RBSE Solutions for Class 12 Pratical Geography Chapter 3 सांख्यिकीय आंकड़ों का निरूपण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Pratical Geography Chapter 3 सांख्यिकीय आंकड़ों का निरूपण

RBSE Class 12 Pratical Geography Chapter 3 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आरेखों के प्रकार बताइये।
उत्तर:
आरेखों में अधिकतम तीन आयामों की गणना की जाती है। इस आधार पर आरेख अग्रलिखित तीन प्रकार के होते हैं –

1. एक विमीय आरेख:
इसमें केवल एक विमा लम्बाई अथवा चौड़ाई की गणना की जाती हैं। इसके निम्नलिखित भेद –

  1. रेखा।
  2. दण्डारेख –
    • सरलं दण्डारेख
    • मिश्रित दण्डारेख
    • बहुदण्डारेख
    • द्विदिश दण्डारेख।
  3. पिरामिड –
    • सरल पिरामिड
    • अध्यारोपित पिरामिड
    • मिश्रित पिरामिड।
  4. जल बजट
  5. वर्षा परिप्रेक्षण

2. द्विविमिीय आरेख:
इस आरेख में दो विमाओं- लम्बाई एवं चौड़ाई की गणना की जाती है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित आरेख आते हैं –

  1. इकाइयाँ
  2. वर्गाकार
  3. आयताकार
  4. चक्रारेख
  5. वलयारेख

3. त्रिविमीय आरेख:
इस आरेख में तीन विमाओं अर्थात् लम्बाई, चौड़ाई एवं ऊंचाई की गणना की जाती हैं। इसमें निम्नलिखित आरेखों को सम्मिलित किया जाता हैं –

  1. गोलीय आरेख
  2. घनारेख
  3. ब्लाक पुंज
  4. तारारेख

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प्रश्न 2.
आरेख बनाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में तथ्यात्मक निरूपण हेतु आंकड़ों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के आरेखीय निरूपण उनको आकर्षण एवं बोधगम्य बनाता है। आरेख बनाने के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –

  1. आरेख आंकड़ों को सरल एवं बोधगम्य बनाते हैं।
  2. आरेखों में नीरसता नहीं होती।
  3. आरेखों के माध्यम से आंकड़ों का तुलनात्मक विवेचना सुगम हो जाता है।
  4. आरेखीय विश्लेषण से पूर्वानुमान में सहायता मिलती है।
  5. आरेख आकर्षक और अधिक समय तक मस्तिष्क में बने रहते हैं।

प्रश्न 3.
आरेख के निरूपण के सामान्य नियम कौन से हैं?
उत्तर:
आंकड़ों के विभिन्न रूपों में निरूपण व प्रदर्शन के लिए कुछ सामान्य नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये सामान्य नियम निम्नलिखित हैं –

  1. उपयुक्त आरेख का चयन आंकड़ों की प्रकृति और उनके प्रसरण के आधार पर किया जाता है।
  2. आरेखों का निर्माण मापनी के अनुसार होता है।
  3. आरेखों का शीर्षक सांक्षिप्त व स्पष्ट होना चाहिए।
  4. आरेखों के लिए उपयुक्त मापनी का चयन आवश्यक है।
  5. आरेख के आकार एवं शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  6. संकेतों का उचित स्थान पर उपयोग आवश्यक है।
  7. आरेख आकर्षक व सरल होने चाहिए।

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प्रश्न 4.
मिश्रित दण्डारेख व द्विदिशा दण्डारेख में अन्तर बताइये।
उत्तर:
मिश्रित दण्डारेख व द्विदिशा दण्डारेख में निम्नलिखित अन्तर हैं —

मिश्रित दण्डारेख द्विदिशा दण्डारेख
1. मिश्रित दण्डारेख का उपयोग आंकड़ों के योग तथा उनके विभिन्न उपविभागों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। 1. जब पदमाला में धनात्मक वे ऋणात्मक दोनों प्रकार के पदमूल्य दिये हों तो द्विदिशा दण्डारेख का उपयोग किया जाता है।
2. मिश्रित दण्डारेख में स्तम्भों का निर्माण आधार रेखा के ऊपर ही लम्बवत अथवा क्षैतिज रूप में करते हैं। 2. द्विदिशा आरेख में स्तम्भों का निर्माण आधार रेखा के ऊपर-नीचे अथवा दायें वे बायें की ओर करते हैं।
3. मिश्रित दण्डारेख में केवल धनात्मक मूल्यों का प्रदर्शन होता है। 3. इस आरेख में धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों प्रकार के मूल्यों का प्रदर्शन होता है।
4. मिश्रित आरेख द्वारा आंकड़ों के योग तथा उसके उपविभागों का प्रदर्शन होता है। 4. द्विदिश आरेख द्वारा किसी घटक के अन्तरों को आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
वृत्त आरेख के निर्माण की प्रक्रिया बताइये।
उत्तर:
वृत्त आरेख एके द्विविमीय आरेख है। इसमें वृत्त के माध्यम से आंकड़ों कि निरूपण किया जाता है। वृत्त आरेख बनाने की प्रक्रिया के निम्नलिखित स्तर हैं –

  1. सर्वप्रथम एक वृत्त बनाते हैं जो पद मूल्यों के योग को प्रदर्शित करता है।
  2. इसके पश्चात् विभिन्न घटकों को मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा अंशों में ज्ञात करते हैं –
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  3. अंशों की गणना के उपरान्त घड़ी की सुई की दिशा में अवरोही क्रम में कोणों की रचना की जाती है।
  4. वृत्त में प्रदर्शित आंकड़ों के विभिन्न उपघटकों को अलग-अलग छायाओं से भर देते हैं।
  5. वृत्तारेख के शीर्षक वे उपखण्ड़ों को सावधानी से लिखकर स्पष्ट कर देते हैं।

RBSE Class 12 Pratical Geography Chapter 3 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
दिये गए आंकड़ों से सरल दण्ड आरेख बनाइये।
पश्चिमी राज्यस्थान में साक्षारता (2001):
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उत्तर:
उपर्युक्त आंकड़ों को अवरोही क्रम में रखने पर:
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इसके पश्चात् आरेख में आधाररेखा पर विभिन्न जिलों को और लम्बवत् रेखा पर साक्षरता प्रतिशत को निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित करते हैं –
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प्रश्न 2.
दिये गए आंकड़ों की सहायता से मिश्रित दण्ड-आरेख बनाइये।
सड़कों की लम्बाई (किमी० में)-2015:
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उत्तर:
सर्वप्रथम प्रत्येक राज्य में संड़कों की लम्बाई का योग ज्ञात करते हैं –
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राजमार्गों की लम्बाई के आधार पर अवरोही क्रम में रखने पर पहले गुजरात, फिर राजस्थान एवं इसके बाद मध्य प्रदेश होंगे। इन्हें क्रम में बनाने पर आरेख आकर्षक एवं सुगम होता है।
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प्रश्न 3.
दिये गए आंकड़ों को प्रदर्शित करने के लिए एक मिश्रित दण्ड आरेख की रचना कीजिए।
भारत में बिजली का उत्पादन (बिलियन किलोवाट में):
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उत्तर:
प्रस्तुत प्रश्न में प्रत्येक वर्ष बिजली उत्पादन का योग दिया है। तदनुसार एक निश्चित मापनी के आधार पर पर विभिन्न वर्षों के सरल दण्डों की रचना करके पुन: उसे उपखण्डों में विभाजित करना होगा।
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों को द्विदिशा दण्डारेख द्वारा दर्शाइये।
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उत्तर:
आधार रेखा खींचकर उसके बाईं ओर एक लम्बवत् रेखा के सहारे ऊपर की ओर धनात्मक मूल्यों की तत्था नीचे की ओर ऋणात्मक मूल्यों की एक समान मापनी के चिह्न लगायेंगे। उपर्युक्त आंकड़ों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लोहा तथा थायमिन धनात्मक हैं, ये ऊपर की ओर होंगे और कैलोरी तथा वसा ऋणात्मक हैं, अतः नीचे की ओर होंगे।
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से वृत्त आरेख बतनाइये।
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कार्यशील जनसंख्या-2015:
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उत्तर:
प्रश्नानुसार कुल कार्यशील जनसंख्या विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर 100% है। जिसे एक वृत्त (360°) में दिखाना है। प्रत्येक क्षेत्र के लिए अलग-अलग अंश निकालकर उसे वृत्त में प्रदर्शित करना होगा। पदमूल्य के अंश का मान निम्नलिखित सूत्र से निकालते हैं –
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उपर्युक्त सूत्र के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कार्यशील जनसंख्या का अंशों में मान अग्र प्रकार होगा –
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से एक पिरामिड आरेख बनाइये।
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उत्तर:
सर्वप्रथम पदमूल्यों में दिये गए आयुवर्ग को एक लम्बवत् स्तम्भ में नीचे से ऊपर की ओर आरोही क्रम में लिखते हैं। इसके पश्चात् दिये गए आयुवर्ग के सामने एक ओर स्त्रियों की और दूसरी ओर पुरुषों की प्रतिशत संख्या को मापनी के अनुसार लम्बे क्षैतिज द्विदिशा स्तम्भ बनाकर प्रदर्शित करते हैं। इस आरेख में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि भिन्न-भिन्न आयु वर्गों के क्षैतिज स्तम्भों को सामान दूरी के अन्तर पर बनाना चाहिए।
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