RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग

RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग are part of RBSE Solutions for Class 9 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Science
Chapter Chapter 12
Chapter Name आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग
Number of Questions Solved 82
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
जिन पिण्डों में अपना स्वयं का प्रकाश एवं ऊष्मा होती है उन्हें किस नाम से जानते हैं ?
(अ) तारे
(ब) ग्रह
(स) उपग्रह
(द) उल्काएँ।
उत्तर:
(अ) तारे

प्रश्न 2.
सौर मण्डल में चन्द्रमा को किस श्रेणी में रखा गया हैं ?
(अ) तारा
(ब) ग्रह
(स) उपग्रह
(द) क्षुद्रग्रह
उत्तर:
(स) उपग्रह

प्रश्न 3.
भारतीय पंचांगानुसार नक्षत्रों की संख्या कितनी
(अ) 15
(ब) 27
(स) 12
(द) 7
उत्तर:
(ब) 27

प्रश्न 4.
भारतीय पंचांगानुसार राशियों की संख्या कितनी है ?
(अ) 15
(ब) 27
(स) 12
(द) 7
उत्तर:
(स) 12

प्रश्न 5.
हमारे सौर मण्डल का सबसे बड़ा पिण्ड कौन-सा है ?
(अ) बृहस्पति
(ब) सूर्य
(स) पृथ्वी
(द) शनि।
उत्तर:
(ब) सूर्य

प्रश्न 6.
हमारे सौर मण्डल का सबसे बड़ा ग्रह कौन सा है?
(अ) बृहस्पति
(ब) शनि
(स) अरुण
(द) वरुण
उत्तर:
(अ) बृहस्पति

प्रश्न 7.
अधिक मास कितने वर्ष के अन्तराल के बाद आता है ?
(अ) 1 वर्ष बाद
(ब) 2 वर्ष बाद
(स) 3 वर्ष बाद
(द) 4 वर्ष बाद
उत्तर:
(ब) 2 वर्ष बाद

प्रश्न 8.
दक्षिणायन के प्रारम्भ में सूर्य की स्थिति किस राशि पर होती है?
(अ) कर्क
(ब) सिंह
(स) मकर
(द) कुम्भ।
उत्तर:
(अ) कर्क

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अंकगणित पर आधारित पुस्तक लीलावती के लेखक कौन थे ?
उत्तर:
भास्कराचार्य

प्रश्न 2.
प्रथम भारतीय उपग्रह का नाम किस भारतीय वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है ?
उत्तर:
आर्यभट्ट।

प्रश्न 3.
शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के बाद कौन-सी तिथि आती है ?
उत्तर:
पूर्णिमा।

प्रश्न 4.
यदि पूर्णिमा को चन्द्रमा मृगशिरा नक्षत्र पर है तो उस चन्द्रमास का क्या नाम होगा ?
उत्तर:
मार्गशीर्ष।

प्रश्न 5.
कौन-से ग्रह का कक्षीय काल सबसे कम है?
उत्तर:
बुध। बुध ग्रह का कक्षीय काल 88 दिन है।

प्रश्न 6.
सूर्य से दूरी के आधार पर ग्रों को क्रम से लिखिए।
उत्तर:

  • बुध,
  • शुक्र,
  • पृथ्वी,
  • मंगल,
  • बृहस्पति,
  • शनि,
  • अरुण,
  • वरुण।

प्रश्न 7.
स्थलीय ग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के अतिरिक्त किस ग्रह पर जीवन की सम्भावना खोजी जा रही है ?
उत्तर:
मंगल।

प्रश्न 9. भारतीय पंचांगानुसार छाया ग्रह की श्रेणी में कौन-से ग्रह आते हैं?
उत्तर:
राहु और केतु

प्रश्न 10.
दो ग्रह A और B सूर्य से क्रमशः X और Y दूरी पर हैं यदि Y का मान X से अधिक है तो कौन से ग्रह का परिभ्रमण काल अधिक होगा ?
उत्तर:
B का।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी से दूरी के आधार पर ग्रहों को क्रम से लिखिए।
उत्तर:

  • शुक्र,
  • मंगल,
  • बुध,
  • बृहस्पति,
  • शनि,
  • अरुण,
  • वरुण।

प्रश्न 2.
भारतीय पंचांग के पाँच प्रमुख अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • तिथि
  • वार
  • नक्षत्र
  • योग
  • करण।

प्रश्न 3.
नक्षत्र से क्या अभिप्राय है ? इन्हें कितने भागों में बाँटा गया है ? किन्हीं पाँच नक्षत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नक्षत्र-चन्द्रमा लगभग 27 दिनों में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। चन्द्रमा के पथ में पड़ने वाले तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। नक्षत्रों को 27 भार्गों में बाँटा गया है।
पाँच नक्षत्रों के नाम

  • अश्विनी
  • पुष्य
  • चित्रा
  • मूल
  • रेवती।

प्रश्न 4.
भारतीय पंचांगानुसार तिथि का निर्धारण किस प्रकार होता है ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
अमावस्या के अन्त पर सूर्य, चन्द्र दोनों एक समान राशि पर रहते हैं, शीघ्र गतिमान चन्द्रमा जय सूर्य से क्रमिक 12 अंशों का अन्तर सिद्ध करता है तो उस कालांश अंतरांश को प्रतिपदा तिथि कहते हैं। इस प्रकार शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष को 15-15 तिथियाँ होती हैं।

प्रश्न 5.
ग्रहों के नाम उनके आकार के क्रम में लिखिए।
उत्तर:
ग्रहों के नाम उनके बढ़ते आकार के क्रम में-बुधमंगल-शुक्र-पृथ्वी-वरुण-अरुण-शनि -बृहस्पति।।

प्रश्न 6.
उत्तरायण-दक्षिणायण से क्या अभिप्राय है? समझाइए।
उत्तर:
उत्तरायण-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। इसे पृथ्वी का क्रांतिवृत्त कहते हैं। यदि पृथ्वी के क्रांतिवृत्त को दो भागों में बाँटें तो सूर्य की स्थिति 6 मास पर्यन्त तक प्रतिदिन पूर्व-उत्तर-पश्चिम रहती हैं, इसे उत्तरायण कहते हैं। उत्तरायण काल में पृथ्वी की ऐसी स्थिति होती है जिस कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर अधिक समय तक रहता है। अतः उत्तरायण के दिन बड़े व रात्रि छोटी होती है। दक्षिणायण-उत्तरायण के बाद 6 मास सूर्य की स्थिति प्रतिदिन पूर्व-दक्षिण-पश्चिम की होती है, इसे दक्षिणायण कहते हैं। दक्षिणायण कर्क संक्रांति से प्रारम्भ होता है। इसमें दिन छोटे एवं रात्रि बड़ी होती हैं।

प्रश्न 7.
पृथ्वी की विभिन्न गतियों के बारे में समझाइए ?
उत्तर:
पृथ्वी लगभग एक वर्ष में सूर्य का चक्कर लगाती है, अतः सूर्य प्रत्येक राशि पर एक माह रहता है। पृथ्वी जब एक राशि से दूसरी राशि पर जाती है तो इसे संक्रान्ति कहते हैं। पृथ्वी जब सूर्य के चारों ओर घूमती है तो इसे पृथ्वी का क्रांतिवृत्त कहते हैं। इसी स्थिति में उत्तरायण व दक्षिणायण की स्थिति आती है। पृथ्वी अपनी धुरी पर भी घूर्णन करती है। जिसके कारण दिन व रात होते हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय पंचांगानुसार राशि का सम्बन्ध किसकी गति से है ? राशियों का निर्धारण किस प्रकार किया गया है?
उत्तर:
राशि का सम्बन्ध पृथ्वी-भ्रमण से है। पृथ्वी के क्रान्ति पथ को 12 विभागों में बाँटा गया है। प्रत्येक विभाग 
रतीय पंचांगानुसार इन राशियों के नाम व आकृति आकाश में विद्यमान नक्षत्रों की आकृति विशेष के आधार पर रखे गये हैं। राशि चक्र के विभाग नक्षत्र चक्र के विभागों से बड़े होते हैं। अत: किसी राशि में 2 या 3 नक्षत्र तक हो सकते हैं। एक नक्षत्र को 4 (चार) चरणों में बाँटा गया है। अतः एक राशि में नौ चरण आते हैं। चूंकि पृथ्वी लगभग एक वर्ष में सूर्य का चक्कर लगाती है, इसलिए सूर्य प्रत्येक राशि पर एक माह रहता है। इन राशियों की स्थितियों को 12 सौर मास कहते हैं।

प्रश्न 9.
मकर संक्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी जब एक राशि से दूसरी राशि पर जाती है तो इसे संक्रान्ति कहते हैं। इसे सूर्य की संक्रान्ति भी कहते हैं। जब सूर्य मकर राशि पर संक्रमण करता है तब उसे मकर संक्रान्ति कहते हैं।

प्रश्न 10.
अधिक मास से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
चन्द्र वर्ष और सौर वर्ष की अवधि में अन्तर होता हैं। क्योंकि चन्द्रमा और पृथ्वी की गतियों में भी अन्तर हैं सौर एवं चन्द्र मास में सामंजस्य रखने के लिए प्रत्येक तीसरे वर्ष में एक चन्द्र मास की वृद्धि मानी जाती है, जिसे अधिक मास कहते हैं।

प्रश्न 11.
बुध पारगमण को समझाइए तथा इसकी तुलना शुक्र पारगमण से कीजिए।
उत्तर:
बुध जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य में आता है तो पृथ्वी से ऐसे दिखता है मानों सूर्य के चेहरे पर एक काला तिल हो इस खगोलीय घटना को बुध पारगमण कहते हैं। 
शुक्र पारगमण तब होता है जब शुक्र ग्रह सीधे सूर्य और पृथ्वी | के बीच आ जाता है। पारगमण के दौरान शुक्र सूर्य के चेहरे पर एक काले तिल जैसा दृष्टिगोचर होता है तथा आर-पार खिसकता हुआ दिखाई देता है। बुध पारगमण की घटना शुक्र पारगमण से कम समय तक होती है क्योंकि बुध सूर्य के अधिक नजदीक है।

प्रश्न 12.
भारतीय पंचांगानुसार चन्द्र मासों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • चैत्र
  • वैशाख
  • ज्येष्ठ
  • आषाढ़
  • श्रावण
  • भाद्रपद
  • आश्विन
  • कार्तिक
  • मार्गशीर्ष
  • पौष
  • माघ
  • फाल्गुन

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्यभट्ट की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए इनके प्रमुख वैज्ञानिक कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आर्यभट्ट का जन्म संवत 476 में हुआ था। इन्होंने नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और मेधावी होने से इसी विश्वविद्यालय के शिक्षक भी रहे थे। इन्होंने आर्यभट्टीय नामक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रंथ लिखा, जिसमें वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणे का वर्णन है। आर्यभट्टीय गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है जिसे भारतीय गणितीय साहित्य में बड़े पैमाने पर उद्धृत किया गया है। आर्यभट्टीय के गणितीय भाग में अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल हैं।

आर्य-सिद्धान्त खगोलीय गणनाओं पर आधारित कार्य था, जो अब लुप्त हो चुका है। आर्यभट्ट के कार्यों का प्रत्यक्ष विवरण सिर्फ आर्यभट्टीय ग्रंथ से ही ज्ञात होता है। समूचे ग्रंथ में 108 छंद हैं और परिचय के रूप में 13 अतिरिक्त छंद हैं। इसे 4 अध्यायों में विभाजित किया गया है।

  1. गीतिकपाद (13 छंद)-में समय की बड़ी इकाइयाँ कल्प, मनवत्तर, युग आदि का वर्णन है।
  2. गणितपाद (33 छंद) में क्षेत्रमिति और सरल, द्विघात, युगपत और अनिश्चित समीकरणों का समावेश है।
  3. काल क्रियापद (25 छंद) में समय की विभिन्न इकाइयाँ और किसी दिन के लिए ग्रहों की स्थिति का निर्धारण करने की विधि, अधिक मास की गणना, क्षय तिथियाँ, सप्ताह के दिनों के नामों के साथ सात दिन का सप्ताह प्रस्तुत किया गया है।
  4. गोलपाद (50 छंद) में आकाशीय क्षेत्र के ज्यामितीय, त्रिकोणमितीय पहलु, क्रांतिवृत्र, पृथ्वी के आकार, दिन और रात के कारण आदि सम्मिलित हैं।

आर्यभट्ट का योगदान- आर्यभट्ट द्वारा प्रतिपादित महत्वपूर्ण खोजें निम्न प्रकार हैं

  1. TE (पाई) के मान को शुद्ध रूप में निरूपित किया।
  2. पृथ्वी स्वयं भी अपनी धुरी पर घूमती है।
  3. वृत्त की परिधि और व्यास में सम्बन्ध।
  4. त्रिभुज का क्षेत्रफल।
  5. सौरमण्डल के भूकेन्द्रीय मॉडल की परिकल्पना कर सूर्य-चन्द्र ग्रहण की सही व्याख्या कर विभिन्न गणनाएँ दीं।
  6. पृथ्वी का आवर्तकाल एवं वर्ष की अवधि 365 दिन 6 घंटे 12 मिनट 30 सेकण्ड दी गई जिसमें आधुनिक विज्ञान के मान से 3 मिनट 20 सेकण्ड की त्रुटि रहीं।
  7. पृथ्वी की परिधि की गणना की जो वास्तविक मान से केवल 0.2% कम थी।
  8. आर्यभट्ट पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने sine (ज्या) तालिकाओं को 0° से 90° तक निर्मित किया।
  9. आर्यभट्ट ने तिथि गणना पंचांग के बारे में विस्तृत रूप से क्ताया।

प्रश्न 2.
भास्कराचार्य की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए इनके प्रमुख वैज्ञानिक कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भास्कराचार्य का जन्म 114 ई. में बीजापुर, कर्नाटक में हुआ था। ये बारहवीं सदी के भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ हुए। इन्होंने दशमलव प्रणाली की खोज की। भास्कराचार्य ने पुस्तक सिद्धान्त शिरोमणि की संस्कृत भाषा में रचना की जिसके चार भाग हैं: लीलावती, बीजगणिताध्याय, ग्रहगणिताध्याय और गोलाध्याय जिसमें क्रमश: अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गणित एवं गोले के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण है। भास्कराचार्य ने ही न्यूटन से पहले अपने ग्रंथ में लिखा था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से 
अपनी ओर खींचती हैं।

इनकी एक रचना ‘करण कौतुहल’ है जिसमें खगोलविज्ञान की गणना है। करण कौतुहल को पंचांग बनाते समय अवश्य देखा जाता है। ‘सूर्य सिद्धान्त’ में भास्कराचार्य ने बताया कि पृथ्वी गोल है और सूर्य के चारों ओर एक निर्धारित मार्ग पर परिक्रमा करती रहती है। भास्कराचार्य पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने बताया कि शून्य से किसी संख्या को विभक्त करने पर अनन्त प्राप्त होता है। भास्कराचार्य ने प्रमाण प्रस्तुत करके यह बताया कि ‘निश्चय ही पृथ्वी बिना आधार के हैं, लेकिन उसके चारों ओर जो ग्रह-नक्षत्र आदि हैं. वे अपने गुरुत्वाकर्षण से एकदूसरे को अपनी ओर खींचकर आपसी सन्तुलन बनाए हुए हैं, हमारी पृथ्वी ऐसी ही रहेगी और कभी भी नहीं पॅसेंगी।

प्रश्न 3.
भारतीय मासों के नामकरण का क्या आधार हैं? भारतीय मासों के नाम लिखकर उस समय बनने वाली आकाशीय स्थिति को विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
जिस प्रकार 12 सौर मास सूर्य गति से सम्बद्ध हैं उसी प्रकार चन्द्रमा की गति से चन्द्रमास का सम्बन्ध है। चन्द्रमास भी 12 होते हैं, चन्द्रमासों का नामकरण चन्द्रमा के क्रान्तिपथ में पड़ने वाले नक्षत्रों एवं राशियों के आधार पर हुआ है। अमावस्या के पश्चात् चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन क्रमश: बढ़ता हुआ पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र में पूर्णता प्राप्त करता है, तब यह मास चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र कहा जाता है। इसे इस प्रकार भी समझ 
सकते हैं कि पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर रहता है उस महीने का नाम उस नक्षत्र के अनुसार होगा। जैसे कार्तिक की पूर्णिमा को चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र पर रहेगा। नीचे सारणी में मासों के बारे में बताया है–
RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग 1

प्रश्न 4.
हमारे सौर मण्डल के बारे में विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
सौरमण्डल-सूर्य के चारों और अण्डाकार मार्ग में परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिण्डों से मिलकर सौर परिवार बना है। सौरमण्डल से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य निम्न हैं

  1. सौर परिवार में ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, उल्कायें, उल्कापिण्ड एवं धूल के कण सूर्य के चारों ओर कक्षीय गति करते हैं।
  2. सूर्य के गुरूत्वीय आकर्षण के कारण इन ग्रहों की गति नियन्त्रित होती है।
  3. सूर्य की परिक्रमा करने वाले पिण्ड, ग्रह तथा ग्रहों की परिक्रमा करने वाले पिण्ड उपग्रह कहलाते हैं। ये सभी ग्रह एवं उपग्रह हमारे सौर परिवार के सदस्य हैं।
  4. एक ग्रह स्वयं से प्रकाश का उत्सर्जन नहीं करता है।
  5. एक ग्रह रात्रि में टिमटिमाता नहीं हैं।
  6. ग्रहों का आकार सूर्य या तारे की तुलना में बहुत कम होता है।
  7. ग्रहों को आपेक्षिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बदलती रहती हैं।
  8. सूर्य हमारे सौरमण्डल का सबसे बड़ा पिण्ड है जिसमें सौर मण्डल का 99 प्रतिशत से भी ज्यादा द्रव्यमान निहित है और यह पृथ्वी से लगभग
  9. लाख गुना बड़ा है।
  10. सूर्य की ऊर्जा मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का विशाल गोला है।
  11. सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है पृथ्वी पर वर्षा होना, ऋतु परिवर्तन का कारण सूर्य हैं। पेड़-पौधे एवं समस्त जीवों के जीवन चक्र पर इस सौर ऊर्जा का प्रभाव हैं।
  12. सौर मण्डल के आठ ग्रहों में प्रथम चार बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल को स्थलीय ग्रह कहा जाता है। शेष चार – बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण विशाल गैस से बने भारी ग्रह हैं।
  13. बौने ग्रह-यम, एरीज, सीरीज आदि हैं।
  14. लघु सौरमण्डलीय पिण्डों में 166 ज्ञात उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिण्ड जिसमें क्षुद्रग्रह पट्टी, धूमकेतु, उल्कायें ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
चन्द्रमा के क्रान्तिपथ को कितने भागों में विभाजित किया गया है ?
(अ) 7
(ब) 12
(स) 365
(द) 27
उत्तर:
(द) 27

प्रश्न 2.
भरणी नक्षत्र की पहचान क्या है ?
(अ) घोड़ा
(ब) त्रिकोण
(स) गाड़ी
(द) धनुष
उत्तर:
(ब) त्रिकोण

प्रश्न 3.
‘निक्स ओलंपिया’ पर्वत किस ग्रह पर हैं ?
(अ) मंगल
(ब) बुध
(स) शुक्र
(द) शनि।
उत्तर:
(अ) मंगल

प्रश्न 4.
भारत ने किस तारीख को मंगल ग्रह की कक्षा में अपने अन्तरिक्ष यान को प्रवेश कराने में सफलता प्राप्त की ?
(अ) 21 सितम्बर 2012
(ब) 24 सितम्बर 2014
(स) 24 सितम्बर 2011
(द) 24 सितम्बर 2010।
उत्तर:
(ब) 24 सितम्बर 2014

प्रश्न 5.
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में कितना समय लगता है ?
(अ) लगभग 2 मिनट
(ब) लगभग 12 मिनट
(स) लगभग 8 मिनट
(द) लगभग 20 मिनट।
उत्तर:
(स) लगभग 8 मिनट

प्रश्न 6.
शुक्र पारगमण भविष्य में कब देखा जायेगा ?
(अ) 10-11 दिसम्बर 2117
(ब) 10-11 अप्रैल, 2117
(स) 10-11 सितम्बर, 2117
(द) 10-11 जून, 2117
उत्तर:
(अ) 10-11 दिसम्बर 2117

प्रश्न 7.
12 से 24 अंतरांश पर कौन-सी तिथि का स्वरूप बनेगा ?
(अ) प्रतिपदा
(ब) द्वितीया
(स) तृतीया
(द) चतुर्वां।
उत्तर:
(ब) द्वितीया

प्रश्न 8.
कार्तिक की पूर्णिमा को चन्द्रमा किस नक्षत्र पर रहेगा ?
(अ) कृतिका
(ब) अश्विनी
(स) मधा
(द) श्रवण
उत्तर:
(अ) कृतिका

प्रश्न 9.
वृत्त की परिधि और व्यास में सम्बन्ध किसने बताया ?
(अ) वराहमिहिर
(ब) आर्यभट्ट
(स) भास्कराचार्य
(द) ब्रह्मगुप्त।
उत्तर:
(ब) आर्यभट्ट

प्रश्न 10.
लीलावती का फारसी में अनुवाद किसने किया ?
(अ) श्रीधराचार्य
(ब) फैजी
(स) अकबर
(द) रहीम।
उत्तर:
(ब) फैजी

प्रश्न 11.
सौर परिवार का सबसे गर्म ग्रह है|
(अ) मंगल
(ब) बुध
(स) शुक्र
(द) शनि
उत्तर:
(स) शुक्र

प्रश्न 12.
ब्रह्माण्ड की आयु मानी जाती है|
(अ) अरब वर्ष
(ब) 10 अरब वर्ष
(स) 10 से 20 अरब वर्ष
(द) 1000 अरब वर्ष।
उत्तर:
(स) 10 से 20 अरब वर्ष

प्रश्न 13.
शुक्ल पक्ष में कितनी तिधियाँ हैं ?
(अ) 12
(ब) 15
(स) 17
(द) 30
उत्तर:
(ब) 15

प्रश्न 14.
भारतीय पंचांगानुसार ग्रहों की संख्या है
(अ) 8
(ब) 9
(स) 10
(द) 7
उत्तर:
(ब) 9

सुमेलन सम्बन्धित प्रश्न
RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग 2
उत्तर:

  1. e
  2. d,
  3. b,
  4. a,
  5. c.

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षुद्र-तारा क्या है ?
उत्तर:
ग्रहों के सेटे-छोटे टुकड़े, जो सूर्य के परितः मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य परिक्रमण करते हैं, क्षुद्र तारा कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
एक चन्द्रमास में कितने पक्ष होते हैं ? नाम बताइए।
उत्तर:
एक चन्द्रमास में दो पक्ष होते हैं

  • शुक्ल पक्ष
  • कृष्ण पक्ष

प्रश्न 3.
नक्षत्र क्या है ?
उत्तर:
तारों का विशिष्ट समूह नक्षत्र कहलाता है जो चन्द्रमा के क्रान्तिपध में स्थित होता है। इनकी संख्या 27 है।

प्रश्न 4.
तारामण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आकाश में तारों के समूह को तारामण्डल कहते हैं।

प्रश्न 5.
चन्द्रमा कितने दिनों में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है?
उत्तर:
27 दिनों में।

प्रश्न 6.
रेवती नक्षत्र में तारों की संख्या कितनी है ?
उत्तर:
100

प्रश्न 7.
अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ का प्राग सम्मेलन किस वर्ष हुआ था ?
उत्तर:
2006 में।

प्रश्न 8.
मंगल के दो उपग्रहों के नाम बताइए।
उत्तर:
फोबोस तथा डीमोस।

प्रश्न 9.
मंगलयान को भारत ने कहाँ से प्रक्षेपित किया
उत्तर:
श्री हरिकोटा (आन्ध्र प्रदेश) से।

प्रश्न 10.
भारतीय पंचांगानुसार ग्रहों के नाम बताइए।
उत्तर:
सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।

प्रश्न 11.
चन्द्रमा द्वारा परावर्तित प्रकाश पृथ्वी तक कितने सेकण्ड में पहुँचता है ?
उत्तर:
\(1 \frac { 1 } { 4 }\) सैकण्ड।

प्रश्न 12.
उत्तरायण में सूर्य की स्थिति किस दिशा में रहती
उत्तर:
पूर्व-उत्तर-पश्चिम्।

प्रश्न 13.
सूर्य कर्क रेखा व मकर रेखा में किस दिन पहुँचता है ?
उत्तर:
21 जून व 22 सितम्बर को।

प्रश्न 14.
अन्तिम तीन बार बुध पारगमण किन वर्षों में हुआ था ?
उत्तर:
100, 2003, 2006,

प्रश्न 15.
कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा कब होती है ?
उत्तर:
180 अंश के अन्त से 1689 अंश तक 12 अंश न्यूनांतर बनने पर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा का स्वरूप बनेगा। अर्थात पूर्णिमा से अगले दिन।

प्रश्न 16.
आर्यभट्ट ने किस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया ?
उत्तर:
नालन्दा विश्वविद्यालय।

प्रश्न 17.
गीतिकपाद में किस विषय का वर्णन है ?
उत्तर:
गीतिकपाद में समय की बड़ी इकाइयों कल्प, मनवन्तर, युग आदि का वर्णन है।

प्रश्न 18,
वृहज्जातक व पंचसिद्धांतिका किसके द्वारा लिखी गई थी ?
उत्तर:
वराहमिहिर द्वारा।

प्रश्न 19,
सवाई जयसिंह द्वितीय ने किन नगरों में वेधशालाओं (जंतर मंतर) का निर्माण करवाया ?
उत्तर:
जयपुर, दिल्ली, मथुरा, वाराणसी, उज्जैन।

प्रश्न 20.
भारत सरकार ने द्वितीय कृत्रिम उपग्रह का क्या नाम रखा ?
उत्तर:
भास्कर।

प्रश्न 21.
वराहमिहिर का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:
वराहमिहिर का मुख्य उद्देश्य गणित एवं विज्ञान को जनहित से जोड़ना था।

प्रश्न 22.
अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ से मान्यता प्राप्त ग्रहों की संख्या कितनी है ?
उत्तर:
-8

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रह्माण्ड के खगोलीय पिण्ड क्या हैं ?
उत्तर:
तारे, सूर्य, ग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्कायें, धूमकेतु, आकाशगंगा, चन्द्रमा आदि सभी आकाशीय पिण्ड ब्रह्माण्ड के खगोलीय पिण्ड हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय पंचांग के प्रमुख अंगों के नाम बताइए।
उत्तर:
तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण

प्रश्न 3.
पुछल तारा क्या है ?
उत्तर:
चट्टान जैसे पदार्थ के छेटे-लेटे टुकड़े, जो आसानी से ऊध्र्वपातित होने वाले पदार्थों, जैसे-बर्फ, जल, अमोनिया एवं मीथेन की दीर्घ मात्रा से घिरे होते हैं, पुच्छल तारा कहलाते हैं।

प्रश्न 4,
अन्का तथा उन्का पिण्ड क्या हैं ?
उत्तर:
सूर्य की ओर जाते हुए पुच्छल तारे (comet) के टूटने के कारण बने पत्थर और धातुओं के छेटे टुकड़े उल्का कहलाते हैं। ये उच्च ताप तक गर्म हो जाते हैं। कभी-कभी पत्थरों के बड़े टुकड़े (उल्का की भाँत) पूर्णत: बल नहीं पाते एवं पृथ्वी की सतह के नजदीक पहुँच जाते हैं, इन्हें उल्का पिण्ड कहते हैं।

प्रश्न 5.
बुध ग्रह की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • यह सबसे लेटा ग्रह है।
  • सूर्य के सबसे नजदीक है।
  • यह तीव्रतम ग्रह है।
  • इस ग्रह पर वायुमण्डल नहीं है।

प्रश्न 6.
किन्हीं चार नक्षत्रों के नाम व उनकी पहचान बताइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग 3

प्रश्न 7.
शुक्र ग्रह के विषय में बताइए।
उत्तर:
शुक्र ग्रह के चारों और सल्फ्यूरिक एसिड के बादल हैं इसकी सतह चट्टानों से भरी पड़ी है। यह सबसे चमकीला ग्रह है जिसके कारण इसे भोर का तारा व सांझ का तारा कहते हैं। आकार व द्रव्यमान में पृथ्वी के लगभग समान होने के कारण इसे पृथ्वी की बहिन भी कहते हैं।

प्रश्न 8.
बसंत विषुव एवं शरद विषुव को समझाइए।
उत्तर:
जब सूर्य भूमध्य रेखा पर मध्याह्न में ऊर्ध्वाधर होता है। 
और पृथ्वी का आधा प्रदीप्त भाग दोनों भुर्यों को समान रूप से शामिल करता है तब दिन एवं रात्रि की अवधि बराबर (12-12 घंटे) होती है। ऐसा वर्ष में दो बार होता है। इनमें से 21 मार्च को बसंत विषुव तथा 22 सितम्बर को शरद विषुव कहते हैं।

प्रश्न 9.
मकर संक्रान्ति पर्व पर क्या कार्य किए जाते हैं ?
उत्तर:
मकर संक्रान्ति पर्व पर जप, तप, दान, स्नान, श्रा, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलाप किए जाते हैं। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी व कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता हैं। इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं। इस दिन सुबह-सुबह पवित्र नदी में स्नान कर तिल और गुड़ से बनी वस्तु को खाने की परम्परा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है।

प्रश्न 10.
प्रतिपदा तिथि कब पड़ती है ?
उत्तर:
अमावस्या के अन्त पर सूर्य, चन्द्र दोनों एक समान राशि अंश पर रहते हैं; शीघ्र गतिमान चन्द्रमा जब सूर्य से क्रमिक 12 अंशों का अन्तर सिद्ध करता है तो उस कालांश अंतरांश को प्रतिपदा तिथि कहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वराहमिहिर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए इनके प्रमुख वैज्ञानिक कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वराहमिहिर का जन्म सन् 499 में उज्जैन के निकट एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वराहमिहिर ने अपने पिता 
आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योषित सीखा। बाद में इन पर व्यापक शोध भी किया।

वैज्ञानिक कार्यों का योगदान-वराहमिहिर ने मापक घट यंत्र, इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ का निर्माण कराया तथा ईरान में जुन्दीशाहपुर नामक स्थान पर वेधशाला की स्थापना की। बाद में वराहमिहिर ने पत्थक (उज्जैन) में गणितीय विज्ञान के गुरुकुल की स्थापना की जो सात सौ वर्षों तक शिक्षा में योगदान देता रहा। बाद में कुसुमपुर (पटना) में आर्यभट्ट से मुलाकात होने पर इन्होंने खगोलविज्ञान को ही अपना मुख्य विषय बनाया। चन्द्रगुप्त द्वितीय नेर को अपने नौ रत्नों में शामिल किया। वराहमिहिर ने त्रिकोणमिति, प्रकाशिकी एवं ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सूत्र एवं सिद्धान्त दिये साथ ही आर्यभट्ट द्वारा प्रतिपादित ज्या सारणी को और अधिक परिशुद्ध बनाया। वराहमिहिर ने वृहज्जातक, वृहत्संहिता व पंचसिद्धान्तिका पुस्तकें लिखीं। पंचसिद्धान्तिका में इन्होंने पगैलिय, रोमक, वशिष्ठ, सौर एवं पितामह नाम से पाँच सिद्धान्तों का वर्णन किया। गुरुत्वाकर्षण बल के विषय में सर्वप्रथम वराहमिहिर ने बताया था कि ऐसी कोई शक्ति है जो वस्तुओं को पृथ्वी से चिपकाये रखती है। वराहमिहिर ने गणित एवं विज्ञान को जनहित से जोड़ने की कोशिश की।

प्रश्न 2.
भारतीय पंचांग के प्रमुख अंगों का विस्तृत रूप से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय पंचांग के निम्न पाँच प्रमुख अंग हैं

  1. तिथि– तिथि को अंग्रेजी महीने की दिनांक के रूप में समझा जा सकता है। इसका सम्बन्ध चन्द्रमास के दिनांक से है, एक चन्द्रमास में दो पक्ष होते हैं जिन्हें शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष के रूप में जानते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15-15 तिथियाँ होती हैं। इनमें से दो तिथियाँ पूर्णिमा और अमावस्या
  2. वार- इसका सम्बन्ध सप्ताह के दिनों से है जो सात (7) होते हैं।
  3. नक्षत्र- इसका सम्बन्ध चन्द्रमा के क्रान्तिपथ के उस * आकाशीय भाग से है जहाँ चन्द्रमा उस समय स्थित होता है। इस आधार पर 27 नक्षत्र माने गये हैं।
  4. योग- इसका सम्बन्ध सूर्य तथा चन्द्रगति में किसी समय उत्पन्न अन्तर से है। योग भी 27 होते हैं।
  5. करण-तिथियों के सूक्ष्म प्रभाव को जानने के लिए प्रत्येक तिथि के दो भाग माने गए हैं। तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं।

We hope the given RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 12 आकाशीय पिण्ड एवं भारतीय पंचांग, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.