RBSE Class 9 Hindi रचना पत्र-लेखन

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi रचना पत्र-लेखन

(प्रार्थना पत्र, शिकायती पत्र, पारिवारिक पत्र-संवेदना पत्र)
हर्ष, शोक, सूचना, समाचार, प्रार्थना और स्वीकृति आदि के भावों को लेकर कागज पर लिखी किसी अधिकारी, स्वजन या सामान्य जन को सम्बोधित वाक्यावली को पत्र कहते हैं।
एक अच्छे पत्र की विशेषताएँ–पत्र-लेखन एक कला है। एक सुगठित और सन्तुलित पत्र ही उत्तम पत्र माना जाता है। एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए

  1. संक्षिप्तता – पत्र में विषय का वर्णन संक्षेप में करना चाहिए। एक ही बात को बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
  2. संतुलित भाषा का प्रयोग – पत्र में सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिन्हें पत्र पाने वाला नहीं समझता हो।
  3. तारतम्यता – पत्र में सभी बातें एक तारतम्य से रखी जानी चाहिए। ऐसा न हो कि आवश्यक बातें तो छूट जाएँ और कम महत्त्व की बातों में पत्र का अधिकांश भाग प्रयुक्त हो जाए। पत्र में सभी बातें उचित क्रम में लिखी होनी चाहिए।
  4. शिष्टता – पत्र में संयमित, विनम्र और शिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए। कड़वाहट-भरे शब्द लिखना या अशिष्ट भाषा का प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है।
  5. सज्जा – पत्र को साफ-सुथरे कागज पर सुलेख में ही लिखा जाना चाहिए। तिथि, स्थान एवं सम्बोधन यथास्थान लिखने से पत्र में आकर्षण बढ़ जाता है।

(क) प्रार्थना-पत्र
1. आपके पिताजी का जयपुर स्थानान्तरण हो गया है। अतः जयपुर के विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए आपको स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को इस आशय का प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य,
राज. उ. मा. विद्यालय,
हनुमानगढ़।
विषय – स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि मेरे पिताजी का स्थानान्तरण जयपुर हो गया है। पारिवारिक परिस्थितिवश मुझे जयपुर के ही किसी विद्यालय में प्रवेश लेना पड़ेगा। अतः मुझे स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। मेरी ओर विद्यालय का कुछ भी देय शेष नहीं है। आशा है, आप यथाशीघ्र स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र दिलाने का कष्ट करेंगे, ताकि मैं समय से प्रवेश प्राप्त कर सकें। पिताजी के स्थानान्तरण-पत्र की छायाप्रति प्रार्थना-पत्र के साथ संलग्न है।

आपका आज्ञानुवर्ती,
मोहन सिंह
कक्षा 9 (अ)

दिनांक : 5 जुलाई, 20….

2. अपने प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय विद्यालय सूरतगढ़ (राज.)
विषय – अवकाश के सम्बन्ध में।
मान्यवर महोदय,
सविनय निवेदन है कि पिछले तीन दिन से अस्वस्थ होने के कारण मैं विद्यालय में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ। अतः श्रीमान् जी से प्रार्थना है कि 2 दिसम्बर, 20…. से 5 दिसम्बर, 20…. तक चार दिन का अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें। इसके लिए मैं सदैव आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
प्रभाकर
कक्षा 9 (ब)

दिनांक : 2 दिसम्बर, 20….

3. स्वयं को उ. मा. वि. इन्दौर का विद्यार्थी अजय मानते हुए प्रधानाचार्य का ध्यान पुस्तकालय एवं वाचनालय की अव्यवस्था की ओर आकर्षित करते हुए एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
उ. मा. विद्यालय,
इन्दौर।
विषय – विद्यालय के पुस्तकालय एवं वाचनालय की अव्यवस्था के सम्बन्ध में।
मान्यवर !
निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय एवं वाचनालय वर्तमान में अव्यवस्थाओं से घिरे हुए हैं। पुस्तकालय-प्रभारी विगत एक वर्ष से छुट्टी पर चल रहे हैं। वाचनालय भी नियमित रूप से नहीं खुलता। इसके परिणामस्वरूप छात्रों को, पुस्तकालय एवं वाचनालय होते हुए भी, इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। आशा है कि शीघ्र ही इस ओर ध्यान देने की कृपा करेंगे।

आपका आज्ञाकारी,
अजय सिंघल
कक्षा 9 (ब)

दिनांक 25 सितम्बर, 20….

4. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उ. मा. विद्यालय
दौसा (राजस्थान)
विषय – छात्रवृत्ति प्रदान करने के सम्बन्ध में।
महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा-9 (अ) का छात्र हुँ। मैंने कक्षा-8 की परीक्षा उच्च प्रथम श्रेणी के अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी। हिन्दी, अँग्रेजी तथा गणित में मेरे प्राप्तांक 72 प्रतिशत थे। मैंने विभिन्न खेलों में भी विद्यालय का प्रतिनिधित्व किया है। मैं एक निर्धन छात्र हूँ। मेरे पिताजी की आय अत्यन्त सीमित होने के कारण वह मेरी पढ़ाई का व्यय- भार वहन करने में असमर्थ हैं। मेरी प्रार्थना है कि 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति मुझे दिलाने की कृपा करें, जिससे मैं अपना अध्ययन जारी रख सकें।

आपका आज्ञाकारी
चन्द्रमोहन
कक्षा-9 (अ)

दिनांक 12 जुलाई, 20….

5. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें हिन्दी विषय की कक्षाएँ नियमित रूप से न चलने की सूचना देने के साथ उचित प्रबन्ध किए जाने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उ. मा. विद्यालये
भरतपुर (राजस्थान)
विषय – हिन्दी की नियमित कक्षाएँ न चलने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सादर निवेदन है कि पिछले लगभग दो मास से हमारी हिन्दी की कक्षाएँ नियमित रूप से नहीं चल पा रही हैं। हिन्दी के अध्यापक अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। काफी दिनों बाद नए हिन्दी-अध्यापक पधारे हैं, किन्तु अस्वस्थ होने के कारण वे कक्षाएँ नहीं ले पा रहे हैं। इससे हमारे अध्ययन में बाधा पड़ रही है तथा पाठ्यक्रम पूरा हो पाने की आशा भी धूमिल होती जा रही है। इससे हम सभी के परीक्षाफल तथा भविष्य भी प्रभावित होंगे। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारी कक्षा के हिन्दी-अध्यापक की व्यवस्था शीघ्र कराने का कष्ट करें।

प्रार्थी
सुशील
कक्षा-प्रतिनिधि
कक्षा-9 (ब)

दिनांक 17 मई, 20….

6. अपने विद्यालय के शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण ( अक्षम) विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विद्यालय-परिसर और कक्षाओं में विशेष सुविधाओं की उपलब्धता के लिए विद्यालय प्रबंध-समिति के अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय,
विद्यालय प्रबंध-समिति
महाराणा प्रताप उ. मा. वि.
श्रीगंगानगर (राज.)।
विषय – शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यार्थियों के संबंध में।
आदरणीय महोदय,
हमारे विद्यालय में अनेक शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण और विकलांग छात्र अध्ययन करते हैं। उनको विद्यालयपरिसर तथा कक्षाओं में आते-जाते समय काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। अतः आपसे सादर अनुरोध है कि ऐसे छात्रों के लिए कुछ आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था कराने का कष्ट करें। इन छात्रों की कक्षाएँ भूतल स्थित कक्ष में ही लगें तथा इनके खेल और स्वास्थ्य के बारे में भी विशेष व्यवस्थाएँ की जाएँ। आशा है आप इस विषय में यथाशीघ्र ध्यान देने की कृपा करेंगे।

निवेदिका
शशि प्रभा
कक्षा-9 (अ)

दिनांक 24 अगस्त, 20….

(ख) शिकायती-पत्र
7. नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को अपने क्षेत्र में फैली गंदगी के संबंध में पत्र लिखिए ।
उत्तर:

प्रेषक
राधाकृष्ण अग्रवाल
वार्ड सं. 14, लक्ष्मणगढ़
दिनांक 17 मार्च, 20….

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय नगरपालिका, लक्ष्मणगढ़। अलवर।
विषय : वार्ड सं. 14 की सफाई-व्यवस्था के संबंध में
श्रीमान्
मैं लक्ष्मणगढ़ के वार्ड सं. 14 में व्याप्त गंदगी की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। भीषण गर्मी के मौसम में जल की दुर्लभता के कारण नगर में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य हो गया है । नालियाँ रुकी पड़ी हैं और सफाई कर्मचारियों ने कूड़े को हटाने के बजाय जगह-जगह उसके ढेर लगा दिए हैं। कभी-कभी तो मार्ग पर चलना भी कठिन हो जाता है। गंदगी के कारण मच्छरों का भी प्रकोप झेलना पड़ रहा है। यदि शीघ्र सफाई की समुचित व्यवस्था न की गई तो वार्ड में संक्रामक रोग फैलने की पूरी आशंका है। आशा है आप यथाशीघ्र वार्ड-निवासियों को इस संकट से मुक्ति दिलाएँगे।

भवदीय
राधाकृष्ण अग्रवाल

8. आपके क्षेत्र में अनधिकृत मकान बनाए जा रहे हैं इनकी रोकथाम के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तर:

प्रेषक
महेश्वर आचार्य
कृष्ण विहार, भरतपुर
दिनांक 19 जनवरी, 20….

सेवा में,
जिला अधिकारी महोदय
भरतपुर
विषय : अनधिकृत निर्माण के विषय में।
महोदय,
मैं आपका ध्यान कृष्ण विहार में बड़े पैमाने पर हो रहे अनधिकृत निर्माणों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस कॉलोनी में कुछ भू-माफिया स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से निरंतर अनधिकृत निर्माण करा रहे हैं। सार्वजनिक मार्ग की भूमि दबाई जा रही है तथा नाले पर कब्जे के प्रयास भी हो रहे हैं। सार्वजनिक पार्क का तो कहीं पता ही नहीं चल रहा है। इस बारे में विकास प्राधिकरण को भी कई बार सूचित किया गया है; लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। आशा है आप इस दिशा में शीघ्र ही उचित कार्यवाही करने की कृपा करेंगे। सधन्यवाद।

भवदीय
महेश्वर आचार्य

9. आपके मोहल्ले का डाकिया ठीक समय से डाक वितरण नहीं करता है। इस संबंध में डाकपाल को शिकायती-पत्र लिखिए।
उत्तर:

प्रेषक
आशीष त्यागी
सचिव, नागरिक कल्याण परिषद
नगर (जिला भरतपुर)
दिनांक 23 फरवरी, 20….

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
नगर (भरतपुर)
विषय : डाक-वितरण असंतोषजनक होने के संबंध में।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान नगर (भरतपुर) में डाक वितरण में हो रही घोर अव्यवस्था की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस क्षेत्र का डाकिया माधवदास अपने कार्य में घोर लापरवाही बरत रहा है। उसके आने-जाने का कोई निश्चित समय नहीं है और डाक व्यक्ति के पते पर न पहुँचाकर वह पत्रों को बण्डल किसी भी व्यक्ति के यहाँ डाल जाता है। डाकिया की इस कर्तव्य-विमुखता का दुष्परिणाम इस क्षेत्र के अनेक निवासियों को भुगतना पड़ा है। साक्षात्कार की तारीख निकल जाने के बाद पत्र मिले हैं। निवासियों द्वारा मँगाई जाने वाली पत्र-पत्रिकाएँ गायब हो जाती हैं। आशा है आप इस दिशा में उचित कार्यवाही करने का कष्ट करेंगे।
सधन्यवाद !

भवदीय
आशीष त्यागी

10. आप धौलपुर निवासी ब्रजेश मिश्र हैं। परीक्षा निकट है, पर लाउडस्पीकरों के शोरगुल के कारण परीक्षा की तैयारी में व्यवधान पड़ रहा है। अपने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना-पत्र लिखें कि वे इन पर रोक लगवाने हेतु आदेश देने की कृपा करें।
उत्तर:
सेवा में,
जिलाधिकारी महोदय,
धौलपुर।
विषय – लाउडस्पीकरों से अध्ययन में बाधा के सम्बन्ध में।
महोदय,
निवेदन है कि आगामी मास में परीक्षाएँ होने जा रही हैं। यह समय हम छात्रों के लिए निरन्तर अध्ययन का है, किन्तु नगर में प्रातःकाल से देर रात तक लाउडस्पीकरों पर ऊँची आवाज में फिल्मी गाने, भजन और न जाने क्या-क्या सुनाया जाता.
है। ऐसी परिस्थिति में एकाग्रता से अध्ययन कर पाना सम्भव नहीं हो सकता। इन लोगों से आवाज धीमा रखने का अनुरोध करने पर ये लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि परीक्षाओं की समाप्ति तक इस ध्वनि-प्रदूषण से मुक्ति दिलाने का कष्ट करें। शीघ्र कार्यवाही की प्रतीक्षा में,

भवदीय,
ब्रजेश मिश्र
छात्र, रा. उ. मा. विद्यालय
धौलपुर

दिनांक : 16 फरवरी, 20….

11. स्वयं को रजनीश निवासी रतलाम मानकर अपने क्षेत्र के विद्युत-अभियंता को परीक्षा तैयारी के कारण विद्युत आपूर्ति नियमित एवं पर्याप्त रूप से कराने हेतु अनुरोध पत्र लिखिए।
उत्तर:

प्रेषक
रजनीश
दण्डीस्वामी महाराज पुल
रतलाम।

सेवा में
विद्युत अभियंता
नगर क्षेत्र सं. 4
रतलाम।
विषय : नगर में चल रही परीक्षायें और विद्युत आपूर्ति का सुचारु न होना।
महोदय,
मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर दिलाना चाहता हूँ कि नगर में इन दिनों परीक्षायें चल रही हैं जिसकी तैयारी के लिए रात में छात्रों को सुचारु विद्युत आपूर्ति की नितान्त आवश्यकता होती है। दुर्भाग्य से पिछले कई दिनों से विद्युत की आपूर्ति न तो पर्याप्त है और न नियमित ही है। बार-बार बिजली जाने से छात्रों की पढ़ाई में बाधा होती है तथा परीक्षा की तैयारी ठीक तरह नहीं हो पाती। आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस विषय में व्यक्तिगत ध्यान देकर क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति पर्याप्त एवं नियमित करने
का कष्ट करें। धन्यवाद।
दिनांक 12 मार्च 20….।

भवदीय
रजनीश

(ग) पारिवारिक पत्र
12. प्रायः अस्वस्थ रहने वाली छोटी बहिन को पत्र लिखकर उसके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त कीजिए और उसे स्वस्थ्य रहने के कुछ उपयोगी सुझाव भी दीजिए।
उत्तर:

महाबलिपुरम्
दिनांक 1 जनवरी, 20…..

प्रिय बहन अनुजा,
सदा प्रसन्न रहो !
तुम्हारे पत्र से पता चला कि तुम आजकल बीमार चल रही हो। तुम्हारे स्वास्थ्य को लेकर मैं बहुत चिन्तित हूँ। तुम तो जानती हो कि जब से तुम्हारे जीजाजी का यहाँ से स्थानान्तरण हुआ है, वे तभी से अस्वस्थ हैं। वे कह रहे थे, अनुजा को यहीं बुला लो। यदि तुम्हारे अध्ययन में व्यवधान नहीं पड़े, तो कुछ दिन के लिए यहाँ आ जाओ। तुम अपने अध्ययन के प्रति सदैव ही सजग रही हो। उसके आगे तुम अपने स्वास्थ्य को भी भूल जाती हो, पर बहन स्वस्थ रहना भी आवश्यक है। अध्ययन के साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखो तथा किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श लेकर उचित इलाज कराना। पूर्णतः स्वस्थ हो जाने के बाद समय निकालकर थोड़ा व्यायाम कर लिया करो। प्रातः उठकर छात्रावास के बगीचे में ही घूम लिया करो। उससे बहुत अधिक लाभ मिलेगा। शेष फिर कभी। यहाँ सभी ठीक हैं। अपने स्वास्थ्य का समाचार शीघ्र लिखना, जिससे मेरी चिन्ता दूर हो सके।

तुम्हारी दीदी,
अनुपमा ‘भारतीयं

13. आप महेन्द्रगढ़ निवासी रमेश कुमार हैं। अपने छोटे भाई लवणेश कुमार को, जो दिल्ली के विवेकानन्द छात्रावास में अध्ययनरत है, एक पत्र लिखिए, जिसमें अपव्यय से बचने एवं बचत के सम्बन्ध में उपयोगी सुझाव दीजिए।
उत्तर:

महेन्द्रगढ़
दिनांक : 21 अगस्त, 20…..

प्रिय लवणेश कुमार,
सदा प्रसन्न रहो !
आशा करता हूँ, तुम स्वस्थ और सानन्द होंगे। पिछले पत्र में तुमने 300 रुपये मॅगाए थे, मैंने भेज दिए थे और अब तक तुम्हें मिल भी गए होंगे। वैसे तो तुम स्वयं समझदार हो और सादा जीवन पसन्द करते हो, फिर भी दिल्ली बड़ा शहर है, चीजें भी महँगी होंगी; अतः यहाँ की अपेक्षा वहाँ व्यय अधिक होना स्वाभाविक है। धन के कारण तुम्हारे अध्ययन में व्यवधान पड़े, यह मैं सहन नहीं कर सकता। लेकिन हम लोगों का जैसा रहन-सहन और जैसी आर्थिक स्थिति है, उसे ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार का अपव्यय एक अपराध माना जाएगा। मुझे विश्वास है कि तुम अपने व्यय पर नियंत्रण रखते होंगे। जो व्यय अत्यावश्यक है वह तो होना चाहिए, लेकिन अनावश्यक व्यय से जितना बचा जा सके, बचना चाहिए। बचत की आदत जीवनभर सुख देती है, अपने अनेक कार्य स्वयं करके हम बचत कर सकते हैं। बचत बड़ी हो, यह आवश्यक नहीं है, बूंद-बूंद से घड़ा भर जाता है। मुझे विश्वास है कि तुम न कंजूस बनोगे और न अपव्ययी। बचत के विषय में मेरे लिए कविवर बिहारी का यह दोहा मार्गदर्शक रहा है, तुम भी इसका अनुकरण करके सुखी रह सकते हो – मीत न नीति गलीत है, जो धरिए धन जोरि खाए खरचे जो, जुरै तौ जोरिए करोरि।।” अध्ययन के साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना। खेलों में भाग लेना अच्छा रहता है। पत्रोत्तर देना।

तुम्हारा भाई,
रमेश कुमार

14. स्वयं को निशान्त माहेश्वरी, अल्मोड़ा-निवासी मानते हुए, अमेरिका में अध्ययनरत अपने अनुज प्रशान्त को खर्चीले फैशन की होड़ छोड़कर परिश्रम करने की सलाह देते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर:

अल्मोड़ा (भारत)
दिनांक 10 जुलाई, 20…..

प्रिय अनुज प्रशान्त,
प्रसन्न रहो !
आशा है, तुम स्वस्थ और सानन्द होंगे। जब से तुम अमेरिका गए हो, तुम्हारा केवल पहुँचने का पत्र आया है। विश्वास है। कि तुम्हारा अध्ययन ठीक चल रहा होगा। भाई, अमेरिका विश्व का समृद्धतम राष्ट्र है। वहाँ की और अपने देश की जीवन-शैली में मौलिक अन्तर है। वहाँ के जीवन की चमक-दमक और फैशन की ओर तुम्हारे मन का आकृष्ट होना अस्वाभाविक नहीं है। किन्तु ऐसा न हो कि तुम अपनी सीमाओं से अधिक खर्च करने लगो और फैशन के चक्कर में पड़ जाओ। इससे न केवल आर्थिक समस्याएँ ही उत्पन्न होंगी, अपितु तुम्हारा अध्ययन भी प्रभावित हो सकता है। अध्ययन का ऐसा अवसर हर किसी को प्राप्त नहीं हो पाता है। तुम भाग्यशाली हो कि तुम्हें यह मौको प्राप्त हुआ है। ध्यान रहे, अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाकर तुम्हें अपने प्यारे देश की सेवा करनी है। सादा जीवन का अर्थ कंजूसी नहीं होता है। आवश्यकता और सामर्थ्य से अधिक खर्च करना बुद्धिमत्ता नहीं है। मुझे विश्वास है कि तुम अपने लक्ष्य (अध्ययन) को सदा ध्यान में रखोगे तथा फैशन से बचे रहोगे।। धन की आवश्यकता हो, तो निःसंकोच लिखना ।

तुम्हारा भाई,
निशान्त माहेश्वरी

15. स्वयं को शास्त्रीनगर निवासी सुधांशु मानकर अपने छोटे भाई को धूम्रपान एवं नशे की लत से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:

प्रिय अनुज
अंशुल

बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र नहीं मिला आशा है तुम ठीक होगे, तुम्हारी पढ़ाई भी अच्छी चल रही होगी। मुझे ज्ञात हुआ है कि आजकल तुम सायंकाल के समय पढ़ाई न करके हॉस्टल के कमरे से गायब रहते हो और देर रात तक लौटकर आते हो। मालूम हुआ है कि तुम नशेबाजी करने लगे हो। अंशुल मेरे भाई मैं तुमसे अनुरोध करता हूँ कि तुम इस नशे के चक्कर में न पड़ो। इससे सिर्फ पैसा ही बर्बाद नहीं होता बल्कि स्वास्थ्य और पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है तथा बहुत-सी शारीरिक एवं सामाजिक हानि भी होती है, पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। 5 मालूम है कि तुम्हारे लिए पूरे परिवार ने कैसे-कैसे सपने देखे हैं ? तुम्हें उनको पूरा करना है तथा जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मुकाम (स्थान) हासिल करना है। अतः मेरे प्रिय भाई इस नशे की लत से अपना जीवन बचाओ और अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई में लगाओ। मैं आशा करता हूँ कि तुम मेरी बातों पर ध्यान दोगे, अपना पूरा समय पढ़ाई में लगाओगे।।

तुम्हारा बड़ा भाई
सुधांशु

16. स्वयं को जूनागढ़ निवासी जितेन्द्र मानते हुए अहमदाबाद में रह रहे अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए जिसमें हाथ-धुलाई कार्यक्रम एवं पेट के कीड़ों की बीमारियों से बचने हेतु गोली खिलाने के कार्यक्रम द्वारा बालकों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के प्रयासों का उल्लेख हो।
उत्तर:

जूनागढ़
दिनांक 10 अक्टूबर, 20….

परम आदरणीय पिताजी
चरण स्पर्श।
हमारे नगर में इन दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा जन-जागरण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत बच्चों को शौच के पश्चात् साबुन से हाथ धोने तथा भोजन से पूर्व भी | हाथ साबुन से धोकर साफ कपड़े से पोंछने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ऐसा करने से शरीर स्वस्थ रहता है। पेट में कीड़े होने पर भी अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं इससे बचने के लिए विभाग द्वारा खाने के लिए गोलियाँ दी जा रही हैं। सादा साफ पानी से गोली खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। बालकों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की दृष्टि से यह कार्यक्रम अत्यन्त लाभदायक सिद्ध हो रहा है। आपके नगर अहमदाबाद में भी ऐसा कार्यक्रम चल रहा है। क्या? आगामी माह में वहाँ आकर आपके दर्शन करूगा ।

आपका आज्ञाकारी पुत्र
जितेन्द्र

(घ) संवेदना पत्र

17. स्वयं को चन्द्रशेखर मानते हुए अपने मित्र मनोज को एक पत्र लिखिए, जिसमें मित्र के पिताजी के असामयिक निधन पर संवेदना प्रकट की गई हो।
उत्तर:

सरोज सदन शिवनगर
बीकानेर
दिनांक 15 जून, 20….

प्रिय मनोज,
हार्दिक संवेदना।।
तुम्हारे पूज्य पिताजी की असामयिक मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। अभी पिछले पत्र में तुमने उनके अच्छे स्वास्थ्य के बारे में लिखा था, फिर यह अप्रत्याशित कैसे हो गया? तुम्हारे पिताजी का जो मुझसे विशेष स्नेह था, उसे मैं कभी विस्मृत नहीं कर सकता। प्रिय मित्र, मृत्यु तो सृष्टि को नियम है। जो इस पृथ्वी पर जन्मा है, उसे एक-न-एक दिन जाना है। विधि के विधान एवं नियति के निर्णय से कौन बचा है? इसलिए हम सब को ईश्वर के फैसले को सिर झुकाकर स्वीकार करना ही होता है। मेरी परमपिता परमान से यह प्रार्थना है कि वह स्वर्गीय आत्मा को चिर शान्ति प्रदान करे तथा तुम्हें व तुम्हारे परिजनों को इस असह्य शोक को सहने को शक्ति प्रदान करे। मुझे विश्वास है कि शोक की इस घड़ी में तुम धीरज से परिजनों को सान्त्वना देकर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करोगे।

तुम्हारा शुभेच्छु
चन्द्रशेखर

18. आप बाँदीकुई निवासी रामप्रकाश हैं। अपने मित्र महेश को एक संवेदना पत्र लिखिए, जिसमें उसके पिताजी के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त किया हो।
उत्तर:

बाँदीकुई
दिनांक 10 अगस्त, 20….

प्रिय बन्धु महेश,
मुझे अभी समाचार प्राप्त हुआ है। तुम्हारे पूज्य पिताजी का इसी सोमवार को स्वर्गवास हो गया। वास्तव में भैया, वे मुझे इतना प्यार करते थे कि शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। उनका मेरे प्रति कितना स्नेहपूर्ण व्यवहार था, कुछ कहा नहीं जा सकता। अंतिम समय पर मैं उनके दर्शन नहीं कर पाया, यह मेरा दुर्भाग्य रहा। आज वे हम लोगों के बीच नहीं रहे किन्तु उनके आदर्श हमारे सम्मुख हैं। उनका ही हम । लोगों को अनुसरण करना है। मैं जानता हूँ कि तुम पर पारिवारिक उत्तरदायित्व कितनी बढ़ गया है, फिर भी शांति के साथ कार्य करते रहना। उनकी आत्मा को पूर्ण शांति मिले, श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

तुम्हारा मित्र
रामप्रकाश शर्मा

19. मित्र के पिता की मृत्यु पर एक संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर:

24 सी. राणाप्रताप नगर
उदयपुर
दिनांक 25 जून, 20….

प्रिय बंधु अनिकेत
तुम्हारे पूज्य पिताजी की मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर बहुत ही अफसोस हुआ। पिछले महीने ही उनसे मुलाकात हुई थी। वे स्वस्थ दिखाई दे रहे थे। हम दोनों काफी देर तक बैठे बातचीत करते रहे। उनकी मृत्यु संभवतः अचानक ही हुई है। मन शांत होने पर लिखना कि उनका निधन किस प्रकार हुआ। हम सभी बहुत दुखी हैं। पिता के चले जाने पर परिवार का सार भार तुम्हारे ऊपर आ गया है। भगवान तुम्हें इस दुख को सहने की शक्ति दे। माताजी का विशेष ध्यान रखना। उनका सहारा अब तुम्हीं हो। भगवान से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। तुम्हारे दुख में दुखी

तुम्हारा अभिन्न मित्र
सूर्यकुमार राजावत

20. स्वयं को विनीता मानते हुए अपनी सहेली कल्पना को उनकी माताजी के निधन पर संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर:

18 सुभाष नगर
भरतपुर
दिनांक 7 अप्रैल, 20….

प्रिय सहेली कल्पना
तुम्हारी माताजी के आकस्मिक निधन का दुखद समाचार मिला। सुनकर मन को धक्का लगा। मैं अभी तक यह नहीं मान पा रही कि वे इस दुनिया में नहीं रहीं। इस सूचना ने मुझे बहुत बेचैन कर दिया है। प्रिय | बहिन, तुम्हारी माँ सचमुच में उच्च आदर्शो-सद्गुणों से युक्त ममतामयी माँ र्थी। उनसे प्राप्त स्नेह जीवन भर याद रहेगा। उनकी मृत्यु मेरी व्यक्तिगत हानि है। परंतु ईश्वर के विधान को कौन टाल पाया है? मेरी परमपिता परमात्मा से यही प्रार्थना है कि वह तुम्हें तथा तुम्हारे परिवार के अन्य सदस्यों को यह दुख सहन करने की शक्ति दे। अपनी छोटी बहिन का ध्यान रखना, इस समय उसे तुम्हारे सहारे की आवश्यकता है, मुझे विश्वास है कि तुम अवश्य ही अपने ऊपर आए आकस्मिक भार को वहन कर सकोगी।

तुम्हारी ही
विनीता

21. अपने मित्र के दादाजी के निधन पर सांत्वना-पत्र लिखिए।
उत्तर:

राजावत भवन
चित्तौड़गढ़
दिनांक 15 जनवरी, 20….

प्रिय मित्र सुरेश,
नमस्कार
आज ही तुम्हारे पूज्य दादाजी के देहांत का दुखद समाचार सुना। मैं सुनकर स्तब्ध रह गया। मुझे सहसा विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि पिछले सप्ताह जब मैं उनसे मिला था, तो वे पूर्णतः स्वस्थ तथा प्रसन्नचित्त थे। उन्होंने मुझे एक नया पेन भी दिया था। मेरे प्रति उनका विशेष स्नेह था। समय-समय पर मैं उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करता रहता था। आज भी वह हमारी स्मृतियों में विराजमान हैं। प्रिय मित्र! होनी को कोई नहीं टाल सकता। किसी के जीवन की डोर कब टूट जाएगी कुछ कहा नहीं जा सकती। ऐसी स्थिति में संतोष कर लेने के अतिरिक्त कोई और चारी नहीं है। ऐसी स्थिति में तुम पर क्या बीत रही होगी, यह मैं अच्छी प्रकार समझ सकता हूँ। ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को सद्गति तथा परिवारजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
मैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आऊँगा।

तुम्हारा अभिन्न हृदय
राजीव

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