RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो: संवादः

Rajasthan Board RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो: संवादः

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 वस्तुनिष्ठप्रश्नाः
प्रश्न 1.
‘सार्थम् प्रवसतो मित्रम्’ इत्यत्र ‘सार्थम्’ इति पदस्य कोऽर्थः?
(क) विद्वान्।
(ख ) धनवान्
(ग) सहयात्री
(घ) भार्या
उत्तर:
(ग) सहयात्री

प्रश्न 2.
कः शत्रुर्दुर्जयः पुंसाम्?
(क) अहङ्कारः
(ख) दम्भः
(ग) क्रोधः
(घ) व्याधिः
उत्तर:
(ग) क्रोधः

प्रश्न 3.
गगनाद्-उच्चतर कः?
(क) माता
(ख) पिता
(ग) मित्रम्
(घ) वायुः
उत्तर:
(ख) पिता

प्रश्न 4.
पैशुन्य’ किम् उच्यते?
(क) अहंकारः
(ख) क्रोधः
(ग) परदूषणम्
(घ) दम्भः
उत्तर:
(ग) परदूषणम्

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
प्रवसतां कि मित्रम् ?
उत्तर:
सार्थः।

प्रश्न 2.
असाधुः कीदृशः स्मृतः ?
उत्तर:
निर्दयः।

प्रश्न 3.
आतुरस्य किं मित्रम् ?
उत्तर:
भिष।

प्रश्न 4.
तृणात् किंस्विद् बहुतरम् ?
उत्तर:
चिन्ता।

प्रश्न 5.
दम्भः कः परिकीर्तितः?
उत्तर:
धर्मो ध्वजोच्छुयः।

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
यक्ष-युधिष्ठिर’ इति संवादं स्वभाषया संस्कृतेन लिखतु।
उत्तर:
पाठानुसारेण एकस्मिन् सरोवरे युधिष्ठिरः स्वस्य भ्रातृन् हतान् दृष्टवा यदा विचिन्तयति, तदैव सः सर्वं वृत्तान्तं ज्ञात्वा यक्षस्य प्रश्नानाम् उत्तरं दातुं तत्परो भवति। यक्षः तं विविधप्रश्नान् पृच्छति। यथा हि-आवपता किं श्रेष्ठम्? निवपतां किं वरम्, प्रतिष्ठमानानां प्रसवतां च किं किं वरम्? एतेषाम् उत्तरं प्रयच्छन् युधिष्ठिरः कथयति यत्-आवपतां वर्ष श्रेष्ठम्, निवपतां बीजम्, प्रतिष्ठमानानां गावः, प्रसवतां च पुत्रः वरम्। एवमेव यक्षः अनेकान् प्रश्नान् पृच्छति, युधिष्ठिरः सर्वेषां प्रश्नानामुत्तराणि याथातथ्येन ददाति। तस्य बुद्धिकौशलेन प्रसन्नो भूत्वा अन्ते च पुनः परीक्षाणार्थं तं प्रति कथयति यत्-त्वया में प्रश्नाः याथातथ्यं व्याख्याताः, अतः तवं भ्रातृणां यमेकमिच्छसि स जीवतु।” युधिष्ठिरः कथयति यत्-परमार्थात् ‘आनृशंस्यः परो धर्मः’ इति मे मतम्। अहम् आनृशंस्यं चिकीर्षामि। अतः नकुलः जीवतु। युधिष्ठिरस्य आनृशंस्यं दृष्ट्वा यक्षः अतीव प्रसन्नो भूत्वा तस्य सर्वेभ्यः भ्रातृभ्यः जीवनप्रदानं करोति।

प्रश्न 2.
यक्षः जलं पीतमानं युधिष्ठिरं किम् अवदत् ?
उत्तर:
यक्षः जलं पीतमानं युधिष्ठिरम् अवदत् यत्-हे पार्थ! साहसं मा कार्षीः, एषः सरोवरः मम पूर्वपरिग्रहः अस्ति। मम प्रश्नान् उक्त्वा एवं जलं पिब हरस्व च।

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 व्याकरणात्मक प्रश्नाः

प्रश्न (क)
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेर्नाम अपि लेख्यम्
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 1

प्रश्न (ख)
निम्नलिखितपदानां समास विग्रहं कृत्वा समास नामोल्लेख करणीयः
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 2

प्रश्न (ग)
निम्नाङ्कितानां प्रकृति-प्रत्ययौ लेख्य-
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 3

प्रश्न (घ)
अधोलिखित पदानां मूलशब्दं विभक्तिश्च दर्शय-
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 4

प्रश्न (ङ)
निम्नलिखितपदेषु मूलधातुं लकारञ्च चिनुत
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 5

प्रश्न (च)
निम्नलिखित वाक्यानाम् आधारेण प्रश्ननिर्माणं करोतु
उत्तर:
1. पाण्डवाः पञ्च भ्रातरः आसन्।
पाण्डवाः कति भ्रातरः आसन्?

2. पाण्डवेषु युधिष्ठिरः ज्येष्ठः आसीत्।
पाण्डवेषु कः ज्येष्ठः आसीत्?

3. गृहे भार्या मित्रं भवति।
गृहे किं मित्रं भवति?

4. ‘महाभारत’ शतसाहस्री संहिता इत्यपि कथ्यते।
किम् ‘शतसाहस्री संहिता’ इत्यपि कथ्यते?

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 8 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. शब्दार्थाः
प्रश्न:
अधोलिखितशब्दानाम् हिन्द्याम् अर्थः लिखत
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 6

2. प्रश्ननिर्माणम्प्रश्न:
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

  1. सः हतान् भ्रातृन् ददर्श।-
  2. तोयं गाहमानः सः अन्तरिक्षात् शुश्रुवे।
  3. पार्थः! साहसं मां कार्षीः।
  4. अहं तव पूर्वपरिग्रहं न कामये।
  5. निवपता बीजं वरम्।
  6. प्रसवतां पुत्र; वरम्।
  7. माता गुरुतरा भूमेः।
  8. मनः वातात् शीघ्रतरम्।
  9. चिन्ता तृणात् बहुतरी।
  10. प्रवसतः सार्थः मित्रम्।
  11. दानं मित्रं मरिष्यतः।
  12. क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः।
  13. लोपः अनन्तकः व्याधिः।
  14. सर्वभूतहितः साधुः स्मृतः।
  15. दैवं दोनफलं प्रोक्तम्।
  16. पैशुन्यं परदूषणम्।
  17. मे त्वया प्रश्नाः व्याख्याताः।
  18. आनृशंस्यः परो धर्मः।
  19. अहं आनृशंस्यं चिकीर्षामि।
  20. ते सर्वे भ्रातरः जीवन्तु।

उत्तर:
प्रश्ननिर्माणम्

  1. सः कान् ददर्श?
  2. तोयं गाहमानः सः कस्मात् शुश्रुवे?
  3. पार्थः! किम् मा कार्षीः?
  4. अहं तव किम् न कामये?
  5. निवपता किं वरम्?
  6. केषां पुत्रः वरम्?
  7. का गुरुतरा भूमेः?
  8. मनः कस्मात् शीघ्रतरम्?
  9. का तृणात् बहुतरी?
  10. प्रवसतः कः मित्रम्।
  11. किं मित्रं मरिष्यतः?
  12. क्रोधः कीदृशः शत्रुः?
  13. कः अनन्तकः व्याधिः?
  14. कः साधुः स्मृतः?
  15. दैवं किम् प्रोक्तम्?
  16. पैशुन्यं किम्?
  17. मे त्वया के व्याख्याता:?
  18. कः परो धर्मः?
  19. अहं किं चिकीर्षामि?
  20. ते के जीवन्तु?

3. भावार्थलेखनम्
प्रश्नः
अधोलिखितपद्यांशानाम् हिन्दीभाषया भावार्थं लिखत
(i) वर्षमावपतां श्रेष्ठम्।
(ii) माता गुरुतरी भूमेः।
(iii) दानं मित्रं मरिष्यतः।
(iv) सर्वभूतहितः साधुरसाधुर्निदयः स्मृतः।
(v) आनृशंस्य परो धर्मः।
उत्तर:
(i) वर्षमावपता श्रेष्ठम्।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश ‘यक्ष-युधिष्ठिरयोः संवादः’ शीर्षक पाठ से उधृत है। वन में प्यास से व्याकुल होने पर जल लाने के लिए किसी तालाब पर नकुल जाता है। तथा पानी पीने को तत्पर होता है, तभी एक यक्ष वहाँ आकर अपने प्रश्नों को उत्तर देकर ही जल पीने को कहता है, किन्तु नकुल यक्ष के प्रश्नों का उत्तर दिये बिना जैसे ही जल पीने लगता है, वह मूर्छित हो जाता है। इसी क्रम से सहदेव, अर्जुन एवं भीमसेन की भी यही स्थिति हो जाती है। अन्त में युधिष्ठिर वहाँ आता है तथा यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देता है।

इसी क्रम में यक्ष युधिष्ठिर से पूछता है कि ‘कृषि करने वालों के लिए श्रेष्ठ क्या है?’ इस प्रश्न का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर कहता है कि ‘कृषि करने वालों के लिए वर्षा ही सर्वश्रेष्ठ है। अर्थात् कृषि वर्षा पर ही आश्रित होती है, अन्य सभी उपयुक्त साधन होने पर भी वर्षा के बिना कृषक का परिश्रम निष्फल हो जाता है। अतः उसके लिए तो वर्षा ही सर्वश्रेष्ठ है, उसी से उसका लाभ है।’

(ii) माता गुरुतरा भूमेः।
भावार्थ-‘यक्ष-युधिष्ठिरयोः संवादः’ शीर्षक पाठ से उधृत प्रस्तुत पद्यांश में यक्ष द्वारा ‘भूमि से भी अधिक भारी कौन है?’ पूछे गये इस प्रश्न का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर ने कहा है कि माता का स्थान भूमि से भी अधिक गौरवपूर्ण है।’ अर्थात् संसार में माता का स्थान सबसे अधिक गौरवपूर्ण है। सन्तान को जन्म देने एवं उसका पालन-पोषण करने में माता जिस कष्ट को सहन करती है, उसका बदला किसी भी तरह नहीं चुकाया जा सकता है।

(iii) दानं मित्रं मरिष्यतः।
भावार्थ-यक्ष-युधिष्ठिरयोः संवादः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पद्यांश में यक्ष द्वारा ‘मरने वाले का मित्र कौन है?’ पूछे गये इस प्रश्न का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर ने कहा है कि ”मरने वाले का मित्र दान है।” अर्थात् मृत्यु होने पर उसके द्वारा किया गय दान ही उसका सहायक होता है। बाकी धन-दौलत, परिवार आदि प्राणी के साथ कुछ भी नहीं जाता है एवं न ही मृत्यु के बाद उनका उसे कोई लाभ मिलता है, केवल दिया हुआ दान ही उसके काम आता है। अतः सच्चा मित्र दान को बताया गया है।

(iv) सर्वभूतहितः साधुरसाधुर्निदयः स्मृतः।
भावार्थ-यक्ष-युधिष्ठिरयोः संवादः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पद्यांश में यक्ष द्वारा पूछे गये साधु कौन है और असाधु कौन है?’ इस प्रश्न का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर ने कहा है कि सभी प्राणियों का हित करने वाला साधु माना गया है तथा निर्दयी को असाधु माना गया है। अर्थात् प्रस्तुत कथन के द्वारा साधु एवं असाधु का लक्षण बतलाया गया है। साधु वही माना जाता है जो सभी प्राणियों का हित चाहता है। एवं परोपकार में लगा रहता है, किन्तु जो प्राणियों के प्रति दयाभाव से रहित है, उसे असाधु (दुर्जन) माना गया है।

(v) आनृशंस्य परो धर्मः।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश ‘यक्ष-युधिष्ठिरयोः संवादः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। यक्ष के द्वारा पूछे गये अनेक प्रश्नों का युधिष्ठिर अपने बुद्धि-कौमल से जो उत्तर देता है, उससे यक्ष अत्यधिक प्रसन्न हो जाता है तथा अन्त में पुनः एक बार उसकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से वह कहता है कि ”मैं तुम पर प्रसन्न हूँ, अतः जिसे तुम चाहते हो वह एक भाई जीवित हो जाये।” यह सुनकर युधिष्ठिर ने प्रस्तुत पद्यांश में कहा कि

‘दया एवं समता का भाव ही सबसे बड़ा धर्म है।” इसलिए नकुल जीवित हो जाये। आशय यह है कि प्राणियों का यही धर्म है कि वह सभी में समानता एवं दया का भाव रखे, इसी से सबका कल्याण हो सकता है। युधिष्ठिर के इसी भाव के कारण यक्ष उसके सभी भाइयों को जीवित कर देता है।

4. अन्वयलेखनम्
प्रश्नः
अधोलिखितश्लोकानां अन्वयं लिखत
(i) स ददर्श हतान् ……………………………………… गौरवम्।
(ii) पार्थ! मा साहस …………………………………………. हरस्व च॥
(iii) न चाहं कामये। …………………………………. पृच्छ माम्।
(iv) व्याख्याता में त्वया …………………………………. स जीवतु।
(v) तस्य तेऽर्थाच्च …………………………….. भरतर्षभ
उत्तर:
[नोट-उपर्युक्त सभी श्लोकों के अन्वय पूर्व में पाठ के श्लोकों के हिन्दी-अनुवाद के साथ दिये जा चुके हैं, अत: वहाँ से देखकर अन्वय लिखिए।]

(5) पाठ्यपुस्तकाधारितं भाषिककार्यम्
(क) कर्तृकियोपदचयनम्
प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु कर्तृक्रियापदयोः चयनं कुरुत
(i) स ददर्श हतान् भ्रातृन्।
(ii) गाहमानश्च तत् तोयमन्तरिक्षात् स शुश्रुवे।
(iii) प्रश्नानुक्त्वा तु कौन्तेय! ततः पिब हरस्व चे।
(iv) न चाहं कामये यक्ष तव पूर्वपरिग्रहम्।
(v) उच्छ्व सन् न स जीवति।
(vi) त्वमेकं भ्रातृणां यमिच्छसि।
(vii) अहम् आनृशंस्यं चिकीर्षामि।
(viii) नकुलो यक्ष ! जीवतु।
(ix) ते भ्रातरः सर्वे जीवन्तु।
(x) सः बुद्ध्या विचिन्तयामास।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 8 यक्ष-युधिष्ठिरयो संवादः 7

(ख) विशेषणविशेष्यचयनम्
प्रश्न (i)
”स ददर्श हतान् भ्रातृन्’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
हतान्।

प्रश्न (i)
”इमे ते भ्रातरो राजन्’–इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
भ्रातरः।

प्रश्न (iii)
”कः शत्रुर्दुर्जयः पुंसाम्’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
दुर्जयः।

प्रश्न (iv)
”सर्वभूतहितः साधुः स्मृतः’ इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
साधुः।

प्रश्न (v)
“आनृशंस्य परो धर्म:’-इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तरम्प रः।

प्रश्न (vi)
“तस्मात् ते भ्रातरः सर्वे जीवन्तु’–इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
भ्रातरः।

(ग) सर्वनाम-संज्ञा-प्रयोगः
प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदस्य स्थाने संज्ञापदस्य प्रयोगं कृत्वा वाक्यं पुन:लिखत

  1. स ददर्श हतान् भ्रातृन्।
  2. गाहमानश्च तत् तोयमन्तरिक्षात् स शुश्रुवे।
  3. बलात् तोयं जिहीर्षन्तस्ततो वै मृदिता मया।
  4. मा साहसं कार्षीः मम पूर्वपरिग्रहः।
  5. प्रश्नान् प्रतिवक्ष्यामि पृच्छ माम्।
  6. व्याख्याता मे त्वया प्रश्नाः।
  7. आनृशंस्य परोधर्मः परमार्थाच्च मे मतम्।

उत्तर:

  1. युधिष्ठिरः ददर्श हतान् भ्रातृन्।
  2. गाहमानश्च तत् तोयमन्तरिक्षात् युधिष्ठिरः शुश्रुवे।
  3. बलात् तोयं जिहीर्षन्तस्ततो वै मृदिता यक्षेण।
  4. मा साहसं कार्षीः यक्षस्य पूर्वपरिग्रहः।
  5. प्रश्नान् प्रतिवक्ष्यामि पृच्छ युधिष्ठिरम्।
  6. व्याख्याता में युधिष्ठिरेण प्रश्नाः।
  7. आनृशंस्य परो धर्मः परमार्थाच्च युधिष्ठिरस्य मतम्

प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदानां सर्वनामपदानि लिखत

  1. इमे ते भ्रातरो राजन् वार्यमाणा मयासकृत्।
  2. उच्छ्व सन् सः न जीवति।
  3. किं तद् दैवं परं प्रोक्तम्?
  4. किं तत् पैशुन्यम् उच्यते?
  5. तस्मात् ते भ्रातरः सर्वे जीवन्तु भरतर्षभः।

उत्तर:

  1. इमे
  2. सः
  3. ततः
  4. तत्
  5. सर्वे।

(घ) समानविलोमपदचयनम्
प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानां पर्यायबोधकपदानि लिखत

  1. स ददर्श हतान् भ्रातृन्।
  2. युगान्ते समनुप्राप्ते शक्रप्रतिमगौरवम्।
  3. गाहमानश्च तत् तोयम्।
  4. पार्थ! मा साहसं कार्षीः।
  5. गावः प्रतिष्ठमानानाम् वरम्।
  6. माता गुरुतरा भूमेः।
  7. खात् पितोच्चतरस्तथा।
  8. भार्या मित्रं गृहे सतः।

उत्तर:

  1. मृतान्
  2. प्रलयकाले
  3. जलम्
  4. युधिष्ठिर!
  5. धेनवः
  6. जननी
  7. आकाशात्
  8. पत्नी।

प्रश्न:
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानां विलोमपदानि लिखत

  1. सार्थः प्रवसतो मित्रम्।
  2. सर्वभूतहितः साधुः स्मृतः।
  3. दैवं दानफलं प्रोक्तम्।
  4. आनृशंस्य परो धर्मः।
  5. वीराः केन निपातिताः।
  6. पुत्रः प्रवसतां वरम्।
  7. माता गुरुतरा भूमेः।
  8. दानं मित्रं मरिष्यतः।

उत्तर:

  1. शत्रुः
  2. असाधुः
  3. अदैवम्
  4. अधर्मः
  5. कातराः
  6. पुत्री
  7. पिता
  8. जीवितस्य।

(ङ) कः कस्मै कथयति
प्रश्नः
अधोलिखितवाक्यानि कः कस्मै कथयति
(i) बलात् तोयं जिहीर्षन्तस्ततो वै मृदिता मया।
(ii) मा साहसं कार्षीः मम पूर्वपरिग्रहः।
(iii) प्रश्नानुक्त्वा पिब हरस्व च।
(iv) न चाहं कामये तव पूर्वपरिग्रहम्।
(v) यथाप्रज्ञं तु ते प्रश्नान् प्रतिवक्ष्यामि।
(vi) किंस्विद् गुरुतरं भूमेः?
(vii) माता गुरुतरा भूमेः।
(viii) व्याख्याता मे त्वया प्रश्नाः।
(ix) आनृशंस्यं चिकीर्षामि।
(x) तस्मात् ते भ्रातरः सर्वे जीवन्तु।
उत्तर:
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