RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव

Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई आवेशित कण जो एक समान चाल से गति कर रहा है, उत्पन्न करता है।
(अ) केवल विद्युत क्षेत्र
(ब) केवल चुम्बकीय क्षेत्र
(स) विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों
(द) विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र के साथ विद्युत चुम्बकीय तरंगें।
उत्तर:
(स) विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों
जब कोई आवेशित कण जो एक समान चाल के गति कर रहा है, विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों उत्पन्न करता है।

प्रश्न 2.
एक लम्बे तथा सीधे धारावाही चालक तार से  दूसरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B है। यदि तार में प्रवाहित धारा का मान नियत रखें तो r/2 दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
(अ) 2B
(ब) B/2
(स) B
(द) B/4
उत्तर:
(अ) 2B
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 1

प्रश्न 3.
एक वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान B0 है। इसी कुण्डली के अक्षीय बिन्दु पर, इसकी त्रिज्या के बराबर दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र B है, तो B/B0 का मान होगा
(अ) \(1 : \sqrt{2}\)
(ब) \(1 : 2 \sqrt{2}\)
(द) \(2 \sqrt{2} : 1\)
(द) \(\sqrt{2} : 1\)
उत्तर:
(ब) \(1 : 2 \sqrt{2}\)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 2

प्रश्न 4.
हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियों का उपयोग किया जाता है-
(अ) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में
(ब) विद्युत धारा मापन में
(स) चुम्बकीय क्षेत्र मापन में
(द) विद्युत धारा की दिशा ज्ञात करने में
उत्तर:
(अ) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में
हेल्पहोल्ट्ज़ कुण्डलियों का उपयोग एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में किया जाता है।

प्रश्न 5.
चित्र के अनुसार दो समरूप कुण्डलियों में समान विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डलियों के केन्द्र उभयनिष्ठ तथा तल परस्पर लम्बवत् हैं। यदि एक कुण्डली के कारण इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो उभयनिष्ठ केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 3
(अ) शून्य
(ब) 2B
(स) \(\mathrm{B} / \sqrt{2}\)
(द) \(\sqrt{2} \mathrm{B}\)
उत्तर:
(द) \(\sqrt{2} \mathrm{B}\)
उभयनिष्ठ केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 4

प्रश्न 6.
समान वेग से समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् प्रक्षेपित, निम्न में से किस कण पर सर्वाधिक बल लगेगा ?
(अ) -1e0
(ब) 1H1
(स) 2He4
(द) 3Li
उत्तर:
(द) 3Li
3Li का आवेश अधिक होने से उस पर सर्वाधिक बल लगेगा।

प्रश्न 7.
एक विद्युत मेन्स के सप्लाई तारों के मध्य दूरी 12cm है। ये तार प्रति एकांक लम्बाई 4mg भार अनुभव करते हैं, दोनों तारों में प्रवाहित धारा का मान होगा
(अ) शून्य
(ब) 4.85A
(स) 4.85 mA
(द) 4.85 × 10-4A.
उत्तर:
(ब) 4.85A
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 5

प्रश्न 8.
100eV ऊर्जा का एक प्रोटॉन 10-4T के चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवत गतिमान है। प्रोटॉन की साइक्लोट्रॉन आवृत्ति rad/sec में होगी
(अ) 2.80 × 106
(ब) 9.6 × 103
(स) 5.6 × 106
(द) 1.76 × 106
उत्तर:
(ब) 9.6 × 103
vc = \(\frac{q B}{2 \pi m}\)
= \(\frac{1.6 \times 10^{-19} \times 10^{-4}}{2 \times 3.14 \times 1.67 \times 10^{-27}}\)
= 9.6 × 103 Hz

प्रश्न 9.
यदि G प्रतिरोध के धारामापी से मुख्य धारा की 2% धारा पूर्ण विक्षेप के लिए आवश्यक हो तो पाश्र्व पथ (शण्ट) का प्रतिरोध होगा
(अ) \(\frac{\mathrm{G}}{50}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{G}}{49}\)
(स) 49G
(द) 50G.
उत्तर:
(ब) \(\frac{\mathrm{G}}{49}\)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 6

प्रश्न 10.
एक परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होने के उपरान्त चुम्बकीय क्षेत्र B है। परिनालिका की लम्बाई व फेरों की संख्या को दुगुना करने पर वही चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त करने के लिए प्रवाहित धारा करनी पड़ेगी
(अ) 2I
(ब) I
(स) I/2
(द) I/4.
उत्तर:
(ब) I
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 7

प्रश्न 11.
एक टोरॉइड के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान B है। यदि टोरॉइड की एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n है एवं इसमें प्रवाहित विद्युत धारा I हो तो इसके बाहर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
(अ) B
(ब) B/2
(स) शून्य
(द) 2B
उत्तर:
(स) शून्य
बाह्य लूप में कोई धारा प्रवाहित नहीं हो रही है अत: B = 0

प्रश्न 12.
किसी चल कुण्डली धारामापी को एक वोल्टमीटर में रूपान्तरित किया जाता है
(अ) श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़कर
(ब) श्रेणीक्रम में अल्प प्रतिरोध जोड़कर
(स) समान्तर क्रम उच्च प्रतिरोध जोड़कर
(द) समान्तर क्रम में अल्प प्रतिरोध जोड़कर
उत्तर:
(अ) श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़कर
किसी चल कुण्डली धारामापी को एक वोल्टमीटर में रूपान्तरण के लिए श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़ते हैं।

प्रश्न 13.
आदर्श वोल्टमीटर एवं आदर्श अमीटर के प्रतिरोध होने चाहिए
(अ) क्रमशः शून्य एवं अनन्त
(ब) क्रमशः अनन्त एवं शून्य
(स) दोनों के शून्य होने चाहिए
(द) दोनों के शून्य होने चाहिए
उत्तर:
(ब) क्रमशः अनन्त एवं शून्य
एक आदर्श वोल्टमीटर की प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए एवं आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए।

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 अति लघूत्तरात्गक प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के विभिन्न स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्थायी चुम्बक, धारावाही चालक, गतिमान आवेश, विद्युत क्षेत्र में परिवर्तन चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के प्रमुख स्रोत हैं।

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र की विमाएँ एवं मात्रक लिखिए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की विमाएँ = [M1L0T-2A-1)
मात्रक – टेसला (T)

प्रश्न 3.
गतिशील आवेश कौन से क्षेत्र उत्पन्न करते हैं ?
उत्तर:
गतिशील आवेश विद्युत क्षेत्र एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 4.
एक आवेश q चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लम्बवत् दिशा में वेग से प्रवेश करता है। इस आवेश पर बल का मान क्या होगा तथा कर्ण का पथ कैसा होगा ?
उत्तर:
कण पर कार्यरत् बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) = q (\(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\)) से
\(|\overrightarrow{\mathrm{F}}|\) = qvB sin 90° = qvB
कण की गति को पथ वृत्तीय होगा।

प्रश्न 5.
ऐम्पीयर धारा की अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति में परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
1 ऐम्पियर-यदि निर्वात् में परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित सीधे लम्बे धारावाही तारों में से समान धारा प्रवाहित करने पर उनके मध्य प्रति एकांक लम्बाई 2 × 10-7N का बल कार्य करे तो प्रत्येक तार में प्रवाहित धारा 1A होती है।

प्रश्न 6.
यदि कोई प्रोटॉन ऊर्ध्व तल में ऊपर की ओर गति कर रहा है तथा उस पर चुम्बकीय बल क्षैतिज तल में उत्तर की ओर लगता है, तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
उत्तर:
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से, क्षैतिज तल में पश्चिम की ओर।

प्रश्न 7.
एक आवेशित कर्ण, सम चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करता है, तो कण की पथ कैसा होगा ?
उत्तर:
समचुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करते कण का पथ ऋजुरेखीय होगा।

प्रश्न 8.
किसी वृत्ताकार कुण्डली के व्यासभिमुखी सिरों पर एक नियत-वोल्टता की बैटरी संयोजित है। कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र कितना होगा ?
उत्तर:
कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होगा।

प्रश्न 9.
किसी N फेरों वाली R त्रिज्या की धारावाही कुण्डली को खोलकर सीधे लम्बे तार में बदलने पर, इससे R दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान कुण्डली के केन्द्र पर मान का कितना गुना होगा ?
उत्तर:
केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 8

प्रश्न 10.
हेल्महोल्ट्ज़ कुण्डली में दोनों नति परिवर्तन बिन्दुओं के मध्य दूरी कितनी होती है ?
उत्तर:
हेल्महोल्ट्ज कुण्डली में दोनों नति परिवर्तन बिन्दुओं के मध्य दूरी कुण्डली की त्रिज्या के बराबर होती है।

प्रश्न 11.
ऐम्पीयर के परिपथीय नियम का गणितीय रूप लिखो।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, “निर्वात् में किसी बन्द पथ के चुम्बकीय क्षेत्र के रेखीय समाकलन का मान, निर्वात् की चुम्बकशीलता (μo) तथा उस बन्द पथ से गुजरने वाली धाराओं के बीजगणितीय योग के गुणनफल के बराबर होता है। अत: गणितीय रूप में
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d l}=\mu_{0} \Sigma \mathrm{l}\)

प्रश्न 12.
किसी आन्तरिक त्रिज्या R की ताँबे की लम्बी नली में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। नली के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मान लिखिए।
उत्तर:
शून्य

प्रश्न 13.
धारामापी में प्रयुक्त स्थायी चुम्बक के ध्रुवखण्ड अवतल आकृति में क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर:
धारामापी में त्रिज्य चुम्बकीय क्षेत्र उपलब्ध करने के लिए चुम्बक की आकृति अवतल बनाई जाती है।

प्रश्न 14.
धारामापी की सुग्राहिता कैसे बढ़ाई जा सकती है ?
उत्तर:
अधिक फेरे करके और अधिक क्षेत्रफल वाली कुण्डली में नरम लोहे का क्रोड लेकर धारामापी की सुग्राहिता बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 15.
धारामापी में कुण्डली की साम्य स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र तथा कुण्डली की स्थिति क्या होगी ?
उत्तर:
कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् होगा।

प्रश्न 16.
साइक्लोट्रॉन का उपयोग हल्के आवेशित कण को त्वरित करने के लिए नहीं करते हैं। क्यों ?
उत्तर:
अधिक ऊर्जा वाले हल्के कणों का द्रव्यमान अपेक्षीय प्रभाव से बढ़ता है।

प्रश्न 17.
आप समचुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए किस युक्ति का चयन करेंगे ?
उत्तर:
हेल्महोल्ट्ज़ कुण्डली

प्रश्न 18.
किसी साइक्लोट्रॉन में आवेशित कण का किसी dee में अर्द्ध-आवर्तकाल पथ की त्रिज्या एवं कण की चाल पर किस प्रकार निर्भर करता है।
उत्तर:
t = \(\frac{\pi m}{q \mathrm{B}}\)
यहाँ m → कण का द्रव्यमान है। इस प्रकार अर्द्ध आवर्तकाल कण की चाल v व त्रिज्या r पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 19.
धारामापी को इच्छित परास के वोल्टमीटर में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक उच्च प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
उच्च प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}_{g}}\) – G .
जहाँ वोल्टमीटर का परास V, पूर्ण स्केल पर विक्षेप धारा Ig तथा धारामापी का प्रतिरोध G है।

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ऑरस्टेड के प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षों को लिखिए।
उत्तर:
ऑरस्टेड के प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष (Conclusions of Orested’s Experiments)- ऑरस्टेड के प्रयोग से निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त होते हैं

  1. धारावाही चालक तार में धारा प्रवाहित होने पर उसके चारों ओर । एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
  2. चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण तार में प्रवाहित धारा की प्रबलता पर निर्भर करता है।
  3. धारावाही चालक तार के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र चालक तार के सापेक्ष प्रेक्षण बिन्दु की स्थिति पर निर्भर करता है।
  4. धारावाही चालक तार के ऊपर तथा नीचे उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर विपरीत होती है।

प्रश्न 2.
बायो-सावर्ट नियम को सदिश रूप में व्यक्त करो।
उत्तर:
बायो-सावर्ट नियम का सदिश रूप
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 9
\(\overrightarrow{d B}\) की दिशा अल्पांश \(\overrightarrow{d l}\) तथा के तल के लम्बवत् होगी।

प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए दो नियमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
चुम्बकीय त्र की दिशा (Direction of Magnetic Field) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा निम्नलिखित नियमों से ज्ञात कर सकते हैं-
(i) SNOW नियम- चालक तार में धारा प्रवाह के कारण इसके समीप उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कम्पास सुई के उत्तरी ध्रुव N के विक्षेप की दिशा SNOW नियम से ज्ञात कर सकते हैं। इस नियम के अनुसार, “यदि चालक में धारा प्रवाह दक्षिण S से उत्तर N की ओर हो रहा है तथा चालक कम्पास सुई के ऊपर (Over-O) है तो चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव पश्चिम W की ओर विक्षेपित हो जाता है।”
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 10

(ii) दाँयें हाथ के अंगूठे का नियम (Right Hand Thumb Rule)- इस नियम के अनुसार, “यदि धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़ने की कल्पना करें कि अंगूठा चालक के समान्तर रहें और यदि अंगूठे द्वारा चालक में प्रवाहित धारा की दिशात होती है तो अँगुलियों का घुमाव चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेगा।” (चित्र 7.4)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 11

(iii) वृत्तीय धाराओं के लिए दाँयी हथेली का नियम (Right land Palm Rule for Circular Current)- इस नियम के अनुसार “यदि किसी धारावाही वृत्ताकार कुण्डली में दायें हाथ की मुड़ी हुई अंगुलियाँ धारा प्रवाह की दिशा को प्रवाहित करें तो अंगूठा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करता है।” इसे चित्र 7.5 में दर्शाया गया है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 12

(iv) मैक्सवेल का कार्क पेंच नियम (Maxwell’s Cork-Screw Rule)- इस नियम के अनुसार, “यदि धारावाही चालक के अक्ष पर दाहिने हाथ से एक दक्षिणावर्त (Clockwise) पेंच को घुमाने की कल्पना करें और पेंच की नोंक चालक में प्रवाहित धारा की दिशा में गति करे तो अंगूठे के घूमाने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेगी।” इस चित्र 7.6 में दर्शाया है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 13

प्रश्न 4.
जब आवेशित कण किसी समचुम्बकीय क्षेत्र में θ से कोण (जहाँ 0 < θ < 90° है) पर प्रवेश करता है, तो कण का पथ कैसा होगा ? इस पथ का चूड़ी अन्तराल या पिच (Pitch) ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
जब आवेशित कण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में θ से कोण पर प्रवेश करता है तो कण के वेग का चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में घटक vx = v cos θ कण को \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के अनुदिश सरल रेखा में गति कराएगा क्योंकि वेग के इस घटक के कारण गति पर चुम्बकीय क्षेत्र का कोई प्रभाव नहीं, होगा। वेग के B\(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लम्बवत् घटक vy = v sin θ के कारण कण पर चुम्बकीय बल कार्य करेगा। अत: यह घटक कण को वृत्तीय पथ पर गति कराएगा। अतः कण की परिणामी गति कुण्डलिनी पथ (helical path) के रूप में होती है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 14
आवेशित कण के एक घूर्णन में कण द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश चली गई दूरी चूड़ी अन्तराल या पिच (Pitch) कहलाती है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 15

प्रश्न 5.
वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के अक्ष पर केन्द्र से R/2 दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र तथा केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य सम्बन्ध ज्ञात कीजिए। यहाँ R कुण्डली की त्रिज्या है।
उत्तर:
जब अभीष्ट बिन्दु P की दूरी x = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\) हो तो वृत्ताकार कुण्डली की अक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 16

प्रश्न 6.
यह दर्शाइए कि किस प्रकार छोटा धारावाही लूप एक दण्ड चुम्बक की तरह व्यवहार करता है ?
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 17
जब धारावाही लूप में धारा प्रवाहित होती है तो लूप एक चुम्बकीय द्विध्रुव या दण्ड चुम्बक की तरह व्यवहार करता है; अर्थात् एक फलक चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव S तथा दूसरा फलक उत्तरी ध्रुव N की भाँति व्यवहार करने लगता है। “जिस फलक पर धारा वामावर्त (Anticlockwise) दिशा में प्रवाहित दिखायी देती है, वह फलक उत्तरी ध्रुव । एवं जिस फलक पर धारा दक्षिणावर्त (clockiyise) दिशा में प्रवाहित हुई प्रतीत होती है, वह फलक दक्षिणी ध्रुव S की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र का परिसंचरण क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
चित्र में एक पथ XOY पर क्षेत्र के रेखीय समाकलने की परिकल्पना को समझा जा सकता है। यह छोटी-छोटी अल्पांशों \(\overrightarrow{\delta l}_{1}, \overrightarrow{\delta l_{2}},\overrightarrow{\delta l_{3}}, \dots\) आदि में विभाजित XOY पथ के अल्पांशों के संगत चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}_{1}}, \overrightarrow{\mathrm{B}_{2}}, \overrightarrow{\mathrm{B}_{3}} \ldots \overrightarrow{\mathrm{B}_{4}}\) आदि हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 18
चुम्बकीय क्षेत्र B का समाकलन = \(\sum_{x}^{Y} \vec{B}_{i} \delta \vec{l}_{i}=\int_{x}^{y} \vec{B} \cdot \vec{\delta} l\)
संरक्षी सदिश क्षेत्र में रेखीय समाकलन का मान केवल प्रारम्भिक व अन्तिम स्थिति पर निर्भर करता है। यह स्थितियों के मध्य चयनित पथ पर निर्भर नहीं करता है। यदि चयनित पथ में प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्थिति एक ही है तो बन्द पाश पर चुम्बकीय क्षेत्र के रेखीय समाकलन को चुम्बकीय क्षेत्र का परिसंचरण कहते हैं।

प्रश्न 8.
किसी धारावाही परिनालिका तथा दण्ड चुम्बक के व्यवहार में क्या अन्तर है ?
उत्तर:

  1. परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय बल रेखायें लगभग समान्तर होती हैं, जबकि दण्ड चुम्बक के अन्दर ये थोड़ी वक्र प्रकृति की होती है।
  2. परिनालिका के पाइप के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग शून्य होता है, जबकि दण्ड चुम्बक में उसकी लम्बाई के अनुदिश होता है और

उसके निकट बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र निश्चित लेकिन अलग-अलग बिन्दुओं पर अलग-अलग मान प्राप्त होता है।

प्रश्न 9.
दो समान्तर धारावाही चालकों में एक के कारण दूसरे की एकांक लम्बाई पर चुम्बकीय बल की गणना करो।
उत्तर
दो समान्तर धारावाही चालक तारों के मध्य चुम्बकीय बल (Magnetic force between two parallel current carrying conducting wires)
हम अध्ययन कर चुके हैं कि किसी धारावाही चालक तार के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, एवं चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित है। | रावाही चालक पर बल कार्य करता है। अत: यदि एक धारावाही चालक तार के निकट कोई दूसरा धारावाही चालक तार रख दिया जाये तो वे दोनों चालक चुम्बकीय बल का अनुभव करेंगे।

माना दो सीधे धारावाही चालक तार AB तथा CD निर्वात् में एक-दूसरे के समान्तर नजदीक रखे हैं। जब इन तारों में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो ये एक-दूसरे पर चुम्बकीय बल आरोपित करते हैं।

जब दोनों में धारा की दिशा एक ही होती है तो इनके मध्य आकर्षण बल लगता है और जब धाराएँ विपरीत दिशा में होती हैं तो इनके मध्य प्रतिकर्षण बल लगता है। बायो-सावर्ट के नियम और लॉरेंज बल को मिलाकर ऐम्पीयर ने धारावाही चालकों के बीच लगने वाले बल की गणना की थी, इसीलिए इसे ऐम्पीयर का नियम (Ampere’s law) भी कहते हैं। इसे निम्न प्रकार समझाया गया है

माना कि AB व CD दो लम्बे, समान्तर व ऋजु धारावाही चालक तार कागज के तल में स्थित हैं जिनमें क्रमशः I1 व I2, धाराएँ बह रही हैं और तारों के मध्य दूरी है। चित्र 7.36 (a) में धाराएँ समान दिशा में और चित्र 7.36(b) में धाराएँ विपरीत दिशा में बह रही हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 19
बायो-सावर्ट के नियमानुसार चालक AB के कारण चालक CD के किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
\(B_{1}=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \frac{I_{1}}{r} \mathrm{NA}^{-1} \mathrm{m}^{-1}\)
दाँयें हाथ की हथेली के नियम नं. 1 (Right Hand Palm Rule । Number 1) के अनुसार इस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर (perpendicular inward to the plane of paper) होगी। इस चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक CD की लम्बाई पर लगने वाला लॉरेंज बल,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 20
इस बल की दिशा फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम (Fleming’s Left Hand Rule) से दी जाती है। यदि धाराएँ समान दिशा (same direction) में हैं (चित्र 7.36 (a)] तो दोनों के मध्य आकर्षण बल (force of attraction) और धाराएँ विपरीत दिशा (in opposite direction)में [चित्र 7.36 (b)] होने पर दोनों के मध्य प्रतिकर्षण (repulsion) बल लगेगा।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 21

प्रश्न 10.
ऐम्पीयर के नियम से किसी धारावाही बेलनाकार चालक के अन्दर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
लम्बे बेलनाकार धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय धोत्रे (Magnetic Field due to a current carrying long cylindrical conductor)
मानां R त्रिज्या के एक बेलनाकार चालक में स्थायी धारा I प्रवाहित हो रही है जो इस चालक के सम्पूर्ण काट क्षेत्रफल में समान रूप से वितरित है। इस चालक से लम्बवत् r दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है। धारा के सममित वितरण के कारण हम यह मान सकते हैं कि चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) की क्षेत्र रेखाएँ वृत्ताकार या संकेन्द्री वृत्त के आकार की होगी जिनके केन्द्र बेलन की अक्ष में होंगे।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 22
चुम्बकीय क्षेत्र का परिकलन
(i) जब बिन्दु बेलनाकार चालक के बाहर स्थित हो अर्थात् (r > R)-चित्र 7.48 के अनुसार r त्रिज्या के एक वृत्तीय बन्द पथ विचार करते हैं। इस पथ के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण नियत (समान) तथा दिशा पथ के अनुदिश होता है। ऐम्पीयर के नियम से,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 23
स्पष्ट है कि लम्बे बेलनाकार धारावाही चालक के कारण बाहरी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र, दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(ii) जब बिन्दु बेलनाकार चालक के पृष्ठ पर हो अर्थात् r = R समीकरण (1) r = R रखने पर।
\(\mathrm{B}_{\mathrm{s}}=\frac{\mu_{0} \mathrm{I}}{2 \pi \mathrm{R}}\)
(iii) जब बिन्दु बेलनाकार धारावाही चालक के अन्दर स्थित हो (r < R)
चित्र 7.49 के अनुसार बेलनाकार चालक के अन्दर त्रिज्या के वृत्ताकार बन्द पथ पर विचार करते हैं।
ऐम्पीयर के नियम से
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 24
यहाँ ऐम्पियरियन लुप में परिबद्ध धारा ΣI लूप के क्षेत्रफल πr2 परिबद्ध धारा है। क्योंकि धारा एक समान वितरित है अत: r (r < R) त्रिज्या के वृत्ताकार पथ या परिबद्ध धारा इस वृत्त के क्षेत्रफल तथा चालक के काटक्षेत्र πr2 का अनुपात होगी।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 25
स्पष्ट है कि बेलनाकार धारावाही चालक के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र, अक्ष से दूरी के समानुपाती होता है।
यदि r = 0 तब B = 0
अर्थात् अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है तथा सतह पर अधिकतम होता है।
इस प्रकरण में चुम्बकीय क्षेत्र का अक्ष से दूरी के साथ आलेख निम्न प्रकार होगा–
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 26

प्रश्न 11.
साइक्लोट्रॉन के अन्दर किसी dee में धने आवेश के अर्द्धवृत्ताकार पथ में लगे समय का मान पथ की त्रिज्या पर निर्भर नहीं करती, यह दर्शाइये।
उत्तर:
साइक्लोट्रॉन में कण के वृत्ताकार पथ के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल लम्बवत् चुम्बकीय क्षेत्र से प्राप्त होता है, अतः
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 27
उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है साइक्लोट्रॉन के अन्दर किसी dee में धन आवेश के अर्द्धवृत्ताकार पथ में लगे समय का मान पथ की त्रिज्या पर निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 12.
साइक्लोट्रॉन का सिद्धान्त समझाइये।
उत्तर:
‘साइक्लोट्रॉन’ इस सिद्धान्त पर कार्य करता है कि यदि भारी धनावेशित कणों की, शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग करके, उच्च आवृत्ति के अपेक्षाकृत लघु प्रत्यावर्ती विभव द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में से गुजारा जाए, जो चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् कार्यरत् है, बार-बार गुजारा जाए तो कणों को अति ऊर्जा तक त्वरित किया जा सकता है। यहाँ चुम्बकीय क्षेत्र आवेशित कणों को वृत्तीय पथ पर गतिमान करता है, जबकि विद्युत क्षेत्र प्रत्येक आवृत्ति में इनकी ऊर्जा में वृद्धि करता है।

प्रश्न 13.
धारामापी की सुग्राहिता एवं दक्षतांक किन्हें कहते हैं? इनमें क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
धारामापी की सुग्राहिता (Sensitivity of Galvanometer)- धारामापी में एकांक धारा मान से प्राप्त विक्षेप को धारामापी की धारा सुग्राहिता Si कहते हैं। .
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 28
इसे div/Arnp में मान सकते हैं।
धारामापी का दक्षतांक (Figure of Merit of Galvanometer) – धारामापी में एकांक विक्षेप के लिए आवश्यक धारा के मान को धारामापी का दक्षतांक कहते हैं। यह धारामापी की सुग्राहिता के व्युत्क्रम के समान होता है।
अतः धारामापी का दक्षतांक
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 29

प्रश्न 14.
किसी धारामापी को उचित परास के अमीटर में परिवर्तित करने के लिए धारामापी के समान्तर क्रम में जोड़े जाने वाली शण्ट को प्रतिरोध ज्ञात करो।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 30
शण्ट युक्त धारामापी चित्र में दर्शायी है। मुख्य धारा I है तथा धारामापी में अधिकतम विक्षेप के लिए आवश्यक धारा Ig है तो शण्ट से I – Ig, धारा प्रवाहित होगी। तब परिपथ से स्पष्ट है
धारामापी के सिरों के मध्य विभवान्तर = शण्ट के सिरों के मध्य विभवान्तर
IgG = (I – Ig) G
S = \(\frac{I_{g} G}{\left(I-I_{g}\right)}\)
इस प्रकार शण्ट को प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
एक आयतकार धारावाही पाश EFGH चित्रानुसार समरूपी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 31
(a) धारा पाश पर चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा क्या है ?
(b) पाश पर कार्यरत् बल आघूर्ण कब (i) अधिकतम तथा (ii) शून्य होगा ?
उत्तर:
(a) दाँहिने हाथ के नियमानुसार चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर होगी।
(b) (i) जब θ = 90° होगा तब
τmax = NIAB sin 90°
τmax = NIAB
(ii) जब θ = 0° होगा तब
τmin = 0

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बायो सावर्ट के नियम का कथन कीजिए। इसकी सहायता से किसी सीधे तथा परिमित लम्बाई के धारावाही चालक तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त कीजिए। दर्शाइए कि अनन्त लम्बाई के धारावाही तार से लम्बवत् दूरी d पर चुम्बकीय क्षेत्र B = \(\frac{\mu_{0} I}{2 \pi d}\) होता है।
उत्तर:
बायो-सावर्ट का नियम (Biot-Savart’s Law)
ऑरस्टैंड के प्रयोग से ज्ञात हुआ कि जब किसी चालक में धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक के परितः एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसकी बल रेखाएँ समकेन्द्रीय वृत्तों (concentric circles) के रूप में होती हैं। किसी धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को ज्ञात करने के लिए चालक को अनेक छोटे-छोटे अल्पांशों (elements) में
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 32
बाँट लेते हैं और सभी अल्पांशों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों को जोड़कर कुल चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करते हैं। सन् 1820 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक बायो-सावर्ट (Biot-Savart) ने किसी धारावाही चालक के विभिन्न अल्पांश के कारण किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन किया और प्राप्त निष्कर्षों को एक नियम के रूप में प्रस्तुत किया जो बायो-सावर्ट नियम के रूप में जाना गया।

माना एक धारावाही चालक XY में I धारा प्रवाहित हो रही है और उसके अल्पांश ab जिसकी लम्बाई \(\overrightarrow{d l}\) हैं के कारण अल्पांश के मध्य-बिन्दु O से θ दिशा में \(\vec{r}\) दूरी पर स्थित बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र पर विचार करना है। बायो-सावर्ट के नियमानुसार P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{d B}\) निम्न चार बातों पर निर्भर करता है
(i) \(\overrightarrow{d B}\) का मान चालक में प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ I ……………… (1)

(ii) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश ab की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् ।
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ \(\overrightarrow{d l}\) ………….. (2)

(iii) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश के साथ P की दिशा बताने वाले कोण की ज्या (sin θ) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ sin θ …………… (3)
(iv) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश से P की दूरी \(\vec{r}\) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ \(\frac{1}{r^{2}}\)
उक्त चारों समीकरणों को मिलाने पर,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 33
जहाँ k एक समानुपाती नियतांक है। और k = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\) इसका निर्वात में मान होगा
k = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\) = 10-7 Tm/A or 10-7 N/A
जहाँ μ0 = निर्वात् की चुम्बकशीलता (Magnetic Permeability) कहलाती है।
\(\overrightarrow{d B}=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{I \overrightarrow{d l} \sin \theta}{r^{2}}\) …………. (5)
उक्त सम्बन्ध (5) को ही ‘बायो-सावर्ट का नियम’ कहते हैं। चित्र 7.2 में धारावाही चालक तथा बिन्दु P कागज के तल में हैं। धारावाही चालक के अल्पांश ab के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर होगी। इसे चिह्न ® द्वारा प्रदर्शित किया गया है तथा चिन्ह (.) चुम्बकीय क्षेत्र को लम्बवत् बाहर की ओर प्रदर्शित करता है।

सम्पूर्ण धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए उसके समस्त अल्पांशों के कारण P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों को जोड़ना होगा अर्थात्
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 34
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 35
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 36

परिमित लम्बाई के सीधा धारावाही चालक तर के कारण चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field Due to Straight current carrying conducting wire of finite length)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 37
चित्र 7.7 के अनुसार, माना XY एक सीधा पतला धारावाही चालक तार है। तार में स्थायी धारा I तार के x सिरे से Y सिरे की ओर प्रवाहित हो रही है। इस धारावाही चालक तार के कारण, कागज के तल में तार से। लम्बवत् दूरी पर स्थित बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है।
चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए एक अल्पांश ab की कल्पना करते हैं जिसकी लम्बाई dl है। इस अल्पांश का मध्य बिन्दु O है। अल्पांश से बिन्दु P के लम्बवत् तार के बिन्दु O’ से दूरी OO = l है।
बायो सावर्ट के नियम से इस अल्पांश के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र
\(\overrightarrow{d B}=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{I \overrightarrow{d l} \sin \theta}{r^{2}}\) …………….. (1)
दाएँ हाथ के नियम के अनुसार, P पर अल्पांश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर होगी।
समी. (1) में \(\vec{r}\) = OP तथा ∠YOP = θ
चित्र 7.7 से, ∆OOP में
cot ∠POO’ = cot (180° – θ ) = – cotθ
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 38
समी. (3) से dl का मान तथा समी. (4) से r का मान समी. (I) में प्रतिस्थापित करने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 39
समी (5) में 8 का मान तार के सिरों X तथा Y के लिए क्रमशः θ1 तथा θ2 हैं। अत: सम्पूर्ण धारावाही तार XY के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र समीकरण (5) की सीमाओं θ1 से θ2, के अन्तर्गत समाकलन पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 40

प्रश्न 2.
बायो सावर्ट के नियम का उपयोग करते हुए किसी धारावाही वृत्ताकार लूप (पाश) के अक्ष पर किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक (सदिश रूप में) व्युत्पन्न कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए।
उत्तर:
वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के अदा पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field on the axis of a circular current loop)
माना R त्रिज्या की एक वृत्ताकार कुण्डली में । धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली में तार के N फेरे हैं। कुण्डली के केन्द्र O से x दूरी पर अक्षीय स्थिति (axial position) में एक बिन्दु P पर हमें चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है। P पर कुण्डली द्वारा अन्तरित अर्द्ध-शीर्ष कोण (semi-vertical angle) θ है। पहले हम एक लूप पर विचार करते हैं। माना लूप के व्यास NM के बिन्दुओं N व M पर समान लम्बाई dl के दो अल्पांश (elements) हैं। इन अल्पांशों की बिन्दु P से r दूरी यदि हो तो N पर स्थित अल्पांश के कारण P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 41
चित्र 7.17 से स्पष्ट है कि केन्द्र O के दोनों ओर सममिति (symmetry) में लिए गए समान लम्बाई (dl) के दो अल्पांशों द्वारा बिन्दु P पर समान परिमाण के चुम्बकीय क्षेत्र dB1 व dB2 उत्पन्न होते हैं। इन दोनों के निरक्षीय घटक (equatorial components) dB1 cos θ एवं dB2 cos. θ परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत होने के कारण एक-दूसरे को निष्प्रभावित (cancel out) कर देते हैं और अक्षीय घटक (axial component) dB1 sin θ एवं dB2 sin θ जुड़कर चुम्बकीय क्षेत्र प्रदान करते हैं। इस प्रकार चुम्बकीय क्षेत्र केवल अक्षीय घटक dB sin θ के कारण ही मिलता है।
∴ बिन्दु P पर पूरे लूप के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 42
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 43
विशेष स्थितियाँ
(i) कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र-केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए समी. (1) में x = 0 रखने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 44
इस स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिकतम (Bmax) होती है।

(ii) यदि बिन्दु P, कुण्डली की त्रिज्या R की तुलना में अत्यधिक दूरी पर स्थित हो, अर्थात् x >> R हो तो समीकरण (1) में R2 को नगण्य मानते
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 45

वृत्ताकार कुण्डली के अक्ष पर दूरी के साथ चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन- धारावाही वृत्ताकार कुण्डली के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र B का दूरी x के साथ परिवर्तन को चित्र 7.18 में दर्शाया गया है। चित्र से
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 46
स्पष्ट है कि कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान अधिकतम होता है तथा अक्ष से दूरी बढ़ने के साथ चुम्बकीय क्षेत्र का घटता है।
x = ∞ पर B को मान शून्य होता है। x = ±\(\frac{R}{2}\) पर आलेख की वक्रता शून्य होती है। इन बिन्दुओं को वक्र में P1 व P2 दर्शाया है। इन बिन्दुओं पर वक्रता में परिवर्तन होने के कारण इन बिन्दुओं को नति परिवर्तन बिन्दु (Point of Inflection) कहते हैं।
नति परिवर्तन बिन्दुओं के लिए
(i) x < \(\frac{R}{2}\) पर वक्रता धनात्मक होती है एवं x > \(\frac{R}{2}\) पर वक्रता ऋणात्मक तथा x = \(\frac{R}{2}\) पर वक्रता शून्य होती है।

(ii) \(\frac{d \mathrm{B}}{d x}\) = नियत रहता है साथ \(\frac{d^{2} \mathrm{B}}{d^{2} x}=0\) होता है।

(iii) नति परिवर्तन बिन्दुओं के मध्य दूरी कुण्डली की त्रिज्या के बराबर होती है।

प्रश्न 3.
साइक्लोट्रॉन की क्रिया विधि लिखिए। दोनों डीज में त्वरित आवेशित कणों (आयनों) के पथ को प्रदर्शित करता साइक्लोट्रॉन का व्यवस्था आरेख बनाइये। साइक्लोट्रॉन के निम्न प्राचलों की व्युत्पत्ति कीजिए।
(i) साइक्लोट्रॉन की आवृत्ति
(ii) साइक्लोट्रॉन में आयनों की गतिज ऊर्जा
उत्तर:
साइक्लोट्रॉन (Cyclotron)
साइक्लोट्रॉन एक ऐसी युक्ति (device) है जो आवेशित कणों अथवा आयनों को उच्च ऊर्जाओं (high energy) तक त्वरित (accelerate) करने के लिए प्रयुक्त होती है। इसका आविष्कार ई. ओ. लॉरेंज तथा एम. एस. लिविंग्सटन ने सन् 1934 में नाभिकीय संरचना सम्बन्धी शोध कार्यों (research work) में आवश्यक उच्च ऊर्जा वाले आवेशित कणों को प्राप्त करने के लिए किया था।

सिद्धान्त (Principle)- साइक्लोट्रॉन की कार्यप्रणाली इस तथ्य पर आधारित है कि किसी दिये गये चुम्बकीय क्षेत्र में आयन या धनावेश का परिक्रमण काल (periodic time) आयन की चाल तथा वृत्तीय पथ की त्रिज्या पर निर्भर नहीं करता। अर्थात् जब किसी धनावेशित कण को उच्च आवृत्ति (high frequency) के विद्युत् क्षेत्र में प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग करते हुए बार-बार गति करायी जाती है, तो वह त्वरित होने लगता है तथा पर्याप्त मात्रा में बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 47
साइक्लोट्रॉन इस सिद्धान्त (principle) पर कार्य करता है कि जब किसी गतिमान आवेश को चुम्बकीय तथा विद्युत दोनों क्षेत्रों में रख दिया। जाता है जो एक-दूसरे के लम्बवत् होते हैं तो वह लॉरेंज बल का अनुभव (experience) करते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 48
रचना (Construction)-यह दो खोखले D-आकृति के धात्विक कक्षों (metallic chambers) का बना होता है जिन्हें डीज.(Dees) कहते हैं। इन डीज के मध्य कुछ अन्तराल रखा जाता है जिसमें धनावेशित कणों के स्रोत (S) को रखा जाता है। डीज को उच्च आवृत्ति दोलक से जोड़ा जाता है जो डीज के अन्तराल में उच्च आवृत्ति का विद्युत क्षेत्र प्रदान करता है। इस व्यवस्था में प्रबल विद्युत चुम्बक (strong electromagnet) के कारण चुम्बकीय क्षेत्र अर्द्धचन्द्र (dees) के तल के लम्बवत् होता है। (चित्र 7.31)

कार्य- प्रणाली (Working)- साइक्लोट्रॉन मशीन के कार्य करने का सिद्धान्त चित्र 7.32 में प्रदर्शित है। डीज के बीच रखे गये स्रोत S से उत्पन्न धन आयन उसे डीज की ओर आकर्षित होते हैं जो उस क्षण ऋण विभव पर होती है। लम्बवत् चुम्बकीय क्षेत्र के कारण धन आयन डीज के भीतर वृत्ताकार पथ पर चलने लगते हैं। आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र एवं वोल्टता की रेडियो आवृत्ति को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि जैसे ही आयन डीज से बाहर निकलता है, तो डीज की ध्रुवता (Polarity) बदल जाती है। [अर्थात् ऋण विभव (negative potential) से धन विभव (positive potential) अथवा धन विभव से ऋण विभव हो जाता है। इससे आयन पुनः त्वरित (accelerate) होता है। जैसे-जैसे आयन का वेग बढ़ता है, उसके पथ की त्रिज्या भी बढ़ती जाती है। यह घटना बार-बार दोहराई जाती है जब तक की आयन डीज की परिधि (circumference) पर नहीं पहुँच जाता है, जहाँ एक विक्षेपक प्लेट (deflecting plate) लगी रहती है जो आयन को उस लक्ष्य (target) की ओर विक्षेपित (deflects) कर देती है, जिससे आयन को टकराना है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 49
अनुनादी प्रतिबन्ध (Resonance Condition)- साइक्लोट्रॉन के कार्य करने का प्रतिबन्ध (condition) यह है कि “रेडियो आवृत्ति (radio frequency) प्रत्यावर्ती विभवान्तर की आवृत्ति (frequency of alternating potential), डीज के भीतर आवेशित कण की परिक्रमण आवृत्ति (frequency of revolution) के बराबर होनी चाहिए।” इस प्रतिबन्ध को अनुनादी प्रतिबन्ध कहते हैं।

जब कोई प्रोटॉन (अथवा अन्य धनावेशित कण) अर्द्ध चन्द्र में चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{(B)}\) के लम्बवत् गति करता है तो इस पर कार्यरत् लॉरेंज बल
F = qvB sin 90° = qvB
जहाँ; q आवेशित कण का आवेश है।
यही बल r त्रिज्या के वृत्तीय पथ के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल (centripetal force) \(\frac{m v^{2}}{r}\) प्रदान करता है।
∴ qvB = \(\frac{m v^{2}}{r}\) या r = \(\frac{m v}{q \mathrm{B}}\)
अर्द्धचन्द्र में कण द्वारा अर्द्धवृत्त पूर्ण करने में लगा समय
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 50
स्पष्ट है कि धनावेशित कण द्वारा अर्द्धवृत्त पूर्ण करने में लगा समय समान होता है तथा त्रिज्या पर निर्भर नहीं करता है।

(i) आवर्तकाल (Time Period)- माना प्रत्यावर्ती विद्युत क्षेत्र (alternating electric field) का आवर्तकाल T है तो अर्द्धचन्द्रों की ध्रुवता (polarity) \(\frac{\mathrm{T}}{2}\) समय के पश्चात् परिवर्तित होगी। यदि कण द्वारा अर्द्धवृत्त पूर्ण \(\frac{\mathrm{T}}{2}\) करने में लगा समय के बराबर होगा तो कण त्वरित होगा अर्थात्
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 51
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 52
अत: जब आवेशित कण अर्द्धचन्द्र की परिधि पर होगा (जहाँ त्रिज्या अधिकतम है) तो वह अधिकतम ऊर्जा ग्रहण कर चुका होगा।

यदि डीज के मध्य लगाया गया विभवान्तर (V) और दोनों डीज के मध्य माना N बार धनात्मक आर्यन अन्तराल (gap) को बाहर निकलने से पहले पार करता है।
∴ Emax = N (Vq)

प्रश्न 4.
चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर बल का व्यंजक प्राप्त कीजिए। बल की दिशा के लिए दाँये हाथ की हथेली का नियम समझाइये।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में धरावाही चालक तरं ए बल (Force on Current carrying conductor in a Magnetic Field)
जब किसी धारावाही चालक तार को किसी समचुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो चालक में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन लॉरेन्ज बल का अनुभव करता है। अतः चालक पर आरोपित बल
\(\vec{F}\) = q(\(\vec{v}_{d} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\))
जहाँ vd मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग है।
चित्र 7.33 के अनुसार माना एक चालक छड़ की लम्बाई l तथा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A है। चालक के इकाई आयतन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है। अत: चालक पर कुल आवेश q = neAl होगा।
माना चालक में I परिमाण की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तथा चालक छड़ चुम्बकीय क्षेत्र \(\vec{B}\) के साथ θ कोण बना रही है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 53
चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉन \(\overrightarrow{v_{d}}\) अपवाह वेग से गतिमान हैं तो इन पर चुम्बकीय बल का परिमाण
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 54
यहा \(\vec{l}\) की दिशा चालक में विद्युत धारा प्रवाह की दिशा अनुदिश होती है।
समी. (2) से यह स्पष्ट है कि धारावाही चालक पर बल की दिशा \(\vec{l}\) एवं \(\vec{B}\) के तल के लम्बवत् तल में दक्षिण हस्त नियम से ज्ञात होगी।

विभिन्न स्थितियाँ
(i) यदि धारावाही चालक चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में है, अर्थात् θ = 0° है तो F = IlB sin θ° = 0 होने के कारण चालक स्थिर रहता है।
(ii) यदि धारावाही चालक तार चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् स्थित हो अर्थात् θ = 90° है तो धारावाही चालक तार पर बल
F = IlB sin 90° = IlB
अतः इस स्थिति में चालक पर अधिकतम बल आरोपित होगा।
Fmax = IlB …………… (3)

प्रश्न 5.
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी आयताकार धारावाही कुण्डली पर बल तथा बल आघूर्ण का व्यंजक प्राप्त कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइए। बल आघूर्ण का मान कब न्यूनतम तथा अधिकतम होगा, बताइये।
उत्तर:
बायो-सावर्ट का नियम (Biot-Savart’s Law)
ऑरस्टैंड के प्रयोग से ज्ञात हुआ कि जब किसी चालक में धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक के परितः एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसकी बल रेखाएँ समकेन्द्रीय वृत्तों (concentric circles) के रूप में होती हैं। किसी धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को ज्ञात करने के लिए चालक को अनेक छोटे-छोटे अल्पांशों (elements) में
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 32
बाँट लेते हैं और सभी अल्पांशों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों को जोड़कर कुल चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करते हैं। सन् 1820 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक बायो-सावर्ट (Biot-Savart) ने किसी धारावाही चालक के विभिन्न अल्पांश के कारण किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन किया और प्राप्त निष्कर्षों को एक नियम के रूप में प्रस्तुत किया जो बायो-सावर्ट नियम के रूप में जाना गया।

माना एक धारावाही चालक XY में I धारा प्रवाहित हो रही है और उसके अल्पांश ab जिसकी लम्बाई \(\overrightarrow{d l}\) हैं के कारण अल्पांश के मध्य-बिन्दु O से θ दिशा में \(\vec{r}\) दूरी पर स्थित बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र पर विचार करना है। बायो-सावर्ट के नियमानुसार P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{d B}\) निम्न चार बातों पर निर्भर करता है
(i) \(\overrightarrow{d B}\) का मान चालक में प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ I ……………… (1)

(ii) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश ab की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् ।
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ \(\overrightarrow{d l}\) ………….. (2)

(iii) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश के साथ P की दिशा बताने वाले कोण की ज्या (sin θ) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ sin θ …………… (3)
(iv) \(\overrightarrow{d B}\) का मान अल्पांश से P की दूरी \(\vec{r}\) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात्
\(\overrightarrow{d B}\) ∝ \(\frac{1}{r^{2}}\)
उक्त चारों समीकरणों को मिलाने पर,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 33
जहाँ k एक समानुपाती नियतांक है। और k = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\) इसका निर्वात में मान होगा
k = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\) = 10-7 Tm/A or 10-7 N/A>
जहाँ μ0 = निर्वात् की चुम्बकशीलता (Magnetic Permeability) कहलाती है।
\(\overrightarrow{d B}=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{I \overrightarrow{d l} \sin \theta}{r^{2}}\) …………. (5)
उक्त सम्बन्ध (5) को ही ‘बायो-सावर्ट का नियम’ कहते हैं। चित्र 7.2 में धारावाही चालक तथा बिन्दु P कागज के तल में हैं। धारावाही चालक के अल्पांश ab के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर होगी। इसे चिह्न ® द्वारा प्रदर्शित किया गया है तथा चिन्ह (.) चुम्बकीय क्षेत्र को लम्बवत् बाहर की ओर प्रदर्शित करता है।

सम्पूर्ण धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए उसके समस्त अल्पांशों के कारण P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों को जोड़ना होगा अर्थात्
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 34
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 35
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 36

परिमित लम्बाई के सीधा धारावाही चालक तर के कारण चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field Due to Straight current carrying conducting wire of finite length)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 37
चित्र 7.7 के अनुसार, माना XY एक सीधा पतला धारावाही चालक तार है। तार में स्थायी धारा I तार के x सिरे से Y सिरे की ओर प्रवाहित हो रही है। इस धारावाही चालक तार के कारण, कागज के तल में तार से। लम्बवत् दूरी पर स्थित बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है।
चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए एक अल्पांश ab की कल्पना करते हैं जिसकी लम्बाई dl है। इस अल्पांश का मध्य बिन्दु O है। अल्पांश से बिन्दु P के लम्बवत् तार के बिन्दु O’ से दूरी OO = l है।
बायो सावर्ट के नियम से इस अल्पांश के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र
\(\overrightarrow{d B}=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{I \overrightarrow{d l} \sin \theta}{r^{2}}\) …………….. (1)
दाएँ हाथ के नियम के अनुसार, P पर अल्पांश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर होगी।
समी. (1) में \(\vec{r}\) = OP तथा ∠YOP = θ
चित्र 7.7 से, ∆OOP में
cot ∠POO’ = cot (180° – θ ) = – cotθ
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 38
समी. (3) से dl का मान तथा समी. (4) से r का मान समी. (I) में प्रतिस्थापित करने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 39
समी (5) में 8 का मान तार के सिरों X तथा Y के लिए क्रमशः θ1 तथा θ2 हैं। अत: सम्पूर्ण धारावाही तार XY के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र समीकरण (5) की सीमाओं θ1 से θ2, के अन्तर्गत समाकलन पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 40

प्रश्न 6.
ऐम्पीयर का नियम लिखिए। एक अत्यधिक लम्बी परिनालिका के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक प्राप्त कीजिए। आवश्यक चित्र बनाइये।
उत्तर:
ऐम्पीयर का परिपथीय नियम (Ampere’s Circuital Law) कथन- इस नियम के अनुसार, “किसी बन्द वक़ (closed curve) के परितः (around) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का रेखीय समाकलन (linear integral) उस बन्द वक्र (closed curve) द्वारा घिरी आकृति (bound figure) में से गुजरने वाली कुल धारा का μ0 गुना होता
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 55
धारावाही परिनालिका के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र (Magentic, Field along to axis of Current Carying Solenoid)
माना बेलनाकार ढाँचे पर लपेटी गई एक लम्बी परिनालिका है। जब इसमें । धारा बहायी जाती है तो एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। चित्र में किसी परिमित परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र दर्शाया गया है। चित्र 7.52(a)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 56
में परिनालिका के एक खण्ड (section) को विस्तारित (enlarged) करके दिखाया गया है। चित्र (b) में वृत्ताकार पाश यह दर्शाता है कि दो पास-पास के फेरों के बीच चुम्बकीय क्षेत्र नष्ट हो जाता है। चित्र (b) में परिनालिका के अन्दर बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान, प्रबल तथा परिनालिका के अक्ष के अनुदिश है। बाहरी भाग के मध्य बिन्दु Q पर चुम्बकीय क्षेत्र दुर्बल है तथा यह परिनालिका के अक्ष के अनुदिश है तथा इसका लम्बवत् अथवा अभिलम्बवत् कोई घटक भी नहीं है। चित्र (a) में परिनालिका के प्रत्येक फेरे पर कागज के तल में प्रवेश करने वाली धारा बिन्दु × द्वारा और कागज के तल के बाहर जाने वाली धारा बिन्दु (.) द्वारा प्रदर्शित की गई है।

एक सीधी परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एक दण्ड चुम्बक (bar magnet) के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के समान होता है। परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र समरूप (uniform) होता है और परिनालिका की अक्ष के अनुदिश (along) होता है। माना परिनालिका के काफी अन्दर किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) है।
\(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) का मान ज्ञात करने के लिए ABCD एक आयताकार बन्द पथ (ऐम्पीयर पाश) की कल्पना करते हैं (चित्र 7.53)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 57
माना आयताकार पथ की लम्बाई AB = L है। स्वाभाविक है कि आयत द्वारा परिबद्ध फेरों की संख्या nL होगी; जहाँ n एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या है। चूंकि धारा आयताकार बन्द पथ को nL बार काटती है, अत: बन्द लूप से गुजरने वाली कुल धारा = nLI होगी।

ऐम्पीयर के परिपथीय नियमानुसार, चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) का रेखीय समाकलन (linear integration) आयताकार पथ ABCD के अनुदिश,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 58
ऐसी परिनालिका, जिसकी लम्बाई उसके व्यास (diameter) की तुलना में काफी अधिक है, के कारण परिनालिका के बाहर बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 59
यह चुम्बकीय क्षेत्र एक लम्बी परिनालिका के अन्दर उसकी अक्ष पर लगभग केन्द्र पर होता है अर्थात्
Bc = μ0nI …………… (4)
प्रयोगों से यह पाया गया कि लम्बी परिनालिका के किनारों पर उत्पन्न क्षेत्र उसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का आधा होता है, अतः परिनालिका के किनारे उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
Be = \(\frac{1}{2}\) μ0nI …………………. (5)
यदि परिनालिका काफी लम्बी है तो इसके सिरों के पास के स्थानों को छोड़कर परिनालिका के भीतर सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान होता है। चुम्बकीय क्षेत्र का मान परिनालिका की लम्बाई तथा परिच्छेद के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है। इस प्रकार धारावाही परिनालिका एक ज्ञात तथा एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने का साधन है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा परिनालिका के अक्ष के अनुदिश होती है।
परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिवर्तन दूरी x के साथ चित्र 7.54 में दिखाया गया है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 60
यदि परिनालिका की लम्बाई । हो और उसमें फेरों की संख्या N हो, तो
n = \(\frac{N}{l}\) ……………… (6)
अतः समी. (4) को निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं,
Bc = μ0\(\frac{\mathrm{NI}}{l}\)

प्रश्न 7.
टोरॉइड की संरचना कैसी होती है ? किसी टोरॉइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए, यदि टोरॉइड में r औसत त्रिज्या के N फेरे हैं और उनसे I धारा प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए कि टोरॉइड के भीतर खुले क्षेत्र में तथा टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है।
उत्तर:
धारारावी टोरॉइड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र  (Magnetic Field due to a Toroidal Solenoid)
एक लम्बी परिनालिका को मोड़कर जब वृत्ताकार रूप दे दिया जाता है तो उसे टोरॉइड कहते हैं। किसी आदर्श टोरॉइड जिससे फेरे सटाकर लिपटे होते हैं, के लिए टोरॉइड के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र B नियत रहता। है। आदर्श टोरॉइड में कुण्डलियाँ (coils) पूर्णत: वृत्ताकार होती हैं। वास्तव में टोरॉइड के फेरे सर्पिलाकार (helical) कुण्डली बनाते हैं तथा इसके बाहर सदैव ही एक क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र पाया जाता है।

माना टोरॉइड की प्रति एकांक लम्बाई में n फेरे हैं तथा इसमें प्रवाहित धारा I है। धारा बहने के कारण टोरॉइड के फेरों के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। टोरॉइड के भीतर चुम्बकीय बल रेखाएँ संकेन्द्री वृत्तों (concentric circles) के रूप में होती हैं। सममिति (symmetry) से पथ के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान समान रहता है तथा यह चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक बिन्दु पर स्पर्श रेखा के अनुदिश है।

टोरॉइड की क्रोड (core) के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र- माना r त्रिज्या का एक वृत्ताकार पथ है जो टोरॉइड के फेरों के बीच के क्षेत्र में
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 61
स्थित है। इस वृत्तीय पथ पर ऐम्पीयर के परिपथीय नियम से.
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 62
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 63

टोरॉइड द्वारा घेरे गये रिक्त स्थान में
(i) टोरॉइड द्वारा घेरे गये रिक्त स्थान में- माना r1 त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जो टोरॉइड में प्रवाहित धारा में घिरे रिक्त स्थान में हैं तथा टोराइड के संकेन्द्रीय है। जव r1 का मान r से छोटा है तो धारा शून्य होगी अर्थात्
I = 0
∴ ऐम्पीयर के परिंपधीय नियम से,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 64

(ii) टोरॉइड के बाहर रिक्त स्थान में- माना r2 त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जो टोरॉइड द्वारा घेरे गये क्षेत्र के बाहर रिक्त स्थान में है। इस बन्द वृत्त से भी परिबद्ध (bound) नेट धारा शून्य होगी क्योंकि टोरॉइड का प्रत्येक फेरा r2 त्रिज्या के वृत्त से परिबद्ध क्षेत्र से होकर दो बार गुजरता है, जबकि विद्युत धारा का मान समान परन्तु दिशाएँ विपरीत होती हैं। अत: वृत्त द्वारा परिबद्ध नेट धारा I = 0
∴ ऐम्पीयर के परिपथीय नियम से,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 65
या B = \(\frac{1}{2}\)μ0nl अर्थात् परिनालिका के सिर पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के बीच के मध्य-बिन्दु पर उपस्थित चुम्बकीय क्षेत्र का आधा होता है।
(c) जब टोरॉइड की बाहरी एवं आन्तरिक त्रिज्याएँ दी गई हों तो प्रश्न हल करने के लिए उनका माध्य (mean) ले लेते हैं और सूत्र में r के स्थान पर इसी माध्य का प्रयोग करते हैं।
r = \(\frac{r_{1}+r_{2}}{2}\)
(d) चुम्बकीय परिरोधन- टोरॉइड का महत्वपूर्ण योगदान टोकामैक में है। टोकामैक संलयन शक्ति रिएक्टरों में प्लाज्मा परिरोधन के लिए उपकरण है।

प्रश्न 8.
धारामापी क्या है ? नामांकित चित्र की सहायता से चल कुण्डली धारामापी की संरचना तथा सिद्धान्त एवं कार्यविधि समझाइए। निम्न का क्या उपयोग है ?
(i) त्रिज्यी क्षेत्र
(ii) कच्चे लोहे का क्रोड
उत्तर:
धारामापी (Galvanometer)
उपयोग (Use)-चलकुण्डल धारामापी परिपथ में प्रवाहित अल्प विद्युत धारा की उपस्थिति को प्रदर्शित करती है।
सिद्धान्त-यह इस सिद्धान्त पर कार्य करता है कि “जब एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली में धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक विक्षेपक बल (deflecting force) आधूर्ण कार्य करने लगता है। जिसका परिमाण कुण्डली में प्रवाहित धारा की प्रबलता (intensity of currents) पर निर्भर करता है।”

चलकुण्डल धारामापी के प्रकार- ये दो प्रकार के होते हैं
(1) निलम्बन कुण्डली धारामापी (Suspended Coil Galvanometer)
(2) कोलकित कुण्डली या वेस्टन धारामापी (Pivoted Coil or Weston Galvanometer)

निलम्बन कुण्डली धारामापी (Suspended Coil Gal vanometer)
बनावट (Construction)- इसमें एक अचुम्बकीय धातु ऐलुमिनियम के फ्रेम [non-magnetic metallic (aluminium frame)] पर पतले विद्युतरोधी ताँबे के तार के अनेक फेरों वाली आयताकार कुण्डली लिपटी (wound) रहती है। यह कुण्डली एक पतले फॉस्फर ब्रांज (Phosphor Bronze) के तार से, एक प्रबल स्थायी चुम्बक (strong magnet) के ध्रुवखण्डों (N व S) के बीच लटकी रहती है। कुण्डली के बीच एक नर्म लोहे (soft iron) की बेलनाकार क्रोड (cylindrical core) रखी जाती है।

कुण्डली का एक सिरा निलम्बन (suspension) से बँधा रहता है जो धारामापी के एक टर्मिनल (T1) का कार्य करता है। कुण्डली का दूसरा सिरा एक ढीली कुण्डलित स्प्रिंग (loosely coiled spring) से जुड़ा रहता है, जो धारामापी के दूसरे टर्मिनल (T2) का कार्य करता है। निलम्बन तार | (suspension wire) का ऊपरी सिरा मरोड़ शीर्ष (torsion head)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 66
H से जुड़ा रहता है जिसमें कुण्डली को शून्य स्थिति (zero position) में लाने के लिए घुमाया जा सकता है। फॉस्फर ब्रांज के साथ एक समतल दर्पण M लगा रहता है जिसकी सहायता से लैम्प व स्केल व्यवस्था (lamp and scale arrangement) द्वारा कुण्डली का विक्षेप पढ़ा जा सकता है। यन्त्र के आधार (base) पर क्षैतिजकारी पेंच (horizontal screws) भी लगे रहते हैं।

स्थायी चुम्बक के ध्रुव खण्ड (pole pieces) बेलनाकार रखे जाते हैं, ताकि कुण्डली की प्रत्येक स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्यीय (radial) रहे। ध्रुव खण्ड अवतल होते हैं और घोड़े की नाल चुम्बक से बने होते हैं।

सिद्धान्त (Principle)- यदि धारावाही कुण्डली को समरूप चुम्बकीय क्षेत्र (uniform magnetic field) में रखा जाये तो उस पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण,
τ = nIAB sinθ
जहाँ n = कुण्डली में फेरों की संख्या (number of turns in coil); I = कुण्डली में प्रवाहित धारा; A = कुण्डली के तल का क्षेत्रफल; B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (intensity of magnetic field); θ = कुण्डली के तल पर खींचे गये अभिलम्ब एवं क्षेत्र रेखा के मध्य कोण (angle between normal drawn on plane of coil and field line)
यदि चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्य है तो
θ = 90°; ∴ sin θ = 1
अतः τ = nIAB
इस बलयुग्म के प्रभाव में कुण्डली घूमने लगेगी, फलस्वरूप फॉस्फर ब्रांज के तार में ऐंठन (twist) लगने लगेगी। यदि यह ऐंठन ϕ हो तो, ऐंठन बलयुग्म का आघूर्ण
τ’ = Cϕ
जहाँ, C = एकांक ऐंठन के लिए बलयुग्म का आघूर्ण
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 67
k को धारामापी का परिवर्तन गुणांक (torsion constant or reduction factor) कहते हैं।
∴ I ∝ ϕ या ϕ ∝ I
तार में उत्पन्न ऐंठन (अर्थात् धारामापी कुण्डली में उत्पन्न विक्षेप) बहने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती होती है। यही धारामापी का सिद्धान्त
है।
धारा परिवर्तन गुणांक (Current Reduction Factor)
समी. (1) से, I = \(\frac{C}{n \mathrm{AB}}\) ϕ
या I = kϕ ……………….. (2)
जिसमें k = \(\frac{C}{n \mathrm{AB}}\) को ही धारामापी का धारा परिवर्तन गुणांक कहते हैं।

∵ धारा सुग्राहिता (Current Sensitivity)- धारामापी की धारा सुग्राहिता कुण्डली में प्रति एकांक धारा के लिए उत्पन्न विक्षेप (deflection) से नापी जाती है अर्थात्
धारा सुग्राहिता Si = \(\frac{\phi}{I}\)
= \(\frac{n \mathrm{AB}}{\mathrm{C}}\) ………………… (3)

वोल्टेज सुग्राहिता (Voltage Sensitivity)- यदि कुण्डली के सिरों के मध्य वोल्टेज V हो तो राशि \(\frac{\phi}{V}\) को वोल्टेज सुग्राहिता कहते हैं। यदि कुण्डली का प्रतिरोध R हो तो
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 68
धारामापी की धारा सुग्राहिता को प्रभावित करने वाले कारक| समी. (3) से स्पष्ट है कि धारामापी की धारा सुग्राहिता को निम्न प्रकार से बढ़ाया जा सकता है
(i) फेरों की संख्या (n) बढ़ाकर,
(ii) कुण्डली का क्षेत्रफल (A) बढ़ाकर,
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता (B) बढ़ाकर,
(iv) मरोड़ी दृढ़ता (torsion rigidity) (C) घटाकर

प्रश्न 9.
धारामापी का सिद्धान्त समझाते हुए इसकी सुग्राहिता तथा दक्षतांक के लिए व्यंजक प्राप्त करो। ये किन-किन कारकों पर निर्भर करते हैं।
उत्तर:
धारामापी (Galvanometer)
उपयोग (Use)-चलकुण्डल धारामापी परिपथ में प्रवाहित अल्प विद्युत धारा की उपस्थिति को प्रदर्शित करती है।
सिद्धान्त-यह इस सिद्धान्त पर कार्य करता है कि “जब एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली में धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक विक्षेपक बल (deflecting force) आधूर्ण कार्य करने लगता है। जिसका परिमाण कुण्डली में प्रवाहित धारा की प्रबलता (intensity of currents) पर निर्भर करता है।”

चलकुण्डल धारामापी के प्रकार- ये दो प्रकार के होते हैं
(1) निलम्बन कुण्डली धारामापी (Suspended Coil Galvanometer)
(2) कोलकित कुण्डली या वेस्टन धारामापी (Pivoted Coil or Weston Galvanometer)

निलम्बन कुण्डली धारामापी (Suspended Coil Gal vanometer)
बनावट (Construction)- इसमें एक अचुम्बकीय धातु ऐलुमिनियम के फ्रेम [non-magnetic metallic (aluminium frame)] पर पतले विद्युतरोधी ताँबे के तार के अनेक फेरों वाली आयताकार कुण्डली लिपटी (wound) रहती है। यह कुण्डली एक पतले फॉस्फर ब्रांज (Phosphor Bronze) के तार से, एक प्रबल स्थायी चुम्बक (strong magnet) के ध्रुवखण्डों (N व S) के बीच लटकी रहती है। कुण्डली के बीच एक नर्म लोहे (soft iron) की बेलनाकार क्रोड (cylindrical core) रखी जाती है।

कुण्डली का एक सिरा निलम्बन (suspension) से बँधा रहता है जो धारामापी के एक टर्मिनल (T1) का कार्य करता है। कुण्डली का दूसरा सिरा एक ढीली कुण्डलित स्प्रिंग (loosely coiled spring) से जुड़ा रहता है, जो धारामापी के दूसरे टर्मिनल (T2) का कार्य करता है। निलम्बन तार | (suspension wire) का ऊपरी सिरा मरोड़ शीर्ष (torsion head)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 66
H से जुड़ा रहता है जिसमें कुण्डली को शून्य स्थिति (zero position) में लाने के लिए घुमाया जा सकता है। फॉस्फर ब्रांज के साथ एक समतल दर्पण M लगा रहता है जिसकी सहायता से लैम्प व स्केल व्यवस्था (lamp and scale arrangement) द्वारा कुण्डली का विक्षेप पढ़ा जा सकता है। यन्त्र के आधार (base) पर क्षैतिजकारी पेंच (horizontal screws) भी लगे रहते हैं।

स्थायी चुम्बक के ध्रुव खण्ड (pole pieces) बेलनाकार रखे जाते हैं, ताकि कुण्डली की प्रत्येक स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्यीय (radial) रहे। ध्रुव खण्ड अवतल होते हैं और घोड़े की नाल चुम्बक से बने होते हैं।

सिद्धान्त (Principle)- यदि धारावाही कुण्डली को समरूप चुम्बकीय क्षेत्र (uniform magnetic field) में रखा जाये तो उस पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण,
τ = nIAB sinθ
जहाँ n = कुण्डली में फेरों की संख्या (number of turns in coil); I = कुण्डली में प्रवाहित धारा; A = कुण्डली के तल का क्षेत्रफल; B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (intensity of magnetic field); θ = कुण्डली के तल पर खींचे गये अभिलम्ब एवं क्षेत्र रेखा के मध्य कोण (angle between normal drawn on plane of coil and field line)
यदि चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्य है तो
θ = 90°; ∴ sin θ = 1
अतः τ = nIAB
इस बलयुग्म के प्रभाव में कुण्डली घूमने लगेगी, फलस्वरूप फॉस्फर ब्रांज के तार में ऐंठन (twist) लगने लगेगी। यदि यह ऐंठन ϕ हो तो, ऐंठन बलयुग्म का आघूर्ण
τ’ = Cϕ
जहाँ, C = एकांक ऐंठन के लिए बलयुग्म का आघूर्ण
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 67
k को धारामापी का परिवर्तन गुणांक (torsion constant or reduction factor) कहते हैं।
∴ I ∝ ϕ या ϕ ∝ I
तार में उत्पन्न ऐंठन (अर्थात् धारामापी कुण्डली में उत्पन्न विक्षेप) बहने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती होती है। यही धारामापी का सिद्धान्त
है।
धारा परिवर्तन गुणांक (Current Reduction Factor)
समी. (1) से, I = \(\frac{C}{n \mathrm{AB}}\) ϕ
या I = kϕ ……………….. (2)
जिसमें k = \(\frac{C}{n \mathrm{AB}}\) को ही धारामापी का धारा परिवर्तन गुणांक कहते हैं।

∵ धारा सुग्राहिता (Current Sensitivity)- धारामापी की धारा सुग्राहिता कुण्डली में प्रति एकांक धारा के लिए उत्पन्न विक्षेप (deflection) से नापी जाती है अर्थात्
धारा सुग्राहिता Si = \(\frac{\phi}{I}\)
= \(\frac{n \mathrm{AB}}{\mathrm{C}}\) ………………… (3)

वोल्टेज सुग्राहिता (Voltage Sensitivity)- यदि कुण्डली के सिरों के मध्य वोल्टेज V हो तो राशि \(\frac{\phi}{V}\) को वोल्टेज सुग्राहिता कहते हैं। यदि कुण्डली का प्रतिरोध R हो तो
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 68
धारामापी की धारा सुग्राहिता को प्रभावित करने वाले कारक| समी. (3) से स्पष्ट है कि धारामापी की धारा सुग्राहिता को निम्न प्रकार से बढ़ाया जा सकता है
(i) फेरों की संख्या (n) बढ़ाकर,
(ii) कुण्डली का क्षेत्रफल (A) बढ़ाकर,
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता (B) बढ़ाकर,
(iv) मरोड़ी दृढ़ता (torsion rigidity) (C) घटाकर

RBSE Class 12 Physics Chapter 7 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
तार की एक वृत्ताकार कुण्डली में 100 फेरे हैं, प्रत्येक की त्रिज्या 8.0cm है और इनमें 0.40A विद्यत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है ?
हल:
दिया है : कुण्डली में फेरे N = 100
त्रिज्या R = 8.0 cm=8 × 10-2m
प्रवाहित धारा I = 0.40A
तब कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 69

प्रश्न 2.
एक 6.28m लम्बे तार से 0.10m त्रिज्या की कुण्डली बनाकर इसमें 1.0A धारा प्रवाहित की गई है। इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, कुण्डली बनाने में लगे तार की लम्बाई l = 6.28m
कुण्डली की त्रिज्या R = 0.10m
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 70

प्रश्न 3.
एक लम्बे, सीधे तार में 35A विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20cm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है ?
हल:
प्रश्नानुसार, चालक तार में प्रवाहित धारा I = 35A
तार से दूरी r =20 cm=0.20 m
बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B = \(\frac{\mu_{0} I}{2 \pi d}=\frac{2 \times 10^{-7} \times 35}{0.20}\)
B = 3.5 × 10-5T

प्रश्न 4.
एक तार AB से होकर 10A की स्थिर (अपरिवर्ती) विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। यह तार एक मेज पर क्षैतिज रखा है। एक अन्य तार CD इस तार AB के ठीक ऊपर 2mm की ऊँचाई पर स्थित है। तोर CD से 6A की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार CD की प्रति एकांक लम्बाई का द्रव्यमान कितना हो ताकि मुक्त अवस्था में यह अपनी स्थिति में ही लटका रहे? तार AB के सापेक्ष तार CD में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा क्या होगी ? (४ का मान = 10 ms-2लीजिए)
हल:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 71
तार AB के कारण तार CD की एकांक लम्बाई पर आरोपित बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 72
CD पर आरोपित बल भार W के विपरीत दिशा में तथा परिमाण में समान होना चाहिए ताकि तार CD अपनी स्थिति में ही लटका रहे। CD पर आरोपित बल की दिशा ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर होने के लिए धारा की दिशा AB में प्रवाहित धारा की दिशा के विपरीत होगी।
सन्तुलन अवस्था में
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 73

प्रश्न 5.
क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे तथा सीधे तार में 50A की विद्युतधारा दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5nm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं उसकी दिशा ज्ञात कीजिए।
हल:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 74
तार में प्रवाहित धारा I = 50A
तार से बिन्दु P की दूरी 4 = 2.5m
अत: P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 75
P बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र दाहिने हाथ के नियम के अनुसार ऊध्र्वाधर नीचे की ओर होगा।

प्रश्न 6.
दो लम्बे समान्तर तार परस्पर 4cm की दूरी पर है। इनमें क्रमशः 1 तथा 31 मान की धाराएँ एक ही दिशा में बह रही है। दोनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कहाँ पर शून्य होगा ?
हल:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 76
माना P बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य है अर्थात्
\(\overrightarrow{\mathrm{B}_{1}}+\overrightarrow{\mathrm{B}_{2}}\) = 0
\(\overrightarrow{B_{1}}\) व \(\overrightarrow{B_{1}}\) दाहिने हाथ के नियमानुसार परस्पर विपरीत दिशाओं में हैं। अत:
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 77
3x = 4 – x
4x = 4
x = 1
अतः 1 धारा वाले तार से 1 cm दूरी पर दोनों तारों के मध्य चुम्बकीयशून्य शून्य होगा।

प्रश्न 7.
एक प्रोटॉन 0.27 के चुम्बकीय क्षेत्र में 6.0 × 10 m/s की चाल से चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करता है। प्रोटॉन का त्वरण एवं पथ की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है,
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.2T
प्रोटॉन की चाल v = 6.0 × 105m/s
आवेश q == 1.6 × 10-19C
θ = 90° अतः
F = qvB sinθ
F = 1.6 × 10-19 × 6.0 × 105 × 0.2 × sin90°
F = 1.92 × 10-14N
जबकि
F = ma
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 78

प्रश्न 8.
एक तार जिसमें 8A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 0.15T के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए रखा है। इसकी एकांक लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण एवं इसकी दिशा क्या है ?
हल:
दिया है,
तार में प्रवाहित धारा |B = 8A
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.15T
θ = 30°
∴ धारावाही तार पर आरोपित बल
F = IlB sinθ
यहाँ l = 1 मी. तब एकांक लम्बाई पर लगने वाला बल
f = \(\frac{F}{l}\) 8 × 0.15 × sin 30°
F = 8 × 0.15 × \(\frac{F}{l}\)
F = 0.6 N/m.

प्रश्न 9.
दो एक समान कुण्डलियाँ, प्रत्येक की त्रिज्या 8cm तथा फेरों की संख्या 100 है, समाक्षतः व्यवस्थित है, इनके केन्द्रों के मध्य दूरी 12cm है। यदि प्रत्येक कुण्डली में 1A धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो तो अक्षीय रेखा पर ठीक मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
प्रत्येक कुण्डली की त्रिज्या R = 8 cm= 8 × 10-2m
फेरों की संख्या N = 100
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 79
कुण्डलियों को मिलाने वाली रेखा के मध्य में स्थित बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 80

प्रश्न 10.
दो 2m लम्बे समान्तर तार परस्पर 0.2m की दूरी पर निर्वात में स्थित है। दोनों तारों में 0.2A की विद्युत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो तो तारों की प्रति एकांक लम्बाई पर लगने वाला बल ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है,
l1 – l2 = 2m
r = 0.2m
प्रवाहित धारा l1 – l2 = 0.2A
अत: एकांक लम्बाई पर आरोपित बल
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 81

प्रश्न 11.
एक वर्गाकार कुण्डली जिसकी प्रत्येक भुजा 10cm है, में 20 फेरे है और उसमें 12A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली ऊर्ध्वाधरतः लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलम्ब 0.80T के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 30° का कोण बनाता है। कुण्डली पर लगने वाले बलयुग्म का परिमाण क्या है ?
हल:
दिया है.
वर्गाकार कुण्डली की भुजा = 10 cm
∴ कुण्डली को क्षेत्रफल A =(10)2 = 100 cm-2
= 10-2m2
प्रवाहित धार I = 12A
कुण्डली में फेरों की संख्या N = 20 फेरे
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.80T
कोण θ = 30°
अत: कुण्डली पर लगने वाला बलयुग्म
τ = NIAB sin θ
τ =20 × 10-2 × 12 × 0.80 × sin 30°
τ = 20 × 12 × 0.80 × \(\frac{1}{2}\) × 10-2
τ = 0.96 N-m.

प्रश्न 12.
समान वेग v से α कण तथा प्रोटॉन के पुंज किसी समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करते हैं। ये कण वृत्ताकार पथ अनुरेखित करते हैं। इन पथों की त्रिज्याओं का अनुपात ज्ञात करो।
हल:
प्रश्नानुसार समान वेग v से α कण तथा प्रोटॉन के पुंज किसी समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् प्रवेश करते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 82

प्रश्न 13.
एक साइक्लोट्रॉन की dee की त्रिज्या 0.5 है इसमें 1.7T का अनुप्रस्थ चुम्बकीय क्षेत्र कार्यरत है। इसमें प्रोटॉन द्वारा अर्जित अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
हल:
dee की त्रिज्या R = 0.5m
चुम्बकीय क्षेत्र B = 1.7T
प्रोटॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
Emax = \(\frac{1}{2} \frac{q^{2} \mathrm{B}^{2} \mathrm{R}^{2}}{m}\)
यहाँ q = e = 1.6 × 10-19C
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 83

प्रश्न 14.
12Ω प्रतिरोध की कुण्डली वाले किसी धारामापी के पूर्ण स्केल पर विक्षेप के लिए आवश्यक धारा 2mA है। आप इस धारामीप को 0 से 18 V परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे।
हल:
कुण्डली का प्रतिरोध G = 12Ω
वांछित वोल्टमीटर का परास V = 19V
पूर्ण स्केल पर विक्षेप धारा Ig = 2 mA
इस धारामापी को वोल्टमीटर में रूपांतरित करने के लिए धारामापी के श्रेणीक्रम उच्च प्रतिरोध जोड़ना होगा। इस प्रतिरोध का मान
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 84

प्रश्न 15.
एक 99 ओम प्रतिरोध वाले धारामापी के पूर्ण स्केल पर विक्षेप के लिए आवश्यक धारा 4 mA है। इस धारामापी को 0 से 6A परास के अमीटर में परिवर्तित करने के लिए आप क्या करेंगे ?
हलः
दिया है धारामापी की प्रतिरोध G = 99 ओम
पूर्ण स्केल पर विक्षेप के लिए धारा = 4 mA
अमीटर की परास I = 6A
धारामापी को अमीटर में रूपांतरित करने के लिए समान्तर क्रम में अल्प मान का प्रतिरोध S जोड़ना होगा।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 85
अतः धारामापी के समान्तर क्रम में 6.6 × 10-2 Ω का प्रतिरोध | जोड़कर 0 से 6A परास का अमीटर रूपांतरित होता है।

प्रश्न 16.
1.0 m लम्बी एक परिनलिका की त्रिज्या। 1 cm है तथा इसमें 100 फेरे हैं। परिनालिका में 5A की धारा प्रवाहित हो रही है। परिनालिका में अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिए।
यदि एक इलेक्ट्रॉन उसकी अक्ष के अनुदिश 104 N/m की चाल की गति करता है तो इलेक्ट्रॉन कितना बल अनुभव करेगा ?
हलः
प्रश्नानुसार, परिनालिका की लम्बाई l = 1.0m
परिनालिका की त्रिज्या = 1 cm10-2m
प्रवाहित धारा I = 5A
फेरों की संख्या N = 100
परिनालिका में अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 86
यदि इलेक्ट्रॉन उसकी अक्ष के अनुदिश 104 m/s के वेग से गति करता है तो चुम्बकीय क्षेत्र व वेग के मध्य कोण θ = 0° होगा। अतः
F = qvB sin θ से.
F = 0N

प्रश्न 17.
किसी 0.5 मीटर लम्बी परिनालिका में दो परतों में ताँबें के विद्युत रुद्ध तार लपेटे गए हैं। प्रत्येक परत में फेरों की संख्या 500 है। यदि इसकी त्रिज्या 1.4 cm वे इसमें प्रवाहित धारा 5A हो तो केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार परिनालिका की लम्बाई l = 0.5 मी.
फेरों की संख्या N =2 × 500 = 1000
प्रवाहित धारा I = 5A
अतः केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 7 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव 87

RBSE Solutions for Class 12 Physics