RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी

RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी is part of RBSE Solutions for Class 6 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 6
Subject Social Science
Chapter Chapter 14
Chapter Name स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी
Number of Questions 47
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी

पाठात गतिविधि आधारित प्रश्न

नोट-विद्यार्थियों की सुविधा के लिए उत्तर का प्रारूप दिया गया है। छात्र अपने क्षेत्र के अनुसार उत्तर लिखें।

प्रश्न 1.
आपकी ग्राम पंचायत का नाम, उसके वार्डों की संख्या और अपने वार्ड पंच का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 97)
उत्तर:
(i) ग्राम पंचायत का नाम………।
(ii) ग्राम पंचायत में वार्डों की संख्या ………।
(iii) अपने वार्ड पंच का नाम………….।

प्रश्न 2.
आपके वार्ड में आयोजित की जाने वाली वार्ड सभा की बैठक का अवलोकन कीजिए तथा कक्षा में चर्चा (पृष्ठ सं. 97)
उत्तर:
वार्ड की बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता वार्ड पंच ने की। वार्ड की बैठक में स्वच्छता एवं सफाई, कूड़ेदानों की व्यवस्था, साक्षरता, स्वास्थ्य, बाल विकास एवं शिशुओं के पोषण के सम्बन्ध में प्रस्ताव पास किये गये, जिन्हें क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायत को भेजा गया।

प्रश्न 3.
आपकी ग्राम पंचायत के सरपंच एवं उप सरपंच का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 99)
उत्तर:
हमारी ग्राम पंचायत का नाम ………. है। जिसके सरपंच …….. तथा उपसरपंच ………हैं।

प्रश्न 4.
आपके क्षेत्र की पंचायत समिति का नाम व प्रधान का नाम पता कीजिए। (पृष्ठसं. 99)
उत्तर:
हमारे क्षेत्र की पंचायत समिति ……….. है जिसके प्रधान का नाम ……….. है।

प्रश्न 5.
आपके क्षेत्र की पंचायत समिति सदस्य का नाम पता कीजिए। (पृष्ठ सं. 99)
उत्तर:
हमारे क्षेत्र की पंचायत समिति के सदस्य का नाम.. ………… है।

प्रश्न 6.
शिक्षक की सहायता से खण्ड स्तरीय अधिकारियों की सूची बनाइए। (पृष्ठ सं. 99)
उत्तर:
खण्ड स्तरीय अधिकारियों में सबसे प्रमुख उपखण्ड अधिकारी (S.D.O), खण्ड विकास अधिकारी (B.D.O) होता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों में खण्ड प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, सार्वजनिक निर्माण हेतु अधिशासी अभियन्ता, सहायक अभियन्ता, वन अधिकारी, सामाजिक कल्याण अधिकारी एवं इन सभी के सचिव होते

प्रश्न 7.
आपकी जिला परिषद् और उसके जिला प्रमुख का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 101)
उत्तर:
हमारी जिला परिषद् …………. है जिसके जिला प्रमुख का नाम ………… है।

प्रश्न 8.
आपके क्षेत्र के जिला परिषद् सदस्य का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 101)
उत्तर:
हमारे क्षेत्र के जिला परिषद् सदस्य का नाम श्री…..

प्रश्न 9.
आपके नगरीय निकाय का नाम तथा उसके वार्डो की कुल संख्या मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 102)
उत्तर:
हमारे नगरीय सदस्य का नाम ………. है। इसके वार्डों की कुल संख्या ………… है।

प्रश्न 10.
आपके क्षेत्र की वार्ड संख्या और पार्षद का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 102)
उत्तर:
हम ………… नगर के वार्ड संख्या ……. में रहते हैं। जिसके पार्षद श्री/श्रीमती ………. हैं।

प्रश्न 11.
आपके नगरीय निकाय के मुखिया का पदनाम व मुखिया का नाम मालूम कीजिए। (पृष्ठ सं. 102)
उत्तर:
हम ……………. नगर पालिका/नगर परिषद्/ नगर निगम में रहते हैं। हमारे मुखिया अध्यक्ष/सभापति/मेयर या महापौर हैं जिनका नाम श्री/श्रीमती……….है।।

पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए

(i) स्थानीय ग्रामीण स्वशासन की इकाई है।
(अ) नगर निगम
(ब) नगर परिषद्
(स) नगर पालिका
(द) ग्राम पंचायत।
उत्तर:
(द) ग्राम पंचायत।

(ii) ग्राम पंचायत के वार्ड के मतदाताओं का प्रतिनिधि होता
(अ) वार्ड पंच
(ब) सरपंच
(स) प्रधान
(द) पंचायत समिति सदस्य
उत्तर:
(अ) वार्ड पंच

(iii) स्थानीय नगरीय स्वशासन की इकाई है।
(अ) नगर पालिका
(ब) नगर परिषद्
(स) नगर निगम
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.

निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(i) वार्ड सभा की अध्यक्षता………..करता है।
(ii) गाँव के विकास की योजनाएँ…………..की बैठक । में बनाई जाती हैं।
(iii) ………पंचायती राज व्यवस्था की सर्वोच्च इकाई है।
(iv) नगर निगम के वार्ड का निर्वाचित प्रतिनिधि.. कहलाता है।
उत्तर:
(i) वार्ड पंच
(ii) ग्राम सभा
(iii) जिला परिषद
(iv) पार्षद।

प्रश्न 3.
स्तम्भ’अ’ को स्तम्भ’ब’ से सुमेलित कीजिए
RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन ग्रामीण और शहरी 1
उत्तर:
i. (स)
ii. (अ)
iii. (ब)
iv. (य)
v. (र)
vi. (द)

प्रश्न 4.
पंचायतीराज व्यवस्था के तीन स्तर कौन-कौन से
उत्तर:
पंचायतीराज व्यवस्था की संरचना त्रिस्तरीय है। इसमें सबसे पहले स्तर पर गाँव की ग्राम पंचायत का गठन होता है। दूसरे स्तर अर्थात् विकास खण्ड स्तर पर पंचायत समिति का गठन होता है तथा तीसरे स्तर अर्थात् जिले में जिला-परिषद का गठन होता है।

प्रश्न 5.
ग्राम पंचायत द्वारा किये जाने वाले कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र से सम्बद्ध अनेक कार्य करती है। उनमें से प्रमुख चार कार्य निम्न हैं

  • शुद्ध व स्वच्छ पेयजल, सफाई व सार्वजनिक स्थलों पर प्रकाश आदि की व्यवस्था करना।
  • सड़क, नालियाँ, विद्यालय भवन आदि का निर्माण करवाना।
  • महात्मा गांधी नरेगा आदि रोजगार योजनाओं का संचालन करवाना।
  • स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना आदि।

प्रश्न 6.
स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा किये जाने वाले कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा किये जाने वाले प्रमुख चार कार्य निम्नलिखित हैं

  • शहर के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था करना।
  • सड़कों पर रोशनी और सफाई की व्यवस्था करना।
  • जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करना तथा
  • दमकल आदि की व्यवस्था करना तथा स्वच्छता एवं सफाई का पूरा ध्यान रखना।

प्रश्न 7.
जिला परिषद् के गठन को समझाइए।
उत्तर:
जिला-परिषद पंचायती राज व्यवस्था की तीसरी और सर्वोच्च इकाई है। एक जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद का गठन होता है। जिला परिषद के गठन के लिए पूरे जिले को वार्डों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक वार्ड के मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं जो जिला परिषद का सदस्य होता है।

इन सदस्यों में से ही एक जिला प्रमुख और एक उप जिला प्रमुख चुना जाता है। इसके अलावा उस जिले के विधान सभा, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा जिले की समस्त पंचायत समितियों के प्रधान जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। जिला परिषद का मुखिया जिला प्रमुख होता है।

प्रश्न 8.
आपके क्षेत्र में या नजदीकी शहर में कौन-सी नगरीय स्वशासन संस्था कार्य करती है ? उसके गठन को समझाइए ?
उत्तर:
हम जिस क्षेत्र में निवास करते हैं, वहाँ नगर पालिका स्वशासन संस्था है। नगर पालिका का गठन निम्न प्रकार होता है

  • नगर पालिका क्षेत्र को वार्डों में बाँटकर प्रत्येक क्षेत्र के मतदाता, मतदान द्वारा एक प्रतिनिधि का चयन करते हैं जो पार्षद् कहलाता है।
  • प्रत्येक वार्ड का पार्षद् नगर पालिका का सदस्य होता है।
  • इसके अलावा कुछ मनोनीत सदस्य होते हैं।
  • इसमें उस क्षेत्र के लोकसभा व विधान सभा के सदस्य भी सम्मिलित होते हैं। निर्वाचित पार्षद् अपने में से ही किसी एक पार्षद को अपना मुखिया चुन लेते हैं जो नगर पालिका का अध्यक्ष या चेयरमैन कहलाता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(i) ग्रामीण स्वशासन की त्रिस्तरीय संरचना में द्वितीय स्तर पर है
(अ) ग्राम पंचायत
(ब) जिला परिषद्
(स) पंचायत समिति
(द) वार्ड सभा।
उत्तर:
(स) पंचायत समिति

(i) ग्राम सभा की योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।
(अ) ग्राम पंचायत
(ब) ग्राम सभा
(स) जिला परिषद्
(द) पंचायत समिति
उत्तर:
(अ) ग्राम पंचायत

(iii) पंचायती राज व्यवस्था में चयनित प्रतिनिधियों का कार्यकाल होता है।
(अ) 3 वर्ष
(ब) 5 वर्ष
(स) 6 वर्ष
(द) 10 वर्ष।
उत्तर:
(ब) 5 वर्ष

(iv) नाथद्वारा (उदयपुर) में है
(अ) नगर पालिका
(ब) नगर परिषद्
(स) नगर निगम
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(अ) नगर पालिका

(v) ग्राम पंचायतों तथा राज्य सरकार के बीच प्रमुख कड़ी है ।
(अ) पंचायत समिति
(ब) ग्राम पंचायत
(स) जिला परिषद्
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) जिला परिषद्

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

(i) स्थानीय स्वशासन लोकतांत्रिक……………..का प्रभावी उपाय है।
(ii) गाँव स्तर पर मौजूद स्थानीय शासन को…………. के नाम से जाना जाता है।
(iii) प्रत्येक वार्ड के मतदाताओं की सभा को………….. कहते हैं।
(iv) विकास खण्ड में शामिल सभी……………को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है।
(v) जिला परिषद् का कार्यालय……………मुख्यालय पर होता है।
उत्तर:
(i) विकेंद्रीकरण
(ii) पंचायती राज
(iii) वार्ड सभा
(iv) ग्राम पंचायतों
(v) जिला।

अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था तथा नगरीय स्वशासन को अधिक सबल बनाया गया ?
उत्तर:
संविधान के 73वें संशोधन के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था और 74वें संविधान संशोधन के अनुसार नगरीय स्वशासन को अधिक मजबूत बनाया गया।

प्रश्न 2.
स्वशासन का स्वरूप अलग-अलग क्यों होता है?
उत्तर:
(i) दोनों के आकारों में भिन्नता होना।
(ii) जनसंख्या में अन्तर होना ।
(iii) समस्याओं का अलग-अलग होना।
(iv) धन व श्रम की आवश्यकताओं का अलग-अलग होना।

प्रश्न 3.
भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रारम्भ कब हुआ ?
उत्तर:
भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रारम्भ 2 अक्टूबर 1959 को नागौर (राजस्थान) से हुआ।

प्रश्न 4.
ग्राम सभा क्या है ?
उत्तर:
किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं की सभा को ग्राम सभा कहते हैं।

प्रश्न 5.
ग्राम विकास की योजनाएँ कैसे क्रियान्वित होती हैं ?
उत्तर:
ग्राम विकास की योजनाओं को ग्राम सभा की बैठक में बनाया जाता है। इन योजनाओं को ग्राम पंचायत क्रियान्वित करती है। इन क्रियान्वित योजनाओं का मूल्यांकन ग्राम सभा करती है। |

प्रश्न 6.
सरपंच तथा उप सरपंच का चुनाव किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
सरपंच का चुनाव ग्राम पंचायत के मतदाताओं द्वारा | प्रत्यक्ष मतदान से किया जाता है तथा सभी वार्ड पंच अपने में से ही किसी एक वार्ड पंच को उप सरपंच चुन लेते हैं।

प्रश्न 7.
ग्राम पंचायत की बैठकों का क्या प्रयोजन होता है?
उत्तर:
मुख्य प्रयोजन गाँव के विकास की योजनाएँ बनाना, उनको क्रियान्वित करना और अन्य आवश्यक मुद्दों पर चर्चा कर उन परे निर्णय लेना होता है।

प्रश्न 8.
ग्राम पंचायत के आय के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
ग्राम पंचायत को सम्बन्धित कार्यों के सम्पादन के लिए सरकार से अनुदान प्राप्त होता हैं। इसके अलावा उसे कर, शुल्क व जुर्माने के द्वारा भी आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 9.
नगर पालिका, नगर परिषद् तथा नगर निगम के मुखिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
नगर पालिका का मुखिया अध्यक्ष (चेयरमैन) नगर परिषद् का मुखिया सभापति तथा नगर निगम का मुखिया मेयर या महापौर कहलाता है।

प्रश्न 10.
जिला परिषद् क्या है ?
उत्तर:
जिला परिषद् पंचायती राज्य व्यवस्था की सर्वोच्च इकाई होती है। जिसका गठन एक जिले की सभी पंचायत समितियों को मिलाकर किया जाता है।

लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंचायत समिति के कार्यों को बताइए।
उत्तर:
पंचायत समिति के कार्य निम्नलिखित हैं

  • अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के कार्यों की समीक्षा व पर्यवेक्षण करना।
  • किसानों के लिए उत्तम खाद एवं उन्नत बीजों की व्यवस्था करवाना।
  • प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था करना तथा
  • सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं को आवश्यकतानुसार क्रियान्वित करवाना आदि।

प्रश्न 2.
जिला परिषद् के कार्यों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जिला परिषद् ग्राम पंचायतों तथा राज्य सरकार के बीच कड़ी का कार्य करती है। जिला परिषद् विकास के कार्यों में राज्य सरकार को सलाह देती है। यह पंचायत समितियों के कार्यों का निरीक्षण भी करती है। सम्पूर्ण जिले के लिए विकास योजनाओं का निर्धारण भी जिला परिषद् करती है। इसके द्वारा जिलों में होने वाले विकास कार्यों का निरीक्षण और पर्यवेक्षण भी किया जाता है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी व अन्य अधिकारी सम्बन्धित जिला परिषद् की उसके कार्यों में सहायता करते हैं।

प्रश्न 3.
पंचायतीराज व्यवस्था में ग्रामीण जनसंख्या कैसे भाग लेती है,
उत्तर:
ग्रामीण जनता की पंचायतीराज व्यवस्था में भागीदारी चुनाव प्रक्रिया से शुरू होती है तथा बाद में ग्राम सभा की बैठकों में शामिल होने, निर्णय लेने व अपना सहयोग देने, जन-सुविधाओं व सार्वजनिक स्थानों की सामूहिक देख-रेख करने व स्थानीय समस्याओं का समाधान करने में भागीदारी होती है।

प्रश्न 4.
वार्ड सभा क्या है ?
उत्तर:
वार्ड सभा ग्राम पंचायत की सबसे छोटी इकाई होती है। एक ग्राम पंचायत में जितने वार्ड पंचों की संख्या निर्धारित होती है, उस ग्राम पंचायत क्षेत्र को उतने ही भागों में बाँट दिया जाता है। ऐसे प्रत्येक भाग को वार्ड कहते हैं।

प्रश्न 5.
वार्ड पंच का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत की सबसे छोटी इकाई वार्ड का मुखिया वार्ड पंच होता है। जिसका चुनाव उस वार्ड के समस्त वयस्क महिला-पुरुष मतदाता, मतदान के माध्यम से करते हैं। वार्ड पंच, वार्ड सभा की अध्यक्षता करता है।

प्रश्न 6.
वार्ड सभा के प्रमुख कार्य बताइए?
उत्तर:
वार्ड सभा अपने वार्ड से सम्बन्धित अनेक जन कल्याणकारी कार्यों को करती है। इसके अन्तर्गत सामुदायिक नल व कुएँ बनवाना, सफाई के कूड़ेदानों के लिए उचित स्थान का सुझाव देना, साक्षरता, स्वास्थ्य, बाल-विकास व पोषण आदि कार्यों को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 7.
पंचायत समिति का गठन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
पंचायत समिति का मुखिया प्रधान होता है। इसके अलावा. एक उप-प्रधान होता है। इसके साथ ही पंचायत समिति के क्षेत्र के विधानसभा सदस्य तथा सम्बन्धित ग्राम पंचायतों के सरपंच भी पंचायत समिति के सदस्य होते हैं। बैठकों में उस विकास खण्ड के सभी विभागों के खण्ड स्तरीय अधिकारी भी शामिल होते हैं।

प्रश्न 8.
नगर पालिका, नगर परिषद् तथा नगर निगम का निर्धारण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
नगर पालिका, नगर परिषद् तथा नगर निगम का निर्धारण नगरीय जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। 20 हजार से अधिक तथा 1 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को नगर पालिका, 1 लाख से पाँच लाख तक जनसंख्या वाले नगर को नगर परिषद् तथा उससे अधिक जनसंख्या वाले नगर को नगर निगम कहते हैं।

प्रश्न 9.
नगरीय संस्थाओं को धन कहाँ से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
नगरीय संस्थाओं को धन निम्न तीन स्रोतों से प्राप्त होता है।

  • केन्द्र व राज्य सरकारों से अनुदान व ऋण के रूप में।
  • विभिन्न शुल्कों तथा जुर्माने द्वारा वसूला गया धन तथा
  • नगरवासियों से प्राप्त विभिन्न करों के रूप में धन का प्राप्त होना ।

प्रश्न 10.
स्थानीय स्वशासन क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय स्वशासन लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण का प्रभावी उपाय है। नागरिक सुविधाओं जैसे-पेयजल की व्यवस्था करना, सड़कों पर रोशनी, सड़कों व नालियों का निर्माण एवं उनकी सफाई करवाना, शिक्षा, चिकित्सा आदि कार्यों को करने के लिए स्थानीय स्तर पर वहाँ के लोगों की भागीदारी से योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन करना ही स्थानीय स्वशासन है। विभिन्न स्तरों पर स्वशासन का स्वरूप अलग-अलग होता है।

प्रश्न 11.
ग्राम सचिवालय पर टिप्पणी लिखिए ?
उत्तर:
ग्राम सचिवालय की व्यवस्था में ग्राम पंचायत स्तर के कर्मचारी, जैसे-ग्राम सेवक, पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक ए.एन.एम., हैण्ड पम्प मिस्त्री आदि प्रत्येक माह की 5, 12, 20 व 27 तारीख को दिनभर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर एकत्रित रहते हैं। ये सभी कर्मचारी सरपंच की अध्यक्षता में ग्रामीण लोगों की समस्याएँ सुनते हैं और उन समस्याओं के समाधान का प्रयास करते हैं। इन तारीखों को ग्राम पंचायत के सभी लोग वहाँ एकत्रित होते हैं और अपनी समस्याओं को रखते हैं। उनकी समस्याओं के समाधान के यथासम्भव त्वरित प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 12.
पंचायतीराज व्यवस्था में ग्रामीण मतदाताओं की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर:
पंचायतीराज व्यवस्था में ग्रामीण मतदाताओं का मुख्य योगदान होता है। ग्रामीण मतदाता वार्ड पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद् सदस्यों का चुनाव करते हैं। इस प्रकार ग्रामीण मतदाता लोकतन्त्र में भागीदारी व क्षेत्र के संसाधनों के समुचित वितरण द्वारा भारत के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 13.
नगर पालिकाध्यक्ष, नगर परिषद् सभापति और महापौर के निर्वाचन की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:.
नगरपालिका, नगर परिषद व नगर निगम के गठन के लिए इनके क्षेत्रों को वार्डों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक वार्ड के मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का निर्वाचन करते हैं। ये निर्वाचित सदस्य पार्षद् कहलाते हैं। इन निर्वाचित पार्षदों द्वारा अपने में से ही किसी एक पार्षद् को अपना मुखिया चुन लिया जाता है। ऐसा चुना गया मुखिया नगरपालिका के संदर्भ में अध्यक्ष, नगर परिषद् के संदर्भ में सभापति व नगर निगम के संदर्भ मेयर या महापौर कहलाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंचायत समिति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान राज्य में प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर पंचायत समिति का गठन किया गया है। पंचायत समिति में विकास खण्डों में शामिल सभी ग्राम पंचायतों का समावेश होता है। पंचायत समिति का मुखिया प्रधान होता है। पंचायत समिति को वार्डों में बाँटा गया है। प्रत्येक वार्ड के मतदाता अपने-अपने वार्ड से एक प्रतिनिधि का चयन करते हैं जो पंचायत समिति को सदस्य होता है।

ये सदस्य अपने में से ही एक सदस्य को प्रधान और एक सदस्य को उपप्रधान निर्वाचित करते हैं। इसके अलावा पंचायत समिति क्षेत्र के विधानसभा सदस्य तथा उस क्षेत्र के ग्राम पंचायतों के सरपंच, पंचायत समिति के सदस्य होते हैं। समय-समय पर होने वाली इनकी बैठकों में विकास खण्ड के सभी खण्ड स्तरीय अधिकारी सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 2.
ग्राम पंचायत के कार्यों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र के लिए अनेक कार्य करती है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

(i) शुद्ध व स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, सफाई व सार्वजनिक स्थलों पर प्रकाश आदि की व्यवस्था करवाना।
(ii) सड़क, नालियों व विद्यालय-भवन का निर्माण करवाना।
(iii) महात्मा गांधी नरेगा व अन्य रोजगार योजनाओं के सफल संचालन की व्यवस्था करवाना।
(iv) स्वास्थ्य सेवाओं की उचित व्यवस्था करवाना।
(v) जन्म व मृत्यु का पंजीकरण करना।
(vi) गाँवों में लगने वाले मेले/हाट बाजार, उत्सवों व मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था करवाना।
(vii) नए आवासीय भवनों के निर्माण के लिए भूमि का आवंटन करना।
(viii) वृक्षारोपण, बंजरभूमि तथा चरागाहों का विकास करना।
उपर्युक्त कार्यों के अलावा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति के निर्देशानुसार ग्राम विकास के विभिन्न कार्यों को सम्पादित करती है।

प्रश्न 3.
नगर निकायों के प्रमुख कार्यों को बताइये?
उत्तर:
नगरीय प्रशासन में नगरीय निकायों के कार्य दो प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ कार्य अनिवार्य हैं, जिन्हें करना नितान्त आवश्यक है। जैसे–नगरवासियों के पीने के लिए शुद्ध एवं स्वच्छ जल की व्यवस्था करना। सड़कों पर रोशनी और सफाई की व्यवस्था करवाना, जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करना तथा शहर में प्रदूषित जल के निकास की व्यवस्था करना। उपर्युक्त अनिवार्य कार्यों के अलावा कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें इन संस्थाओं को करना अनिवार्य नहीं है। ये कार्य इनकी इच्छा पर निर्भर करते हैं।

जैसे सार्वजनिक बाग, स्टेडियम, वाचनालय, पुस्तकालय का निर्माण कराना, वृक्षारोपण करवाना, आवारा पशुओं को पकड़वाना, मेले-प्रदर्शनियों का आयोजन, रैन बसेरों की व्यवस्था करना आदि। इन कार्यों को कराने के लिए इनकी मदद के लिए अधिशासी अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा अन्य सम्बन्धित । विभागों के अधिकारी उपलब्ध होते हैं।

We hope the RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 14 स्थानीय स्वशासन : ग्रामीण और शहरी, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.