RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण समयलेखनम्

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण समयलेखनम्

समय बताने के चार रूप – घटिका (घड़ी) को देखकर हम प्रायः चार प्रकार से समय बताते हैं –
1. सामान्य (पूर्ण)-जब घड़ी की बड़ी सुई 12 अंक पर हो तथा छोटी किसी भी अंक पर हो तो जिस पर छोटी सुई है, उतने पूर्ण बजते हैं । जैसे – बड़ी सुई 12 पर तथा छोटी सुई 4 पर हैं तो पूरे चार बजेंगे । बजे के लिए संस्कृत में ‘वादनम्’ शब्द का प्रयोग करते हैं । यथा- एकवादनम् (एक बजे), द्विवादनम् (दो बजे), त्रिवादनम् (तीन बजे), चतुर्वादनम् (चार बजे), पञ्चवादनम् (पाँच बजे), षड्वादनम् (छः बजे), सप्तवादनम् (सात बजे), अष्टवादनम् (आठ बजे), नववादनम् (नौ बजे), दशवादनम् (दस बजे), एकादशवादनम् (ग्यारह बजे), द्वादशवादनम् (बारह बजे)। एक बजे (एकवादनम्) से बारह बजे (द्वादशवादनम्) तक के चित्र नीचे दिए जा रहे हैं –
संस्कृत में घड़ी समय RBSE Class 7

2. सपाद (सवा)-जब घड़ी की बड़ी सुई तीन पर हो तथा छोटी सुई किसी भी अंक से थोड़ी आगे हो, तो उस अंक के सवा बजते हैं । जैसे- सवा बजे (संपादैकवादनम्), सवा दो बजे (सपादद्विवादनम्) । ‘सवा’ के लिए सपाद तथा “बजे’ के लिए ‘वादनम्’ का प्रयोग है । 1:15 को ‘सवा’ कहते हैं; ‘सवा एक’ नहीं। यहाँ कुछ सचित्र उदाहरण दिए। जा रहे हैं –
Samay In Sanskrit Class 7 RBSE
समय लेखन RBSE Class 7

3. सार्ध (साढे)-जब घड़ी की बड़ी सुई 6 (छ:) पर होती है तथा छोटी सुई किन्हीं दो अंकों के ठीक बीच में हो, तो पूर्ववाले अंक के साढ़े’ बजते हैं । यदि छोटी सुई 3 और 4 के ठीक बीच में हो तो साढ़े तीन बजेंगे । ‘साढ़े’ के लिए ‘सार्ध’ तथा बजे के लिए ‘वादनम्’ का प्रयोग करते हैं । 1:30 तथा 2 : 30 को क्रमशः ‘डेढ़’ और ‘ढाई’ कहते हैं। साढ़े एक और साढ़े दो नहीं । जैसे –
Samay Lekhan In Sanskrit Class 7 RBSE

4. पादोन (पौन)-जब पूर्णांक में एक-चौथाई भाग कम होता है, तो उसे ‘पौन’ कहते हैं । घड़ी में जब मिनट की बड़ी सुई 9 अंक पर होती है तब वह 45 मिनट को प्रदर्शित करती है तो हम कहते हैं कि पौने दो, पौने चार, पौने छह, पौने नौ आदि बजे हैं । संस्कृत में इसी ‘पौने’ को ‘पादोन’ कहते हैं । 12:45 को ‘पौन’ कहते हैं, ‘पौने एक’ नहीं । संस्कृत में ‘पौन’ वाले समय को इस प्रकार बताते हैं –
RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण समयलेखनम् 5
पूर्ण, सवा (सपाद), साढ़े (सार्ध) और पौने (पादोन) के अतिरिक्त भी जब कुछ मिनट अधिक या कम होते हैं तो उन्हें व्यक्त करने का भी एक ढंग है । संस्कृत में मिनट को ‘पल’ अथवा ‘कला’ कहते हैं । संस्कृत में जब समय पूर्णाक, संपाद, सार्ध, पदोन के अतिरिक्त मिनट अर्थात् ‘पल’ में (जैसे- आठ बजकर दस मिनट) बताना होता है, तब पूर्णांक समय से पहले मिनट की संख्या, उसके बाद मिनट की संस्कृत, फिर ‘उत्तर’ शब्द लगाकर समय बताते हैं; यथा-‘आठ बजकर दस मिनट’ को संस्कृत में इस रूप में बताएँगे – दश-पल-उत्तर-अष्टवादनम् = दशपलोत्तराष्टवादनम् ।। मिनट में कुछ अन्य समय इस प्रकार बताये जा सकते हैं – ‘
2 : 05 (दो बजकर पाँच मिनट) पञ्चपलोत्तरद्विवादनम् । 10 :25 (दस बजकर पच्चीस मिनट)
पञ्चविंशतिपलोत्तरदशवादनम् 6 : 07 (छह बजकर सात मिनट) सप्तपलोत्तरषड्वादनम् 4:55 (चार बजकर पचपन मिनट)
पञ्चपञ्चाशत्पलोत्तरचतुर्वादनम्
यदि बारह बजे (दोपहर) से पहले का समय हो तो ‘प्रातः या ‘पूर्वाह्न’ तथा दोपहर बारह बजे बाद का हो तो ‘सायं’ या ‘अपराह्न’ शब्दों का प्रयोग करते हैं । जैसे –
प्रातः 7 : 30 A.M. (प्रात: साढ़े सात बजे) पूर्वाह्ने/प्रात: सार्धसप्तवादने ।
सायं 3 : 45 PM. (सायं पौने चार बजे) अपराह्नसायं पादोनचतुर्वादने ।

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