रम में पड़कर तथाकथित गुणवत्ता युक्त वस्तु को खरीद लेते हैं। वस्तु खरीदते समय वे वस्तु की दरों, गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य आदि पर अधिक ध्यान नहीं देते, साथ ही हानि होने पर व्यापारियों के विरुद्ध शिकायत भी दर्ज नहीं कराते जिससे उपभोक्ताओं की अधिनियम के बारे में अनभिज्ञता प्रकट होती है।

(2) उपभोक्ता का अशिक्षित होना:
मनुष्य के विकास में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है। उपभोक्ता के अशिक्षित होने के कारण कोई भी व्यापारी उसे आसानी से ठग लेता है, क्योंकि उसके अशिक्षित होने से उसे अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है।

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(3) न्याय मिलने में देरी:
उपभोक्ता, उपभोक्ता संरक्षण के अन्तर्गत शिकायत करने से दूर भागते हैं, क्योंकि इसमें उनका समय एवं श्रम अधिक लगता है। समय से न्याय न मिल पाने में कारण उपभोक्ता हताश होकर शिकायत ही नहीं करते।

(4) कानून सम्बन्धी जानकारी का अभाव:
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव होने के कारण जन-सामान्य कानून सम्बन्धी जानकारी का लाभ नहीं उठा पाते और हानि झेलते रहते हैं। ..

(5) उपभोक्ता शिक्षा का अभाव-उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू होने के बावजूद भी उपभोक्ता शिक्षा का अभाव पाया जाता है। उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों का ज्ञान ही नहीं होता जिसके कारण उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। अत: यह आवश्यक है कि प्रत्येक उपभोक्ता को अपने अधिकारों के बारे में पूर्ण जानकारी हो, जिससे उपभोक्ताओं को उपभोक्ता अधिनियम का लाभ मिल सके।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया गया –
(अ) 25 दिसम्बर
(ब) 1 दिसम्बर
(स) 24 दिसम्बर
(द) 15 दिसम्बर
उत्तर:
(स) 24 दिसम्बर

प्रश्न 2.
उपभोक्ता अधिनियम के अर्न्तगत उपभोक्ता को अधिकार है –
(अ) सुरक्षा का
(ब) चयन का
(स) सुनवाई का
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उद्देश्य है –
(अ) उपभोक्ता को बेहतर संरक्षण देना
(ब) उपभोक्ता की शिकायतों को शीघ्र, सरल तरीके से कम खर्च में दूर करना
(स) उपभोक्ता के अधिकारों को महत्त्व देना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
वस्तु खरीदने के दिनांक के कितने साल के भीतर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है –
(अ) 2 साल
(ब) 3 साल
(स) 4 साल
(द) 5 साल
उत्तर:
(अ) 2 साल

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प्रश्न 5.
उपभोक्ता अधिनियम के अर्न्तगत कितने दिनों के भीतर विवाद का निस्तारण करने का प्रावधान है –
(अ) 20
(ब) 50
(स) 90
(द) 100
उत्तर:
(स) 90

प्रश्न 6.
यदि मुआवजे के राशि 20,00,000 रु. से कम है तो शिकायत दर्ज होगी –
(अ) जिला संघ में
(ब) राज्य आयोग में
(स) राष्ट्रीय आयोग में
(द) इनमें से किसी में नहीं
उत्तर:
(अ) जिला संघ में

प्रश्न 7.
यदि मुआवजे की राशि 1 करोड़ से अधिक है तो शिकायत दर्ज होगी –
(अ) जिला मंच में
(ब) राज्य आयोग में
(स) राष्ट्रीय आयोग में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) राष्ट्रीय आयोग में

प्रश्न 8.
यदि कोई व्यापारी आपको 25 ग्राम वस्तु न देकर कम-से-कम आधा किलो के लिये बाध्य करे तो यह है –
(अ) नियन्त्रित व्यापार नीति
(ब) अनियन्त्रित व्यापार नीति
(स) गलत, अवैध व्यापार नीति
(द) ये सभी।
उत्तर:
(ब) अनियन्त्रित व्यापार नीति

प्रश्न 9.
वस्तु के पैकेट पर लिखा मूल्य कहलाता है –
(अ) खुदरा
(ब) अधिकतम खुदरा
(स) मूल्य / इकाई
(द) थोक मूल्य।
उत्तर:
(ब) अधिकतम खुदरा

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प्रश्न 10.
वस्तु में दोष का पता चलते ही आपको सबसे पहले निम्नलिखित में से क्या करना चाहिए?
(अ) व्यापारी को पत्र भेजें जिसमें शिकायत एवं मुआवजे का वर्णन हो
(ब) उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय में अपना विवाद प्रस्तुत करें
(स) व्यापारी से झगड़ा कर वस्तु / सेवा को बदलवाएँ
(द) चुपचाप अपनी किस्मत को दोष देकर बैठे रहें।
उत्तर:
(अ) व्यापारी को पत्र भेजें जिसमें शिकायत एवं मुआवजे का वर्णन हो

प्रश्न 11.
सचना का अधिकार अधिनियम किस वर्ष में लाग किया गया?
(अ) 2000
(ब) 2002
(स) 2004
(द) 20051
उत्तर:
(द) 20051

प्रश्न 12.
प्रार्थना-पत्र देने के बाद कितने दिनों में नागरिक सूचना प्राप्त कर सकता है’ –
(अ) 15
(ब) 20
(स) 45.
(द) 90.
उत्तर:
(ब) 20

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(1) …………….दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया गया।
(2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत वे वस्तुएँ नहीं आती जो उपभोक्ता को……………प्राप्त होती हैं।
(3) उपभोक्ताओं की शिकायतों को दूर करने के लिए इस अधिनियम में तीन स्तरीय………………..तंत्र की स्थापना की गई है।
(4) अधिनियम में शिकायत प्राप्त करने के ……………….. दिनों के अन्दर विवाद का निस्तारण कर दिए जाने का प्रावधान है।
(5) यदि मुआवजा ……………… से अधिक है तो शिकायत राज्य आयोग में दर्ज की जाएगी।
(6) यदि मुआवजा 1 करोड़ से अधिक है तो शिकायत …………….. में दर्ज होगी।
(7) जन-सूचना अधिकारी को आवेदन प्राप्ति के …………… दिन के अन्दर आवेदन को सूचना देनी होगी।
(8) भाव-ताव करना; लॉटरी खोलकर सामान देना; प्रतियोगिता करवाना आदि सभी ………. व्यापार नीतियाँ हैं।
(9) वह व्यक्ति जो किसी वस्तु / सेवा का क्रय करता है …………….’कहलाता है।
(10) प्रत्येक उपभोक्ता को शुद्ध…………..में रहने का अधिकार है।
(11) यदि उपभोक्ता उत्पादक की वस्तु से संतुष्ट नहीं है तथा उसकी शिकायत जायज है तो उसे …………..का अधिकार प्राप्त है।
(12) सूचना का अधिकार अधिनियम ……………. में पारित किया गया।
उत्तर:
(1) 24
(2) निशुल्क
(3) अर्ध न्यायिक
(4) 90
(5) 20,00,000
(6) राष्ट्रीय आयोग
(7) 30
(8) अवैध
(9) उपभोक्ता
(10) वातावरण
(11) क्षतिपूर्ति
(12) 2005

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर संरक्षण प्रदान करना है।

प्रश्न 2.
क्षतिपूर्ति के अधिकार में किस प्रकार का प्रावधान है?
उत्तर:
क्षतिपूर्ति के अधिकार में उपभोक्ता को हर्जाना प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता किसी भी वस्तु अथवा सेवा की शिकायत किस अवधि में कर सकता है?
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तु खरीदने की दिनांक से ठीक दो साल के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

प्रश्न 4.
1 करोड़ से अधिक मूल्य वाले केस की सुनवाई कहाँ होती है?
उत्तर:
1 करोड़ से अधिक मूल्य वाले मुकदमे राष्ट्रीय आयोग में सुने जाते हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता कानून किन वस्तुओं पर लागू नहीं होता है?
उत्तर:
नि:शुल्क वस्तुएँ तथा सेवाएँ इसके दायरे में नहीं आती हैं।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता कानून का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता को बेहतर संरक्षण प्रदान करना।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उद्देश्य

  • उपभोक्ता को व्यापारियों द्वारा ठगी का शिकार होने से बचाना।
  • न्यायालयी व्यवस्था द्वारा उसके हितों की रक्षा करना।

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प्रश्न 8.
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब होता है?
उत्तर:
24 दिसम्बर को।

प्रश्न 9.
सुरक्षा का अधिकार क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक उपभोक्ता को ऐसे माल के क्रय-विक्रय के विरूद्ध सुरक्षा पाने का अधिकार हैं जो जीवन के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 10.
बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति का अधिकार क्या है?
उत्तर:
मनुष्य के लिए जीवन की आवश्यक वस्तुएँआवास, वस्त्र, भोजन, बिजली आदि की प्राप्ति, बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति का अधिकार कहलाता है।

प्रश्न 11.
सूचना का अधिकार क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता को खरीदने वाली वस्तु से संबंधित सभी जानकारी जैसे शुद्धता, गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य व अन्य मानक आदि के बारे में सूचना पाने का अधिकार है।

प्रश्न 12.
चयन के अधिकार से आप.क्या समझते
उत्तर:
उपभोक्ता को वस्तुओं के पूरे बाजार में अपनी पसन्द की गुणवत्ता, मात्रा एवं अन्य मानको पर पूर्ण वस्तु का | चयन करने का अधिकार है।

प्रश्न 13.
सुनवाई का अधिकार क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता द्वारा किसी वस्तु या सेवा के उपयोग में त्रुटि या दोष आने पर सही मंच पर शिकायत दायर करने पर उवकी सुनवाई होने का अधिकार है।

प्रश्न 14.
स्वस्थ एवं सुरक्षित वातावरण का अधिकार क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक उपभोक्ता को ऐसे वातावरण में रहने का अधिकार है जो दूषित न हो। यदि आस-पास का वातावरण किसी कारखाने या उद्योग से दूषित होता है तो उपभोक्ता को उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है।

प्रश्न 15.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत उपभोक्ताओं की शिकायत को कौन दूर करता है?
उत्तर:
तीन स्तरीय अर्द्धन्यायिक तंत्र।

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प्रश्न 16.
जिला मंच एवं राज्य आयोग कौन स्थापित करता है?
उत्तर:
राज्य सरकार।

प्रश्न 17.
उपभोक्ता अधिनियम के अन्तर्गत कितनी अवधि में विवाद का निस्तारण किया जाता है?
उत्तर:
90 दिन।

प्रश्न 18.
मुआवजे की कितनी राशि होने पर मामले की सुनवाई जिला मंच में होती है?
उत्तर:
20,00,000 रु. से कम।

प्रश्न 19.
यदि मुआवजे की राशि 20,00,000 से 1 करोड़ के बीच में हो तो मामले की सुनवाई कहां होगी?
उत्तर:
राज्य आयोग में।

प्रश्न 20.
जन सूचना अधिकारी को कितने दिन में आवेदक को सूचना देनी होती है?
उत्तर:
जन सूचना अधिकारी को आवेदन पत्र प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर आवेदन को सूचना देनी होती है।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता के लिए चयन के अधिकार का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह विभिन्न प्रकार की व अच्छी किस्म की वस्तुओं जो विभिन्न गुणवत्ता, मात्रा तथा सुविधाओं सहित उपलब्ध हैं, उनमें से मनपसन्द वस्तु खरीदे। यदि व्यापारी उपभोक्ता को अधिक लाभ वाली कुछ वस्तु दिखाकर उसके गुण अधिक बताता है तो उपभोक्ता को अपने अनुसार वस्तु चयन का अधिकार है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ? इसके क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सन् 1986 में पारित हुआ। इस अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान कर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उद्देश्य-इस अधिनियम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –

  • इस अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ताओं के अधिकारों को सर्वोपरि रखा गया है।
  • उपभोक्ताओं को उत्तम संरक्षण प्रदान करना।
  • यह कानून वर्तमान कानूनों की भाँति एकात्मक व विवेचक नहीं हैं। इसके उपबन्धों में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था है।
  • इसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं की शिकायतों की शीघ्र व सरल तरीके से तथा कम खर्च में समाधान की व्यवस्था होती है।
  •  इसमें केन्द्र और राज्य में उपभोक्ता संरक्षण परिषद् (Consumer protection council) स्थापित करने का भी प्रावधान है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की वृद्धि करके उनकी रक्षा करना है।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर एक तीन स्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गई है।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के कौन-कौन से क्षेत्र हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के क्षेत्र-इस अधिनियम के निम्नलिखित क्षेत्र हैं –

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम राजकीय, सार्वजनिक या सरकारी सभी क्षेत्रों पर लागू होता है।
  • यह अधिनियम सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है, केवल वही वस्तुएँ कर के अन्तर्गत नहीं आतीं जो उपभोक्ताओं को नि:शुल्क प्राप्त होती हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति वस्तु को सेवा / व्यापार की दृष्टि से खरीदता है तो उस पर यह अधिनियम लागू नहीं होगा।

जैसे-किसी ने एक गाड़ी खरीदी और वह उसे टैक्सी के रूप में प्रयोग करता है और कार में कोई दोष है तो वह इस कानून के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति का हकदार नहीं होगा। यदि वही गाड़ी गृहस्थी के लिए काम में आती है तो यह कानून उसे संरक्षण प्रदान करेगा।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण के अन्तर्गत शिकायत किसे सन्दर्भित करायी जाती है, यह समझाइये।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण के अन्तर्गत शिकायत दर्ज करवाते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है –

(1) शिकायत दर्ज करवाने से पहले उपभोक्ता को सभी सम्बन्धित कागज जैसे-दुकान का बिल, गारण्टी कार्ड, वारंटी कार्ड, व्यापारी द्वारा पत्र व्यवहार के दौरान दिया गया जवाब आदि एकत्रित कर लेने चाहिए, जिससे उपभोक्ता द्वारा की जाने वाली शिकायत की पुष्टि की जा सके।

(2) उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज करने से पहले उपभोक्ता एक पत्र पंजीकृत ए. डी. द्वारा विरोधी पार्टी को भेजे जिसमें वह अपनी शिकायत का वर्णन करते हुए उसका निवारण करने हेतु लिखे। इसके लिये इसे कम से कम 15 दिन का समय दें क्योंकि एक अच्छा व्यापारी उपभोक्ता द्वारा की गई शिकायत का निवारण अवश्य कर देगा और उसको उपभोक्ता न्यायालय तक जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि वह ऐसा करने से मना करे, तब विवाद का निष्कर्ष उपभोक्ता न्यायालय द्वारा ही दिया जायेगा।

(3) उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज कराने के लिए एक औपचारिक फार्म भरा जाता है।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता संरक्षण के अन्तर्गत शिकायत दर्ज कराने के बाद कौन-कौन सी प्रक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण के अन्तर्गत शिकायत दर्ज कराने के बाद निम्नलिखित प्रक्रियाएँ पूरी होती हैं

  • शिकायत प्राप्त होने के बाद शिकायत पत्र की एक प्रति विरोधी पक्ष को देते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि वह एक निश्चित समयावधि में मामले के बारे में अपना वक्तव्य रखे।
  • यदि विरोधी इन सभी आरोपों को गलत बताता है तो ऐसी दशा में जिला मंच द्वारा इस विवाद के निपटाने के लिए कार्यवाही की जाती है।
  • यदि वस्तु वास्तव में खराब है और जाँच की जरूरत है तो इस वस्तु का एक डिब्बा सीलबन्द करके प्रयोगशाला में जिला मंच द्वारा भेजा जाता है, साथ ही प्रयोगशाला अधिकारी को यह निर्देश दिया जाता है कि वस्तु की परीक्षा रिपोर्ट 45 दिन के अन्दर जिला मंच को भेज दी जाये।
  • परीक्षण का शुल्क शिकायतकर्ता द्वारा जो कि वह वहन कर सके जिला मंच में जमा करवाया जाता है। जमा रकम जिला मंच द्वारा प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजी जाती है। वहाँ से प्राप्त रिपोर्ट विरोधी पक्ष को भेज दी जाती है। जमा की उस राशि को उपभोक्ता विपक्षी पार्टी से वसूल कर लेता है। .
  • विरोधी पक्ष द्वारा जब विरोध किया जाता है तो उसे अपना पक्ष रखने के लिए एक और अवसर दिया जाता है।

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प्रश्न 6.
उपभोक्ता अधिनियम की क्या विशेषताएँ है?
उत्तर:
उपभोक्ता अधिनियम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • उपभोक्ताओ द्वारा शिकायतों की सुनवाई एवं समाधान हेतु इस अधिनियम में तीन स्तरीय अर्धन्यायिक तंत्र की स्थापना की गई है। ये तीनों स्तर मुआवजे की वित्तीय सीमाओं पर निर्भर करते हैं 7 यदि मुआवजा 20,00,000 रु. से कम है तो जिला मंच में । 7 यदि मुआवजा 20,00,000 रु. से लेकर 1 करोड़ से कम है तो राज्य आयोग में 7 यदि मुआवजा 1 करोड़ से अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग में
  • जिला मंच एवं राज्य आयोग स्थापित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
  • इस अधिनियम के अर्न्तगत उपभोक्ता की शिकायतों को जल्दी निस्तारित किया जाता हैं जिसमें उपभोक्ता को अधिक प्रतीक्षा न करनी पड़े। अधिनियम द्वारा शिकायत प्राप्त करने के 90 दिनों के अन्दर विवाद का निस्तारण करने का प्रावधान है।
  • इस अधिनियम के अर्न्तगत संरक्षण हेतु दायर की गई शिकायत नि:शुल्क होती है।अतः उपभोक्ता को आर्थिक रूप से किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता को क्या अधिकार प्रदान किए गए हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा उपभोक्ता को निम्न अधिकार प्रदत्त हैं –
(1) सुरक्षा का अधिकार:
नकली व मिलावटी वस्तुएँ जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं; जैसे – दवाइयाँ, खाद्य वस्तुएँ, बिजली के उपकरण, सौन्दर्य प्रसाधन, साबुन इत्यादि। ऐसे सामान के क्रय-विक्रय के विरुद्ध उपभोक्ता को सुरक्षा पाने का अधिकार है।

(2) बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति का अधिकार:
मनुष्य की कुछ बुनियादी आवश्यकताएँ; जैसे – भोजन, वस्त्र आवास, ईंधन, विद्युत, शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छ वातावरण आदि की पूर्ति के लिए उचित अवसर की प्राप्ति होनी चाहिए। उपभोक्ता को इन वस्तुओं को पाने के लिए किसी प्रकार का शोषण न सहना पड़े। यह इस अधिकार के अन्तर्गत आता है।

(3) सूचित किए जाने का अधिकार:
उपभोक्ता को खरीदने वाली वस्तु की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है; जैसे-किसी ब्राण्ड की वस्तु का दाम, गुणवत्ता, शुद्धता मानक, क्षमता आदि। वस्तु किसने बनाई, कैसी बनाई, माल की गारंटी, उपयोग में लेने की विधि आदि की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को है।

(4) चयन का अधिकार:
आजकल औद्योगीकरण के युग में बाजार में कई ब्राण्ड की नयी-नयी वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं। उत्पादक आकर्षक विज्ञापन, लुभावनी योजनाओं, विक्रेताओं को लोभ देकर ग्राहक को वस्तु लेने पर मजबूर करते रहते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को स्व:विवेक व बाजार के अनुसार वस्तु के चयन का अधिकार है। उपभोक्ता को अधिकार है कि वह उचित मूल्य पर तरह-तरह की व उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तु का चयन करे।

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(5) सुनवाई का अधिकार:
यदि उपभोक्ता द्वारा किसी वस्तु एवं सेवा का उपयोग करने पर उसमें कोई दोष या त्रुटि पायी जाती है तो वह सही मंच पर अपनी शिकायत कह सकता है। दुकानदार, संबंधित अधिकारी, निर्माता या शासन द्वारा उसकी शिकायत को सुना जाएगा तथा इसके लिए जो भी उचित है, कार्यवाही की जाएगी।

(6) क्षतिपूर्ति का अधिकार:
विक्रेता / निर्माता द्वारा यदि उपभोक्ता को किसी भी प्रकार से ठगा जाता है तथा उसकी शिकायत को नजरअंदाज करते हुए वस्तु को नहीं बदला जाता है न ही नुकसान की भरपाई की जाती है तो उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उचित मंच द्वारा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है।

(7) स्वस्थ एवं सुरक्षित वातावरण का अधिकार:
प्रत्येक उपभोक्ता को स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण में रहने का अधिकार है। यदि उसके आवास के आस-पास ऐसे कारखाने या उद्योग संचालित हो रहे हैं जिससे आस-पास का वातावरण किसी न किसी रूप से दूषित हो रहा है एवं उसके परिवार को स्वास्थ्य संबंधी खतरा हो सकता है तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को न्यायालय में शिकायत करने का अधिकार है।

(8) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
उपभोक्ता को अपनी खरीददारी से संबंधित (वस्तु एवं सेवाएँ) के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। उपभोक्ता शिक्षा का उपभोक्ता संरक्षण में अति महत्त्वपूर्ण स्थान है। अत: समय-समय पर उपभोक्ता परिषदों, स्वंयसेवी संगठनों तथा भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता शिक्षा के कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता अधिनियम के उपयोग के विभिन्न चरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता अधिनियम के उपयोग के विभिन्न चरण निम्नलिखित हैं –
1. शिकायत कौन कर सकता है?

  • स्वयं उपभोक्ता, किसी मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संगठन के सदस्य, केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा शिकायत की जा सकती है।
  • यदि कई उपभोक्ताओं को एक उत्पाद/सेवा के खिलाफ शिकायत है तो उपभोक्ता संगठन में शिकायत एक साथ दायर की जा सकती है।

2. शिकायत कब दायर कर सकते है?

  • जब किसी वस्तु या सेवा में दोष पाया जाए।
  • जब व्यापारी द्वारा गलत एवं नियन्त्रित व्यापार द्वारा उपभोक्ता का किसी प्रकार का घाटा हो जाए।
  • जब व्यापारी द्वारा उपभोक्ता से अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत मांगी जाए।
  • वस्तु खरीदने की तिथि से ठीक दो साल के भीतर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।

3. शिकायत कहाँ दर्ज करा सकते हैं?

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक तन्त्र की व्यवस्था है। जिनमें उपभोक्ता मुआवजे को राशि के अनुसार विभिन्न स्तर पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। ये स्तर निम्नलिखित हैं –

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RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986-3

  • जहां से वस्तु खरीदी गई है उस स्थान पर ही उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।

4. शिकायत कैसे दर्ज करवा सकते हैं?

  • शिकायत दर्ज कराने से पूर्व उपभोक्ता को अपने – सभी संबंधित दस्तावेज जैसे-बिल, वारंटी-गारंटी कार्ड, पत्राचार आदि एकत्रित कर लेने चाहिए।
  • सर्वप्रथम उपभोक्ता एक पत्र पंजीकृत ए.डी. द्वारा विरोधी पार्टी को भेजे जिसमें वह शिकायत का वर्णन करते हुए उसका निवारण करने हेतु कहे।
  •  इस पत्र के पश्चात् कम से कम 15 दिन का समय व्यापारी को दिया जाना चाहिए।
    यदि व्यापारी इस पत्र पर ध्यान न देते हुए शिकायत का समाधान नहीं करता है तब उपभोक्ता न्यायालय की शरण ले सकता है।

5. शिकायत प्राप्त होने पर प्रक्रिया?

  • शिकायत प्राप्त होने के बाद जिला मंच शिकायत की एक प्रति विरोधी पार्टी को उसका पत्र एक निश्चित अवधि में प्रस्तुत करने के लिए भेजता है।
  • यदि विरोधी पार्टी उन आरोपों का खण्डन करती है – तो ऐसी स्थिति में जिला मंच द्वारा इस विवाद को निपटाने हेतु कार्यवाही की जाती है।
  • यदि वस्तु में खराबी होती है तो प्रयोगशाला में इसका नमूना भेजकर जाँच की जाती है। प्रयोगशाला अधिकारी से 45 दिन के अन्दर परीक्षण रिपोर्ट मांगी जाती है।
  • इस परीक्षण का शुल्क शिकायतकर्ता द्वारा जो कि वह वहन कर सके, जिला मंच में जमा किया जाता है।
  • प्रयोगशाला से प्राप्त रिपोर्ट विरोधी पार्टी को भेजी जाती है तथा जमा की गई राशि उपभोक्ता को दिखाई जाती है।
  • यदि इसके पश्चात् भी विरोधी पार्टी स्वयं को सही बताते हुए आरोप का खण्डन करती है तो उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है।

6. जिला मंच का निष्कर्ष?

  • उत्पादक को प्रयोगशाला में सिद्ध त्रुटियों को दूर करने के आदेश दिए जाते हैं।
  • माल को उसी स्तर के माल से बदलना जो त्रुटिपूर्ण निकला है।
  • शिकायतकर्ता को मूल्य वापिस करना।
  • इसके कारण यदि उपभोक्ता का कोई आर्थिक नुकसान हुआ है तो वो रकम अदा करना।

जिला मंच के निष्कर्ष को न मानने पर विरोधी पक्ष को न्यायालय द्वारा सजा मिल सकती है या जुर्माना देना पड़ सकता है। यदि उपभोक्ता जिला मंच के निष्कर्ष से सन्तुष्ट नहीं है तो वह निर्णय के विरुद्ध राज्य आयोग से, राज्य आयोग के निर्णय के विरुद्ध राष्ट्रीय आयोग में तथा राष्ट्रीय आयोग के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

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प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का हमारे जीवन में क्या उपयोग है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 देश के सामाजिक एवं आर्थिक कानूनों के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर संरक्षण प्रदान करना है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का उपयोग निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है –

  • उपभोक्ता को बेहतर संरक्षण व सुरक्षा प्रदान करना।
  • इस अधिनियम में उपभोक्ताओं की शिकायतों को शीघ्र, सरल तरीके से तथा कम खर्च में दूर करने की व्यवस्था है।
  • इस अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य, जिला स्तरों पर एक तीन स्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तन्त्र की स्थापना करने की व्याख्या है। उपभोक्ता शिकायत उपभोक्ता न्यायालय में कर सकता है और वातावरण को स्वस्थ व सुरक्षित बना सकता है।

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education):
प्रत्येक उपभोक्ता को अपना पक्ष सुदृढ़ करने के लिए उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। इसके अन्तर्गत वह वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य, वस्तु की दरों आदि के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों तथा भारत सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं जिनसे उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त करके एक जागरूक उपभोक्ता भ्रमित नहीं होगा। उपरोक्त अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर एक उपभोक्ता स्वयं को एक जागरूक उपभोक्ता बना सकता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम हमारे जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि यह हमारे अनेक उद्देश्यों को पूरा करता है।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 35 प्रयोगात्मक प्रश्न

प्रयोग 1.
उद्देश्य-बैंक के जमा-निकासी के फार्म भरवाना।
बैंक से पैसा निकालना –
1. बैंक से पैसा चेक अथवा निकासी पत्र द्वारा निकाला जाता है।
2. चेक से पैसा निकलवाने के लिए बैंक द्वारा चेक बुक दी जाती है तथा इसके लिए खाते में कम-से-कम पाँच सौ रुपये या – बैंक द्वारा निर्धारित रुपये होना आवश्यक है।
3. निकासी पत्र (Withdrawl form) के साथ भुगतान हेतु पास-बुक का होना आवश्यक है।
4. निकासी पत्र द्वारा निकलवाए गए पैसों का विवरण पास-बुक में लिख दिया जाता है।
चेक के प्रमुख प्रकार तथा विशेषताएँ –
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(i) साधारण या वाहक चेक (Bearer cheque):
ये साधारण चेक होते हैं। वाहक चेक द्वारा खाताधारी स्वयं अथवा वाहक द्वारा खाते से रुपया निकाल या निकलवा सकता है। वाहक चेक को किसी के द्वारा भी भुनाया जा सकता है परन्तु जिसके नाम चेक हो उसे चेक के पीछे दो हस्ताक्षर करने पड़ते हैं।

(ii) आदेशित चेक (Order cheque):
इसमें भुगतान उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जिसके नाम चेक होता है। इसको वाहक चेक में नहीं बदल सकते। यदि जिस व्यक्ति के नाम से चेक है तथा उसका खाता बैंक में होता है तो वह चेक के पीछे अपना हस्ताक्षर करके तथा अपना खाता संख्या (Account number) लिखकर देता है और बैंक उसके हस्ताक्षर जाँच करके उसे भुगतान कर देता है। यदि उस व्यक्ति का खाता बैंक में नहीं है तो उसे बैंक के किसी खाताधारी द्वारा अभिप्रमाणित कराना पड़ता

(iii) रेखांकित चेक (Crossed cheque):
इस चेक में चेक के ऊपर बायीं ओर दो तिरछी लाइनें खींची जाती हैं तथा उनके बीच में ‘And Co.’ ‘Account Payee only’ अथवा ‘Not Negotiable’ आदि लिखा जाता है। इन चेकों का भुगतान निर्देशित व्यक्ति के खाते में ही जमा किया जाता है।

(iv) यात्री चेक (Traveller Cheque):
इसका उपयोग यात्रा में किया जाता है। दूर-दूर की यात्रा में ज्यादा पैसा ले जाने में खतरा रहता है। अतः इससे बचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसे किसी भी दुकानदार को दिया जा सकता है। आजकल बैंक अपने मास्टर कार्ड निकाल रहे हैं जो कि ट्रेवलर चेक से ज्यादा सुविधाजनक होते हैं।

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(v) उपहार चेक (Gift Cheque):
यह चेक विवाह, जन्मदिन, मुंडन, जनेऊ आदि पर उपहार देने के लिए जारी किया जाता है। चेक लिखते समय सावधानियाँ –

  • चेक हिन्दी या अंग्रेजी के स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिए।
  • शब्दों व अंकों में लिखी गई धनराशि समान होनी चाहिए।
  • चेक सदैव पेन से ही लिखें।
  • चेक पर तारीख सदैव सही डालें।
  • चेक एक ही पेन से बिना काट-पीट के भरें। अब काटपीट या ओवर राइटिंग वाले चेक बैंक नहीं लेते
  • राशि के आगे सिर्फ (only) इस प्रकार लिखें जिससे उसके आगे और कुछ न लिखा जा सके।
  • चेक उतनी ही राशि का लिखें जितना खाते में जमा हो।
  • खाता खोलते समय जो हस्ताक्षर किये हैं वही हस्ताक्षर हमेशा चेक पर करें।

चेक अस्वीकृत होने के कारण –

  • चेक पर किये गए हस्ताक्षरों में भिन्नता होने पर।
  • चेक में भरी गई राशि का खाते में न होना।
  • चेक में काट-पीट होने पर।
  • अंकों और शब्दों में लिखी गई राशि में भिन्नता होने पर।
  • चेक कटा-फटा, गला या जला हो।
  • चेक देने वाले व्यक्ति ने भुगतान रुकवा दिया हो।

बैंक से खाता खुलवाने का फार्म भरना विधि-बैंक में खाता खोलना –

  • बैंक में जिस प्रकार का खाता खोलना है उसका फार्म बैंक से प्राप्त करें।
  • फार्म में पूछी गई आवश्यक सूचनाएँ; जैसे – नाम, – पिता / पति का नाम, पता दिनांक, व्यवसाय आदि को भरें।
  • बैंक का घोषणा-पत्र भरें।
  • फार्म तथा दूसरे कार्ड पर हस्ताक्षर करें।
  • जो हस्ताक्षर नहीं कर सकते वे अंगूठे का निशान लगाएँ। फार्म पर अपना फोटो लगाएँ।
  • फार्म पर परिचयकर्ता के हस्ताक्षर करवाएँ तथा परिचयकर्ता ऐसा व्यक्ति हो जिसे बैंक भली प्रकार जानता हो।
  • फार्म को पूर्ण करने के पश्चात् जितनी राशि का खाता खोलना है उतनी राशि बैंक में जमा कर उसकी रसीद फार्म पर लगा दें।
  • बैंक अधिकारी की सहमति के पश्चात् बैंक का खाता क्रमांक प्राप्त करें।
  • बैंक द्वारा पास-बुक प्राप्त करें तथा इसके विवरणों की पूर्णता को जाँच लें।
  • पास-बुक गुम हो जाने की स्थिति में बैंक को सूचित कर नयी पास-बुक प्राप्त करें।

प्रयोग-2
उद्देश्य:
विभिन्न वस्तुओं के लेबल का मूल्यांकन एवं लेबल लगाना।
आवश्यकता:
बाजार से विभिन्न वस्तुओं को क्रय करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि उन पर मानक चिह्न मुद्रित है या नहीं। मानक चिह्नों के सम्बन्ध में प्रायोगिक जानकारी होना भी आवश्यक है। अत: आप अपने घर, विद्यालय, पड़ोसियों, रिश्तेदारों या फिर दुकान पर जाकर निम्नलिखित वस्तुओं पर मानक चिह्न को पहचानें तथा इस सम्बन्ध में सारिणी में दिये गये विभिन्न बिन्दुओं के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें।

विधि-I.
विभिन्न वस्तुओं के लेबिल का मूल्यांकन
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लेबल तैयार करना:
घरों में भी एक लघु उद्योग चलता है जिसके अन्तर्गत परिवार वाले निम्नलिखित वस्तुओं का उत्पादन करते हैं –

  • मसाले तैयार किए हुए
  • साबुन
  • शहद
  • बड़ी व पापड़
  • घी
  • अचार आदि।

इनमें से किसी एक वस्तु का लेबल अध्याय में दिये गये बिन्दुओं को ध्यान में रखकर बनाइये।
नमूने के रूप में एक लेबल नीचे दिया जा रहा है –
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