RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 नगरीय समाज में परिवर्तन, विकास एवं चुनौतियाँ, आधारभूत संरचना, आव्रजन, नियोजन, आवास

Rajasthan Board RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 नगरीय समाज में परिवर्तन, विकास एवं चुनौतियाँ, आधारभूत संरचना, आव्रजन, नियोजन, आवास

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 अभ्यासार्थ प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरीय का अर्थ कहाँ रहने वाले समुदाय से है?
(अ) कस्बा
(ब) नगर
(स) गाँव
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) नगर

प्रश्न 2.
कितने प्रतिशत भारतीय परिवार 1 वर्गमीटर से कम जगह में रहते हैं?
(अ) लगभग 32 प्रतिशत
(ब) लगभग 28 प्रतिशत
(स) लगभग 19 प्रतिशत
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) लगभग 19 प्रतिशत

प्रश्न 3.
किस लेखक ने शहरों की व्यथा पर ‘ए टेल ऑफ टू सिटीज’ पुस्तक लिखी?
(अ) चार्ल्स डिकेंस
(ब) पैट्रिक एबरकामी
(स) एल. डी. स्टाम्प
(द) लेविस
उत्तरमाला:
(अ) चार्ल्स डिकेंस

प्रश्न 4.
“नगर नियोजन का विचार नागरिकों के कल्याण और जनता के जीवन – स्तर के उन्नयन से सम्बन्धित है।” यह वक्तव्य किस विद्वान का है?
(अ) एल. डी. स्टाम्प
(ब) ए. ऑगिस्टन
(स) जॉन हॉब्स
(द) चार्ल्स डिकेंस
उत्तरमाला:
(अ) एल. डी. स्टाम्प

प्रश्न 5.
एडवर्ड एम. बैसेट ने नगर नियोजन में कितने तत्त्वों के महत्त्व का उल्लेख किया है?
(अ) पाँच
(ब) दो
(स) सात
(द) छः
उत्तरमाला:
(स) सात

प्रश्न 6.
2011 की जनसंख्या के आँकड़ों के अनुसार, कितने प्रतिशत घर प्रकाश के स्रोत के रूप में विद्युत का उपयोग कर
रहे हैं?
(अ) लगभग 90 प्रतिशत
(ब) लगभग 92 प्रतिशत
(स) लगभग 93 प्रतिशत
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) लगभग 93 प्रतिशत

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरीय समाज के कैसे मूल्य हैं?
उत्तर:
नगरीय समाज के मूल्य व्यक्तिवादी हैं, अर्थात् हर व्यक्ति के दृष्टिकोण का दायरा स्वयंहित है।

प्रश्न 2.
स्वार्थजनित सामाजिक संबंध किस समाज की विशेषता या लक्षण है?
उत्तर:
स्वार्थजनित सामाजिक संबंध नगरीय समाज की विशेषता है।

प्रश्न 3.
सुनियोजित बस्तियों का अभाव कहाँ पाया जा रहा है?
उत्तर:
सुनियोजित बस्तियों का अभाव शहरी या नगरीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

प्रश्न 4.
सामान्य आर्थिक विचारधारा के कारण संपूर्ण विश्व देशों के संघ की जगह किसका संघ बन गया है?
उत्तर:
तीव्र तकनीकी विकास तथा सामान्य आर्थिक विचारधारा के कारण संपूर्ण विश्व देशों में संघ की जगह ‘नगरों का संघ’ बन गया है।

प्रश्न 5.
देश में कितने प्रतिशत नगरीय जनसंख्या के लिए अपने घरों के आस – पास बरसाती पानी के निकासी की व्यवस्था नहीं है?
उत्तर:
देश में करीब 34 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या के लिए अपने घरों के आस – पास बरसाती पानी के निकासी की व्यवस्था नहीं है।

प्रश्न 6.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कितने प्रतिशत शहरी जनसंख्या को पेयजल की आपूर्ति उसके परिसर में है? उत्तर:
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 71.2 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को पेयजल की आपूर्ति उनके परिसर में प्राप्त होती है।

प्रश्न 7.
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट 2009 के अनुसार अधिकांश नगरों में निस्तारण से पहले उत्पादित सीवेज के कितने प्रतिशत का उपचार होता है?
उत्तर:
अधिकांश नगरों में निस्तारण से पहले उत्पादित सीवेज के केवल 20 प्रतिशत का उपचार होता है।

प्रश्न 8.
आव्रजन में भाग लेने वालों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
आव्रजन में भाग लेने वालों को आप्रवासी कहते हैं।

प्रश्न 9.
वर्ष 1991 की जनगणना में कितने मनुष्य नगरीय अप्रवासियों के रूप में वर्गीकृत किये गये?
उत्तर:
वर्ष 1991 की जनगणना के अनुसार 2.5 करोड़ मनुष्य नगरीय अप्रवासियों के रूप में वर्गीकृत किये गये।

प्रश्न 10.
नगर नियोजन के संबंध में मैगस्थनीज ने भारत के किस नगर का उदाहरण प्रस्तुत किया?
उत्तर:
नगर नियोजन के संबंध में मैगस्थनीज ने भारत के ‘पाटलिपुत्र’ नगर का उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रश्न 11.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत आवास अच्छी स्थिति में है?
उत्तर:
लगभग 70% शहरी जनगणना आवास अच्छी हालत में हैं।

प्रश्न 12.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के कितने प्रतिशत घरों के परिसर के अंदर शौचालयों की आवश्यकता है?
उत्तर:
अभी भी 18% घरों के परिसर के अंदर शौचालय की सुविधा की आवश्यकता है।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्वीन और कारपेंटर ने नगरीयता के संबंध में क्या कहा, लिखें।
उत्तर:
नगरीयता के संबंध में समाजशास्त्री क्वीन और कारपेंटर ने कहा है, “हम नगरीयता का प्रयोग निवास की प्रघटना को पहचानने के लिए करते हैं।”
अर्थात् नगरीयता को क्वीन तथा कारपेंटर ने समाज में ऐसी प्रघटना माना है जिसके आधार पर लोगों के निवास करने के तरीकों को ज्ञात किया जा सकता है। इस परिभाषा में नगरीयता से संबंधित दो तथ्य दृष्टिगोचर हो रहे हैं –

  1. नगरीयता की अवधारणा समाज में पायी जाने वाली एक आधारभूत प्रघटना है।
  2. लोगों के निवास करने के आधार पर व उनकी जीवन – शैली को जानने के लिए नगरीयता का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
नगरीय समाज के तीन प्रमुख परिवर्तनों के नाम लिखें।
उत्तर:
नगरीय समाज के तीन प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं –

  1. व्यक्तिवादिता:
    व्यक्तिवादिता की भावना व्यक्ति के निजी स्वार्थ पर आधारित अवधारणा है। इसके अंतर्गत एक व्यक्ति दूसरों के हितों की अपेक्षा अपने हितों को सर्वाधिक प्राथमिकता देता है। व्यक्तिवादिता की भावना व्यक्ति में ‘मैं’ की भावना का समावेश करती है। नगरों में लोगों में यही भावना अधिक पायी जाती है। जहाँ सब लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने में लीन रहते हैं।
  2. व्यवसायों की बहुलता:
    नगरों में अन्य व्यवसायों की बहुलता होती है। वहाँ द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों में अनेक लोग लगे होते हैं। गाँव से बहुत से व्यक्ति रोजगार की तलाश में तथा दैनिक कार्यों की पूर्ति के लिए नगरों में जाते रहते हैं।
  3. गुमनामी:
    नगरों में व्यस्तता के कारण लोगों में एक – दूसरे को जानने का समय ही नहीं है। हर व्यक्ति अपने तक ही सीमित रहता है। जिससे लोगों में गुमनामी की प्रवृत्ति का विकास होता है।

प्रश्न 3.
जल प्रबंधन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जल प्रबंधन से आशय उस व्यवस्था से है जहाँ जल को सामूहिक संसाधन मानते हुए उसे सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध करवाया जाए। नगरीय समाज के विकास के लिए जल प्रबंधन एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। जल प्रबंधन महत्त्वपूर्ण भाग इसलिए भी है क्योंकि इसके माध्यम से शहरों के विकास में जल को बेहतर उपयोग हेतु बनाया जाता है तथा जल संरक्षण एवं वर्षा जल को सुनियोजित तरीके से उपयोग पर भी बल दिया जाता है।

प्रश्न 4.
जॉन हॉब्स ने ‘सामाजिक समानता’ के संबंध में क्या कहा? लिखें।
उत्तर:
जॉन हॉब्स के अनुसार उनके सिद्धांत:
“राज्य की उत्पत्ति व सामाजिक समझौते का सिद्धांत यह कहता है कि सामाजिक तौर से राज्य का निर्माण हो और एक सफल राज्य के निर्माण के लिए यह चुनौती होती है कि वह अपने नागरिकों को कैसे संतुष्ट रखेगा।” हॉब्स ने इस बात को स्पष्ट किया है कि सामाजिक व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या गरीब व्यक्ति का अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति न कर पाना है और इसी से समाज में सामाजिक समानता स्थापित नहीं हो पाती है।

ऐसे संसाधनों को विकसित करें जिससे गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों का जीवन स्तर उच्च या सुधर सके। इसी माध्यम से समाज में सामाजिक विषमता या असमानता को कम किया जा सकता है तथा इसके पश्चात् ही समाज में लोगों को समान अवसर भी प्राप्त होंगे।

प्रश्न 5.
आधारभूत संरचना से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आधारभूत संरचना से तात्पर्य परिवहन, इमारतें, सार्वजनिक सुविधाएँ हैं जो कि किसी नगर में रहने वाले निवासियों का जीवन सहन व सरल बनाती हैं। इन सुविधाओं के अभाव में नगर खोखले ढांचे के समान होता है जहाँ नगरीय समाज अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करता है।

नगरों में व्यवस्था तथा अव्यवस्था साथ – साथ चलती है। बढ़ती जनसंख्या व घटती सुविधाओं के कारण नगरों की पहचान अब समस्या स्थलों के रूप में होने लगी है। बिजली, पानी, सीवर व परिवहन प्रणाली के अभाव में नगरों की आधारभूत संरचना स्थिर नहीं हो पा रही है।

प्रश्न 6.
‘स्मार्ट सिटीज कार्यक्रम’ के बारे में संक्षिप्त में लिखें।
उत्तर:
‘स्मार्ट सिटीज कार्यक्रम’ की विशेषताओं को निम्न बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं –

  1. इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य भारत में विभिन्न शहरों को स्मार्ट शहरों में परिवर्तित करना है।
  2. इस कार्यक्रम के द्वारा व्यक्तियों को आर्थिक विकास की सुविधाएँ, स्वस्थ पर्यावरण तथा प्रौद्योगिकी को उपलब्ध करवा कर उनके जीवन – स्तर में सुधार लाया जाएगा।
  3. इसमें विद्युत आपूर्ति, पर्याप्त पानी आपूर्ति व उचित स्वच्छता को सम्मिलित किया गया है।
  4. इसमें आधारभूत संरचना को ठोस आधार प्रदान के लिए नागरिकों की सुरक्षा, उनकी शिक्षा, प्रभावी शासन व नागरिकों की भागीदारी पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।

प्रश्न 7.
आकार एवं क्षेत्र के अनुसार आव्रजन के प्रकार लिखें।
उत्तर:
(1) आकार के अनुसार आव्रजन के प्रकार:

  • वृहत् या बृहद् संख्यक आव्रजन: जब व्यक्तियों का समूह बड़ी मात्रा में प्रवास करता है तब उसे वृहत् आव्रजन कहा जाता है।
  • लघु आव्रजन: जब व्यक्तियों का समूह बहुत ही कम मात्रा में प्रवास करता है, तब उसे लघु आव्रजन कहते हैं।

(2) क्षेत्र के अनुसार आव्रजन के प्रकार:

  • अन्तर्राष्ट्रीय आव्रजन: जब समाज में व्यक्तियों द्वारा प्रवास एक देश से अन्य दूसरे देशों में किया जाता है, तब उसे अंतर्राष्ट्रीय आव्रजन कहते हैं।
  • अंतर्देशीय या आंतरिक आव्रजन: जब व्यक्तियों के द्वारा प्रवास एक देश के अंदर या भीतर किया जाता है तो उस प्रवास को आंतरिक आव्रजन कहते हैं।

प्रश्न 8.
लेविस द्वारा नगर नियोजन की दी गई परिभाषा लिखें।
उत्तर:
लेविस ने नगर नियोजन को नगरीय विकास का भावी कार्यक्रम माना है। उनके अनुसार – “नगर नियोजन बिल्कुल ऐसा दूरदर्शी प्रयास है जो नगर और उसके निकटस्थ क्षेत्रों के क्रमबद्ध और आकर्षित विकास का स्वास्थ्य, सेवा, सुविधा और व्यापारिक तथा औद्योगिक उन्नयन को समुचित ध्यान में रखते हुए युक्तिसंगत आधारों पर प्रोत्साहित करता है।”

अर्थात् नगर नियोजन के द्वारा व्यक्तियों की आधारभूत आवश्यकताएँ पूरी होंगी तथा उन्हें सुविधाओं को प्राप्त करने के समान अवसर भी प्राप्त होंगे।

अतः स्पष्ट है कि नगर नियोजन एक प्रशासकीय योजना है जो नगर के वर्तमान तथा भावी विकास के लिए विस्तृत कार्यक्रमों का निर्माण करती है। जिससे संपूर्ण समाज के नागरिकों को समुचित रूप से सुविधाएँ उपलब्ध हो सकें।

प्रश्न 9.
एडवर्ड एम. बैसंट ने नगर नियोजन के जिन तत्त्वों का उल्लेख किया है, लिखें।
उत्तर:
एडवर्ड एम. बैंसेट ने सात तत्त्वों का उलेख नगर – नियोजन के संदर्भ में किया है, जो निम्न प्रकार से है –

  1. सड़कें: सर्वप्रथम नगर नियोजन के लिए पक्की व मजबूत सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए।
  2. पार्क: व्यक्तियों व बच्चों के मनोरंजन के लिए उत्तम पार्कों की व्यवस्था करवाना।
  3. सार्वजनिक भवनों के लिए स्थान: लोगों के सामूहिक कार्यों जैसे – मैरिज होम आदि के लिए स्थानों का आरक्षित
    करना।
  4. सार्वजनिक सुरक्षित स्थल: वृद्धों व अनाथ बच्चों के लिए सार्वजनिक सुरक्षित स्थानों का प्रबंध करवाना।
  5. कटिबंधीय जिले: लोगों के विकास के लिए जिलों में उत्तम व्यवस्था का निर्माण करना।
  6. सार्वजनिक उपयोगी मार्ग: लोगों के सुरक्षित आवागमन के लिए मार्गों की उत्तम व्यवस्था करना।
  7. छोटी सड़कें: देश के संपूर्ण विकास के लिए गांवों को शहरों से जोड़ने के लिए छोटी सड़कों का निर्माण करना।

प्रश्न 10.
आवास निर्माण के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
आवास का निर्माण करते समय निम्नांकित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

  1. ऊँचे स्थानों पर निर्मित:
    आवासों को सदैव उच्च या ऊँचे स्थानों पर निर्मित किये जाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि ऊँचे स्थानों पर बने आवासों में पानी या गंदगी व अन्य समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
  2. रोशनी व हवा की व्यवस्था: आवास का निर्माण ऐसा होना चाहिए जिसमें समुचित रूप से रोशनी व हवा की उपर्युक्त व्यवस्था हो।
  3. कमरों का निर्माण: परिवार के आकार के अनुसार कमरों का निर्माण किया जाना चाहिए।
  4. रसोईघर व अन्य स्थानों की व्यवस्था: आवास का निर्माण करते समय रसोईघर, पूजा स्थल, स्नानाघर व शौचालय की समुचित व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

अतः उपर्युक्त सभी विशेषताएँ आवास निर्माण की अपेक्षित आवश्यकताएँ हैं, जिसमें परिस्थिति अनुसार बदलाव किया जा सकता है।

प्रश्न 11.
आवासों के प्रकार लिखें।
उत्तर:
आवासों के प्रकारों को हम तीन श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं –

  1. प्रथम प्रकार या श्रेणी:
    इस श्रेणी में पक्के आवास आते हैं, जिनकी दीवारें ईंट तथा पत्थर की होती हैं। जिसमें छत पक्की खपरैल या सीमेंट चादरों की होती है। ऐसे आवास नगरों में पाये जाते हैं।
  2. द्वितीय प्रकार या श्रेणी:
    इस श्रेणी में मिट्टी की दीवार वाले मकान आते हैं। इस प्रकार के मकान में छत खपरैल या टीन की चादरों की होती है। इस श्रेणी के आवास नगर की मलिन बस्तियों में पाये जाते हैं।
  3. तृतीय श्रेणी या प्रकार: इस श्रेणी के अंतर्गत घास-फूस से बनी झोपड़ियाँ आती हैं। ऐसे आवास मूलत: गांवों में ही पाये जाते हैं।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरीय समाज के परिवर्तनों के बारे में लिखें।
उत्तर:
नगरीय समाज के परिवर्तनों को हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं –

  1. स्वार्थजनित सामाजिक संबंध:
    नगरों में व्यक्तियों के मध्य द्वितीयक संबंधों की प्रधानता पायी जाती है। उनके संबंध स्वार्थ पर आधारित होते हैं। वहाँ स्वार्थहित की समाप्ति के पश्चात् लोग एक – दूसरे से कोई सरोकार नहीं रखते हैं। लोगों में मानवीय भावनाएँ लुप्त होती जा रही हैं।
  2. मानवीय संबंधों का टूटना:
    नगरीय संस्कृति में सामाजिक संबंध इस तरह बिखर चुके हैं कि यहाँ हर व्यक्ति भीड़ में नितांत अकेला है। प्रतियोगिता, आपसी द्वेष व कलह की भावना के परिणामस्वरूप लोगों में आपसी मतभेद हुए हैं, जिससे उनके मध्य दूरी आ गयी है तथा संबंध भी शिथिल हो गए हैं।
  3. अनेक व्यवसाय:
    नगरों में अनेक व्यवसायों की बहुलता के परिणामस्वरूप लोगों का गांवों से शहरों की ओर आव्रजन हुआ है जिससे नगरों में जनसंख्या – वृद्धि की समस्या उत्पन्न हुई।
  4. स्त्रियों की स्थिति में बदलाव:
    नगरीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप जहाँ महिलाओं को स्वतंत्रता मिली है, वहीं उनके लिए अनेक समस्याएँ भी उत्पन्न हुई हैं। उन्हें घर व कार्य स्थल दोनों ही जगह दोहरी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है जिसके कारण वे समाज व घर दोनों जगह तालमेल स्थापित नहीं कर पाती हैं।
  5. बच्चों में बढ़ता एकाकीपन:
    नगरों में माता – पिता दोनों का घर के बाहर कार्य करने के परिणामस्वरूप बच्चों की उचित देखभाल व पालन – पोषण नहीं हो पाता है जिसके परिणामस्वरूप बच्चों में एकाकीपन की भावना का संचार होता है तथा वे स्वयं को घर से व अपने अभिभावकों से अलगाव की स्थिति में पाते हैं।
  6. परिवार के आकार में ह्रास:
    नगरीय परिवार में दिन – प्रतिदिन आकार में कमी होती जा रही है। जहाँ पहले अनेक सदस्य एक ही छत के नीचे साथ – साथ निवास करते थे, संयुक्त रूप से अब उसकी जगह एकाकी परिवारों के चलन में वृद्धि हुई है। जहाँ सिर्फ माता – पिता व उनके अविवाहित बच्चे पाये जाते हैं। उनके संबंधों में भी पहले की भाँति मधुरता का अभाव पाया जाता है।

अतः इस प्रकार से नगरीय समाज में परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 2.
नगरीय समाज में विकास के मुद्दों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरीय समाज में विकास के मुद्दों को निम्न आधारों पर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. सुनियोजित बस्तियाँ:
नगरीय समाज में सर्वप्रथम विकास के मुद्दों में सुनियोजित बस्तियों पर ध्यान दिया जाना अति आवश्यक है। गांवों से लाखों की संख्या में लोग रोजगार व अन्य कारणों से शहरों में आते हैं तथा निवास भी करते हैं जिससे नगरों में जनसंख्या वृद्धि तो होती ही है साथ में आवासीय समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। इस कारण नगरों के विकास के लिए यह अति आवश्यक है कि पहले लोगों को लिए समुचित रूप से सुनियोजित बस्तियों का निर्माण करवाया जाए।

2. सहज आवागमन केन्द्रिक विकास:
नगरों में एक अन्य समस्या आवागमन के साधनों की भी होती है। इसलिए नगरों के विकास के लिए यह आवश्यक है कि लोगों के लिए सहज रूप से आवागमन का संपूर्ण विकास किया जाए, जिससे लोगों को कहीं भी आने – जाने में कठिनाई न हो। इसके लिए साथ ही मजबूत व पक्की सड़कों का निर्माण भी करना चाहिए, जिससे गांवों से लोगों को नगरों तक आने में कठिनाई न हो। इस कारण नगरों के उचित विकास के लिए यह आवश्यक है कि सहज आवागमन के साधनों को पूर्ण रूप से विकसित किया जाए।

3. जल – प्रबंधन:
नगरीय समाज के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक आवश्यकता जल प्रबंधन की है। जल – प्रबंधन से तात्पर्य है कि जल को एक सामूहिक संसाधन मानते हुए, उसका उचित रूप से प्रयोग किया जाए व सभी को उपलब्ध भी कराया जाए। नगरों में जल-प्रबंधन एक कठिन कार्य है क्योंकि साधारणतः जल – प्रबंधन स्थानीय स्तर पर ही होता है, जिसके अंतर्गत सैकड़ों घटक प्रबंधन के साथ जुड़े होते हैं। इसलिए विकास के लिए जरूरी है कि जल को सुरक्षित व उसके उपयोग के सुनियोजित तरीकों पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

4. ऊर्जा प्रबंधन:
नगरों के विकास के लिए यह आवश्यक है कि नगरों में रहने वाले लोगों के लिए उचित प्रकाश की व्यवस्था की जाए, जिससे उन्हें अंधकार से मुक्ति मिल सके व अपने जीवन में सर्वांगीण विकास को प्राप्त कर सके।

5. कचरे का प्रबंधन:
नगरों के विकास के लिए आवश्यक है कि कचरे के निकास के लिए उसका उचित प्रबंध किया जाए, ताकि लोगों को बीमारियों का सामना न करना पड़े तथा गंदगी भी पैदा न हो। इसलिए कचरे के प्रबंध के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए तथा लोगों की मदद से गंदगी को दूर करने के लिए अनेक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाने चाहिए।

प्रश्न 3.
नगरीय समाज की क्या चुनौतियाँ हैं? लिखें।
उत्तर:
वर्तमान में नगरीय समाज के समय अनेक चुनौतियाँ हैं, जिसे निम्न आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –
1. आवासीय समस्या:
आज नगरों में लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें से एक मुख्य समस्या लोगों की आवास की है। नगरों में लाखों की संख्या में ऐसे लोग भी निवास करते हैं जिनके पास रहने के लिए घर भी नहीं है। ऐसे में नगरों के समक्ष यह समस्या एक विकराल रूप में मौजूद है।

2. गरीबी की समस्या:
नगरों में व्यक्तियों को गरीबी की समस्या से भी जूझना पड़ता है। नगरों में ऐसे कई गरीब व्यक्तियों के समूह पाये जाते हैं जो गरीबी रेखा से नीचे का जीवन – यापन कर रहे हैं। उनके पास अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी साधन उपलब्ध नहीं है। गरीबी की समस्या के कारण ही नगरों में भिक्षावृत्ति की एक अन्य समस्या का भी जन्म हुआ है।

3. जनसंख्या – वृद्धि:
जनसंख्या वृद्धि की समस्या ने नगरों में एक विकराल रूप धारण कर लिया है जिसके परिणामस्वरूप नगर वहाँ पर निवास करने वाले लोगों के लिए संसाधनों की समुचित व्यवस्था कर पाने में असफल रहे हैं।

4. अपराधों में वृद्धि:
गरीबी के परिणामस्वरूप नगरीय समाज में अपराधों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। चोरी, लूट – पाट व डकैती के कारण लोगों को जान – माल की काफी क्षति हुई है।

5. प्रदूषण की समस्या:

  • औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप इस समस्या का उदय हुआ है।
  • प्रदूषण के कारण लोगों में अनेक बीमारियों का संचार हुआ है।
  • प्रदूषण के कारण नगरों की वायु दूषित हुई है।
  • प्रदूषण के कारण ही तापमान में वृद्धि हुई है।

6. बेरोजगारी की समस्या:

  • नगरों में शिक्षित बेरोजगारी काफी संख्या में पायी जाती है।
  • बेरोजगारी के परिणामस्वरूप युवाओं में असंतोष की भावना का संचार हुआ है।
  • बेरोजगारी की समस्या ने अकर्मण्य व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि की है।
  • बेरोजगारी के परिणामस्वरूप समाज में हिंसा व तनावों में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 4.
नगरीय आधारभूत ढांचे की स्थिति के बारे में लिखें।
उत्तर:
नगरीय आधारभूत ढांचे की स्थिति को निम्न आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –
1. जलापूर्ति स्थिति:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 71.2% शहरी जनसंख्या को पेयजल की आपूर्ति उनके परिसर में प्राप्त होती है, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में यह 65.4% था।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 20.7% जनसंख्या को जलापूर्ति परिसर के निकट प्राप्त होती है, जबकि 2001 की जनगणना में यह प्रतिशत 25.2% था।
    अत: वर्तमान में किसी भी नगर में चौबीस घंटे की जल – आपूर्ति नहीं है।

2. स्वच्छता स्थिति:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 32.1% शहरी जनसंख्या पाइपयुक्त सीवेज प्रणाली का प्रयोग करती है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 12.6% नगरीय जनसंख्या अभी भी खुले में शौच करती है।
  • भारत सरकार द्वारा 423 वर्ग – 1 शहरों का स्वच्छता मूल्यांकन से ज्ञात होता है कि गंदापन, अवशिष्ट क्लोरीन और थर्मोटोलेरेंट कोलिफॉर्म जीवाणु के आधारभूत जल गुणवत्ता मानदंडों पर केवल 39 शहर ही खरे उतरे हैं।

3. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन:

  • CPCB रिपोर्ट 2005 के अनुसार लगभग काफी एमटी नगर अपशिष्ट का उत्पादन होता है।
  • अधिकांश शहरों में अपशिष्ट को अपशिष्ट भरणस्थल में ले जाकर भर दिया जाता है।
  • ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक उपचार और निस्तारण व्यावहारिक रूप से कहीं भी मौजूद नहीं है।

4. शहरी परिवहन की स्थिति

  • सार्वजनिक परिवहन निम्न मध्य आय वाले देशों (फिलीपींस, इजिप्ट) में 49% और ऊपरी मध्य आय वाले देशों (जैसे-दक्षिण अफ्रीका, कोरिया) में 40% की तुलना में भारत में नगरीय परिवहन का लगभग 22% है।
  • 2012 के अनुसार 423 वर्ग – I, शहरों में से केवल 65 शहरों में ही औपचारिक सिटी बस सेवा उपलब्ध है।
  • अधिकांश व्यक्ति आज भी सार्वजनिक परिवहन का ही उपयोग करते हैं।
  • सिटी परिवहन के लिए बसों के वित्त पोषण के कार्यक्रमों में केन्द्र सरकार का हस्तक्षेप पाया जाता है।

प्रश्न 5.
आव्रजन को परिभाषित करते हुए, उसके कारणों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
आव्रजन सामाजिक परिवर्तन का सूचक है। अन्य स्थानों से आकर जिस स्थान पर मनुष्य बस जाते हैं उसके संदर्भ में स्थानांतरण को ‘अप्रवास या आव्रजन’ कहते हैं तथा इसमें भाग लेने वालों को ‘आप्रवासी’ कहते हैं।
आव्रजन को प्रभावित करने वाले अनेक कारण हैं, जैसे – जनसंख्या स्थानांतरण के आकार, गति तथा दिशा को दो विपरीत गुणों वाली शक्तियाँ नियंत्रित करती है।
जनसंख्या आव्रजन को प्रभावित करने वाले कारकों को चार मुख्य वर्गों में विभाजित किया जाता है –
1. प्राकृतिक कारक:

  • प्राकृतिक कारकों में जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा व भूकंप आदि के कारण लोगों में आव्रजन बढ़ता है।
  • किसी स्थान की मिट्टी का अनुपजाऊ होने तथा खनिज संसाधनों के समाप्त होने से भी आव्रजन में तीव्र वृद्धि होती है।
  • लोगों का जीविका के साधनों की प्राप्ति के लिए भी उनमें आव्रजन की प्रक्रिया दृष्टिगोचर होती है।

2. राजनीतिक कारक:

  • जो क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से मजबूत होता है वहाँ लोग अधिक आव्रजन करते हैं।
  • युद्ध में बनाये गए बंदियों तथा दास बनाये गए लोगों को विजेता देशों के लिये स्थानांतरित करने से भी इस प्रक्रिया में वृद्धि होती है।

3. आर्थिक कारक:

  • नगरों की आर्थिक सुदृढ़ता के कारण नगरों में गांव से लोगों का आव्रजन अधिक होता हैं।
  • जिन स्थानों पर उपर्युक्त साधन हों, वे जनसंख्या के आकर्षण केन्द्र बन जाते हैं तथा वहाँ बाहर से जनसंख्या का आव्रजन बढ़ जाता है।

4. सामाजिक – सांस्कृतिक कारक:

  • शिक्षा के केन्द्र में भी आव्रजन होता है, क्योंकि यह एक ओर मनुष्य की कार्यकुशलता और योग्यता को बढ़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर उन प्राचीन परंपराओं तथा रूढ़ियों से मुक्ति दिलाते हैं जो कि व्यक्ति के विकास में बाधक हैं।
  • शहरों में रहने वाले परिवारों से जब ग्रामीण परिवार से संपर्क रखने वाली कन्या का विवाह होता है तो स्वाभाविक रूप से शहरों में उनका आव्रजन होता है।
    अतः उपरोक्त कारणों से यह स्पष्ट होता है कि इन समस्त कारकों से आव्रजन की प्रक्रिया में तीव्र गति से वृद्धि होती है।

प्रश्न 6.
नगर नियोजन के उद्देश्यों एवं आदर्शों की चर्चा करें।
उत्तर:
नगर नियोजन के उद्देश्यों के संदर्भ में ‘पैट्रिक एवरक्रामी’ ने तीन उद्देश्यों की व्याख्या की है –

  1. सौंदर्य:
    नगरों के विकास के लिए नगरों का सौंदर्य व आकर्षकता काफी महत्त्वपूर्ण है, परंतु साथ में यह भी आवश्यक है समय के साथ उसमें क्षीणता न आये। नगरों का सौंदर्य बनाने के लिए उसमें पानी, ऊर्जा व जल प्रबंधन की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  2. स्वास्थ्य:
    स्वस्थ नागरिक किसी भी देश की निधि होते हैं। इसके लिए यह आवश्यक है कि देश का वातावरण, वायु एवं जल प्रदूषण रहित हो, जिससे समाज में निवास करने वाले प्रत्येक नागरिक का स्वास्थ्य उत्तम रह सके। इसके अलावा उद्योगों व अन्य कारखानों की प्रदूषणकारी गतिविधियों की स्थापना आवासीय क्षेत्रों से दूर करनी चाहिए, जिससे नागरिकों पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
  3. सुविधा:
    नगर में आधारभूत सुविधाएँ नगरवासियों के जीवन के सहजता और सुलभता के लिए अपरिहार्य है। उदाहरणत: यदि किसी नगर के औद्योगिक श्रमिकों को निवास स्थल से कार्य स्थल तक जाने में 2 घंटे का समय लग जाए तो उन्हें असुविधा होगी, परंतु यदि परिवहन की समुचित व्यवस्था हो जाए, तो इससे उनकी दूरी तो कम होगी ही साथ में उनका जीवन भी सुरक्षित व सुलभ रहेगा।

नगर नियोजन के आदर्श:

  1. सब के अनुकूल विकास: नगर का विकास नगर के निवासियों की संस्कृति, मूल्यों तथा रीति – रिवाजों के अनुकूल होना चाहिए।
  2. समुचित भवनों का निर्माण:
    नगरवासियों के लिए भवनों तथा बहुमंजिला इमारतों का निर्माण, मूलभूत सेवाओं तथा सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए तथा साथ ही अनियोजित विकास को नियंत्रित किये जाने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  3. क्रमबद्ध योजना का निर्माण:
    नगर के सुनियोजित विकास के लिए यह आवश्यक है कि नगरवासियों के लिए क्रमबद्ध योजना प्रारूप का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे भविष्य में किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की बाधा क सामना न करना पड़े।
  4. ठोस आर्थिक आधार:
    नगर तथा नगरवासियों को एक ठोस आर्थिक आधार प्रदान करने के लिए यह आवश्यक है कि व्यापार, वाणिज्य व अन्य क्षेत्रों में दोषमुक्त नीतियों का प्रावधान किया जाए।
  5. भूमि को नगर नियोजन में शामिल करना:
    नगरों में लोगों के विकास के लिए तथा आवासीय स्थिति में सुधार के लिए समस्त नगर निकट भूमि को नगर नियोजन में सम्मिलित कर लेना चाहिए।

प्रश्न 7.
आवास उपलब्धता के लिए सरकारी स्तर पर किये जाने वाले प्रयासों के संबंध में लिखें।
उत्तर:
आवास उपलब्धता के लिए सरकारी स्तर पर किये जाने वाले प्रयासों को हम निम्नांकित आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –
1. राष्ट्रीय आवास नीति:

  • वर्ष 1950 के बाद भारत सरकार ने 12 पंचवर्षीय योजनाएँ बनायीं जिनका उद्देश्य आवास तथा शहरी विकास करना है।
  • नेहरू जी ने रोजगार योजना के शहरी निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की।
  • इन योजनाओं में संस्था निर्माण तथा सरकारी कर्मचारियों तथा कमजोर वर्गों के लिए मकानों के निर्माण पर जोर दिया गया।
  • ग्लोबल शेल्टर स्टेट’ की अनुवर्ती कार्यवाई के रूप में 1998 में राष्ट्रीय आवास नीति की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य आवासों की कमी को दूर करना तथा सब के लिए बुनियादी सेवाओं को मुहैया कराना था।

2. प्रधानमंत्री आवास योजना:
सबके लिये आवास (शहरी):
इस मिशन का आरंभ सन् 2015 में हुआ था। 20152022 के मध्य इस मिशन को क्रियान्वित किया जाएगा तथा निम्नलिखित कार्यों के लिये शहरी स्थानीय निकायों व अन्य क्रियान्वयन ऐजेंसियों को राज्यों/संघ शामिल प्रदेशों के जरिये केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी जो निम्न प्रकार से है –

  1. पुनर्वास की स्थापना:
    इसके अंतर्गत नगरों में निवास करने वाले नगरवासियों या झुग्गीवासियों के रहने के लिए, नगरों में अतिरिक्त पायी जाने वाली भूमि का पूर्ण रूप से उपयोग करके इन लोगों के लिए उपर्युक्त आवास की व्यवस्था करना।
  2. ऋण संबंधी सहायता:
    नगरों में ऐसे व्यक्तियों के समूह को जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं तथा जो अपनी दैनिक मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल रहे हैं साथ ही जिनके पास जीवन – यापन के लिए उचित संसाधनों का अभाव है, ऐसे लोगों को ऋण देकर उनकी सहायता की जाएगी।
  3. किफायती आवास:
    जो नगरवासी अपने जीवन – यापन के लिए साधनों की व्यवस्था कर रहे हैं उनके लिए किफायती या कम दरों पर आवास की व्यवस्था मुहैया करायी जाएगी।
  4. नेतृत्व वाले आवास के लिए सहायता: इसके अलावा नगरों में लाभार्थी के नेतृत्व वाले आवास के निर्माण या विस्तार के लिए लोगों को सहायता प्रदान करना।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरीय का अर्थ किससे संबंधित है?
(अ) समुदाय से
(ब) संस्था से
(स) समिति से
(द) संस्कृति से
उत्तरमाला:
(अ) समुदाय से

प्रश्न 2.
किन समाजशस्त्रियों ने नगरीय समाज का अध्ययन किया है?
(अ) पार्क
(ब) विर्थ
(स) बर्गेस
(द) सभी ने
उत्तरमाला:
(द) सभी ने

प्रश्न 3.
नगरीय पारिवारिक इकाई कैसी इकाई है?
(अ) आर्थिक
(ब) व्यावसायिक
(स) सांस्कृतिक
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(ब) व्यावसायिक

प्रश्न 4.
‘American General of Sociology’ पुस्तक के रचियता कौन हैं?
(अ) पार्क
(ब) जिमरमैन
(स) विर्थ
(द) बर्गेस
उत्तरमाला:
(स) विर्थ

प्रश्न 5.
‘जीवन का ढंग’ क्या कहलाता है?
(अ) क्षेत्र
(ब) नगरीयता
(स) कस्बा
(द) गांव
उत्तरमाला:
(ब) नगरीयता

प्रश्न 6.
व्यक्तिवादिता कहाँ की विशेषता है?
(अ) गांव
(ब) समुदाय
(स) नगर
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(स) नगर

प्रश्न 7.
एकाकी परिवार सर्वाधिक कहाँ पाए जाते हैं?
(अ) गांव में
(ब) क्षेत्र में
(स) समुदाय में
(द) नगरों में
उत्तरमाला:
(द) नगरों में

प्रश्न 8.
भारतीय समाज में किस सत्ता का प्रचलन है?
(अ) पितृसत्तात्मक
(ब) मातृसत्तात्मक
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(अ) पितृसत्तात्मक

प्रश्न 9.
किशोर अपराधों में कितने प्रतिशत वृद्धि हुई है?
(अ) 44%
(ब) 45%
(स) 46%
(द) 47%
उत्तरमाला:
(द) 47%

प्रश्न 10.
भारत में विवाह – विच्छेद की दर प्रति हजार पर कितनी हो गयी है?
(अ) 12
(ब) 13
(स) 14
(द) 15
उत्तरमाला:
(ब) 13

प्रश्न 11.
वर्तमान में बड़े नगरों की संख्या कितनी है?
(अ) 17
(ब) 18
(स) 19
(द) 20
उत्तरमाला:
(स) 19

प्रश्न 12.
हैमिल्टन ने किससे पुरस्कार प्राप्त किया था?
(अ) पर्यावरण संरक्षण एजेंसी से
(ब) जलवायु संरक्षण एजेंसी से
(स) प्रदूषण संरक्षण एजेंसी से
(द) वायु संरक्षण एजेंसी से
उत्तरमाला:
(अ) पर्यावरण संरक्षण एजेंसी से

प्रश्न 13.
भारत में कितने प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन – यापन कर रहे हैं?
(अ) 19%
(ब) 20%
(स) 22%
(द) 28%
उत्तरमाला:
(स) 22%

प्रश्न 14.
‘राज्य’ की उत्पत्ति का सिद्धांत किसने दिया था?
(अ) रूसो
(ब) हॉब्स
(स) लॉक
(द) कोई भी नहीं
उत्तरमाला:
(ब) हॉब्स

प्रश्न 15.
‘बेस्ट’ बस की औसत गति कितनी है?
(अ) 9 किमी. प्रति घण्टा
(ब) 10 किमी. प्रति घण्टा
(स) 12 किमी. प्रति घण्टा
(द) 14 किमी. प्रति घण्टा
उत्तरमाला:
(स) 12 किमी. प्रति घण्टा

प्रश्न 16.
2011 की जनगणनानुसार कितनी प्रतिशत जनसंख्या खुले में शौच करती है?
(अ) 13.2%
(ब) 14.3%
(स) 15.2%
(द) 12.6%
उत्तरमाला:
(द) 12.6%

प्रश्न 17.
आव्रजन सामाजिक ………………… का सूचक है?
(अ) स्थिति
(ब) विषमता
(स) परिवर्तन
(द) गतिशीलता
उत्तरमाला:
(स) परिवर्तन

प्रश्न 18.
आव्रजन के कितने रूप होते हैं?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तरमाला:
(ब) दो

प्रश्न 19.
नगर नियोजन कैसी योजना है?
(अ) राजनीतिक
(ब) प्रशासकीय
(स) सामाजिक
(द) आर्थिक
उत्तरमाला:
(ब) प्रशासकीय

प्रश्न 20.
अयोध्या का निर्माण किस काल में हुआ था?
(अ) वैदिक काल
(ब) उत्तर वैदिक काल
(स) पुरा वैदिक काल
(द) मध्य वैदिक काल
उत्तरमाला:
(अ) वैदिक काल

प्रश्न 21
‘जयपुर’ का निर्माण किस वर्ष में हुआ था?
(अ) 1725
(ब) 1726
(स) 1727
(द) 1728
उत्तरमाला:
(स) 1727

प्रश्न 22.
2011 में कितने प्रतिशत घर विद्युत का उपयोग कर पाये?
(अ) 90%
(ब) 91%
(स) 92%
(द) 93%
उत्तरमाला:
(द) 93%

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय आवास नीति की घोषणा कब की गई?
(अ) 1998
(ब) 1999
(स) 1995
(द) 1994
उत्तरमाला:
(अ) 1998

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘नगरीय’ शब्द किसे दर्शाता है?
उत्तर:
‘नगरीय’ शब्द नगरीय समुदाय को दर्शाता है जो कि नगरीय क्षेत्र में निवास करता है।

प्रश्न 2.
‘नगरीय समाज में परिवर्तन’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘नगरीय समाज में परिवर्तन’ का तात्पर्य नगरीय सामाजिक पारिवारिक – आर्थिक संरचना में परिवर्तन है।

प्रश्न 3.
‘श्रम – विभाजन’ तथा ‘विशेषीकरण’ कहाँ की विशेषता है?
उत्तर:
‘श्रम – विभाजन’ तथा ‘विशेषीकरण’ नगरीय समाज की विशेषता है।

प्रश्न 4.
एकाकी परिवार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस परिवार में माता – पिता तथा उनके अविवाहित बच्चे निवास करते हैं, उसे एकाकी परिवार कहते हैं।

प्रश्न 5.
किस संस्कृति ने नगरीय समाज को भावनात्मक रूप से शून्य कर दिया है?
उत्तर:
भौतिकवादी संस्कृति ने नगरीय समाज को भावनात्मक रूप से शून्य कर दिया है।

प्रश्न 6.
नाबालिगों द्वारा किये जाने वाले अपराधों की संख्या 2014 तक कितनी हो गयी है?
उत्तर:
नाबालिगों द्वारा किये जाने वाले अपराधों की संख्या 2014 तक 33,526 हो गयी है।

प्रश्न 7.
बोरनेट कहाँ के प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं?
उत्तर:
‘University of Southern California’ के प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं।

प्रश्न 8.
प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक संसाधनों का संरक्षण सर्वाधिक किस शहर में है?
उत्तर:
‘चंडीगढ़’ देश के उन शहरों में से एक है, जहाँ प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक संसाधनों का संरक्षण सर्वाधिक होता है।

प्रश्न 9.
‘National Award for Smart Growth Achievement’ का पुरस्कार किसे मिला है?
उत्तर:
ओहायो के हैमिल्टन को अपनी एक परियोजना के लिए 2015 में यह पुरस्कार मिला था।

प्रश्न 10.
आधुनिक भारत के निर्माता कौन थे?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 11.
नगरों में सबसे बड़ी समस्या कौन – सी उत्पन्न हुई है?
उत्तर:
अत्यधिक जनसंख्या के संकेन्द्रण के कारण विश्व के वृहत् नगरों में आवास की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

प्रश्न 12.
किस देश का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का घनत्व विश्वभर में सबसे अधिक है।

प्रश्न 13.
कितने शहरों में औपचारिक सिटी बस सेवा उपलब्ध है?
उत्तर:
केवल 65 शहरों में ही औपचारिक सिटी बस सेवा उपलब्ध है।

प्रश्न 14.
चार्ल्स डिकेंस की पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
‘A Tale of Two Cities’ चार्ल्स डिकेंस की पुस्तक का नाम है जिसमें उन्होंने नगरों के विषय में व्याख्या की है।

प्रश्न 15.
दिवंगत राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने नगरों के विकास के लिए किस कार्यक्रम की पहल की थी?
उत्तर:
‘Provision of Urban Amenities to Rural Areas’ में राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने नगरों के विकास के लिए केन्द्र सरकार से पहल की थी।

प्रश्न 16.
‘अमृत मिशन’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
‘अमृत मिशन’ का मुख्य उद्देश्य है घरों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना जैसे कि जल आपूर्ति, सीवेज आदि जिससे सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।

प्रश्न 17.
सरकारी योजनाओं और नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
सभी सरकारी योजनाओं और नीतियों का मूलभूत उद्देश्य यही है, नगर में आधारभूत संरचना का निर्माण एवं संरक्षण इस तरह किया जाये कि नगरीय समाज जीवन को खुशहाल तरीके से व्यतीत कर सके।

प्रश्न 18.
यूरोपीय आप्रवासी किसे कहा जाता है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका में यूरोप से आये हुए लोगों को यूरोपीय आप्रवासी कहा जाता है।

प्रश्न 19.
आव्रजन के कितने रूप होते हैं?
उत्तर:
आव्रजन के दो रूप होते हैं – आंतरिक आव्रजन तथा अन्तर्राष्ट्रीय आव्रजन।

प्रश्न 20.
आंतरिक आव्रजन की प्रक्रिया का आरंभ किस काल में हुआ?
उत्तर:
आंतरिक आव्रजन की प्रक्रिया उपनिवेश काल से ही आरंभ हुई है।

प्रश्न 21.
किन राज्यों में अधिक शहरीकरण नहीं हुआ है?
उत्तर:
बिहार, उत्तर – प्रदेश तथा उड़ीसा जैसे राज्यों में अधिक शहरीकरण नहीं हुआ है।

प्रश्न 22.
कौन – सी दो विपरीत गुणों वाली शक्तियाँ जनसंख्या में आकार, गति व दिशा को नियंत्रित करती हैं?
उत्तर:
‘आकर्षण शक्ति’ और ‘प्रतिकर्षण शक्ति’ दो ऐसी विपरीत गुणों वाली शक्तियां हैं जो जनसंख्या के आकार, गति व दिशा को नियंत्रित करती हैं।

प्रश्न 23.
प्रागैतिहासिक आव्रजन किस कारण से होता है?
उत्तर:
प्रागैतिहासिक आव्रजन मुख्यतः जलवायु परिवर्तन के कारण होता है।

प्रश्न 24.
जयपुर’ का निर्माण किस राजा ने किया था?
उत्तर:
वर्ष 1727 ई. में महाराज सवाई जयसिंह ने सुनियोजित ढंग से बनवाया था।

प्रश्न 25.
ग्रामीण आवास योजना किसके अंतर्गत शुरू की गई?
उत्तर:
1957 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण आवास योजना शुरू की गई।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरीय शब्द की अवधारणा को स्पस्ट कीजिए।
उत्तर:
नगरीय शब्द की अवधारणा को हम निम्नांकित बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं –

  1. ‘नगरीय’ का अर्थ नगर में रहने वाले समुदाय से है।
  2. ‘नगरीय’ शब्द नगरीय समुदाय विशेष को इंगित करता है जो कि नगरीय क्षेत्र में निवास करता है।
  3. नगरीय क्षेत्र उस परिपूर्णता के रूप में समझा जाता है जो मुख्यतः उद्योग, नौकरी, व्यापार तथा अन्य व्यवसायों में संलग्न होता है।
  4. नगरीय समुदाय प्रमुखतः तकनीकी कार्यों, वस्तुओं के निर्माण से संबंधित रहता है।
  5. नगरीय मानव जीवन की विशिष्ट सामाजिक व्यवस्था होती है।
  6. नगरीय सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति को व्यावसायिक क्रियाएँ करने की स्वतंत्रता होती है।

प्रश्न 2.
समाजशास्त्री विर्थ ने नगरीय समाज के किन लक्षणों की विवेचना की है?
उत्तर:
विर्थ ने नगरीय समाज की अनेक लक्षणों की विवेचना की है जो निम्नलिखित है –

  1. विषमता:
    विर्थ के अनुसार नगरों में विषमता पायी जाती है। वहाँ पर अनेक प्रकार के लोग होते हैं जिनमें संस्कृति, खान – पान, रिवाजों व मूल्यों में विषमता पायी जाती है।
  2. पारस्परिक निर्भरता:
    विर्थ के अनुसार नगरों में श्रम – विभाजन व विशेषीकरण के कारण लोगों की एक – दूसरे पर निर्भरता में वृद्धि हुई है।
  3. दिखावे की प्रवृत्ति:
    उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि नगरों में निवास करने वाले लोगों में दिखावे की प्रवृत्ति दृष्टगोचर होती है। उनके संबंधों की प्रकृति भावनात्मक न होकर कृत्रिम होती है।
  4. उच्च जीवन प्रणाली:
    नगरों में निवास करने वाले कुछ वर्गों का जीवन काफी उच्च होता है। उनके पास समस्त साधन होते हैं जिनका प्रयोग वे सूझ – बूझ के साथ करते हैं।

प्रश्न 3.
नगरों में महिलाओं की प्रस्थिति में क्या सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
नगरों में महिलाओं की प्रस्थिति में अनेक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं –

  1. शैक्षिक स्तर में सुधार:
    नगरों में महिलाओं की शैक्षिक प्रस्थिति में सुधार हुआ है। उन्हें भी बालकों की भाँति अच्छे विद्यालय में शिक्षा प्रदान करवायी जाती है।
  2. कामकाज में बदलाव:
    नगरों में महिलाएँ केवल अब घरेलू कार्यों तक सीमित न होकर बल्कि पुरुषों के समान कार्य क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण भागीदारी का निर्वाह कर रही हैं।
  3. अधिकारों में वृद्धि:
    महिलाओं को नगरों में अधिकारों की प्राप्ति हुई है जिसके परिणामस्वरूप उनमें सजगता आयी है तथा उनमें जागरूकता का भी संचार हुआ है। अब महिलाओं की स्थिति को एक अबला नारी न मानकर एक सशक्ति के रूप में हुई है।

प्रश्न 4.
नगरों में बच्चों में बढ़ते एकाकीपन के क्या कारण हैं?
उत्तर:
नगरों में बच्चों में बढ़ते हुए एकाकीपन के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. अभिभावकों की व्यस्तता:
    नगरों में माता-पिता दोनों ही कार्य – स्थलों पर जाकर कार्य करते हैं जिससे उनके पास अपने बच्चों के लिए समय ही नहीं होता है। जिसके कारण बच्चों में अकेलेपन की भावना प्रवेश करती है।
  2. विवाह – विच्छेद की प्रवृत्ति:
    नगरों में आजकल विवाह – विच्छेद की प्रवृत्ति में काफी वृद्धि हुई है जिसके कारण माता व पिता अलग रहते हैं। ऐसे में बच्चों की उचित देखरेख नहीं हो पाती है व बच्चों को अपने माता – पिता का प्रेम भी नहीं मिल पाता है जिसके कारण बच्चों में एकाकीपन की भावना आती है।
  3. एकाकी परिवार की प्रवृत्ति:
    नगरों में एकाकी परिवारों का चलन पाया जाता है जिसमें माता-पिता व उनके बच्चे ही शामिल रहते हैं, जबकि संयुक्त परिवारों में अनेक सदस्य एक साथ निवास करते हैं जहाँ सभी सदस्यों का मनोरंजन होता रहता है। इस कारण एकाकी परिवार में सदस्यों की कम संख्या व पर्याप्त समय के अभाव के कारण बच्चों में अकेलेपन की प्रवृत्ति जन्म लेती है।

प्रश्न 5.
नगरीय समाज में सोशल नेटवर्किंग तथा इंटरनेट ने किस प्रकार से बदलाव उत्पन्न किया है?
उत्तर:
नगरीय समाज में सोशल नेटवर्किंग तथा इंटरनेट प्रणाली ने अनेक प्रकार से लोगों की जीवन पद्धति में तीव्र बदलाव उत्पन्न किये हैं, जो निम्न प्रकार हैं –

  1. नवीन सूचनाओं की प्राप्ति:
    सोशल साइट व इंटरनेट से लोगों को देश-विदेश व अपने सभी सहकर्मी तथा पारिवारिक सदस्यों की सूचनाएँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
  2. समय की बचत:
    इन प्रणालियों से व्यक्तियों को जिन कार्यों को करने में काफी समय लगता था, अब E-mail तथा chat के जरिये चंद मिनटों में वह काम पूरा हो जाता है जिससे समय की बचत होती है।
  3. दूरी में कमी:
    इंटरनेट प्रणाली ने पूरे विश्व को एक ग्लोबल बना दिया है। जहाँ हर कार्य इस प्रणाली के माध्यम से आसानी से हो जाता है। लोगों की दूरी में कमी आयी है। अब हर व्यक्ति दुनियाँ के किसी भी कोने में व्यक्तियों से संपर्क स्थापित कर सकता है। इस प्रणाली ने लोगों के मध्य दूरी को घटा दिया है।

प्रश्न 6.
सुनियोजित बस्तियों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सुनियोजित बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. नगरों में स्थापित बस्तियों का निर्माण लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप किया जाता है जिससे उन्हें रहने में कोई समस्या न हो।
  2. नगरों में सुनियोजित बस्तियों का निर्माण विकास नीतियों के आधार पर किया जाता है।
  3. सुनियोजित बस्तियों में लोगों को सभी सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। उनमें लोगों को पीने, ऊर्जा आदि की सुविधाएँ भी प्राप्त होती हैं।
  4. सुनियोजित बस्तियों में लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अनुकूल वातावरण को उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 7.
सहज आवागमन के लिए क्या प्रयास किये जाने चाहिए?
उत्तर:
सहज आवागमन के लिए अनेक प्रयास किये जाने चाहिए –

  1. पक्की सड़कों का निर्माण:
    निवासियों को एक सहज आवागमन प्रदान के लिए यह आवश्यक है कि पक्की व मजबूत सड़कों का निर्माण किया जाए, जिससे लोगों को असुविधा न हो।
  2. छोटी सड़कों का निर्माण:
    सहज आवागमन के लिए यह आवश्यक है कि गांवों को नगरों से जोड़ा जाए, इसके लिए छोटी सड़कों के निर्माण पर विशेष रूप से बल दिया जाना चाहिए, जिससे ग्रामीण विकास को भी बल मिले।
  3. समुचित बस सेवा:
    निवासियों को सहज आवागमन प्रदान करने के लिए समुचित बस सेवा उपलब्ध करानी चाहिए। नगरों में सिटी बस सेवा को प्रोत्साहन देना चाहिए, जिससे लोगों को सफर करने के दौरान कोई भी असुविधा न हो।

प्रश्न 8.
जल प्रबंधन की समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल प्रबंधन से संबंधित अनेक समस्याएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. जल प्रबंधन की कठिनाई:
    जल प्रबंधन का कार्य एक कठिन कार्य है क्योंकि साधारणत: जल प्रबंधन स्थानीय स्तर पर ही होता है क्योंकि कई घटक इसके प्रबंधन के साथ जुड़े होते हैं और उनके मध्य सामंजस्य बैठाना सरल नहीं होता है, इस कारण यह एक चुनौती बन जाता है।
  2. एजेंसियों की लापरवाही:
    नगरों में जल की आपूर्ति करना एक जटिल कार्य है। इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी कुछ निजी व सरकारी दोनों ही एजेंसियों को प्रदान की जाती हैं जिससे लोगों को पर्याप्त मात्रा में जल मिल सके, परंतु एजेंसियों के कर्मचारी इस कार्य का उत्तरदायित्व उचित प्रकार से निभा नहीं पाते हैं।

प्रश्न 9.
कचरे के प्रबंध से होने वाले दो लाभ का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कचरे के प्रबंध से दो लाभों का वर्णन निम्न प्रकार से है –

  1. खाद या उर्वरक के रूप में प्रयोग:
    नगरों में जमा होने वाले कचरे के प्रबंध से उसका प्रयोग कृषि में खाद के रूप में किया जाता है। नगरों में कचरों को अर्थात् मिले कचरे को एकत्रित करके उसे कृषि में उपयोग किया जाता है, जिससे कृषि की पैदावार में वृद्धि होती है।
  2. बिजली के निर्माण में सहायक:
    नगरों में जमा होने वाले सूखे कचरों की सहायता से उसका प्रयोग बिजली के निर्माण में किया जाता है। इसमें सूखे कचरे को एकत्रित करके उसे रूपांतरित कर बिजली का निर्माण किया जाता है, जिससे बिजली तो बनती ही है साथ ही लोगों के लिए बिजली की कमी को पूरा भी करती है।

प्रश्न 10.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उपायों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हम निम्न उपायों के आधार पर कर सकते हैं –

  1. वृक्षारोपण के माध्यम से:
    पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि अधिक से अधिक वृक्षों को लगाया जाए, वृक्षों के द्वारा हमारा वातावरण शुद्ध रहता है तथा जलवायु पर भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इससे लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
  2. वनों की कटाई पर रोक:
    मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लए वनों की काफी मात्रा में कटाई की है, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु व वातावरण पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे मृदा का क्षय भी होता है।
  3. प्राकृतिक संसाधनों का उचित मात्रा में प्रयोग:
    आने वाले भविष्य में नए पीढ़ी के सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि संसाधनों के उचित प्रयोग पर ध्यान दिया जाए। मृदा, वायु, बिजली तथा पानी इन सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आवश्यकतानुसार ही किया जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
पर्यावरण प्रदूषण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण का अर्थ:
पर्यावरण समस्त भौतिक (हवा, जल, ध्वनि, मृदा) और सामाजिक कारकों (परिवार, समुदाय आदि) की वह व्यवस्था है जो मानव को किसी न किसी प्रकार से प्रभावित करती है। पर्यावरण शब्द ‘परि + आवरण’ दो शब्दों से मिलकर बना है जिनका अर्थ क्रमशः ‘चारों ओर’ तथा ‘ढका’ हुआ है।

प्रदूषण:

  1. इसका अर्थ है ‘दूषित वातावरण’। पर्यावरण के घटकों (जैसे – वायु, जल व भूमि आदि) के भौतिक, रासायनिक या जैविक लक्षणों का वह अवांछनीय परिवर्तन जो मानव और उसके लिए लाभदायक, दूसरे जीवों, औद्योगिक प्रक्रमों, जैविक दशाओं एवं सांस्कृतिक विरासतों को हानि पहुँचाता है। वह ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है।
  2. संक्षेप में पर्यावरण में होने वाले किसी ऐसे परिवर्तन को जो मनुष्य व उसके लाभदायक सजीवों व निर्जीवों को हानि पहुँचाए, उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।

प्रश्न 12.
अमृत मिशन’ पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
‘अमृत मिशन’ का मुख्य उद्देश्य है घरों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध करना जैसे कि जल आपूर्ति, सीवेज, शहरी परिवहन आदि जिससे सभी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।

‘अमृत मिशन’ के मूल तत्त्व:

  1. सेप्टिक सुधार के अंतर्गत मल प्रबंधन व नाली की यांत्रिक सफाई कराना।
  2. उचित फुटपाथों तथा रास्तों का निर्माण करना।
  3. गैर – मोटर चलित परिवहन के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  4. सीवेज सुविधा के अंतर्गत भूमिगत सीवेज प्रणाली का निर्माण एवं रख – रखाव करना।
  5. जलापूर्ति प्रणालियों का निर्माण एवं रख – रखाव, पुराने जल निकायों का कायाकल्प करना आदि।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस नीति का उद्देश्य अपने शहरों के भीतर नौकरी, मनोरंजन तथा ऐसी अन्य आवश्यकताओं को बढ़ती नगरीय आबादी के लिए सुरक्षित करना आदि है। इस नीति के उद्देश्यों को निम्न आधारों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है –

  1. शहरी यातायात को परिणामी जरूरत की बजाए शहरी नियोजन स्तर पर प्रमुख मानक के रूप में समाहित करना।
  2. सभी शहरों में एकीकृत भूमि उपयोग पर बल देना।
  3. परिवहन नियोजन को बढ़ावा देना ताकि यात्रा में दूरी को कम किया जा सके।
  4. सार्वजनिक परिवहन और गैर – मोटरकृत सार्वजनिक परिवहनों के साधन को बढ़ावा देने के लिए इनके अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देना।

प्रश्न 2.
अवधि के आधार पर आव्रजन के प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अवधि के आधार पर आव्रजन के प्रकारों को चार भागों में विभाजित कर सकते हैं –

  1. दीर्घकालीन आव्रजन: ब्रिटिश काल में चाय बगानों में काम करने के लिए श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका आदि में भारतीय श्रमिकों का आव्रजन काफी हुआ है।
  2. अल्पकालीन आव्रजन: देशाटन, तीर्थयात्रा एवं राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हुआ स्थानांतरण इसमें सम्मिलित है।
  3. दैनिक आव्रजन: बड़े नगर या औद्योगिक केन्द्र में बाहर उपनगरीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में रोज लोगों का आव्रजन होता है।
  4. मौसमी आव्रजन: जिन स्थलों का मौसम अत्यधिक ठंडा तथा शुष्क होता है वहाँ मानव स्थानांतरण होता है।

प्रश्न 3.
नगर – नियोजन की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
नगर – नियोजन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. नगर नियोजन, नगरों में पायी जाने वाली समस्याओं को दूर करने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  2. नगर नियोजन के द्वारा नगरों में पुराने नगरों के उद्धार की उपर्युक्त योजनाओं को क्रियान्वित किया जाता है।
  3. नगर नियोजन नगरों की विकास की प्रक्रिया से संबंधित है।
  4. नगर नियोजन व्यक्तियों के कल्याण व उनके जीवन स्तर को उन्नत करने में सहायक है।
  5. नगर नियोजन एक प्रशासकीय योजना है जो नगर के वर्तमान तथा भावी विकास कि लिए विस्तृत कार्यक्रमों का निर्माण करती है।

प्रश्न 4.
भारत में नगर – नियोजन के मार्ग में कौन – सी बाधाएँ हैं?
उत्तर:
भारत में नगर नियोजन के मार्ग में अनेक बाधाएँ हैं जो निम्नलिखित हैं –

  1. नगरीय योजना नगर निगम की सीमा द्वारा सीमित होती है। इस सीमित योजना के परिणामस्वरूप पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले उपनगरों के बिना आधार संरचनात्मक समर्थन के उद्योगों की स्थापना, एक ऐसी समस्या बन कर उभरी है जिसके कारण नगरीय स्थान का अव्यवस्थित विकास होता है।
  2. आधारभूत संरचनाओं के मध्य समन्वयता के अभाव के चलते नगरीय विकास अवरुद्ध होता है यथा विद्युत, जलापूर्ति, गंदगी निस्तारण तथा टेलीफोन जैसी सेवाओं के मध्य समन्वय का अभाव नवस्थापित उद्योगों का विकास धीमे कर देता है।
  3. योजना निर्माण एवं उसके क्रियान्वयन के मध्य एक गहरा अंतराल होने के कारण अल्पविकसित आधार संरचना के
    फलस्वरूप नगरीय विस्तार मूलभूत सुविधाओं के बगैर होता है।

प्रश्न 5.
आवास निर्माण में सहायक संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
देश में आवास समस्या को देखते हुए आवासों के निर्माण की अत्यंत आवश्यकता है। इसलिए निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र की अनेक संस्थाएँ आवासों के निर्माण में संलग्न हैं। जो निम्नलिखित हैं –

  1. आवास निर्माण में निजी क्षेत्र की भूमिका:
    नगरीय क्षेत्र में आवास निर्माण में ठेकेदारों का प्रायः सहयोग लिया जाता है। आवासों की मांग बढ़ने के कारण निजी बिल्डर्स का व्यवसाय भी निरंतर बढ़ता जा रहा है, किंतु इस क्षेत्र में केवल उच्च आय समूह तथा उच्च मध्यम आय समूह के लोगों की ही आवास आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
  2. आवास निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका:
    आवास निर्माण के कार्य में केन्द्र सरकार, सार्वजनिक वित्तीय संस्थाएँ तथा विकास प्राधिकरण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्ष 1957 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत एक ग्रामीण आवास योजना शुरू की गई। इसके साथ ही न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम और बीस सूत्री कार्यक्रम में ग्रामीण आवास स्थल एवं आवास निर्माण योजना को उच्च प्राथमिकता दी गई।

RBSE Class 12 Sociology Chapter 7 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नगरों का समाज पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नगरों का समाज पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों को अनेक आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –
1. नगरों का आर्थिक क्रियाओं पर प्रभाव:

  • नगरों में उपलब्ध सुविधाओं के कारण ही नगरों में औद्योगीकरण अधिक हुआ है।
  • नगर व्यापार तथा वाणिज्य के केन्द्र बन गए हैं, जिसमें लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
  • नगरों में श्रम – विभाजन व विशेषीकरण पाया जाता है जिसमें लोगों में पारस्परिक निर्भरता देखने को मिलती है।

2. स्त्रियों की स्थिति में बदलाव:

  • नगरों में स्त्रियों की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।
  • स्त्रियों को आर्थिक निर्भरता पुरुषों पर से अब समाप्त हुई है।
  • बाल – विवाह की संख्या में कमी एवं विधवा पुनर्विवाह के कारण स्त्रियों की पारिवारिक प्रस्थिति भी ऊँची उठी है। 4. अब महिलाएँ सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक सभी क्षेत्रों में कार्य करने लगी है।

3. नगरों का जाति प्रथा पर प्रभाव:

  • नगरों में व्यक्ति का मूल्यांकन उसके गुणों के आधार पर किया जाता है।
  • खान – पान के संबंधों एवं छुआछूत में भी शिथिलता आयी है।
  • एक जाति के व्यक्ति कई व्यवसायों में और एक व्यवसाय में कई जातियों के व्यक्ति लगे हुए हैं।
  • आज विभिन्न जातियों के नगर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन पाये जाते हैं जो अपनी जाति के सदस्यों के लिए शिक्षा, छात्रवृत्ति, अस्पताल व धर्मशाला आदि की व्यवस्था करते हैं। इस प्रकार नगरों में जाति के परंपरागत स्वरूप में परिवर्तन देखा जा सकता है।

4. ग्रामीण समुदायों पर प्रभाव:

  • गांव के सदस्य गांव से नगरों में दूध, घी व सब्जी आदि बेचने आते हैं, जिसमें उनकी आर्थिक स्थिति सुहढ़ हुई है।
  • गांव में भी अब नगरीय संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था पनपने लगी है।
  • ग्रामीण लोग भी अब नगरीय फैशन, वस्त्र, खान – पान, जीवन – शैली आदि का प्रयोग करने लगे हैं।
  • ग्रामीण लोग भी नगरीय समाज में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने लगे हैं तथा गांवों में नल व बिजली की सुविधाएँ हो गयी हैं, वहाँ पर भी नगरों की भाँति लोग व्यवसायों को अपनाने लगे। अतः उपरोक्त तथ्यों से यह विदित होता है कि नगरों का समाज पर भी कई क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है।

प्रश्न 2.
नगरों का समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नगरों का समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को विभिन्न आधारों पर स्पष्ट कर सकते हैं –

  1. अपराधों में वृद्धि:
    गांवों की तुलना में नगरीय समाजों में अपराध अधिक होते हैं। नगरों में परिवार, धर्म, पड़ोस, रक्त संबंध एवं जाति के नियंत्रण में शिथिलता के कारण अपराध बढ़ जाते हैं।
  2. आवास की समस्या:
    नगरों में एक भयंकर समस्या मकानों की है। नगरों में हवा एवं रोशनीदार मकानों का अभाव होता है। इन मकानों में शोचालय आदि का अभाव होता है। नगरीय क्षेत्रों में कई मकान तो बीमारियों के घर होते हैं।
  3. मानसिक तनाव एवं संघर्ष:
    नगरों में मानसिक तनाव एवं संघर्ष अधिक हैं जिनसे मुक्ति पाने हेतु लोग नींद की गोलियाँ आदि के सेवन में लीन रहते हैं।
  4. सामाजिक विघटन:
    व्यक्तिवादिता के कारण नगरों में सामाजिक नियंत्रण शिथिल हुआ है। वहाँ परिवार, धर्म, ईश्वर व जाति के नियंत्रण के अभाव में समाज विरोधी कार्य अधिक होते हैं। गरीबी, तलाक, बाल-अपराध व अपराध नगरीय जीवन की प्रमुख समस्याएँ हैं। हड़ताल, नारेबाजी व नगरीय जीवन की आम घटनाएँ हैं।
  5. भिक्षावृत्ति:
    नगरों में भिक्षावृत्ति अधिक है। सड़क के किनारे मंदिर, मस्जिद एवं धार्मिक स्थानों पर भिखारियों की भीड़ देखी जा सकती है। भिक्षावृत्ति नगरों में व्याप्त गरीबी का सूचक है।
  6. बढ़ती जनसंख्या:
    नगरों में बढ़ती जनसंख्या ने यातायात, शिक्षा, प्रशासन एवं सुरक्षा की समस्या पैदा की है। सभी के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना, यातायात एवं सुरक्षा के स्थान जुटाना और नगर प्रशासन चलाना एक कठिन कार्य हो गया है।
  7. बेकारी की समस्या:
    उद्योगों में मशीनों ने मनुष्य का स्थान ले लिया है पहले जिस कार्य को काफी लोग करते थे, वही काम आज कुछ व्यक्तियों के माध्यम से ही निपटा दिये जाते हैं।
  8. मनोरंजन की समस्या:
    नगरों में मनोरंजन का व्यापारीकरण पाया जाता है। सिनेमा, टेलीविजन, खेलकूद, पार्क एवं बगीचों के लिए काफी पैसा खर्च करना होता है। यहाँ व्यापारिक संस्थाओं द्वारा मनोरंजन जुटाया जाता है। गांवों में खेलकूद, नृत्य, भजन, गायन आदि के माध्यम से सुगमता से लोगों का मनोरंजन होता है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप नगरों में किन समस्याओं का उदय होता है?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप नगरों में अनेक समस्याओं का उदय होता है जिनके निम्नलिखित कारण हैं –

  1. जनसंख्या वृद्धि एवं पूँजी निर्माण:
    जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति प्राकृतिक साधनों में भी कमी हो जाती है और उत्पादकता गिरती है। ऐसी परिस्थिति में नगरों में पूँजी निर्माण का कार्य एक समस्या बन जाती है।
  2. जनसंख्या वृद्धि एवं खाद्य समस्या:
    जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होने पर पिछड़े एवं विकासशील राष्ट्रों में जनसंख्या की मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं हो पाती है। अतः नगरों में भुखमरी की समस्या पैदा होती है और विदेशी से अनाजों का आयात करना पड़ता है।
  3. जनसंख्या वृद्धि एवं शिक्षा:
    जनसंख्या वृद्धि के कारण पिछड़े राष्ट्रों में निरक्षरों की संख्या बढ़ने की संभावना रहती है। नगरों में जो व्यक्ति मलिन बस्तियों में निवास करते हैं वे अपने बच्चों को शिक्षा कम आय के कारण दिला नहीं पाते हैं।
  4. जनसंख्या एवं मूलक वृद्धि:
    जनसंख्या के बढ़ने से वस्तुओं की प्रभावपूर्ण मांग में भी वृद्धि हो जाती है किंतु उसी मात्रा में पूर्ति न होने पर नगरों में वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि भी हो जाती है।
  5. जनसंख्या वृद्धि एवं आवास की समस्या:
    नगरों में जनसंख्या वृद्धि होने पर लोगों को बसाने और उनके लिए स्वास्थ्यप्रद मकानों की व्यवस्था करने की समस्या पैदा होती है।
  6. जनसंख्या वृद्धि एवं अपराध:
    जब नगरों में जनसंख्या वृद्धि तीव्र गति से होती है, तो सभी के भरण-पोषण के लिए साधन जुटा पाना संभव नहीं होता है। ऐसी दशा में देश में या नगरों में गरीबी, बेकारी व अपराध बढ़ते हैं।
  7. जनसंख्या वृद्धि और नागरिक समस्याएँ:
    नगरों में जनसंख्या वृद्धि के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। औद्योगीकरण तथा नगरीकरण ने भी समाज में अनेक समास्याओं जैसे – मानसिक तनाव, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा व मध्यपान जैसी समस्याओं को उत्पन्न किया है।
  8. जनसंख्या वृद्धि और गरीबी:
    नगरों में आवश्यकता से अधिक मात्रा में जनसंख्या में वृद्धि होने पर गरीबी बढ़ती है। प्रत्येक देश में प्राकृतिक साधन एवं भूमि सीमित मात्रा में होते हैं जिनका उपयोग अधिक जनसंख्या के लिए करने पर प्रति व्यक्ति साधनों की उपलब्धि कम हो जाती है। इसका प्रभाव राष्ट्रीय उत्पादन एवं राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ता है। फलतः नगरों में सामान्य गरीबी बनी रहती है।

प्रश्न 4.
जल प्रदूषण का नगरीय जन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय बताइए।
उत्तर:
जल प्रदूषण का नगरीय जन जीवन पर प्रभाव:

  1. रोगों की संभावना: प्रदूषित जल के उपयोग से अनेक रोगों के होने की संभावना रहती है, जैसे – पीलिया, मियादी बुखार, हैजा, डायरिया, क्षय रोग तथा अक्फेलाइटिस आदि बीमारियाँ हो जाती है।
  2. जलीय जीवों को हानि: जल की मछलियों, अन्य जंतुओं व वनस्पतियों को जल की विषाक्तता जान से मार सकती है, जिससे बहुत बड़ा पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो सकता है।
  3. फसलों की क्षति: प्रदूषित जल से सिंचाई करने से फसलें खराब हो जाती हैं क्योंकि जल के प्रदूषण अपनी विषाक्तता का प्रभाव फसलों, फलों व सब्जियों पर देखने को मिलता है।
  4. विभिन्न पर्यावरणीय घटकों पर प्रभाव: जल प्रदूषण से प्राकृतिक जल का pH मान, इसकी ऑक्सीजन व कैल्सियम मात्राएँ परिवर्तित हो जाती हैं। जस्ता व सीसा से प्रदूषित जल में कोई जीव जीवित नहीं रह सकता है।

जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय:

  1. पुन:चक्रण:
    नगरीय तथा औद्योगिक गंदे जल को नदियों में मिलाने से पहले साफ करना तथा निथारना एक बहुत ही खर्चीला कार्य है। अतः ठोस अवशिष्ट पदार्थों जैसे कूड़ा – करकट, सीवेज (मल – मूत्र) और अवशिष्ट जल से रासायनिक विधियों द्वारा अन्य उपयोगी पदार्थ बनाए जा सकते हैं। इस प्रकार हानि को लाभ में परिवर्तित किया जा सकता है।
  2. जैव नियंत्रण: झीलों, तालाबों आदि के जल को शुद्ध रखने के लिए शैवालों का प्रयोग करना चाहिए।
  3. जल प्रदूषण से संबंधित नियमन:
    सरकार की तरफ से जल प्रदूषण को रोकने के लिए केवल पर्याप्त नियम ही नहीं बनाए जाने चाहिए बल्कि शक्ति से लागू भी किए जाने चाहिए।
  4. पर्यावरण शिक्षा:
    प्रदूषण को कम करने के लिए आम जनता में जागरूकता बहुत आवश्यक है जो बिना पर्यावरण शिक्षा के संभव नहीं है इसलिए समय – समय पर पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रमों व शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए, जिसमें लोगों में जल प्रदूषण के प्रति चेतना का विकास हो।

प्रश्न 5.
नगरीय विकास योजनाओं की आवश्यकताओं के क्या कारण हैं?
उत्तर:
नगरीय विकास योजनाओं की असफलताओं के निम्नलिखित कारण हैं –
1. अनुपयुक्त विकास रणनीति:
नगरीय योजनाओं में मुख्य रूप से भारी उद्योगों वाली विकास रणनीति को अपनाया गया था। संभावना यह थी, कि विकास की गति को तेज कर उसका लाभ अपने आप जनसाधारण तक पहुँचेगा किंतु न विकास की दर ही तेज हो सकी, न रोजगार बढ़ा तथा न ही विकास के लाभ गरीब वर्गों तक पहुँच सके।

2. कृषि क्षेत्र की धीमी प्रगति के कारण:

  • कृषि की मानसून पर निर्भरता।
  • वर्षा की अनिश्चितता।
  • सिंचाई सुविधाओं की कमी।
  • कृषि के पुराने तरीके।
  • कृषि इनपुट्स की कमी।
  • कृषि साख की अपर्याप्तता।

कृषि में इन समस्त कारणों से नगरीय विकास योजनाएँ सफल नहीं हो पायीं क्योंकि नगर गांव से जुड़े हुए हैं। वहाँ समस्त माल गांव के माध्यम से ही पहुँचता है। जिसके परिणामस्वरूप नगरीय विकास योजनाएँ सफल नहीं हो सकी।

3. अकुशल प्रशासनिक ढांचा:
चुनाव व वोट की राजनीति के कारण आर्थिक नीतियों में बार – बार परिवर्तन करने के कारण भी नगरीय विकास के कार्य को नुकसान पहुंचा है। प्रशासनिक मशीनरी के अकार्यकुशल एवं भ्रष्ट होने के कारण योजनाओं को ठीक से लागू नहीं किया जा सका है। इस प्रकार दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति, ईमानदार व कार्यकुशल प्रशासन के अभाव के कारण योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी गति के साथ नहीं हो सका है।

4. संघीय ढांचा:
भारत में संघीय ढांचा भी अनेक बार नगरीय विकास योजनाओं के मार्ग में बाधक बना है। केन्द्र व राज्यों के बीच मधुर एवं सहयोग के संबंध न होने पर यह कठिनाई आती है। विशेषकर जब केन्द्र एवं राज्य में अलग – अलग राजनैतिक दलों की सरकार होती है, तब अनेक बार टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है।

5. औद्योगिक क्षेत्र में धीमी प्रगति के कारण:
बिजली की कमी, आधारभूत उद्योगों की कमी, कच्चे माल अपर्याप्त पूर्ति, मशीनों व तकनीकी के लिए विदेशी निर्भरता, औद्योगिक अशांति, पूँजी की कमी, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की अकार्यकुशलता आदि।
अत: उपरोक्त वर्णित कारणों के परिणामस्वरूप ही नगरीय विकास योजनाएँ सफल नहीं हो सकी हैं।

प्रश्न 6.
नगरों पर आव्रजन के पड़ने वाले दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नगरों पर आव्रजन के परिणामस्वरूप पड़ने वाले दुष्प्रभावों को निम्नलिखित आधारों पर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. खाद्य समस्या:
लोगों में आव्रजन की प्रक्रिया के फलस्वरूप नगरों में भूमि की मात्रा सीमित हो जाती है। कई बार नगरों में इसके कारण लोगों की आवश्यकता की तुलना में अनाज का उत्पादन कम पड़ जाता है जिसकी वजह से नगरों के सदस्यों को पर्याप्त एवं संतुलित आहार नहीं मिल पाता है।

2. पँजी निर्माण में कमी:
आव्रजन से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने पर उपयोग व्यय बढ़ जाता है तथा बचत कम हो जाती है। सरकार को भी सार्वजनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पहले की तुलना में अधिक सार्वजनिक व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक बचत कम हो जाती है। इससे देश में पूँजी निर्माण की दर की घट जाती है। पूँजी निर्माण की दर घट जाने से आर्थिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

3. निम्न रहन – सहन स्तर:
आव्रजन के उपरांत उपभोग के लिए प्रति व्यक्ति कम वस्तुएँ मिल पाती हैं व रहन – सहन का स्तर घटता जाता है। इससे आवास, चिकित्सा, सफाई, पानी व बिजली, नगरों में गंदी बस्तियों का निर्माण, नैतिक मूल्यों में गिरावट आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कुल मिलाकर उत्पादन में जितनी वृद्धि होती है, उसकी तुलना में उपभोग करने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप देश के लोगों का रहन – सहन का स्तर गिरने लगता है।

4. भूमि से संबंधित समस्याएँ:
आव्रजन के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार बढ़ता जाता है। इसके कारण औसत जोत का आकार घटता जाता है। तथा अनार्थिक जोत की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसी प्रकार, उपविभाजन एवं अपखंडन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

5. आर्थिक विकास पर बुरा प्रभाव:

  • आर्थिक विकास के मार्ग में आव्रजन से जनसंख्या में वृद्धि होती है।
  • इससे नगरों में बेरोजगारी व गुप्त बेरोजगारी की समास्या में वृद्धि होती है।
  • परिवहन व संसार साधनों व ऊर्जा स्रात्रों पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जीवन की अन्य अनिवार्य आवश्यकताओं के पूरा न होने से भय की उत्पादकता पर विरीत प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 7.
नगरों में आवासीय समस्या को हल करने के लिए उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नगरों में आवासीय समस्या को हल करने के लिए अनेक उपाय किये गए हैं –
1. आवास वित्त व्यवस्था:
आजादी के बाद भारत में आवास के लिए संस्थागत वित्त व्यवस्था की सुविधाओं में वृद्धि करने की दृष्टि से अनेक कदम उठाए गए हैं। 1970 तक तो जीवन बीमा निगम ही एकमात्र ऐसी सार्वजनिक वित्त संस्था थी जो आवास
निर्माण के लिए ऋण देने का काम करती थी। मध्यम एवं निम्न आय श्रेणी के लोगों को दीर्घकालीन वित्त प्रदान करने की दृष्टि से 1977 में आवास विकास वित्त निगम (HDFC) की स्थापना की गई।

इसके अलावा जीवन बीमा निगम, राज्य हाउसिंग बोर्ड तथा राष्ट्रीयकृत वाणिज्य बैंक आदि भी आवास के लिए वित्त व्यवस्था करते हैं। आवास के लिए अधिक मात्रा में संस्थागत वित्त उपलब्ध कराने और आवास वित्त व्यवस्था से संबंधित संस्थाओं को प्रोत्साहित एवं नियमित करने की दृष्टि से सरकार ने जुलाई, 1988 में राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank) की स्थापना की थी।

यह बैंक आवास क्षेत्र की उपर्युक्त संस्थाओं को पुनर्वित्तपोषण तथा प्रत्यक्ष ऋण के माध्यम से वित्त उपलब्ध कराता है। फुटपाथों पर रहने वाले लोगों के लिए महानगरों और अन्य प्रमुख शहरी केन्द्रों में केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित रैनबसेरा योजना को क्रियान्वित भी किया गया।

2. राष्ट्रीय बिल्डिंग संगठन:
सामाजिक आर्थिक पहलुओं के साथ – साथ कम लागत वाली बिल्डिंग डिजाइन में शोध करने तथा बिल्डिंग व आवास की दशाओं में सुधार लाने की दृष्टि से राष्ट्रीय बिल्डिंग संगठन की 1954 में स्थापना की गई थी। इन सब पहलुओं से संबंधित जानकारियों तथा आवास आँकड़ों का प्रकाशन किया जाता हैं।

3. केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए आवास:
केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों को आवास की सुविधाएँ प्रदान करने के लिए शहरी कार्य एवं रोजगार मंत्रालय के तत्वाधान में केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी कल्याण आवास संगठन की स्थापना पंजीकृत संस्था के रूप में की गई है।

4. अन्य उपाय:

  • सरकार को नगर नियोजन की प्रणाली पर विशेष बल देना चाहिए।
  • लोगों के लिए सुनियोजित व उचित आय के आधार पर मकानों की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • मलिन बस्तियों में रहने वालों लोगों को सस्ते दरों पर मकान के साथ ही अन्य सुविधाएँ भी प्रदान की जानी चाहिए।
  • सार्वजनिक व निजी दोनों ही क्षेत्रों को आवासीय समस्या को दूर करने में अहम् नीति को क्रियान्वित करना चाहिए।

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