RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

क्षेत्रीय संगठन—आसियन (ASEAN):

  • विश्व राजनीति में दक्षिण-पूर्वी एशिया सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
  • दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में चीन के दक्षिण में तथा भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्व में स्थित विभिन्न देश आते हैं। जिनमें म्यांमार, ब्रुनेई, थाईलैंड, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, कम्पूचिया तथा फिलिपीन्स आदि देश शामिल हैं।
  • विश्व राजनीति में “दक्षिण पूर्वी एशिया” शब्द की उत्पत्ति दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् हुई है।
  • “दक्षिण पूर्वी एशिया” शब्द का प्रयोग “एडमिरल माउण्टबैटन” के नेतृत्व में दक्षिण कमांड की स्थापना के दौरान 1953 में क्यूबेक सम्मेलन में किया गया है।
  • वर्तमान में दस राष्ट्र इस क्षेत्र में स्थित हैं।
  • दक्षिण पूर्वी एशिया सामरिक तथा भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हिन्द महासागर को प्रशांत महासागर से मिलाने वाले समुद्री मार्ग पर स्थित है और एशिया व ऑस्ट्रेलिया को प्राकृतिक पुल के द्वारा आपस में जोड़ता है।
  • उपजाऊपन में श्रेष्ठता के कारण इस क्षेत्र को ‘एशिया का चावल का कटोरा’ कहा जाता है।
  • चीन की विस्तारवादी नीति के कारण दक्षिण-पूर्वी एशिया के सभी छोटे-बड़े देश चीन के प्रति आशंकित रहने लगे हैं।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया के राष्ट्रों ने परस्पर आर्थिक सहयोग को गति प्रदान करने के लिए आसियान (ASEAN) अर्थात् दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ (Association of South-East Asian Nations) नामक संगठन की स्थापना की।

आसियान का संगठन:

  • दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ की स्थापना 8 अगस्त, 1967 में .5 देशों ने क्षेत्रीय सहयोग के उद्देश्य से असैनिक संगठन के रूप में की है, इसके प्रारम्भिक सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन्स, सिंगापुर तथा थाईलैंड शामिल थे।
  • 1984 में ब्रुनेई भी आसियान का सदस्य बन गया।
  • प्रारम्भ में वियतनाम, लाओस, कम्बोडिया तथा म्यांमार को प्रेक्षक का दर्जा दिया गया था।
  • वियतनाम को सन् 1995 में और कम्बोडिया को 30 अप्रैल, 1999 को आसियान का पूर्णकालिक सदस्य बना दिया गया।
  • 24 जुलाई, 1996 में भारत को आसियान का ‘पूर्ण संवाद सहभागी’ बना दिया गया है। चीन तथा रूस को भी भारत के समान पूर्ण संवाद सहभागी बना दिया गया है।
  • आसियान का सचिवालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है और उसका अध्यक्ष महासचिव होता है।
  • आसियान की सहयोगी संस्था एशियाई क्षेत्रीय फोरम (Asian Regional forum-ARF) के संयुक्त राज्य __ अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित कुल 23 सदस्य हैं।
  • आसियान का पहला शिखर सम्मेलन सन् 1976 में बाली (इंडोनेशिया) में आयोजित किया गया था और उसका 28 वाँ व 29 वाँ सम्मेलन वियनतियाने (लाओस) में 6 से 7 सितम्बर, 2016 को आयोजित किया गया।

आसियान की प्रकृति एवं उद्देश्य:

  • आसियान के निर्माण का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्वी एशिया में आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करना और सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को स्थायित्व प्रदान करना है।
  • सदस्य देशों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, तकनीकी तथा प्रशासनिक आदि क्षेत्रों में परस्पर सहयोग करना एवं विभिन्न साझी समस्याओं का मिलकर समाधान ढूँढ़ना ही आसियान का उद्देश्य है।
  • यह संगठन पूर्णतः आर्थिक सहयोग पर आधारित है और इसका स्वरूप कदापि सैनिक नहीं है।

आसियान के कार्य एवं भूमिका:

  • आसियान के कार्य क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। यह संगठन राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक एवं प्रशासनिक आदि समस्त क्षेत्रों में क्रियाशील है।
  • पर्यटन के क्षेत्र में ‘आसियण्टा’ नामक सामूहिक संगठन की स्थापना की गई, जो आसियान के सदस्य देशों में बिना किसी वीजा के परस्पर पर्यटन पर बल देता है।

भारत और आसियान:

  • भारत आसियान का पूर्ण संवाद सहयोगी देश है व आसियान के सहयोगी संगठन एशियाई क्षेत्रीय फोरम का भी सदस्य है।
  • भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति के तहत् दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सम्बन्धों में घनिष्ठता लाना चाहते हैं।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने 6 से 7 सितम्बर के मध्य लाओस की राजधानी वियनतियाने में 14 वें आसियान भारत शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आतंकवाद और कट्टरवाद का मिलकर सामना करने पर बल दिया। 3
  • नरेन्द्र मोदी ने जापान सहित सभी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ नए सिरे से व्यापार व सामरिक संबंध स्थापित करने पर बल दिया है।
  • आर्थिक सहयोग में आसियान की गति धीमी होने का कारण सदस्य राष्ट्रों के पास आवश्यक पूँजी एवं क्रय शक्ति का कम होना है।
  • इंडोनेशिया के अतिरिक्त आसियान के अन्य सदस्य राष्ट्र मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपींस एवं थाईलैंड पश्चिमी देशों के साथ सुरक्षात्मक समझौते से जुड़े हैं तथा उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के अनेक मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि हिंदचीन पर भी पश्चिमी शक्तियों का साथ दिया है।
  • आसियान की सदस्यता के द्वार दक्षिण-पूर्वी एशिया के उन सभी राष्ट्रों के लिए खुले हुए हैं जो इसके उद्देश्य, सिद्धान्त तथा प्रयोजनों में विश्वास रखते हैं।
  • आसियान के महत्त्व को इस बात से आँका जा सकता है कि विश्व के महत्त्वूपर्ण 23 देशों में जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, चीन एवं भारत आदि शामिल हैं, वे इसकी ‘एशियन रीजनल फोरम’ के सदस्य हैं।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC):

  • दक्षेस (सार्क) की स्थापना ढाका में हुई और इसका सचिवालय काठमांडू में स्थित है।
  • दक्षेस (सार्क) में मूलरूप से 7 सदस्य देश हैं-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान तथा मालद्वीप।
  • अप्रैल 2007 में अफगानिस्तान दक्षेस (सार्क) का 8 वाँ सदस्य देश बना।
  • दक्षेस की हिस्सेदारी विश्व जनसंख्या में 21 प्रतिशत, क्षेत्रफल 3 प्रतिशत तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में 9.12 प्रतिशत है।
  • दक्षेस (सार्क) स्वयं भी संयुक्त राष्ट्र संघ में एक पर्यवेक्षक है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का क्षेत्र राजनीतिक रूप से दो बड़े देश-भारत व पाकिस्तान के परस्पर तनाव के कारण व्यापक सहयोग को मूर्त रूप नहीं दे पाया।
  • विश्व के अनेक क्षेत्रीय सहयोग संगठनों, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई सहयोग संगठन (ASEAN) की सफलता ने भी दक्षिण एशियाई देशों के नेतृत्व को उस ओर गंभीरता से सोचने पर बाध्य किया।
  • दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 7-8 दिसम्बर 1985 को ढाका में सम्पन्न हुआ।

दक्षेस का चार्टर:

  • दक्षेस के घोषणा पत्र (चार्टर) में दस धाराएँ हैं। इन पर 1985 ई. के ढाका सम्मेलन में सहमति बनी थी।
  • दक्षेस के चार्टर में इसके प्रमुख सिद्धान्तों, उद्देश्यों एवं संस्थागत संरचनाओं का उल्लेख किया गया है।

सांगठनिक ढाँचा:

  • चार्टर के अनुच्छेद एक में सार्क के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन है।
  • चार्टर के अनुच्छेद दो में सार्क के मुख्य सिद्धांतों का वर्णन है।
  • चार्टर में दिए अनुच्छेद तीन में दक्षेस के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद चार में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की वर्ष में कम से कम दो बैठकों के आयोजन का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद पांच में स्थायी समिति का प्रावधान है जिसमें सदस्य राष्ट्रों के लिए विदेश सचिव सम्मिलित होते हैं।
  • अनुच्छेद छः में तकनीकी, समितियों का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद सात में कार्यकारी समिति का प्रावधान है।
  • अनुच्छेद 8 में दक्षेस सचिवालय का प्रावधान है जिसका मुख्यालय काठमांडू में है।
  • अनुच्छेद 9 व 10 में दक्षेस के वित्तीय संस्थानों एवं अंशदानों का प्रावधान है।

दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA):

  • सन् 2004 में दक्षेस के 12वें शिखर सम्मेलन में इस्लामाबाद में साफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता जनवरी 2006 में लागू हो गया।
  • दक्षेस राष्ट्रों के मध्य आपस का कुल व्यापार उन देशों के सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 1 प्रतिशत है, जबकि आसियान के राष्ट्रों के बीच यही 10 प्रतिशत तक है।

दक्षेस का मूल्यांकन और प्रासंगिकता:

  • दक्षेस का घोषित उद्देश्य क्षेत्र को सामूहिक सहयोग के आधार पर सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विकसित करना है, परन्तु दक्षेस के देशों, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच जारी राजनीतिक विवादों ने उक्त सहयोग की प्रक्रिया को अत्यन्त धीमा कर दिया है।
  • कश्मीर समस्या, सीमापार आतंकवाद, चीनी हस्तक्षेप आदि कई राजनीतिक विवादों ने दक्षेस को वर्तमान में लगभग अप्रासंगिक ही कर दिया है।
  • दक्षिण एशिया में एक प्रकार से भारत को कूटनीतिज्ञ स्तर पर विश्वव्यापी सफलताएँ मिली हैं। आर्थिक स्तर पर भारत की प्रशंसा हुई है तथा राजनीतिक स्तर पर भारतीय लोकतंत्र की भी सम्पूर्ण विश्व में सराहना हुई है।

महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ:

1947 ई. — दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संगठन बनाने के प्रयास नई दिल्ली में एशियाई सम्बन्ध सम्मेलन से ही प्रारम्भ हो गए थे। .
1949 ई. — चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।
1950 ई. — फिलिपींस के बागुई सम्मेलन में आसियान की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श हुआ।
1953 ई. — इस वर्ष दक्षिण-पूर्वी एशिया शब्द का प्रयोग एडमिरल माउण्टबैटन के नेतृत्व में दक्षिण-पूर्वी एशिया कमांड की स्थापना के दौरान क्यूबेक सम्मेलन में किया गया। 5. 1954 ई. — दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए 1954 में कोलंबो सम्मेलन में इस प्रक्रिया पर पुनः विचार-विमर्श हुआ।
1967 ई. — 8 अगस्त को 5 देशों; यथा- इण्डोनोशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर व थाईलैण्ड द्वारा आसियान की स्थापना की गई।
1969 ई. — 1969 में संचार व्यवस्था एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए इन देशों (ASEAN) ने एक अनुबंध किया, जिसके अन्तर्गत सभी देशों में रेडियो एवं दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रमों का आदान-प्रदान किया जाना तय किया गया।
1970 ई. — 1970 के दशक में दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संगठन को व्यापक बनाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता महसूस की जाने लगी।
1971 ई. — हवाई सेवाओं के व्यापारिक अधिकारों की रक्षा के लिए आसियान द्वारा कई देशों के साथ समझौते किए।
1972 ई. — फंसे हुए जहाजों को सहायता पहुँचाने से सम्बन्धित भी आसियान द्वारा करार किए गए।
1976 ई. — आसियान का पहला शिखर सम्मेलन बाली (इंडोनेशिया) में आयोजित किया गया था।
1977 ई. — आसियान की सफलता ने दक्षिण एशियाई देशों के नेतृत्व को मजबूती प्रदान करने के लिए, इस दिशा में प्रारम्भिक पहल करने का कार्य में बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘जियाउर्रहमान अंसारी’ ने किया।
1981 ई. — कोलम्बो में सात देशों के विदेश मंत्रियों ने बांग्लादेश के प्रस्ताव पर गहन विचार किया। तथा पाँच प्रमुख विषय निश्चित किए गए।
1983 ई. — नई दिल्ली में सात देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में इन पाँच विषयों-कृषि, ग्रामीण विकास, दूरसंचार, मौसम विज्ञान तथा स्वास्थ्य व जनसंचार पर दक्षेस के घोषणा पत्र को स्वीकार कर लिया गया। 1984 ई. ब्रूनेई आसियान का सदस्य बना।
1985 ई. — दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 1985 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की स्थापना की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 7-8 दिसम्बर को ढाका में सम्पन्न हुआ। दक्षेस के घोषणा-पत्र अथवा चार्टर जिस पर 1985 के ढाका सम्मेलन में सहमति बनी, उसमें 10 धाराएँ हैं।
1986 ई. — दक्षेस का द्वितीय शिखर सम्मेलन बेंगलुरू में सम्पन्न हुआ।
1987 ई. — अनुच्छेद 8 में दक्षेस सचिवालय का प्रावधान है जिसकी स्थापना 1987 में की गई तथा इसका मुख्यालय काठमांडू में है।
1988 ई. — 1988 के इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन में भारत आर्थिक सहयोग के बाधित विकास पर चिंता व्यक्त कर चुका है।
1990 ई. — दक्षेस का 5वाँ शिखर सम्मेलन माले में सम्पन्न हुआ।
1991 ई. — दक्षेस का 6वाँ शिखर सम्मेलन कोलंबो में सम्पन्न हुआ।
1993 ई. — दक्षेस का 7वाँ शिखर सम्मेलन ढाका में सम्पन्न हुआ।
1995 ई. — दक्षेस का 8वाँ शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। . दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) की स्थापना पर सर्वप्रथम 1995 में दक्षेस मंत्री परिषद् की बैठक में सहमति बनी। वियतनाम को आसियान का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया।
1996 ई. — 24 जुलाई, को भारत को आसियान ‘पूर्ण संवाद सहभागी’ बनाया गया।
1997 ई. — दक्षेस का 9वाँ शिखर सम्मेलन माले में सम्पन्न हुआ।
1998 ई. — दक्षेस का 10वाँ शिखर सम्मेलन कोलंबो में सम्पन्न हुआ। 1998 में दक्षेस के 10 वें शिखर सम्मेलन में एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय हुआ, जिसका कार्य साफ्टा की पृष्ठभूमि बनाना था। 1999 ई. 30 अप्रैल को कम्बोडिया को आसियान का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया।
2002 ई. — दक्षेस का 11वाँ शिखर सम्मेलन में काठमांडू में सम्पन्न हुआ।
2004 ई. — दक्षेस का 12वाँ शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में सम्पन्न हुआ तथा इस्लामाबाद में सॉफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए।
2005 ई. — दक्षेस का 13 वाँ शिखर सम्मेलन 13-17 नवम्बर को ढाका में सम्पन्न हुआ।
2006 ई. — 12 वें शिखर सम्मेलन में इस्लामाबाद में सॉफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और यह जनवरी 2006 से लागू हो गया।
2007 ई. — अप्रैल 2007 में अफगानिस्तान दक्षेस का 8वाँ सदस्य देश बना।
2009 ई. — सॉफ्टा समझौते के अन्तर्गत दक्षेस के सदस्य राष्ट्रों से यह अपेक्षा की गयी थी, वे 2009 तक अपने करों में 20 प्रतिशत तक की कमी करें परन्तु ऐसा पाकिस्तान की नीतियों के कारण सम्भव नहीं हो सका।
2016 ई. — 6-7 सितम्बर को आसियान का 28 वाँ व 29 वाँ सम्मेलन वियनतियाने में (लाओस) में आयोजित हुआ।
2016-20 ई. — आसियान इंडिया प्लान ऑफ ऐक्शन (2016-20) के तहत ऐक्टिविटिड को लागू किया जा चुका

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 31 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • आसियान-दक्षिण — पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन को संक्षिप्त रूप में आसियान अथवा एसियन के नाम से जाना जाता है। 8 अगस्त, 1967 को स्थापित आसियान के वर्तमान सदस्यों की संख्या 10 है।
  • महासागर — भूपटल पर बड़ी-बड़ी गहरी और आपस में मिली हुई खाइयां जिनमें खारा पानी भरा रहता है, महासागर कहलाती हैं। ये विशाल जलराशियां हैं। इनकी औसत गहराई समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर नीचे हैं। पृथ्वी पर 5 महासागर हैं।
  • प्रशांत महासागर — विश्व का सबसे बड़ा महासागर। इसका क्षेत्रफल लगभग 17.9 करोड़ वर्ग किमी. है। 4. हिंद महासागर-विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर। इसका क्षेत्रफल 7.4 करोड़ वर्ग किमी. है।
  • एशियाई क्षेत्रीय फोरम — आसियान की सहयोगी संस्था। संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, रूस, चीन, जापान और उत्तर कोरिया सहित 23 देश इसके सदस्य हैं।
  • आसियाण्टा — आसियान के सदस्य देशों ने आपस में बिना किसी वीजा के परस्पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस संगठन की स्थापना की।
  • वीजा — जब कभी एक देश का नागरिक दूसरे देश में घूमने, बसने, पढ़ने या अन्य कोई काम करने के लिए जाना चाहता है तो उसे अपनी सरकार से पासपोर्ट लेने के अतिरिक्त दूसरे देश की सरकार से उस देश में प्रवेश करने की अनुमति भी लेनी पड़ती है, यह अनुमति वीजा या प्रवेश-पत्र कहलाती है। वीजा प्रायः संबद्ध देश के दूतावास से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • सार्क (दक्षेस) — दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 1985 ई. में इस संगठन की स्थापना की। इसका पूरा नाम दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालद्वीव . एवं अफगानिस्तान इसके सदस्य राष्ट्र हैं। इसका मुख्यालय काठमाण्डू (नेपाल) में है।
  • जी.डी.पी. — इसका पूरा नाम सकल घरेलू उत्पाद। इसका आशय देश में होने वाले कुल उत्पादन से है।
  • साम्यवादी शासन — 1949 ई. चीन में स्थापित शासन। इस प्रकार की शासन व्यवस्था जिसमें उत्पादन तथा वितरण के साधनों पर सरकार का नियंत्रण रहता है।
  • साफ्टा — 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी हुआ दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता, जो सम्पूर्ण एशियाई देशों को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए किया गया।
  • एडमिरल माउण्टबेटन — दक्षिण-पूर्वी एशिया’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग। इनके नेतृत्व में दक्षिण पूर्वी एशिया कमाण्ड की स्थापना के दौरान 1953 ई. में क्यूबेक सम्मेलन में किया गया।
  • जियाउर्रहमान अंसारी — बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री। इन्होंने आसियान की स्थापना हेतु प्रारंभिक पहल की।

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