RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 21 संघीय कार्यपालिका, राष्ट्रपति निर्वाचन एवं शक्तियाँ, प्रधानमंत्री, स्थिति, कार्य

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 21 संघीय कार्यपालिका, राष्ट्रपति निर्वाचन एवं शक्तियाँ, प्रधानमंत्री, स्थिति, कार्य

राष्ट्रपति:

  • सरकार के तीन अंग है-
    • व्यवस्थापिका
    • कार्यपालिका
    • न्यायपालिका।
  • कार्यपालिका, व्यवस्थापिका द्वारा स्वीकृत नीतियों एवं कानूनों को लागू करने का कार्य करती है।
  • शासन के प्रकार के रूप में संसदात्मक एवं अध्यक्षात्मक का भेद कार्यपालिका के अलग-अलग प्रकार एवं कार्यपालिका व व्यवस्थापिका के आपसी संबंधों पर ही आधारित होता है।
  • अध्यक्षात्मक व्यवस्था में राष्ट्रपति राज्य एवं सरकार दोनों को प्रधान होता है तथा वह शासन की समस्त शक्तियों का केन्द्र बिंदु होता है।

कार्यपालिका का स्वरूप:

  • भारत में संसदीय शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है, जिसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक एवं संवैधानिक प्रधान होता है।
  • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्री-परिषद् वास्तविक कार्यपालिका होती है।
  • राष्ट्रपति का पद गरिमा एवं प्रतिष्ठा का पद माना जाता है। वह देश का प्रथम नागरिक माना जाता है तथा वरीयता क्रम (प्रोटोकॉल) में सर्वोच्च स्थान रखता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 52 राष्ट्रपति पद की व्यवस्था करता है, जिसके अनुसार “भारत का एक राष्ट्रपति होगा।”
  • अनुच्छेद 53 के अनुसार “संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करेगा।”

राष्ट्रपति का निर्वाचन:

  • संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा, जो संसद के दोनों सदनों-लोकसभा एवं राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बनेगा।
  • राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता है। यह चुनाव एक विशेष विधि, जिसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व की ‘एकल संक्रमणीय मत विधि’ कहते हैं, के द्वारा गुप्त रूप से होता है। .संक्रमणीय मत विधि में विजयी होने के लिए उम्मीदवार को कुल डाले गए वैध मतों के आधे से एक मत अधिक प्राप्त करना होता है, इसे ‘न्यूनतम कोटा’ कहते हैं।
  • राष्ट्रपति का निर्वाचन पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है तथा सम्बद्ध व्यक्ति पुनः चुनाव लड़ सकता है।
  • राष्ट्रपति किसी भी समय उपराष्ट्रपति को संबोधित कर अपना त्याग-पत्र दे सकता है।
  • शक्तियों के दुरुपयोग, कदाचार, संविधान के उल्लंघन के आरोप में राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा पद से हटाया भी जा सकता है, जिसका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 61 में किया गया है।
  • महाभियोग के प्रस्ताव को सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित होना चाहिए।
  • अगर राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्याग-पत्र अथवा पदच्युति के कारण रिक्त हो जाए तब छः माह के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव करवाना आवश्यक है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति शेष बची अवधि के लिए नहीं बल्कि पाँच वर्ष के लिए निर्वाचित होता है।

राष्ट्रपति निर्वाचित होने की योग्यताएँ:

  • भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए
    • वह भारत का नागरिक हो।
    • उसकी न्यूनतम आयु 35 वर्ष हो।
    • वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
  • गैर-गंभीर व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए निर्वाचक मंडल में से प्रस्तावकों एवं अनुमोदकों की व्यवस्था भी की गई है।
  • श्री राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे, जो दो बार निर्वाचित हुए।

राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया:

  • राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में दो बातों पर विशेष जोर दिया गया है-
    • निर्वाचक मण्डल में जनसंख्या का निकटतम एवं समान प्रतिनिधित्व हो।
    • समस्त विधानसभा सदस्यों द्वारा देय मतों में समानता रहे।
  • निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य की मत संख्या निश्चित करने के लिए एक विशेष पद्धति अपनायी गयी है।
  • निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा एकल संक्रमणीय आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा होता है।

वेतन/विशेषाधिकार/उन्मुक्तियाँ व अन्य सुविधाएँ:

  • वर्तमान में राष्ट्रपति का वेतन 1,50,000 रूपये प्रतिमाह है।
  • जंब तक कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर आसीन होता है तब तक उसके विरुद्ध किसी दीवानी या फौजदारी न्यायालय में कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, न तो किसी गिरफ्तारी के लिए वारंट ही जारी किया जा सकता है और न ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
  • दो महीने की लिखित नोटिस देने के पश्चात् राष्ट्रपति के विरुद्ध केवल दीवानी कार्यवाही की जा सकती है।
  • पूर्व राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर उनकी पत्नी को सेवानिवृत्त राष्ट्रपति को मिलने वाली पेंशन की आधी राशि तथा सरकारी मकान आजीवन प्राप्त होगा।

राष्ट्रपति की शक्तियाँ वे कार्य:

  • संविधान के अनुसार राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है, वह राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
  • राष्ट्रपति की शक्तियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-सामान्यकालीन एवं संकटकालीन अथवा आपातकालीन।
  • राष्ट्रपति भारत की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। संघ का शासन राष्ट्रपति के नाम से ही किया जाता है।
  • यह प्रधानमंत्री, मंत्री-परिषद् के अन्य सदस्यों, भारत के महान्यायवादी, विदेशों में राजदूत एवं राज्यों में राज्यपाल नियुक्त करता है।
  • राष्ट्रपति भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीश नियुक्त करता है।
  • संघ के स्तर के प्रमुख आयोगों; जैसे-संघ लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग आदि के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है।
  • संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को क्षमादान का अधिकार प्रदान करता है, जिसके अनुसार वह किसी व्यक्ति के दंड को, जिसमें मृत्यु दंड भी शामिल है, क्षमा, विलंबन, निलंबन अथवा लघुकरण कर सकता है।
  • राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपातकाल की घोषणा कर सकता है-
    • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352),
    • राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 350),
    • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)

प्रधानमंत्री-स्थिति एवं कार्य:

  • संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार भारत में राष्ट्रपति की सहायता तथा कार्य करने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा।
  • प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है।
  • भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू थे और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं जो भारत के 15 वें प्रधानमंत्री हैं।
  • प्रधानमंत्री का लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य होता है। यदि प्रधानमंत्री नियुक्त होते समय वह किसी सदन का सदस्य नहीं है तो छ: माह में किसी भी सदन की सदस्यता लेनी होगी।
  • वर्तमान सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 78 मंत्रियों की विशाल मंत्रिपरिषद है।
  • प्रधानमंत्री सहित प्रत्येक मंत्री को पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति द्वारा दो तरह की शपथ दिलायी जाती है। एक पद के प्रति और दूसरी गोपनीयता की होती है। शपथ कर्तव्यों के ईमानदारी से निर्वहन करने के लिए दिलायी जाती है।
  • प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद व लोकसभा दोनों का नेता होता है। वह राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के मध्य संचार का माध्यम होता है।
  • संघ सरकार के प्रशासन व विधायी तथा अन्य प्रस्तावों की जानकारी राष्ट्रपति तक पहुंचाना प्रधानमंत्री का ही कार्य है।
  • संघीय मंत्री-परिषद में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं-कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री व उपमंत्री। प्रधानमंत्री कार्य व्यवस्थार्थ संसदीय सचिव भी नियुक्त कर सकता है।
  • प्रधानमंत्री कैबिनेट सचिवालय के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच काम का समन्वय करता है।
  • प्रधानमंत्री कुछ विभाग या पोर्टफोलियो अपने पास रखता है जिनका आवंटन अन्य मंत्रियों को नहीं किया गया हो। वह साधारणया अपने पास रखे विभागों/मंत्रालयों का प्रभारी होता है।
  • प्रधानमंत्री विभिन्न प्रतिनिधि मंडलों, उच्च स्तरीय बैठकों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल व अन्य नीति निर्माणक संस्थाओं से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय उसकी (प्रधानमंत्री) देखरेख में किए जाते हैं। वह नीति आयोग को पदेन अध्यक्ष होता है।

अध्याय में दी गई महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ:

सन् 1962 — चीन ने भारत पर आक्रमण किया।
सन् 1971 — पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया।
सन् 1975 — आंतरिक अशांति के आधार पर सरकार द्वारा देश में आपातकाल की घोषणा।
सन् 1991 — 1991 में चुनाव के उपरांत नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार को राष्ट्रपति से ज्यादा सहूलियत मिली, जबकि वह अल्पमत सरकार थी।
सन् 1998 — सन् 1998 में चुनाव के उपरांत भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सबसे बड़ा था एवं बहुमत के निकट था, राष्ट्रपति ने अटलबिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर पदग्रहण करने के मात्र दस दिन के भीतर लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने को कहा।
सन् 2003 — 91 वाँ संविधान संशोधन व विधेयक संसद द्वारा पारित । इसके अनुसार मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
सन् 2008 — भारत सरकार ने 11 सितम्बर 2008 से राष्ट्रपति का वेतन 1.50000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 21 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • राष्ट्रपति — देश का संवैधानिक प्रधान एवं संसद का अंग। यह देश का प्रथम नागरिक होता है तथा वरीयता क्रम में सर्वोच्च स्थान रखता है। संविधान का अनुच्छेद 52 भारत में राष्ट्रपति पद की व्यवस्था करता है।
  • संसदात्मक शासन प्रणाली/संसदीय व्यवस्था — शासन की वह प्रणाली जिसमें कार्यपालिका के अध्यक्ष की वास्तविक शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उसका मंत्रिमंडल करता है। संसदीय शासन-प्रणाली कहलाती है। इस व्यवस्था में राष्ट्र का अध्यक्ष एवं सरकार की अध्यक्ष अलग-अलग होते हैं। उदाहरण- भारत ।।
  • अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली — शासन की वह प्रणाली जिसमें कार्यपालिका का अध्यक्ष वास्तविकता में स्वयं शक्ति का प्रयोग करता है, अध्यक्षीय शासन प्रणाली कहलाती है। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका। इसमें राष्ट्रपति राज्य व सरकार दोनों का प्रधान होता है।
  • प्रधानमंत्री — लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल/दलों का नेता। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है।
  • मंत्रिपरिषद — प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट, राज्यमंत्री एवं उपमंत्रियों का समूह मंत्रिपरिषद कहलाता है।
  • वरीयता क्रम (प्रोटोकॉल) — राजनयिक प्रतिनिधियों के साथ किए जाने वाले औपचारिक व्यवहार का तौर-तरीका वरीयता क्रम (प्रोटोकॉल) कहलाता है। भारत में राष्ट्रपति प्रोटोकॉल में प्रथम स्थान रखता है।
  • एकल संक्रमणीय मत विधि — भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष विधि से होता है, जिसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत विधि कहते हैं।
  • न्यूनतम कोटा — राष्ट्रपति के चुनाव में एकल संक्रमणीय मत विधि के अन्तर्गत विजयी होने के लिए उम्मीदवार को कुल डाले गए वैध मतों के आधे से एक मत अधिक प्राप्त करना होता है जिसे न्यूनतम कोटा कहते हैं।
  • महाभियोग — राष्ट्रपति अथवा उच्च पदों पर कार्यरत व्यक्तियों को शक्तियों के दुरुपयोग, कदाचार अथवा संविध न के उल्लंघन के कारण संसद द्वारा पद से हटाने की प्रक्रिया को महाभियोग कहते हैं।
  • पदच्युति — पद से हटाना।
  • आपातकाल — इसे ‘संकटकाल’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। सन् 1973 से 1975 के मध्य आए बदलावों की परिणति देश में आपातकाल’ लागू करने के रूप में हुई। सन् 1975 के जून माह में देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी। देश में आपातकाल की घोषणा आंतरिक अव्यवस्था को ठीक करने के लिए की जाती है।
  • दीवानी न्यायालय — जिस व्यवस्था में धन, सम्पत्ति, राजस्व आदि से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई होती है उसे दीवानी न्यायालय कहते हैं।
  • फौजदारी न्यायालय — जिसे न्यायालय में लड़ाई-झगड़े, हत्या आदि से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई होती है, उसे फौजदारी न्यायालय कहते हैं।
  • महान्यायवादी — देश का सर्वोच्च विधि अधिकारी। भारत के संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत इस पद की व्यवस्था की गई है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
  • राजदूत — विदेशों में भारत सरकार का प्रतिनिधि अथवा भारत में किसी देश का प्रतिनिधि राजदूत कहलाता है।
  • लोकसभा — भारत की राष्ट्रीय विधायिका (संसद) का निम्न सदन जिसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा पाँच वर्ष के लिए चुने जाते हैं। इस सदन को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
  • राज्यसभा — भारत की राष्ट्रीय विधायिका (संसद) का उच्च सदन जिसके सदस्य अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। यह एक स्थायी सदन है।
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण — राष्ट्रपति प्रति वर्ष संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप में सम्बोधित करता है, जिसे राष्ट्रपति का अभिभाषण कहते हैं।
  • निलम्बनकारी विशेषाधिकार (वीटो) — राष्ट्रपति जब किसी साधारण विधेयक को संसद को लौटाकर पुनर्विचार के लिए कहता है तब संसद पुनः उसे पारित कर राष्ट्रपति के पास भेज देती है तो राष्ट्रपति को उस पर हस्ताक्षर करने ही पड़ते हैं। इसे राष्ट्रपति का निलम्बनकारी विशेषाधिकार (वीटो) कहते हैं।
  • जेबी विशेषाधिकार ( पॉकेट वीटो) — राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह संसद द्वारा पारित विधेयक पर न । हस्ताक्षर करे और न ही उसे पुनर्विचार के लिए संसद को भेजे बल्कि अपने पास ही लम्बित रख ले। ऐसी स्थिति में विष्ट यिक पारित नही हो सकेगा। इसे राष्ट्रपति का जेबी विशेषाधिकार (पॉकेट वीटो) कहते हैं।
  • अध्यादेश — अध्यादेश अधिनियम से भिन्न ऐसा कानून है जिसे देश का राष्ट्रपति किसी संकट की स्थिति में अथवा असाधारण परिस्थितियों में लागू करता है। साधारणतया अध्यादेश जारी करने की आवश्यकता तब पड़ती है तब संसद का सत्र नही चल रहा होता है और किसी विषय को विनियमित करना आवश्यक होता है। यह कानून के समान ही प्रभावी होता है किन्तु इसका प्रभाव एक निश्चित अवधि तक ही रहता है।
  • वित्त आयोग — संविधान के अनुच्छेद 285 के तहत गठित आयोग। इसका गठन राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष या आवश्यकतानुसार उससे पहले किया जाता है। इसका मुख्य कार्य भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्वों में सहायता अनुदान को शामिल करने वाले सिद्धान्त के बारे में परामर्श देना है।
  • नाममात्र की कार्यपालिका — जब राज्य का प्रधान नाममात्र का या वास्तविक शक्ति से हीन होता है एवं शक्तियों का प्रयोग वह स्वयं नहीं करता है बल्कि उसके नाम से शक्तियों का प्रयोग कोई दूसरा करता है तो वह नाममात्र की कार्यपालिका कहलाती है। उदाहरण के लिए भारत का राष्ट्रपति
  • वास्तविक कार्यपालिका — जब राज्य का प्रधान नाममात्र का न होकर राज्य की समस्त शक्तियों का स्वयं प्रयोग करता है तो उसे वास्तविक कार्यपालिका कहते हैं। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति।
  • संसदीय सचिव — प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्ति। इसका कार्य विभागों के मंत्रियों की संसद में सहायता करना है। संवैधानिक रूप से इसे कोई शक्ति नहीं दी जाती है।
  • विदेश नीति — वह नीति जो एक देश द्वारा अन्य देशों के प्रति अपनायी जाती है। इस प्रकार दूसरे राष्ट्रों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए एकदेश द्वारा जिन नीतियों, कार्यक्रमों के सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है, उसे उस देश की विदेश नीति कहते हैं।
  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद — स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति । यह दो बार इस पद पर निर्वाचित हुए। ये संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष भी रहे।
  • अटल बिहारी वाजपेयी — देश के पूर्व प्रधानमंत्री। भारत रत्न से सम्मानित । भारतीय जनता पार्टी के नेता। ये 1977 ई. में जनता सरकार में विदेश मंत्री रहे।
  • नरसिम्हा राव — भारत के पूर्व प्रधानमंत्री। काँग्रेस के नेता।
  • पं. जवाहर लाल नेहरू — स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। पंचशील सिद्धांत का प्रतिपादन किया। 1947-1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
  • इन्दिरा गाँधी — लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात् देश की प्रधानमंत्री बनीं। 31 अक्टूबर 1984 को इनकी हत्या कर दी गयी। 1991 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • नरेन्द्र मोदी — देश के वर्तमान प्रधानमंत्री।
  • स्व. एच.डी. देवगौड़ा — देश के पूर्व प्रधानमंत्री।
  • इन्द्रकुमार गुजराल — देश के पूर्व प्रधानमंत्री
  • ज्ञानी जैल सिंह — भारत के पूर्व राष्ट्रपति। इन्होंने अपने जेबी विशेषाधिकार का प्रयोग डाक बिल के संदर्भ में किया था।

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