RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम्

Rajasthan Board RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम्

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास प्रश्नोत्तराणि

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 वस्तुनिष्ठप्रश्नाः

प्रश्न 1.
प्रियंवदायाः स्कन्धे अस्ति
(क) स्यूतः
(ख) माला
(ग) पुस्तकम्
(घ) काष्ठम्
उत्तराणि:
(क) स्यूतः

प्रश्न 2.
प्रियंवदा संस्कृत सम्भाषणशिक्षणार्थं गच्छति
(क) मन्दिरम्
(ख) विद्यालयम्।
(ग) पुस्तकालयम्।
(घ) संस्कृतसम्भाषणशिविरम्
उत्तराणि:
(घ) संस्कृतसम्भाषणशिविरम्

प्रश्न 3.
वेदाः सन्ति
(क) पञ्च
(ख) षट्
(ग) चत्वारः
(घ) सप्त
उत्तराणि:
(ग) चत्वारः

प्रश्न 4.
महाभारतः रचना अस्ति|
(क) माघस्य
(ख) वेदव्यासस्य
(ग) भारवेः
(घ) अश्वघोषस्य
उत्तराणि:
(ख) वेदव्यासस्य

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

  1. ………………….. वाल्मीकेः रचना वर्तते।
  2. कुमारसम्भवम् रघुवंशम् चेति द्वे …………….. स्तः।
  3. काव्येषु ………………… रम्यम्।
  4. गद्यं कवीनां …………………. वदन्ति।
  5. संस्कृतभाषा ……………….. भाषा अस्ति।

उत्तरम्:

  1. रामाण्यम्
  2. महाकाव्ये
  3. नाटकं
  4. निकषं
  5. प्राचीनतमा

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
कतिवेदाः? के च ते?
उत्तरम्:
चत्वारः वेदाः। ते च ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदश्च सन्ति।

प्रश्न 2.
रामायणे कस्य वर्णनम् अस्ति?
उत्तरम्:
रामायणे मर्यादापुरुषोत्तमस्य श्रीरामस्य जीवनस्य काव्यमयं वर्णनम् अस्ति।

प्रश्न 3.
महाभारते कति पद्यानि सन्ति?
उत्तरम्:
हाभारते लक्षमेकं पद्यानि सन्ति।

प्रश्न 4.
बृहत्रयी इति नाम्ना प्रसिद्धानि महाकाव्यानि कानि?
उत्तरम्:
बृहत्रयी इति नाम्ना प्रसिद्धानि त्रीणि महाकाव्यानि सन्ति। भारविकवेः किरातार्जुनीयम्, माघस्य शिशुपालवधम् श्री हर्षस्य च नैषधीयचरितम्।

प्रश्न 5.
महाकविदण्डिनः रचना का वर्तते?
उत्तरम्:
महाकविदण्डिनः दशकुमारचरितम् रचना वर्तते।

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्नाः

1. वैदिकसाहित्यस्य संक्षिप्तपरिचयः प्रदेयः
उत्तरम्:
वैदिक साहित्ये ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदश्च एते चत्वारः वेदाः। तेषां चत्वारः उपवेदाः अपि सन्ति। शिक्षा-कल्प-व्याकरण-निरुक्त-छन्दो-ज्योतिषमिति षड् वेदांगानि सन्ति। ब्राह्मण-आरण्यक-उपनिषदः च वैदिक साहित्यस्य अनुपम् रत्नानि सन्ति।

2. संस्कृत नाटकानां विषये संक्षिप्त टिप्पणी लेखनीया।
उत्तरम्:
संस्कृत साहित्ये नाटकानाम् अपि समृद्धपरम्परा अस्ति। सर्वप्रथमं महाकावेः भासस्य त्रयोदशनाटकानि उपलभ्यन्ते। तेषु प्रतिमानाटकम् प्रतिज्ञायोगन्धरायणं, स्वप्नवासवदत्तम्, पञ्चरात्रम् इत्यादीनि मुख्यानि सन्ति। महाकवि कालिदासस्य अभिज्ञानशाकुन्तलम् मालविकाग्निमित्रम् विक्रमोर्वशीयम् चेति नाटकत्रयम् अभिज्ञानशाकुन्तलम् तु सर्वोत्कृष्टं नाटकम् उच्यते काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला। भवभूतेः उत्तररामचरितम् शूद्रकस्य मृच्छकटिकम् विशाखदत्तस्य, मुद्राराक्षसम् भट्टनारायणस्य वेणीसंहारम् इति प्रसिद्धानि नाटकानि सन्ति।

3. संस्कृतसाहित्यस्य गद्यपरम्परां संक्षिप्ततया लिखत।
उत्तरम्:
संस्कृतगद्यप्रबन्धेषु महाकविदण्डिनः दशकुमारचरितम्, सुबन्धोः वासवदत्ता, बाणभट्टस्य कादम्बरी हर्षचरितम् च धनपालस्य तिलकमञ्जरी, पं० अम्बिकादत्तव्यासस्य शिवराजविजयम् इत्यादयः प्रसिद्धाः गद्यप्रबन्धाः सन्ति। कथासाहित्ये च विष्णुशर्मणः पञ्चतन्त्रम् पं० नारायणस्य च हितोपदेशः प्रसिद्धौ स्तः।

4. संस्कृत महाकाव्य परम्परां संक्षेपेण लिखत।
उत्तरम्:
महाकाव्यपरम्परायां महाकवेः कालिदासस्य कुमारसम्भवम्, रघुवंशं चेति द्वे महाकाव्ये स्तः। संस्कृत साहित्ये वृहत्रयी इति नाम्ना प्रसिद्धानि त्रीणि महाकाव्यानि सन्ति। तत्र भारविकवेः किरातार्जुनीयम् माघस्य शिशुपालवधम् श्रीहर्षस्य च नैषधीयचरितम् सन्ति। अश्वघोषस्य, बुद्धचरितम् अपि अस्ति। अन्यानि अपि बहूनि महाकाव्यानि रचितानि सन्ति इदानीमपि च रच्यन्ते।

1. अधोलिखित पदेषु धातु-लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 1

2. अधोलिखित पदेषु शब्द-विभक्ति वचनानां निर्देशं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 2

3. अधोलिखित पदेषु प्रत्ययस्य निर्देशनं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 3

4. अधोलिखित पदानां समासविग्रहं कृत्वा समासस्य नामनिर्देशनं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 4

5. अधोलिखित क्रियापदेषु लकार परिवर्तनं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 5

6. अधोलिखितपदेषु वचनपरिवर्तनं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 6

7. अधोलिखित शब्दानाम् आधारेण वाक्यनिर्माणम् कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 7

8. अधोलिखित क्रियापदेषु उपसर्ग निर्देशम् कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 8

9. अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कुरुत –
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 संस्कृतगौरवम् 9

10. अधोलिखितानाम् उत्तराणामाधारेण प्रश्ननिर्माणं कुरुत –

  1. अहं जनान् सरलरीत्या संस्कृतं पाठयामि
  2. षड् वेदाङ्गानि सन्ति।
  3. रामायणम् महाकाव्यम् आदिकाव्यं कथ्यते।
  4. अभिज्ञानशाकुन्तलं सर्वोकृष्ट नाटकमुच्यते।
  5. संस्कृतगौरवम् ज्ञातुं संस्कृतपठनम् आवश्यकं अस्ति।

उत्तरम्:

  1. अहं जनान् कथं संस्कृत पाठयामि?
  2. कति वेदाङ्गानि सन्ति?
  3. किं महाकाव्यम् आदिकाव्यम्?
  4. किम् नाटकं सर्वोत्कृष्टम् उच्यते?
  5. संस्कृत गौरवं ज्ञातुं किम् आवश्यकम्?

RBSE Class 9 Sanskrit सरसा Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

अधोलिखित प्रश्नान् संस्कृत भाषया पूर्णवाक्येन उत्तरत।

प्रश्न 1.
प्रियंवदायाः स्कन्धे किम् आसीतू?
उत्तरम्:
प्रियवंदायाः स्कन्धे स्यूतम् आसीत्।

प्रश्न 2.
प्रियंवदा संस्कृतभाषां किं कर्तुमिच्छति?
उत्तरम्:
प्रियंवदा संस्कृतभाषां जनभाषां कर्तुम् इच्छति।

प्रश्न 3.
का भाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा?
उत्तरम्:
संस्कृतभाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा।

प्रश्न 4.
वेदाः कति सन्ति?
उत्तरम्:
वेदाः चत्वारः सन्ति।

प्रश्न 5.
चतुर्णावेदानां नामानि लिखत।
उत्तरम्:
ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदश्च इति चत्वारः वेदाः सन्ति।

प्रश्न 6.
वेदाङ्गानि कति भवन्ति?
उत्तरम्:
षड् वेदाङ्गानि भवन्ति।

प्रश्न 7.
रामायणं महाकाव्यं कति काण्डेषु विभक्तमस्ति?
उत्तरम्:
रामायणं महाकाव्यं सप्तकाण्डेषु विभक्तमस्ति।

प्रश्न 8.
महाभारतम् केन रचितम्?
उत्तरम्:
महाभारत वेदव्यासेन रचितम्।

प्रश्न 9.
महाभारते कति पद्यानि सन्ति?
उत्तरम्:
महाभारते शतसहस्रं (लक्षमेकं) पद्यानि सन्ति।

प्रश्न 10.
महाभारते केषां युद्धं वर्णितम्?
उत्तरम्:
महाभारते कौरव पाण्डवयोः युद्धं वर्णितमस्ति।

स्थूलपदमाधृत्य प्रश्नान् संस्कृत भाषया पूर्णवाक्येन उत्तरत –

प्रश्न 1.
गीता भगवता श्रीकृष्णेन गीता।
उत्तरम्:
गीता के गीता?

प्रश्न 2.
महाकविमाघेन शिशुपालवधम् महाकाव्यं लिखितम्।
उत्तरम्:
महाकविमोघेन किन्नाम महाकाव्यं लिखितम्?

प्रश्न 3.
रघुवंशम् महाकाव्यं महाकवेः कालिदासस्य रचना वर्तते।
उत्तरम्:
रघुवंशमहाकाव्यं कस्य रचना वर्तते?

प्रश्न 4.
अश्वघोषस्य बुद्धचरितम् महाकाव्यं वर्तते।
उत्तरम्:
अश्वघोषस्य किन्नाम महाकाव्यं वर्तते?

प्रश्न 5.
काव्येषु नाटकं रम्यम्।
उत्तरम्:
काव्येषु किं रम्यम्?

पाठ परिचय

इस पाठ में संस्कृत साहित्य के इतिहास का परिचय दिया गया है। यहाँ राघव और प्रियंवदा के संवाद के माध्यम से गौरवपूर्ण संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त रूप में परिचय प्रस्तुत है। यद्यपि संस्कृत साहित्य का इतिहास अत्यन्त विस्तृत है फिर भी यहाँ वैदिक साहित्य काल से लोक साहित्य पर्यन्त विवरण संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है।

शब्दार्थ एवं हिन्दी – अनुवाद

1. राघवः – अयि भगिनि! ………………………….. निबद्धमस्ति ।

शब्दार्थ – अयि भगिनि = अरी बहन। स्कन्धे = कन्धे पर। स्यूतम् = थैले को। निधाय = रखकर। हस्ते = हाथ में। धृत्वा = लेकर। तत्र = वहाँ। भवती = तुम। किम् करोति = क्या करती हो। पाठयामि = पढ़ाती हूँ। जनाः = लोग। सोत्साहम् = उत्साह के साथ। तादृशम्= तथा। शृणु भ्रातः = सुनो भाई। सकलमपि = हमारा सारा। निबद्धमस्ति = लिखा हुआ है।

हिन्दी-अनुवाद –
राघव – बहन प्रियंवदा, कंधे पर थैला रखकर, हाथ में ‘वदतु संस्कृतम्’ पुस्तक लेकर कहाँ जा रही हो?
प्रियंवदा – भैया, मैं देववाणी संस्कृत को लोकवाणी बनाने के लिए और देववाणी संस्कृत को पुनः स्थापित करने के लिए संस्कृत-सम्भाषण अध्यापन हेतु सुरभारती संस्कृत – संभाषणशिविर को जा रही हूँ।
राघव – वहाँ तुम क्या करती हो?
प्रियंवदा – मैं वहाँ सरलता से संवादविधि द्वारा देववाणी संस्कृत को पढ़ाती हूँ।
राघव – वर्तमान काल में भी मनुष्य उत्साह के साथ संस्कृत का अध्ययन करते हैं, यह प्रसन्नता का विषय है। परन्तु संस्कृत में ऐसी क्या विशेषता है? प्रियंवदा – सुनो भैया, देववाणी (संस्कृत) सभी विश्वभाषाओं में सबसे पुरानी भाषा है। हमारा सम्पूर्ण पुराना साहित्य, वैदिकसाहित्य और लौकिकसाहित्य संस्कृत में ही रचा हुआ है।

2. राघवः – वैदिक साहित्ये ………………………….. वर्णनं अस्ति।

शब्दार्थ – क्रमशस्तेषामुपवेदाः सन्ति = क्रमशः उनके उपवेद हैं। शिक्षा कल्प = शिक्षा आदि ये छः वेदाङ्ग हैं। अनुपम = अनुपम। अति विपुलम् = बहुत विशाल, विस्तृत, बड़ा। ज्ञानमयम च = और ज्ञान से परिपूर्ण। विद्यते = है। आदिकाव्यं कथ्यते = पहला काव्य कहलाता है। अस्य = इसका। आदिकवि = पहला कवि।

हिन्दी – अनुवाद – राघव – वैदिक साहित्य क्या है? प्रियंवदा – वैदिकसाहित्य में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, ये चार वेद लिए जाते हैं। ऋग्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद और अथर्ववेद ये चार क्रमश: उनके उपवेद हैं। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्दशास्र, ज्येतिषशास्त्र ये वेदाङ्ग हैं। ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् वैदिक साहित्य के अनुपम रत्न हैं। राघव – अरे, अत्यन्त विशाल और विविधज्ञान से युक्त है। वैदिकसाहित्य। प्रियंवदा – लौकिक संस्कृत साहित्य में रामायण महाकाव्य आदिकाव्य कहलाता है। इसके रचयिता आदिकवि महर्षि वाल्मीकि हैं। रामायण में सात काण्डों में चौबीस हजार श्लोकों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन का काव्यमय वर्णन है।

3. अहं दूरदर्शने ………………………….. अंशभूता विद्यते।

शब्दार्थ – वेदव्यास विरचितम् = कृष्णद्वैपायन वेदव्यास द्वारा रचित। अस्य प्रसिद्धिः = इसकी ख्याति। अस्ति = है। शतसहस्त्र = एक लाख। अत्र = यहाँ। विशदं = विस्तारपूर्वक। उपलभ्यते = प्राप्त होते हैं। अस्यैव = इसी की।

हिन्दी-अनुवाद –
राघवे – मैंने दूरदर्शन पर महाभारत देखा। वह क्या हैं?
प्रियंवदा – महाभारत, वेदव्यास द्वारा रचा गया संस्कृत महाकाव्य है। इसकी ख्याति ‘महाभारत पाँचवाँ वेद है इस प्रकार पंचम वेद के रूप में भी है। इस महाकाव्य में सौ हजार (100000) श्लोक हैं। यहाँ (इसमें) केवल कौरव-पांडवों का युद्ध वर्णन ही नहीं है अपितु अनेक आख्यानों और उपाख्यानों आदि के माध्यम से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष (इन चार) पुरुषार्थों का विस्तृत वर्णन भी उपलब्ध होता है। भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा गाई (उपदिष्ट) हुई विश्वविख्यात श्रीमद् भगवद् गीता इसी (महाभारत) का अंश है।

4. राघवः – संस्कृते तु ………………………….. इदानीमपि च रच्यन्ते।।

शब्दार्थ – अतिविस्तृता = बहुत विस्तृत है। स्यात् = होनी चाहिए। आम् = हाँ। अस्यामेव= इसी में। वृहत्रयी = तीन विशाल महाकाव्यों का समूह। इतिनाम्ना = इस नाम से। अन्यानि= अपराणि/रचितानि। इदानीमपि च = और उनकी। रच्यन्ते = रचे जा रहे हैं।

हिन्दी – अनुवाद – – राघव – संस्कृत में तो महाकाव्यों की परम्परा अत्यन्त विस्तृत होगी? प्रियंवदा – हाँ। इसी महाकाव्य परम्परा में महाकवि कालिदास के कुमारसम्भव व रघुवंश, ये दो महाकाव्य हैं। संस्कृत साहित्य में वृहत्रयी इस नाम से प्रसिद्ध तीन महाकाव्य हैं। (उनमें) भारवि कवि का किरातार्जुनीयम्, माघ्र का शिशुपाल वध और श्रीहर्ष का नैषधीय चरितम् है। अश्वघोष का बुद्धचरित्र भी है। दूसरे भी बहुत से महाकाव्य रचे गये हैं, और अब भी रचे जा रहे हैं।

5. राघवः – काव्येषु ………………………….. नाटकानि सन्ति।

शब्दार्थ – काव्येषु = काव्यों में। नाटकं रम्यं = रूपक रमणीय होता है। इति श्रूयते = ऐसा सुना जाता है। समृद्धा= सम्पन्न, बड़ी उपलभ्यन्ते = प्राप्त हुए हैं। तेषु = उनमें। प्रतिनिधिकवेः = प्रमुख कवि का। नाटकंत्रयम् = अभिज्ञानशाकुन्तलं, मालविकाग्निमित्रम और विक्रमोर्वशीयम् तीन नाटक। नाटकमुच्यते = नाटक कहलाता है। रम्या शकुन्तला = अभिज्ञानशाकुन्तल नाम का नाटक रमणीय है।

हिन्दी-अनुवाद –
राघव – काव्यों में नाटक रमणीय होता है, ऐसा सुना जाता है। संस्कृत में कौन – कौन से प्रसिद्ध नाटक हैं।
प्रियंवदा – संस्कृत साहित्य के नाटकों की समृद्ध परम्परा है। सबसे पहले महाकवि भास के तेरह नाटक प्राप्त हुए हैं। उनमें प्रतिमा नाटक प्रतिज्ञा यौगन्धरायण नाटक, स्वप्नवासवदत्तं, पंचरात्रं आदि प्रमुख हैं। भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि कवि कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तल, मालविकाग्निमित्र और विक्रमोर्वशीय, तीन नाटक हैं। अभिज्ञान शाकुन्तल तो सर्वश्रेष्ठ नाटक कहलाता है काव्यों में नाटक रमणीय (विधा) है, वहाँ (नाटकों में भी) शकुन्तला रमणीय है। भवभूति का उत्तर रामचरित, शूद्रक का मृच्छकटिक, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस भट्टनारायण का वेणीसंहार ये प्रसिद्ध नाटक हैं।

6. राघवः – संस्कृतसाहित्ये ………………………….. जयतु भारतम्।

शब्दार्थः – गद्यप्रबन्धानाम् = गद्य प्रबन्धों के। गौरवविषये = गौरव के। अहं ज्ञातुमिच्छामि = मैं जानना चाहता हूँ। पद्यरचनेव = कविता लिखने की तरह। सरला न भवन्ति = आसान नहीं होती है। अतएव गद्यं कवीनां = इसलिए गद्य विधा के साहित्यकारों की। निकषः = कसौटी। वदन्ति = कहते हैं। अहो! महती खलु = आश्चर्य। आम्= हाँ। एतत् तु मया = यह तो मैंने। निदर्शनरूपेण = उदाहरणस्वरूप। एवं = ही। याम् ज्ञातुम्= जिसको जानना। नूनम्= निश्चित/अवश्य ही। अहमपि भवत्या सह = मैं भी तुम्हारे साथ।

हिन्दी – अनुवाद –
राघव – संस्कृत साहित्य में गद्य के ग्रन्थों के गौरव के विषय में मैं जानना चाहता हूँ।
प्रियंवदा – गद्य की रचना पद्य रचना की तरह सरल नहीं होती। इसलिए गद्य कवियों की कसौटी है, ऐसा कहा जाता है। गद्य ग्रन्थों में महाकवि दण्डी का दशकुमारचरित, सुबन्धु का वासवदत्ता, बाणभट्ट की कादम्बरी और हर्षचरित, धनपाल की तिलकमञ्जरी, पं० अम्बिकादत्त व्यास की। शिवराज विजय इत्यादि प्रसिद्ध गद्य ग्रन्थ हैं और कहानी साहित्य में विष्णु शर्मा को पञ्चतन्त्र और पं० नारायण का हितोपदेश प्रसिद्ध है।
राघव – अरे! निश्चित ही संस्कृत साहित्य की परम्परा बहुत बड़ी है।
प्रियंवदा – हाँ, यह तो मैंने संक्षेप में उदाहरणस्वरूप ही संस्कृत के गौरव का वर्णन किया है। वास्तव में तो संस्कृत साहित्य की एक बहुत लम्बी और वैभवशाली श्रृंखला (परम्परा) है, जिसको जानने और समझने के लिए संस्कृत पढ़ना आवश्यक है।
राघव – निश्चित ही संस्कृत की गरिमा को जानने के लिए संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है। मैं भी आपके साथ संस्कृत पढ़ने के लिए संस्कृत संभाषण शिविर में चलता हूँ। प्रियंवदा – आओ भैया! तुम्हारा स्वागत है। संस्कृत पढ़। संस्कृत बोल।
राघव – पढ़ संस्कृत। बोल संस्कृत। भारत की जय हो।

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