RBSE Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 6 स्वास्थ्य एवं पर्यावरण

Rajasthan Board RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 स्वास्थ्य एवं पर्यावरण

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवनदायिनी गैस कौनसी है?
उत्तर:
ऑक्सीजन।

प्रश्न 2.
हमारी संस्कृति में जल पिलाने को कैसो कार्य समझा गया है?
उत्तर:
पुण्य का।

प्रश्न 3.
किस प्रकार के प्रदूषण से श्वसन सम्बन्धी | रोग हो जाते हैं ?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से।

प्रश्न 4.
किसे जीवन का सूत्र माना गया है ?
उत्तर:
जल को जीवन का सूत्र माना गया है।

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तम स्वास्थ्य का प्रतीक किसे कहा गया
उत्तर:
व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि व मानसिक विकास की श्रेष्ठ अवस्था, उत्तम स्वास्थ्य का प्रतीक है।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण से शरीर पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के कारण शरीर की वृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मानसिक स्थिति के बिगड़ने से मनोरोगी होना, खाँसी, टी.बी., श्वसन सम्बन्धी रोग, कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियाँ वायु प्रदूषण की वजह से होने लगी हैं।

प्रश्न 3.
किस प्रदूषण से मानव में मनोरोग व हिंसक प्रवृत्ति बढ़ जाती है?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण से मानव में मनोरोग व हिंसक प्रवृत्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 4.
विद्यालय पर्यावरण का अध्ययन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
किसी भी विद्यालय का पर्यावरण उतनी ही अहमियत रखता है जितनी शिक्षा । विद्यालय में शैक्षिक वातावरण उन्नत करने के लिए विद्यालय का पर्यावरण या परिवेश भी समुन्नत होना चाहिए, इससे विद्यालय का अनुशासन बनाये रखने में जहाँ बहुत मदद मिलती है वहीं छात्र-छात्रा भी शांत मन से अध्ययन करते हैं।

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रदूषण कारक पर्यावरण को किस प्रकार नुकसान पहुँचाते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग, गंदगी फैलाना, संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन (संसाधनों की लूट), जंगलों को विनाश न केवल पर्यावरण पर बल्कि हमारे स्वास्थ्य, शरीर की वृद्धि व बौद्धिक विकास पर भी कुप्रभाव डालते हैं। पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बिन्दु निम्न प्रकार हैं।

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. ध्वनि प्रदूषण
  4. सांस्कृतिक प्रदूषण

(1) वायु प्रदूषण – प्राकृतिक जीवन में वायु मनुष्य को सर्वाधिक प्रभावित करती है। मनुष्य श्वसन द्वारा जो वायु ग्रहण करता है, वह शरीर कोष स्तर पर कार्य कर, शरीर को सामान्य व स्वस्थ बनाये रखती है। ऐसा नहीं होना वायु प्रदूषण की ओर इंगित करता है। वायु प्रदूषण तब होता है जब वायु में बाहरी कण आवश्यकता से अधिक मिल जाते हैं। यह मनुष्य के लिये हानिकारक है। वायु में विभिन्न प्रकार की गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड, अमोनिया, हाइड्रोजन, अणु युक्त धुआँ, धूल, मिट्टी, लौंह तत्त्व आदि मिल कर वायु को प्रदूषित करते हैं। वायु प्रदूषण से श्वसन विकार, खाँसी, निमोनिया और फेफड़ों में कैंसर आदि गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।

(2) जल प्रदूषण – जिस प्रकार वायु तथा भोजन हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं, उसी प्रकार जल भी जीवन के लिए अति आवश्यक है। यदि शुद्ध जल की प्राप्ति न हो, तो हमारे स्वास्थ्य पर अनेक बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं, परन्तु कुछ लोग जल की शुद्धता के महत्त्व से अनभिज्ञ होने के कारण अशुद्ध जल ही पीते हैं और रोगग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को शुद्ध जल के महत्त्व को जानना अति आवश्यक है, जिससे कि वह अनेक प्रकार के रोगों से बच सके। विद्यालय के अध्यापक और बच्चे इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं।

(3) ध्वनि प्रदूषण – ध्वनि प्रदूषण का अर्थ है-बहुत अधिक शोर का होना। आजकल ध्वनि प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसके अनेक कारण हैं, जिन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है

(I) औद्योगिक साधन – औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में अत्यधिक ध्वनि करने वाली मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जिससे वहाँ काम करने वाले व्यक्तियों को सुनने सम्बन्धी अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इससे आस-पास के इलाकों में भी ध्वनि प्रदूषण होता है। हमें इस तरफ जल्द से जल्द ध्यान देना होगा।

(II) गैर-औद्योगिक साधन – इसमें प्रमुख रूप से निम्न हैं।
(अ) लाउडस्पीकर, (ब) वाहन, (स) रेडियो और माइक्रोफोन यह हमें शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रभावित करते हैं। अधिक ध्वनि से हमारी रक्त-प्रवाह की गति और श्वास की गति दोनों बढ़ जाती हैं। इससे व्यक्ति को सुनना भी बन्द हो सकता है। अधिक ध्वनि प्रदूषण के कारण औषधि विज्ञान के अनुसार यह प्रमाणित किया गया है कि इससे अल्सर, हृदयाघात जैसी भयंकर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे मनुष्य को मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है, जिससे वह अपने काम में एकाग्रता स्थापित नहीं कर पाता। यह उसके आचरण पर भी प्रभाव डालता है। यह उसे चिड़चिड़ा और असहनशील बना देता है, जो मनुष्य के आपसी सम्बन्धों में तनाव पैदा कर देते हैं। इन सभी कारणों को देखते हुए हमें इसको नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

प्रश्न 2.
विद्यालय में स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण परिस्थितियाँ बनाने के उपाय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
विद्यालय में स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण परिस्थितियाँ बनाने के उपाय निम्न प्रकार हैं –

  1. विद्यालय भवन की स्थिति – पर्याप्त ऊँचाई हो, मुख्य मार्ग से हटकर हो, शांत व खुला वातावरण हो तथा मुख्य मार्ग की सतह से ऊँचा हो।
  2. भवन की दशा-जहाँ तक हो आकार में भवन हो, समान आकार में, कक्षा कक्षों की पर्याप्त ऊँचाई (12 फीट तक), सीढ़ियाँ व अन्य सुविधा युक्त हों, रोशनदान, खिड़कियाँ, दरवाजे पर्याप्त हों, श्यामपट्ट पर्याप्त ऊँचाई पर हो, बिजली व पानी को कनेक्शन हो।
  3. पेजयल – पेयजल स्रोतों की नियमित साफ – सफाई हो, पानी में फ्लोराइड की जाँच करानी चाहिए, पर्याप्त पानी की टोंटियाँ हों, पानी की निकासी का उचित प्रबन्ध हो।
  4. शौचालय व मूत्रालय – नियमित साफ-सफाई हो, छात्र व छात्रा हेतु पृथक्-पृथक् सुविधा हो, उपयोग के पश्चात् साबुन से हाथ धोने  व्यवस्था हो, करीबन 100 छात्रों पर 1 शौचालय, एवं 25-25 छात्र-छात्राओं पर 1 मूत्रालय होना चाहिए।
  5. साफ-सफाई – विद्यालय परिसर की नियमित साफ-सफाई होनी चाहिए इसमें कक्षा कक्ष, बरामदा, चौक, प्रार्थना-स्थल की नियमित साफसफाई होनी चाहिए।
  6. कर्नीचर पर्याप्त फर्नीचर (टेबल, स्टूल) होने चाहिए, रंगरोगन युक्त हो, लोहे के नुकीले न हों। अन्यथा चोट लग सकती है, बैठने में सुविधाजनक होना चाहिए।
  7. अन्य कक्ष – पुस्तकालय, वाचनालय, छात्रा कॉमन रूम, क्रीड़ा कक्ष, सभा भवन, प्रार्थना स्थल, स्टाफ रूम, साइकिल स्टैण्ड इत्यादि की समुचित व्यवस्था एवं साफ-सफाई होनी चाहिए।
  8. खेल मैदान – छोटे व बड़े बच्चों के लिए पृथक् पृथक् खेल मैदान होने चाहिए, मैदान से होकर आवागमन न हो। मैदान समतल हो, चारदीवारी युक्त हो, कंकड़-पत्थर व काँच के टुकड़ों, कंटीली झाड़ियों से रहित हो।
  9. स्वास्थ्य परीक्षण – वर्ष में 2 बार जुलाई व जनवरी में होना चाहिए।
  10. विद्यालय का दैनिक कार्यक्रम छात्र-छात्रा हितकारी होना चाहिए।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य सम्बन्धी परिस्थितियों को पर्यावरण अनुकूल बनाने के कौनसे उपाय किये जाने चाहिए ?
उत्तर:
स्वास्थ्य सम्बन्धी परिस्थितियों को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए निम्नलिखित कार्य किये जाने चाहिए –

सामुदायिक स्वास्थ्य हेतु हैं –

  1. सामुदायिक स्वच्छता का प्रयास हो।
  2. स्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो।
  3. मल-मूत्र, कचरा निस्तारण की व्यवस्था जल स्रोतों से दूर हो।
  4. पेयजल व पेयजल स्रोतों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता हो।
  5. भोजन व खान-पान में स्वच्छता, सामूहिक भोज के पश्चात् अवशेष का उचित निस्तारण हो।
  6. गन्दे पानी की निकासी का समुचित प्रबन्ध एवं जलशुद्धिकरण संयंत्र द्वारा पानी को पुनः उपयोग में लेना।
  7. मृत पशुओं का निस्तारण उचित तरीके से हो।
  8. जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में मृत जानवरों को ना डालें, ना ही मल विसर्जन करना चाहिए।
  9. तालाब, कुओं, बावड़ी जैसे जल स्रोतों की चार दीवारी बनानी चाहिए। इनमें पूजन सामग्री के अवशेष न डालें।
  10. ग्राम स्तर पर समिति बना कर जागरूकता पैदा करें। प्रत्येक ग्राम ‘खुले में शौच से मुक्त’ बने व प्रत्येक ग्राम में प्रत्येक घर शौचालय युक्त बने।

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस प्रदूषण से टी.बी. तथा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ होने लगी हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से।

प्रश्न 2.
पर्यावरण की रक्षा के लिये कौनसा अभियान चलाया जाये?
उत्तर:
वृक्षारोपण अभियान।

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण के कारण लिखिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के कारण –

  1. कारखानों से निकलता धुआँ
  2. वाहनों से निकलता धुआँ
  3. जनसंख्या वृद्धि से दूषित होता वातावरण
  4. वनों का विनाश
  5. एयर कंडीशन व रेफ्रिजरेटर का प्रयोग मृत जीवों व अपशिष्टों का ढंग से निस्तारण न होना।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण से बचाव के बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण से बचाव के बिन्दु –

  1. जनसंख्या पर नियंत्रण।
  2. सुव्यवस्थित शहरीकरण।
  3. कारखानों का निर्माण मानव बस्तियों से दूर हो।
  4. धुएँ की चिमनी कारखानों में पर्याप्त ऊँचाई पर हों।
  5. वृक्षारोपण में वृद्धि हो।
  6. अपशिष्ट पदार्थों व मृत जीवों का उचित निस्तारण हो
  7. अणुशक्ति का प्रयोग सीमित हो।
  8. शीतलता प्रदान करने वाले यन्त्रों का प्रयोग सीमित हो।
  9. सामुदायिक स्वच्छता पर ध्यान दिया जाये।
  10. सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो।

RBSE Class 9 Physical Education Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जल प्रदूषण के कारण तथा बचाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के कारण –

  1. वायुमण्डल में उपस्थित जहरीली गैसों से पेयजल स्रोतों का प्रदूषित होना।
  2. नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध करना।
  3. शहरी गंदे पानी का नदियों में मिलना।
  4. मृत जीवों व मानव का अंतिम संस्कार नदियों में बहाकर करना।
  5. पानी के बहाव क्षेत्र व आवक क्षेत्र में गंदगी फैलाना।
  6. कारखानों से गन्दे पानी का निकास।
  7. चीन पेयजल स्रोतों में कचरा डालना।
  8. खेतों में जहरीले रसायनों का प्रयोग।
  9. जलीय जीवों पर संकट
  10. वनों का विनाश

जल प्रदूषण से बचाव –

  1. पेयजल स्रोतों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता।
  2. शहरी गंदे नालों को नदियों से मिलने से रोका जाये।
  3. मृत जीवों व मृत मानव का वैज्ञानिक तरीके से अंतिम संस्कार व निस्तारण हो।
  4. जहरीले रसायन के कृषि में प्रयोग पर रोक लगे।
  5. जलीय जीवों को संरक्षण देना।
  6. वृक्षारोपण।
  7. पेयजल स्रोतों में कचरा न डालें।
  8. नदियों के प्राकृतिक बहाव को रोका नहीं जाये।
  9. खुले में शौच पर रोक लगे।
  10. शौचालयों का निर्माण।

प्रश्न 2.
ध्वनि प्रदूषण के कारण बताइये तथा इस प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के कारण –

  1. दौड़-भाग वाला जीवन व वाहनों की बढ़ती संख्या।
  2. कल-कारखानों का शोरगुल।
  3. ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का उपयोग।
  4. ईयर फोन का बढ़ता चलन।
  5. वाहनों के तेज हॉर्न से प्रदूषण होना।

ध्वनि प्रदूषण से बचाव –

  1. ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का प्रयोग कम करें।
  2. कारखानों से मानव आवास दूर हों।
  3. राजमार्गों व मुख्य मार्गों से मानव आवास दूर बनाये जायें।
  4. तेज हॉर्न पर प्रतिबन्ध हो।
  5. वाहनों का प्रयोग सीमित किया जाये।

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