RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 15
Chapter Name अरावली की आत्मकथा
Number of Questions Solved 53
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा (आत्मकथा)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
अरावली पर्वत का जन्म कौन से युग में हुआ?
उत्तर:
अरावली पर्वत का जन्म पुरा केंब्रियन युग में हुआ था।

प्रश्न 2.
अरावली पर्वत की ऊँचाई क्यों घट रही है?
उत्तर:
पृथ्वी के घूर्णन तथा परिभ्रमण गति के कारण जो घर्षण होता है उससे अरावली पर्वत की ऊँचाई घट रही है।

प्रश्न 3.
‘आड़ावल’ किस भाषा का शब्द है?
उत्तर:
आड़ावल राजस्थानी भाषा का शब्द है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा

लिखें
बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरुशिखर स्थित है
(क) डूंगरपुर जिले में
(ख) सिरोही जिले में
(ग) उदयपुर जिले में
(घ) जालौर जिले में।

प्रश्न 2.
खनिजों को अजायबघर कहलाता है
(क) राजस्थान
(ख) गुजरात
(ग) पंजाब
(घ) हरियाणा

उत्तर:
1. (ख)
2. (क)

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ताजमहल का निर्माण किस पत्थर से हुआ है?
उत्तर:
ताजमहल का निर्माण सफेद संगमरमर पत्थर से हुआ है।

प्रश्न 2.
जरगा पहाड़ियों की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
जरगा पहाड़ियों की ऊँचाई 1431 मीटर है।

प्रश्न 3.
अरावली की चौड़ाई तथा ऊँचाई किस दिशा में अधिक है?
उत्तर:
अरावली की चौड़ाई तथा ऊँचाई दक्षिण में अधिक है जिसका विस्तार खेड़ब्रह्म से लेकर दक्षिणी राजस्थान के कई जिलों तक है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अरावली का प्राचीन नाम’ आड़ावल’ क्यों पड़ा?
उत्तर:
अरावली आग्नेय चट्टानों के आड़े वलय से बना हुआ है। इसीलिए इसका नाम ‘आड़ावल’ पड़ा।

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प्रश्न 2.
दक्षिणी अरावली का विस्तार कौन-कौन से जिलों में है?
उत्तर:
दक्षिणी अरावली का विस्तार हुँगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ तथा प्रतापगढ़ आदि जिलों तक है।

प्रश्न 3.
अरावली पर्वत में कौनसे खनिज मिलते हैं?
उत्तर:
अरावली पर्वत में लोहा, जस्ता, ताँबा, कोयला, एस्बेस्टस और टंगस्टन आदि खनिज मिलते हैं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अरावली क्या देखकर प्रफुल्ल होता था? पाठ के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक समय था जब अरावली खूब हरा-भरा और सघन वनों से आच्छादित था। अरावली के वन में अनेक तरह के वन्य पशु स्वच्छंद विचरते थे। वहाँ मोर नाचते थे, शेर दहाड़ते थे, हिरन कुलांचे भरते थे, चिड़ियाँ चहकती र्थी। अरावली का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत ही मनोरम था। यह सब देखकर अरावली प्रफुल्ल होता था।

प्रश्न 2.
‘किंतु मित्रो! मेरे मन में एक पीड़ा है।’ अरावली पर्वत की पीड़ा को विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
अरावली पर्वत मानव के लालच और अविवेकपूर्ण रवैये के कारण पीड़ा से भर उठता है। मनुष्य ने खनिज पदार्थों को ज्यादा-से-ज्यादा निकालने के लालच में खाने खोद-खोदकर पहाड़ को खोखला कर दिया है। दिन-रात पत्थरों को काटने के लिए पहाड़ों पर हथौड़े की चोट पड़ती रहती है जिससे अरावली चीख उठता है। इसकी गोद में जो हरे-भरे वन थे उन्हें भी अपने फायदे के लिए मानवों ने काट-काटकर खत्म कर दिया है और वहाँ के वन्यजीवों का जीना दूभर कर दिया है। मनुष्य की इन हरकतों से अरावली का सौंदर्य और प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
चिड़ियाएँ चहकती हैं, शेर दहाड़ते हैं। इसी प्रकार अन्य पशु-पक्षियों की आवाजों को क्या कहते हैं? लिखिए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा 1

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प्रश्न 2.
पाठ में आए व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों को छाँटिए।
उत्तर:
पाठ में आए व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द निम्नलिखित हैं- अरावली, केब्रियन, आड़ावल, भारत, गुजरात, खेड़ब्रहम, दिल्ली, राजस्थान, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, आबू, जरगा, अजमेर, जयपुर, सीकर, अलवर, सागवान, शीशम, नीम, आम, कुंभलगढ़, रणथंभौर, घना पक्षी विहार, अजायबघर, मकराना आदि।

प्रश्न 3.
‘यहाँ बहने वाली हवाओं ने यह मेरे कान में कहा है।’ हवा का कान में कहना भाषा का विशिष्ट प्रयोग है। प्राकृतिक घटकों को लेकर ऐसे ही कुछ अन्य वाक्य बनाइए।
उत्तर:
प्राकृतिक घटकों को लेकर बनाए गए वाक्य अग्रलिखित हैं

  1. दूर से देखो तो नदियाँ मानो पानी पीने के लिए बुलाती डूंगर
  2. यह हरा-भरा जंगल अपनी गोद में लिटाकर गहरी नींद में सुलाना चाहता है।
  3. ये फूल सबको अपनी सुगंध बाँटते चलते हैं।
  4. पहाड़ इतने आकर्षक लगते हैं मानो सबको अपने पास आने के लिए पुकार रहे हों।
  5. पास जाने पर समंदर कहता है कि देखो प्रकृति कितनी विराट है।

प्रश्न 4.
इस पाठ में हिंदी भाषा के साथ अंग्रेजी, राजस्थानी तथा उर्दू के शब्द भी आए हैं जैसे ज़माना’ उर्दू भाषा का शब्द है, ऐसे ही उर्दू, अंग्रेजी तथा राजस्थानी के शब्द छाँटिए व सूची बनाइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा 2

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पाठ से आगे

प्रश्न 1.
‘अरावली की आत्मकथा’ में आपने पढ़ा कि अंधे स्वार्थ के कारण आज पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो रहा है, पहाड़ों के प्राकृतिक संतुलन को बिगड़ने से बचाने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
‘अरावली की आत्मकथा’ शीर्षक पाठ में हमने ठीक ही पढ़ा कि मानवे अपने स्वार्थ में अंधा होकर प्रकृति को नष्ट करने पर तुला हुआ है। इस पाठ में हमने यह भी पढ़ा कि वह प्रकृति अथवा पहाड़ों और वनों को किस प्रकार नष्ट कर रहा है। एक तरफ वह वन-संपदा को अंधाधुंध लूटता जा रहा है तो दूसरी ओर पहाड़ों के भीतर खान खोद कर खनिज संपदा को निकाल रहा है, तो कीमती पत्थरों को प्राप्त करने के लिए पहाड़ों को काट रहा है।

अगर हमें पहाड़ों के प्राकृतिक संतुलन को बिगड़ने से बचाना है तो पहाड़ की गोद में फैले वनों की कटाई रोकनी होगी। दूसरी ओर पहाड़ों का भी तर्कहीन दोहन बंद करना होगा। इसके अलावा पहाड़ों में बहुत ऊँची इमारतों या नियम-विरुद्ध बन रही इमारतों के प्रति भी जागरूकता फैलानी होगी, वहाँ बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा और उनके संरक्षण हेतु अधिक से अधिक वन और वृक्ष लगाने होंगे, पत्थरों की अंधाधुंध कटाई तथा उनके लिए विस्फोटकों का प्रयोग भी रोकना होगा। अगर हम ये उपाय कर सकें तो निश्चय ही हम पहाड़ों का विनाश रोकने में सफल हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
आदिवासी समाज प्रकृति के अत्यंत समीप रहा है। आदिवासियों ने प्रकृति को बचाने में कैसे मदद की है?
उत्तर:
यह सच है कि आदिवासी समाज प्रकृति के अत्यंत समीप रहा है, बल्कि वह प्रकृति की गोद में ही रहता है। उसका जन-जीवन भी प्रकृति पर ही आधारित है इसलिए वह प्रकृति का जरूरत भर ही इस्तेमाल करता है। इसके अलावा वह वनों को नष्ट नहीं करता है बल्कि उनका संरक्षण और परिवद्र्धन करता है। एक वृक्ष के मरने से पहले वह उस जगह पर दूसरा वृक्ष लगा देता है ताकि प्रकृति को कोई नुकसान न पहुँचे। इसके अलावा वह प्रकृति के करीब होने के कारण प्रकृति के सारे संकेतों को समझता है और उसी के अनुसार अपने जीवन को अनुशासित करता है। इस प्रकार आदिवासी समाज प्रकृति को बचाने में सहयोगी की भूमिका निभाता है।

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प्रश्न 3.
अरावली पर्वत किन-किन राज्यों में फैला हुआ है? लिखिए।
उत्तर:
अरावली पर्वत गुजरात, राजस्थान और दिल्ली में फैला हुआ है।

प्रश्न 4.
अरावली पर्वत की गोद में बसे शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अरावली की गोद में बसे प्रमुख शहर हैं खेड़ब्रह्म, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, पाली, सीकर, अलवर, दिल्ली आदि।

प्रश्न 5.
अरावली पर्वत में बने अभयारण्य व उनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
अरावली पर्वत में बने अभयारण्य में सभी तरह के वृक्ष पाए जाते हैं और ये काफी सघन तथा हरे-भरे भी हैं। इनमें खास तौर पर सागवान, शीशम, नीम और आम के पेड़ पाए जाते हैं। यहाँ के अभयारण्यों में शेर, हिरन, मोर आदि अनेक प्रकार के पशु-पक्षी पाए जाते हैं। अरावली की ही गोद में बसा ‘घना पक्षी विहार’ तो प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण है जहाँ सर्दियों में विदेशों से पक्षी आते हैं।

यह भी करें

1. आपने ‘अरावली की आत्मकथा’ पढ़ी। आत्मकथा हिंदी की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसमें लेखक स्वयं अपनी कहानी कहता है। आप भी अपने बारे में कुछ लिखकर कक्षा में सुनाइए।
2. अरावली से जुड़ी कोई कविता तलाशिए और भित्ति पत्रिका में प्रकाशन हेतु शिक्षक/शिक्षिका को दीजिए। नोट-छात्र स्वयं करें।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
अरावली के भौतिक स्वरूप का अध्ययन करने के लिए उसे कितने हिस्सों में बाँटा गया है
(क) दो हिस्सों में।
(ख) तीन हिस्सों में
(ग) चार हिस्सों में
(घ) नहीं बाँटा गया है।

प्रश्न 2.
अरावली की ऊँचाई सबसे अधिक है
(क) सिरोही जिले में
(ख) डूंगरपुर जिले में
(ग) उदयपुर जिले में
(घ) सीकर जिले में।

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प्रश्न 3.
अरावली की निम्नतम ऊँचाई है
(क) जयपुर के पास
(ख) अलवर के पास
(ग) दिल्ली के पास
(घ) सीकर के पास।

प्रश्न 4.
बाँसवाड़ा के क्षेत्र में अधिकता है
(क) बाँस की
(ख) पर्वत श्रृंखलाओं की
(ग) सागवान की
(घ) शीशम की।

प्रश्न 5.
पर्वत श्रृंखलाओं को राजस्थान के लोग कहते हैं
(क) आबू
(ख) टीला
(ग) डूंगरपुर
(घ) डूंगर

उत्तर:
1, (ख)
2. (क)
3. (ग)
4, (ख)
5. (घ)

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
सागवाड़ा में बहुतायत है……………..के वृक्षों की। (सागवान, बाँस)

प्रश्न 2.
सीमेंट बनता है………………..के पत्थर से। (ग्रेनाइट, चूना पत्थर)

प्रश्न 3.
घना पक्षी विहार……………..के लिए प्रसिद्ध है। (बाघों, पक्षियों)

प्रश्न 4.
अरावली ने हिरणों को…………………..देखा था। (कुलांचे भरते, शिकार करते)

उत्तर:
1. सागवान
2. चूना पत्थर
3. पक्षियों
4. कुलांचे भरते।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरावली में मुख्यतः कौन-कौन से खनिज पाए जाते हैं?
उत्तर:
अरावली में मुख्यत, लोहा, जस्ता, चाँदी, ताँबा, कोयला, एस्बेस्टस, टंगस्टन आदि खनिज पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
राजस्थान में कौन-कौन से रंग के संगमरमर मिलते हैं?
उत्तर:
राजस्थान में काले, लाल, सफेद और पीले रंग के संगमरमर मिलते हैं।

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प्रश्न 3.
अरावली किस कारण से चीख उठता है?
उत्तर:
अरावली की चट्टानों पर जब छेनी-हथौड़े की चोट पड़ती है तो वह दर्द से चीख उठता है।

प्रश्न 4.
अरावली ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर:
अरावली ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह मनुष्य को सदबुधि दे।।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मनुष्य ने अरावली को खोखला क्यों बना दिया
उत्तर:
मनुष्य लालची होकर ज्यादा से ज्यादा खनिज संपदा प्राप्त करने के लिए खाने खोद-खोदकर अरावली को खोखला बना दिया है।

प्रश्न 2.
मनुष्य ने अरावली से प्राप्त किन चीजों से अपने भव्य भवन खड़े कर लिए हैं?
उत्तर:
मनुष्य ने अरावली से प्राप्त संगमरमर तथा ग्रेनाइट पत्थर और चूना पत्थर से बने सीमेंट की सहायता से विशाल भवन खड़े कर लिए हैं।

प्रश्न 3.
अरावली का प्राकृतिक सौंदर्य दिनों-दिन गायब होने के पीछे कौन उत्तरदायी है?
उत्तर:
अरावली का प्राकृतिक सौंदर्य दिन-ब-दिन गायब होने के पीछे मानव को अंधा स्वार्थ उत्तरदायी है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘अरावली की आत्मकथा’ नामक पाठ में अरावली की चेतावनी और प्रार्थना क्या है?
उत्तर:
यह पाठ हमें प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन के प्रति सावधान करता है। मानव अपनी सभ्यता के विकास में अंधा होकर अपनी उसी महान सभ्यता को विनाश के कगार पर खींचता जा रहा है। प्रकृति ने हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रदान किए हैं। किंतु मानव स्वार्थ में अंधा होकर उसे ज्यादा से ज्यादा लूटता जा रहा है। ऐसा करने से पहले वह इसके परिणाम पर भी विचार नहीं कर रहा है कि इसका परिणाम क्या होगा। एक तरफ वह वनों को अंधाधुंध तरीके से काटता चला जा रहा है तो दूसरी तरफ पहाड़ों को खान बना-बनाकर खोखला करता जा रहा है। इतना ही नहीं, कीमती पत्थरों को प्राप्त करने के लिए छेनी-हथौड़े के प्रहार से पूरे पर्वत को पाकर रख दिया है।

इसके अलावा कारखानों की भरमार से भी पूरे वातावरण को प्रदूषित कर दिया है। मानवों के इस कृत्य से एक तरफ प्रकृति का सौंदर्य बिगड़ा है तो दूसरी तरफ उसका संतुलन। अरावली मानवों को इसी संदर्भ में चेतावनी देता है कि प्रकृति का नाश होगा तो मानव की सभ्यता भी नष्ट हो जाएगी। इसलिए वह अपने विनाश को आमंत्रित न करे। वह ईश्वर से यह प्रार्थना करता है कि मनुष्यों को सदबुधि दे ताकि वे प्रकृति का महत्व समझ सके।

कठिन शब्दार्थ-
पर्वतमाला = पर्वतों की श्रृंखला पुरा = प्राचीन, पुराने समय में। आग्नेय = जिससे आग निकले, ज्वालामुखी पर्वत। गुरु = लंबे-चौड़े आकार वाला, बहुत भारी। शिखर = चोटी। अभयारण्य = खुला और अत्यंत विस्तृत उद्यान। रमणीय = सुंदर, मनोहर। कुलांचे भरना = खुशी में छलांगें मारना। बहुतायत = अधिकता। आपत्ति = एतराज़, दोषारोपण। संपन्न = समृद्ध, भरा-पूरा। अजायबघर = संग्रहालय, वह भवन जिसमें अनेक प्रकार की अद्भुत वस्तुएँ रखी जाती हैं। भव्य = देखने में विशाल और सुंदर। रेगिस्तान = रेत का विशाल मैदान।।

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गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) मैं अरावली पर्वत हूँ, मेरी अनेक श्रेणियाँ हैं, जिन्हें तुम अरावली पर्वतमाला कहते हो। धरती मेरी माता है। मेरा जन्म पुरा केंब्रियन युग में हुआ था। मैं धरती माता की कोख से लगभग 70 करोड़ वर्ष पहले जन्मी विश्व के सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक हैं। यहाँ बहने वाली हवाओं ने यह मेरे कान में कहा है। मैंने जबसे होश संभाला है, इस तथ्य को मैं भी समझने लगा हूँ। अतः मैं धरती माता  का सबसे प्राचीन पर्वत हूँ। मैं जानता हूँ, धरती माता अंतरिक्ष में प्रतिपल घूम रही है। मैं भी धरती माता की गोद में प्रतिपल अंतरिक्ष में घूमता हूँ।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘अरावली की आत्मकथा’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इस गद्यांश में अरावली पर्वत की प्राचीनता का उल्लेख किया गया है।

व्याख्या-

अरावली कहता है कि उसका जन्म केंब्रियन युग में हुआ था। वह 70 करोड़ वर्ष पहले जन्मी विश्व के सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है। उसे यह इसलिए पता है क्योंकि यह बात उसे यहाँ बहने वाली हवाओं ने उसके कान में कहा है। कहने का मतलब यह है कि अरावली इस पृथ्वी का सबसे प्राचीन पर्वत है। अरावली यह भी कहता है कि पृथ्वी के घूर्णन और परिभ्रमण के कारण उसकी ऊँचाई का घर्षण होता रहता है और उसके कारण इस पर्वत की ऊँचाई भी कम हो गई है। किंतु उसे अपनी ऊँचाई कम होने का कोई अफ़सोस नहीं है, बल्कि उसे इस बात की खुशी है कि वह धरती माँ की गोद में घूमता है।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरावली पर्वत का जन्म कितने वर्ष पहले हुआ था?
उत्तर:
अरावली पर्वत का जन्म 70 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।

प्रश्न 2.
अरावली को कैसे पता कि उसका जन्म इतना पहले पुरा केब्रियन युग में हुआ था?
उत्तर:
अरावली को वहाँ बहने वाली हवाओं ने कान में कहा था कि उसका जन्म पुरी केब्रियन युग में 70 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।

प्रश्न 3.
घूर्णन गति किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने की गति को घूर्णन गति कहते हैं।

प्रश्न 4.
परिभ्रमण गति किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब पृथ्वी सूर्य के कक्ष में घूमती है तो उसे परिभ्रमण गति कहते हैं।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अरावली की आत्मकथा

(2) मेरा प्रांगण सदैव हरा-भरा रहता है। मेरा दक्षिणी तथा मध्य क्षेत्र सघन वनों का गढ़ है। शायद ही कोई ऐसा वृक्ष हो जो मेरे प्रांगण में न पाया जाता हो। सागवान, शीशम, नीम और आम का तो कहना ही क्या ! मेरे दक्षिणी अरावली में स्थित नगर में सागवान की बहुतायत के कारण ही तो सागवाड़ा नाम पड़ा है। बाँसवाड़ा में किसी जमाने में बाँस अधिक होते थे। इस क्षेत्र में पर्वत श्रृंखलाओं की बहुतायत है। इन्हें राजस्थान के निवासी ‘इँगर’ कहते हैं। अतः इस भाग में एक नगर का नाम डूंगरपुर भी है।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत उद्धरण हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘अरावली की आत्मकथा’ शीर्षक पीठ से लिया गया है। यह पाठ एक पहाड़ की आत्मकथा के रूप में लिखा गया है। जिसमें प्रकृति की विराट गाथा छुपी हुई है।

व्याख्या-
अरावली अपने प्राकृतिक सौंदर्य और समृधि पर गर्व करते हुए कहता है कि मेरा प्रांगण हमेशा हरा-भरा रहता है। अरावली के दक्षिणी तथा मध्य क्षेत्र में सघन वन हैं। वह अपनी विविधता पर इठलाते हुए कहता है कि शायद ही ऐसा कोई वृक्ष हो जो उसके प्रांगण में नहीं है। शीशम, सागवान, नीम और आम का तो कहना ही क्या! आशय यह है कि उसके वनों में इमारती और फलदार, सभी तरह के वृक्ष हैं। दक्षिणी अरावली में सागवान जैसे मूल्यवान वृक्ष की बहुतायत है जिसके कारण एक नगर का नाम ही सागवाड़ा पड़ गया है। इसी प्रकार बाँस की बहुतायत वाले क्षेत्र का नाम बाँसवाड़ा है। इस क्षेत्र में पर्वत श्रृंखलाओं की भी बहुतायत है जिसे राजस्थानी भाषा में डूंगर कहते हैं। इस खासियत के कारण ही एक क्षेत्र का नाम ‘डूंगरपुर’ भी पड़ा हुआ है। प्रस्तुत गद्यांश में देखा जा सकता है कि अरावली पर्वत विविधताओं से भरा हुआ है।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरावली के वनों में मुख्य रूप से कौन-कौनसे वृक्ष पाए जाते हैं?
उत्तर:
अरावली के वनों में मुख्यतः सागवान, शीशम, बाँस, नीम और आम के वृक्ष पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
अरावली के किस भाग में सागवान की अधिकता है?
उत्तर:
अरावली के दक्षिणी भाग में सागवान की अधिकता

प्रश्न 3.
राजस्थान में एक नगर का नाम डूंगरपुर क्यों पड़ा?
उत्तर:
राजस्थान के एक हिस्से में पर्वत श्रेणियों की अधिकता के कारण उसके करीबी नगर का नाम डूंगरपुर पड़ा।

प्रश्न 4.
बाँसवाड़ा में किसी जमाने में कौन-से वृक्ष अधिक होते थे?
उत्तर:
किसी जमाने में बाँसवाड़ा में बाँस के वृक्ष अधिक होते थे।

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(3) मुझे मेरे भाग्य पर गर्व रहा है। मुझे प्रकृति ने धरतीधन की दृष्टि से बहुत संपन्न बनाया है। लोहा, जस्ता, चाँदी, ताँबा, कोयला, एस्बेस्टस, टंगस्टन आदि अनेक खनिज मेरे क्षेत्र में पाए जाते हैं। इसलिए ही तो राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है। संगमरमर का तो कहना ही क्या! प्रकृति ने ग्रेनाइट, काले, लाल, सफेद, पीले आदि कई प्रकार के संगमरमर से मेरे क्षेत्र को नवाजा है। मकराना के मेरे सफेद संगमरमर से ताजमहल बना है। यह उच्च कोटि का संगमरमर है। विदेशों तक इसका निर्यात होता है। हाँ, मैं चूना-पत्थर का भी भंडार हूँ। आपने सीमेंट के सर्वाधिक कारखाने मेरे दक्षिण तथा मध्य क्षेत्र में ही स्थापित किए हैं। मेरे संगमरमर तथा सीमेंट से आपने भव्य भवन खड़े कर दिए हैं।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘अरावली की आत्मकथा’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इस पाठ में अरावली पर्वत अपनी आत्मकथा सुना रहा है।

व्याख्या-

अरावली पर्वत कहता है कि उसे अपने भाग्य पर बहुत गर्व होता है कि प्रकृति ने उसे खनिज संपदा की दृष्टि से भी बहुत संपन्न बनाया है। लोहा, जस्ता, चाँदी, ताँबा, कोयला, एस्बेस्टस, टंगस्टन आदि अनेक खनिज यहाँ पाए जाते हैं। जिसके कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर भी कहा जाता है। इसके अलावा अरावली में भाँति-भाँति के संगमरमर पत्थरों तथा ग्रेनाइट का भी भंडार है। जिस मकराना के सफेद संगमरमर से भारत की सबसे प्रसिद्ध इमारत ताजमहल का निर्माण हुआ है वह अरावली पर्वत से ही निकला हुआ है। इसके अलावा अरावली में चूना-पत्थर का भी भंडार है जिससे सीमेंट का निर्माण होता है। अरावली में चूना-पत्थर की बहुलता के कारण भारत में वहीं सबसे ज्यादा सीमेंट के कारखाने स्थापित हुए हैं। देश में बड़े-बड़े भवन इसी सीमेंट के दम पर खड़े हुए हैं।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरावली पर्वत में खनिजों का भंडार होने के कारण राजस्थान को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
अरावली में खनिजों के भंडार होने के कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है।

प्रश्न 2.
ताजमहल कहाँ के संगमरमर से बना है?
उत्तर:
ताजमहल मकराना के संगमरमर से बना है।

प्रश्न 3.
चूना-पत्थर से क्या बनाया जाता है?
उत्तर:
चूना-पत्थर से सीमेंट बनाया जाता है।

प्रश्न 4.
सीमेंट के सर्वाधिक कारखाने अरावली के किस हिस्से में स्थापित किए गए हैं?
उत्तर:
सीमेंट के सर्वाधिक कारखाने अरावली के दक्षिण तथा मध्य क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं।

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