RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 5 राजनीतिक समाजीकरण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 5 राजनीतिक समाजीकरण

  • राजनीतिक समाजीकरण को नवीनतम अवधारणा माना जाता है किन्तु वास्तव में यह अत्यन्त प्राचीन अवधारणा है।
  • समाज की राजनीतिक संस्कृति को निर्धारित करने में राजनीतिक समाजीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • राजनीतिक समाजीकरण एक समाजशास्त्रीय संकल्पना है जो समाजीकरण से प्रेरित है।
  • समाजीकरण एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज के रीति-रिवाजों, परम्पराओं, मूल्यों और मान्यताओं को ग्रहण कर समाज का क्रियाशील सदस्य बनता है।
  • राजनीतिक समाजीकरण की सर्वप्रथम व्याख्या करने वाले राजनीतिविज्ञानियों में हरबर्ट साइमन प्रमुख हैं।
  • राजनीतिक समाजीकरण का उद्देश्य व्यक्तियों को राजनीतिक व्यवस्था की शिक्षा प्रदान करना है। यही शिक्षा राजनीतिक व्यवस्था के सुचारु संचालन में सहायक बनती है।
  • राजनीतिक समाजीकरण राजनीतिक संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित करने का एक साधन है।

राजनीतिक समाजीकरण के साधन:

  • परिवार, शिक्षण संस्थाएँ, राजनीतिक एवं सामाजिक संस्थाएँ, सरकारी प्रक्रियाएँ, राष्ट्रीय प्रतीक एवं जनसंचार के | साधन आदि राजनीतिक समाजीकरण के प्रमुख साधन हैं।

परिवार:

  • परिवार समाजीकरण की प्रथम पाठशाला मानी जाती है।
  • राजनीति के प्रति प्रारम्भिक समझ का विकास परिवार के माध्यम से ही होता है।

शिक्षण संस्थाएँ:

  • शिक्षण संस्थाओं में बालक की शिक्षा जितनी व्यापक होगी, वह राजनीति में उतनी ही रुचि लेगा और उसके राजनीतिक ज्ञान का विकास होगा।
  • शिक्षक अपने आचरण एवं अन्य विभिन्न तरीकों से अपने विद्यार्थियों को अपनी विचारधारा की ओर प्रेरित करने का प्रयास करते हैं।

राजनीतिक दल:

  • राजनीतिक दल अपनी नीतियों, विचारधारा एवं कार्यक्रमों के माध्यम से समाजीकरण का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
  • विभिन्न प्रकार की शासन व्यवस्थाओं में राजनीतिक दलों की भूमिका अलग-अलग होती है।

राष्ट्रीय प्रतीक:

  • राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रीय दिवस तथा समारोह एवं सेना की परेड आदि प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक हैं।
  • इनके माध्यम से राजनीतिक व्यवस्था एवं राजनीतिक आदर्शों के प्रति नागरिकों में आस्था के भाव उत्पन्न किए जाते हैं।

जनसंचार के साधन:

  • वर्तमान समय में जनसंचार के प्रमुख साधन, समाचार-पत्र, टेलीविजन एवं रेडियो आदि हैं।
  • इनके माध्यम से लोगों को राजनीतिक ज्ञान तथा अपने विचारों को दिशा प्रदान करने का कार्य किया जाता है।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 5 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945 ई.) — यह विश्व युद्ध जर्मनी द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण के साथ 1 सितम्बर 1939 को आरम्भ हुआ और जापान के आत्मसमर्पण के साथ 14 अगस्त 1945 को समाप्त हुआ।
  • व्यवहारवादी क्रांति — यह परम्परागत राजनीति विज्ञान की असफलताओं के प्रति असन्तोष का परिणाम है। इस क्रान्ति का उद्देश्य राजनीति विज्ञान को अधिक वैज्ञानिक बनाना है।
  • अन्त — अनुशासनात्मक उपागम-एक विषय द्वारा दूसरे विषय की अध्ययन पद्धतियों व उपलब्धियों आदि को अपनाना।
  • समाजशास्त्र — यह एक ऐसा सामान्य और मूलभूत समाज विज्ञान है जो कि मानव के सामाजिक जीवन के मूल तथ्यों का अध्ययन करता है। यह मानव जीवन के समस्त सामाजिक, कानूनी, राजनीतिक, धार्मिक एवं आर्थिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।
  • राजनीतिक समाजीकरण — जिस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति राजनीति से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त करता है, उस प्रक्रिया को राजनीतिक समाजीकरण कहते हैं।
  • समाजीकरण — समाजीकरण समाज के मूलभूत सिद्धान्त को सीखने की प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक कार्य करने के योग्य बनता है।
  • तुलनात्मक राजनीति – राजनीति विज्ञान की वह शाखा जिसमें विभिन्न देशों की राजनीतिक व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।
  • राजनीतिक संस्कृति — राजनीतिक संस्कृति की धारणा ऐसे मूल्यों, विश्वासों व मनोभावों को व्यक्त करने का सुविधाजनक व संक्षिप्त ढंग है जो राजनीतिक जीवन को अर्थ प्रदान करते हैं।
  • राजनीतिक विकास — मैकेंजी के अनुसार-“राजनीतिक विकास समाज के उच्चस्तरीय अनुकूलन के प्रति अनुकूल होने की क्षमता है।”
  • राजनीतिक व्यवस्था — राजनीतिक व्यवस्था में वे सभी बातें सम्मिलित की जाती हैं, जो एक समाज में शक्ति, सुरक्षा व व्यवस्था बनाये रखने में सहयोग देती हैं। दूसरे शब्दों में राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा में समाज की समस्त प्रकार की गतिविधियाँ आ जाती हैं।
  • संस्कृति — संस्कृति एक समग्र जीवन पद्धति है। जीवन को कल्याणमय बनाने के लिए हम जिन परम्पराओं, प्रथाओं, कला, साहित्य, धर्म और व्यवहारों का सृजन करते हैं, वे सभी संस्कृति के अन्तर्गत आते हैं।
  • लोकतन्त्र/प्रजातन्त्र — जिस शासन व्यवस्था में जनता का प्रभुत्व हो अर्थात् जनता में समस्त शक्ति निहित हो, प्रजातंत्र/लोकतंत्र कहलाती है। राष्ट्रपति लिंकन के अनुसार-‘लोकतन्त्र जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन होता है। वस्तुतः लोकतन्त्र वह शासन व्यवस्था है जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी होती है।
  • जनमत/लोकमत — जनमत का अर्थ है जनता का मत वस्तुत: जनमत स्वयं सचेत समुदाय का किसी सामान्य अभिप्राय के प्रश्न के ऊपर विवेकपूर्ण सामाजिक विवेचन के बाद लिया गया सामाजिक निर्णय है।
  • साम्यवाद — कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित विचारधारा। इसके अनुसार उत्पादन के समस्त साधनों पर समाज का स्वामित्व होता है। उत्पादन का वितरण लोगों के परिश्रम व योग्यता के अनुसार न होकर लोगों की भावात्मकता के अनुसार होता है।
  • सर्वाधिकारवाद — सर्वाधिकार एक प्रकार की शासन व्यवस्था है। इसमें राज्य सर्वशक्तिमान होता है। मनुष्य के जीवन पर राज्य का एकाधिकार रहता है।
  • राजनीतिक दल — लोगों का एक समूह जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक भागीदारी प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है।
  • मीडिया — संचार के साधनों को मीडिया कहा जाता है। मीडिया दो प्रकार का होता है-(i) प्रिंटमीडिया, (ii) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। प्रिंट मीडिया के अंतर्गत समाचार पत्र व पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं जबकि दूरदर्शन, रेडियो, इन्टरनेट आदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अन्तर्गत आते हैं।
  • राजनीतिक मूल्य — मानव समाज में राज्य के लिए निर्धारित किये गये मूल्यों को राजनीतिक मूल्य कहते हैं। जैसे-कर्त्तव्य, दायित्व, अधिकार, स्वतन्त्रता, कानून, न्याय आदि राजनीतिक मूल्य हैं।
  • परिवार – परिवार सम्बन्धों की वह व्यवस्था है जो माता-पिता और उसकी सन्तानों के बीच पायी जाती है।
  • हरबर्ट साइमन — प्रसिद्ध राजनीति शास्त्री। इन्होंने राजनीतिक समाजीकरण की सर्वप्रथम व्याख्या की। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है-‘Political socialization’.
  • आमण्ड और पावेल — राजनीति विज्ञानी, इन्होंने राजनीतिक समाजीकरण को राजनीतिक संस्कृति में प्रवेश । करने का माध्यम माना।
  • कावानाद्य — एक राजनीतिक विचारकं इनके अनुसार राजनीतिक समाजीकरण राजनीति से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम है।

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