RBSE Class 7 Hindi रचना अपठित

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Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi रचना अपठित

आपके प्रश्न-पत्र में कोई ऐसा अवतरण दिया जाता है जो आपकी पाठ्यपुस्तक से बाहर का होता है। इसे अपठित अवतरण कहते हैं।

प्रायः अपठित अवतरण के संबंध में अवतरण का सार या सारांश, अवतरण का शीर्षक तथा अवतरण से संबंधित प्रश्न- पूछे जाते हैं।

RBSE Class 7 Hindi रचना अपठित

प्रमुख अपठित गद्यांश
1. जीवन की सफलता के लिए सत्य, अहिंसा और देश-भक्ति जैसे गुणों का विकास होना आवश्यक है। देश-भक्ति या देश-प्रेम का यह अर्थ नहीं है कि हमें दूसरे देशों या उनके निवासियों से घृणा करें। मानव-मात्र को अपना मानने में ही हमारा कल्याण निहित है। यदि हम दूसरे देश के लोगों को शत्रु मानकर कष्ट पहुँचाते हैं तो हम अहिंसा के मार्ग से हट जाते हैं। विश्व-सेवा ही वह मार्ग है जिससे हम लोक-कल्याण का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि आनंद एकता में है, बिखराव में नहीं; प्रेम में है, टकराव में नहीं; त्याग में है, संग्रह में नहीं।

प्रश्न-
(अ) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ब) हम लोक-कल्याण का लक्ष्य कैसे पा सकते हैं?
(स) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(अ) शीर्षक- जीवन की सफलता।
(ब) विश्व-सेवा से ही हम लोक-कल्याण का लक्ष्य पा सकते हैं।
(स) सफल जीवन के लिए सत्य, अहिंसा व देश-भक्ति आवश्यक है। देश-भक्ति का अर्थ दूसरे देशों व वहाँ के निवासियों से घृणा न करके मानव-मात्र को अपना बंधु मानना है। लोक कल्याण का लक्ष्य विश्व-सेवा से ही प्राप्त हो सकता है।

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2. किसी भी देश की शक्ति वहाँ के नागरिक होते हैं। जिस देश के नागरिक जितने अधिक सचेत होते हैं, वह देश उतना ही अधिक प्रगति करता हैं। नागरिक-चेतना का प्रमुख आधार शिक्षा है। शिक्षा ही मनुष्य को ज्ञान के नेत्र देती है। ज्ञान-हीन आदमी अंधे के समान होता है। वह अपनी भलाई-बुराई को भी भलीभाँति नहीं पहचानता। इसीलिए हर देश अपने नागरिकों के लिए शिक्षा की श्रेष्ठ व्यवस्था करता है। वास्तव में शिक्षा ही वह संजीवनी है। जो किसी राष्ट्र को जीवन देती है।

प्रश्न-
(अ) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ब) शिक्षा मनुष्य को क्या देती है?
(स) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(अ) शीर्षक शिक्षा का मूल्य।
(ब) शिक्षा मनुष्य को ज्ञान प्रदान करती है।
(स) देश की उन्नति के लिए नागरिकों को जागरूक होना परमावश्यक है। यह जागरूकता शिक्षा दुवारा ही आती है। शिक्षा मनुष्य को ज्ञानी बनाती है, जिससे कि वह अच्छे-बुरे की पहचान कर सकता है।

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3. लक्ष्मीबाई ने जो कार्य किया, जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसका प्रभाव देशवासियों पर व्यापक और गहरे रूप से पड़ा। यह वह युग था जब अंग्रेज भारतवासियों को बहुत ही तुच्छ समझने लगे थे और उनकी शक्ति का भय सब पर छाया हुआ था। रानी ने उनकी उस शक्ति को करारी मात दी और भारतवासियों को यह दिखलाया कि यदि वे संगठित होकर कार्य करें तो अंग्रेजों को भारत से सहज ही उखाड़ा जा सकता है। यह उनके ही कृत्यों का प्रभाव था कि देश में स्वतंत्रता की लहर तीव्र हो उठी और 1857 ई. में स्वतंत्रता-संग्राम के रूप में प्रकट हो गयी। इस लहर में इतनी तेजी थी कि कुछ समय तक इसकी चपेट से अंग्रेजी साम्राज्य तक डगमगा गया।

प्रश्न-
(अ) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ब) रानी लक्ष्मीबाई की वीरता ने भारतवासियों को क्या दिखलाया?
(स) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(अ) शीर्षक-स्वतंत्रता की प्रेरक : रानी लक्ष्मीबाई।
(ब) रानी लक्ष्मीबाई की वीरता ने भारतवासियों को यह दिखलाया कि संगठन में बहुत शक्ति होती है। इससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
(स) रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीयों को तुच्छ समझने वाले अंग्रेजों की शक्ति को मात दी तथा संगठन के महत्व को समझाते हुए हमको भय मुक्त किया। परिणामस्वरूप 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेजी साम्राज्य को हिलाकर रख दिया।

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4. मन तभी प्रसन्न रह सकता है, जबकि हमारा शरीर स्वस्थ रहे। मनुष्य-जीवन में हमें यदि सफलता प्राप्त हो सकती है तो वह शरीर के स्वस्थ होने से ही संभव है। हमें यदि अपना भविष्य उज्ज्वल बनाना है तो शरीर स्वस्थ रखना पड़ेगा। संसार में ऊँचा पद प्राप्त करना है तो शरीर का स्वस्थ रहना आवश्यक है। शरीर को शक्तिशाली और स्वस्थ बनाये रखने के लिए नियमित व्यायाम अत्यंत आवश्यक है। व्यायाम से ही शरीर स्वस्थ रहता है, मुख कति युक्त होता है, आँखों की ज्योति बढ़ती है और बुद्धि का विकास भी होता है।

प्रश्न-
(अ) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ब) शरीर को शक्तिशाली बनाने के लिए क्या आवश्यक है?
(स) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(अ) शीर्षक-स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन।
(ब) शरीर को शक्तिशाली बनाने के लिए नियमित व्यायाम अति आवश्यक है।
(स) नियमित व्यायाम से शरीर स्वस्थ तथा मुख कांतिमय होता है। स्वस्थ रहने से ही मन प्रसन्न होता है, आँखों की रोशनी बढ़ती है तथा बुधि के विकास के साथ-साथ हर प्रकार की सफलता प्राप्त होती है।

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5. राजस्थान की मरुभूमि वीर-प्रसविनी कही जाती है। यहाँ समय-समय पर ऐसे वीर पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपने रक्त से इसका गौरव बढ़ाया है और इसके लिए अपने प्राण न्योछावर किये हैं। यहाँ तक कि देवियों ने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने प्राण अग्निदेव को समर्पित किये हैं। मेवाड़ केसरी राणा प्रताप ने अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए तन-मन-धन सब कुछ अर्पण कर डाला। जंगलों में भटकते फिरे, भूमि पर शयन किया और घास की रोटियाँ खाई, परन्तु वे अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे। पन्ना का त्याग तथा पमिनी का जौहर राजस्थानी शौर्य का ज्वलंत उदाहरण माना जाता है।

प्रश्न-
(अ) उक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ब) राजस्थान को वीरों की भूमि क्यों कहा जाता है?
(स) उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(अ) शीर्षक-वीर प्रसविनी मरुभूमि।
(ब) राजस्थान वीरों की भूमि हैं। इसने समय-समय पर ऐसे वीर पैदा किए हैं जिन्होंने आत्मबलिदान कर इसके गौरव को बढ़ाया है।
(स) राजस्थान वीरों की भूमि रही है। महाराणा प्रताप ने असहनीय कष्ट उठाकर इसकी रक्षा की। पन्ना का त्याग विश्व प्रसिद्ध है। पद्मनी का जौहर भी राजस्थानी शौर्य का परिचायक है। इस प्रकार राजस्थान में वीर पुरुषों के साथ-साथ वीरांगना नारियों ने भी जन्म लिया।

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