RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 वन-श्री

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 12
Chapter Name वन-श्री
Number of Questions Solved 45
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 12 वन-श्री (कविता)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से
उच्चारण के लिए

उज्ज्वल, अंधियाली, संध्या, वल्लरी।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

सोचें और बताएँ।

प्रश्न 1.
गिलहरियों के घर किस पर बने हैं?
उत्तर:
गिलहरियों के घर वृक्षों की कोटरों पर बने हैं।

प्रश्न 2.
संसार कब सुनसान हो जाता है?
उत्तर:
सूरज के अस्त होने पर संसार सुनसान हो जाता है।

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प्रश्न 3.
जंगल में कौन-सा पक्षी नाचता है?
उत्तर:
जंगल में मोर नाचता है।

लिखें
इन वाक्यों को अपनी कॉपी में लिखकर सही वाक्य पर सही (✓) व गलत वाक्य पर गलत (✗) का निशान कोष्ठक में लगाएँ

प्रश्न 1.
पक्षी पत्तों से भी घर बनाते हैं।

प्रश्न 2.
घर में नींद नहीं आती है।

प्रश्न 3.
बेल पेड़ों से लिपट जाती है।

प्रश्न 4.
राहगीर झरनों का पानी नहीं पीते हैं।

उत्तर:
1. सही
2. गलत
3. सही
4. गलत

नीचे लिखे आशय की पंक्तियाँ कविता से छाँटकर लिखिए

प्रश्न 1.
चील और चकवे घर की ओर लौट आते हैं।
उत्तर:
चल पड़ते घर को चील कोक।

प्रश्न 2.
जहाँ साल के पेड़ उगे हुए हैं।
उत्तर:
हैं खड़े जहाँ पर साल बांस।

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प्रश्न 3.
यह क्रम रोजाना होता है।
उत्तर:
फिर वही बात रे वही बात।

प्रश्न 4.
बिना प्रयास के नींद आ जाती है।
उत्तर:
निद्रा लग जाती अनायास।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रात-भर कौन-सा पक्षी रोता है?
उत्तर:
रात-भर चकोर पक्षी रोता है।

प्रश्न 2.
वसुधा का वन्य प्रांत कैसा है?
उत्तर:
वसुधा का वन्य प्रांत एकांत शांत है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पशु-पक्षी घर कब लौट आते हैं?
उत्तर:
सूरज जब ढलने लगता है और आसमान में अंधेरा घिरने लगता है तो पशु-पक्षी अपने-अपने घरों में लौट आते हैं।

प्रश्न 2.
चौपाये (पशु) कैसी घास चरते हैं और कहाँ?
उत्तर;
चौपाये नर्म-नर्म घास चरते हैं जो झरने और नदी के आस-पास उगी होती है।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर;
प्रस्तुत कविता में प्रकृति का सौंदर्य और प्राणी-जगत में उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है। प्राकृतिक सौंदर्य के उदाहरण के लिए वन का चित्रण किया गया है जो अत्यंत शांत है, जहाँ पशु-पक्षी निवास करते हैं और जहाँ से गुजरते हुए मानव भी उसकी सुंदरता पर मोहित हुए बिना नहीं रह पाता है। वह मीठे झरनों और नदियों के पानी से अपनी प्यास भी बुझाता है और उस सुहावने वातावरण में थोड़ी देर बैठने पर अनायासे नींद में भी डूब जाता है। इस कविता में कुछ विशिष्ट वनस्पतियों और पक्षियों की भी चर्चा की गई है जैसे साल, बांस, चकोर, कोक, चील आदि। आज के पर्यावरण संकट के दौर में यह कविता हमें प्राकृतिक जीवन के प्रति आकृष्ट करती हैं। जिसके माध्यम से ही मानव जीवन को बचाए रख पाना संभव हो सकता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में से विशेषण और विशेष्य शब्दों को छाँटकर सूची बनाएँ
उत्तर:
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प्रश्न 2.
समुच्चय बोधक अव्यय का चयन कर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) किसानों………….मजदूरों की टूटी-फूटी झोपड़ियों में ही प्यारा गोपाल बंशी बजाता मिलेगा।
(क) क्योंकि
(ख) और
(ग) इसलिए
(घ) लेकिन

(ii) मैंने धन एकत्र करना शुरू किया…………….गरीबों की सहायता कर सकें।
(क) और
(ख) क्योंकि
(ग) ताकि
(घ) मगर

(iii) वे धनी होते हुए भी निर्धन हैं…………..वे गरीबों का शोषण करते हैं।
(क) क्योंकि
(ख) तेज़
(ग) के बाहर
(घ) धीरे-धीरे

उत्तर:
(i) (ख) और
(ii) (ग) ताकि
(iii) (क) क्योंकि।

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प्रश्न 3.
पाठ में कोटर-कोटर, घर-घर पद आए हैं? इस तरह संज्ञा पद दो बार आते हैं तो पूर्व पद का अर्थ प्रत्येक होता है। जब संज्ञा पद दो बार आए तथा पूर्व पद का अर्थ ‘प्रत्येक’ होता है तो वहाँ अव्ययीभाव समास होता है। आप भी ऐसे पाँच पद लिखिए।
उत्तर:

  1. गली-गली
  2. दाना-दाना
  3. अच्छे-अच्छे
  4. मीठे-मीठे
  5. पके-पके

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों के विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखिए, जैसे-संध्या-प्रभात।
उत्तर:
नरम-कठोर (घास के अर्थ में नरम का विपरीत शब्द सूखी हो सकता है)
अस्त- उदय।
अंधियाली- उजियाली।
चल- अचल।

प्रश्न 5.
जैसे पंछी का समानार्थी शब्द है पक्षी, खग और विज। इसी तरह घर, सरिता, वसुधा, सूरज, रजनी के तीन-तीन समानार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर:
घर- गृह, आलय, निवास।
सरिता- नदी, तरंगिणी, तटिनी।
वसुधा- पृथ्वी, भू, धरा।
सूरज- दिनकर, रवि, भास्कर।
रजनी- रात, रैन, यामिनी।

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पाठसे आगे

प्रश्न 1.
जंगल हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं, कैसे? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आज पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जंगल अथवा वनस्पति अत्यंत जरूरी है जिसकी कमी की वजह से पूरे संसार का पर्यावरण और उसकी वजह से मानव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदा से रक्षा में भी वन हमारे सहयोगी हैं। इसके अलावा विविध उपयोग हेतु लकड़ियाँ, फल-फूल, कंद-मूल और जड़ी-बूटियाँ भी हमें जंगल से प्राप्त होती हैं। वन में रहने वाले निवासियों के जन-जीवन के लिए भी जंगल बहुत जरूरी हैं ताकि उनका जीवन, उनकी सभ्यता तथा संस्कृति सुरक्षित रह सके।

प्रश्न 2.
पेड़-पौधे रात में अपना भोजन क्यों नहीं बना पाते हैं? कारण लिखिए।
उत्तर:
पेड़ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं जिसके लिए सूर्य का प्रकाश अनिवार्य होता है। चूँकि रात में सूर्य का प्रकाश नहीं होता है इसलिए पेड़-पौधे रात में अपना भोजन नहीं बना पाते हैं।

प्रश्न 3.
जंगल को बचाने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए? लिखिए।
उत्तर:
जंगल को बचाने के लिए हमें सबसे पहले तो जंगलों में फैली वनस्पतियों और वृक्षों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। अपने आस-पास भी जितना संभव हो सके वृक्षों और पौधों की सुरक्षा तथा नए पेड़-पौधे लगाने का प्रयास करना चाहिए। वनों और वृक्षों की रक्षा क्यों आवश्यक है। इसे लेकर आम लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसी के साथ-साथ सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि जंगल में रहने वाले निवासियों को बिना छेड़े उनके तौर-तरीके के साथ रहने देना चाहिए। वन में रहने वाले निवासी वनों की रक्षा और उसके विकास के उपाय सबसे बेहतर जानते हैं। वे वन में बचे रहेंगे तो वन भी बचा रहेगा।

यह भी करें

प्रश्न 1.
अपनी कल्पना से जंगल का चित्र बनाएँ।
उत्तर:
संकेत-छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
वृक्षारोपण’ विषय पर बालसभा में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन को बचाए रखने के लिए वृक्षों का होना अत्यंत जरूरी है। ये हमें वातावरण में चारों ओर फैले विषैले प्रदूषण से बचाते हैं। पूरे संसार में सभ्यता और शहरीकरण के प्रसार के कारण वनों की अंधाधुंध कटाई हुई है। इसका परिणाम सबसे ज्यादा मौसम पर देखा जा सकता है। कुछ वर्षों से पर्यावरण का तापमान असामान्य रूप से बढ़ गया है जो मानव अस्तित्व पर खतरे का संकेत है। अभी भी समय है कि हम सचेत हो जाएँ और जितना अधिक संभव हो सके हम वृक्ष लगाएँ तथा वृक्षों और वनों की सुरक्षा करें।

इसके अलावा वन और वृक्ष से हम सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भी लड़ सकते हैं और बच सकते हैं। वृक्ष हमें गर्मी के दिनों में शीतल छाया भी देते हैं और अपनी हरियाली से आँखों को सुकून भी। साथ ही भाँति-भाँति के वृक्ष अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भी हमें आनंदित करते हैं। वनों और वृक्षों से हमें अनेक तरह की उपयोगी लकड़ियाँ, फल-फूल और जड़ी-बूटियाँ भी प्राप्त होती हैं जो एक अतिरिक्त लाभ है। इसलिए हमें अपने आस-पास अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने का प्रयास करना चाहिए।

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यह भी जानें

प्रश्न 1.
पाठ में जंगल में पाए जाने वाले साल, बाँस वनस्पतियों के नाम आए हैं। वन में और कौन-कौनसी वनस्पतियाँ उगती हैं? सूची बनाएँ।
उत्तर:
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(i) इनमें से हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक औषधीय पौधे कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
इनमें से हमारे लिए बरगद, पीपल, नीम, जामुन बेल, आंवला और बबूल आदि वृक्ष स्वास्थ्य के लिए अनेक तरह से लाभकारी हैं। इसके अलावा तुलसी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है जो एक झाड़ी होती है। इसी के साथ-साथ जितने भी फलदार वृक्ष हैं वे हमारे स्वास्थ्य का पोषण करते हैं।

(ii) अपने से बड़ों पूछकर सूची बनाएँ, ये कौन-कौन सी बीमारियाँ में कैसे उपयोग में ली जाती हैं?
उत्तर:
नीम-चर्म रोगों में, आँवला-शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए। आम-लू लगने पर, तुलसी-ज्वर, जुकाम आदि में उपयोगी हैं।

प्रश्न 2.
आप द्वारा बनाई सूची में से कौन-कौन से पौधे अपने आँगन/गमले में लगाना चाहेंगे?
उत्तर:
उपर्युक्त सूची में से मैं तुलसी को अपने घर के गमले में लगाना चाहूँगा जबकि नीम, कटहल, कदंब और आँवले को अपने बड़े से आँगन में लगाना चाहूँगा।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
संध्या होते ही चील कोक चल देते हैं
(क) ऊँची उड़ान पर
(ख) दाने की तलाश में
(ग) रोशनी की तलाश में
(घ) अपने निवास स्थल की ओर।

प्रश्न 2.
वल्लरी के बंधन को कहा गया है
(क) आलिंगन
(ख) चिर आलिंगन
(ग) सरिता
(घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 3.
वन के वातावरण में अनायास ही नींद आ जाती है
(क) पथिक को
(ख) चौपाये को
(ग) वृक्ष को
(घ) मोर को।

प्रश्न 4.
सूरज अपनी किरणें समेटता है
(क) पलकों में
(ख) आँखों में
(ग) हाथों में
(घ) अंधेरे में।

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प्रश्न 5.
साँझ ढलने पर वृक्षों पर कौन-कौन लौट आते हैं
(क) गिलहरी
(ख) चील
(ग) कोक
(घ) सभी।

उत्तर:
1. (घ)
2. (घ)
3. (क)
4. (ग)
5. (घ)

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
वन में………………….और…………………के वृक्ष हैं। (देवदार, साल, आम, बाँस)

प्रश्न 2.
वन्य प्रांत का परिवेश…………….और…………… है। (एकांत, शांत, कोलाहलपूर्ण, कलरव से भरा)

प्रश्न 3.
नरम घास…………… और…………………. के आस-पास मौजूद है। (निर्झर, तलहटी, सरिता, पेड़ के नीचे)

प्रश्न 4.
वल्लरी के बंधन को…………..और…………..कहा गया है। (आलिंगन, बेल, फांस, चिर आलिंगन)

उत्तर:
1. साल, बाँस
2. एकांत, शांत
3. निर्झर, सरिता
4. आलिंगन, चिर आलिंगन।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में पेड़ के कोटर क्या हैं?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में पेड़ के कोटर पक्षियों और गिलहरियों के घर हैं।

प्रश्न 2.
सूर्यास्त के समय सुनसान कौन हो जाता है?
उत्तर:
सूर्यास्त के समय लोक अर्थात् यह संसार सुनसान हो जाता है।

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प्रश्न 3.
पत्तों के घर कब बसते हैं?
उत्तर:
पत्तों के घर सूरज ढलने के बाद बसते हैं।

प्रश्न 4.
इस कविता के अनुसार साल और बाँस के वृक्ष कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
इस कविता के अनुसार साल और बाँस के वृक्ष वन में मिलते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘भर जाता है कोटर-कोटर’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भर जाता है कोटर-कोटर से कवि यह बताना चाहता है कि दिन-भर जो कोटर खाली पड़े रहते हैं वही शाम को भर जाते हैं क्योंकि सूर्यास्त के बाद सभी पशु-पक्षी अपने-अपने निवास स्थान को लौट आते हैं।

प्रश्न 2.
इस कविता में पत्तों का घर किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
इस कविता में पत्तों का घर वृक्षों को कहा गया है, वृक्षों को पत्तों का घर इसलिए कहा गया है क्योंकि इन पर पक्षी और गिलहरियाँ निवास करती हैं।

प्रश्न 3.
जंगल में पथिकों की प्यास बुझाने के कौन-कौन से साधन हैं?
उत्तर:
जंगल में पथिकों की प्यास बुझाने के लिए झरने होते हैं। इसके अलावा जंगल में नदी और तालाब भी होते हैं। जिनसे पथिकों के अलावा जंगल के पशु-पक्षी भी अपनी प्यास बुझाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘रजनी भर रो-रोकर चकोर/कर देता है रे रोज भोर’ प्रस्तुत कविता में इन पंक्तियों का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह एक लोकोक्ति अथवा मिथक है कि चकोर पक्षी चाँद से बहुत प्रेम करता है और उसके वियोग में वह रात-भर चाँद को ताकता रहता है। चकोर के उदाहरण से कविता में प्रेम की गहराई को व्यक्त किया जाता रहा है। इस कविता में भी इस अद्भुत पक्षी के बारे में बताया गया है कि वह सारी रात रोता रहता है और रोते-रोते ही सुबह हो जाती है। हालांकि यहाँ चाँद का प्रसंग नहीं है किंतु कवि का आशये वही है।

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पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ

(1) जितने भी हैं इसमें कोटर
सब पंछी गिलहरियों के घर
संध्या को जब दिन जाता ढल,
सूरज चलता है अस्ताचल
कर में समेट किरणें उज्ज्वल
हो जाता है सुनसान लोक।

कठिन शब्दार्थ-
कोटर = वृक्ष की शाखाओं में बने छोटे-बड़े खोखले गड्ढे। पंछी = पक्षी, चिड़िया। कर = हाथ, हाथी की सूंड़। उज्ज्वल = प्रकाशमान, स्वच्छ, श्वेत, दागरहित। सुनसान = जहाँ कोई न हो, निर्जन, वीरान, उजाड़। लोक = जगत, संसार, दुनिया।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत पद्यांश ‘वन-श्री’ शीर्षक कविता से लिया गया है इसके रचयिता गोपाल सिंह नेपाली हैं, पद्यांश में वन्य जीवन का सजीव चित्रण है तथा सूर्यास्त के समय का दृश्य भी देखने को मिलता है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि कहता है कि इस वन के वृक्षों में जितने भी छोटे-बड़े खोखले हिस्से या गड्ढे हैं वे सब निरर्थक नहीं हैं बल्कि पशु-पक्षियों के आश्रय-स्थल हैं। उनमें पक्षियों और गिलहरियों का निवास है। शाम के समय जब दिन ढल जाता है और सूरज अस्त होने के लिए अपने हाथों में प्रकाशमान (चमकीली) किरणों को समेटकर या अपने दोनों हाथों में बंद करके पश्चिम दिशा की ओर धीरेधीरे बढ़ने लगता है तो ऐसा लगता है मानो जो जीवन अभी तक भरा-पूरा था वह वीरान हो गया हो। कहने का आशय यह है कि सूर्यास्त के समय वातावरण बहुत शांत और उदास-सा हो जाता है।

(2) चल पड़ते घर को चील कोक
अंधियाली संध्या को विलोक
भर जाता है कोटर-कोटर,
बस जाते हैं पत्तों के घर
घर-घर में आती नद उतर
निद्रा में ही होता प्रभात,
कट जाती है इस तरह रात
फिर वही बात रे वही बात,

कठिन शब्दार्थ-
चील = गिद्ध जाति की एक बड़ी चिड़िया। कोक = चकवा, एक विशेष प्रकार का पक्षी। अंधियाली = अंधेरी। संध्या = शाम, साँझ। विलोक = देख। निद्रा = नींद। प्रभात = सुबह, प्रातः।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत पद्यांश ‘वन-श्री’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इस कविता के कवि गोपाल सिंह नेपाली हैं। उद्धृत पद्यांश में वन्य जीवन का सजीव चित्रण है, खासतौर पर सूर्यास्त के समय का अत्यंत ही सजीव चित्रण किया। गया है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि सूर्यास्त के समय का वर्णन करते हुए कहता है कि वातावरण में अंधेरा घिरते देखकर चील। और चकवा जैसे पक्षी भी, जो बहुत ऊँचाई पर उड़ने वाले हैं, अपने घोंसलों की ओर चल पड़ते हैं, वृक्ष के सभी कोटर और घोंसले लौट आये अपने निवासियों की उपस्थिति से भर जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे पत्तों से बना यह घर (वृक्ष) आबाद हो गया है या बस गया है। इसके बाद थोड़ी ही देर में सभी घरों में थके-माँदे लौटे पशु-पक्षी गहरी नींद में डूब जाते हैं। वे नद में ही रहते हैं कि सुबह भी हो जाती है। कवि के कहने का आशय यह है कि थोड़ा अंधेरा रहते ही वे जग जाते हैं। रात कैसे कट जाती है यह पता भी नहीं चलता और सुबह होते ही सभी रोज की तरह दाना-पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। इस नियमित और लगभग उबाऊ दिनचर्या को कवि ने बड़ी सरलता से एक छोटी-सी पंक्ति में अभिव्यक्त कर दिया है-‘फिर वही बात रे वही बात। मतलब हर दिन एक जैसा ही बीत रहा है।

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(3) इस वसुधा का यह वन्य प्रांत
है दूर अलग एकांत शांत
हैं खड़े जहाँ पर साल बाँस,
चौपाये चरते नरम घास
निर्झर, सरिता के आस-पास
रजनी भर रो-रोकर चकोर,
कर देता है रे रोज भोर

कठिन शब्दार्थ-
वसुधा = पृथ्वी। वन्य प्रांत = वन भूमि, जंगल का हिस्सा। साल = एक प्रकार का वृक्ष, जड़। चौपाये = पशु। निर्झर = पानी का सोता, झरना। सरिता = नदी, धारा। रजनी = रात। चकोर = एक प्रकार का बड़ा पहाड़ी तीतर जो चंद्रमा का प्रेमी और अंगार खाने वाले के रूप में प्रसिद्ध है। भोर = सुबह, प्रात:काल।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत पद्यांश ‘वन-श्री’ कविता से उद्धृत है। इस कविता के कवि गोपाल सिंह नेपाली हैं। इस पद्यांश में प्रकृति की सुंदरता, वनस्पति तथा शांति का अत्यंत ही सजीव वर्णन किया गया है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि पद्यांश के प्रारंभ में परिवेश का वर्णन करते हुए कहता है कि वन का यह भाग इस पृथ्वी के एकांत हिस्से में स्थित है। यह बहुत स्वाभाविक भी है कि वन क्षेत्र एकांत में आबादी से दूर हो। वन में अगर कुछ लोग रहते भी हैं तो उनकी आबादी वन के क्षेत्रफल के अनुपात में बहुत कम होती है। इसलिए उन वनवासियों के होने के बावजूद भी वन में एकांत ही महसूस होता है। यहाँ। साल और बाँस के वृक्ष हैं। यहीं झरने भी हैं और नदी भी। बह रही है जिसके आस-पास उगी हुई नर्म-नर्म घास को पशु चर रहे हैं। इसी वन में एक चकोर भी है जो सारी रात रोता है और रोज रोते-रोते ही सेवरा कर देता है।

(4) नाचा करते हैं जहाँ मोर
है जहाँ वल्लरी का बंधन
बंधन क्या, वह तो आलिंगन
आलिंगन भी चिर आलिंगन
बुझती पथिकों की जहाँ प्यास,
निद्रा लग जाती अनायास।
है वहीं सदा इसका निवास।

कठिन शब्दार्थ-
वल्लरी = लता, बेल। आलिंगन = गले लगाना। चिर = बहुते, दीर्घ अथवा लंबा, बहुत दिनों पूर्व का, सदा रहने वाला। पथिकों = राहगीरों, मुसाफिरों। अनायास = बिना प्रयास के, अचानक। निवास = रहने का स्थान, घर।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत पद्यांश.वन-श्री शीर्षक कविता से उद्धृत है जिसके कवि का नाम गोपाल सिंह नेपाली है, इस पद्यांश में वन की खूबसूरती का वर्णन किया गया है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि वन की सुंदरता और वहाँ के जन-जीवन का वर्णन करते हुए कहता है कि वन में मोर नृत्य करते हैं। वहाँ वृक्षों से लताएँ इस तरह लिपटी रहती हैं। मानो दोनों हमेशा से आलिंगनबद्ध हों। कवि ने उस दृश्य का अत्यंत ही मोहक वर्णन किया है जहाँ लतायें वृक्ष से लिपटी हुई होती हैं, उससे लिपटकर ऊपर की ओर उठती हैं। जिसे कवि ने ‘चिर-आलिंगन’ बताकर इसकी अर्थवत्ता बढ़ा दी है, इससे आगे कवि कहता है कि वन ऐसा क्षेत्र है। या वह इस पृथ्वी पर बसी हुई ऐसी दुनिया है जहाँ पहुँचकर राहगीर भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं। वहाँ का वातावरण इतना सुखद और शांत होता है कि न चाहते हुए भी किसी की आँख लग सकती है। यह अतुलनीय सुंदरता वन में हमेशा ही वास करती है।

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