RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name लव-कुश
Number of Questions Solved 48
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश (कहानी)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से 
उच्चारण के लिए
स्वर्णपत्र, आश्रम, वाल्मीकि, महर्षि।
नोट-विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करें।

सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
लव-कुश कहाँ रहते थे?
उत्तर:
लव-कुश महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहते थे।

प्रश्न 2.
लव-कुश के गुरुजी का क्या नाम था?
उत्तर:
लव-कुश के गुरुजी का नाम महर्षि वाल्मीकि था।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश

प्रश्न 3.
लव-कुश के पिता कौन थे?
उत्तर:
लव-कुश के पिता, अयोध्या के राजा रामचंद्र थे।

लिरवें
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लव-कुश किस शस्त्र को चलाने में निपुण थे?
उत्तर:
लव-कुश बाण चलाने में अत्यंत निपुण थे।

प्रश्न 2.
आश्रम में किसका घोड़ा आ गया था?
उत्तर:
आश्रम में राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा आ गया था।

प्रश्न 3.
“मुनि बालको, मेरे अश्व को शीघ्र छोड़ दो।” यह किसने किससे कहा?
उत्तर:
यह राम ने लव-कुश से कहो

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लव-कुश के दैनिक क्रिया-कलाप क्या थे?
उत्तर:
वे नित्यप्रति गुरु वाल्मीकि से रामायण की कथा सुनते थे। रामायण की कथा का गान करना, मुनि कुमारों के साथ खेलना तथा गुरु की आज्ञा का पालन करना उनका नित्य कर्म था।

प्रश्न 2.
कैसे पता चला कि आश्रम में आया घोड़ा अश्वमेध यज्ञ का है?
उत्तर:
घोड़ा सोने के आभूषणों से सजा हुआ था और उसके गले में सोने के पत्र पर लिखा था कि वह राजा रामचंद्र के अश्वमेध का घोड़ा था।

प्रश्न 3.
राम प्रसन्न क्यों थे?
उत्तर:
राम यह जानकर प्रसन्न थे कि अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा बिना रोक-टोक के चला जा रहा था। किसी भी राजा का यह साहस नहीं हुआ कि घोड़े को रोककर राम की सेना से युद्ध करे।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सीता कब और क्यों संकट में पड़ गई?
उत्तर:
जब सीता को ज्ञात हुआ कि आश्रम में लव-कुश द्वारा रोका गया घोड़ा राम के अश्वमेध का घोड़ा है तो उसने लव-कुश से उसे छोड़ देने को कहा। उनको बताया कि यदि वे घोड़े को नहीं छोड़ेंगे तो युद्ध होगा। लेकिन लव-कुश ने सीता की बात पर ध्यान नहीं दिया। तब किसी अशुभ घटना की आशंका से वह धर्म संकट में पड़ गई।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश

प्रश्न 2.
लव-कुश और सैनिक के संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
लव-कुश ने राम से अश्वमेध के घोड़े को आश्रम में बाँध लिया था। उसे खोजते हुए राम का सैनिक आश्रम में आया और लव-कुश से घोड़े के बारे में पूछा। लव-कुश ने उसे वहाँ बँधा हुआ घोड़ा दिखा दिया। सैनिक ने उन्हें समझाया कि वह राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा है। वे उसे खोल दें। उसे वही पकड़ सकता था जो राजा राम से युद्ध कर सकता हो कुश ने उसे डाँटा कि वह उन्हें डराना चाह रहा है। सैनिक ने इसे बच्चों का हठ मानकर घोड़ा खोलना चाहा। कुश ने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने घोड़े को खोलने का प्रयास किया तो वह उनके बाणों से मारा जाएगा।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
लव-कुश में दोनों पद प्रधान हैं क्योंकि दोनों पद संज्ञा हैं। जिस समास में दोनों पद प्रधान हों उसे द्वंद्व समास कहते हैं। उनका समास विग्रह करने पर योजक चिह्न के स्थान पर ‘और’ शब्द लिखा जाता है। जैसे-लव और कश। आप भी ऐसे आठ पद लिखिए जिनमें दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करने पर बीच में ‘और’ शब्द आता हो।
उत्तर:
1. पालन-पोषण, 2. रोक-टोक, 3. भाई-बहिन, 4. दिन-रात, 5. छोटे-बड़े, 6. राजा-महाराजा, 7. ऋषिमुनि, 8. हाथी-घोड़े।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण’ तत्सम शब्द है। ‘लक्ष्मण’ का तद्भव शब्द ‘लखन’ होता है। नीचे लिखे तत्सम शब्दों के तद्भव’ रूप लिखिए
तत्सम शब्द
स्वर्ण, अष्ट, गृह, चंद्र, मूर्ति।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश 1
इसइस तरह के अन्य तत्सम शब्द छाँटकर उनके तद्भव रूप लिखिए।
RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 लव-कुश 2

प्रश्न 3.
उचित विराम चिह्न लगाकर पुनः लिखिएलव-कुश ने चंद्रकेतु से कहा वीर हम वाल्मीकि के शिष्य हैं तुम्हारा परिचय क्या है।
उत्तर:
लव-कुश ने चंद्रकेतु से कहा, “वीर ! हम वाल्मीकि के शिष्य हैं। तुम्हारा परिचय क्या है?

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पाठ से आगे

प्रश्न 1.
रामायण की कथा का गान करना, गुरु की आज्ञा पालन करना और मुनि कुमारों के साथ खेलना लव-कुश का दैनिक कार्य था। आप दिनभर क्या-क्या कार्य करते हैं? लिखिए।
उत्तर:
मैं प्रात: छः बजे उठता हूँ। उठकर मुँह धोता हूँ और भगवान को प्रणाम करके शौच तथा स्नान आदि करता हूँ। इसके बाद मैं टहलने के लिए पार्क में जाता हूँ। वहाँ पार्क के दस चक्कर लगाकर कुछ देर योगासन करता हूँ। घर लौटकर अपने पाठ दोहराता हूँ। नाश्ता करके विद्यालय जाने की तैयारी करता हूँ। माँ मेरा टिफिन तैयार करती हैं। नौ बजे मैं विद्यालय को चल देता हूँ। विद्यालय में मन लगाकर पढ़ता हूँ।

विद्यालय से शाम को लौटकर मैं मंदिर जाता हूँ। कुछ देर पार्क में टहलता या खेलता हूँ। घर लौटकर भोजन करता हूँ। फिर पढ़ने बैठ जाता हूँ। रात में नौ बजे मैं सो जाता हूँ।

प्रश्न 2.
यदि लव-कुश अश्व को सैनिक के कहने पर छोड़ देते तो क्या होता?
उत्तर:
यदि लव-कुश अश्व को छोड़ देते तो लव-कुश और राम की सेना के बीच युद्ध न होता। राम का यज्ञ पूरा हो जाता, लेकिन राम और लव-कुश का मिलन शायद कभी नहीं हो पाता है।

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प्रश्न 3.
आपके अनुसार बच्चों में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मेरे अनुसार बच्चों को बड़ों का आदर करना चाहिए। गुरुजी और माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उन्हें मन लगाकर पढ़ना चाहिए। बच्चों को निडर, सच बोलने वाला और सही काम करने वाला बनना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लव-कुश का जन्म हुआ था
(क) वन में
(ख) अयोध्या में
(ग) जनकपुर में
(घ) वाल्मीकि के आश्रम में।

प्रश्न 2.
लव-कुश बहुत निपुण थे
(क) तलवार चलाने में,
(ख) भाला चलाने में
(ग) बाण चलाने में
(घ) गदा चलाने में।

प्रश्न 3.
लव-कुश के गुरु थे
(क) विश्वामित्र
(ख) वशिष्ठ
(ग) याज्ञवल्क्य
(घ) वाल्मीकि।

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प्रश्न 4.
राम की सेना को सेनानायक था
(क) सर्पकेतु
(ख) चंद्रकेतु।
(ग) गरुड़ केतु
(घ) श्वेतकेतु।

प्रश्न 5.
लव-कुश के पिता थे
(क) महाराज दशरथ।
(ख) महर्षि वाल्मीकि
(ग) अयोध्या के राजा राम
(घ) वनदेवता।

उत्तर:
1. (घ)
2. (ग)
3. (घ)
4. (ख)
5. (ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिए

प्रश्न 1.
लव-कुश का जन्म……………नदी के किनारे वाल्मीकि आश्रम में हुआ था। (गंगा/तमसा)

प्रश्न 2.
गुरु वाल्मीकि लव-कुश को प्रतिदिन ………….. की कथा सुनाते थे। (महाभारत/रामायण)

प्रश्न 3.
………………..के पुत्र चन्द्रकेतु पर यज्ञ के अश्व की रक्षा को भार था। (लक्ष्मण/भरत)

प्रश्न 4.
अपनी सेना के मूर्छित होने की बात सुनकर राम महर्षि……………के आश्रम पहुँचे। (वशिष्ठ/वाल्मीकि)

उतर:
1. तमसा
2. रामायण
3. लक्ष्मण
4. वाल्मीकि।

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अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लव-कुश कहाँ और किसके साथ रहते थे?
उत्तर:
लव-कुश माँ सीता के साथ वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रहते थे।

प्रश्न 2.
लव-कुश में किसके सभी गुण विद्यमान थे?
उत्तर:
लव-कुश में एक क्षत्रिय के सभी गुण विद्यमान थे।

प्रश्न 3.
गुरु वाल्मीकि लव-कुश को नित्य क्या सुनाया करते थे?
उत्तर:
वाल्मीकि लव-कुश को नित्य रामायण की कथा सुनाया करते थे।

प्रश्न 4.
घोड़े की गर्दन में लटके स्वर्ण-पत्र पर क्या लिखा हुआ था?
उत्तर:
स्वर्णपत्र पर लिखा था कि यह राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा है।

प्रश्न 5.
सीता को व्याकुल देखकर वाल्मीकि ने उससे क्या कहा?
उत्तर:
वाल्मीकि ने कहा कि वह दुखी न हो। सब ठीक हो रहा है।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सीता ने लव-कुश से घोड़ा छोड़ देने को क्यों कहा?
उत्तर:
घोड़े के आश्रम में आने का समाचार सुनकर सीता देखने पहुँचीं। उन्होंने देखा कि घोड़ा आभूषणों से सजा हुआ था और उसके गले में लटक रहे सोने के पत्र पर लिखा था कि वह राम के अश्वमेध का घोड़ा है। यह देख सीता को घबराहट होने लगी। उन्होंने लव-कुश को समझाया कि घोड़ा न छोड़े जाने पर उनका राम की सेना से युद्ध होगा। उन्हें लगा कि कोई बुरी घटना घटने वाली थी। अत: उन्होंने लव-कुश से घोड़े को छोड़ देने को कहा।

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प्रश्न 2.
अश्वमेध यज्ञ में घोड़ा क्यों छोड़ा जाता था?
उत्तर:
अश्वमेध यज्ञ पूरा हो जाने पर राजा को चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि मिलती थी। घोड़ा जहाँ-जहाँ तक जाता था, वहाँ तक के राजा या तो घोड़े के स्वामी राजा की अधीनता स्वीकार कर लेते थे या फिर घोड़े को रोककर उसकी सेना से युद्ध करते थे। हारने पर अधीनता और जीतने पर घोड़ा उनका हो जाता था।

प्रश्न 3.
लव-कुश और राम की सेना के बीच युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
सैनिक के जाने के बाद लव-कुश राम की सेना का सामना करने जा पहुँचे। राम की सेना के सेनानायके चंद्रकेतु ने उनको चेतावनी दी कि वे राम के अश्वमेध के घोड़े को तुरंत छोड़ दें, नहीं तो उसके साथ युद्ध करें। लव-कुश ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली। लव ने राम की सेना पर जुभकास्त्र नाम का अस्त्र चलाया। इससे सारी सेना मूर्तिवत हो गई।

प्रश्न 4.
राम के वाल्मीकि ऋषि के आश्रम पर पहुँचने पर वहाँ क्या हुआ? लिखिए।
उत्तर:
राम ने वहाँ जाकर लव और कुश को खड़े देखा। राम ने उनसे कहा कि वे मुनि कुमार हैं। उन्हें युद्ध आदि से क्या काम? वे घोड़ा छोड़ दें। लेकिन राम के समझाने का उन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ। वे तो राम से भी युद्ध करने को तैयार हो गए। तब वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें बताया कि उनके पिता, अयोध्या के राजा रामचंद्र यही हैं। राम ने यह सुनकर लव-कुश को बाँहों में भरकर गले से लगा लिया। इस दृश्य को देखकर महर्षि वाल्मीकि की आँखों में भी
आँसू भर आए।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पाठ्य-पुस्तक के आधार पर लव-कुश के पिता राम से मिलन की कथा संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
लव-कुश तमसा नदी के पास स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में अपनी माता सीता के साथ रहते थे। उनका पालन-पोषण, शिक्षा और दीक्षा वाल्मीकि की देखरेख में ही हुई थी। एक बार अयोध्या के राजा रामचंद्र जी ने अश्वमेध यज्ञ किया। इस यज्ञ के अनुसार एक घोड़े को आभूषणों से सजाकर और उसके गले में, राम के अश्वमेध की सूचना देने वाला सोने का पत्र लटकाकर उसे स्वतंत्र रूप से विचरने को छोड़ दिया गया। राम की सेना पीछे-पीछे उसकी सुरक्षा के लिए चली।

अनेक प्रदेशों में घूमता हुआ वह घोड़ा लौटते समय वाल्मीकि जी के आश्रम के पास से निकला। लव-कुश उसे देखकर बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने उस घोड़े के गले में लटके पत्र को पढ़ा तो उसे आश्रम के वृक्ष से बाँध दिया। जब सीता को यह सूचना मिली तो उन्होंने आकर सारी परिस्थिति को समझा और लव-कुश को समझाया कि वे घोड़े को जाने दें। नहीं तो युद्ध होने की स्थिति आ सकती है।

लव-कुश ने इसे अपना अपमान समझा। उन्होंने घोड़ा नहीं छोड़ा। इसके परिणामस्वरूप उनका राम की सेना से युद्ध हुआ। राम की सेना को लव ने जुंभकास्त्र के प्रयोग से – मूर्छित कर दिया। राम को सूचना मिली तो वह वाल्मीकि के आश्रम में आए और उनको लव-कुश के बारे में पता चला कि वे उन्हीं के पुत्र हैं। राम ने दोनों को गले लगाया और अपने साथ अयोध्या ले गए।

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कठिन शब्दार्थ

होनहार = गुणवान। वाल्मीकि = एक ऋषि, जिन्होने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की। बाल्यकाल = बचपन। विद्यमान होना = उपस्थित होना। निपुण = चतुर। कंठस्थ = याद कर लेना। नित्यकर्म = हर दिन का काम। आभूषण = गहने। सज्जित = सजा हुआ। स्वर्ण-पत्र = सोने का पत्र। अंकित = लिखा हुआ। अश्वमेध = एक प्राचीन यज्ञ जो राजाओं द्वारा चक्रवर्ती सम्राट (सबसे बड़ा राजा) बनने के लिए किया जाता था। अश्व = घोड़ा। पुरुषार्थी = निडर और साहसी। धर्म-संकट = निश्चय न कर पाना। अनर्थ = हानि, बुरा परिणाम। आशंका = संदेह, शक, खटका। सिहर उठी = काँप गई। अज्ञात = जिसका पता न हो। बालहठ = बच्चों का हठ करना। सेनानायक = सेनापति। जुंभकास्त्र = एक ऐसा प्राचीन अस्त्र जिसे छोड़ने पर सेना मूर्तिवत हो जाती थी। मूर्तिवते = मूर्ति के समान। यज्ञ-शाला = यज्ञ के लिए बनाया गया स्थान। भ्रमण = घूमना। अद्भुत = अनोखा, आश्चर्य में डालने वाला।

गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ तथाअर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) लव-कुश में क्षत्रिय के सभी गुण विद्यमान थे। छोटी-सी अवस्था में वे शस्त्र चलाना सीख गए थे। बाण चलाने में तो वे बहुत ही निपुण थे। उनका निशाना अचूक था। वे बड़े वीर और साहसी थे।

गुरु वाल्मीकि उनको नित्यप्रति रामायण की कथा सुनाया करते थे। उन्होंने रामायण की कथा कंठस्थ कर ली थी। रामायण की कथा का गान करना, गुरु की आज्ञा का पालन करना और मुनि कुमारों के साथ खेलना उनका नित्यकर्म था। संदर्भ तथा प्रसंग-यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘लव-कुश’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में महाराज रामचंद्र के पुत्रों लव-कुश का परिचय दिया गया है।

व्याख्या-लव और कुश महाराज रामचंद्र के पुत्र थे। वे अपनी माँ सीता के साथ ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहा करते थे। लव-कुश में वे सारे गुण थे जो एक श्रेष्ठ क्षत्रिय में होने चाहिए। वे निडर, साहसी और वीर बालक थे। उन्होंने छोटी-सी आयु में ही अस्त्र-शस्त्र चलाना सीख लिया था। बाण चलाने में वे बहुत कुशल थे। उनके बाण का निशाना कभी चूकता नहीं था। वे किसी भी चुनौती से घबराने वाले बालक नहीं थे।
उनके गुरु ऋषि वाल्मीकि थे। वह उनको प्रतिदिन अपनी रची रामायण की कथा सुनाया करते थे। नित्यं सुनने के कारण वह कथा उन्हें याद हो गई थी। वे नित्य रामायण की कथा को गाकर सुनाते थे। गुरु की आज्ञा का पालन करते थे तथा आश्रम में रहने वाले अन्य मुनियों के बालकों के साथ खेला करते थे। यही उनका दैनिक काम था।

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प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लव-कुश कौन थे?
उत्तर:
लव और कुश अयोध्या के महाराजा रामचंद्र के पुत्र थे।

प्रश्न 2.
क्षत्रिय के क्या-क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
एक क्षत्रिय वीर, निर्भीक और आन परे मिट जाने वाला होता है। वह सच्चाई और न्याय का साथ देता है।

प्रश्न 3.
लव-कुश किस विद्या में बड़े कुशल थे?
उत्तर:
लव-कुश बाण चलाने में बहुत चतुर थे।

प्रश्न 4.
लव-कुश द्वारा बाण चलाने की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
उनको चलाया बाण सदा निशाने पर लगा करता था।

(2) सीता ने भय दिखाते हुए कहा-“इसे छोड़ दो नहीं तो युद्ध होगा।” “हम युद्ध से नहीं डरते।” लव ने निडर होकर उत्तर दिया। हम पुरुषार्थी हैं। आपने ही तो हमें शिक्षा दी है कि पुरुषार्थी युद्ध से भी नहीं डरते। फिर आप हमें भय क्यों दिखा रही हैं।” कुश ने लव के स्वर में स्वर मिलाकर कहा।. सीता धर्म संकट में पड़ गई। वह महर्षि वाल्मीकि को बुलाने चली गई। क्या पिता पुत्र में युद्ध होगा? सीता अज्ञात अनर्थ की आशंका से सिहर उठी।।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘लव-कुश’ नामक पाठ से लिया गया है। सीता ने लव-कुश से राम के अश्वमेध के घोड़े को छोड़ देने को कहा लेकिन वे नहीं माने। यही यहाँ बताया गया है।

व्याख्या-
लव और कुश ने अश्वमेध के घोड़े को आश्रम में बाँध लिया था। जब सीता को पता चला कि अयोध्या के राजा राम के द्वारा किए जा रहे अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा है, तो उन्होंने लव-कुश से उसे छोड़ देने को कहा। सीता ने उन्हें डर दिखाया कि इसे रोकने पर राम की सेना से युद्ध हो सकता है। लव ने बड़ी निडरता से कहा कि उसे युद्ध से कोई डर नहीं लगता। कुश ने कहा कि वे अपने बल पर विश्वास करने वाले हैं। हमें यह शिक्षा उन्हीं (सीता) से प्राप्त हुई है। यह सुनकर सीता की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। वह महर्षि वाल्मीकि को बुलाने चल दी। वह सोचने लगी कि कहीं पिता (राम) और पुत्रों (लव-कुश) के बीच युद्ध न छिड़ जाय। सीता को किसी अशुभ घटना का डर सता रहा था।

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प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
युद्ध हो जाने की आशंका क्यों थी?
उत्तर:
लव-कुश अवश्मेध के घोड़े को नहीं छोड़ रहे थे। यदि राम की सेना घोड़े को छुड़ा ले जाने का प्रयास करती तो दोनों के बीच युद्ध छिड़ सकता था।

प्रश्न 2.
“हम पुरुषार्थी हैं।” यह किसने कहा? पुरुषार्थी व्यक्ति कैसा होता है?
उत्तर:
यह बात कुश ने कही। पुरुषार्थी व्यक्ति को अपने ऊपर पूरा विश्वास होता है। वह अन्याय के आगे नहीं झुकता।

प्रश्न 3.
सीता धर्म संकट में क्यों पड़ गई?
उत्तर:
सीता को यह नहीं सूझ रहा था कि वह ऐसी स्थिति में क्या करे। वह चाहती थी कि पिता-पुत्रों के बीच युद्ध होने की नौबत न आए।

प्रश्न 4.
सीता के मन में किस अनर्थ का डर था?
उत्तर:
सीता डर रही थी कि कहीं घोड़े को लेकर राम की सेना और लव-कुश के बीच युद्ध न छिड़ जाए। ऐसा होने पर कुछ भी अशुभ घटना घट सकती थी।

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(3) यह सुनते ही राम रथ पर सवार हो महर्षि वाल्मीकि के आश्रम पहुँचे। वे दोनों बालकों से बोले, “मुनि बालको! मेरे अश्व को शीघ्र छोड़ दो।” पर बालक कहाँ मानने वाले थे। राम से भी युद्ध करने को तैयार हो गए। इतने में सीता वाल्मीकि को लेकर वहाँ पहुँची। राम को सामने देखकर वाल्मीकि ने कहा, ‘लव-कुश, तुम मुझसे अपने पिता के बारे में जानना चाहते थे। यही तुम्हारे पिता हैं, अयोध्या के राजा राम।” यह सुनकर राम ने लव-कुश को बाँहों में भर लिया। मिलन के इस अद्भुत दृश्य को देखकर वाल्मीकि के नेत्रों से हर्ष के आँसू बह निकले।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘लव-कुश’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में राम और लव-कुश के मिलन का वर्णन है।

व्याख्या-
जैसे ही राम को लव-कुश के साथ अपनी सेना के युद्ध की सूचना मिली, वह रथ पर सवार होकर वाल्मीकि के आश्रम में जा पहुँचे। उन्होंने लव-कुश से कहा कि वे उनके अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को छोड़ दें। लेकिन लव-कुश पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा वे तो राम से भी युद्ध के लिए तैयार हो गए। इसी समय वाल्मीकि के साथ सीता भी वहाँ जा पहुँची। वाल्मीकि ने जब राम को वहाँ देखा तो उन्होंने लव-कुश से कहा कि वे अपने जिन पिता के बारे में पूछ करते थे, वे यह ही अयोध्या के राजा रामचंद्र हैं। राम भी यह सुनकर चकित हो गए और उन्होंने दोनों पुत्रों को गले से लगा लिया। वर्षों बाद पिता-पुत्र के इस मिलन को देखकर वाल्मीकि की आँखों से भी प्रसन्नता के आँसू टपकने लगे।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
राम ने लव-कुश से क्या कहा?
उत्तर:
राम ने लव-कुश से कहा कि वे उनके यज्ञ के घोड़े को छोड़ दें।

प्रश्न 2.
राम की बात का लव-कुश पर क्या प्रभाव हुआ
उत्तर:
लव-कुश ने राम की बात पर ध्यान नहीं दिया और वे राम से भी युद्ध करने को तैयार हो गए।

प्रश्न 3.
वाल्मीकि ने लव-कुश को उनके पिता के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
वाल्मीकि ने बताया कि वे अपने जिन पिता के बारे में उनसे पूछा करते थे, वे अयोध्या के राजा राम ये ही हैं।

प्रश्न 4.
वाल्मीकि के नेत्रों से आँसू बहने का क्या कारण था?
उत्तर:
वाल्मीकि को बहुत समय से अपरिचित रहे पिता और पुत्रों को इस प्रकार अचानक मिलते देख बड़ी प्रसन्नता और संतोष हुआ। इसी कारण उनके नेत्रों से आँसू टपकने लगे।

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