RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 14 भारत और वैश्वीकरण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 14 भारत और वैश्वीकरण

  • 20 वीं शताब्दी में वैश्वीकरण का सूत्रपात होने से सम्पूर्ण विश्व एक वैश्विक गाँव में परिवर्तित हो गया जिसमें संचार क्रान्ति का विशेष योगदान रहा।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व विचारधारा के आधार पर दो भागों में विभक्त हो गया -एक ओर पूँजीवादी विचारधारा के समर्थक (अमेरिकी नेतृत्व में) दूसरी ओर साम्यवादी विचारधारा के समर्थक (सोवियत संघ के नेतृत्व में) थे।
  • दोनों गुटों के सदस्य संयुक्त राष्ट्र के सदस्य थे किन्तु साम्यवादी गुट के सदस्य विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा गैट जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य नहीं थे।
  • पूँजीवादी गुट में निजी स्वामित्व व बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था विद्यमान थी जिसमें स्वतंत्रता, प्रेरणा व समृद्धि की संभावना थी जबकि साम्यवादी गुट में निरंकुश स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था थी जिसमें स्वतन्त्रता, प्रेरणा व समृद्धि का अभाव था।
  • दोनों विचारधाराओं ने अपना-अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए उचित-अनुचित तरीके अपनाए। परिणामस्वरूप दोनों महाशक्तियों में शीत युद्ध आरम्भ हो गया।
  • सन् 1991 में सोवियत संघ का विभाजन हो गया और पूँजीवादी गुट विजयी हुआ।
  • विश्व के अधिकांश देशों ने स्वतंत्र अर्थव्यवस्था को छोड़कर निजीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण से प्रेरित बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था को अपना लिया।

वैश्वीकरण का अर्थ:

  • वैश्वीकरण विश्व को एकीकृत करने की प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है अन्तर्राष्ट्रीय एकीकरण, विश्व-व्यापार को | खुलना, उन्नत संचार साधनों का विकास, वित्तीय बाजारों का अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कंपनी का महत्व बढ़ना, जनसंख्या का देशान्तर गमन, व्यक्तियों, वस्तुओं, पूँजी, आँकड़ों व विचारों की गतिशीलता बढ़ना।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से जहाँ एक ओर राष्ट्रीय राज्य की सम्प्रभुता का ह्मस हुआ है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक शक्ति का अधोगामी संचार हुआ है।

वैश्वीकरण के कारण:

  • वैश्वीकरण का सर्वप्रमुख कारक प्रौद्योगिकी है। टेलीग्राफ, टेलीफोन तथा इन्टरनेट के नवीनतम आविष्कारों ने पूरी दुनिया में संचार क्रान्ति का आविष्कार किया है। विश्व के एक हिस्से की घटना का प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पड़ता है।

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव:

  • वैश्वीकरण की अवधारणा के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय राज्य की अवधारणा में परिवर्तन आने लगा है। विकसित | देशों में कल्याणकारी राज्यों का स्थान न्यूनतम अहस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है।
  • यद्यपि राज्य की प्रधानता को कोई चुनौती नहीं मिली है किन्तु अब आर्थिक व सामाजिक प्राथमिकताओं को भी महत्व दिया जाने लगा है।
  • संपूर्ण विश्व में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थापित हो चुकी हैं जो राज्य तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी हैं वहाँ के अनेक नागरिकों का जीवन उन्नत हुआ है।
  • बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शीत युद्ध अपने चरम पर था। संघर्ष का आधार स्वतंत्रता, समानता व न्याय थे। | पूर्वी व पश्चिमी गुट अपने-अपने ढंग से वैचारिक अनुसमर्थन कर रहे थे। एशिया व अफ्रीका के नव स्वतंत्र राष्ट्र दोनों गुटों की प्रतियोगिता का केन्द्र थे।
  • अब अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय अपनी नियन्त्रित नीतियों के स्थान पर व्यापार में खुलेपन को प्रोत्साहन दे रहे हैं जो कि प्रजातन्त्र और जनता के अधिकारों के सिद्धान्त पर आधारित है।
  • खुलेपन की नीति के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अपनी नीतियों में परिवर्तन किया है।
  • विश्व के सभी देश मिल-जुल कर आपसी सहयोग द्वारा वैश्विक समस्याओं का समाधान करने के लिए। बड़े-बड़े अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करते रहे हैं।

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव:

  • वैश्वीकरण का सर्वाधिक प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। प्रत्येक देश ने अपना बाजार विदेशी वस्तुओं की बिक्री के लिये खोल दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
  • वैश्वीकरण का अलग-अलग देशों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ा।
  • वैश्वीकरण के इस दौर में सामाजिक व्यवस्था की स्थापना अभी भी संकट में है।
  • आलोचकों के द्वारा वैश्वीकरण को ‘नवउपनिवेशवाद’ की संज्ञा दी गई है।

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव:

  • वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता को जन्म देता है। सांस्कृतिक समरूपता के नाम पर पश्चिमी सांस्कृतिक मूल्यों को अन्य आँचलिक संस्कृतियों पर लादा जा रहा है। किन्तु इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि नवीन विश्व संस्कृति के उदय की संभावनाएँ प्रबल हो गई हैं।

सांस्कृतिक प्रवाह बढ़ाने वाले माध्यम:

  • सांस्कृतिक प्रवाह बढ़ाने वाले माध्यम हैं-इन्टरनेट व ईमेल। सूचना तकनीकी के विस्तार से डिजिटल क्रान्ति आई है। सी.एन.एन., बी.बी.सी., अल जजीरा आदि सैकड़ों अन्तर्राष्ट्रीय चैनलों ने वैश्वीकरण को अधिक प्रभावशाली बना दिया है।

भारत पर वैश्वीकरण के प्रभाव:

  • भारत में वैश्वीकरण का सूत्रपात जुलाई 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने किया था। जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना होने पर भारत भी इसका सदस्य बन गया।
  • भारत पर वैश्वीकरण के प्रभाव को लेकर तीन प्रकार की प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की जाती रही हैं-
    • देश के आर्थिक विकास पर विषम प्रभाव,
    • वैधता का संकट एवं
    • नागरिक समाज संगठनों की तीव्र वृद्धि।
  • वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है तथा जीवन के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित है। मुख्य स्पर्धा एक ऐसा आध शारभूत तत्व है जो किसी विषय क्षेत्र या कौशल के विवरण में विशेषज्ञता अथवा योग्यता स्थापित करता है।

वैश्वीकरण का लोक संस्कृति पर प्रभाव:

  • वैश्वीकरण ने लोक संस्कृति के विस्तार को बढ़ाया है। इससे पाश्चात्य सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को वर्चस्व बढ़ा ” है तथा परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है।

सामाजिक मूल्यों पर वैश्वीकरण का प्रभाव:

  • भारत के सामाजिक क्षेत्र पर वैश्वीकरण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे मूल्य विहीनता की स्थिति पैदा हो गयी है जो हमारे देश के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हुई है।

वैश्वीकरण के परिणाम:

  • वैश्वीकरण ने यूरोप व अन्य राज्यों में शरणार्थी समस्या को जन्म दिया है। 2016 तक 7.4 अरब जनसंख्या में से लगभग 60 करोड़ लोग शरणार्थी हैं।
  • कुछ आलोचकों का मानना है कि वैश्वीकरण केवल कार्पोरेट सेक्टर व उद्योगपतियों के हितों का संवर्द्धन करता है और इसका निर्धन वर्ग के हितों से कोई सरोकार नहीं है।
  • उदारीकरण की प्रक्रिया में आर्थिक गतिविधियों का कौशल सामर्थ्य बढ़ाने व उनसे मिलने वाले लाभ के प्रतिशत में अधिकतम वृद्धि करने के लिए उस पर से सरकारी प्रतिबन्ध हटा लिया जाता है।

वैश्वीकरण की निम्न उपलब्धियाँ रही हैं-

  • विकासशील देशों में लोगों की जीवन प्रत्याशा का दुगुना होना व शिशु मृत्यु दर घटना
  • वयस्क मताधिकार का व्यापक विस्तार।
  • भोजन में पौष्टिकता बढ़ाना।
  • बाल श्रम को घटाना।
  • प्रत्येक व्यक्ति को रेडियो, टेलीविजन, कार, फोन आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  • स्वच्छ जल उपलब्ध कराना।
  • सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार एवं
  • जीवन को अधिक खुशहाल बनाना।

महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ:

1991 — सोवियत संघ कई टुकड़ों में विभक्त हो गया।
1950-60 — इस दशक में शीत युद्ध चरम सीमा पर था।
जुलाई 1991 — भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने भारत में वैश्वीकरण का सूत्रपात किया।
1991 — इसी वर्ष भारत ने उदारीकरण की प्रक्रिया को अपनाया।
1992-93 — इस दौरान भारत ने रुपये को पूर्ण परिवर्तनीय बनाया।
30 दिसंबर 1994 — भारत ने वैश्वीकरण व उदारीकरण की नीति अपनाने के बाद एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौता दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये।
1 जनवरी 1995 — ‘विश्व व्यापार संगठन’ की स्थापना हुई तथा भारत भी हस्ताक्षर करके इसकासदस्य बन गया।
2016 — इस वर्ष हुए एक सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि 7.4 अरब जनसंख्या में से लगभग 60 करोड़ लोग शरणार्थी हैं अर्थात् हर 122 वाँ व्यक्ति शरणार्थी है।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 14 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • वैश्वीकरण — एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय करना वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण कहलाता है। दूसरे शब्दों में विचार, पूँजी, वस्तु और सेवाओं का विश्वव्यापी प्रवाह वैश्वीकरण कहलाता है। इस प्रक्रिया में व्यापार, सेवाओं व तकनीकी का पूरे विश्व में विकास व विस्तार किया जाता है। पूरा विश्व एक वैश्विक गाँव’ या ‘वैश्विक बाजार में परिवर्तित हो जाता है।
  • पूँजीवाद — पूँजीवाद उस आर्थिक प्रणाली को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है। यह प्रणाली व्यक्तिगत लाभ के लिये स्थापित की जाती है।
  • निजीकरण — इसका अर्थ है कि आर्थिक क्रियाओं में सरकारी हस्तक्षेप को उत्तरोत्तर कम किया जाये तथा प्रेरणा व प्रतिस्पर्धा पर आधारित निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाए।
  • उदारीकरण — उद्योग एवं व्यापार को अनावश्यक प्रतिबन्धों एवं विनियमों से मुक्त कर अधिक प्रतियोगी बनाना उदारीकरण कहलाता है।
  • साम्यवाद — यह एक ऐसी विचारधारा है जो समतामूलक वर्ग विहीन समाज की स्थापना का समर्थन करती है तथा उत्पादन के साधनों पर समूचे विश्व का स्वामित्व स्वीकार किया जाता है। यह समाजवाद की चरम परिणति है।
  • समाजवाद — प्रत्येक को अपनी क्षमतानुसार तथा प्रत्येक को कार्यानुसार’ के सिद्धान्त में विश्वास करता है। यह एक आर्थिक व्यवस्था की अभिव्यक्ति है।
  • गैट — प्रशुल्क व व्यापार का यह सामान्य समझौता 1 जनवरी 1948 को लागू किया गया। इसका अस्तित्व व्यापार नियम तय करने वाले विश्व निकाय के रूप में रहा। यह समझौता ‘विश्व व्यापार संगठन की आधारशिला बना।
  • डब्ल्यू.टी.ओ — विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation-W.T.O.) एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जो विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के नियमों का निर्धारण करता है। इस संगठन द्वारा गैट (GATT) का स्थान लिया गया। ।
  • नौकरशाही — कार्मिकों का वह समूह है जिस पर प्रशासन का केन्द्र आधारित है । नकारात्मक अर्थों में इसे ‘लाल फीताशाही’ कहा जाता है।
  • शीत युद्ध — द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका व सोवियत संघ के मध्य उत्पन्न तनाव की स्थिति को ‘शीत युद्ध’ कहा गया। इसमें वास्तविक युद्ध नहीं हुआ किन्तु युद्ध की संभावना निरन्तर बनी रही। |
  • वर्चस्व — वर्चस्व का अर्थ है प्रभुत्व या एकाधिकार । समकालीन विश्व में अमेरिका का वर्चस्व है। अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ — इन कंपनियों के विभिन्न देशों में औद्योगिक इकाइयाँ व कार्यालय होते हैं। ये एक से अधिक देशों में सेवाओं या वस्तुओं के उत्पादन को नियन्त्रित करती हैं।
  • टेलीग्राफ — विद्युत धारा की सहायता से निर्धारित संकेतों के द्वारा संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजने व प्राप्त करने वाला यन्त्र टेलीग्राफ कहलाता है।
  • माइक्रोचिप —यह चिप सिलिकन आदि से बनी होती है। इस पर कम्प्यूटर सर्किट बना होता है। इनका निर्माण कई तरह के काम के लिए होता है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रान्ति लाने में इस चिप की बड़ी भूमिका है।
  • इन्टरनेट — भेजने वाले एवं प्राप्त करने वाले के शारीरिक संचलन के बिना कम्प्यूटर पर सूचनाओं के प्रेषण एवं प्राप्ति की विद्युतीय अंकीय दुनिया को इंटरनेट कहा जाता है। यह विश्व के किसी भी कोने से जानकारी प्राप्त करने की आश्चर्यजनक सुविधा उपलब्ध कराता है। इसके द्वारा कुछ ही सेकण्डों में जानकारी किसी भी कम्प्यूटर या डिजीटल डिवाइस पर भेजी जा सकती है।
  • खुलेपन की नीति — मिखाईल गोर्वाचोव द्वारा आरंभ की गई सोवियत नीति जिसका उद्देश्य सोवियत रूस के सरकारी संस्थानों एवं क्रियाकलापों में खुलेपन व पारदर्शिता को बढ़ाना था। |
  • मुख्य स्पर्धा — एक ऐसा आधारभूत तत्व जो किसी विषय क्षेत्र या कौशल के वितरण में विशेषज्ञता अथवा योग्यता स्थापित करता है।
  • सी.एन.एन. — सी.एन.एन. अर्थात् केबल न्यूज नेटवर्क। संयुक्त राज्य अमेरिका का टेलीविजन समाचार चैनल है। इसे 1980 से आरम्भ किया गया। यह पहला टेलीविजन चैनल है जो 24 घण्टे समाचार प्रसारित करता है।
  • बी.बी.सी — ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग चैनल। लंदन (यूनाइटेड किंगडम) का समाचार चैनल है। इसकी स्थापना 14 नवम्बर 1922 को की गई थी।
  • अलजजीरा — यह मध्यपूर्व का समाचार नेटवर्क है। इस टेलीविजन नेटवर्क का मुख्यालय कतर के दोहा में स्थित है। इसकी स्थापना 1 नवंबर 1996 को की गई थी।
  • मिखाइल गोर्बाचोव — मिखाइल गोर्बाचोव सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति थे। उनको शान्ति का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिये ‘पेरेस्त्रोइका’ व ‘ग्लासनोत’ की नीतियों की घोषणा की किन्तु इन नीतियों ने विघटन के कार्य को पूर्ण किया और सन् 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया।
  • नरसिम्हा राव — भारत के नौवें प्रधानमन्त्री थे। इनके नेतृत्व में ही भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘लाइसेंस राज’ की समाप्ति हुई तथा ‘अर्थव्यवस्था में खुलेपन’ का आरम्भ हुआ। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का पिता कहा जाता है।
  • मनमोहन सिंह — भारत के 13 वें प्रधानमंत्री रहे। वह एक अर्थशास्त्री भी हैं। नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वह वित्तमंत्री थे। अतः आर्थिक सुधारों का श्रेय उन्हें भी दिया जाता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष — 27 दिसम्बर 1945 को वाशिंगटन में स्थापित हुई संस्था । वास्तविक रूप में इसने 1 मार्च 1947 से कार्य प्रारम्भ किया। इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है तथा इसके कार्यालय पेरिस व जेनेवा में है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों का व्यापार बढ़ाने और अर्थव्यवस्था का विकास करने के लिए ऋण उपलब्ध कराना है।

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