RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 3 धर्म

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 3 धर्म

  • धर्म मनुष्य में पहले से व्याप्त देवत्व व आध्यात्मिकता का विस्तार मात्र है।
  • अथर्ववेद में धर्म को धारण करने वाली या संचालित करने वाली मूल सत्ता के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • विश्व के अधिकांश देशों में धर्म निरपेक्षता को अपनी राजनीतिक व्यवस्था में एक नीति के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
  • ऐतिहासिक रूप से विश्व के विभिन्न भागों में काल, स्थान व संस्कृति के अनुरूप कई धर्मों का उद्भव व विकास हुआ।
  • समय, स्थान एवं सांस्कृतिक व आध्यात्मिक परिस्थितियों के परिवर्तन से धर्मों में भी परिवर्तन आए हैं।

धर्म का अर्थ:

  • वर्तमान समस्या अलग-अलग धर्मों और मतों में एकता स्थापित करने की चेष्टा है।
  • भारतीय संस्कृति और दर्शन में धर्म सदैव एक महत्वपूर्ण संकल्पना रही है।
  • पाश्चात्य जगत में धर्म और राजनीति में घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है।
  • धर्म भारतीय राजनीतिक चिंतन का केन्द्रीय व आधारभूत तत्व है।
  • भारत में धर्म को कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण एवं सद्गुण के अर्थ में मान्यता प्राप्त है।
  • धर्म का सबसे पहले आगमन पूर्वी संस्कृतियों में हुआ।
  • मानव का विवेक उसे सर्वश्रेष्ठ जानने और सर्वश्रेष्ठ करने के लिए उद्यत बनाता है, यही मनुष्य का धर्म अर्थात् स्वधर्म है।
  • धर्म सर्वत्र पवित्र माना गया है किन्तु धार्मिक पवित्रता सापेक्षवादी है।
  • सामाजिक धर्म का मुख्य कारण सभी मानवीय गतिविधियों को एक सूत्र में बाँधने का आधार प्रदान करता है।
  • अंग्रेजी में धर्म को ‘Religion’ कहते हैं जिसका अर्थ है-आस्था, विश्वास अथवा अपनी मान्यता।

धर्म और धर्मनिरपेक्षता:

  • धर्म निरपेक्षता का अर्थ है किसी भी धर्म को मानने वाले के साथ भेदभाव न हो और सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा जाए।
  • भारतीय दर्शन मूल रूप से एकान्तवादी है लेकिन वर्तमान में यह अनेकान्तवादी बन गया है।
  • हमारे देश की जीवनधारा प्राचीनकाल से ही धर्म के प्रभाव में रहते हुए भी सम्प्रदायवाद से नहीं जुड़ी।

धर्म और नैतिकता:

  • धर्म का मूल लक्ष्य मानव मात्र की सेवा करना है। धर्म अच्छे आचरण, करुणा, शील व अहिंसा पर बल देता है।
  • धर्म और राजनीति का विवेकपूर्ण मिलन मानव कल्याण में साधक होता है।
  • सभी धर्मों के सामान्य विश्वास व मूल्य एक जैसे होने के बावजूद वे अभी तक एक धरातल पर आने को तैयार नहीं हैं।
  • सत्य व नैतिकता को देश व काल की परिधि में नहीं विभाजित किया जा सकता। नैतिक सत्य सभी धर्मों में प्रेम, करुणा व दया की भावना का संदेश देता है।

धर्म और राजनीति:

  • प्राचीनकाल से ही धर्म और राजनीति अथवा राजनीति और धर्म में गहरा सम्बन्ध रहा है।
  • जब-जब धर्म व राजनीति का नकारात्मक मिलन हुआ है, तब-तब राजनीति ने धर्म का दुरुपयोग किया है।
  • विगत लगभग दो हजार वर्ष का इतिहास धर्म के नाम पर अनेक बार रक्त रंजित हुआ है।
  • राजनीति का मूल तत्व है नीति के अनुसार शासन करना। नीति वह संकल्पना होती है जो नैतिक मूल्यों और श्रेष्ठ धार्मिक मान्यताओं द्वारा पोषित होती है।
  • जब धर्म में आडम्बर व स्वार्थी प्रवृत्ति बलवती हो जाती है तो मनुष्य को उसके लक्ष्य से भ्रमित कर देती है।
  • धर्म व्यक्तिगत होता है जिसे बाहरी रूप से थोपना मानवता के लिए हानिकारक है।
  • धर्म और राजनीति का विवेकपूर्ण मिलन मानव कल्याण में साधक होता है जबकि इनका अविवेकपूर्ण मिलन दोनों को भ्रष्ट कर देता है।
  • धर्म और राजनीति के दायरे अलग-अलग हैं परन्तु दोनों की जड़े एक हैं।
  • नीतिगत धर्म व धर्मप्रद राजनीति का अनुगमन विश्व शान्ति की स्थापना के लिए अपरिहार्य है।

धर्म और अहिंसा:

  • क्षमा, दया, करुणा, सत्य, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी-अहिंसा और धर्म दोनों के आधार तत्व हैं।

धर्म और राष्ट्रीयता:

  • राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है। राष्ट्र की सुरक्षा, राष्ट्र का विकास, इसकी एकता और उन्नति में ही सभी का हित है।
  • हमारा कोई मत भाषा, मान्यता और धर्म राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकता।

भारतीय संस्कृति में धर्म की संकल्पना:

  • धर्म भारतीय संस्कृति और दर्शन की प्रमुख संकल्पना है।
  • धर्म शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की ‘धृ’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है- धारण करना।
  • भारतीय संदर्भ में धर्म के विभिन्न अर्थ हैं जिनमें प्रमुख हैं-कर्त्तव्य, अहिंसा, न्याय, सद्गुण एवं सदाचार आदि।
  • भारत में धर्म का सम्बन्ध साधना पक्ष या आचार पक्ष से है जिसका लक्ष्य आत्मा का उत्थान है।
  • गीता में सभी धर्मों को भक्ति के उचित मार्ग के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षणों यथा-धैर्य, क्षमा, संचय व चोरी न करना, स्वच्छता, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करने का उल्लेख किया गया है।

धर्म की ईसाई संकल्पना:

  • ईसाई धर्म एकेश्वरवादी धर्म है जिसकी उत्पत्ति आज से 2016 वर्ष पूर्व ईसा मसीह ने की थी।
  • ईसाई धर्म विश्व की जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक अनुयायियों वाला धर्म है। इसके सिद्धान्त मूलत: अहिंसा पर बल देते हैं।

इस्लाम में धर्म की संकल्पना:

  • इस्लाम विश्व के नवीनतम धर्मों में से एक है।
  • इस्लाम धर्म का प्रादुर्भाव 622 ई. में मोहम्मद पैगम्बर ने किया। भौगोलिक दृष्टि से विश्व के केन्द्रीय भूभाग पर इस्लाम का आधिपत्य है। धर्म की राजनीति में और राजनीति की धर्म में झलक समस्त इस्लामी संस्कृति वाले देशों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
  • इस्लामिक राज्यों में लोकतान्त्रिक शासन एवं मूल्यों का लगभग अभाव पाया जाता है।

निष्कर्ष:

  • धर्म एक विश्वास और आस्था है। भारतीय संस्कृति से इसका प्रगाढ़ सम्बन्ध है।
  • भारतीय संस्कृति में सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का मूलाधार धर्म ही रहा है।
  • भारत की धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की नींव धार्मिक सहिष्णुता, धार्मिक सद्भाव व नैतिकता पर आधारित है। हिंसा के लिए यहाँ कोई स्थान नहीं है।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 3 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • विज्ञान — इसे अंग्रेजी भाषा में Science कहते हैं। इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द Scientia से हुई है, जिसका अर्थ है-ज्ञान या जानना अर्थात् हमारे इस भौतिक जगत में जो कुछ भी घटित हो रहा है, उसका क्रमबद्ध या व्यवस्थित ज्ञान ही विज्ञान कहलाता है।
  • इंटरनेट — भेजने वाले तथा प्राप्त करने वाले के शारीरिक संचलन के बिना कम्प्यूटर पर सूचनाओं के प्रेक्षण और प्राप्ति की विद्युतीय अंकीय दुनिया को इंटरनेट कहते हैं। इसकी शुरूआत 1969 ईस्वी में हुई थी।
  • धर्म — संस्कृत भाषा में धर्म शब्द ‘ धारणात’ से बना है जिसमें ‘धृ’ धातु है जिसका आशय है- धारण करना। धर्म विश्वासों और प्रथाओं की ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से लोगों का समूह यह व्याख्या करता है कि उसके लिए क्या पवित्र और अलौकिक है।
  • संस्कृति — संस्कृति से आशय मानव के रहने के ढंग, व्यवहार, जीविका कमाने के तरीके, नया ज्ञान हूँढने तथा कला व साहित्य में अपने विचारों को व्यक्त करने से है।
  • धर्म निरपेक्षता — धर्म निरपेक्षता का अर्थ है-किसी भी धर्म के मानने वाले के साथ भेदभाव न हो और सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखना ।
  • साम्प्रदायिकता — साम्प्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अन्य समूहों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयत्न करते हैं।
  • राजनीति — शक्ति ग्रहण करने की तकनीक को राजनीति कहा जाता है। राजनीति विविध अर्थों वाली प्रक्रिया है। अपने व्यापक व तार्किक अर्थों में जब जनता सामाजिक विकास को बढ़ावा देने एवं सामान्य समस्याओं के समाधान हेतु परस्पर बातचीत करती है तथा सामूहिक गतिविधियों में भाग लेती है तो उसे राजनीति कहा जाता है। संकुचित अर्थों में नेताओं के क्रियाकलाप, स्वार्थपूर्ति हेतु किए गए कार्यों आदि को भी राजनीति कह दिया जाता है किसी भी विषय पर एक समान चिंतन या समझने-समझाने की दृष्टि भी राजनीति कहलाती है। |
  • अहिंसा — मन, वचन और कर्म से किसी जीव को कष्ट नहीं पहुँचाना।।
  • राष्ट्र — राष्ट्र एक सांस्कृतिक अवधारणा है। यह एक ऐसा जन समूह होता है जो स्वतंत्र रूप से एक निश्चित भूभाग में रहता है और सांस्कृतिक एकरूपता, समानता व बंधुत्व की सामुदायिक भावना के आधार पर संगठित होता है।
  • ऋग्वेद — सबसे प्राचीन ग्रन्थ। इसमें मुख्य रूप से धर्मपरक सूक्त हैं।
  • वैदिक धर्म — इसे सनातन धर्म भी कहते हैं। यह विश्व का प्रचीनतम धर्म माना जाता है। यह वेदों पर आधारित है। वैदिक धर्म में भिन्न-भिन्न उपासना पद्धति, मत, सम्प्रदाय और दर्शनों का समावेश है।
  • इस्लाम धर्म — इस धर्म का उद्भव 622 ई. में हुआ। इसके प्रवर्तक मोहम्मद पैगम्बर थे। इस धर्म का प्रसिद्ध ग्रन्थ कुरान है।
  • ईसाई धर्म — इस धर्म के संस्थापक ईसासीह थे। इस धर्म की पवित्र पुस्तक ‘बाईबिल’ है।
  • हिन्दू — यह शब्द लगभग छठी से पाँचवीं शताब्दी ई. पू. मे प्रयोग होने वाला एक प्राचीन फारसी शब्द है, जिनका प्रयोग सिन्धु नदी के पूर्व के क्षेत्र के लिए किया जाता था। अरबी व्यक्तियों ने फारसी शब्द का प्रचलन बनाए रखा तथा इसे क्षेत्र को अल-हिंद तथा यहाँ के नागरिकों को हिन्दू कहा।
  • गीता — यह महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश है। इसमें कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश सन्निहित है। गीता में समस्त धर्मों को भक्ति के उचित मार्ग के रूप में स्वीकार किया गया है।
  •  बौद्धधर्म — इस धर्म की स्थापना छठी शताब्दी ई. पू. में पूर्वी भारत में महात्मा बुद्ध ने की। इस धर्म ने सर्वप्रथम सम्पूर्ण विश्व को एक सरल व आडम्बर रहित धर्म प्रदान किया।
  • जैन धर्म — विश्व का एक अति प्राचीन धर्म। यह कर्म और पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। इस धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी थे। इन्होंने जैन धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
  • सिक्ख धर्म — इस धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग पंजाब में गुरुनानक देव द्वारा दी गई। सिक्ख धर्म में गुरु परम्परा का विशेष महत्व रहा है।
  • मनुस्मृति — प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था की प्रथम पुस्तक। इसके रचयिता मनु थे। इस ग्रन्थ में धर्म और राज्य को परस्पर निर्भर माना गया है।
  • आतंकवाद — आतंकवाद उन हिंसात्मक गतिविधियों व कार्यवाहियों का सामूहिक नाम है जिनके द्वारा सरकार और नागरिकों को भयभीत करके कुछ लोग अपनी बात मनवाना चाहते हैं। जैसे- ट्रेन में बम विस्फोट, निर्दोष नागरिकों पर गोलीबारी करना आदि।
  • पाश्चात्य संस्कृति — यूरोपीय देशों की संस्कृति को पाश्चात्य संस्कृति कहा जाता है।
  • राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद — यह एक ऐसी धारणा है जो उन लोगों में उत्पन्न होती है जिनका देश, प्रजाति, साहित्य, इतिहास, भाषा, धर्म, राजनीतिक आकांक्षाएँ तथा आर्थिक हित एक समान होते हैं।
  • एकेश्वरवाद — वह धर्म जिसमें केवल एक ही ईश्वर को मान्यता दी जाती है।
  • महाभारत — वेद व्यास द्वारा रचित वह परम प्रसिद्ध संस्कृत महाकाव्य जिसमें कौरवों और पाण्डवों के युद्ध का वर्णन है। महाभारत का प्राचीन नाम जयसंहिता भी था।
  • रामायण — वाल्मीकि द्वारा लिखित संस्कृत भाषा का ग्रन्थ। इनके द्वारा रचित रामायण सात काण्डों में बँटी हुई है। यह एक महाकाव्य है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन चरित्र वर्णित है।
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन — महान दार्शनिक व शिक्षाविद् और भारत के द्वितीय राष्ट्रपति। ये स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति भी थे। इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ है- भगवद्गीता, द हिन्दू, व्यू ऑफ लाइफ एवं इंडियन फिलॉसफी।
  • स्वामी विवेकानन्द — 12 जनवरी 1863 ई. को कलकत्ता में जन्में, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म और समाज से सम्पूर्ण विश्व को परिचित करवाया। भारतीय राष्ट्रवाद के समर्थक। रामकृष्ण मिशन के संस्थापक। इन्होंने 1893 ई. में शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में भाग लिया।
  • राममनोहर लोहिया — प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी चिंतक, साप्तक्रांति की धारणा के प्रतिपादक। हिन्दी के समर्थक। इन्होंने नेहरू व इंदिरा सरकार की नीतियों का विरोध किया था। |
  • मैथिलीशरण गुप्त — यह देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम के प्रमुख कवि रहे हैं। इसलिए हिन्दी संसार ने इन्हें ‘राष्ट्रकवि’ का सम्मान दिया। ‘साकेत’ इनका प्रसिद्ध महाकाव्य है।
  • याज्ञवल्क्य — प्रसिद्ध भारतीय ऋषि व दार्शनिक। इन्होंने धर्म के 9 लक्षण बताए हैं। इन्होंने ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ की रचना की थी। |
  • ईसामसीह — ईसाई धर्म के संस्थापक। इनका जन्म फिलिस्तीन के बेथेलहम में हुआ था। इनके उपदेश ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक ‘बाईबिल’ में संग्रहित है।
  • मोहम्मद पैगम्बर — इस्लाम धर्म के संस्थापक। इनका जन्म 520 ई. में मक्का में हुआ था। इनकी प्रमुख शिक्षाएँ पवित्र ग्रन्थ कुरान’ में संकलित हैं।
  • कन्फूशियस — प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक। इनका जन्म चीन के ‘लू’ प्रांत के एक कुलीन वर्गीय परिवार में 551 ई. में हुआ था। इन्होंने अनेक धार्मिक सुधारों के साथ ही चीन में ‘कन्फ्यूशियसिज्म’ नामक नए धर्म की भी शुरूआत की।
  • पाईथागोरेस — यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं नक्षत्र विज्ञानी। इनका काल 582 ई. पू. से 507 ई. पू. तक था। यह रेखा गणित के जन्मदाता थे। इन्होंने बिंदु, रेखा, धरातल एवं विस्तार की कल्पना को विकसित किया। इनका प्रमेय आज । भी महत्वपूर्ण है।
  • मार्टिन लूथर — जर्मन निवासी, धर्मशास्त्र के आचार्य, पाप मोचन पत्रों की बिक्री से ये पोप के विरोधी बन गए। इन्होंने ‘जस्टिफिकेशन बाई फेथ’ सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों से नहीं बल्कि श्रद्धा एवं विश्वास से ईश्वर तक पहुँच सकता है। यही सिद्धान्त बाढ़ में इनके द्वारा प्रतिपादित मत प्रोटेस्टेण्टवाद का आधार बना। ‘नाइंटी फाइव मिसेज’ इनका प्रमुख ग्रन्थ है।
  • गुरुनानक — सिक्ख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम गुरु। मुगल सम्राट अकबर के समकालीन गुरुनानक का जन्म पाकिस्तान के तलवंडी नामक ग्राम में हुआ था, जिसे वर्तमान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
  • केल्विन — यह यूरोप के धर्म प्रचारक थे। प्रोटेस्टेंट धर्म का प्रसार करने में योगदान दिया। उनके धर्म के अनुयायी केल्विननिष्ट कहलाये।
  • बर्टेड रसेल — इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध दार्शनिक एंव इन्होंने गणितज्ञ जिन्हें 1950 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्होंने विश्व शांति एवं अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति मानवीय उपागम का पक्ष लिया। इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं- मैरिज एंड मॉरल्स, द प्रिंसिपल्स ऑफ मैथमेटिक्स एवं प्रॉब्लम्स ऑफ फिलॉसफी।।
  • ई. एम. फोस्टर — भारत के बारे में लिखने वाले प्रसिद्ध विदेशी लेखक। इनकी रचना ‘ए पैसेज टू इण्डिया’ के 1924 ई. में प्रकाशन के 23 वर्ष पश्चात् अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र कर दिया क्योंकि इसमें भारत की स्वतंत्रता के बारे में महत्वपूर्ण कारण विद्यमान थे।

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